hotaks444
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रानी और रुक्मणी देवा को लेकर हवेली के पीछे बने एक छोटे से रूम की तरफ जा रही थी।
देवा को उस वक़्त तक कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की ये दोनों औरतें आखिर उससे चाहती क्या है।
रुक्मणी;रूम की खिडकी के पास आकर रुक जाती है और ईशारे से देवा और रानी को चुप रहने के लिए कहती है।
रानी; धीरे से खिडकी को थोड़ा सा धकेलती है और अंदर का नज़ारा देख उसका खून गरम हो जाता है।
वो देवा को वहां बुला लेती है और रुक्मणी भी पीछे से अंदर देखने लगती है।
लाईट की धीमी रौशनी में साफ़ नज़र आ रहा था की रूम के अंदर क्या शुरु है।
देवा;रुक्मणी की तरफ देखती है उसकी ऑंखों में वो चमक साफ़ दिखाई दे रही थी
जो एक मरद की ऑंखों में आ जाती है जब वो ऐसा नज़ारा देखता है और पास में दो जवान औरतें खड़ी हुई हो तब तो हालत और भी ख़राब हो जाती है।
अंदर का नज़ारा देवा के लिए नया नहीं था वो इस बात से पहले से वाकिफ़ था।
मगर वो उस वक़्त ऐसा दिखा रहा था जैसे पहली मर्तबा देख रहा हो।
रुक्मणी;चलो यहाँ से।
और तीनो फिर से हवेली में चले जाते है।
देवा;मुझे तो यक़ीन नहीं हो रहा मालकिन।
रुक्मणी;अपनी ऑंखों देखी पर भी तुझे यक़ीन नहीं आ रहा।
देवा;नहीं मेरे कहने का मतलब है की मालिक और वो औरत जिसे वो अपने दोस्त के बीवी कहते है वो दोनों ऐसा भी कर सकते है। मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था।
रुक्मणी;वो सब बातें बाद में करेंगे पहले एक काम कर।
वो धीरे धीरे अपनी बात देवा को समझा देती है और देवा रुक्मणी की बात सुनकर हवेली से तेज़ क़दमों के साथ बाहर निकल जाता है।
गांव के तीन सरपंच थे।
उन में से एक हिम्मत राव भी था।
देवा;सीधा दोनों सरपंच के घर चला जाता है और उन्हें और कुछ गांव वालों को लेकर उन्हें सीधा हवेली के पीछे वाले रूम की खिडके के पास ले जाता है।
और एक एक करके सभी को अंदर का नज़ारा दिखा देता है।
रानी और रुक्मणी देवा को लेकर हवेली के पीछे बने एक छोटे से रूम की तरफ जा रही थी।
देवा को उस वक़्त तक कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की ये दोनों औरतें आखिर उससे चाहती क्या है।
रुक्मणी;रूम की खिडकी के पास आकर रुक जाती है और ईशारे से देवा और रानी को चुप रहने के लिए कहती है।
रानी; धीरे से खिडकी को थोड़ा सा धकेलती है और अंदर का नज़ारा देख उसका खून गरम हो जाता है।
वो देवा को वहां बुला लेती है और रुक्मणी भी पीछे से अंदर देखने लगती है।
लाईट की धीमी रौशनी में साफ़ नज़र आ रहा था की रूम के अंदर क्या शुरु है।
देवा;रुक्मणी की तरफ देखती है उसकी ऑंखों में वो चमक साफ़ दिखाई दे रही थी
जो एक मरद की ऑंखों में आ जाती है जब वो ऐसा नज़ारा देखता है और पास में दो जवान औरतें खड़ी हुई हो तब तो हालत और भी ख़राब हो जाती है।
अंदर का नज़ारा देवा के लिए नया नहीं था वो इस बात से पहले से वाकिफ़ था।
मगर वो उस वक़्त ऐसा दिखा रहा था जैसे पहली मर्तबा देख रहा हो।
रुक्मणी;चलो यहाँ से।
और तीनो फिर से हवेली में चले जाते है।
देवा;मुझे तो यक़ीन नहीं हो रहा मालकिन।
रुक्मणी;अपनी ऑंखों देखी पर भी तुझे यक़ीन नहीं आ रहा।
देवा;नहीं मेरे कहने का मतलब है की मालिक और वो औरत जिसे वो अपने दोस्त के बीवी कहते है वो दोनों ऐसा भी कर सकते है। मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था।
रुक्मणी;वो सब बातें बाद में करेंगे पहले एक काम कर।
वो धीरे धीरे अपनी बात देवा को समझा देती है और देवा रुक्मणी की बात सुनकर हवेली से तेज़ क़दमों के साथ बाहर निकल जाता है।
गांव के तीन सरपंच थे।
उन में से एक हिम्मत राव भी था।
देवा;सीधा दोनों सरपंच के घर चला जाता है और उन्हें और कुछ गांव वालों को लेकर उन्हें सीधा हवेली के पीछे वाले रूम की खिडके के पास ले जाता है।
और एक एक करके सभी को अंदर का नज़ारा दिखा देता है।