hindi sex kahaniya ज़िद (जो चाहा वो पाया) - SexBaba
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hindi sex kahaniya ज़िद (जो चाहा वो पाया)

hotaks444

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ज़िद (जो चाहा वो पाया)


मेरा एक फ्रेंड था….उसने हमारे सिटी के सबसे बड़े कॉलेज मे अड्मिशन लिया था….और वहाँ की लड़कियों के बारे मे आकर रोज मुझे बताता…..दिल मे ख्वाहिश पैदा हुई मुझे भी उस कॉलेज मे अड्मिशन लेना है…..पर कैसे…..

कुछ दोस्तो से बात की….उनमे से कुछ समझदार भी थे…..एक ने कहा यार दिल छोटा मत कर मेरे पास एक आइडिया है…तू एक साल के लिए कही जॉब कर ले……जो पैसे कमाएगा….उससे अगले साल अड्मिशन ले लेना….उसका आइडिया मेरे मन को भा गया…..दोस्तो पापा के किसी दोस्त के रेफरेन्स से जॉब भी मिल गयी. कंप्यूटर ऑपरेटर की……सॅलरी भी अच्छी थी….अब दोस्तो आप ही बताओ जिसकी जेब मे एक बार पैसे आने शुरू हो जाए…..उसके लिए पढ़ाई वढ़ाई क्या मायने रखती है….मे भी कुछ ऐसा ही था… नासमझ अपनी और सिर्फ़ अपनी ही मानने वाला…..किसी की सुनता ही कहाँ था…..

पैसे आए तो कुछ शॉंक भी पाल लिए…….नये कपड़े जूते मोबाइल फोन लॅपटॉप…..समझो जितना कमाता गया….उतना साथ-2 खरच करता गया….जो चीज़ मे अपने बॉस के पास देखता…वही मे खरीदेने की कॉसिश करता…..भले ही कम उम्र था…..पर सपने बहुत बड़े-2 थे……एक दिन मे ऑफीस मे बैठा हुआ था कि, एक लड़की हमारे ऑफीस से होते हुए, बॉस के कॅबिन मे गयी….मेरे साथ वाला मेरा कोलीग बोला……”यार इन अमीर जादियों की तो ऐश है…..पता है ये कॉन है……”

मे: नही यार मैने कभी देखा नही पहले……

रमेश: यार अपने बॉस की वाइफ है ना उसकी सहेली है….. साला सब पैसे का खेल है……

मे: चल छोड़ ना यार अपने को क्या लेना….हम यहाँ जॉब करते है…और वो हमे सॅलरी देता है…

तभी हमारा बॉस अपने कॅबिन से बाहर आया…..और मुझे अपने पास आने का इशारा किया….मे उसके पास गया…..” जी बॉस….” उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा……वैसे मे आप को अपने बॉस के बारे मे थोड़ा सा बता देता हूँ……बॉस एक रंगीन मिज़ाज आदमी था….स्टाफ के लोगो के साथ भी काफ़ी फ्रॅंक था. वहाँ काम करते हुए मुझे 6 मंत्स हो चले थे….और इन 6 मंत्स मे मैने उसे कभी स्टाफ एंप्लायी यानि वर्कर्स के साथ उँची आवाज़ मे बात करते हुए नही देखा था…..उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे ऑफीस बाहर ले आया….और फिर तरफ घूमाते हुए बोला….”तुषार यार मेरा एक काम करेगा…..”

मे: बॉस आप ऐसे क्यों कह रहे है…..आप बॉस हो कहिए क्या करना है….

बॉस: यार कंपनी रेलेत्ड वर्क नही है……पर्सनल काम है…..

मे: तो क्या हुआ….कहिए ना क्या करना है…..

बॉस: यार तू ये 50000 रुपये रख और मेरे घर चला जा…..वहाँ पर मेरी वाइफ को ये पैसे देना…..और कहना कि सर ने भेजे है…..यार उसे नया मोबाइल लेकर देना था….और मे आज गाओं जा रहा हूँ….और हां अगर पूछे तो कह देना कि, सर से मिलने के लिए कुछ क्लाइंट आए हुए थे….उनके साथ जल्दी मे उनको गाओ जाना पड़ा…..वैसे मैने फोन करके बोल दिया है….और हां अगर कुछ पूछे तो भाई ध्यान रखना…..तू तो जानता है कि मे किस काम से गाओ जा रहा हूँ……

मे: (मुस्कुराते हुए) ओके सर मे समझ गया…..

बॉस: चल अब तू जल्दी से निकल और मे भी निकलता हूँ……

उसके बाद मैने अपनी बाइक उठाई….और बॉस के घर की तरफ चल पड़ा….दोस्तो मे पहले भी कई बार बॉस के घर जा चुका था…..पर कभी उनकी वाइफ को नही देखा था….क्योंकि ज़्यादातर मे तभी उनके घर गया था….जब बॉस घर पर होते थे…..और वो मुझसे अपने उस रूम मे मिलते थे… जो उन्होने कंपनी मॅटर्स के डिस्कशन के लिए बना रखा था…….खैर जैसे ही मे उनके बड़े से आलीशान घर के बाहर पहुँचा तो वहाँ खड़े सेक्यूरिटी गार्ड ने मुझे देखते ही गेट खोल दिया….क्योंकि मे पहले भी कई बार आ चुका था…..मैने बाइक अंदर की और सेक्यूरिटी गार्ड के कॅबिन के पास ही खड़ी कर दी तो वो गार्ड मुझसे बोला……

गार्ड: आप यहाँ पर सर तो ऑफीस जा चुके है…….?

मे: हां उन्हो ने ही भेजा है….कुछ पैसे दिए है….उनकी वाइफ को देने है…..

गार्ड: ओके सर आप जाए……

मे अंदर गया और बाहर के मेन डोर की बेल बजाई….तो थोड़ी देर बाद एक 33 से 38 साल के बीच की अधेड़ औरत ने डोर खोला…..उसका नाम सरोज था…..वो भी मुझे पहचानती थी….उसने मुझे अंदर आने को कहा….”मेडम है क्या घर पर…..” मैने हाल मे लगे हुए सोफ्फे पर बैठते हुए कहा….
 
