Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 64 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

मेरा मतलब है हम सब तुझसे कितना प्यार करते है।
तेरे भले के लिए कह रहे है ना हम सब तुझसे।

नीलम;शालू के हाथ से दूध का गिलास लेकर देवा की आँखों में देखने लगती है और देवा उससे समझाता चला जाता है।

अपने देवा की हर एक बात को वो अपने दिल पर छाप लिया करती थी।
देवा के मुँह से निकले हर एक बात उसके लिए आखरी थी फ़िर चाहे देवा दिन को रात कहे तो नीलम भी उसे रात ही मानती थी।

देवा;नीलम को समझा ही रहा था की अचानक उसे फिर से उस बूढ़े आदमी की आवाज़ सुनाई देती है और वो चौंक कर खड़ा हो जाता है।

शालु;क्या हुआ।

देवा;तुमने वो आवाज़ सुनी।

शालु;कौन सी आवाज़ देवा मुझे तो कुछ भी सुनाई नहीं दिया।

नीलम;क्या हुआ देवा तुम्हारी तबियत तो ठीक है न।

शालु;दिमाग ख़राब हो गया है इसका पता नहीं बाहर भी अपने आप से बड़बड़ा रहा था।

देवा; मैं चलता हूँ कल आऊँगा तू अपना ख्याल रख नीलम।

शालु;अरे मगर सुन तो....
शालु देवा को आवाज़ देती रह जाती है और देवा बड़े बड़े कदमों से अपने घर की तरफ निकल जाता है।
आज पहली बार उसका दिल बडे ज़ोरों से धड़क रहा था उस रास्ते से गुज़रते हुए।
एक अजीब सा ख़ौफ़ उसके दिल ओ दिमाग पर छाया हुआ था वो अपने घर पहुँचता है और अपने रूम में जाने की बजाये सीधा रत्ना के रूम में घुस जाता है।
 
रत्ना;उस वक़्त बिस्तर पर लेटी हुई थी।
अपने खवाबों में देवा की तस्वीर संजोती हुई रत्ना जब देवा को इस तरह घबराया हुआ देखती है तो फ़ौरन बिस्तर से उठ कर खड़ी हो जाती है।

रत्ना;क्या हुआ रे इतना घबराया हुआ क्यों है।

देवा;माँ मुझे अजीब सी आवाज़ें सुनाई दे रही है
जो मुझे दिखाई देता है वो किसी को दिखाई नहीं देता।
पता नहीं मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है।

रत्ना;तू यहाँ आकर बैठ और आराम से बता हुआ क्या। कोई जंगली जानवर देख लिया क्या तूने।

देवा;रत्ना की साडी से अपना चेहरा साफ़ करता है और धीरे धीरे उसे सारी घटना सुना देता है।

रत्ना;देख देवा मुझे लगता है थकान की वजह से तुझे वहम हो गया है। ऐसा कुछ भी नहीं है बेटा।

देवा;नहीं वो मेरा वहम नहीं है मुझे साफ़ साफ़ वो तीनो लोग दिखाई देते है और फिर ग़ायब हो जाते है।
कल मै हवेली जाकर वही खुदाई करुँगा और देखूँगा की बात आखिर है क्या।

रत्ना; मैं तुझे अकेला नहीं जाने दूंगी। मै भी तेरे साथ चलुंगी।

देवा;कुछ नहीं कहता और अपने रूम में आकर बिस्तर पर लेट जाता है।

आज उसका दिल किसी काम में नहीं लग रहा था और खास कर उसका पसंदीदा काम चूत की घिसाई जब की ममता और प्रिया दोनों रूम में तैयार थी और बड़ी बेसब्री से देवा का इंतज़ार भी कर रही थी की कब देवा रूम का दरवाज़ा खोलेगा और कब अपनी हैवानियत उन दोनों पर बरपा करेंगा।
मगर देवा कुछ और ही सोच रहा था।

उधर रत्ना भी देवा की बात सुनकर परेशान सी हो गई थी । उसे ये डर सताने लगा था की कहीं देवा पर किसी ने कोई जादू टोना तो नहीं कर दिया।
कही वो देवा को भी खो न दे जैसे कई साल पहले देवा का बाप ग़ायब हुआ था उसी तरह कहीं देवा भी ग़ायब न हो जाए।
 
