Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 55 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

हाथ में गरम चीज आते ही रत्ना की साँसें और ज़ोर से चलने लगती है।वो जान जाती है की उसके हाथ में क्या है।

रत्ना;ये दर्द कर रहा है क्या देवा।

देवा; हाँ माँ बहुत दर्द कर रहा है।

रत्ना;देवा की आँखों में देखते हुए नीचे बैठ जाती है और
हल्के से देवा के लंड को चुम लेती है।

देवा;आहह माँ।

रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प।
इसे आराम करने दिया कर ना। बहुत थका थका सा लग रहा है गलप्प गलप्प गलप्प्प गलप्प।



देवा;की धडकन तेज़ हो जाती है।
तेरी चूत में आराम मिलेगा इसे रत्ना। एक बार दे दे मुझे आज।

रत्ना;इतराते हुए अपनी गाण्ड हिलाते हुए देवा के लंड को चूसती चली जाती है । लंड चूसने का रत्ना का अंदाज़ देवा को पागल बना देता है। जो मज़ा देवा को किसी औरत की चूत मार कर मिलता था उतना मज़ा तो रत्ना के लंड चुसने से ही देवा को मिल रहा था।देवा अपनी माँ रत्ना के गरम मुँह को ही चूत समझकर चोदने लगता है।रत्ना देवा के लंड को पूरा अपनी थूक से गीला कर कर के देवा का लंड चूस रही है और चूसते चूसते कुछ ही देर में उसकी मलाई पूरी की पूरी खा जाती है।

रत्नाअपने होठो पर लगे देवा की मलाई को अपनी ज़ुबान से चाटते हुए वो देवा के पास से अपने रूम में चलि जाती है।

देवा;हैरान परेशान से रत्ना को जाता देखता रह जाता है। उससे बिलकुल भी रत्ना का ये रूप समझ नहीं आता।

मगर रत्न एक मँझी हुए खिलाडी थी।
वो जानती थी।
मर्द को जितना तडपाया जाए चूत के लिए । वो उतनी मोहब्बत और ताकत से चोदता है।
और वो देवा का लंड लेने के बाद उसे किसी के साथ बाँटना नहीं चाहती थी...
बस ये चाहती थी की देवा का लंड उसकी चूत में आराम करे चाहे दिन हो या रात और अपने मक़सद को पूरा करने के लिए वो देवा को दिन रात तड़पा रही थी।
 
अपडेट 85




देवा के खड़े लंड पर लगतार धोखा हो रहा था और ये कोई और नहीं उसकी माशूक़ा उसकी माँ रत्ना कर रही थी।
देवा अपनी माँ के जिस्म की खुशबु में अपनी रातें गुजारने को बेताब था । मगर उसकी माँ को उस ज़ालिम पर बिलकुल भी रहम नहीं आ रहा था।

रत्ना के रूम में चले जाने के बाद देवा भी अपने काम में लग जाता है।
अपने घर के काम करते करते उसे फिर से रुक्मणी का ख्याल आता है।
वो एक चोदु इंसान था जहाँ चूत की महक लगे वही अपना बसेरा बना लेता था।
मगर उसकी इस चोदूँ दिल में कहीं न कहीं मोहब्बत भी बसी थी।
एक तरफ अपने बचपन की मोहब्बत नीलम।
जीसे वो सच में प्यार करता था और उसे अब तक बुरी नज़रों से बचाता भी आया था।
जहां उसने शालु उसकी माँ और भाई की चूत से लेकर गाण्ड तक फाड़ डाला था वहीँ नीलम के मामले में उसका रवैया बिलकुल अलग था।
सच्ची मोहब्बत शायद इसी को कहते है।

रत्ना;उसकी हवस भी थी उसकी खवाहिश भी थी और उसकी ज़िन्दगी का मक़सद भी थी।
जीस औरत ने उसे अपनी छाती का दूध पीला पीला कर इतना हट्टा कट्टा की थी।
उसी औरत की चूत से वो अपना सन्तान पैदा करना चाहता था।

