Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 6 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

देवा;की ऑखें बंद हो जाती है साँस धीमे हो जाते है और हाथ पैर कोई हरकत नहीं करता।

कुछ देर बाद जब रानी अपने होंठ देवा के होठो से अलग कर देती है।
उसके होंठ गीले हो चुके थे।

देवा;मुझे जाने दो छोटी मालकिन।

रानी;आगे बढ़ के अपनी ब्रा के ऊपर पहने हुए वो पतली सी टी शर्ट उतारने लगती है।

देवा;उसे ऐसा करता देख बुरी तरह डर जाता है।



रानी; टी शर्ट निकाल के फ़ेंक देती है और देवा के सीने से चिपक जाती है।

मै तुझसे बहुत प्यार करती हूँ देवा। मुझे अपनी बना लो मुझे अपना बना लो।

देवा;रानी के बाजू पकड़ के उसे पीछे धकेलता है ।
आप पागल हो गई है मालकिन। मै आपसे प्यार नहीं करता मुझे ये सब ठीक नहीं लगता।

रानी;उसका हाथ पकड़ के अपने गोरे गोरे ब्रैस्ट पे रख देती है। देख देवा मेरे दिल की धड़कनो में सिर्फ तू बस गया है । अब अगर तू मुझे नहीं मिला तो मै ज़हर खा लूँगी मर जाऊँगी मैं।

देवा;नहीं नहीं मालकिन आप ऐसा मत कहो।
पर सच बात तो यही है की मै आपसे प्यार नहीं करता और जब दो लोगों में से एक इंसान प्यार नहीं करता तो उसे एक तरफा प्यार कहते है ।
अगर आप ज़ोर ज़बर्दस्ती का प्यार चाहती हैं तो ये ठीक बात नहीं है मालकिन।

रानी;ठीक है आज मै कसम खाती हूँ तेरे दिल में भी मेरे लिए प्यार जगा के रहूंग़ी।उसके बाद तू मुझे अपनाये या ठुकरा दे तेरी मरजी।
पर एक शर्त है मेरी।

देवा;कैसी शर्त।
 
रानी;जो मै कहूं जैसे मै कहूं तुझे करना होंगा अगर तूने इन्कार किया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होंगा।

ये तुरुप का पता था जिसे सही वक़्त पे रानी ने इस्तेमाल की थी देवा उस के जाल में फँस जाता है।

देवा;ठीक है मालकिन । आपका हर हुकुम मै मानुंगा।

रानी:देखते है।
चल इसे दबा।

देवा;नही।

रानी;अभी तूने क्या कहा जो मै तुझसे कहूँगी तू वो करेंगा। चल दबा मेरे चूचि को।

देवा; धीरे धीरे रानी के ब्रैस्ट मसलने लगता है।

रानी;माँ का दूध नहीं पिया लगता तूने बचपन में । आजा मै तुझे पिलाती हूँ।
ये कहते हुए परी अपने ब्रा को ऊपर खींच के देवा का मुंह अपने ब्रैस्ट पे लगा देती है।
चूस मेरे राजा आहह चूस ले आहः

देवा;बिना कुछ कहे बिना कुछ पूछे परी के ब्रैस्ट को चुसने लगता है गलप्प गल्प।



अचानक देवा के अंदर कुछ होता है और वो रानी से अलग हो जाता है और जल्दी से दरवाज़ा खोल के बाहर निकल जाता है।

रानी;के चेहरे पे एक कातिलाना मुसकान आ जाती है।
वो दिल में सोचते है आज नहीं तो कल देवा मेरे मुठी में ज़रूर होगा।

देवा;जैसे ही रूम से बाहर निकलता है वो पदमा से टकरा जाता है।

पदमा;अरे आराम से कहाँ से भागा चला आ रहा है। चल बडी मालकिन तेरा कब से कार में इंतज़ार कर रही है और ये तू काँप क्यों रहा है।

देवा;अपने गमछे से पसीना पोछते हुए कुछ नही बोलता
और वो कार की तरफ बढ़ जाता है जहाँ रुक्मणी उसका इंतज़ार कर रही थी।