रात अपने पूरे शबाब पर थी। चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। रत्ना भी सोचते सोचते सो चुकी थी और देवा भी कल के इंतज़ार में गहरी नींद में सो गया था।
मगर कोई थी जिसकी आँखों से नींद ग़ायब हो चुकी थी जब से उसने देवा का वो फौलादी लंड ममता की चूत में अंदर बाहर होते देखी थी।
अपने आँखों के इतने क़रीब से वो चुत और लंड का खेल देख कर बेचैन सी हो चुकी थी।

ममता;काफी देर तक उसकी चूत चाट चुकी थी मगर आग थी की पल पल भड़क रही थी। जब ममता गहरी नींद के आग़ोश में चली जाती है तो....
प्रिया;नंगी ही उठ कर देवा के रूम में चली जाती है।

मौसम इतना गरम नहीं था मगर प्रिया को अपने जिस्म पर एक कपडा भी गँवारा नहीं था।
उसका बदन भट्टी की तरह तप रहा था।
अपने भाई से कई मर्तबा चुदवा चुकी प्रिया की चूत में इतना खींचाव इस से पहले कभी नहीं हुआ था।

वो देवा के रूम में आकर दरवाज़ा धीरे से बंद कर देती है।



देवा;ऊपर से नंगा था और नीचे से पजामा पहने हुए था वो अक्सर ऐसे ही सोया करता था।

प्रिया;देवा के बिस्तर पर आकर बैठ जाती है।

देवा की नींद बहुत जल्दी खुल जाती थी।
ज़रा सी आवाज़ से.......... और प्रिया तो देवा के बदन से चिपक कर बैठी थी।

देवा;अपनी आँखें खोल देता है।
वो बुरी तरह घबरा जाता है उसे ऐसे लगता है जैसे उन तीनो में से कोई एक उसके पास बैठा है।
रूम में काफी अँधेरा था और देवा उन तीनो के बारे में सोचते हुए ही सोया था।


इससे पहले की देवा के मुँह से ज़ोरदार चीख निकलती प्रिया झट से अपना बदन उसके नंगे जिस्म पर गिरा कर अपने होठो को देवा के मुँह से लगा देती है।

देवा;समझ जाता है की ये कौन है।

देवा;तू यहाँ क्या कर रही है।

प्रिया; नींद नहीं आ रही मुझे।

देवा;देख रात बहुत हो गया है कोई देख लेंगा और तूने कपडे क्यों नहीं पहने।

प्रिया;गर्मी बहुत हो रही है न।

देवा;अपने आँखों को पोछते हुए प्रिया को गौर से से देखने लगता है
रात के उस अँधेरे में भी प्रिया का नंगा बदन जुगनू की तरह चमक रहा था।
 
प्रिया;सच कहूं तो देवा मै पागल हो गई हूँ।
जब से तुझे माँ के साथ और फिर तेरी बहन के साथ देखी हूँ तब से मेरा बदन मेरा साथ नहीं दे रहा । मुझे हर पल हर घडी तेरे जिस्म की चाह सता रही है।
जीस तरह तूमने अपनी सगी बहन को कस कर चोदा था सुबह। क्या मुझे एक बार करोगे। सच कहती हूँ दासी बन कर रहने को तैयार हूँ तेरी। तू जो कहेंगा वो करुँगा बस एक बार मेरा बदन ढीला कर दे।

देवा; जोर से एक तमाचा प्रिया की नंगी कमर पर जड़ देता है।
साली छिनाल आखिर अपनी माँ की तरह तू भी आ गई अपनी चूत लेकर। जा नहीं करता क्या कर लेगी।

प्रिया;एक हाथ से देवा का पैजामा खोल देती है और झट से देवा का आधा खड़ा लंड अपने हाथ में पकड़ लेती है।
क्यूं ये लंड सिर्फ बहन की चूत के लिए है क्या।
हमारा दिल करे तो हम किसके पास जायें।

देवा;अपने दोनों हाथों में प्रिया की कमर को पकड़ कर उसे मसलने लगता है
क्यूं तेरा भाई भी तो तेरी लेता है जा न उसके पास।

प्रिया :आह अगर मेरे भाई में तेरे जैसी बात होती तो मै यहाँ नहीं होती मेरे भैया के नीचे होती।
वहाँ तेरी बहन को एक दिन भी मेरे भाई के साथ सोने नहीं दूंगी अगर मुझे तडपता छोड दिया तूने तो....