रुक्मणी;वो औरत थी देवा की ज़िन्दगी में जिसके ज़रिये देवा अपने बापू का पता लगाना चाहता था।
मगर उसे रुक्मणी से प्यार भी हो गया था।
और ये बात रुक्मणी भी अच्छी तरह जानती थी।

देवा;अपने खेतों में दिन भर काम करके शाम ढले घर आता है।

घर में उसे शालु और रत्ना बातें करती हुए दिखाई देती है।
देवा;भी उनके पास आकर बैठ जाता है।

देवा;क्या बात है काकी कैसी हो।

शालु;इतराते हुए ठीक हूँ बस तू बता कहा रहने लगा है दिखाई नहीं देता।

रत्ना;आज कल इसका मन कहीं भी भटकता रहता है।

शालु;इस उम्र में होता है रत्ना।
मै तो कहती हूँ कोई अच्छी सी लड़की देख इसका भी लगन करवा दे।

रत्ना;देवा की तरफ देखने लगती है।
जैसे उसकी ऑंखों में अपनी परछाई तलाश करने की कोशिश कर रही हो।
 
देवा भी रत्ना की ऑखों में देखते हुए शालु से कहता है
काकी लड़की मैंने देख रखी है बस माँ के हाँ कहने की देर है।
क्यूं माँ क्या कहती हो। तुम तैयार हो ना।

रत्ना;क्या मतलब...

शालु को हंसी आ जाती है
अरे जब ऐसी बात है तो मुझे बता दे मै करवा देती हूँ तेरी शादी।

देवा; मैं शादी करुँगा तो सिर्फ माँ की इच्छा से वरना नही।

रत्ना;देवा को घुरने लगती है।

शालु;मुझे नहीं बतायेगा कौन है वो।

देवा;उसे तुम बहुत अच्छे से जानती हो काकी।
और हाँ एक बात और तुम्हें ज़्यादा परेशान होने की भी ज़रूरत नहीं है
लडकी घर की ही है।
ये कहकर देवा अपने रूम में चला जाता है।

जहां एक तरफ शालु के दिल में लड्डू फुटने लगते है की देवा नीलम को ही अपने पत्नी बनाना चाहता है वहीँ रत्ना को ये सोच कर पसीना आने लगता है की देवा को ज़रा भी शर्म नहीं आ रही उसके बारे में शालु से इस तरह खुले आम बात करने में।

शालु;तो कुछ देर बाद अपने घर चली जाती है
उसके जाने के बाद रत्न देवा को ढूँढ़ते हुए उसके रूम में चली आती है।
देवा;अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था।

रत्ना; ये क्या बकवास कर रहे थे तुम बाहर।

देवा;क्या हुआ क्या गलत कहा मैंने।

रत्ना;देखो देवा मुझे ये बिलकुल भी पसंद नहीं है समझे तुम गांव वालों का कुछ तो ख्याल रखो।

देवा; रत्ना का हाथ पकड़ कर अपने पास खीच लेता है।
और उसे अपनी बाहों में जकड लेता है।
क्या गलत कहा मैंने लड़की घर में तो है।
जीसे मै अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ।

रत्ना की साँसें फुलने लगती है।
 
देवा;उसे अपने शरीर के नीचे दबा देता है।
पत्नी तो मै तुझे मान चूका हूँ रत्ना
और जिस दिन तुम मुझे अपना पति मान लोगी उस दिन से रात दिन मै तुम्हारी चूत में अपने लंड को डालकर तुम्हें चोदा करुँगा। ये बात समझ लो।

रत्ना;उन्हह नही देवा ये गलत है ना।

देवा;क्या गलत और क्या सही मुझे नहीं पता।
वो रत्ना की चुचियों को मसलने लगता है।
मुझे तुझसे सब चाहिए मेरी रत्नाआआ...
बदले में तुझे मै हर ख़ुशी दूँगा।

रत्ना की ऑंखें बंद होने लगती है।
होठ काँपने लगते है जब जब वो इन बाहों में आती थी जिस्म दिमाग का साथ छोड देता था। शरीर में सनसनाहट सी होने लगती थी और चूत के पानी में उबाल आने लगता था।

रत्ना; गांव वाले.....

