Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 75 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

देवा के हर झटके के साथ रत्ना की सुडौल चूचियां भी हवा में उछलते हुए ताण्डव कर रही थी।
काफी देर तक देवा रत्ना की गांड मारते हुए उसकी प्यास को बुझाने में लगा था।
की रत्ना का पानी छुट गया…
आज रत्ना बहुत ज्यादा पानी छोड रही थी।
उसका पानी उसकी चूत से होते हुए देवा के लंड पर और पैरो पर गिरने लगा।
रत्ना ने एक गहरी आह लेते हुए पानी छोडना जारी रखा…।
रत्ना तो पानी छोड चुकी थी पर देवा का अब भी पूरा नहीं हुआ था।
इसलिये वो अब भी उसकी गांड मारने में लगा रहा।
कुछ पल के बाद देवा ने कहा की उसका पानी निकलने वाला है।
जीसके बाद उसने अपना लंड अपनी माँ की गांड से बाहर निकाल लिया और रत्ना ने कहा…
रत्ना: “मुझे अपने बेटे के लंड का माल पीना है…मेरे मुँह में झड़ो…मेरे लाल”
और इतना कहते हुए रत्ना निचे आके बैठ गयी और अपनी जीभ उसके लंड के आगे निकाल ली,
देवा तेजी से अपना लंड हिलाने लगा।
रत्ना पूरे पल देवा के हाथों को उसके लंड को हिलाते हुए उसके माल के निकलने का इन्तजार करने लगी
कुछ ही पल में देवा के लंड ने अपनी पिचकारी चला दी और पहला शॉट रत्ना के मुँह पर गिरा।
देवा ने रत्ना के सर को पकडे हुए अपना निकलता माल उसकी जीभ के ऊपर गिराने लगा।
कुछ माल उसकी जीभ पर से नीचे को टपकने लगा जो की चुचो पर जा कर गिरा।
फिर अगला शॉट निकलने से पहले देवा ने अपना लंड रत्ना के मुँह में पेल दिया।
रत्ना देवा के टोपे को चुसते हुए उसका माल सीधा अपने हलक में लेने लगी।
रत्ना अपने बेटे के लंड के टोपे से उसका माल बड़े शिददत से पीते हुए अपने बेटे की तरफ देख रही थी।
कुछ देर तक सीधा लंड से माल पीने के बाद रत्ना ने देवा का लंड अपने मुँह से बाहर निकाल लिया,
और अपने मुँह से थूक और माल अपने चुचे पर थुकने लगी।
कुछ माल मंगलसुत्र के ऊपर भी आकर गिरा।
देवा अपना लंड अपनी माँ के मुँह के सामने लिए खड़ा रत्ना की हरकत देखके समझ गया की वो क्या करना चाह रही है।।
इसलिये वो यह देख कर ख़ुशी से मुस्कुराने लगा
और रत्ना अपने चुचो पर गिरे देवा के माल और अपने थूक को अपने हाथो से फ़ैलाते हुए अपने चुचो को सहलाते हुए हाथ घुमाने लगी…
और आह करते हुए अपनी चुचियाँ मसलने लगी।

कुछ पल देवा और रत्ना गहरी साँसे लेते हुए अपनी जबरदस्त चुदाई की याद में डूबे रहे।

कुछ देर बाद देवा उठता है वह देखता है रत्ना उसके वीर्य से भीगी हुई बैठी हुई देवा की तरह देखकर मुस्कुरा रही है।
देवा:हाय मेरी रंडी कितनी सुन्दर लग रही है तू अपने बेटे के वीर्य में भीगी हुई।तेरे मुँह गाल चुचियों हर जगह मेरा वीर्य लगा हुआ है साली। रुक अभी इसे साफ़ करता हूँ अपने पानी से।मुँह खोल साली रंडी....