कार में बैठने के बाद वो थोड़ा अच्छा महसूस करता है वरना वहां रूम में तो उसकी साँस घुटने लगी थी।

रुक्मणी;उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखती है।
तूम ठीक तो हो ना देवा।

देवा; जी मालकिन मै ठीक हूँ।
चले।

रुक्मणी;चलो।

और देवा कार शहर के रास्ते पे दौड़ा देता है।
 
देवा;के जाते ही रानी मुस्कुराते हुए अपने कमरे की तरफ जाने लगती है की तभी उसकी नज़र आँगन में बैठी पदमा पर पडती है।
वो पदमा को आवाज़ देती है।

पदमा;हाँ बिटिया क्या बात है।

रानी;काकी मेरी पीठ और कमर में बहुत दर्द है ज़रा तेल से मालिश कर दो ना।

पदमा;मै तेल गरम करके तुम्हारे कमरे में लाती हूँ ।

रानी;अपने रूम में चली जाती है। रात की चुदाई से उसका पूरा बदन अकड गया था। जब औरत कस के लेती है तो उसे न अकडन होती है और न दर्द होता है ।
पर हिम्मत राव में अब वो बात नहीं रही थी की औरत की चूत सुजा दे वो तो बस रण्डियों को चोद चोद के ढिला हो चुका था।

कुछ देर बाद पदमा तेल ले के रानी के कमरे में आ जाती है।
बिटिया तुम बिस्तर पर पेट के बाल लेट जाओ मै मालिश कर देती हूं।

रानी;नहीं काकी बिस्तर ख़राब हो जाएगा। मुझे पूरे बदन की मालिश करवानी है ऐसा करते है यहाँ टॉवल बिछा देते है ।

और रानी;एक टॉवल नीचे बिछा देती है और अपने सारे कपडे निकाल देती है।

पदमा;पहली मर्तबा रानी को इस तरह देख रही थी। उसकी आँखें रानी के जिस्म से हट नहीं रही थी । रानी थी ही इतनी खूबसूरत । गोल गोल भरे भरे ब्रैस्ट साफ़ चिकनी चूत।

रानी;काकी तुम तो ऐसे मुझे देख रही हो जैसे ये सारा सामान तुम्हारे पास नहीं है।हेहेहेहेहेहेह

पदमा;शरमा जाती है।
नही बिटिया कैसे बात कर रही हो चलो तुम लेट जा ना।

रानी;लेट जाती है और पदमा उसके सारे शरीर पे तेल डाल देती है पहले गर्दन के और उसके बाद नीचे ब्रैस्ट के पास जैसे ही पदमा के हाथ पहुँचते है रानी की ब्रैस्ट और निप्पल्स दोनों फुलने लगते है।
 
रानी;काकी तुम्हारे हाथ में तो जादू है ज़रा अच्छे से मालिश करो न दबा के । आह।

पदमा;समझ जाती है की रानी क्या चाहती है
वो दिल ही दिल में मुस्कुराते हुए धीरे धीरे पेट के फिर जांघों की तरफ बढ़ती है।



रानी;अपनी आँखें बंद कर लेती है ।
क्योंकी पदमा के हाथ अब रानी के जांघ के अंदरुनी भाग तक पहुँच चुके थे।

जैसे जैसे पदमा के हाथ आगे बढ़ते है वैसे वैसे रानी अपने पैर खोलती चली जाती है।



रानी;आहह काकी क्या कर रही हो आहह ।

पदमा; बिटिया यहाँ दर्द हो रहा है न।

रानी; काकी नहीं ना आह्ह्ह्ह्ह्।

पदमा;के हाथ रानी की चूत और गाण्ड को बुरी तरह मसल रहे थे।
असल बात तो ये थी की जहाँ रानी का जिस्म कम चुदाई से अकड़ गया था वहीँ पदमा की चूत सुज गई थी देवा के ज़ालिम लंड से।
और जब चूत वाली किसी चूत की मालिश करती है तो बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है।


