hotaks444
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उस दिन होली के दिन वो झड़कर थक गयी थी, मैंने उसे दूध का ग्लास दिया और सुला दिया।क्योंकि उसकी चड्डी से मैंने उसकी चूतका रस पोंछा था इसलिए मैंने उसकी चड्डी धोने में डाल दी और उसको बिना चड्डी के ही चद्दर ओढ़ा कर सुला दिया।
क़रीब दो घंटे के बाद मैंने उसे उठाया और बोला: बेटा, अब कैसे लग रहा है? खुजली से आराम मिला?
वो बोली: जी पापा अब बिलकुल ठीक हूँ मैं।
फिर मैं उसके पास आकर बैठ गया और उसके सर पर हाथ फेरा और झुककर उसके गालों को चूमा और बोला: बेटा,चलो अब नहा लो देखो सब जगह रंग लगा हुआ है।
वो उठते हुए बोली: जी पापा मैं नहा लेती हूँ।
मैंने उसको अपनी बाहोंमेंभरकर कहा: बेटा मुझसे ग़ुस्सा तो नहीं हो, तुम्हें दवाई लगाते हुए मैं बहक गया था और तुम्हारे साथ कुछ ग़लत सा कर बैठा।
वो शर्मा कर बोली: चलो पापा मैं नहा लेती हूँ।
मैंने अब उसके गाल चूमे और धीरे से अपनी बाहों का बंधन कड़ा किया और बोला: बेटी वो क्या है ना, तुम्हारी माँ के जाने के बाद अब मुझे सेक्स के लिए बहुत तड़पना पड़ता है, अब तुम इतनी बड़ी तो हो गयी हो कि मैं तुमसे ऐसी बात कर सकूँ। इसी के कारण मैं ये सब कर बैठा।
वो: चलिए पापा जो हुआ सो हुआ अब मैं नहा लूँ?
मैं: बेटा एक बात और बोलना है किअब मुझे लगता है कि मुझे अब दूसरी शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि मैं भी एक मर्द हूँ और मुझे भी तो सेक्स चाहिए।
वो भावुक होकर बोली: पापा आप मेरी सौतेली माँलाएँगे? नहीं ये नहीं हो सकता।
मैं: बेटा कल को तुम्हारी शादी हो जाएगी और तुम अपने घर चली जाओगी तो मैं तो बिलकुल अकेला हो जाऊँगा ना?
नेहा: पापा मैं शादी नहीं करूँगी और हमेशा आपके साथ रहूँगी। ऐसा कहते हुए वह मुझसे लिपट गयी।
मैंने भी उसे अपने गोद में खींचकर अपने आधे खड़े लंड पर बैठा लिया और बोला: मैं भी कभी तुमसे अलग नहीं होना चाहता हूँ पर इसका क्या करूँ जो तुम्हारे चूतरों के नीचे दबा हुआ है।
मैंने साफ़ साफ़ अपने लंड की बात की। वह फिर से शर्मायी और कुछ बोली नहीं।
मैं उसके गालों को चूमते हुए बोला: बेटा, मैंने जब अभी तुमसे थोड़ी छेड़ छाड़ की थी, तुम्हें मज़ा आया कि नहीं।
नेहा ने अपना सर मेरी छाती में दबा दिया और बोली: जी आया था।
मैं: बेटा अगर तुम चाहो तो मैं दूसरी शादी का ख़याल छोड़ दूँगा।
नेहा: मैं चाहूँ मतलब?
मैंने उसको अपने लंड पर दबाया और बोला: बेटी ये जो तुमको चुभ रहा है ,ये तुम्हारा प्यार चाहता है, नहीं तो मुझे तुम्हारे लिए सौतेली माँ लानी पड़ेगी।
नेहा भावुक होकर बोली: पापा चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े पर आप दूसरी शादी नहीं करोगे।
मैंने देखा कि मेरे लंड की चुभन से उसके गाल गुलाबी हो रहे थे और उसकी छाती उठने बैठने लगी थी, जो उसके उत्तेजित होने के लक्षण थे।
मैं: बेटी,तो क्या तुम मुझे वो सुख दोगी जो तुम्हारी माँ दिया करती थी? मैंने उसकी बाहों को सहलाते हुए पूछा।
नेहा: पापा मैं अपनी माँ की जगह लूँगी और आपका पूरा ध्यान रखूँगी,पर आप दूसरी शादी नहीं करेंगे।
मैं ख़ुश होकर उसके होंठ चूमने लगा और बोला: बस बेटी मुझे सब मिल गया अब मैं दूसरी शादी क्यों करूँगा !
अब मेरे हाथ उसकी बाहों से आगे जाकर उसके छातियों पर आ गए और मैंने उनको हल्के से सहलाया। वो मस्त होकर मुझसे लिपटी रही और फिर मैंने उसके पेट को सहलाया। अब मेरे हाथ उसकी जाँघों पर थे और मैं उसके होंठ चूमने लगा।
वो भी मस्त होकर मुझे सुख दे रही थी। अब मेरे हाथ उसकी जाँघों पर ऊपर की तरफ़ पहुँचे पर उसने अपनी जाँघों को जोड़ रखा था।
मैंने कहा: बेटी, अच्छा लग रहा है ना?
उसने हाँ मेंसर हिलाया ।
,तब मैंने कहा: बेटी टांगों को अलग करो ना, पापा को तुम्हारा ख़ज़ाना छूना है।
वो शर्माकर बोली: पापा ये तो पाप है ना? कभी बाप बेटी भी ऐसा करते हैं क्या?
