Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 16 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

देवा;भाभी आपको कैसा लगता है।

कौशल्या; हाँ चलो बहुत देर हो रही है तुम्हारी माँ भी वापस आ गई होंगी।

देवा;खड़ा हो जाता है और चलने लगता है।

कौशल्या; एक मिनट तुम ज़रा अपना मुंह उस तरफ करो।

देवा; क्यूं।

कौशल्या; करो भी मुझे पिशाब ज़ोर से लगी है।

देवा;अपना मुंह दूसरी तरफ कर लेता है और कुछ देर बाद फिर से सर घुमा के उस तरफ देखता है जहाँ कौशल्या खड़ी थी।

कौशल्या;मुस्कुराते हुए देवा को देखती है और फिर अचानक अपनी सलवार का नाडा खोल के निचे बैठ के देवा की तरफ देख के मुतने लगती है।



वो फिर से देवा को दूसरी तरफ देखने के लिए नहीं कहती।

पेशाब करने के बाद वो खडी होती है और अपना नाडा भी देवा को देखते हुए बाँधने लगती है।

कौशल्या; चलो।
एक बात बताओ तुम्हें अपनी माँ कैसी लगती है।

देवा; मतलब अच्छी है।

कौशल्या;देखो बुरा मत मानना। अब हमने इतना सब कुछ देख लिया है तो तुम मुझसे एक दोस्त की तरह बात कर सकते हो। मै वादा करती हूँ किसी को कुछ नहीं कहूँगी।

देवा;ठीक है।

कौशल्या;तो बताओ तुम्हें तुम्हारी माँ कैसी लगती है।

देवा;सच कहूं तो मुझे माँ साडी में बहुत अच्छी लगती है।
मा का पेट। हिलते हुए कमर मुझे हमेशा से अच्छे लगते है।

कौशल्यक; हम्म इसका मतलब।

देवा;इसका कोई मतलब नहीं निकलता भाभी आप अपना दिमाग बेकार में ऐसे वैसे बातों में मत लगाओ चलो वैसे भी घर आ गया है। मै कुछ काम निपटाके आता हूँ।।

कौशल्या;कमर हिलाते हुए घर में चली जाती है।
 
रात का खाना खाने के बाद रामु और देवा बाहर घुमने निकल जाते है।

देवा; चुपचाप चल रहा था।

रामु;अरे देवा बड़ा गुमसुम है कुछ बोल भी।

देवा;क्या बोलूं भाई आपसे कुछ छुपा तो है नही।
साला इतना बड़ा जिस्म हो गया है पर अभी तक कोई लौंडिया हाथ नहीं आई।

रामु हंसने लगता है और देवा को पास के एक शराब के दुकान पे ले जाता है।

देवा;शराब नहीं पीता था पर रामु जी भर के पीता था और वो पीता चला जाता है।

जब उसका कोटा पूरा हो जाता है और वो ठीक से चल भी नहीं पाता तो देवा उसे अपने काँधे के सहारे से घर वापस लाने लगता है।

रामु;शराब के नशे में बड़बड़ाने लगता है।
अरे तू साले बच्चा का बच्चा ही रहेगा तुझे कभी चूत नहीं मिलने वाली । मुझे देख एक से बढ़कर एक माल है मेरे पास।

देवा;हाँ शादी कर ली है ना आपने कम उम्र में । आप तो यही कहोंगे।

रामु;कौन तेरी भाभी अरे वो छिनाल तो जूठन है अपने भाई की।

देवा;क्या मतलब।

रामु;मतलब ये की वो अपने भाई के साथ लगी हुई थी उसके माँ बाप ने जूठन को मेरे गले बांध दिया साली अपने भाई से चुदती थी हरामज़ादी।

देवा के दिमाग की नसे फड़फडाने लगती है।
कौशल्या भाभी अपने सगे भाई के साथ ।
उसे यक़ीन नहीं होता।

देवा;भाई आप झूठ बोल रहे हो ना।

रामु;अरे देवा अगर मेरी बात झूठी निकले ना तो मूत देना मेरे मुंह पे।

देवा;रामु को उसके कमरे में ले जाता है।

कौशल्या;कमरे में साडी पहन रही थी।
 
रामु को नशे में देख कौशल्या उसे सहारा देने आगे बढ़ती है पर रामु उसका हाथ झटक देता है और धडाम से बिस्तर पे गिर जाता है और कुछ ही पलों में घर्राटे भरने लगता है।