पदमा;एक बात कहूं बिटिया।

रानी;आहह हाँ बोलो न काकी।

पदमा;तेरी चूत बहुत सूजी हुई लग रही है।

रानी;पता नहीं काकी वो तो हमेशा ऐसे ही रहती है आह।

पदमा;को अचानक पता नहीं क्या हो जाता है और वो अपनी दो उँगलियाँ रानी की चूत में घुसा देती है।

चूत की आग से परेशान रानी जब अपनी चूत में पदमा की उँगलियाँ महसूस करती है तो उसके ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की साँस नीचे रह जाती है वो पदमा को रोकना चाहती थी पर रोक नहीं पाती और पदमा धीरे धीरे अपनी उँगलियाँ अंदर बाहर करती रहती है।
 
रानी;आहह काकी और ज़ोर से आहह ज़ोर से अंदर आहः

पदमा;रानी को सीधी लेटने को कहती है और रानी जैसे ही करवट बदलती है ।
पदमा;उसके दोनों पैर हवा में उठा देती है।

पैरों का उठना था की पदमा की नाज़ुक नाज़ुक उँगलियाँ फिर से रानी की चूत के अंदर तक चली जाती है।



रानी;चिल्लाने लगती है।आहह घूसा दे काकी आहह निकलने दे सारा पानी आहह क्या कर दिया है तूने काकी आह।

पदमा;की ऑंखें भी बंद हो जाती है।उसके ऑंखों के सामने रात का मंज़र आ जाता है। जब देवा उसे उल्टा करके सटा सट उसकी गाण्ड मार रहा था।

दोनो अपने अपने खयालो में खो जाती है।

रानी;की चूत से पानी की एक तेज़ धार बाहर निकल पडती है।

क़ितने दिनों के बाद आज रानी की चूत से असली जवाला मुखी फटा था ।

कितनी ही देर वो ऐसे ही पड़ी रहती है।

पदमा;वहां से जा चुकी थी क्युंकी उसकी चूत भी जवाब दे चुकी थी।

वो कपडे बदलने के लिए अपने घर चली जाती है।

इधर देवा कार डॉ साहब के क्लिनिक के पास रोक देता है ।
पुरे रास्ते दोनों चुपचाप न रुक्मणी ने कुछ कहा और न देवा ने कोई बात किया।

वो दोनों क्लिनिक के अंदर पहुँचते है।क्लिनिक में एक चेयर के ऊपर एक लड़का बैठा हुआ था वो रुक्मणी को पहचानता था वो फ़ौरन बोल पड़ता है।
की डॉक्टरनी अपनी पति के साथ दूसरे गांव गई हुई हैं।वो 2 दिन बाद आयेंगे।

ये डॉ हिम्मत राव की पालतू कुतिया थी जिसे हर महिने हिम्मत राव हड्डी डाल दिया करता था जिसका काम सिर्फ इतना था की रुक्मणी को ये यक़ीन दिलाना की वो अभी माँ नहीं बन सकती और अगर वो अभी माँ बनती है तो उसके और बच्चे की जान को खतरा रहेगा।

पिछले 3 साल से यही हो रहा था।
 
रुक्मणी;देवा के तरफ देखती है।
चलो देवा हम बाद में आ जाएंगे।

देवा;मालकिन बुरा न मानो तो एक बात कहूँ।

रुक्मणी;हाँ बोलो।

देवा;यहाँ एक और अच्छी औरतों की डॉ है अगर आप चाहें तो हम उनके यहाँ चलते है।

रुक्मणी;कुछ सोचती है।
नही मेरा इलाज पिछले 3 साल से यहाँ शुरू है दूसरे डॉ के पास जाना ठीक नहीं होंगा।
चलो वापस गांव चलते है।

देवा; मालकिन मुझे मेरी बहन के लिए कुछ कपडे खरीदने थे अगर आप कहें तो मैं........