मैं: बेटी देखो हम बाप बेटी बाद मैं हैं पहले मर्द और औरत हैं। ये सही है कि समाज इसकी इजाज़त नहीं देता, पर अगर हम समाज को नहीं बताएँगे तो किसी को क्या मतलब? ये बताओ तुम्हें मज़ा आ रहा है ना ?
ये कहते हुए मैंने हल्का सा पैरों पर दबाव डाला और उसने अपनी जाँघों को अलग कर दिया। उसने पैंटी नहीं पहनी थी क्योंकि मैंने उसकी पैंटी से उसका पानी उसके सोने के पहले साफ़ किया था।
अब मेरा हाथ उसकी चिकनी जाँघों से होता हुआ उसकी चूत पर पहुँचा। वो आह पापा कर उठी।
मैंने एक उँगली अंदर डाली तो उसकी चूत पूरी गीली थी। मैं समझ गया कि वह गरम हो चुकी है।मैंने उसकी चूत की बालोंपर हाथ फेरा।
मैं: बेटी यहाँ के बाल साफ़ रखा करो।नहीं तो इन्फ़ेक्शन हो सकता है।
नेहा: पापा मैंने कभी साफ़ नहीं किया वहाँ। मुझे डर लगता है कहीं कट ना जाए वहाँ।
मैंने उसकी चूत को बड़े प्यार से सहलाया और बोला: कोई बात नहीं बेटी, मैं अभी साफ़ कर देता हूँ, तुम्हारी माँ की भी चूत के बाल मैं ही साफ़ किया करता था।
नेहा शर्माकर बोली: ठीक है पापा आप ही कर दीजिएगा।
मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे।
मैं: तो बेटी, अब फ़ाइनल हो गया ना, कि मैं दूसरी शादी नहीं करूँगा और तुम अपनी माँकी जगह लोगी?
नेहा: जी पापा फ़ाइनल है, मैं आपको शादी नहीं करने दूँगी चाहे कुछ हो जाए।
मैं: पर बेटा ये किसी को पता नहीं चलना चाहिए, तुम किसी से बोलोगी तो नहीं? ये कहते हुए मैंने उसकी चूत के दाने को छेड़ दिया।
वो आह पापा कहके बोली: नहीं पापा मैं किसी को हाय्य्य्य्य्य नहीं बताऊँगीइइइइइइइइइ ।पापा वहाँ से हाथ निकाल लो ना, मुझे ज़ोर की गुदगुदी हो रही है।
मैंने वहाँ से हाथ हटाया और अपनी ऊँगली चाट ली।
नेहा: छी पापा क्या चाट रहे हो गंदी जगह से हाथ लगाकर।
मैं: अरे बेटा ये तो सबसे स्वाद रस है।इससे ज़्यादा स्वादिश्ट तो कुछ हो ही नहीं सकता।
वो हैरानी से मुझे देख रही थी।
मैं: चलो अब नहा लो और रंग भी निकाल लो।
वो उठने लगी तो मैं बोला: बेटी तुम आज ही बाल साफ़ करवा लो ना? ठीक है ना?
नेहा: ठीक है पापा जैसा आप ठीक समझें।
अब मैंने उसके होंठ चूसे और बोला: ठीक है बेटा मैं क्रीम लेकर आता हूँ। और मैं क्रीम लेने के लिए अपने बाथरूम में चला गया।क्रीम लेकर मैं वापस आया और नेहा को बाथरूम मेंचलने को कहा।
अब बाथरूम में मैंने उसको स्कर्ट उतारने को कहा, पर वो शर्मा रही थी सो मैंने ख़ुद ही उसका स्कर्ट उतार दिया। अब उसके शरीर पर बस टॉप था और उसकी गोरी दूधिया जाँघें और उसके बीच की बारीक सी दरार जिसने से बाल भी झाँक रहे थे, देखकर मैं मस्त हो गया।
मैंने एक स्टूल लिया और उस पर बैठ गया और उसकी जाँघें फैलाके उसकी चूत देखकर अपने लौड़े को मसलने लगा।
फिर मैंने एक हाथ में क्रीम लिया और उसकी चूत के बालों पर लगाने लगा। पहले मैंने पेड़ू पर लगाया और फिर चूत और जाँघ के जोड़ पर और आख़िर में उसके फाँकों पर लगाया।
अब उँगलियों में और क्रीम लेकर उसकी चूत के नीचे से उसकी गाँड़ की ओर ले गया। जब सामने से क्रीम लग गयी तब उसको घुमाया और अब उसके गोल गोल चूतरों को देखकर मैं पागल सा हो गया और फिर उसकी चूतरों की दरार में ऊँगली डालकर उसकी गाँड़ और उसके आसपास की जगह पर भी क्रीम लगाया।हालाँकि उसकी गाँड़ और उसके आसपास की जगह क़रीब क़रीब चिकनी ही थी,बहुत थोड़े से ही बाल थे वहाँ। अब मेरा लंड जैसे टूटने वाला था। मैं खड़ा हुआ और मैंने अपनी लोअर और चड्डी निकाल दी तब जाकर लौड़े को आराम मिला।
नेहा की आँखें मेरे लौड़े को देखकर फटी की फटी रह गयीं। वो एकटक उसे देखे जा रही थी। मैंने कहा :बेटा कैसा कहा पापा का लंड ? बेटा इसको लौडा भी कहते है।
वो कुछ नहीं बोली बस सर झुका लिया।
मैं: अच्छा सच सच बोलो किकभी किसी लड़के का लंड देखा है? और उसे सहलाया है?
नेहा: पापा वो वो क्या है ना, वो--
मैं: अरे बेटा सच बोलो मैं ग़ुस्सा नहीं होऊँगा।
नेहा: वो पापा दो लड़कों का देखा है और एक का पकड़ा है।
मैं: ओह कोई बात नहीं बेटा, क्या उनका इतना बड़ा और मोटा था?