देवा;गांव वालों की चिंता नहीं मुझे...
रही बात हमारे संबंध की तुम चिंता मत करो। ये बात हम दोनों के सिवा किसी को भी पता नहीं चलेगी।
और हाँ शालु काकी से मै उनकी बेटी नीलम की बात कर रहा था।

रत्ना;देवा को देखने लगती है।

देवा; हाँ रत्ना नीलम बनेगी इस घर की बहु
और तुम दोनों इस देवा की पत्नी।
ये मत समझना मै झूठ कह रहा हूँ।
गांव वालो के लिए नीलम से शादी करनी पडेगी।
मगर मेरे जिस्म पर सबसे पहला अधिकार तुम्हारा होगा।

रत्ना;देवा के बालों में उँगलियाँ डालकर उसे अपने क़रीब झुकाती है और देवा भी रत्ना के होठो पर झुकता चला जाता है।
दो प्रेमियों के बीच की दिवार धीरे धीरे कमज़ोर हो रही थी।
और वो दिन दूर नहीं था जिस दिन एक छोटा सा वार इस कच्ची दिवार को हमेशा के लिए गिरा देने वाला था।

रत्ना; मुझे इतना प्यार करते हो तुम।

देवा;सबसे ज़्यादा अगर मैंने किसी को अपना माना है तो वो तुम हो रत्ना।

देवा की मिठी बातें रत्ना के जिस्म में ऐसे घुलते है की रत्ना अपनी दोनों टाँगें खोल देती है और देवा भी इस मौके का फायदा उठाकर रत्ना की चूत को साडी के ऊपर से अपने लंड से दबाने लगता है।

जैसे ही चूत पर लंड का धक्का लगता है एक चिंगारी सी दोनों के बदन में पैदा हो जाती है और दोनों के जिस्म एक दूसरे में कस जाते है।
 
देवा;दोनों हाथों से रत्ना की चुचियों को मसलते हुए उसकी चूत पर लंड घिसते हुए रत्ना के रसीले होठो को चूसने लगता है।

रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प।
ओह्ह बस भी करो न मुझे खाना बनाना है उन्हह।

देवा;उन हूँ गलप्प मेरी जान के होठो को ठीक से साफ़ तो कर दूँ गलप्प गलप्प.....

रत्ना;आहह छोड़ो भी आह्ह्ह्ह्ह्ह....
उसे डर लगने लगता है की कहीं जिस्म के आग में दो बदन जल न जाए । देवा के होठो की तपीश ही इतनी ज़्यादा थी की रोज़ रोज़ देवा के लंड को चूस चूस कर उसका पानी निकाल देने वाली रत्ना से आज अपने बेटे के लंड का धक्का भी सहा नहीं जाता और रत्ना ऑंखें बंद करके अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाने लगती है उसका जिस्म ऐंठ जाता है और एक चीख़ के साथ रत्ना अपना बदन ढीला छोड देती है।




देवा;मुस्कुरा देता है वो जान जाता है की रत्ना को क्या हुआ है।
रत्ना भी शर्मा कर देवा को अपने ऊपर से धक्का देकर
खाना पकाने चली जाती है और देवा अपने होठो पर ज़ुबान फेरते हुए दिल ही दिल में मुस्कुरा देता है।

खाना खाने के बाद देवा रत्ना को खेत में रात में रुकने का कहकर चला जाता है और रत्ना नीलम को अपने पास रात में रुकने के लिए बुला लेती है।
नीलम रत्ना को भी पसंद थी एक सुन्दर सुशील लड़की थी । नीलम रत्ना का बहुत ख्याल रखती थी।