कौशल्या;अभी भी ऐसे ही पल्लु निचे गिरा हुआ नरम नरम रसदार ब्रैस्ट दीखाते खड़ी थी।

देवा;एक नज़र कौशल्या पे ड़ालता है और जाने लगता है।

कौशल्या;देवर जी आप सोने जा रहे हो ना।

देवा;हाँ ।

कौशल्या;कुछ चाहिए।
मेरा मतलब है भूख तो नहीं लगी है न।

देवा; कौशल्या की ब्रैस्ट को घुरते हुए कहता है नहीं अभी नहीं लगी।

कौशल्या;अपना पल्लू ठीक करती है और देवा को जाते देखती है।

देवा;पलट के एक मर्तबा फिर से कौशल्या की तरफ देखता है।

और कौशल्या अपनी कातिल नज़रों से देवा को फिर से घायल कर देती है।
 
अपडेट 24






देवा;कौशल्या के रूम से निकल के अपने मामा मामी के रूम में जाता है जहाँ देवकी और रत्ना बातें करने बैठी थी।

रत्ना;देवा को अपने पास बैठा देती है।

देवा;क्या बाते हो रही है माँ।

देवकी;देख न देवा तेरी माँ घर वापस जाने के लिए के कह रही है।
भला तुम्हें आये दिन ही कितने हुए है कुछ दिन हमारे साथ रुक जाते तो कितना अच्छा होता।

रत्ना;तुम्हारी बात सही है मन तो मेरा भी यहाँ रुकने का है पर क्या करूँ। देवकी घर को भी तो देखना पडता है ना।
शालु बेचारी कैसे उसके और मेरे घर की देख भाल कर रही होगी।
जानवरों के चारे पानी भी देखना पडता है।
और अब भैया की तबियत भी ठीक हो गई है मै बाद में एक चक्कर लगा लुंगी।

देवकी;ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी पर देवा कुछ दिन हमारे साथ ही रहेगा बोल देती हूँ ।

रत्ना;ठीक है वैसे भी खेती बाडी में हमेशा उलझा रहता है देवा कुछ दिन यहाँ रहेगा तो इसे भी थोड़ा आराम मिल जायेंगा।

देवा;पर माँ तुम जाओगी कैसे।

देवकी;अरे कल रामु कुंवे की मशीन लेने शहर जाने वाला है मुझे सुबह ही कह रहा था रास्ते में तुम्हारा गांव भी पडता है ना छोड आयेगा वो।

रत्ना; मैं सोच रही थी की नूतन को अपने साथ ले जाऊं।


देवकी;अरे वो भी तो तुम्हारे बेटी है इस में सोचने वाली क्या बात है।

रत्ना;ठीक है मै ममता और नूतन को बोल देती हूँ और वही सो जाऊँगी उनके पास । यहाँ जगह भी कम है एक करवट सोने से सारी पीठ अकड गई है।
 
रत्ना उठके नूतन और ममता के कमरे में चली जाती है और देवकी मुस्कुराते हुए देवा के लिए बिस्तर बिछा देती है।

देवा चुपचाप लेट जाता है देवकी उसके पास लेटी हुई थी। सर्दी ज़्यादा थी इसलिए उसने दरवाज़ा पहले ही बंद कर दिया था।

देवा को लेटे हुए एक घण्टा बीत चुका था पर दिमाग में रामु की बात घुम रही थी वो यही सोच रहा था के ये कैसा परिवार है। एक तरफ माँ अपने बेटे से चुदवाती है वही घर की बहु अपने भाई के निचे सो चुकी है।
उसे रामु की बात पे विश्वास नहीं था वो सोच लेता है की कल कौशल्या से पूछ ही लेगा की असल बात क्या है वैसे भी कौशल्या अब देवा से काफी घूल मिल गई थी।

देवकी और देवा एक ही रज़ाई में सोये हुए थे।

कुछ देर बाद देवकी की आँख खुलती है और वो देवा को जगता देख उसे पूछ लेती है।

देवकी;धीमे आवाज़ में क्या बात है बेटा नींद नहीं आ रही।

देवा; मामी सर्दी बहुत है।

देवकी देवा के क़रीब खिसक जाती है।
यहाँ आजा और देवकी ये कहते हुए देवा को अपने से चिपका लेती है।
देवकी का गठीला बदन जब देवा के जिस्म को छुता है तो देवा के सारे सोच गूम हो जाते है और उसे सुबह का वो नज़ारा याद आ जाता है जब रामु अपने लंड से देवकी की चूत की कुटाई कर रहा था।