“हां अंदर है अपने रूम में मे अभी बुला कर लाती हूँ…..” वो औरत अंदर चली गयी….गर्मियों के दिन थे…..सुबह 11 बजे ही धूप इतनी तेज थी कि गरमी से मेरा बुरा हाल था…..पर एसी की ठंडी हवा से कुछ राहत पहुँची…….थोड़ी देर बाद एक औरत (बॉस की वाइफ) हॉल मे एंटर हुई….उस समय उसकी एज 35 साल की थी……एक लड़का था…..जो उस समय शिमला के एक स्कूल मे पढ़ रहा था…और वही होस्टल मे रहता था…..बॉस की वाइफ का नाम नेहा है……

उस दिन मैने पहले बार नेहा को देखा था….. हाइट 5,7 इंच के करीब थी…..रंग हलका सा सांवला था…..बूब्स 36 सी साइज़ के थे…..उसने उस समय ब्लू कलर की शॉर्ट नाइटी पहन रखी थी…..पर ऊपर उसने मॅचिंग गाउन पहना हुआ था….वो हॉल मे आई “जी कहिए……” उसने मेरे सामने सोफे पर बैठते हुए कहा….उसने अपनी एक टाँग उठा कर दूसरी टाँग पर जैसे ही रखी….उसका गाउन उनकी टाँगो से सरक गया……एक पल के लिए ही सही पर मे उसके साँवली रंग की चमकती हुई जाँघो को देख कर एक दम से सन्न रह गया….मैने एक पल के लिए उसकी जांघों को देखा और फिर सर को नीचे झुका लिया.. 

वो मेरी हालत समझ चुकी थी…..इसलिए उसके होंठो पर मुस्कान फैल गयी…और अपने गाउन को सही करने लगी…..मे एक दम से खड़ा हुआ अपने जेब से पैसे निकाल कर उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा…. “ जी वो सर ने पैसे भेजे थे……”

उसने मेरे हाथ से पैसे लिए…..और सोफे पर एक साइड मे रखते हुए सरोज को आवाज़ लगाई……” क्या लोगे चाइ या ठंडा…..” उसने फिर से एक बार मेरी तरफ मुस्करा कर देखते हुए कहा….

.”जी सिर्फ़ पानी चलेगा….”

नेहा: कॉन से क्लाइंट आए हुए थे आज…..

मे: जी मे नही जानता…..5-6 लोग थे….शायद कोई नये पार्टी थी…

नेहा: ओके…..(इतने मे सरोज हॉल मे आई……) सरोज एक ग्लास पानी लेकर आओ….(सरोज पानी लेने वापिस चली गयी….) इतना भी क्या अर्जेंट काम था….सुबह बोल कर गये थे कि, साथ मे शॉपिंग के लिए चल्लेन्गे. और अब खुद 5 दिन के लिए बाहर जा रहे है….अच्छा एक बात बताओ तुम्हे तो मोबाइल्स के बारे मे काफ़ी नालेज होगी……किस फोन के फीचर्स अच्छे है और किसके नही…..

मे: जी थोड़ी बहुत……

नेहा: मुझे तो वो भी नही…..अच्छा एक काम करो…..तुम मेरे साथ चलो….और मुझे एक अच्छा से मोबाइल खरीदने मे हेल्प कर दो……

मे: जी मे…..पर मुझे ऑफीस भी जाना है……

नेहा: कोई बात नही मे तुम्हारे बॉस को कह दूँगी…..तुम बैठो मे अभी रेडी होकर आती हूँ…

उसके बाद वो उठ कर अंदर चली गयी…..सरोज पानी लेकर आई…..मैने पानी पी कर खाली ग्लास उसे जल्दी से थमा दिया….और उसके जाने के बाद ही मैने बॉस को कॉल करी……”हेलो हां बोलो तुषार क्या हुआ… मेडम नाराज़ तो नही है…..”

मे: नाराज़ तो नही है……पर मुझे मार्केट मे साथ चलने के लिए कह रही है…..

बॉस: क्यों क्या हुआ…..

मे: वो बोल रही है कि, मे उन्हे मोबाइल खरीद कर दिला दूं…..

बॉस: हाँ हां दिलवा देना ना यार वैसे उसे मोबाइल के बारे मे बहुत कम नालेज है….अच्छा यार मे थोड़ी देर बाद देल्ही पहुँच जाउन्गा…..तो एरपोर्ट पर पहुँचने के बाद मेरा फोन ऑफ हो जाएगा…..कुछ काम है तो बोल…..

मे: नही बॉस अभी और कोई काम नही है……

बॉस: चल ठीक है मे फोन रखता हूँ…..

मे वही बैठा इधर उधर देख रहा था……थोड़ी देर बाद नेहा हॉल मे दाखिल हुई तो मे एक दम से उसे देखता ही रह गया…..नेहा मेडम ने रेड कलर की बहुत ही हॉट साड़ी पहनी हुई थी….उसकी चुचियाँ उसके रेड कलर के ब्लाउस मे एक दम कसी हुई थी…..वो हॉल मे आई और हॉल मे लगे हुए आयने के सामने खड़े होकर अपने आप को देखते हुए बोली….”चले तुषार…….” 

उनकी पीठ मेरी तरफ थी……आज शायद पहली बार किसी औरत को इस तरह से देख रहा था….मेरी पेंट मे अब मेरा लंड एक दम से अकड़ चुका था….तभी ऊपर एसी से आ रही हवा से उनकी साड़ी का पल्लू एक दम से सरक गया.. 

उसी पल वो मेरी तरफ मूडी थी…..जैसे ही उनके कंधे से उनके साड़ी का पल्लू सरका….उसके मम्मे जो उसके ब्लाउस मे बड़ी मुस्किल से आ रहे थे……आधे से ज़्यादा बाहर झलक रहे थे….उन्हे देख कर ऐसा लग रहा था…..मानो जैसे बाहर आने के लिए मचल रहे हो….सिचुयेशन ऐसी हो गयी थी कि, वो अपनी इस हालत पर शरमा भी रही थी…..और हंस भी रही थी….उसने जल्दी से अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक किया…..और हम बाहर आ गये…..बाहर आकर उसने अपनी कार निकाली, और हम दोनो उसमे बैठ कर मार्केट मे आ गये……

अब दोस्तो क्या बताऊ……उसने मुझे इतना घुमाया इतना घुमाया कि, पूछा मत, कभी इस शॉप पर तो कभी उस शॉप पर बहुत देर घुमाने और धक्के खाने के बाद आख़िर मॅम को फोन पसंद आ ही गया. मोबाइल खरीदने के बाद नेहा मुझसे बोली…..”तुषार मोबाइल तो खरीद लिया…चल अब किसी रेस्टोरेंट मे चल कर लंच करते है…….”

भूख तो मुझे भी लगी थी…..इसलिए हम एक रेस्टोरेंट मे गये और वहाँ चल कर लंच किया….दोपहर के 2 बज रहे थे…..और लंच के बाद हम उनके घर वापिस जा रहे थे….मे उनके साथ फ्रंट सीट पर ही बैठा हुआ था…..”तुषार तुम्हे विंडो इनस्टॉल करनी आती है……..? “ उसने मेरी तरफ देखते हुए पूछा…..

मे: जी आती है……

नेहा: तो मेरे लॅपटॉप की विंडो कर दो ना…..करप्ट हो गयी है……

मे: जी कर दूँगा…..