देवा;खेत में जाता है मगर उसका दिल आज खुल कर किसी को चोदने के लिए कर रहा था।
आसमान में भी बादल घिर आये थे जिस से मौसम भी बहुत सुहाना बन गया था।

देवा;अपने लंड को सहलाने लगता है और हवेली की तरफ बढ़ जाता है।
गांव वाले जल्दी सो जाते थे इसलिए उसे कोई भी हवेली जाते नहीं देखता।
वो जैसे ही हवेली में दाखिल होता है
उसका सामना रुकमणि से होता है।

और रुक्मणी अपने देवा को देख इतना खुश हो जाती है की वो उसे अपने गले से लगा कर उसके गर्दन पर चुमने लगती है।
 
रुक्मणी;मुझे तो यकीन नहीं था तुम आओगे।

देवा;भी रुक्मणी की कमर को थाम कर उसे अपनी छाती से लगा लेता है।
आता कैसे नहीं तुमने दिल से जो याद किया था मुझे।

रुक्मणी की आँखों में हज़ारों दिए जलने लगते है
हमेशा लंड से दूर रही रुक्मणी के लिए ये रात उसकी ज़िन्दगी की सबसे हसीन रात होने वाली थी। ये बात सोच कर ही रुक्मणी बहुत गरम हो चुकी थी।

वो देवा का हाथ पकड़ कर अपने रूम में ले आती है।
और उसे अपने बिस्तर पर बैठा कर खुद नीचे ज़मीन पर उसके सामने बैठ जाती है।

देवा;अरे ये क्या कर रही हो तुम वहां क्यों बैठी हो।

रुक्मणी;मेरी जगह यही है देवा तुम्हारे क़दमों में
मुझे तुम्हें जी भर कर देख लेने दो।
हमेशा से तुम्हें जी भर कर देखना चाहती थी।

देवा;रुक्मणि का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बिस्तर पर बैठा देता है।
नही रुक्मणी वहां नहीं तुम दिल में हो मेरे और जो दिल में होती है उससे क़दमों में नहीं रखा जाता।

देवा भी एक मरद था और मरदों को पता होता है की औरतों की चूत लेने से पहले उनकी तारीफ करना बहुत ज़रूरी है।
चाहे फिर वो तारीफ झूठी ही क्यों न हो।

देवा की बातों का जादू हमेशा औरतों के सर चढ़ कर बोलता था और यहाँ भी रुक्मणी उसकी दीवानी हो गई थी।

देवा;रुक्मणि की झुकी पलकें ऊपर उठाता है और उसके नाज़ुक से होठो पर अपने होंठ जैसे ही रखता है दरवाज़ा धडाम से खुलता है और दोनों चौंक जाते है।
 
अपडेट 86





रानी;रूम के अंदर आती है और दरवाज़ा अंदर से बंद कर देती है।
वो नाइटी पहनी हुई थी।
अपनी कमर को मटकाते हुए वो दोनों के पास आकर बैठ जाती है।

रानी;माँ मै न कहती थी देवा अपनी ज़बान का पक्का है।

रुक्मणी;आया तो है मगर मुझे नहीं लगता सुबह तक ये खड़ा भी हो पायेगा।

देवा;क्यूँ।

रुक्मणी;हंसने लगती है और उसका मतलब समझ कर रानी भी खिलखिला कर हंसने लगती है।

रानी;वो इसलिए देवा की माँ को लगता है की तुम हम दोनों को सँभाल नहीं पाओगे।

देवा;अपने लंड को पेंट के ऊपर से सहलाते हुए रुक्मणी की तरफ देखता है
वो तो सुबह पता चलेंगा की कौन चल पायेगा और कौन नही।