नेहा: नहीं पापा उनका तो पतला और छोटा था, आपका तो बहुत बड़ा है।
मैं: चलो इसको भी सहलाओ जैसे उस लड़के का सहलाया था। ये कहते हुए मैंने अपना लौडा उसकी ओर बढ़ा दिया।
नेहा ने सकुचाते हुए मेरा लौड़ा पकड़ लिया और सिहर उठी। मैं समझ गया कि उसको हिलाना भी नहीं आता इसलिए मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर उसको सहलाना सिखाया। अब वो मेरे लौड़े को मज़े से मूठिया रही थी। थोड़ी देर बाद मुझे लगा किउत्तेजना से मैं झड़ जाऊँगा सो मैंने उसका हाथ हटा दिया।
फिर मैं नीचे बैठा और रुई लेकर उसकी क्रीम निकालनेलगा और वो बालों के साथ निकल रही थीं। जब पूरी चूतका हिस्सा साफ़ हो गया तो घुमाकर उसके गाँड़ के हिस्से को भी साफ़ किया।
थोड़ी देर बाद वहाँ हाथ लगाकर देखा कि उसका पूरा पिछवाड़ा चिकना था और चूतका भी हिस्सा बिलकुल चिकना हो गया था।
मैं बोला: चलो बेटा अब नहा लो। बोलो तो मैं ही नहला दूँ? सब रंग अच्छी तरह से निकाल दूँगा।
वो बोली: पापा आप कभी माँके साथ नहाए थे?’मैं: हाँ बेटा कई बार। उसको और मुझे बहुत मज़ा आता था साथ नहाने में।
नेहा आकर मेरे से लिपट गई और मेरा लौडा उसके नाभि मेंघुस गया और बोली: पापा चलो आज हम भी साथ ही नहाएँगे।
मैंने नेहा के होंठ चूसते हुए उसको गरम किया और फिर अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया।मेरा लंड पूरा खड़ा था क्योंकि उसको पता था कि आज उसे चोदने के लिए कुँवारी चूत जो मिलने वाली थी।नेहा मेरे लंड को देखे जा रही थी और उसकी सांसें फूल रही थी।अब मैंने उसका टॉप भी उतार दिया और उसकी रंगो से भरी ब्रा में छुपी छातियाँ अब मेरे सामने थीं।मैंने ब्रा के बाहर से उसकी छातियाँ छू कर उसको मस्त किया और फिर घुमाकर उसकी चूतरों से अपना लौड़ा सटा दिया और उसकी ब्रा खोल दिया। अब मेरे हाथ उसकी छातियों को पीछे से पकड़कर मसल रहे थे और मेरा लौड़ा उसके गाँड़ की दरार मेंजैसे घुसे जा रहा था।अब मैंने एक बालटी भरी और मग्गे से पानी लेकर उसके ऊपर पानी डाला।
वो हँसने लगी फिर मैं बोला: बेटा चलो स्टूल पर बैठ जाओ और अपने पैर लम्बे कर लो,ताकि मैं तुम्हारे पैरों का रंग निकाल सकूँ।
वो स्टूल पर बैठ गयी और मैं भी साबुन और प्लास्टिक का ब्रश लेकर एक दूसरेस्टूल पर उसके सामने बैठ गया।उसने जाँघें मिलाकर पैर फैला दिए। मेरा लंड मेरे जाँघों के बीच एकदम खड़ा ऊपर नीचे हो रहा था।
उसकी आँखें बार बार मेरे लंड पर जा रही थीं।
अब मैंने उसके पैरों पर साबुन लगाना शुरू किया। जैसे जैसे साबुन का झाग वाला हाथ ऊपर उसकी जाँघों तक पहुँचा,मैंने उनको अलग करने के लिए दबाव डाला और उसने अपने आप ही जाँघें फैला दिया। अब उसकी फूली हुई चूत जो मैंने बाल निकाल कर चिकनी कर दी थी, मेरी आँखों के सामने थी।
मेरा लंड अब और ज़्यादा कड़ा हो गया। मैंने उसकी जाँघों के अंदर साबुन लगाया और वहाँका भी रंग निकाल दिया।
फिर मैं बोला: बेटा जब उन लड़कों ने तुम्हारी जाँघों पर रंग लगाया तो मज़ा तो आया होगा ना?
वो शर्माते हुए बोली: जी पापा अच्छा तो लगा था।
मैं: बेटा गुदगुदी हुई थी?
वो: जी पापा, बहुत।
मैं: कहाँ कहाँ गुदगुदी हुई बेटा?
वो: जी पापा , वो यहीं (उसने चूतकी तरफ़ इशारा करते हुए कहा) सबसे ज़्यादा हुई थी।
मैं उसके पेट में साबुन लगाते हुए बोला: और भी कई जगह गुदगुदी हुई होगी, जब उन्होंने पैंटी के अंदर से तुम्हारी चूतमेंरंग लगाया होगा।
वो बोली: पापा मेरे निपल्ज़ भी एकदम कड़े हो गए थे।
मैंने अब उसकी चूचियाँ पर साबुन मलते हुए कहा: बेटा इनको भी तो दबाया था ना, उन लड़कों ने?