उसके बाद हम उनके घर पहुँचे तो वो मुझे सीधा अपने बेड रूम मे ले गयी…..उसने टेबल पर अपना लॅपटॉप खोला और मुझे चेयर पर बैठाते हुए बोली…..”तुषार ध्यान से करना…इसकी ए ड्राइव में मेरा बहुत इंपॉर्टेंट डेटा है…..उसे ग़लती से डेलीट मत कर देना….मे शवर लेकर आती हूँ…..” उसके बाद वो शवर लेने के लिए बाथरूम मे घुस गयी……मे विंडो इनस्टॉल करने लगा…..करीब 20 मिनिट बाद जब वो बाहर आई तो, उसने फिर से वही नाइटी पहनी हुई थी….और ऊपर गाउन पहना हुआ था. 

नेहा: हां तुषार हो रही है विंडो इनस्टॉल…..

मे: जी बस 15-20 मिनिट और लगेंगे…..

नेहा: अच्छा मे किचन मे होकर आती हूँ…….

ये कह कर नेहा रूम से बाहर निकल गयी…..दर्सल विंडो तो लगभग इनस्टॉल हो चुकी थी…..पर मे ए ड्राइव मे पड़े हुए इंपॉर्टेंट डेटा को देखना चाहता था…..कि उसमे क्या है….क्योंकि जहाँ तक मे जानता था….वहाँ तक मॅम का बिज़्नेस से कोई लेना देना नही था….विंडो इनस्टॉल हुई तो मेने ए ड्राइव के छानबीन शुरू कर दी…..और जल्द ही मेडम का इंपॉर्टेंट डेटा सामने आ गया….. “क्या यार ये आज कल की औरतें तो आदमियों से भी ज़्यादा ठर्की होती है….एक से बढ़ कर एक पॉर्न वीडियोस भरे हुए थे……लगभर 200 जीबी हार्डिस्क मे पॉर्न मूवीस ही थी……

उसमे एक वीडियो पर मेरा ध्यान गया….टाइटल था माइ सेल्फ़ शॉट (नेहा) और जैसे ही मैने वो क्लिप स्टार्ट की तो मे एक दम से हैरान रह गया….नेहा मॅम बेड पर लेटी हुई थी….उनके बदन पर एक भी कपड़ा नही था…..उनके मम्मे जो सुबह मैने ब्लाउस मे कसे हुए देखे थे…वो मेरे आँखो के सामने थे…..क्या गजब के मम्मे थी….उसमे नेहा अपनी चूत की फांको के बीच मे अपनी उंगलियों को रगड़ते हुए सेक्सी आवाज़ें निकाल रही थी…
 
उसमे एक वीडियो पर मेरा ध्यान गया….टाइटल था माइ सेल्फ़ शॉट (नेहा) और जैसे ही मैने वो क्लिप स्टार्ट की तो मे एक दम से हैरान रह गया….नेहा मॅम बेड पर लेटी हुई थी….उनके बदन पर एक भी कपड़ा नही था…..उनके मम्मे जो सुबह मैने ब्लाउस मे कसे हुए देखे थे…वो मेरे आँखो के सामने थे…..क्या गजब के मम्मे थी….उसमे नेहा अपनी चूत की फांको के बीच मे अपनी उंगलियों को रगड़ते हुए सेक्सी आवाज़ें निकाल रही थी…


मेरा हाथ कब मेरे पेंट के ऊपर से मेरे लंड पर आ चुका था….मुझे पता नही चला….पर मे डर भी रहा था कि, अचानक से वो अंदर ना जाए….इसलिए मैने वॉल्यूम को म्युट कर दिया…और उस क्लिप को देखते हुए अपने लंड को मसलने लगा…..मे नेहा के बदन को देख कर इस कदर मदहोश हो गया था कि, मुझे ये भी ख़याल नही रहा मे कहाँ हूँ और किस हाल मे हूँ….तभी एक दम से डोर खुला तो मेने एक दम चोन्कते हुए डोर की तरफ देखा…..दूर नेहा खड़ी हक्कीबक्की मुझे देख रही थी… लॅपटॉप की स्क्रीन पर कॉन सी क्लिप चल रही है…..वो उसे दिखाई नही दे रही थी…..मैने जल्दी से मूवी प्लेयर ऑफ किया और ए ड्राइवर को क्लोज़ कर दिया……

मे अब अपने आप पर बहुत शर्मिंदा हो रहा था…..मे एक दम से चेयर पर से उठा….मुझे ऐसा लग रहा था कि, अब तो मेरी गान्ड ज़रूर फटेगी…..अगर इसने बॉस को कुछ उल्टा सीधा बोल दिया तो मेरा क्या होगा……” वो वो आइ आम रियली सॉरी….वो मे….” मैने अपने सर को झुकाते हुए कहा….मेरी पेंट मे अभी भी उभार सॉफ नज़र आ रहा था….मेरी हालत देख कर वो मुस्कराने लगी….और मेरे पास आते हुए बोली……”इट्स ओके तुषार…..तुमने कॉन सा गुनाह कर दिया है……ये सब तो आज कल कामन सी बात है” मैने नेहा के बात सुन कर राहत के साँस ली….

मे: अच्छा अब मे चलता हूँ…….

नेहा: ओक तुषार बाइ……(मे जैसे ही उसके रूम से बाहर जाने लगा तो उसने मुझे आवाज़ देकर रोका. ) तुषार…..

मे: जी मॅम…..

नेहा: (कुछ पल सोचने के बाद) डू यू गिव मी आ फेवर ?

मे: यस ऑफ कोर्स……कहिए ना……

नेहा: तुषार अब जब तुम ये सब देख ही चुके हो तो क्या तुम मेरे लिए नये वीडियोस अरेंज कर दोगे…..वो नेट से डाउनलोड करने मे बहुत टाइम वेस्ट होता है…..और मुझे अच्छी साइट्स भी नही पता.

मे: जी मे कर दूँगा……

नेहा: अच्छा एक काम करो……कल तो सनडे है ना…..कल तुम घर आ जाना….और नेट से कुछ नये वीडियोस डाउनलोड कर देना…..

मे: जी ओके…….

मे रूम से बाहर आया…..और फिर घर से बाहर निकल कर अपनी बाइक उठाई….और अपने घर की तरफ चल पड़ा…..सारे रास्ते और घर पर सिर्फ़ यही सोचता रहा कि, कुछ ही अवर्स मे नेहा मॅम के कितने करीब आ गया हूँ…..कि उन्होने खुद मुझसे पॉर्न मूवीस डाउन लोड करने को कहा….हो सकता है वो गदराया हुआ माल मेरे हाथ लग जाए…… फिर दिमाग़ मे ख़याल आता…कि नही यार हो सकता है वो सिर्फ़ ओपन माइंडेड औरत हो…और सिर्फ़ अपनी ठरक पूरी करने के लिए नये वीडियोस डाउनलोड करने के लिए कह रही हो…..

खैर उस रात यही सोचते-2 मे खाना खा कर सो गया…..अगली सुबह उठा तो 8 बजे चुके थे…. मे फ्रेश हुआ और नीचे आकर मम्मी पापा और भाई के साथ नाश्ता किया……नाश्ते के बाद मे ऊपर अपने रूम मे आकर टीवी देखने लगा…तभी मेरा मोबाइल बजने लगा….मैने कॉल पिक के….”हेलो जी कॉन…”

नेहा: तुषार मे बोल रही हूँ नेहा….