ये कहकर देवा अपनी माँ रत्ना के पुरे बदन पर मूतने लगता है।देवा इतना प्रेशर के साथ मूतता है की रत्ना के मुँह गाल चूचियों पर लगे वीर्य साफ होने लगते है।देवा रत्ना को अपने पेशाब से पूरा नहला देता है कुछ पेशाब रत्ना के मुँह में भी चला जाता है।जिसे रत्ना देवा की आँखों में देखते हुए पी जाती है।

फिर दोनों साफ सफाई करके नहाने लगते है।जब दोनों नहा लेते है तभी दरवाजे पर हुई एक खटखटाहट से दोनों अपनी दुनिया में वापस आए।
 
रत्ना तुरंत खड़ी हो गयी और देवा को देखते हुए,
और देवा रत्ना को देखते हुए
देवा बोला… “अब कौन आ गया बहन का लौडा”
और दोनों बाथरूम से बाहर आये और घडी की तरफ देखा।
इस वक़्त रात के ११ बजे थे।
भला इस वक़्त कौन हो सकता था दोनों के दिमाग में यही सवाल आया।
पर रत्ना ने देवा की तरफ मुस्कराते हुए देखा और कहा…
“बेटा आज दुनिया की कोई भी ताकत हमारी चुदाई के बीच नहीं आ सकती, बस भूल जाओ जो कोई भी है थोड़ी देर ने खुद चला जायेगा…”
देवा भी मुस्कराते हुए रत्ना को गोदी में उठा कर ले गया और बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़के उसके होठो को चुसने लगा…।
कुछ और देर तक दरवाजे पर खटखटाहट हुई और फिर बंद हो गयी…
रात ऐसे ही बीतती गयी, देवा ने अपनी माँ को रात के 3 बजे तक कई बार कई क्रियाओ में चोदा…
रत्ना ने भी अपने बेटे के लंड को अपने तीनो छेदो में लिया और पूरे जोश में चुदाई करवाई…।
और थक कर एक दूसरे की बाहों में नंगे ही सो गए…
 
अपडेट 119




जीन्दगी के नये मोड पर से अलग ही रास्ते पर चले माँ बेटे, रत्ना और देवा, अपनी किस्मत अपने आप लिख चुके थे।
उन दोनों ने उस चीज को चुना जो की हमारे समाज में एक घोर पाप के अलावा और कुछ नहीं माना जाता…
इस रास्ते पर चले माँ बेटे दोनों ने सहमति दी है, और अब वो इस रास्ते पर बहुत आगे आ चुके है…
देवा के घर पर रत्ना के कमरे में कुछ ऊपर जैसा ही नजारा था।
रात भर की जबरदस्त चुदाई के बाद माँ बेटे एक दूसरे से लीपटे सो रहे थे।
काफी थक गए है इतनी जल्दी नहीं उठेंगे।
हालाँकी अभी सुबह के ११ बज चुके है।

दूसरी तरफ, नीलम का घर।
नीलम रसोई में शालू का हाथ बटां रही थी।
एक दो दिन से नीलम बडी दुविधा में थी
की परिवार में भला कैसे लोग चुदाई कर सकते है उसे अपनी माँ और भाई पर ग़ुस्सा भी आ रहा था।
जीसकी वजह से वो उनसे सही से बात भी नहीं कर रही थी।
शालु को भी यह बात दिख रही थी, पर उसे लगा की देवा और रत्ना की चुदाई देखने की वजह से शायद नीलम ऐसे व्यवहार कर रही है।
खैर नीलम को देवा और रत्ना की चुदाई से भी काफी तकलीफ पहुँची है क्युकी वो देवा से बहुत प्यार जो करती है।।
शालु और नीलम रसोई में काम कर रहे थे।
नुतन नहाने के लिए गयी है और शायद पप्पू भी उसके साथ ही नहा रहा है…
नीलम अपनी सोच में डूबी दोपहर के खाने के लिए रोटिया सेंक रही थी।
की इन्ही बातो के ख्याल में उसकी उँगली जल गयी, और उसकी चीख़ निकली।
शालु की नजर जब उसपे पड़ी तो उसने ममता दिखाते हुए अपनी बेटी के हाथ को अपने मुँह में रख कर ठण्डक देने लगी।
कुछ पल ऐसे ही करने के बाद शालु ने नीलम की उँगली बहार निकाली और कहा।
शालु, “कहाँ ध्यान है तेरा? उंगली जला ली…”
नीलम: “माँ वो अचानक आंच पर हाथ लग गया था…”
शालु: “तब भी पागल लड़की कहाँ ध्यान था और कहाँ काम कर रही थी…ज्यादा जल जाती तो।”
नीलम ने शालु की बात का जवाब न देते हुए उसकी तरफ गुस्से से देखा और रसोई के बहार चली गयी।
शालु: “कहाँ जा रही है दवाई तो लगा ले फुल जायेगा वरना…”
पर नीलम बिना रुके घर के बाहर निकल गयी, शालु को लगा की लगता है रत्ना और देवा की चुदाई का उसे बहुत झटका पंहुचा है।
पर दोस्तों असल बात तो यह थी की नीलम को यह समझ नहीं आ रहा था की इस तरह की चुदाई ठीक है या गलत…।
और वो इसी सोच में बाहर निकल गयी और खेतो की तरफ जाने लगी।
 
