hotaks444
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जल्दी रमा का दर्द मज़े में बदल गया और वो आंखे बंद करके अपने होंठ काटते हुए चुदाई का आनंद उठाने लगी "ओह ररवी.....आह...आह...चोदो ...आह.....और ज़ोर से चोद... आह...हाँ ऐसे ही.....उफ्फ कितना मूसल है तेरा लौड़ा आह..." पक पक.... और घप घप... की आवाज़ के बीच रमा की कामुक आवाज़ें पूरे कमरे में गूँज रही थी । रवि दनादन धक्के दे रहा था और रमा चादर को पकड़े बस मादक सिसकियां ले रही थी "आह… रवि… जोर से… और जोर से… फाड़ डाल मेरी चुत को!”...."ले मेरी जान और ले ....तेरी यह टाइट बुर ने पागल बना दिया ले साली औऱ ले " रवि ने रमा के मम्मों को पकड़ते हुए कहा और रफ्तार और तेज़ कर दी।
"आह धक्का दे… हाँ… हाँ दे… दे… दे… हाँ हाँ ऐसे ही दिये जा रवि… हाय राजे मैं कहाँ उड़े जा रही हूँ… लगता है अब गिरी और अब गिरी… आह आह आह! रमा रवि की पीठ को नोचते हुए चिल्ला रही थी । रवि उसके तरबूजों को मसलते हुए अपने हाथी लन्ड से उसकी चूत का भुरता बना रहा था पूरा कमरा उसके जानदार धक्कों की आवाज़ से गूंज रहा था "धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… . धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… . धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… " उधर रमा की मादक आवाज़े आऽऽह.. धीरे.. आऽऽह.. आऽऽह..आऽऽह.. रुक जरा.. हाँ.. आऽऽह… जोर से.. आऽऽह.. आऽऽह.. आऽऽह.. ह्म्म.. हाँऽऽअः का मधुर संगीत की तरह गूँजने रही थीं ।
“आह रमा… मेरी रानी, ले मेरा लंड… और ले… बड़ी मस्त है तेरी चुत… पहली बार में ही पूरा अंदर ले लिया है तूने… आह… देख कैसा मेरा लंड अंदर खींच रही है… मैं आ रहा हूँ जान… ले मेरा लंड…” रवि मदहोशी में बोल रहा था वो अपने चरम कि तरफ बढ़ रहा था और बेहरमी से घस्से पे घस्सा लागये जा रहा था उसे अपने अंडकोष भारी होते हुए महसूस हो रहे थे पर उसे इतना मज़ा आ रहा था कि बिना रुके पूरी रफ्तार से रमा की चूत में लन्ड पेले जा रहा था ।
“आआ… आआअह रवि… आआआ आआआ प्लीज तेज चोदो… आआ आआअ… मैं मर जाऊँगी आआ आआआआ....ऐसे ही आह ....कितना मज़ा आ रहा है ...आह" रमा चुदाई की के मज़े में डूबी बड़बड़ा रही थी दूसरी तरफ रवि को लग रहा जैसे वो किसी भी पल झड़ जाएगा उसके अण्डकोषों की थैली वीर्य से भरती जा रही थी लेकिन वो रमा कि पहली चुदाई का मज़ा खराब नहीं करना चाहता इसलिए उसने धक्के लगाना बंद कर दिए पर लन्ड को रमा की चूत के अंदर ही रहने दिया ...."रुक क्यों गए ...चोदो न ...प्लीज़ रुको मत ..चोदते रहो ...रवि मत तड़पाओ मुझे " रमा तरस भरी नजरों से रवि की और देखते हुए कहा । "करूँगा चुदाई मेरी जान मेरी रमा बस एक मिनट " रवि चादर के एक कोने से पतली से कपड़े की पट्टी फाड़ते हुए और पट्टी कस के अपने लौड़े की जड़ पर वैसे ही बाँध लिया जैसे चोट लगी जगह को बांधते हैं ।
रमा( शरारत भरी मुस्कान के साथ)-अपने लौड़े को राखी बाँध रहे हो ?
रवि-हाहाहा ....नहीं मेरी काम की देवी ,तेरा गुलाम लौड़ा कहीं समय से पहले उल्टी न कर दे इसलिए इसकी गर्दन को बाँध दिया है , तो अगला राउंड शुरू करें ?