मे: मॅम आप…? आपको मेरा नंबर कहाँ से मिला…..

नेहा: वो इनके पुराने वाले सेल फोन मे सेव था तुम्हारा नंबर….अच्छा तुम आ रहे हो ना….

मे: जी मॅम थोड़ी देर मे पहुँचता हूँ….

नेहा: अच्छा सुनो…..आज बाइक से मत आना…..

मे: क्यों क्या हुआ….बाइक से नही आउन्गा तो कैसे आउ….

नेहा: यार कोई ऑटो पकड़ कर आ जा ना….

मे: ठीक है मॅम मे देखता हूँ……

उसके बाद जैसे ही मैने फोन काटा तो सोचने लगा कि क्या मॅम ने मुझे यार कहा था….एक दिन की मुलाकात मे ऐसा क्या हो गया….जो मेरे बॉस की वाइफ मुझे यार कह कर बुलाने लगी थी…खैर मे जल्दी से तैयार हुआ, और घर मे यह कह के किसी दोस्त के घर जा रहा हूँ…..घर से निकल आया…बाहर रोड पर आकर एक ऑटो पकड़ा और बॉस के घर की तरफ चल पड़ा….ऑटो मे वहाँ पहुँचते-2 हाफ अन अवर लग गया था…..जैसे ही मे बॉस के घर के बाहर पहुँचा तो मुझे ये देख कर थोड़ा अजीब सा लगा कि, आज गेट पर सेक्यूरिटी गार्ड नही था….

मे अभी डोर बेल बजाने की सोच ही रहा था कि, सामने से हॉल का डोर खुला और नेहा बाहर आई. उसने आकर गेट खोला और मे अंदर आ गया…..”आज गार्ड नही है कहाँ गया….” मैने अंदर आते हुए पूछा…..”वो किसी काम से भेजा है उसे कुछ समान लाना था…..तुम अंदर आओ…” नेहा ने गेट बंद करते हुए कहा…..फिर मे उसके पीछे अंदर आ गया…..हॉल के अंदर पहुँचते ही नेहा ने हॉल के डोर को भी बंद कर दिया….ये सब मुझे अजीब सा लग रहा था…..पर दिल के किसी कोने से ये आवाज़ आ रही थी कि तुषार आज तेरे मन की मुराद पूरी होने वाली है शायद…..

नेहा सीधा मुझे अपने बेड रूम मे ले गयी…..उसका बेडरूम भी काफ़ी बड़ा था….बेड के साथ -2 सोफा सेट भी लगा हुआ था…..उसने मुझे सोफे पर बैठने के लिए कहा…..”तुम बैठो मे तुम्हारे लिए जूस लेकर आती हूँ….” नेहा ने बाहर की ओर जाते हुए कहा….थोड़ी देर बाद नेहा दो ग्लास मे जूस लेकर आई….और एक ग्लास मुझे पकड़ाते हुए, मेरे साथ बैठ गयी…..

मे: आज सरोज भी नही है क्या…..?

नेहा: है ना पीछे अपने रूम मे गयी हुई है…..इस समय वो चली जाती है…आराम करने के लिए….

मे: ओह्ह अच्छा…..लाइए मे मूवीस डाउनलोड कर देता हूँ….

नेहा ने अपना ग्लास सामने टेबल पर रखा और अपना लॅपटॉप वही उठा लाई……उस समय वाईफ़ाई जैसी सर्विस नही थी…….पर नेट की वाइयर काफ़ी लंबी थी….इसलिए वहाँ पर लॅपटॉप से कनेक्ट करने मे कोई परेशानी नही हुई….मैने उन साइट्स को ओपन करना शुरू किया……जिन्हे मे मोस्ट्ली यूज़ करता आ रहा था.. . जैसे -2 वो साइट्स ओपन होती जा रही थी….नेहा लॅपटॉप मे देखने के लिए मेरे नज़दीक खिसकती जा रही थी….”हां ये वाली ये डाउनलोड हो सकती है…..” उसने एक क्लिप पर हाथ रखते हुए कहा…. उस वीडियो के पोस्टर मे एक औरत पैरो के बल नीचे बैठी हुई थी…..उसने हाइ हील सॅंडल पहने हुए थी. और वो एक मोटे लंड के सुपाडे पर मुँह मे लिए हुए थी……

मे: है तो देसी बंदरिया…..लेकिन शॉंक तो देखो अंगरेज़ों वाले….(मेने मन ही मन नेहा के बारे मे सोचा) हां हो जाएग……
 
मैने अपना जूस ख़तम करके ग्लास को टेबल पर रखा और उस वीडियो को डाउनलोडिंग पर लगा दिया… नेहा खाली ग्लास लेकर बाहर चली गयी…..मोका देखते ही मैने डाउनलोड मॅनेजर को मिनिमाइज़ किया और नेहा के जो सेल्फ़ शॉट क्लिप थी उसे वॉल्यूम मूट करके स्टार्ट कर दिया…..एक बार फिर से नेहा का नंगा बदन उस वीडियो मे देखने के बाद मेरा लौडा मेरा शेर मेरी पेंट मे फूलने लगा…और फिर से कब मेरा हाथ मेरे पेंट के ऊपर से मेरे लंड पर आ चुका था….मुझे पता नही चला…तभी मुझे थोड़ी देर बाद नेहा के कदमो की आहट सुनाई दी, तो मैने वीडियो बंद कर दी…..और साइट ओपन करके देखने लगा…..

नेहा मेरे पास आकर बैठ गयी……वीडियो तो बंद कर चुका था…..पर अपने हाथ का बटन ऑफ करना भूल गया था….जो अभी भी मैने अपने लंड के ऊपर रखा हुआ था….नेहा का ध्यान जैसे ही मेरे हाथ के तरफ गया तो मेरे भी ध्यान मे आया तो मैने अपने हाथ को हटा लिया…..नेहा ने एक बार मेरे थोड़ा मुस्कराते हुए देखा…..”क्यों बेचारे का गला घोंठ रहे हो……” नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा,…..

मे: जी मे कुछ समझा नही…..किसका गला……

नेहा: (मुस्कुराते हुए) वीडियोस देख कर सिर्फ़ पकड़ना ही आता है…..या फिर प्रॅक्टिकली भी कुछ किया है….

मे: (मे नेहा की बात तो समझ गया था…..पर अभी भी सीधा कुछ भी कहने के हिम्मत नही कर पाया था….) जी कभी किया नही……

नेहा: (मेरी जाँघ पर हाथ रखते हुए) डाउनलोडिंग तो होती रहेगी…..चल आज तुझे सच की पॉर्न मॉडेल दिखाती हूँ…..