रास्ते में ही उसे वीना आती दिखाइ दी जो की उसे ही हाथ दिखा रही थी।
वीना: “नीलम रुक जरा…”
वीना नीलम के पास आकर उससे कहती है।
वीना, “चल अब मेरे साथ…”
नीलम:“कहाँ…”
बीना: “तेरे सवालो के जवाब के लिये।।”
और नीलम को याद आता है की पिछ्ली रात वीना ने उसे अपने और अपने भाई और माँ के बीच होने वाली चुदाई के बारे में बताया था।
और कहा था की आज वो साबित भी करेगी की उसने सच कहा था।

नीलम: “मतलब तेरे घर में तेरा भाई और तेरी माँ को वो करते देखने?”
वीना मुस्कराते हुए: “उसे चुदाई कहते है मेरी जान”
नीलम: “कैसे शब्द इस्तेमाल कर रही है, की”
वीना: “चुदाई को चुदाई न बोलुँ तो और क्या बोलु। अब तू नाटक मत कर चल मेरे साथ साथ…”
नीलम: “नहीं मुझे नहीं जाना देखने कुछ।

वीना “अरे चल न देख और अपने सवालो का जवाब पा ले…जो तेरे अंदर है…देवा के बारे में गलतफहमी निकल जाएगी…चल मेरे साथ…”
नीलम देवा का नाम सुन कर सोचने लगी, की हाँ देवा उसे इतना चाहता है तब भी अपनी माँ को चोदता है,
क्या उसका प्यार झूठा है?
नही नही यह नही हो सकता और वो उन पलो को याद करती है जब हिम्मत राव के साथ लडाई में उसे चोट लगी थी और देवा पूरे समय उसके साथ उसके पास रहा था…
इसलिये वो यह तो जानती थी की देवा उससे प्यार तो करता है…
तो फिर अपनी माँ को चोदता क्यों है, यह नया सवाल नीलम के अंतर्मनन को हिला देता है और उसका मन बदल जाता है।
नीलम, “चल वीना जल्दी चल……”
और वीना मुस्कराते हुए अपने घर की ओर नीलम के साथ चलने लगती है…
कुछ ही पलो में नीलम और वीना वीना के घर पर पहुँच जाते है।
नीलम देखती है की घर का दरवाजा बंद था।
वीना: “नीलम तू कोई शोर मत करना जैसा कहती हूँ वैसे है करना…मेरे पीछे पीछे आ।”
और नीलम और वीना घर के पीछे चले जाते है,
और वहां के दरवाजे से घर के अंदर दाखिल हो जाते है,
नीलम वीना के पीछे पीछे चल रही थी।
घर के थोड़ा भीतर जाते ही नीलम को कुछ आवाजे सुनाइ पड़ती है।
 