वो: जी पापा ज़ोर से दबाया था, मुझे तो दर्द भी हुआ था।
मैंने उसकी चूचियों को प्यार से दबाते हुए साबुन लगाना जारी रखा।
वो आह आह करने लगी। उसके निपल्ज़ बिलकुल कड़े हो गए थे।मैंने उसके निपल्ज़ को साबुन लगाने के बहाने से मसला और वो मस्त होकर हाय्य्यय कर उठी।
अब मेरा हाथ उसके गर्दन को साफ़ करके उसकी आँखों पर लगाया , उसने आँखें बंदकर लीं।अब उसके मुँह पर साबुन लगाके उसका रंग निकालने लगा। अब मेरी आँखें फिर से उसकी चूत पर पड़ी और वो जाँघें फैला कर बैठी थी।उसमें से चूत बड़ी मस्त दिखायी दे रही थी। मैं अपना हाथ अब उसकी चूतपर ले गया और वहाँ पर अच्छी तरह से साबुन लगाया और वहाँ हाथ रगड़ने लगा। अब वो मस्त होकर पापाआऽऽऽऽऽ कहके मचलने लगी। जैसे ही मैंने उसकी चूतके दाने को छेड़ा और वो सीइइइइइइइ कर उठी।
फिर मैंने उसको बैठे बैठे ही घुमाया और अब उसकी पीठ मेरे सामने थी।
मैंने उसकी पीठ पर साबुन लगाया और फिर मेरा हाथ उसकी चूतरोंके दरार की सैर करने लगा। अब मैंने उसको उठने को कहा और वो मेरे सामने अपने मस्त चूतरों को सामने करके खड़ी थी।
अब मैंने उसके चूतरों पर साबुन लगाते हुए उनको मसलने लगा। फिर उसकी दरार मेंऊँगली डालकर उसकी गाँड़ के छेद को रगड़ने लगा| नेहा सीइइइइइ और हायय्य्य्य्य्य करने लगी। फिर मैं अपना हाथ नीचे लेज़ाकर उसकी चूत को मसलने लगा।
अब उसको मैंने पानी डाल कर अच्छी तरह से नहला दिया।
फिर मैंने कहा: चलो बेटा तुम तो नहाँ ली अब हमें नहलाओ।
वो हँसते हुए बोली: जी पापा चलिए बैठिए स्टूल पर , मैं आपको नहलाती हूँ।
फिर उसने मेरे ऊपर पानी डाला और बाद मैं साबुन लेकर मेरे सीने पर साबुन लगाने लगी। उसके बाद उसने मेरे सामने बैठते हुए मेरे पेट और मेरी जाँघों और पैरों पर साबुन लगाया।
उसकी संतरों सी सख़्त चूचियाँ मेरे सामने हिल रही थीं। मेरा लंड ऊपर नीचे हो रहा था।मैंने उसकी हिलती छातियों मो पकड़ लिया और दबाने लगा। उसने लंड और आंडों पर साबुन लगाया और मुझे लगा किमैंझड़ ही जाऊँगा| वो लंड को दबाकर मज़ा ले रही थी।
जब मुझे लगा किअब और नहीं तो मैंने उसका हाथ पकड़कर के बोला: बेटी सिर्फ़ इसे ही नहलाएगी क्या?
वो शर्माकर बोली: धत्त । और उसने मेरे मुँह मेंसाबुन लगा दिया। अब उसने मुझे घुमाकर मेरी पीठ पर साबुन लगाया। फिर उसने मुझे खड़ा करके मेरी जाँघों और मेरे सख़्त चूतरों को धोया और फिर उसने अपनी ऊँगलियाँडालकर मेरी गाँड़ धोने लगेगी। मैं भी मस्त हो गया फिर वो सामने आकर फिर से लंड पकड़कर बोली: तो पापा अब इसको और धोऊँ क्या? और खिखि करके हँसने लगी।
मैं भी मस्त होकर बोला: बेटा ज़्यादा धोएगी तो रस निकल जाएगा।
वो हँसते हुए पानी डालने लगी। फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपटकर ख़ूब देर तक होंठ चूस चूस कर मस्त होने लगे।
फिर तौलिए से पोंछकर बदन सुखाकर बेडरूम मेंआए और उसको चूमते हुए बिस्तर पर लिटा कर उसपर छा गया। अब मैंने उसकी चुचि पर अपना मुँह रख दिया और क़रीब क़रीब पूरा संतरा मुँह में लेकर चूसने लगा। मेरी जीभ उसके निपल्ज़ को दबा रहे थे।अब मेरा दूसरा हाथ उसके दूसरी चुचि पर था। अब मैं उसकी दूसरे निपल को ऊँगली और अंगूठे से मसलने लगा। नेहा हायुय्य्य्य्य पापाऽऽऽऽऽऽ मर गईइइइइइइइइइ करने लगी। मैंने उसके हाथ ऊपर को किए उसकी बग़लों को चाटने लगा वो हाय्य्यय कर उठी।मैं उसके बग़लों की ख़ुशबू से जैसे दीवाना सा हो गया । अब अपना मुँह नीचे उसके पेट पर लाकर उसकी नाभि मेंजीभ डालकर चाटने लगा। फिर नीचे उसकी चूत को चूमने लगा।अब अपनी जीभ से मैं उसकी जाँघ और चूत के जोड़ को जीभ से चाटा एर वो मस्ती से अपनी कमर उछालने लगी। अब मेरी जीभ उसकी चूत पर घूम रही थी। अब मैंने उसकी फाँकोंको फैलाया और उसके अंदर गुलाबी छेद देखकर लंड तो जैसे पागल ही हो गया। मेरी जीभ अब उसके छेद के अंदर जाकर उसको मस्त कर रही थी। वो अब अपनी कमर उछालने लगी और अपनी चूतको मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
अब मैंने उसकी टाँगें ऊपर को उठाया और चिकनी गाँड़ का भूरा छेद देखकर मेरा लौड़ा मस्ती से भर उठा।अब मेरी जीभ उसकी गाँड़ चाटने लगी। नेहा हाय्य्य्य्य्य्य कह के मुझे बहुत उत्तेजित कर दी।
फिर मैंने उसके जाँघों के बीच आकर उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। मेरा सुपाड़ा उसकी चूत के मुहाने पर रखा और उसको रगड़ने लगा उसकी सिसकियाँ अब कमरे में गूँज रही थीं।
क़रीब दो घंटे के बाद मैंने उसे उठाया और बोला: बेटा, अब कैसे लग रहा है? खुजली से आराम मिला?