देवा;तेरी माँ की गांड माँरू साली मुझे धमकी देती है।
चल मुँह खोल और चाट जा पूरा का पूरा तेरी माँ तो गाण्ड उछाल उछाल का लेती थी। देखता हूँ तू किसकी बेटी है तेरी माँ की या किसी और की।

प्रिया;नीचे झुकति चली जाती है और देवा के पायजामे को उसके बदन से अलग कर देती है।
पहले से ही आधा खड़ा लंड प्रिया के नाज़ुक से हाथों में आ जाता है।

वैसे तो प्रिया इतनी बड़ी चुदकड़ औरत नहीं थी जितनी की उसकी माँ कोमल थी।
मगर दोनों में एक बात सामान थी। दोनों की कमर पीछे की तरफ निकली हुई थी। इस से पता चलता था की दोनों को पीछे से मरवाना ज़्यादा पसंद है।

चूत एकदम साफ़ थी और बड़े बड़े निप्पल्स के साथ प्रिया के दोनों ब्रैस्ट दूध की धार बहाने को तैयार थे।

देवा;अपने लंड को अपने हाथ में लेकर प्रिया के मुँह के सामने हिलाता है जैसे उसे ललचा रहा हो।
 
प्रिया;भी कोमल की बेटी थी अपने इरादे की पक्की
वो झट से देवा के दोनों टेस्टीस को पकड़ लेती है और अगले ही पल देवा का लंड अपने मुँह में लेकर अंदर तक खीचते हुए चाटने लगती है गलप्प गलप्प गलप्प।



देवा;तेरी माँ की चूत। तेरी माँ भी ऐसे ही है दोनों छीनाल हो तुम आह्ह्ह्ह।

प्रिया;बेटी किसकी हूँ गलप्प गलप्प गलप्प्प।

वो लंड चूत की खुश्बू सूंघ कर ही खड़ा हो जाया करता था। आज तो शिकार चल कर खुद सामने से आया था। भला आज देवा कहाँ रुक्ने वाला था। हालाँकि सुबह से वो रुक्मणी और ममता को एक एक बार चोद चूका था मगर जब प्रिया अपनी गाण्ड मटकाते हुए उसके बिस्तर पर आकर लेटी तो जवान लंड में फिर से सरसराहट होने लगी थी।


वो बढ़ते बढ़ते प्रिया के हलक में अटकने लगता है और प्रिया से उसे और अंदर लेना मुश्किल हो जाता है मगर फिर भी प्रिया उसे अपने मुँह से बाहर नहीं निकालती और चाटते चलि जाती है।

देवा थका हुआ था वो प्रिया को और मेहनत नहीं करने देता और उसे अपने नीचे खीच लेता है।

देवा;साली बड़ी नरम है तू तो....
तेरी चूत कैसी है देखना पडेगा।

प्रिया;गरम साँसें देवा के चेहरे पर छोड़ने लगती है उसकी साँस फूल चुकी थी और बदन की गर्मी धीरे धीरे चूत के रास्ते बाहर निकलने को बेताब थी।

चूत तुम्हारे पास है लंड घुसा कर देख लो कैसी है।

देवा;अपने होठो से प्रिया के मुँह को दबा देता है और दोनों हाथों से प्रिया के मोटे मोटे ब्रैस्ट को मसलते हुए अपने लंड का पहला धक्का उसकी चूत में मार देता है।

वो चीखती है मगर आवाज़ बाहर नहीं निकल पाती। उसकी चूत चीर जाती है और कमर ऊपर की तरफ उठने लगते है।
चुत को वो लंड अपने अंदर फिट करने में वक़्त लगता है वो जैसे ही सुकून की साँस लेती है दुसरा ज़ोरदार धक्का जो सीधा बच्चेदानी से जा टकराता है।

प्रिया;की आँखें बंद हो जाती है और देवा अपना पूरा वजन प्रिया के ऊपर डाल कर धप्पा धप धप्पा धप अपने लंड से प्रिया की चुदाई शुरु कर देता है
 