वह सिसकियो की आवाज थी।
वीना धीरे धीरे चलते हुए बैठक जहाँ कल नीलम बैठी वीना का इन्तजार कर रही थी उसके पास पहुची और अंदर झांका और पीछे मुड़कर नीलम को देखकर मुस्कुराने लगी…
नीलम भी समझ गयी की वीना क्यों मुस्कुरा रही थी…
वीना (धीरे से), “बिना कोई आवाज करे इधर आ और हलके से अंदर झाँक।”
नीलम भी अपने सवालो के बोझ तले मज़बूरी में उस नज़ारे को देखने आगे बढ़ी और वीना हट कर पीछे चलि गयी।
नीलम ने धीरे से अंदर झाका और नजारा देख कर हैरान हो गयी…
सामने तेजा और वरुण पूरे नंगे चुदाई में मसरुफ थे,
वरून अपनी माँ तेजा के निप्पल चूस रहा था, और नीचे से उसकी चुत में लंड डाले खड़े खड़े उसे चोद रहा था…
तेजा मस्ती में अपने बेटे का सर सहला रही थी…और ओह्ह आह्ह्ह करके आहे भर रही थी।
तेजा: “आह चोद बहनचोद मादरचोद बेटे…चोद अपनी माँ को,…वैसे ही चोद जैसे २ साल से चोदते आ रहा है…मुझे और अपनी रंडी बहिन को…चोद रे ज़ालिम……चुस मेरे चुची भी…आआह्ह्ह”

वरुण:“आह ले साली……ले अपने बेटे का लंड…रंडी है तू मेरी और वो छिनाल तेरी बेटी भी मेरी रंडी है…”
नीलम के कान में वरुण और तेजा की गन्दी गन्दी बाते पडते ही उसे बहुत हैरानी हुई…
क्या एक तो माँ और बेटे आपस में चुदाई कर रहे थे और तो और ऐसी गन्दी गन्दी बाते भी कर रहे थे।
वरून ने अब तेजा को लिटा दिया था और उसकी चूत अब भी चोद रहा था और उसके चुचे भी मसल रहा था
नीलम को तभी देवा, रत्ना, और पप्पु, शालु की चुदाई याद आ गयी…
नीलम उनकी चुदाई बारे गौर से देख रही थी, वीना भी एक तरफ से अपनी माँ को अपने भाई से चुद्वाते देख रही थी।
नीलम के मन में उसके सवाल अब भी मंडरा रहे थे।
पर वो समझ गयी थी की जवाब के लिए उसे यह चुदाई देखनी होगी…
वरून अपनी माँ की चुत में गहरायी तक अपने लंड से धक्के लगाते हुए उसे चोद रहा था।
वरुण, “आह माँ तुम्हे चोदने में जो मजा आता है वो किसी चुत में नहीं मिला आज तक…आह्ह्ह…मै तुमसे बहुत प्यार करता हुँ माँ…और तुम्हे और वीना को ऐसे ही जिंदगी भर खुश रखूँगा…”
तेजा: “आह…और तेज…वरुण……मेरे बेटे……मेरी चूत के मालिक……आह…अपने बाप के जाने के बाद तूने ही तो मुझे सबसे बड़ी ख़ुशी दी है…नही तो मै परेशान ही रह जाती अगर चुदाई ना मिलती…घर की बात घर में ही रहकर चुदाई मिलनी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है…।आह…चोद…आह……कोई बदनामी का डर नही…प्यार भी और चुदाई का सुख भी…”
और ऐसे ही अचानक वरुण बैठक पे बैठ गया और अपना लंड निकाले बिना अपनी माँ को उठा कर अपनी गोद में लेकर उसे चोदने लगा…
 