वो बोली: जी पापा अब बिलकुल ठीक हूँ मैं।
फिर मैं उसके पास आकर बैठ गया और उसके सर पर हाथ फेरा और झुककर उसके गालों को चूमा और बोला: बेटा,चलो अब नहा लो देखो सब जगह रंग लगा हुआ है।
वो उठते हुए बोली: जी पापा मैं नहा लेती हूँ।
मैंने उसको अपनी बाहोंमेंभरकर कहा: बेटा मुझसे ग़ुस्सा तो नहीं हो, तुम्हें दवाई लगाते हुए मैं बहक गया था और तुम्हारे साथ कुछ ग़लत सा कर बैठा।
वो शर्मा कर बोली: चलो पापा मैं नहा लेती हूँ।
मैंने अब उसके गाल चूमे और धीरे से अपनी बाहों का बंधन कड़ा किया और बोला: बेटी वो क्या है ना, तुम्हारी माँ के जाने के बाद अब मुझे सेक्स के लिए बहुत तड़पना पड़ता है, अब तुम इतनी बड़ी तो हो गयी हो कि मैं तुमसे ऐसी बात कर सकूँ। इसी के कारण मैं ये सब कर बैठा।
वो: चलिए पापा जो हुआ सो हुआ अब मैं नहा लूँ?
मैं: बेटा एक बात और बोलना है किअब मुझे लगता है कि मुझे अब दूसरी शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि मैं भी एक मर्द हूँ और मुझे भी तो सेक्स चाहिए।
वो भावुक होकर बोली: पापा आप मेरी सौतेली माँलाएँगे? नहीं ये नहीं हो सकता।
मैं: बेटा कल को तुम्हारी शादी हो जाएगी और तुम अपने घर चली जाओगी तो मैं तो बिलकुल अकेला हो जाऊँगा ना?
नेहा: पापा मैं शादी नहीं करूँगी और हमेशा आपके साथ रहूँगी। ऐसा कहते हुए वह मुझसे लिपट गयी।
मैंने भी उसे अपने गोद में खींचकर अपने आधे खड़े लंड पर बैठा लिया और बोला: मैं भी कभी तुमसे अलग नहीं होना चाहता हूँ पर इसका क्या करूँ जो तुम्हारे चूतरों के नीचे दबा हुआ है।
मैंने साफ़ साफ़ अपने लंड की बात की। वह फिर से शर्मायी और कुछ बोली नहीं।
मैं उसके गालों को चूमते हुए बोला: बेटा, मैंने जब अभी तुमसे थोड़ी छेड़ छाड़ की थी, तुम्हें मज़ा आया कि नहीं।
नेहा ने अपना सर मेरी छाती में दबा दिया और बोली: जी आया था।
मैं: बेटा अगर तुम चाहो तो मैं दूसरी शादी का ख़याल छोड़ दूँगा।
नेहा: मैं चाहूँ मतलब?
मैंने उसको अपने लंड पर दबाया और बोला: बेटी ये जो तुमको चुभ रहा है ,ये तुम्हारा प्यार चाहता है, नहीं तो मुझे तुम्हारे लिए सौतेली माँ लानी पड़ेगी।
नेहा भावुक होकर बोली: पापा चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े पर आप दूसरी शादी नहीं करोगे।
मैंने देखा कि मेरे लंड की चुभन से उसके गाल गुलाबी हो रहे थे और उसकी छाती उठने बैठने लगी थी, जो उसके उत्तेजित होने के लक्षण थे।
मैं: बेटी,तो क्या तुम मुझे वो सुख दोगी जो तुम्हारी माँ दिया करती थी? मैंने उसकी बाहों को सहलाते हुए पूछा।
नेहा: पापा मैं अपनी माँ की जगह लूँगी और आपका पूरा ध्यान रखूँगी,पर आप दूसरी शादी नहीं करेंगे।
मैं ख़ुश होकर उसके होंठ चूमने लगा और बोला: बस बेटी मुझे सब मिल गया अब मैं दूसरी शादी क्यों करूँगा !
अब मेरे हाथ उसकी बाहों से आगे जाकर उसके छातियों पर आ गए और मैंने उनको हल्के से सहलाया। वो मस्त होकर मुझसे लिपटी रही और फिर मैंने उसके पेट को सहलाया। अब मेरे हाथ उसकी जाँघों पर थे और मैं उसके होंठ चूमने लगा।
वो भी मस्त होकर मुझे सुख दे रही थी। अब मेरे हाथ उसकी जाँघों पर ऊपर की तरफ़ पहुँचे पर उसने अपनी जाँघों को जोड़ रखा था।
मैंने कहा: बेटी, अच्छा लग रहा है ना?
उसने हाँ मेंसर हिलाया ।
,तब मैंने कहा: बेटी टांगों को अलग करो ना, पापा को तुम्हारा ख़ज़ाना छूना है।
वो शर्माकर बोली: पापा ये तो पाप है ना? कभी बाप बेटी भी ऐसा करते हैं क्या?
मैं: बेटी देखो हम बाप बेटी बाद मैं हैं पहले मर्द और औरत हैं। ये सही है कि समाज इसकी इजाज़त नहीं देता, पर अगर हम समाज को नहीं बताएँगे तो किसी को क्या मतलब? ये बताओ तुम्हें मज़ा आ रहा है ना ?
