hotaks444
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देवा के हर झटके के साथ रत्ना की सुडौल चूचियां भी हवा में उछलते हुए ताण्डव कर रही थी।
काफी देर तक देवा रत्ना की गांड मारते हुए उसकी प्यास को बुझाने में लगा था।
की रत्ना का पानी छुट गया…
आज रत्ना बहुत ज्यादा पानी छोड रही थी।
उसका पानी उसकी चूत से होते हुए देवा के लंड पर और पैरो पर गिरने लगा।
रत्ना ने एक गहरी आह लेते हुए पानी छोडना जारी रखा…।
रत्ना तो पानी छोड चुकी थी पर देवा का अब भी पूरा नहीं हुआ था।
इसलिये वो अब भी उसकी गांड मारने में लगा रहा।
कुछ पल के बाद देवा ने कहा की उसका पानी निकलने वाला है।
जीसके बाद उसने अपना लंड अपनी माँ की गांड से बाहर निकाल लिया और रत्ना ने कहा…
रत्ना: “मुझे अपने बेटे के लंड का माल पीना है…मेरे मुँह में झड़ो…मेरे लाल”
और इतना कहते हुए रत्ना निचे आके बैठ गयी और अपनी जीभ उसके लंड के आगे निकाल ली,
देवा तेजी से अपना लंड हिलाने लगा।
रत्ना पूरे पल देवा के हाथों को उसके लंड को हिलाते हुए उसके माल के निकलने का इन्तजार करने लगी
कुछ ही पल में देवा के लंड ने अपनी पिचकारी चला दी और पहला शॉट रत्ना के मुँह पर गिरा।
देवा ने रत्ना के सर को पकडे हुए अपना निकलता माल उसकी जीभ के ऊपर गिराने लगा।
कुछ माल उसकी जीभ पर से नीचे को टपकने लगा जो की चुचो पर जा कर गिरा।
फिर अगला शॉट निकलने से पहले देवा ने अपना लंड रत्ना के मुँह में पेल दिया।
रत्ना देवा के टोपे को चुसते हुए उसका माल सीधा अपने हलक में लेने लगी।
रत्ना अपने बेटे के लंड के टोपे से उसका माल बड़े शिददत से पीते हुए अपने बेटे की तरफ देख रही थी।
कुछ देर तक सीधा लंड से माल पीने के बाद रत्ना ने देवा का लंड अपने मुँह से बाहर निकाल लिया,
और अपने मुँह से थूक और माल अपने चुचे पर थुकने लगी।
कुछ माल मंगलसुत्र के ऊपर भी आकर गिरा।
देवा अपना लंड अपनी माँ के मुँह के सामने लिए खड़ा रत्ना की हरकत देखके समझ गया की वो क्या करना चाह रही है।।
इसलिये वो यह देख कर ख़ुशी से मुस्कुराने लगा
और रत्ना अपने चुचो पर गिरे देवा के माल और अपने थूक को अपने हाथो से फ़ैलाते हुए अपने चुचो को सहलाते हुए हाथ घुमाने लगी…
और आह करते हुए अपनी चुचियाँ मसलने लगी।
कुछ पल देवा और रत्ना गहरी साँसे लेते हुए अपनी जबरदस्त चुदाई की याद में डूबे रहे।
कुछ देर बाद देवा उठता है वह देखता है रत्ना उसके वीर्य से भीगी हुई बैठी हुई देवा की तरह देखकर मुस्कुरा रही है।
देवा:हाय मेरी रंडी कितनी सुन्दर लग रही है तू अपने बेटे के वीर्य में भीगी हुई।तेरे मुँह गाल चुचियों हर जगह मेरा वीर्य लगा हुआ है साली। रुक अभी इसे साफ़ करता हूँ अपने पानी से।मुँह खोल साली रंडी....