वरुण, “आअह्ह्ह सही कहा मेरी जान…चुदाई भी और प्यार भी और कोई बदनामी नही…दो दो चुत मारने को मिल गयी है और वो भी अपनी माँ बहन की मै एक बहुत भाग्यशाली भाई हुँ……आह्ह्ह्हह शारीरिक जरूरतें किसकी नहीं होती…अपने ही तो काम आते है माँ…मैं खुश हुँ की आप खुश हो…”
और ऐसा कहते हुए वरुण ने तेजी से अपनी माँ को अपने लंड पर उछालना शुरू कर
दिया और उसकी जबरदस्त चुदाई करते हुए फ़ारिग़ होने के क़रीब पहुच गया।
तेजा भी अपना पानी छोड़ने लगी थी, वरुण ने उसको अपने लंड पर से उठाया।

तेजा पैरो के बल जमीन पर बैठ गयी अपने बेटे के लंड के आगे…
और वरुण ने झडते हुए अपनी माँ के मुँह पर अपना माल छोड दिया।
जिसे तेजा ने अपनी जीभ से चाटकर मुँह में लेकर पी गयी…
इस पूरी चुदाई में नीलम तो खो सी गयी थी,
वह लाइव चुदाई देख कर गरम भी हो गयी थी और बीच बीच में उसने अपनी सलवार पर से अपनी चुत भी रगडी थी।
वीना ने उसे हिलाया डुलाया तो नीलम अपने होश मे आयी और वीना की तरफ देखने लगी जो अभी मुस्कुरा रही थी…

वीना: “कहाँ खो गयी थी मेरी भोली सखी…”
नीलम ने कोई जवाब नहीं दिया और दोनों चुपचाप घर के बाहर आकर खेतो की तरफ चलने लगे…।
नीलम बिना कुछ बोले बस चल रही थी।
वीना: “लगता है तुझे सारे जवाब मिल गए होंगे अब…।।कह था न मैंने की मै सच कह रही थी…भाई मुझे और माँ दोनों को चोदते है…और नीलम जहाँ तक मुझे लगता है इसमें कुछ गलत नहीं है क्युकी सबकी शारीरिक जरूरतें होती है…मेरी माँ जैसी औरते जिनके पति गुजर जाते है या नकारे हो जाते है उनकी चुत में भी खुजलि होती है, अगर वो बाहर चुदवाएंगी तो काफी बदनामी हो सकती है, पर अगर कोई अपना घरवाला ही काम आ जाये तो मजा भी…और जरूरत भी पूरी…और कोई बदनामी नहीं…”
नीलम बडे ध्यान से वीना की बाते सुन रही थी, उसे यह भी एहसास हुआ की उसने तेजा और वरुण की चुदाई को एन्जॉय करा है, बल्कि उसकी चुत भी पानी छोड चुकी थी…
नीलम: “वीना मै अब समझ चुकी हूँ…सारे जवाब मिल गए है अब मुझे…।”
ऐसा कहते हुए नीलम मुस्कुरायी…।
वीना: “हाँ तेरी सलवार भी बता रही है की तूने जवाब अच्छे से समझ भी लिया है…”
नीलम वीना की बात सुनकर शर्मा गयी।
 
नीलम: “अब मै समझ गयी हूँ की यह चीज गलत नहीं है, बल्कि यह भी लोगो के बीच का प्यार है जो एक मुकाम को छू चुका है,, अब मै समझ गयी हूँ की इसमें कुछ गलत नहीं है…चाहे यह भाई बहन के बीच हो चाहे माँ बेटे के बीच में या चाहे बाप बेटी के बीच, यह आखिर प्यार ही तो है, और प्यार कैसे गलत हो सकता है, मेरा देवा भी मुझे प्यार करता है और अपनी माँ को भी.....”
नीलम रुक गयी, वीना को यह नहीं पता है की देवा भी अपनी माँ को चोदता है, नीलम यह नही बताना चाहती थी…
वीना: “और क्या देवा भी अपनी माँ को चोदता है?”
नीलम समझ गयी थी की वीना अब समझ गयी है, तो छुपाने का क्या फायदा, “हाँ वीना पर बोलना मत किसी को…”
वीना: “नहीं बोलूँगी…यह तो बहुत अच्छी बात है यार…तेरी तो निकल पड़ी रे...
नीलाम:…शादी के बाद तो तेरी सास भी तेरे सामने चुदेगी तेरे पति से…”
नीलम: “सामने क्यों देवा मुझे नहीं बतायेगा यह शायद…”
वीना: “इसका मतलब की देवा ने तुझे यह सब नहीं बताया है?”
नीलम: “नहीं यह मैंने अपनी आँखों से देखा था कल ”
वीना:“अच्छा…चल अच्छा हुआ की तुझे पता चल गया…वैसे कितना बड़ा है जीजा जी का…”
नीलम शर्मा जाती है, “धत्त्त गन्दी…कैसी बाते पूछती है…”
और नीलम और वीना हँसने लगते है…