देवकी; चुपचाप लेटी हुई थी और देवा का मुंह ठीक उसके ब्रैस्ट के सामने था।

देवा अपनी ऑखें बंद करके अपने मुंह को थोड़ा और आगे की तरफ बढा देता है जिससे उसके होंठ देवकी के ब्लाउज को टच होने लगते है।

देवकी ऑखें खोल लेती है और फिर दूबारा बंद कर लेती है।

कुछ देर शांत रहने के बाद देवा अपने होंठ से देवकी के ब्रैस्ट को चुम लेता है।

देवकी के मुंह से एक हल्की से शःह्ह्हह्ह्ह्ह सिसकी बाहर निकलती है जिसे देवा सुन लेता है।
उसने अपने मामी के साथ ये सब करने का कभी सोचा भी नहीं था पर जो उसने देखा था उसके बाद उसका मन कुछ और कह रहा था और दिमाग कुछ और।

देवा कुछ देर अपने जगह से हिलता भी नहीं पर देवकी की चूत जग चुकी थी मरद का स्पर्श पाके कोई भी औरत भला कैसे चुप चाप सो सकती थी।
इस बार देवकी अपने ब्रैस्ट को देवा के मुंह पे घीसने लगती है।
पसीने से भिगे हुए ब्लाउज की खुशबु देवा के दिमाग में चढने लगती है।
वो ज़रा सा मुंह खोल के देवकी के ब्रैस्ट को मुंह में ले लेता है।
 
देवकी अपने हाथों से देवा के बाल पकड़ लेती है।
दोनो कुछ नहीं बोल रहे थे। बस रात के सन्नाटे में मामी भांजे का खेल शुरू था।

अचानक देवकी देवा का सर अपने ब्रैस्ट से हटा देती है और जब कुछ पलों बाद दूबारा देवा का मुंह उस जगह आता है तो उसके होश उड़ जाते है।

देवकी अपनी ब्लाउज उतार चुकी थी और ब्रा निचे करके अपने मोटे मोटे निप्पल्स देवा के मुंह में ड़ालने की कोशिश करने लगती है।

देवा अपना मुंह खोल देता है और गलप्प गलपप
निप्पल्स उसके मुंह में चले जाते है।

देवा अब अपने आप में नहीं था वो निप्पल चुसते हुए अपना एक हाथ निचे करके देवकी की सलवार का नाडा खोल देता है और बिना देरी किये अपना हाथ उसकी गीली पेंटी में डाल देता है।

देवकी;आहह बेटा।
पहली बार देवकी के मुंह से कुछ शब्द निकलते है और वो देवा के सर को अपने ब्रैस्ट में दबा देती है।

देवा के हाथ की दो उँगलियाँ देवकी की चूत को सहलाते हुए अंदर चली जाती है।

दोनो पसीना पसीना होजाते है
एक तरफ देवा बुरी तरह देवकी के निप्पल्स को चूस रहा था और निचे अपने उँगलियों से देवकी की चूत को अंदर तक चीर रहा था ।
वो जीतने ज़ोर से अपनी उँगलियाँ देवकी की चूत में डालके हिलाता उतनी ज़ोर से देवकी देवा के सर को दबा देती।

इससे पहले देवा आगे बढ़ता देवकी के पति और देवा की मामा की आवाज़ आती है।

माधव;धीमे आवाज़ में देवकी को पुकार रहा था।

देवकी देवा से अलग हो जाती है और अपने कपडे ठीक कर लेती है और उठके माधव के पास चली जाती है।
क्या है।

माधव;देवा सो गया क्या?
 
देवकी देवा की तरफ देखती है जो उसे ही देख रहा था।
हाँ वो तो कब का सो गया।

माधव;देवकी के ब्रा के ऊपर से उसके ब्रैस्ट मसल देता है
चल ।आ जा।

देवकी खड़ी हो जाती है और देवा की ऑखों में देखते हुए अपने सारे कपडे भी निकाल देती है । वो बहुत कम पूरी नंगी हुआ करती थी खास तौर पे माधव के लिए तो बिलकुल नहीं पर आज जिस्म की आग कपडे तक को जला देती इसलिए वो अपने शरीर पे कुछ नहीं रखती और माधव के लंड को अपने हाथ में लेके हिलाने लगती है।

माधव;आहह क्या बात है आज तो बडी गरम लग रही है।

देवकी;बस कुछ मत बोलो जो करना है जल्दी करो।

माधव;पहले चूस तो ले।

देवकी देवा की ऑखों में ऑखें डाले माधव के लंड को मुंह में ले लेती है और इतराते हुए उसे चुसने लगती है। गलपप।गलप्प्प आह्ह्ह्ह्हज गप्प्पप्प।