ये कहते हुए नेहा खड़ी हुई…..और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे भी खड़ा कर दिया…..और फिर बेड की तरफ चलने लगी….और बेड के पास रुक कर मेरी तरफ मूडी…..और फिर मेरा हाथ छोड़ते हुए अपने अपने गाउन को खोलने लगी…उसने अपना गाउन खोल कर नीचे बेड पर फेंक दिया और फिर मेरी तरफ देखते हुए अपनी स्लीव लेस नाइटी के स्ट्रॅप्स को कंधो से सरकाते हुए अपनी बाहों से निकाल दिया…”वाउ मेरे मन नेहा मॅम के बड़े-2 बूब्स देख कर लड्डू फूटा……साली कमाल है यार…..सोचा नही था कि ये इतना सेक्सी माल निकले गा……नीचे ब्रा नही पहनी हुई थी….इसलिए उसके साँवले रंग के बूब्स पर उसके काले-2 बड़े और अंगूर के दानो की तरह फूले हुए मोटे निपल्स को देख कर दिल कर रहा था…कि अभी इन्हे दबोच कर मुँह मे भर कर सक करना शुरू कर दूं…..

पर अभी भी मे थोड़ा नर्वस फील कर रहा था……उसने अपने मम्मों पर हाथ रख कर दबाते हुए कहा….”तुषार कैसे है मेरे बूब्स…..पसंद आए तुम्हे….” मेने हां मे सर हिलाया तो वो नीचे बेड पर बैठ गयी….और फिर अपनी एक कोहनी को बेड के पीछे की तरफ टिकाते हुए पीछे की तरफ लेट गयी…वो पूरी तरह से लेटी नही थी…उसका सारा वजन उसके मोटे-2 गुदाज चुतड़ों और उसकी कोहनी पर था…..फिर जैसे ही उसने अपने दोनो पैरो को ऊपर उठा कर बेड के किनारे पर रखा तो उसकी नाइटी उसकी जाँघो से सरकते हुए, उसके कमर तक चढ़ गयी……

अब मेरे सामने नेहा की ब्लू कलर की वी शेप पैंटी थी…..शायद उसे शुरू से ही इस तरह के सेक्सी ड्रेसीज और अंडर गारमेंट पहनने का शॉंक था…..उसने मेरी तरफ मुस्कराते हुए देखा और फिर अपना एक हाथ पैंटी पर लाते हुए अपनी चूत के आगे से अपनी पैंटी को सरकाते हुए एक साइड को कर दिया…जैसे ही उसकी चूत मेरे आँखो के सामने आई……मेरा लंड पेंट फाड़ कर बाहर आने को उतावला होने लगा….वो लगतार मेरी ओर देखते हुए मुस्करा रही थी…….”तुषार आइ आम वेटिंग…..” उसने अपने जीभ को अपने होंठो पर फेरते हुए कहा……

पॉर्न मूवीस मे कई बार ओरल सेक्स देख चुका था….और नेहा मॅम के हावभाव से भी यही लग रहा था कि, वो चाहती थी कि, मे उनकी चूत को सक करूँ…..मे उसकी तरफ देखते हुए नीचे घुटनो के बल बैठ गया…

.”होल्ड दिस…..” उसने अपनी पैंटी की पतली सी पट्टी को जिसने उसकी चूत को कुछ देर पहले ढँक रखा था……उसे मुझे पकड़ने के लिए कहा….

.”मैने उसकी पैंटी को पकड़ लिया…..और उसने अपना हाथ पैंटी से हटा लिया और अपने हाथ की दो उंगलियों से वी शेप बनाते हुए अपनी चूत की फांको पर ऊपर से नीचे तक फेरा……जैसे ही उसकी उंगलियों के दबाव से उसकी चूत की फांके दबी….उसकी चूत के छेद से जो अभी उसकी चूत की फांको के बीच मे छुपा हुआ था….उसमे से गाढ़ा पानी बह कर बाहर आया…..और उसके गान्ड के छेद की तरफ बढ़ने लगा…..

फिर उसने अपनी दोनो उंगलियों की मदद से अपनी चूत की फांको को फैला दिया…..ये वो पहला मोका था….जब मे किसी औरत की चूत का छेद ठीक अपने सामने देख रहा था…

.”तुषार अब अपनी दो उंगलियों को मेरी फुददी मे डालो……” 

मे नेहा के मुँह से शब्द सुन कर थोड़ा सा चोंका….फिर नेहा की ओर देखने लगा….

.”डालो ना देख क्या रहे हो…?” उसने मुस्कुराते हुए कहा….

मैने अपने काँपते हुए हाथ को उसकी चूत की तरफ बढ़ाया….और अपनी दो उंगलियों को उसकी चूत के छेद मे धीरे-2 अंदर घुसाने लगा……

.”अहह येस्स्स्स्स तुषार उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह……..डालो नाअ और अंदर……” 

मैने अपने उंगलियों को तब तक नेहा की चूत मे दबाना जारी रखा…..जब तक मेरी दोनो उंगलियाँ उसकी चूत के छेद मे घुस ना गयी…….

नेहा: ओह्ह्ह्ह तुषार……अहह उम्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईई अब अपनी दोनो उंगलियों को अह्ह्ह्ह अंदर पेलने की कॉसिश करो…..अलग करने की कॉसिश करो…..

मैने ठीक वैसे ही किया….जैसे ही मैने अपनी दोनो उंगलियों को चूत के अंदर ही फैलाना शुरू कर दिया…..मतलब कि अपनी दोनो उंगलियों को एक दूसरे से अलग रखने की कॉसिश की तो….मेरे उंगलियाँ नेहा की चूत के दीवारो से दोनो तरफ सट गयी….

”ओह्ह्ह्ह एसस्स तुषार येस्स्स अब अब अंदर बाहर करो….” 

मैने धीरे-2 अपनी दोनो उंगलियों के बीच गॅप रखते हुए अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. हालाकी दोनो उंगलियों मे आधे इंच से भी कम गॅप था…..पर इसके कारण मेरी उंगलियाँ नेहा की चूत के दीवारों से पूरी तरह रगड़ खाते हुए अंदर बाहर हो रही थी…….”ओह्ह्ह्ह एसस्स तुषार फास्टर और तेज करो हाआँ तेज येस्स अह्ह्ह्ह अहह ईसस्सस्स फक मी डियर…….” 

नेहा ने अपनी गान्ड को बेड के किनारे से आगे की तरफ धकेलते हुए कहा….मेरी दोनो उंगलियाँ उसकी चूत से निकल रहे पानी से पूरी तरह भर चुकी थी…..”अह्ह्ह्ह अहह ओह तुषार….सक मी सक माइ पुसी तुषार यीस्स्स्स सक मी…….” नेहा ने अपनी चूत के फांको को पूरी तरह से फैलाते हुए मुझे अपनी चूत का क्लिट दिखाते हुए कहा…..”सक इट डियर……सक इट…….” 