हाँफते हुए प्रिया भी पीछे हटने वालों में से नहीं थी । वो भी अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा कर देवा के लंड को टक्कर देने लगती है।

देवा;अपने लंड को जितनी अंदर उतारता है प्रिया भी उतने ऊपर अपनी कमर को उठाती चली जाती है।

देवा; छिनाल साली बहुत छोटी सी है तेरी चूत आहह लंड मेरा दुखने लगा है।

प्रिया;तेरे पास इसलिए तो आई हूँ अपनी ओखली खुलवाने। आहह ऐसा चोद मुझे रात भर की कभी न भूल पाऊँ ये रात मै । आहह मुझे भर दे अंदर तक देवा आहह। वह अपने हाथों के नाख़ून से देवा की पीठ को दबोच लेती है और देवा अपने लंड से उसकी चूत को पानी पानी करने पर उतावला हो जाता है।

पुरे रूम में घच घच घच की आवाज़ें गूँजने लगती है।

कुछ देर पहले जहाँ सन्नाटा पसरा हुआ था । अब वही सिसकारीयों की आवाज़ें गूँजने लगती है।

प्रिया;आहह मेरे राजा ऐसी चुदाई आज से पहले किसी ने नहीं की मेरी आहह आज मरद का एहसास हो रहा है उन्हह उधेड़ कर रख दे मुझे अंदर तक।
आह्ह्हह माँ वो उह्ह्ह्ह।

देवा के धक्के जानलेवा होते थे।
वो जब अपनी पूरी ताकत से किसी औरत पर सवार होता था तो औरत मूत देती थी।

आज प्रिया का भी वही दिन था वो अब तक मुती तो नहीं थी मगर चूत का गाढा गाढा पानी अभी से चूत से बाहर बहने लगा था और उस चिकनाहट से लंड को बड़ी आसानी हो रही थी अंदर बाहर आने जाने में।

देवा की रफ़्तार बढ़ने लगती है और प्रिया की साँसें और ज़्यादा फुलने लगती है।

होंठो से होंठ ऐसे मिलते है जैसे बचपन के बिछडे हुए दो लोग मिल रहे हो।

न देवा रुकने को तैयार था और न प्रिया उसे रोकने को।
पिछले 20 मिनट से दोनों बस एक दूसरे से चिपके अपनी अपनी आग ठन्डी करने में लगे हुए थे।
आखीर प्रिया की हिम्मत जवाब दे जाती है और वो चीखते हुए अपनी चूत का ढेर सारा पानी देवा के लंड पर उंडेल देती है।

देवा भी उसके पीछे पीछे अपने लंड का पानी वही चूत के अंदर निकाल कर लम्बी लम्बी साँसें लेने लगता है।
 
दोनो एक दूसरे को देख मुस्कुरा देते है।
उनकी आँखों से साफ़ लग रहा था की वो दोनों क्या चाहते है।

प्रिया;फिर से देवा के लंड को अपने मुँह में लेकर उसे दूबारा खड़ा करने में लग जाती है और इस बार देवा भी प्रिया को घुमा कर उसकी चूत और गाण्ड दोनों चाटने लगता है।

दोनो फिर से उसी काम में लग जाते है और रात से सुबह कब होती है दोनों को पता नहीं चलता।

जब सुबह की पहली किरण दोनों के चेहरे पर आती है तब दोनों जैसे होश में आते है और देवा अपने लंड को प्रिया की चूत से बाहर निकाल कर अपना पानी उसके मुँह में उंडेल देता है।

प्रिया;लंगडते हुए ममता के पास जाकर लेट जाती है।
चुत जगह जगह से कट सी गई थी और थोड़ा थोड़ा खून भी बह रहा था आज। मगर ये दर्द प्रिया को बहुत अच्छा लग रहा था । वो अपनी ऑंखें बंद करके रात भर की चुदाई याद करने लगती है और देवा नहाने चला जाता है।



सुबह का नाश्ता करने के बाद देवा सीधा कुदाल और फावड़ा लेकर घर से निकलने लगता है तो रत्ना भी उसके साथ हो लेती है । दोनों जब हवेली पहुँचते है तो रुक्मणी और रानी उन दोनों माँ बेटे को देख हैरान रह जाते है।