पल भर में वो माधव के लंड को खड़ा कर देती है और झट से उसके ऊपर चढ़ के लंड चूत में लेके ऊपर नीचे कुदने लगती है।

माधव;अहह देवकी चिल्ला मत देवा उठ न जाए।

देवकी एक नहीं सुनती और अपने काम में लगी रहती है।
वो माधव को बहुत देर तक सोने नहीं देती और उसके लंड को चूस चूस के खड़ा करते जाती है और चूत में लेके चुदती जाती है।

देवा के लंड का हाल बेहाल हो चुका था वो रज़ाई को अपने लंड के ऊपर से हटा देता है और जैसे ही देवकी की नज़र उसके लंड पे पडती है वो माधव के लंड पे कुदना बंद कर देती है और एक टक देवा के लंड को देखने लगती है।

देवा ठीक से दर्शन कराने के बाद रज़ाई ओढ़ के एक करवट सो जाता है।

उसके बाद देवकी और उसकी चूत के सामने सिर्फ एक चीज़ घूमती है और वो उसे चाह के भी भुला नहीं पाती।।

सुबह रामु रत्ना ममता और नूतन को ले के देवा के गांव की तरफ चला जाता है।
 
देवकी भी खेत में कुंवे की खुदाई का काम देखने चली जाती है।
और जाते जाते कौशल्या को घर के काम सौंप जाती है।

कौशल्या अपने काम निपटाके जब कमरे में जाती है तो देवा उसे बिस्तर पे बैठा हुआ मिलता है।

कौशल्या;क्या बात है देवर जी आज हमारे कमरे में सोने की चाहत है क्या।

देवा;बिस्तर पे से खड़ा हो जाता है । नहीं भाभी बस ऐसे ही आया था।

कौशल्या; नहीं कुछ तो बात है सुबह से देख रही हूँ बार बार मुझे देखते हो और जब मै नज़रें मिलाती हूँ तो नज़रें चुरा लेते हो।बात क्या है बताओ।

देवा;वो भाभी मेरा दिल बहुत विचलित है आज।

कौशल्या;क्यों किसी ने कुछ कहा तुम्हें।

देवा;हाँ ।

कौशल्या;किसने और क्या कहा।

देवा; रहने दो भाभी मै चलता हूँ।

कौशल्या; देवा का हाथ पकड़ लेती है यहाँ बैठो और मुझे बताओ आखिर बात क्या है।

देवा;वो भाभी कल मै भैया के साथ बाहर घुमने गया था तो...

कौशल्या; हाँ तो तुम्हारे भैया ने कुछ कहा तुमसे।

देवा;हाँ वो अब मै आपको कैसे बताऊँ।

कौशल्या;देवा का हाथ पकड़ के अपने सर पे रख देती है बोलो तुम्हें मेरी कसम है।

देवा;वो भाभी कल रात नशे की हालत में भाई ने मुझसे कहा की तुम अपने भाई की जूठन हो।

कौशल्या; ये सुनके सर झुका देती है।

देवा;मुझे उनके बात पे बिलकुल भरोसा नहीं है भाभी।

कौशल्या; उन्होंने तुमसे सच कहा है देवा मै अपने भाई की जुठन हूँ।।
अपने भाई के साथ सो चुकी हूँ अपने भाई के साथ वो सब कर चुकी हूँ जो एक भाई बहन कभी सोच भी नहीं सकते।
 
देवा;पर भाभी आप इतनी समझदार औरत हो के आपसे ये सब हुआ कैसे।

कौशल्या; अपनी ज़िन्दगी की किताब को देवा के सामने खोल देती है।
ये बात आज से 5 साल पहले की है मै उस वक़्त 18 साल की थी और मेरे बड़े भैया मनोज २२ साल के।
मेरे बापु की मौत मेरे बचपन में ही हो गई थी। माँ से अकेला रहा नहीं गया इसलिए हमारे परवरिश के लिए उसने दूसरी शादी कर ली ।
मेरे सौतेले बाप किशोरचंद एक जुवारी आदमी है।
दीन रात जुंआ खेलना शराब पीना उसकी आदत है।
माँ उसका हर सितम सहते रही। दोनों रोज़ लडते थे और दूसरे दिन मिल भी जाते थे।