रुक्मणी;अपने नरम हाथ को देवा के लंड पर रख देती है
देखें आखिर ये है कैसा।



वो जैसे जैसे पेंट नीचे सरकाते जाती है उसकी ऑंखें वैसे वैसे बड़ी होती जाती है।
वो शुरु तो हो गया था मगर ख़तम होने का नाम नहीं ले रहा था।
चुदाने की जुस्तजू और चोदने की ख्वाहिश आज रात भरपूर होने वाली थी।
अपनी चूत को या तो अपने उँगलियों से बहलाने वाली या अपनी बेटी रानी के होठो से चुसवानी वाली रुक्मणी आज मरद से दिए जाने वाले दर्द का अनुभव करने वाली थी।

वो दर्द जो औरत को एक बार होता है मगर उस दर्द की याद ज़िन्दगी भर जिस्म में बाकी रहती है।
रुक्मणी लगभग कुँवारी ही थी।
हिम्मत ने उसे ऐसे हाल में रखा था जहाँ उसकी चूत
अपनी अखिरी साँसें गिन रही थी मगर जैसे सुखी ज़मीन पर बारिश की चंद छीटे पड़ जाने से मिट्टी की महक चारों तरफ फैल जाती है।
 
उसी तरह देवा के लंड को अपने मुठी में थाम कर रुक्मणी की चूत भी महक उठी थी।

देवा;क्या हुआ रुक्मणी डर गई क्या।
वो अपने हाथ से रुक्मणी के सर को पकड़ कर उसे अपने लंड की तरफ झुकाता है।

रुक्मणी;रानी की तरफ देखती है और फिर देवा के मुसल लंड को चुम लेती है मुआह्ह्ह्हह।
वो चुमना घडी भर का था। बस उसे अपने मुँह में लेकर चुसना असल मक़सद था दोनों का।

जहां रानी अपने जिस्म पर के कपडे निकाल कर फ़ेंक देती है वहीँ रुक्मणी अपना मुँह खोल कर देवा के लंड को अपने हलक में डाल लेती है।
गलप्प गलप्प गलप्पप्प गप्पप्प।

देवा;का मोटा चिकना लंड रुक्मणी के गुलाबी होठो पर से घिसता हुआ मुँह के अंदर बाहर होने लगता है।
देवा के मुँह से मोहब्बत भरी सिसकारियां निकलने लगती है।
आह रुक्मणि
आह्ह्ह्ह।



रानी;भी नीचे बैठ कर देवा के टेस्टीस को अपने मुँह में ले लेती है।
दोनो माँ बेटी आज रात क़यामत ढाने वाली थी देवा के लंड पर मगर वो ये नहीं जानती थी की ये सामने कौन खड़ा है।

देवा;भी अपनी कमर को आगे पीछे करने लगता है जिससे रुक्मणी के मुँह में पच पच के साथ लंड आगे पीछे होने लगता है।
रुक्मणी;के मुँह से गिरती राल सीधा रानी के मुँह पर गिरने लगती है।
और वही थूक रानी देवा के लंड के साथ चाटने लगती है।

रानी;देवा के कमर की तरफ से आ जाती है और अपनी ज़ुबान से पीछे से देवा के गाण्ड का सुराख़ चाटने लगती है।
इससे पहले किसी ने भी देवा की गाण्ड नहीं छुइ थी।
देवा को अजीब सा लगता है उसकी कमर पीछे की तरफ होने लगती है मगर सामने से रुक्मणी लंड को मुँह में लेकर खीच रही थी जिसकी वजह से देवा दोनों रंडियों के बीच में फँस सा गया था।
 
रानी;की ज़ुबान देवा की गाण्ड के सुराख़ के अंदर जाने लगती है।
देवा;को जैसे नशा सा आने लगता है।
वो शराब नहीं पीता था मगर जो नशा उसे आज चढा था वो जल्दी उतरने वाला नहीं थी।

रुक्मणी;अपने दो उँगलियाँ पास में बैठी रानी की चूत में डाल देती है और रानी उतने ही ज़ोर से अपनी ज़ुबान को देवा के गाण्ड में डाल देती है।