ये कहते हुए मैंने हल्का सा पैरों पर दबाव डाला और उसने अपनी जाँघों को अलग कर दिया। उसने पैंटी नहीं पहनी थी क्योंकि मैंने उसकी पैंटी से उसका पानी उसके सोने के पहले साफ़ किया था।
अब मेरा हाथ उसकी चिकनी जाँघों से होता हुआ उसकी चूत पर पहुँचा। वो आह पापा कर उठी।
मैंने एक उँगली अंदर डाली तो उसकी चूत पूरी गीली थी। मैं समझ गया कि वह गरम हो चुकी है।मैंने उसकी चूत की बालोंपर हाथ फेरा।
मैं: बेटी यहाँ के बाल साफ़ रखा करो।नहीं तो इन्फ़ेक्शन हो सकता है।
नेहा: पापा मैंने कभी साफ़ नहीं किया वहाँ। मुझे डर लगता है कहीं कट ना जाए वहाँ।
मैंने उसकी चूत को बड़े प्यार से सहलाया और बोला: कोई बात नहीं बेटी, मैं अभी साफ़ कर देता हूँ, तुम्हारी माँ की भी चूत के बाल मैं ही साफ़ किया करता था।
नेहा शर्माकर बोली: ठीक है पापा आप ही कर दीजिएगा।
मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे।
मैं: तो बेटी, अब फ़ाइनल हो गया ना, कि मैं दूसरी शादी नहीं करूँगा और तुम अपनी माँकी जगह लोगी?
नेहा: जी पापा फ़ाइनल है, मैं आपको शादी नहीं करने दूँगी चाहे कुछ हो जाए।
मैं: पर बेटा ये किसी को पता नहीं चलना चाहिए, तुम किसी से बोलोगी तो नहीं? ये कहते हुए मैंने उसकी चूत के दाने को छेड़ दिया।
वो आह पापा कहके बोली: नहीं पापा मैं किसी को हाय्य्य्य्य्य नहीं बताऊँगीइइइइइइइइइ ।पापा वहाँ से हाथ निकाल लो ना, मुझे ज़ोर की गुदगुदी हो रही है।
मैंने वहाँ से हाथ हटाया और अपनी ऊँगली चाट ली।
नेहा: छी पापा क्या चाट रहे हो गंदी जगह से हाथ लगाकर।
मैं: अरे बेटा ये तो सबसे स्वाद रस है।इससे ज़्यादा स्वादिश्ट तो कुछ हो ही नहीं सकता।
वो हैरानी से मुझे देख रही थी।
मैं: चलो अब नहा लो और रंग भी निकाल लो।
वो उठने लगी तो मैं बोला: बेटी तुम आज ही बाल साफ़ करवा लो ना? ठीक है ना?
नेहा: ठीक है पापा जैसा आप ठीक समझें।
अब मैंने उसके होंठ चूसे और बोला: ठीक है बेटा मैं क्रीम लेकर आता हूँ। और मैं क्रीम लेने के लिए अपने बाथरूम में चला गया।क्रीम लेकर मैं वापस आया और नेहा को बाथरूम मेंचलने को कहा।
अब बाथरूम में मैंने उसको स्कर्ट उतारने को कहा, पर वो शर्मा रही थी सो मैंने ख़ुद ही उसका स्कर्ट उतार दिया। अब उसके शरीर पर बस टॉप था और उसकी गोरी दूधिया जाँघें और उसके बीच की बारीक सी दरार जिसने से बाल भी झाँक रहे थे, देखकर मैं मस्त हो गया।
मैंने एक स्टूल लिया और उस पर बैठ गया और उसकी जाँघें फैलाके उसकी चूत देखकर अपने लौड़े को मसलने लगा।
फिर मैंने एक हाथ में क्रीम लिया और उसकी चूत के बालों पर लगाने लगा। पहले मैंने पेड़ू पर लगाया और फिर चूत और जाँघ के जोड़ पर और आख़िर में उसके फाँकों पर लगाया।
अब उँगलियों में और क्रीम लेकर उसकी चूत के नीचे से उसकी गाँड़ की ओर ले गया। जब सामने से क्रीम लग गयी तब उसको घुमाया और अब उसके गोल गोल चूतरों को देखकर मैं पागल सा हो गया और फिर उसकी चूतरों की दरार में ऊँगली डालकर उसकी गाँड़ और उसके आसपास की जगह पर भी क्रीम लगाया।हालाँकि उसकी गाँड़ और उसके आसपास की जगह क़रीब क़रीब चिकनी ही थी,बहुत थोड़े से ही बाल थे वहाँ। अब मेरा लंड जैसे टूटने वाला था। मैं खड़ा हुआ और मैंने अपनी लोअर और चड्डी निकाल दी तब जाकर लौड़े को आराम मिला।
नेहा की आँखें मेरे लौड़े को देखकर फटी की फटी रह गयीं। वो एकटक उसे देखे जा रही थी। मैंने कहा :बेटा कैसा कहा पापा का लंड ? बेटा इसको लौडा भी कहते है।
वो कुछ नहीं बोली बस सर झुका लिया।
मैं: अच्छा सच सच बोलो किकभी किसी लड़के का लंड देखा है? और उसे सहलाया है?
नेहा: पापा वो वो क्या है ना, वो--
मैं: अरे बेटा सच बोलो मैं ग़ुस्सा नहीं होऊँगा।
नेहा: वो पापा दो लड़कों का देखा है और एक का पकड़ा है।
मैं: ओह कोई बात नहीं बेटा, क्या उनका इतना बड़ा और मोटा था?