रमा(अपनी कमर हिलाते हुए)-नेकी और पूछ पूछ ? शुरू करो ।
रवि(लन्ड को रमा की चूत से बाहर खींचते हुए) -अब जब शेर के गले में मैंने पट्टा डाल ही दिया तो इसकी सवारी करके देखो ज़रा ।
रमा ने उठकर उसके लिंग को देखा. रमा के मम्मों के रस से भीगा हुआ मोटा लम्बा लेकिन गोरा लौड़ा रमा को पागल बना रहा था. रमा ने उसके हैथियों वाले लंड को अपनी मुट्ठी मे भरा तो उसकी पूरी हथेली रस से चुपद गयी. और थोड़ा सा खेंचते ही उनका लिंग मुट्ठी से फिसला जा रहा था. रमा ने उसकि कमर के दोनो ओर अपने घुटनो को रख कर अपनी योनि को आसमान की ओर तने उनका लिंग पर रखा. फिर अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर दो उंगलियों से अपनी चूत की फांकों को अलग किया और दूसरे हाथ से उनके लिंग को थाम कर उसे अपनी योनि के द्वार पर सेट कर दिया. फिर रमा उसकी बलिष्ठ चौड़ी छाती पर अपने दोनो हाथ रख कर उन्हे सहलाने लगी उसके छ्होटे मसूर के दाने समान दोनो निपल को अपने नाखूनो से छेड़ते हुए रमा अपनी कमर को नीचे की ओर दबाया.
पहले झटके मे उसका मोटा टोपा कुछ अंदर तक घुस गया. रमा इस अवस्था मे कुछ देर तक रुकी. रमा ने रवि की तरफ देखा. वो उसे देखते हुए मुस्कुरा रहा था. रमा ने भी उसकी तरफ एक दर्दीली मुस्कुराहट छोड़ते हुए अपना सारा बोझ उसके ऊपर डाल दिया. उसका किसी बड़ी लम्बी और मोटी लौकी जैसा लौड़ा वापस उसकी चूत मे अंदर तक घुसता चला गया. वो अपनी पूरी जान लगा कर रवि के ऊपर बैठ गयी।
रमा ने अपना एक हाथ उन दोनो के मिलन की जगह डाल कर टटोला फिर कराहते हुए कहा, “घुस गया है पूरा….ओफफफ्फ़ कैसे झेलती होगी कोई तुम्हें रवि ..ऐसा लग रहा है मानो मेरी चूत को कोई चाकू चीर रहा है. इसीलिए एक बार जो तेरे संपर्क मे आती है उसका तुझे छोड़कर कर जाने का सपने मे भी मन नही होता है इसीलिए तरन तेरी गुलाम है और आज तूने मुझे भी जीत लिया.”
"आह धक्का दे… हाँ… हाँ दे… दे… दे… हाँ हाँ ऐसे ही दिये जा रवि… हाय राजे मैं कहाँ उड़े जा रही हूँ… लगता है अब गिरी और अब गिरी… आह आह आह! रमा रवि की पीठ को नोचते हुए चिल्ला रही थी । रवि उसके तरबूजों को मसलते हुए अपने हाथी लन्ड से उसकी चूत का भुरता बना रहा था पूरा कमरा उसके जानदार धक्कों की आवाज़ से गूंज रहा था "धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… . धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… . धम्म धम्म धम्म फचाक फचाक फचाक… " उधर रमा की मादक आवाज़े आऽऽह.. धीरे.. आऽऽह.. आऽऽह..आऽऽह.. रुक जरा.. हाँ.. आऽऽह… जोर से.. आऽऽह.. आऽऽह.. आऽऽह.. ह्म्म.. हाँऽऽअः का मधुर संगीत की तरह गूँजने रही थीं ।
“आह रमा… मेरी रानी, ले मेरा लंड… और ले… बड़ी मस्त है तेरी चुत… पहली बार में ही पूरा अंदर ले लिया है तूने… आह… देख कैसा मेरा लंड अंदर खींच रही है… मैं आ रहा हूँ जान… ले मेरा लंड…” रवि मदहोशी में बोल रहा था वो अपने चरम कि तरफ बढ़ रहा था और बेहरमी से घस्से पे घस्सा लागये जा रहा था उसे अपने अंडकोष भारी होते हुए महसूस हो रहे थे पर उसे इतना मज़ा आ रहा था कि बिना रुके पूरी रफ्तार से रमा की चूत में लन्ड पेले जा रहा था ।