एक दिन मै पानी पीने उठी तो मुझे माँ के रोने की आवाज़ सुनाई दी। मै जब उनके कमरे के पास गई तो मैंने माँ को चीखते सुना। बापु उन्हें मार रहा था पता नहीं किस बात पे । मैंने दरवाज़ा खट खटाये तो कुछ देर बाद माँ बाहर आई मैंने उसे पूछे की बापु तुम्हें क्यों मार रहें है।
पर माँ ने मुझे कुछ नहीं कहा और मुझे सोने को कहके वापस कमरे में चले गई।

मै कुछ देर वही खड़ी रही कुछ देर बाद माँ की चीखों और सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दी मै डर के मारे भैया को उठाने गई।
जब भैया मेरे साथ माँ के कमरे के पास आये तो माँ के रोने की आवाज़ बंद हो चुकी थी और हलके हलके सिसकने की आवाज़ सुनाये दे रही थी । मै और मेरा भाई मनोज हम खिडके में से झाकने लगे हम बहुत डर गए थे। मुझे लगा की बापु नशे में माँ को जान से ना मार दे।

जब मै और भैया खिडकी के पास पहुंचे तो अंदर का नज़ारा देख दोनों की नज़रें झुक गई।

वो दोनों सम्भोग कर रहे थे माँ उलटी लेटी हुई थी और बापु उनके कमर पे थप्पड मारते हुए उन्हें पीछे से कर रहे थे।

हमे वहां से है जाना चाहिए था पर हम दोनों वहां से नहीं हटे।
वो दोनों तो कुछ देर बाद सो गये पर हमारे जवान जिस्म जग चुके थे।
मै भाई से नज़रें चुराके अपने कमरे में जाके लेट गई।

कुछ देर बाद मनोज भाई मेरे कमरे में आये और उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया। मै उन्हें देखते रह गई दोनों की साँसे एक रफ़्तार में चल रही थी।
वो बिना कुछ बोले मेरे ऊपर आकर मुझ से चिपक गये।
 
वो कुछ भी नहीं बोल रहे थे। बस एक एक करके उन्होंने पहले खुद के फिर मेरे सारे कपडे निकाल दिए। मै उस वक़्त तक सोचने समझने की शक्ति खो चुकी थी और सितम तो तब हुआ जब भाई ने अपनी ज़ुबान उस जगह लगाई जिसे आज तक मेरे सिवा किसी ने नहीं देखा था।



वो मुझे सर से ले के पेशानी तक चुमते रहे चाटते रहे मै मचल रही थी भाई के जिस्म को अपने नाख़ून से नोच रही थी।
पर नहीं जानती थी की भाई क्या क्या करेंगे मेरे साथ।

उन्होने बस एक बार मेरे कानो को अपने मुंह में लेके धीरे से मुझसे पूछा।


कौशल्या मै तुझे अपना बना लूँ।
और मै हवस की आग में जलते हुए उनसे कह बैठी हाँ भैया मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लो।

उसके बाद उन्होंने मुझसे कोई बात नहीं किया बस उनका वो हिस्सा मेरे अंदर घुसता चला गया और मै भाई के मुंह में चीख़ती चली गई क्योंकि उन्होंने मेरे होंठो को अपने होंठो में भर लिया था।



मै अपने मनोज भैया से बहुत प्यार करती थी और ये प्यार दिन ब दिन परवान चढ़ता रहा उस रात के बाद हमने कई रातें एक साथ पति पत्नी की तरह गुज़ारी।

एक दिन माँ और बापु बाहर गए हुए थे। तभी भाई ने मुझसे पीछे से पकड़ के अपने कमरे में ले गए और हम अपने प्यार को और मज़बूत करने में लग गए पर होनी को कुछ और ही मंज़ूर था।

जब हम भाई बहन एक दुसरे में खोये हुए थे तभी बापु वहां आ गये और उन्होंने एक लकड़ी से भाई और मेरी खूब पिटाई कर दी। भाई को उन्होंने घर से निकाल दिया।

मै मार और दर्द से चीख रही थी मुझे नहीं पता था की बापु की नियत मुझपे भी ख़राब है।

उनहोने अपने सारे कपडे निकाल दिए। मै बहुत डर गई थी । मै जानती थी की सारी गलती मेरी है और अगर मै चिल्लाई तो मै ही क़सूर वॉर कहलाऊँगी। बापु के इरादे मै जान चुकी थी वो मुझे जो करने के लिए कहते गए मै करती गई। उनके जिस्म के हर हिस्से को मैंने चुमा उन्होंने जिसे कहा मैंने अपने मुंह में लिया अपने लंड को उन्होंने कितनी देर तक मुझसे चुसवाया और फिर उन्होंने अपने बाप होने का फ़र्ज़ भी निभा दिया।
 
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