तीनो अपनी अपनी दुनिया में खो जाते है।

रुक्मणी;की चूत आग उगलने को तैयार थी।
तीनो उस वक़्त तक पसीने में नहा चुके थे।

देवा;अपने लंड को बाहर निकाल कर रुक्मणी के गाल पर घीसने लगता है।

रुक्मणी;की आँखें लाल हो चुकी थी।
तीनो एक दूसरे से बातें नहीं कर रहे थे मगर दिल की बात हर कोई सुन सकता था।

देवा;रुक्मणि;को बिस्तर पर लिटा देता है।
चिकना शफाफ मख़मली बदन की मालकिन रुक्मणी आज पहली बार देवा के सामने पूरी नंगी लेटी हुई थी।




चूत पर एक भी बाल नहीं था रुक्मणी के।
वो अपनी दोनों बाहें खोल कर देवा को अपने ऊपर चढ़ने के लिए बुलाती है।

रानी;भी अपनी माँ की चूत में कई बार अपनी ज़ुबान डाल चुकी थी मगर एक लंड से अपनी माँ को चुदते हुए वो कभी नहीं देखी थी।

वो अपनी माँ की चुचियों के पास आकर बैठ जाती है और देवा रुक्मणी के ऊपर चढ़ जाता है।

देवा;अपने लंड को रुक्मणी की चूत पर घीसने लगता है।

रुक्मणी;आहह घिस मत अंदर डाल दे आह्हह्हह्हह्हह।
और कितना तड़पाओंगे जी।

देवा;दर्द ज़्यादा होगा रुक्मनी।
उसने रुक्मणी की चूत को देख लिया था किसी कमसीन लौंडिया की तरह छोटी सी चूत थी रुक्मणी की और ये ज़ालिम का लंड बहुत बड़ा था।
वो जानता था एक बार अंदर गया तो रुक्मणी की चीखें ही निकलेगी।
 
मगर आज वो रात नहीं थी जब सोचा जाये आज कुछ कर गुज़रने की रात थी अपना सब कुछ दे कर देवा को अपना बना लेने की रात थी।

रुक्मणी;अपने दोनों हाथों की उँगलियों से चूत के दोनों लिप्स को खोल कर देवा को दिखाती है जैसे कह रही हो।
अंदर डाल दे मै नहीं चीखुंगी।

और वही करता भी है देवा वो अपने लंड पर थूक लगा कर उसे रुक्मणी की चूत के मुहाने पर लगा देता है और एक ज़ोरदार झटका जैसे कुँवारी चूत को खोलने के लिए लगाया जाता है।
मार देता है।

रुक्मणी;चीख़ पड़ती है उईईईईई माँ....
रुक्क जाओ बस रूक जा ना आह्ह्ह्ह।
मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी और वो साँप अपने बिल में घुस चूका था।

देवा;का लंड जब वापस बाहर की तरफ निकलता है तो उस पर खून लगा होता है।



अपनी माँ की चीखें दबाने के लिए रानी अपने मुँह को रुक्मणी के मुँह से लगा देती है और दोनों माँ बेटी एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले उसकी ज़ुबान चूसने लगती है।

रुक्मणी को दर्द भी हो रहा था मगर
वो एहसास उस दर्द पर हावी हो चूका था की आज वो उस लंड से चुदवा रही है वो भी अपने देवा के जिससे वो तन से मन से और धन से अपना पति मान चुकी थी।

पच पच की आवाज़ें रूम में गूँजने लगती है और देवा सटा सट सटा सट सट अपने लंड को रुक्मणी की चूत में आगे पीछे घुसाता चला जाता है।

रुक्मणी;आहह आहह उहँन उन्हह
आह सशस नाई आह्ह्ह्ह।
धीरे ना आह्ह्ह्ह



रानी;की आँखों के सामने उसकी माँ अपनी दोनों टाँगें खोल कर चुदवा रही थी।
और रानी अपनी चूत में उबलते लावे को दबाने के लिए फिर से देवा की गाण्ड को चाटने लगती है।
 
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