ये कहकर देवा अपनी माँ रत्ना के पुरे बदन पर मूतने लगता है।देवा इतना प्रेशर के साथ मूतता है की रत्ना के मुँह गाल चूचियों पर लगे वीर्य साफ होने लगते है।देवा रत्ना को अपने पेशाब से पूरा नहला देता है कुछ पेशाब रत्ना के मुँह में भी चला जाता है।जिसे रत्ना देवा की आँखों में देखते हुए पी जाती है।
फिर दोनों साफ सफाई करके नहाने लगते है।जब दोनों नहा लेते है तभी दरवाजे पर हुई एक खटखटाहट से दोनों अपनी दुनिया में वापस आए।
काफी देर तक देवा रत्ना की गांड मारते हुए उसकी प्यास को बुझाने में लगा था।
की रत्ना का पानी छुट गया…
आज रत्ना बहुत ज्यादा पानी छोड रही थी।
उसका पानी उसकी चूत से होते हुए देवा के लंड पर और पैरो पर गिरने लगा।
रत्ना ने एक गहरी आह लेते हुए पानी छोडना जारी रखा…।
रत्ना तो पानी छोड चुकी थी पर देवा का अब भी पूरा नहीं हुआ था।
इसलिये वो अब भी उसकी गांड मारने में लगा रहा।
कुछ पल के बाद देवा ने कहा की उसका पानी निकलने वाला है।
जीसके बाद उसने अपना लंड अपनी माँ की गांड से बाहर निकाल लिया और रत्ना ने कहा…
रत्ना: “मुझे अपने बेटे के लंड का माल पीना है…मेरे मुँह में झड़ो…मेरे लाल”
और इतना कहते हुए रत्ना निचे आके बैठ गयी और अपनी जीभ उसके लंड के आगे निकाल ली,
देवा तेजी से अपना लंड हिलाने लगा।
रत्ना पूरे पल देवा के हाथों को उसके लंड को हिलाते हुए उसके माल के निकलने का इन्तजार करने लगी
कुछ ही पल में देवा के लंड ने अपनी पिचकारी चला दी और पहला शॉट रत्ना के मुँह पर गिरा।
देवा ने रत्ना के सर को पकडे हुए अपना निकलता माल उसकी जीभ के ऊपर गिराने लगा।
कुछ माल उसकी जीभ पर से नीचे को टपकने लगा जो की चुचो पर जा कर गिरा।
फिर अगला शॉट निकलने से पहले देवा ने अपना लंड रत्ना के मुँह में पेल दिया।
रत्ना देवा के टोपे को चुसते हुए उसका माल सीधा अपने हलक में लेने लगी।
रत्ना अपने बेटे के लंड के टोपे से उसका माल बड़े शिददत से पीते हुए अपने बेटे की तरफ देख रही थी।
कुछ देर तक सीधा लंड से माल पीने के बाद रत्ना ने देवा का लंड अपने मुँह से बाहर निकाल लिया,
और अपने मुँह से थूक और माल अपने चुचे पर थुकने लगी।
कुछ माल मंगलसुत्र के ऊपर भी आकर गिरा।
देवा अपना लंड अपनी माँ के मुँह के सामने लिए खड़ा रत्ना की हरकत देखके समझ गया की वो क्या करना चाह रही है।।
इसलिये वो यह देख कर ख़ुशी से मुस्कुराने लगा
और रत्ना अपने चुचो पर गिरे देवा के माल और अपने थूक को अपने हाथो से फ़ैलाते हुए अपने चुचो को सहलाते हुए हाथ घुमाने लगी…
और आह करते हुए अपनी चुचियाँ मसलने लगी।
कुछ पल देवा और रत्ना गहरी साँसे लेते हुए अपनी जबरदस्त चुदाई की याद में डूबे रहे।
कुछ देर बाद देवा उठता है वह देखता है रत्ना उसके वीर्य से भीगी हुई बैठी हुई देवा की तरह देखकर मुस्कुरा रही है।
देवा:हाय मेरी रंडी कितनी सुन्दर लग रही है तू अपने बेटे के वीर्य में भीगी हुई।तेरे मुँह गाल चुचियों हर जगह मेरा वीर्य लगा हुआ है साली। रुक अभी इसे साफ़ करता हूँ अपने पानी से।मुँह खोल साली रंडी....
ये कहकर देवा अपनी माँ रत्ना के पुरे बदन पर मूतने लगता है।देवा इतना प्रेशर के साथ मूतता है की रत्ना के मुँह गाल चूचियों पर लगे वीर्य साफ होने लगते है।देवा रत्ना को अपने पेशाब से पूरा नहला देता है कुछ पेशाब रत्ना के मुँह में भी चला जाता है।जिसे रत्ना देवा की आँखों में देखते हुए पी जाती है।
फिर दोनों साफ सफाई करके नहाने लगते है।जब दोनों नहा लेते है तभी दरवाजे पर हुई एक खटखटाहट से दोनों अपनी दुनिया में वापस आए।