वीना: “देख नीलम तुझे यह बात पता है अब की घर वालो के बीच चुदाई कोई गलत नही, तो मेरे ख्याल से तो अपने घर पे तू शालु काकी और पप्पू भैया के रिश्ते को भी मान ले…और मेरी मान तो देवा से भी इस बारे में बात कर ले…”
नीलम… “हाँ मैं भी समझ गयी हूँ की यह चीज बुरी नहीं है, और अपने भाई और माँ के रिश्ते को अपनाने में मुझे अब हर्ज नहीं…बापु बूढ़े हो गए है माँ को भी अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी करनी होंगी…और पागल मत बन मै देवा से कुछ बात नहीं करने वाली इस बारे में…”
वीना:“पागल लड़की…बात कर लेगी अगर तो सब साफ़ हो जायेगा तुम लोगो के बीच, और भी बाते बताने में देवा हिचकिचायेगा नहीं अगर तू उसे यह बता दे की उसके और उसकी माँ के बीच के रिश्ते से तुझे कोई हर्ज नहीं और तू अब भी उससे शादी करना चाहती है…उसे ख़ुशी होगी अगर उसकी बीवी उससे अपनी माँ को चोदने के लिए इजाज़त दे देगी…तेरी भी जिंदगी मस्ती से भर जाएगी…सब ओपन हो जायेगा…कोइ एक दूसरे से नहीं छुपायेगा कुछ…कोइ द्वेष और हीन भावना नहीं होगी…सब कुछ अच्छा ही रहेगा…मैं तेरी जगह होती तो कबका अपने पति को बता चुकी होती…मैं तो यह ही चाहती हुँ की मेरी जिंदगी में खूब मजा मिले चुदाई का…और जब आपकी चुदाई के बीच कोई तीसरा या चौथा भी होता है तो मजा और आता है…सोच ले खूब खुश रहेगी…”
 
नीलम वीना की बात सुनकर चौंक सी रही थी, की यह क्या बोले जा रही है भला अपने पति को किसी और के साथ यह काम करते देख कौन बीवी खुश रहती होगी…।
नीलम, “तू क्या बोले जा रही है ऐसा कौन करता है भला और वो तो मेरी होने वाली सास भी है…”
वीना “देख तू देवा को प्यार करती है दिलो जान से…और वो भी तुझे करता है…पर यह भी सच है की वो अपनी माँ को चोदता है…तो अब उन माँ बेटे के बीच का रिश्ता बिलकुल बदल चुका होगा, अगर तू देवा को यह करने से रोक देगी तो शायद वो खुश न रह पाये और उसकी माँ भी…भला क्या मिलेगा तुझे उन लोगो को यह दुःख देकर…तु भी खुश नहीं रह पायेगी…इससे अच्छा तो यही होगा की तू शादी ही मत करियो देवा से…क्युकी मै समझ सकती हूँ की ऐसा रिश्ता बनाना के बाद कोई वापस नहीं लौट पाता…तु भूल जा देवा को अगर तू उसकी माँ और उसके बीच के इस रिश्ते को तोडना चाहती है तो…।”
नीलम वीना की बातो से डर गयी,
वह देवा को बहुत प्यार करती थी।
वह नहीं चाहती थी की शादी के बाद देवा दुखी रहे।
और वीना की बातों से वो सोच में पड गयी की यह कैसी दुविधा आ खड़ी हुई है…