नेहा: नहीं पापा उनका तो पतला और छोटा था, आपका तो बहुत बड़ा है।
मैं: चलो इसको भी सहलाओ जैसे उस लड़के का सहलाया था। ये कहते हुए मैंने अपना लौडा उसकी ओर बढ़ा दिया।
नेहा ने सकुचाते हुए मेरा लौड़ा पकड़ लिया और सिहर उठी। मैं समझ गया कि उसको हिलाना भी नहीं आता इसलिए मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर उसको सहलाना सिखाया। अब वो मेरे लौड़े को मज़े से मूठिया रही थी। थोड़ी देर बाद मुझे लगा किउत्तेजना से मैं झड़ जाऊँगा सो मैंने उसका हाथ हटा दिया।
फिर मैं नीचे बैठा और रुई लेकर उसकी क्रीम निकालनेलगा और वो बालों के साथ निकल रही थीं। जब पूरी चूतका हिस्सा साफ़ हो गया तो घुमाकर उसके गाँड़ के हिस्से को भी साफ़ किया।
थोड़ी देर बाद वहाँ हाथ लगाकर देखा कि उसका पूरा पिछवाड़ा चिकना था और चूतका भी हिस्सा बिलकुल चिकना हो गया था।
मैं बोला: चलो बेटा अब नहा लो। बोलो तो मैं ही नहला दूँ? सब रंग अच्छी तरह से निकाल दूँगा।
वो बोली: पापा आप कभी माँके साथ नहाए थे?’मैं: हाँ बेटा कई बार। उसको और मुझे बहुत मज़ा आता था साथ नहाने में।
नेहा आकर मेरे से लिपट गई और मेरा लौडा उसके नाभि मेंघुस गया और बोली: पापा चलो आज हम भी साथ ही नहाएँगे।
मैंने नेहा के होंठ चूसते हुए उसको गरम किया और फिर अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया।मेरा लंड पूरा खड़ा था क्योंकि उसको पता था कि आज उसे चोदने के लिए कुँवारी चूत जो मिलने वाली थी।नेहा मेरे लंड को देखे जा रही थी और उसकी सांसें फूल रही थी।अब मैंने उसका टॉप भी उतार दिया और उसकी रंगो से भरी ब्रा में छुपी छातियाँ अब मेरे सामने थीं।मैंने ब्रा के बाहर से उसकी छातियाँ छू कर उसको मस्त किया और फिर घुमाकर उसकी चूतरों से अपना लौड़ा सटा दिया और उसकी ब्रा खोल दिया। अब मेरे हाथ उसकी छातियों को पीछे से पकड़कर मसल रहे थे और मेरा लौड़ा उसके गाँड़ की दरार मेंजैसे घुसे जा रहा था।अब मैंने एक बालटी भरी और मग्गे से पानी लेकर उसके ऊपर पानी डाला।
वो हँसने लगी फिर मैं बोला: बेटा चलो स्टूल पर बैठ जाओ और अपने पैर लम्बे कर लो,ताकि मैं तुम्हारे पैरों का रंग निकाल सकूँ।
वो स्टूल पर बैठ गयी और मैं भी साबुन और प्लास्टिक का ब्रश लेकर एक दूसरेस्टूल पर उसके सामने बैठ गया।उसने जाँघें मिलाकर पैर फैला दिए। मेरा लंड मेरे जाँघों के बीच एकदम खड़ा ऊपर नीचे हो रहा था।
उसकी आँखें बार बार मेरे लंड पर जा रही थीं।
अब मैंने उसके पैरों पर साबुन लगाना शुरू किया। जैसे जैसे साबुन का झाग वाला हाथ ऊपर उसकी जाँघों तक पहुँचा,मैंने उनको अलग करने के लिए दबाव डाला और उसने अपने आप ही जाँघें फैला दिया। अब उसकी फूली हुई चूत जो मैंने बाल निकाल कर चिकनी कर दी थी, मेरी आँखों के सामने थी।
मेरा लंड अब और ज़्यादा कड़ा हो गया। मैंने उसकी जाँघों के अंदर साबुन लगाया और वहाँका भी रंग निकाल दिया।
फिर मैं बोला: बेटा जब उन लड़कों ने तुम्हारी जाँघों पर रंग लगाया तो मज़ा तो आया होगा ना?
वो शर्माते हुए बोली: जी पापा अच्छा तो लगा था।
मैं: बेटा गुदगुदी हुई थी?
वो: जी पापा, बहुत।
मैं: कहाँ कहाँ गुदगुदी हुई बेटा?
वो: जी पापा , वो यहीं (उसने चूतकी तरफ़ इशारा करते हुए कहा) सबसे ज़्यादा हुई थी।
मैं उसके पेट में साबुन लगाते हुए बोला: और भी कई जगह गुदगुदी हुई होगी, जब उन्होंने पैंटी के अंदर से तुम्हारी चूतमेंरंग लगाया होगा।
वो बोली: पापा मेरे निपल्ज़ भी एकदम कड़े हो गए थे।
मैंने अब उसकी चूचियाँ पर साबुन मलते हुए कहा: बेटा इनको भी तो दबाया था ना, उन लड़कों ने?