रुक्मणी;अरे क्यों नहीं तुमने पहले क्यों नहीं कहा। चलो हम मार्किट चलते है तुम्हारे साथ साथ मै भी अपने लिए कुछ खरीद लुंगा।

और दोनों कपडा बाजार चले जाते है।

देवा;ममता और रत्ना के लिए कपडे ख़रीदने में लग जाता है और रुक्मणी दूसरे दूकान में अपने लिए कपडे देखने लगती है।

रुक्मणी;ने सोने चांदी के गहने पहने हुई थी। उसके गहनो पर एक चोर की नज़र पड़ चुकी थी वो काफी देर से रुक्मणी के पीछे पीछे था।

उसके साथ 2 और बदमाश भी थे जो देवा पे नज़र रखे हुए थे।

अचानक उन में से एक बदमाश जेब में से चाक़ू निकाल के रुक्मणी के गले पे रख देता है।

अचानक हुए इस हमले से रुक्मणी बुरी तरह चौंक जाती है।

वो बदमाश रुक्मणी से कहता है।

चूपचाप अपने सारे गहने निकाल के मुझे दे दे । वरना ये तेरे गर्दन पे घुमा दूँगा।

रुक्मणी;की ऑखों में आंसू आ जाते है उसके गरदन पे चाक़ू के धार और गहरी हो रही थी उसे फैसला जल्द से जल्द लेना था। देवा उसे कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।

वो चिल्ला भी नहीं सकती थी उसे ये डर था की कही ये उसकी गर्दन न काट दे।


तभी उस चोर के दोनों साथी भागते हुए उसके पास आते है।
उनकी हालत साफ़ बता रही थी के वो बुरी तरह पीट के आये है।

वो दोनों अपने साथी को कुछ बताने ही वाले थे की
धड़ाम से एक ज़ोर की आवाज़ आती है और वो चाक़ू पकड़ा हुआ छोड के ज़मीन पे गिर जाता है।

रुक्मणी;पलट के पीछे देखती है तो सामने देवा खड़ा था। उसके हाथ में लोहे की रॉड थी जिसे उसने उन दोनों के खूब पीटाई की थी।

वो दोनों अपने साथी को खून में लथपथ देख फ़ौरन वहां से भाग जाते है।
 
बुरी तरह घबराई हुई रुक्मणी देवा से चिपक जाती है वो रोये जा रही थी और देवा को उसकी जान बचाने के लिए शुक्रिया पे शुक्रिया कहती जा रही थी।

देवा;मालकिन चलिये घर चलते हैं।

रुक्मणी;देवा के साथ कार में जाके बैठ जाती है।
देवा अगर तुम आज वक़्त पर नहीं आते तो पता नहीं क्या हो जाता।

देवा;कुछ नहीं होता मालकिन आपको लगा होगा की मै कपडे लेने में वयस्त हो गया हूँ ।नही मालकिन आपकी जान मेरे लिए अपनी जान से भी ज़्यादा कीमती है।

ये भोलेपन में कहे गए शब्द रुक्मणी के दिल में हलचल मचाने के लिए काफी थे।
अब दोनों के बीच की ख़ामोशी ख़त्म हो चुकी थी और दोनों एक दूसरे से हँस हँस के बातें करने लगते है।

देवा;मालकिन एक बात पुछो।

रुक्मणी; पुछो।

देवा;आप डॉ के पास क्यों गई थी।?आपकी तबियत ख़राब है क्या ?

रत्ना; अब तुमसे क्या छुपाना देवा।
सच बात तो ये है की तुम्हारे मालिक मुझसे शादी करके फँस गए है मै उन्हें सन्तान का सुख नहीं दे सकती । देवा मुझ जैसे अभागन को कितने प्यार से रखते है तुम्हारे मालिक। तुम नहीं जानते वरना उनके जगह कोई और होता तो कबका मुझे छोड चूका होता।

रुक्मणी के चेहरे पे उदासी आ जाती है।


देवा;अरे मालकिन आप भी न ऐसे उदास उदास बिलकुल अच्छी नहीं लगती।
इन्सान को मरते दम तक हिम्मत नहीं छोड़नी थी।
जहां चाह वहां राह मिलते है मालकिन।