मैने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके क्लिट पर रगड़ना शुरू कर दिया…..कुछ पल तो थोड़ा अजीब सा लगा….पर चूत और सेक्स के नशे ने सब कुछ भुला दिया था…..अब मे अपनी जीभ से पूरी रफतार से उसके क्लिट को रगड़ रहा था….
 
नेहा ने अपनी गान्ड को बेड के किनारे से आगे की तरफ धकेलते हुए कहा….मेरी दोनो उंगलियाँ उसकी चूत से निकल रहे पानी से पूरी तरह भर चुकी थी…..”अह्ह्ह्ह अहह ओह तुषार….सक मी सक माइ पुसी तुषार यीस्स्स्स सक मी…….” नेहा ने अपनी चूत के फांको को पूरी तरह से फैलाते हुए मुझे अपनी चूत का क्लिट दिखाते हुए कहा…..”सक इट डियर……सक इट…….” 

मैने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके क्लिट पर रगड़ना शुरू कर दिया…..कुछ पल तो थोड़ा अजीब सा लगा….पर चूत और सेक्स के नशे ने सब कुछ भुला दिया था…..अब मे अपनी जीभ से पूरी रफतार से उसके क्लिट को रगड़ रहा था….

नेहा का बदन मस्ती मे थरथराने लगा था…..उसने एक दम से मेरे सर को पकड़ कर पीछे किया…और फिर खुद सीधी होकर बेड पर बैठते हुए मुझे मेरे शर्ट से पकड़ कर बेड पर गिरा लिया…..और अगले ही पल उसने मेरे पेंट को खोलना शुरू कर दिया…..”तुषार जल्दी से शर्ट उतारो….”

मैने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए……उसने जल्दी से मेरे बेल्ट को खोला और फिर पेंट को खोल कर जाँघो से सरकाते हुए बाहर निकाल दिया….अब मेरे बदन पर सिर्फ़ अंडरवेर ही बचा था….

मैने शर्ट भी उतार कर फेंक दी थी….नेहा ने मेरी चेस्ट पर हाथ रखते हुए मुझे लेटा दिया…और खुद मेरे ऊपर झुकते हुए मेरे होंठो पर अपने होंठो को रख दिया….मेरे होंठो पर उसकी चूत से निकाला हुआ कामरस लगा हुआ था…..जिससे वो मदहोश होकर पागलो की तरह चाट रही थी…..हम दोनो वाइल्ड्ली एक दूसरे को किस कर रहे थे…..उसका हाथ मेरी चेस्ट से रेंगता हुआ नीचे पेट और फिर मेरे अंडरवेर के ऊपर से मेरे लंड पर आ चुका था….जैसे ही उसका हाथ मेरे लंड पर लगा तो वो एक दम से उठ कर बैठ गयी….और अंडरवेर के ऊपर से मेरे लंड का जायज़ा लेने लगी…..

उसकी आँखो मे अजीब सी चमक थी……”तुषार ये तो बहुत बड़ा लग रहा है……” उसने अंडरवेर के ऊपर से मेरे लंड को सहलाते हुए कहा….

.”दोस्तो यहाँ सच लिख रहा हूँ इसलिए गप्प नही हाकुँगा. कि मेरा लंड 9 इंच लंबा है या 10 इंच…..तो दोस्तो मेरा लंड साढ़े 7 इंच लंबा है….और मोटाई 4 इंच के करीब है……उसने मेरे अंडरवेर को नीचे सरका दिया…..जैसे ही मेरा लंड बाहर आया तो उसने झटका खाते हुए सीधा छत की ओर सलामी दी…..अगले ही पल उसने मेरे अंडरवेर को उतार कर फेंक दिया….और मेरे लंड को पकड़ कर अगले ही पल झुक कर मुँह मे भर लिया…..अब सिसकने के बारी मेरी थी…..आज से पहले तो किसी लड़की या औरत ने मेरे लंड को छुआ तक नही था….

पर आज तो ये सीधा नेहा जैसी मेच्यूर और सेक्सी औरत के मुँह मे था….नेहा मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी…..जैसे उसने जिंदगी मे पहली बार किसी के लंड को देखा हो….उसके होंठो का दबाव मेरे लंड पर गजब ढा रहा था…….वो मेरे आधे से ज़्यादा लंड को मुँह मे अंदर बाहर करते हुए चूस रही थी…..और अपने एक हाथ से उसे हिला भी रही थी…..अभी उसने 2-3 मिनिट ही मेरे लंड को चूसा था…कि मुझे लगा कि अब मे और ज़्यादा देर नही टिक पाउन्गा….

मे: ओह्ह्ह मॅम बस मेरा निकलने वाला है…..

मैने नेहा के सर को पकड़ कर हटाने की कॉसिश करते हुए कहा….पर उसने मेरे हाथों को झटक दिया….और फिर और ज़यादा तेज़ी से लंड को मुँह के अंदर बाहर करते हुए चूसने लगी…..”अह्ह्ह ओह्ह प्लीज़ मॅम मेरा ओह्ह अहह…….” मेरे लंड की नसें अब पूरी तरह फूल चुकी थी….अब वो पल दूर नही था….जब मेरे लंड उबलता हुआ वीर्य बाहर फॅट पड़ता….और जैसे नेहा को भी अंदाज़ा हो गया था कि, अब मे झड़ने वाला हूँ….उसने मेरे लंड को मुँह से बाहर निकाल दिया….और पूरी रफतार से मेरे लंड को हिलाते हुए मूठ मारने लगी…..और अगले ही पल मेरे लंड से वीर्य के लंबी-2 पिचकारियाँ छूटने लगी….कुछ वीर्य मेरे पेट पर गिरा और कुछ उसके हाथों पर…मेरा लंड बॉल्स और उसके हाथ दोनो मेरे वीर्य से सन चुके थे…..

मे बुरी तरह से कांप रहा था….”मूठ मारने के आदत नही थी……इसलिए शायद मे उस दिन 1 साल बाद झडा था….मे तेज़ी से साँसे लेते हुए नेहा की तरफ देख रहा था….मुझे समझ नही आ रहा था कि ये सब उसने क्यों किया….फिर दिमाग़ मे ख़याल आया कि, कहीं वो सिर्फ़ ओरल सेक्स करके ही सॅटिस्फाइड तो नही होना चाहती थी……और या फिर वो मेरे साथ सेक्स ना करना चाहती हो……

नेहा ने मेरी तरफ मुस्कराते हुए देखा…..और उठ कर बाथरूम मे चली गयी…..मे वही लेटा हुआ उसके आने का इंतजार करने लगा…थोड़ी देर बाद मुझे नेहा ने बाथरूम से आवाज़ दी…..मे उठ कर जैसे ही बाथरूम मे गया तो एक पल के लिए फिर चोंक गया…..नेहा के बदन पर एक भी कपड़ा नही था…उसने अपनी नाइटी और पैंटी दोनो उतार दी थी….जैसे ही मे बाथरूम मे घुसा तो नेहा मेरी तरफ देख कर मुस्कराते हुए बोली….”चलो इसे वॉश कर लो……” टॅप पहले से ही चल रही थी… मैने अपने लंड को पानी के नीचे किया….और उसे सॉफ करने लगा….और फिर अपने बॉल्स और पेट को भी अच्छे से धोया,……. 

