hotaks444
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विमल के साथ जिंदगी तो उसने गुजारनी है ...तो क्या उसे खुद नही विमल से बात करनी चाहिए ...उसके अतीत के बारे में उससे सुनना चाहिए और अपने अतीत को खुद उसके सामने रखना चाहिए ....ताकि आगे आनेवाली जिंदगी में अतीत की कभी परछाई भी ना पड़े ....और दोनो में एक विश्वास का बंधन हो...जो कि हर दंपति की जिंदगी में होना चाहिए...क्यूंकी विश्वास ही आधार होता है एक खुश हाल जिंदगी का...नही तो जिंदगी बिखर के रह जाती है...
अपने मन में वो विमल से सवाल करने लगी ....बोलो ना विमल ..क्या तुम्हारे दिल में मेरे लिए वही तड़प बाकी रहेगी जिसे ले कर तुम कवि के पास गये थे मेरा हाथ माँगने...या फिर तुम मुझ से नफ़रत करोगे ..क्यूंकी मेरी जिंदगी में पहला जो लड़का आया था जिसने मुझे अच्छी तरहा दो साल तक भोगा था...वो कोई और नही मेरा बड़ा भाई था....बताओ ना विमल क्या तुम इस कड़वे सच को बर्दाश्त कर लोगे.....
विमल क्या तुम ये सुन पाओगे ..कि मैं सुनील से प्यार करती हूँ और शायद करती रहूंगी आखरी साँस तक.......पर उसके दिल में मेरे लिए सिर्फ़ एक बहन का प्यार है ...क्या ये सच मैं तुम्हें बता पाउन्गि...क्या मुझे ये सच तुम्हें बताना चाहिए .........
जब लड़की शादी के बंधन की तरफ अपने कदम बढ़ा देती है......तो हर पल उसके दिमाग़ में एक जंग छिड़ी रहती है....कुछ यही हाल रूबी का था.....
काबी उसके दिमाग़ में कोई ख़याल आता तो कभी कोई......
इस बात को अच्छी तरहा जानते हुए कि विजय और सुनील उसका कभी कोई बुरा नही होने देंगे ....वो अपनी अंदर चलती इस जंग को रोक नही पा रही थी........
रूबी ने पलट के देखा मिनी दूसरी तरफ मुँह कर के सो रही थी......दिल-ओ-दिमाग़ में चलती हुई जंग...रूबी की आँखों से नींद उड़ा चुकी थी......
वो धीरे से बिस्तर से उठी......अपने लिए एक कॉफी बनाई और धीरे धीरे सीप लेते हुए खिड़की पे आ कर खड़ी हो गयी......और दूर तक फैले समुद्र को देखने लगी....
कितना शांत था समुद्र आज .......और कभी कभी जब इसमें तूफान आता है तो ना जाने कितनी ज़िंदगियों को अपनी लपेट में लेके लेता है.......
ये समुद्र एक आईना ही तो होता है ...जो इंसान की जिंदगी का रूप दिखता है.....कभी वो कितनी शांत और सकुन से भरी होती है तो कभी ऐसे ऐसे जलजले आते हैं जो साथ जुड़ी कितनी ही ज़िंदगियों को तबाह कर देते हैं......
एक एक पल अपनी जिंदगी का रूबी की आँखों के सामने आने लगा ......पहले प्यार किया तो धोखा मिला...फिर प्यार किया तो नाकामयाब रहा.......और अब शादी...क्या वो विमल को वही प्यार दे पाएगी......जिस प्यार पे उसने सुनील का हक़ बना रखा है.......
सुनील.....देखो जा रही हूँ तुम्हारी जिंदगी से दूर....अब कभी तुम्हें मैं........(आँसू टपक पड़े रूबी की आँखों से) काश कि तुम मेरे प्यार को समझ पाते .....कोशिश करूँगी ....तुम्हारी चाहत को दिल के किसी कोने में दफ़न कर दूं....कोशिश करूँगी ..एक नयी जिंदगी विमल के साथ जीने की....पर ये आस हमेशा जिंदा रहेगी...कि वो वक़्त भी कभी आए...जब तुम्हें अहसास हो मेरे प्यार की गहराई का....
रुला के गया सपना मेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा
वही हैं गमे दिल, वही हैं चंदा तारे
वही हम बेसहारे
वही हैं ग़मे दिल, वही हैं चंदा तारे
वही हम बेसहारे
आधी रत वही हैं, और हर बात वही हैं
फिर भी ना आया लुटेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा
कैसी यह जिंदगी, के सांसो से हम उबे
के दिल डूबा, हम डूबे
कैसी यह जिंदगी, के सांसो से हम उबे
के दिल डूबा, हम डूबे
एक दुखिया बेचारी, इस जीवन से हारी
उस पर यह गम का अंधेरा
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हू कब हो सवेरा
रुला के गया सपना मेरा.
कभी कभी सपने ऐसे होते हैं जो बस रुलाते ही रहते हैं....ऐसे ही सपनो की दुनिया में रूबी जी रही थी....और उन सपनो को अपने दिल की किसी पिटारी में बंद रखने का प्रयास कर रही थी.
रात धीरे धीरे सरक रही थी .....और सरक रहे थे उसके अरमान .....फिसल के एक कोने में दुबक रहे थे.......वो अपने आप को तयार कर रही थी ....आख़िर सुनील उससे ये सवाल ज़रूर पूछेगा...कि उसने ये फ़ैसला कैसे लिया...क्यूँ लिया....
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