“आआ… आआअह रवि… आआआ आआआ प्लीज तेज चोदो… आआ आआअ… मैं मर जाऊँगी आआ आआआआ....ऐसे ही आह ....कितना मज़ा आ रहा है ...आह" रमा चुदाई की के मज़े में डूबी बड़बड़ा रही थी दूसरी तरफ रवि को लग रहा जैसे वो किसी भी पल झड़ जाएगा उसके अण्डकोषों की थैली वीर्य से भरती जा रही थी लेकिन वो रमा कि पहली चुदाई का मज़ा खराब नहीं करना चाहता इसलिए उसने धक्के लगाना बंद कर दिए पर लन्ड को रमा की चूत के अंदर ही रहने दिया ...."रुक क्यों गए ...चोदो न ...प्लीज़ रुको मत ..चोदते रहो ...रवि मत तड़पाओ मुझे " रमा तरस भरी नजरों से रवि की और देखते हुए कहा । "करूँगा चुदाई मेरी जान मेरी रमा बस एक मिनट " रवि चादर के एक कोने से पतली से कपड़े की पट्टी फाड़ते हुए और पट्टी कस के अपने लौड़े की जड़ पर वैसे ही बाँध लिया जैसे चोट लगी जगह को बांधते हैं ।
रमा( शरारत भरी मुस्कान के साथ)-अपने लौड़े को राखी बाँध रहे हो ?
रवि-हाहाहा ....नहीं मेरी काम की देवी ,तेरा गुलाम लौड़ा कहीं समय से पहले उल्टी न कर दे इसलिए इसकी गर्दन को बाँध दिया है , तो अगला राउंड शुरू करें ?
रमा(अपनी कमर हिलाते हुए)-नेकी और पूछ पूछ ? शुरू करो ।
रवि(लन्ड को रमा की चूत से बाहर खींचते हुए) -अब जब शेर के गले में मैंने पट्टा डाल ही दिया तो इसकी सवारी करके देखो ज़रा ।
रमा ने उठकर उसके लिंग को देखा. रमा के मम्मों के रस से भीगा हुआ मोटा लम्बा लेकिन गोरा लौड़ा रमा को पागल बना रहा था. रमा ने उसके हैथियों वाले लंड को अपनी मुट्ठी मे भरा तो उसकी पूरी हथेली रस से चुपद गयी. और थोड़ा सा खेंचते ही उनका लिंग मुट्ठी से फिसला जा रहा था. रमा ने उसकि कमर के दोनो ओर अपने घुटनो को रख कर अपनी योनि को आसमान की ओर तने उनका लिंग पर रखा. फिर अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर दो उंगलियों से अपनी चूत की फांकों को अलग किया और दूसरे हाथ से उनके लिंग को थाम कर उसे अपनी योनि के द्वार पर सेट कर दिया. फिर रमा उसकी बलिष्ठ चौड़ी छाती पर अपने दोनो हाथ रख कर उन्हे सहलाने लगी उसके छ्होटे मसूर के दाने समान दोनो निपल को अपने नाखूनो से छेड़ते हुए रमा अपनी कमर को नीचे की ओर दबाया.
पहले झटके मे उसका मोटा टोपा कुछ अंदर तक घुस गया. रमा इस अवस्था मे कुछ देर तक रुकी. रमा ने रवि की तरफ देखा. वो उसे देखते हुए मुस्कुरा रहा था. रमा ने भी उसकी तरफ एक दर्दीली मुस्कुराहट छोड़ते हुए अपना सारा बोझ उसके ऊपर डाल दिया. उसका किसी बड़ी लम्बी और मोटी लौकी जैसा लौड़ा वापस उसकी चूत मे अंदर तक घुसता चला गया. वो अपनी पूरी जान लगा कर रवि के ऊपर बैठ गयी।
रमा ने अपना एक हाथ उन दोनो के मिलन की जगह डाल कर टटोला फिर कराहते हुए कहा, “घुस गया है पूरा….ओफफफ्फ़ कैसे झेलती होगी कोई तुम्हें रवि ..ऐसा लग रहा है मानो मेरी चूत को कोई चाकू चीर रहा है. इसीलिए एक बार जो तेरे संपर्क मे आती है उसका तुझे छोड़कर कर जाने का सपने मे भी मन नही होता है इसीलिए तरन तेरी गुलाम है और आज तूने मुझे भी जीत लिया.”