नीलम: “वीना मैं नही चाहती की देवा और रत्ना काकी दुखि रहे, या उनके बीच का रिश्ता कमजोर हो जाए, पर उन दोनों के बीच के इस रिश्ते को मै कैसे अपना सकती हूँ…”
वीना: “जैसे तूने अभी अपनी माँ और भाई के रिश्ते को अपनाया…तुने बताया था की नूतन भाभी और तेरे भाई और माँ आपस में एक साथ चुदाई कर रहे थे, तो जब तेरी भाभी यह कर सकती है तो तू भी कर ले, बहुत मजा आता है ऐसी चीजो में । तेरी भाभी बहुत सही है…उससे सीख कुछ…पागल फ़ालतू की बाते सोच रही है…मेरी मान देवा से जल्दी बात कर ले…”

नीलम, को वीना की बात से लगा तो की नूतन भाभी भी इनमे शामिल है, क्या उनको अच्छा लगता है जब उनका पति अपनी माँ को उनके सामने चोदता है…
नीलम मन ही मन परेशान होती जा रही थी इन सवालो से....
नीलम: “मुझे सोचने का वक़्त दे वीना…”
वीना: “तेरी मर्जी, मै चलती हूँ अब अपने भाई से चुदवाने……चल बाद मे मिलेंगे…मेरी जान…”
वीना चलि जाती है, और नीलम अपनी गीली सलवार देखकर शर्म से पानी पानी हो जाती है…
 
अपडेट 120





मन में सवालो के भंवर नीलम को चक्कर दिला रहा था,
गीली सलवार के साथ यह लड़की गहरी सोच में अपने घर की तरफ लौट आयी और बाहर अपने पिता और भाभी के बीच खटिये पे आकर बैठ गायी।
नुतन: “क्या बात है दीदी क्या हो गया है मुँह क्यों लटकाया हुआ है…”
नीलम, (हलके से) “कुछ नही भाभी बस ऐसे ही…”
नीलम अपने मन में वीना की कही हुए बातो को याद कर रही थी की अगर नूतन अपने पति के साथ मिलकर उसकी सास की चुदाई में मदद कर सकती है,
तो मुझे क्यों यह सब गलत लग रहा है…
नीलम इन बातो के भंवर में खो सी गयी है।
नुतन: “आपको देख कर तो नहीं लगता की कुछ बात नहीं है…”
नीलम नूतन की तरफ देखते हुए अपने मन में सोचने लगती है की क्या मुझे यह बाते भाभी को बतानी चाहिए…
पर तभी उसने सोचा अभी नहीं और उठकर घर के अंदर चलि गयी।
नुतन समझ गयी थी की नीलम किसी बात को लेकर परेशान है, और वो सोच में पड़ गयी आखिर क्या बात हो सकती है…

दूसरी तरफ, देवा का घर..

रत्ना के कमरे में देवा और रत्ना एक दूसरे पर नंगे पडे हुए थे।
दोनो ने रात में बहुत चुदाई की थी की अब दोपहर के १ बज चुके थे पर नींद से बाहर नहीं निकले…
कुछ पलो बाद कुछ हरकत हुई और अहिस्ता अहिस्ता रत्ना की आँखे खुल गयी, देवा को अपने ऊपर नंगा लेटा देख कर वो मुस्कुरायी और बिस्तर पर से उठने लगी, और बिना देवा को उठाये बाथरूम में चलि गयी।

हल्की सी बाथरूम के दरवाजे की खुलने की आवाज ने देवा की आँख खोल दी थीं, वो भी उठकर बैठ गया।
कुछ पलो के बाद देवा उठा और बाथरूम में घुस गया, रत्ना ने बाथरूम का दरवाजा सिर्फ खड़ा किया था।
अंदर घुसते ही देवा के सामने कुछ ऐसा नजारा था………