रुक्मणी;हम तुम बातें बहुत अच्छे करते हो देव।

देवा;मालकिन मेरी एक बात मानोगी आप।

रुक्मणी;हाँ ज़रूर बोलो क्या बात है।

देवा;मालकिन एक बार आप मेरे साथ उस दूसरी डॉ के पास चलेंगे। आपको पता है मेरी बहन को बहुत आराम मिला था वहाँ।।वो बार बार पेट में दर्द से तड़प उठती थी पर जबसे उस डॉ के पास से इलाज करवा के लाया हूँ उसका दर्द ग़ायब हो गया है।

बस मेरी खातिर एक बार आप उस डॉ के दवा लेके देख लीजिये।

रुक्मणी; अच्छा बाबा चले जाएंगे।बस खुश।

देवा खुश हो जाता है और कार हवेली पहुँच जाती है।
 
अपडेट 10



कार से उतर कर रुक्मणी देवा को अंदर चल के चाय पीने के लिए कहती है।पर देवा जल्द से जल्द घर जाना चाहता था वो जो कपडे लाया था वो ममता और रत्ना को देना चाहता था।

देवा;मालकिन मै बाद में चाय पी लूँगा अभी मुझे घर जाना है उसके चेहरे की ख़ुशी रुक्मणी पढ़ लेती है वो देवा को जाने देती है और खुद हवेली के अंदर चली जाती है।

रानी;अपने रूम में अभी भी नंगी पडी हुए थी मालिश से उसका बदन और ज़्यादा अकड गया था । चूत की नसें उसे खींची खींची महसूस हो रही थी।

रुक्मणी; सीधा अपने कमरे में चले जाती है वो थकान महसूस कर रही थी। वो बिस्तर पे लेट जाती है।
बदन में थकान थी पर ऑखों में नींद दूर दूर तक नहीं थी । बार बार दिमाग में कुछ देर पहले हुए हादसा घूम रहा था । उसका दिल बार बार उसे एक ही बात याद दिला रहा था की अगर सही वक़्त पे देवा वहां नहीं आता तो पता नहीं क्या हो जाता।

वो अपनी ऑंखें बंद कर लेती है की तभी देवा का चेहरा उसके ऑंखों के सामने आ जाता है।
देवा;के वो शब्द अब भी रुक्मणी के कानो में गूंज रहे थे की मेरी जान से ज़्यादा मुझे आपकी जान प्यारी मालकिन।

रुक्मणी के चेहरे पे हलके से मुसकान आ जाती है।
आखीर जब कोई अपनी जान से ज़्यादा दूसरे की जान की परवाह करे तो ऐसे आदमी पे भला किसे प्यार नहीं आयेगा।

देवा;अपने घर की तरफ जा रहा था रास्ते में पदमा का घर पडता था।
वो अभी अभी नहा के आँगन में आई थी और अपने बाल सुखा रही थी।
की उसकी नज़र देवा पे पडती है वो फ़ौरन देवा को आवाज़ देती है।

देवा;मुस्कराता हुआ पदमा के बारामदे में आ जाता है।

देवा;क्या बात है काकी क्यों बुलाया मुझे।

पदमा;शहर से आ रहा है न तु।

देवा;हाँ अभी अभी लौटा हूँ बस घर ही जा रहा था।

पदमा;यहाँ आना कुछ देर मेरे पास बैठ।

देवा;नहीं काकी मै ज़रा जल्दी में हूँ।

पदमा;जल्दी तो मुझे भी है देवा। बस थोड़ी देर।

देवा; काकी मै बाद में आ जाऊंगा ।
अभी चलता हूँ ये कहके देवा जैसे ही घर की तरफ पैर आगे बढाता है।

पदमा;उसे आवाज़ देती है।

देवा;मूडता है और देखता ही रह जाता है।
 
पदमा;ज़ालिम अपनी पदमा को छोड के कहाँ जा रहा है ज़रा आम का रस तो पी ले।

देवा;के मुंह में बड़े बड़े आम देख के पानी तो आ रहा था पर घर जाने की जल्दी उसे बहुत थी। वो रत्ना और ममता के चेहरे देखना चाहता था जब वो अपने अपने कपडे देख के उछल पडेंगी।