रुक्मणी के पुछने पर देवा उसे भी सारी बात बता देता है
रुक्मणी और रानी भी उन दोनों के साथ हवेली के पीछे चले आते है।

उस नीम के पेड़ को देख देवा एक पल ठिठक जाता है
जब वो ठीक उस जगह पहुँचता है जहाँ उस बूढ़े आदमी ने कहा था तो फिर से देवा को वही आवाज़ सुनाई देती है।
मगर इस मर्तबा भी सिवाये देवा के किसी और को वो आवाज़ सुनाई नहीं देती।

रत्ना;कहाँ खोदने के लिए कहा था उन लोगों ने तुझे।

देवा;अपने हाथ में का कुदल ठीक उसी जगह मारता है जहाँ उसे ठीक लगता है।
और वो उस नीम के पेड़ के नीचे ज़मीन खोदता चला जाता है।
3 फ़िट ज़मीन खोदने के बाद कुदाल छन के साथ किसी चीज़ से टकरा जाता है।

थोड़ा और खोदने के बाद वहां एक बहुत बड़ा सन्दूक दिखाई देता है।

चारों भी उस सन्दूक को देखने लगते है।
कोई चीज़ उस सन्दूक से उन चारों को आवाज़ दे रही थी।

तीनो औरतों की हिम्मत नहीं होती उस सन्दूक को खोलने की मगर देवा बिना एक पल भी गंवाये उसे खोल देता है।

और सन्दूक खुलते ही..............................................
 
और सन्दूक खुलते ही.................................................







अपडेट 98




और सन्दूक ख़ुलते ही..........

रत्ना रुक्मणी रानी और देवा के होश उड़ जाते है।
जो सामने था वो देख बड़े से बड़े कलेजे वाला आदमी भी चक्कर खा कर ज़मीन पर गिर जाए।

रत्ना को चक्कर आने लगता है वो बस गिरने वाली थी की देवा उसे सँभाल लेता है।

सन्दूक में तीन कंकाल थे।
कुछ कपडे और उन कंकालो के हाथों पैरों के हड्डियों में कुछ गहने।
वक्त की मार ने बदन पर से सारा माँस तो निकाल दिया था बस हड्ड़ियाँ रह गई थी।

ऐसे नज़ारा उन चारों की ऑंखों ने न कभी देखा था न कभी सुना था।

रुक्मणी; जोर से चीख़ पड़ती है माँ आआआआआआआआ।

रानी;माँ क्या हुआ संभालो अपने आप को।

रुक्मणी;ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है।
ये मेरी माँ के कंगन है और ये मेरी माँ का बाज़ू बंद है
मारने वाले ने हाथों पैरों में से कंगन नहीं उतारे थे
शायद वो जल्दी में रहा होगा।

अगर उन तीनो में से एक कंकाल रुक्मणी के माँ का था तो बाकि के दो कंकाल किसके थे।

देवा;बड़ी हिम्मत करके एक एक करके तीनो कंकालो को बाहर ज़मीन पर लिटा देता है।

सन्दूक लोहे का होने की वजह से हाड़ियाँ अब तक सही सलामत थी और चीख चीख कर अपनी दास्तान सुना रही थी।

रुक्मणी;की चीखें सुनकर आस पास के खेतों से लोग भी वहां जमा होने लगते है और देखते ही देखते सारा गांव वहां जमा हो जाता है।

जब देवा सन्दूक के अंदर से बाकी के कपडे और कुछ चाँदी के गहने बाहर निकालता है तो रत्ना की आँखें फटी की फटी रह जाती है।

वो भाग कर उन गहनो में से एक हाथ में पहनने का कड़ा उठा लेती है।
 
देवा;का बाप इसी तरह का कड़ा अपने हाथ में पहनता था।
रत्ना;समझ चुकी थी के वो दुसरा कंकाल किसका है।

देवा;अपनी माँ को देख रहा था और रत्ना की आँखों से आँसू की लड़ी बहने लगती है।
वो फूट फूट कर रोने लगती है।