वो: जी पापा ज़ोर से दबाया था, मुझे तो दर्द भी हुआ था।
मैंने उसकी चूचियों को प्यार से दबाते हुए साबुन लगाना जारी रखा।
वो आह आह करने लगी। उसके निपल्ज़ बिलकुल कड़े हो गए थे।मैंने उसके निपल्ज़ को साबुन लगाने के बहाने से मसला और वो मस्त होकर हाय्य्यय कर उठी।
अब मेरा हाथ उसके गर्दन को साफ़ करके उसकी आँखों पर लगाया , उसने आँखें बंदकर लीं।अब उसके मुँह पर साबुन लगाके उसका रंग निकालने लगा। अब मेरी आँखें फिर से उसकी चूत पर पड़ी और वो जाँघें फैला कर बैठी थी।उसमें से चूत बड़ी मस्त दिखायी दे रही थी। मैं अपना हाथ अब उसकी चूतपर ले गया और वहाँ पर अच्छी तरह से साबुन लगाया और वहाँ हाथ रगड़ने लगा। अब वो मस्त होकर पापाआऽऽऽऽऽ कहके मचलने लगी। जैसे ही मैंने उसकी चूतके दाने को छेड़ा और वो सीइइइइइइइ कर उठी।
फिर मैंने उसको बैठे बैठे ही घुमाया और अब उसकी पीठ मेरे सामने थी।
मैंने उसकी पीठ पर साबुन लगाया और फिर मेरा हाथ उसकी चूतरोंके दरार की सैर करने लगा। अब मैंने उसको उठने को कहा और वो मेरे सामने अपने मस्त चूतरों को सामने करके खड़ी थी।
अब मैंने उसके चूतरों पर साबुन लगाते हुए उनको मसलने लगा। फिर उसकी दरार मेंऊँगली डालकर उसकी गाँड़ के छेद को रगड़ने लगा| नेहा सीइइइइइ और हायय्य्य्य्य्य करने लगी। फिर मैं अपना हाथ नीचे लेज़ाकर उसकी चूत को मसलने लगा।
अब उसको मैंने पानी डाल कर अच्छी तरह से नहला दिया।
फिर मैंने कहा: चलो बेटा तुम तो नहाँ ली अब हमें नहलाओ।
वो हँसते हुए बोली: जी पापा चलिए बैठिए स्टूल पर , मैं आपको नहलाती हूँ।
फिर उसने मेरे ऊपर पानी डाला और बाद मैं साबुन लेकर मेरे सीने पर साबुन लगाने लगी। उसके बाद उसने मेरे सामने बैठते हुए मेरे पेट और मेरी जाँघों और पैरों पर साबुन लगाया।
उसकी संतरों सी सख़्त चूचियाँ मेरे सामने हिल रही थीं। मेरा लंड ऊपर नीचे हो रहा था।मैंने उसकी हिलती छातियों मो पकड़ लिया और दबाने लगा। उसने लंड और आंडों पर साबुन लगाया और मुझे लगा किमैंझड़ ही जाऊँगा| वो लंड को दबाकर मज़ा ले रही थी।
जब मुझे लगा किअब और नहीं तो मैंने उसका हाथ पकड़कर के बोला: बेटी सिर्फ़ इसे ही नहलाएगी क्या?
वो शर्माकर बोली: धत्त । और उसने मेरे मुँह मेंसाबुन लगा दिया। अब उसने मुझे घुमाकर मेरी पीठ पर साबुन लगाया। फिर उसने मुझे खड़ा करके मेरी जाँघों और मेरे सख़्त चूतरों को धोया और फिर उसने अपनी ऊँगलियाँडालकर मेरी गाँड़ धोने लगेगी। मैं भी मस्त हो गया फिर वो सामने आकर फिर से लंड पकड़कर बोली: तो पापा अब इसको और धोऊँ क्या? और खिखि करके हँसने लगी।
मैं भी मस्त होकर बोला: बेटा ज़्यादा धोएगी तो रस निकल जाएगा।
वो हँसते हुए पानी डालने लगी। फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपटकर ख़ूब देर तक होंठ चूस चूस कर मस्त होने लगे।
फिर तौलिए से पोंछकर बदन सुखाकर बेडरूम मेंआए और उसको चूमते हुए बिस्तर पर लिटा कर उसपर छा गया। अब मैंने उसकी चुचि पर अपना मुँह रख दिया और क़रीब क़रीब पूरा संतरा मुँह में लेकर चूसने लगा। मेरी जीभ उसके निपल्ज़ को दबा रहे थे।अब मेरा दूसरा हाथ उसके दूसरी चुचि पर था। अब मैं उसकी दूसरे निपल को ऊँगली और अंगूठे से मसलने लगा। नेहा हायुय्य्य्य्य पापाऽऽऽऽऽऽ मर गईइइइइइइइइइ करने लगी। मैंने उसके हाथ ऊपर को किए उसकी बग़लों को चाटने लगा वो हाय्य्यय कर उठी।मैं उसके बग़लों की ख़ुशबू से जैसे दीवाना सा हो गया । अब अपना मुँह नीचे उसके पेट पर लाकर उसकी नाभि मेंजीभ डालकर चाटने लगा। फिर नीचे उसकी चूत को चूमने लगा।अब अपनी जीभ से मैं उसकी जाँघ और चूत के जोड़ को जीभ से चाटा एर वो मस्ती से अपनी कमर उछालने लगी। अब मेरी जीभ उसकी चूत पर घूम रही थी। अब मैंने उसकी फाँकोंको फैलाया और उसके अंदर गुलाबी छेद देखकर लंड तो जैसे पागल ही हो गया। मेरी जीभ अब उसके छेद के अंदर जाकर उसको मस्त कर रही थी। वो अब अपनी कमर उछालने लगी और अपनी चूतको मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
अब मैंने उसकी टाँगें ऊपर को उठाया और चिकनी गाँड़ का भूरा छेद देखकर मेरा लौड़ा मस्ती से भर उठा।अब मेरी जीभ उसकी गाँड़ चाटने लगी। नेहा हाय्य्य्य्य्य्य कह के मुझे बहुत उत्तेजित कर दी।
फिर मैंने उसके जाँघों के बीच आकर उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। मेरा सुपाड़ा उसकी चूत के मुहाने पर रखा और उसको रगड़ने लगा उसकी सिसकियाँ अब कमरे में गूँज रही थीं।