पदमा;आगे बढ़ती है।
क्या हुआ देवा पेट भर गया या भूख नहीं है।

देवा;दोनों बातें नहीं है काकी आप बात समझ नहीं रही हो।

पदमा;देवा के हाथ में के कपडो के बैग खीच के एक तरफ रख देती है।
कबसे देख रही हूँ तू बडे नखरे कर रहा है ।
पहले तो लेने के लिए बड़ा उतावला हो रहा था अब देने वाली तैयार है तो तू सता रहा है।

देवा;पदमा को कुछ कहता उससे पहले पदमा देवा के ऊपर टूट पड़ती है और उसे घास पे अपने ऊपर गिरा देती है।

पदमा;देवा बहुत तड़प रही हूँ रे कुछ करता क्यों नहीं ये कैसी आग तूने बदन में लगा दिया है मेरे।जितना बुझाने की कोशिश करती हूँ भडकती जाती है। कुछ कर देवा अपनी पदमा को फिर से पीस दे अपने नीचे।

देवा;पदमा की ऑखों में उतरे नशे को देख चूका था। वो पदमा के ब्रैस्ट मसलता हुआ उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है और उसके नीचले होंठ को काटने लगता है। गलप्प गलप्प ........



पदमा;अपना हाथ नीचे की तरफ करके देवा के पेंट की ज़िप खोलने लगती है पर देवा उसका हाथ पकड़ लेता है।

देवा;नहीं अभी नहीं बाद में।

पदमा;बौखला जाती है और देवा को अपने ऊपर से धक्का दे देती है।

देवा;क्या हुआ काकी नाराज मत हो।

पदमा;अपने घर के कमरे में जाते हुए।
चला जा यहाँ से और दूबारा मुझे अपनी सुरत मत दिखाना। अगर दिखाई भी दिया न तो मुझसे बुरा कोई नहीं होंगा ।
ये कहके पदमा घर का दरवाज़ा अंदर से बंद कर देती है।
 
पदमा के रवैये में आये इस अचानक बदलाव से देवा हैरान रह जाता है।

वो कुछ देर दरवाज़े को देखता रहता है और फिर अपना बैग उठाके अपने घर चला जाता है।

पदमा;घर के अंदर ज़मीन पे पड़ी अपनी चूत को मसलते हुए रोने लगती है।

हिम्मत राव;रंडीबाज़ी करके हवेली आ चुका था वो सबसे पहले रुक्मणी को ढूँढ़ता है।

रुक्मणी उसे किचन में काम करते हुए मिलती है।

हिम्मत राव;अरे आप इतनी जल्दी आ गये रुकिये।

रुक्मणी;हाँ वो डॉ साहब दूसरे गांव गइ हुई थी

हिम्मत राव;अरे ये तो बहुत बुरा हुआ कोई बात नहीं बाद में चले जाना।

रुक्मणी;सुनिये।

हिम्मत राव;पलट के रुक्मणी की तरफ देखता है।
क्या बात है रुको।हिम्मत राव उसे प्यार से रुको बुलाता है।

रुक्मणी;एक पतिवरता औरत थी अपने पति से बेहद प्यार करने वाली रुक्मणी हिम्मत राव से हर काम पुछके करती थी।

रुक्मणी; वो देवा कह रहा था की शहर में एक और दूसरी डॉ है जो बहुत अच्छे से इलाज करते है। देवा की बहन को भी बहुत फायदा पहुंचा है ।
अगर आप कहें तो मै उस डॉ के पास दिखा दुं।

हिम्मत राव;के कान खड़े हो जाते है।
वो कुछ देर चुप रहने के बाद कहता है।
रुको हमे दूसरे डॉ के पास दिखाने की कोई ज़रूरत नहीं है।।वो भी वही दवाये देँगी जो ये देती है।
तुम्हारी बीमारी इतनी जल्दी ठीक होने वाली नहीं है अगर हम किसी के भी कहने पे ऐसे डॉ बदलते रहे तो
तुम्हे बहुत परेशानी होंगी।
और ये मै बिलकुल नहीं चाहता ....रुको।
जहां इलाज शुरू है वही रहने दो कोई ज़रुरत नहीं किसी दूसरे डॉ के पास जाने की।

रुक्मणी;ठीक है जैसा आप कहे।
 
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