दोनो औरतें इतनी बिखर चुकी थी की उन्हें सँभालना बेहद मुश्किल था।

देवा;माँ बस भी करो रो क्यों रही है।

रत्ना;देवा मेरे बच्चे ये कड़ा तेरे बापू पहना करते थे।
ये तेरे बापू है तेरे बापु।
आह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह माँ आआआआआ...
ये सब देखने से पहले मै मर क्यों नहीं गई।
वो जो अब तक अपने आप को सुहागन समझ कर हाथों में चूडियां पहना करती थी मांग में कभी कभी अपने पति का सिन्दूर लगाया करती थी।
अपने दोनों हाथों को ज़मीन पर पटकने लगती है और हाथों में की कांच की चूडियों को पटक पटक कर तोड़ देती है।

हर कोई खुसुर पुसुर करने लगता है वहां सरपंच भी आ जाते है।
उन गांव वालों में से एक बूढा आदमी तीनो कंकालो को देख कर बताता है की इन में से एक औरत है और दो मरद है।

पुरा गांव वहां उमड जाता है।

रुक्मणी समझ जाती है के अगर उन में से एक उसकी माँ है तो दुसरा उसके पिता जी का कंकाल है।
वो दोनों एक साथ तीर्थ यात्रा पर गए थे मगर वापस लौट कर नहीं आये थे।
मगर उन दोनों को देवा के बाप के साथ किसी ने यहाँ मार कर उनकी लाशें दबा दिया था।

पुरे गांव में मातम सा छा जाता है।

जब ये खबर देवा के मामा मामी के घर पहुँचती है की देवा के बापू की लाश मिली है तो कोमल और देवकी का परिवार भी देवा के गांव भागे चले आते है।

हर कोई रत्ना और उसके परिवार को इस मुश्किल घडी में सहारा देने उनके घर पहुँच जाता है।
 
सरपँच और गांव वाले जल्द से जल्द तीनो लाशों का अन्तिम संस्कार की तैयारियों में लग जाते है।
दूसरी तरफ रुक्मणी का भी बुरा हाल था।
वो ये समझ रही थी की उसके माँ और बापू तीर्थ यात्रा के दौरान मारे जा चुके है मगर इस तरह उनकी लाशें मिलेंगी उसने कभी सोची नहीं थी।

रात शुरू होने लगती है और गांव वाले अन्तिम संस्कार की सभी तैयारी करके देवा के घर पहुँचते है।

देवा;अपने घर में ज़मीन पर बैठा था।
उसका दिमाग बिलकुल खाली था।
उसे अपने बापू की शक्ल भी ठीक तरह से याद नहीं थी।
मगर आज जो उसने देखा था वो देख वो अंदर ही अंदर टूट चूका था।

ममता और रत्ना का रो रो कर बुरा हाल था।
शालु नीलम दोनों माँ बेटी रत्ना और ममता को सँभाल रही थी मगर उन्हें सँभालते सँभलते वो दोनों भी रो पडती थी।

सरपँच;देवा बेटा तुम बहुत बहादुर बच्चे हो बेटा।
तुम्हे इस मुश्किल घडी में खुद को भी और अपनी माँ बहन को भी संभालना होगा।
अगर तुम इस तरह सदमें में चले जाओंगे तो कैसे चलेगा बेटा।
देखो मेरी तरफ।
अपने बापू की आत्मा को परमात्मा के पास जाने दो बेटा उन का अन्तिम संस्कार कर दो।
चलो शाबाश।
सरपँच एक भला आदमी था।
वो देवा को दिलासा देकर उसे सँभालते हुए शमशान भूमि तक ले जाता है।
पुरे रास्ते देवा एक ज़िंदा लाश की तरह लड़खड़ाते हुए चलता है।

वो बस एक बार अपने बापू से मिलना चाहता था।
एक बार अपने बाप के गले लगना चाहता था।
एक बार जी भर कर अपने बापू से लिपट कर रो लेना चाहता था।

मगर आज जब उसकी अपने बापू से मुलाकात हुई तो ऐसे की दिल के सारे अरमाँ आंसुओं में बह निकले थे।

सभी गांव वाले शमशान भूमि में जमा थे।
हर की आँख में आँसू थे।
हर किसी के दिल में उनकी मौत का सच जानने की तड़प थी।
मगर जिसके दिल में ये तड़प सबसे ज़्यादा थी वो चुपचाप खड़ा था।
 
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