सोचा चलो भाई खेल ख़तम हो गया…..शायद यही तक मज़ा था मेरी जिंदगी मे…..

पर ये क्या…..अगले ही पल उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे पानी से अच्छे से धोने लगी….उसने टॅप बंद की और फिर एक टवल उठा कर मेरे लंड को पोन्छा….और फिर वही बाथरूम मे नीचे पैरों के बल बैठते हुए मेरे लंड को फिर से मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया…..ऐसा लगा जैसे लंड पर ही करेंट लग गया हो….उसने मेरे सिकुडे हुए लंड को पूरा का पूरा मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया था…और कुछ ही पलों मे मेरे लंड फिर से हार्ड होने लगा…..2-3 मिनिट मे ही मेरा लंड एक बार फिर से पूरी तरह हार्ड हो चुका था…..उसने मेरे लंड को मुँह से बाहर निकाला और खड़े हुए मेरे लंड को पकड़ कर बाथरूम से बाहर जाने लगी…..

मे भी उसके पीछे चलता हुआ बाहर आ गया….और अगले ही पल हम दोनो पर एक दूसरे से लिपटे हुए थे……उसका हाथ नीचे मेरे लंड को तलाश कर रहा था….और जैसे ही उसके हाथ मे मेरा लंड आया…उसने अपनी टाँगो को ऊपर उठा कर फैलाते हुए, मेरे लंड के सुपाडे को अपनी चूत के छेद पर रखते हुए धीरे से काँपती आवाज़ मे कहा….”तुषार करो भी इसको अंदर…..” मेरा फर्स्ट टाइम था….इसलिए थोड़ा सा डर भी रहा था कि, कही कोई ग़लती ना कर दूं…….

मैने अपने लंड को हल्का सा पुश किया तो अगले ही पल मुझे ऐसे लगा कि, जैसे मेरे लंड का सुपाडा किसी तंदूर के छेद पर जा भिड़ा हो….मेरे पूरे शरीर के रोएँ तक खड़े हो गये….

ऐसा ही कुछ हाल नेहा का भी था….उसकी आँखे आधी खुली हुई थी…..और उसके होंठ थरथरा रहे थे…..उसने मेरी आँखो मे झाँकते हुए कहा…..”ता तुषार सीईईईईई डालो ना इसे अंदर…..” मेने हां मे सर हिलाया और अपने लंड को और आगे की तरफ पुश किया…..”ओह्ह्ह्ह आज तो जैसे मेरे लंड पर कहर बरस रहा था……दोस्तो यहाँ मे ये नही कहूँगा कि नेहा मॅम जो कि 35 साल की थी…..उसकी चूत बहुत टाइट थी या फिर मेरा लंड मोटा था इसलिए मुस्किल से अंदर गया था…ऐसा कुछ नही था….नेहा एक बच्चे की माँ थी……

और उसका बेटा नॉर्मल डिलेवारी से हुआ था…..इसलिए उसकी चूत टाइट तो बिल्कुल नही थी…..पर शायद कई दिनो से सेक्स ना करने की वजह से शायद आम औरतों के मुक़बले जिनके बच्चे होते है…..उनकी तुलना मे टाइट थी……मेरा लंड उसकी चूत से निकल रहे पानी के कारण फिसलता हुआ अंदर जा घुसा….जैसे ही मेरा लंड जड़ तक उसकी चूत मे घुसा तो मैने नेहा की तरफ देखा…उसके होंठो पर संतुष्टि भरी मुस्कान फैली हुई थी…..जैसे उसने वो चीज़ पा ली हो……जिसके लिए वो बरसो से तरस रही थी….उसके दोनो हाथ मेरे चुतड़ों पर थे……और वो अपने दोनो हाथों से मेरे चुतड़ों को नीचे की ओर दबाए हुए थी…….उसने अपनी टाँगो को घुटनो से मोड़ रखा था…..उसके दोनो पैर नीचे बिस्तर को भी छू रहे थे…..और उसने अपनी गान्ड को पैरो पर वजन डाल कर ऊपर की तरफ उठा रखा था….

नेहा: सीईईईईईई तुषार……..कुछ देर ऐसे ही रहो…….उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह……

उसने सिसकते हुए कहा……और फिर कुछ पलों बाद अपनी मस्ती की खुमारी से भरी हुई आँखो को खोल कर मेरी तरफ देखा….मे उसके फेस के हर एक एक्सप्रेशन को नोट कर रहा था…..उसके होंठ धीरे-2से खुले तो उसके दोनो होंठो के बीच एक पतली से लार खिंच गयी…और जैसे ही उसने अपने होंठो को और खोला तो वो लार टूट गयी…….”तुषार……..अब धीरे-2 अंदर बाहर करो……” उसने मेरे चुतड़ों से अपने हाथों को सरकाते हुए मेरी पीठ पर फेरते हुए कहा…….”ज़्यादा तेज ना करना…..हम दोनो को एक साथ मंज़िल पर पहुँचना है…..कहीं मुझे पीछे ना छोड़ देना…..”
 
मेने उसकी ओर देखते हुए हां मे सर हिलाया…..और उसके होंठो की तरफ अपने होंठो को बढ़ाया…. तो उसने भी साथ देते हुए, एक हाथ मेरे फेस पर रखते हुए अपनी आँखे बंद कर ली…..और अगले ही पल उसका नीचे वाला होंठ मेरे होंठो मे था…..और मेरे ऊपर वाला होंठ उसके दोनो के होंठो के बीच मे….कुछ देर हम ऐसे ही एक दूसरे के होंठो को चूस्ते रहे……और मैने अपने लंड को धीरे-2 अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…..धीरे-2 अब मे एक रिदम के साथ अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था…..और नेहा के होंठो को छोड़ कर उसकी चुचियों को मसलते हुए चूसने लगा था….

नेहा: ओह येस्स्स तुषार…….सक मी ओह्ह्ह्ह एससस्स एससस्स फक मी डियर…….ओह्ह्ह एसस्स फक….

एक बार फिर से नेहा के हाथ मेरी पीठ पर आ चुके थे…..और वो अपनी गान्ड को ऊपर उठा-2 कर मेरे लंड को अपनी चूत की गहराइयों मे ले रही थी…..नेहा अपने मम्मे चुस्वा कर और भी ज़्यादा मस्त हो चुकी थी……

.”ओह्ह तुषार ओह्ह एससस्स आइ आम कमिंग तुषार……ओह्ह्ह्ह एसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स फक…..हार्डर तेज करो…..” उसने मेरे कंधो को हिलाते हुए कहा.,…..मैने भी तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…..मेरा लंड अब पूरी रफ़्तार से नेहा की चूत के अंदर बाहर हो रहा था…..अभी मैने आधा मिनिट ही तेज शॉट लगाए थे कि, मुझे लगने लगा कि, मे भी किसी भी पल झड सकता हूँ…..उधर नेहा अभी भी और तेज-2 करने को कह रही थी…..