उसकी माँ मुत रही थी, नंगी ही, देवा भी अंदर नंगा ही आ गया था।
देवा को अंदर आते देख रत्ना मुस्कुराने लगी “आज बहुत अलग सा लग रहा है…
देवा: “क्या अलग लग रहा है माँ…”
रत्ना: “बस अलग ही लग रहा है…”
देवा: मुस्कराते हुए, “माँ जरा मुतना रोकना… और यहां आओ…”
रत्ना: “क्यू”
देवा: “आओ तो जान…”
रत्ना मुस्कराते हुए मुतना रोकते हुए उठ कर देवा के पास अपनी गांड मटकाती चली जाती है।
 
देव, “मुझे अपनी माँ का अनमोल पानी बर्बाद नहीं करना है…मै इससे अपनी हाथ साफ़ करूँगा…मेरे ऊपर मुतो माँ…”
रत्ना देवा की बेशरमी भरी बात से मुस्कुराने लगती है और बिना कुछ बोले खड़े खड़े मुतने लगती है।
देवा अपना हाथ उसके मुत में ड़ालते हुए अपने हाथ धोने लगता है।
ऐसा करते हुए रत्ना के बदन में बिजली सी दौड़ती है,
अपने बेटे के हाथ पर मुतते हुए रत्ना एक हलकी सी आआह्ह्ह्ह भरती है…
कुछ पलो तक ऐसे ही देवा अपने हाथो को पूरी तरह रत्ना के मूत से धोता है, और उसकी तरफ मुस्कुराते हुए कहता है…
देवा: “माँ तुम्हारा मुत बहुत गरम है तुम्हारे बदन की तरह ही…मजा आ रहा है…मन तो कर रहा है इसी से नहा लुँ…।”
रत्ना अपने बेटे की बाते सुनकर खुश हो रही थी।
जब तक रत्ना ने मुतना नही रोका देवा अपना हाथ उसकी चुत के पास ही रखा रहा।
फ़िर देवा उठा और रत्ना को प्यार से देखने लगा…।
रत्ना: “ऐसे क्या देख रहे हो बेटा…”
देवा: “अपनी उसी माँ को जिसने मुझे जनम दिया था उसी माँ को जिसे चोदने की बात कभी मेरे ज़ेहन में नही आयी थी पर जब आयी और मैंने बोला उसी माँ ने मुझे ऐसा करने से मना कर दिया, पर आज वो अपनी पूरी मरजी से मेरी जान बन गयी है…और मेरा हर काम में साथ दे रही है…”
रत्ना: “यह चुत की आग अच्छे अच्छे के फ़ैसले बदल सकती है…मुझे यह सब कर के कोई पछतावा नहीं…बल्की मै तो अपनी पूरी जिंदगी यह सुख चाहती हुँ…”
और देवा ने मुस्कुराते हुए अपनी माँ को अपनी बाँहों में उठा लिया और कमरे में ले जाने लगा…
रत्ना: “क्या हुआ बेटा आज खेत पे नहीं जाना क्या…”
देवा: “नहीं आज सिर्फ इसी खेत में हल चलाना है बहुत दिनों से हल नहीं चलने से ये जमीन बहुत सख्त हो गई है।अब इसमें दिन रात काम करना है…”
रत्ना देवा की बात से बुरी तरह शर्मा जाती है,,
और देवा की गोदी में ही उसके पेट पर घुसा जडती है…प्यार से...
देवा अपनी माँ को अपनी बाहों में उठा कर बाहर बैठक में आ जाता है और लकड़ी की टेबल पर उसे लिटा देता है।
देवा: “माँ तुम्हारे से तो मन ही नहीं भर रहा…”
रत्ना: “अच्छा जी…तो क्या बस एक दिन में मन को संतुष्ट करना चाहते हो…यह रत्ना ऐसी चीज नहीं जिससे इतनी जल्दी मन भर जाए…”
और देवा मुस्कुराते हुए उसकी टाँगे चौड़ी करता हुआ,
उसकी मुत से गीली चुत पर अपने होंठ रख देता है और चुसने लगता है…
 
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