मे: म्म मॅम वो मेरा होने वाला है……..

नेहा: करते रहो तुषार रुकना नही…..ब्स्स्स मे भी ओह्ह्ह्ह एसस्स्स्स्स्स्सस्स अहह उंघह उंघह उन्घ्ह्ह्ह ओह तुषार……..

नेहा ने मेरे पीठ पर अपनी बाहों को पुर ज़ोर से कस लिया…….”अह्ह्ह्ह मॅम अह्ह्ह्ह मे भी……” और फिर मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर से मेरे लंड से मेरे जान बाहर निकल गयी हो….एक के बाद एक लंड ने वीर्य छोड़ते हुए कई झटके खाए…..”अहह” मे एक दम गुर्राते हुए उसकी चूत मे अपने टॅंक को खाली करने लगा….मे एक दम पस्त हो कर उसपर ढह गया…….मेरी साँसे बहुत तेज चल रही थी…..और नेहा मेरी पीठ पर अपने हाथों को फेरते हुए मुझे कुछ राहत देने की कॉसिश कर रही थी…….5 मिनिट बाद मे नेहा के ऊपर से उठ कर बगल मे लेट गया…….

नेहा: तुषार कैसा लगा तुम्हे……ये तुम्हारा फर्स्ट टाइम था ना…….?

मे: हां फर्स्ट टाइम किया है……बहुत मज़ा आया मॅम…….

नेहा: तुम पहली बार ही बहुत कुछ सीख गये हो……देखो तुषार…..आज तुम्हे मे अपनी लाइफ का एक्सपीरियेन्स बता रही हूँ……ध्यान से सुनना…..आगे चल कर बहुत काम आएगा……

मे: जी कहिए…..

नेहा: तुषार कभी सेक्स के लिए किसी के पीछे मत भागना…….एक दिन मे चाहो तुम जितना मर्ज़ी सेक्स कर लो……पर उस एक दिन के बाद हो सके तो 10-12 दिन का गॅप रखना…….

मे: क्यों……?

नेहा: इसके दो बेनिफिट्स है……एक तो तुम्हारे लिए सेक्स कभी बोरिंग नही होगा….और दूसरा तुम्हारी स्ट्रेंत भी बनी रहेगी……

मे: मॅम एक बात पूछूँ……

नेहा: हां बोलो…..

मे: मॅम जो न्यूली मॅरीड कपल्ज़ होते है……वो तो हर दिन सेक्स करते होंगे…तो उनकी सेक्स लाइफ बोर नही हो जाती…….

नेहा: (हंसते हुए ) नही पर हां जैसे -2 टाइम गुजरता है वो भी इसी रूटीन पर आ जाते है……

मे: फिर तो बॉस भी शादी के बाद आपके साथ खूब सेक्स करते होंगे…….

नेहा: हां करते थे……पर अब तो उनके पास मेरे लिए टाइम ही नही होता…….अच्छा तुषार जाकर शवर ले लो……अब तुम्हे थोड़ी देर मे यहाँ से निकल जाना चाहिए….टाइम बहुत हो गया है….वो सेक्यूरिटी गार्ड ना आ जाए…….

मे: ठीक है मॅम……..

उसके बाद मैने शवर लिया…….अपने कपड़े पहने और जैसे ही बाहर आया तो देखा नेहा मॅम अपनी नाइटी और गाउन पहने बेड पर बैठी थी……मे उसके पास जाकर बेड पर बैठ गया…..”ये लो तुषार……” उसने मेरे तरफ 500-2 के कुछ नोट बढ़ाते हुए कहा……”

ये ये क्या है मॅम……”

नेहा: कुछ पैसे है रख लो……

मे: पर क्यों…..नही मे नही ले सकता……

नेहा: तुषार प्लीज़ रख लो…….

मे: नही माँ आपने मुझे समझा क्या है……मे किराए का टट्टू नही हूँ…..

नेहा: तुषार जानती हूँ…..प्लीज़ इसे ग़लत मत समझो……मे प्यार से दे रही हूँ ना…..देखो तुषार तुम्हारे बॉस मुझे इन पैसो के सिवाय और कुछ नही देते…..उन्हे तो शायद पता भी नही है कि, पत्नी को पैसो के साथ-2 प्यार की ज़रूरत भी होती है…….

मे: ओह्ह अच्छा अब समझा तो आप प्यार को पैसो से खरीदना चाहती हो……..

नेहा: तुषार प्लीज़ तुम मुझे ग़लत समझ रहे हो…..आख़िर मे इतने पैसे का क्या करू…..सोचा तुम्हारे कुछ काम आ जाएँगे……प्लीज़ तुषार रख लो…..और ग़लत मत समझो….में तुम्हारी फीलिंग्स के रेस्पेक्ट करती हूँ…..ये देखो ये इतने पैसे यहाँ पता नही कब से धूल चाट रहे है…..किस काम के ये पैसे…..(नेहा ने अपनी अलमारी खोल कर मुझे दिखाते हुए कहा…..जिसमे नोटों के ढेर लगे हुए थे…… रख लो तुषार…….जो सुख तुमने मुझे दिया है……उसकी कमीत तो मे लगा ही नही सकती…..


नेहा ने मेरे हाथ मे पैसे थमाते हुए कहा,…….मैने पैसे जेब मे डाल लिए….नेहा को नाराज़ नही करना चाहता था…..खैर फिर मे वहाँ से निकल कर अपने घर पर पहुँचा…..जब घर पहुँचा तो मुझे नज़ाने क्यों बहुत डर लग रहा था…..पॉकेट मे इतने पैसे जो थे…..मे सीधा अपने रूम मे चला गया…..और पेंट से पैसे निकाल कर गिनने लगा…..30000 रुपये थे…..एक पल के लिए तो मे सोच मे पड़ गया….आख़िर ये नेहा चाहती क्या है…कहीं उसने मुझे नही यार उसकी बातों से ऐसा तो नही लगता… खैर मैने उन पैसो को अपनी अलमारी के सेफ मे रख लिया….और अगले दिन ऑफीस जाते हुए वो पैसे बॅंक मे जमा करवा दिए….घर पर ज़्यादा दिन बिना किसी की नज़रों मे आए हुए वो पैसे नही रह सकते थी…….

उस दिन ऑफीस मे काम पर मेरा दिल बिल्कुल भी नही लग रहा था…..बार -2 अपना पहला सेक्स एक्सपीरियंस याद आ रहा था……रह रह कर नेहा के बदन की याद आ रही थी….कोई सोच भी नही सकता था कि, मेरा अपने बॉस की वाइफ के साथ अफेर है….उस दिन दोपहर नेहा ऑफीस मे आई….जब कभी बॉस बाहर टूर पर होते थे तो वो ऑफीस आ जाया करती थी…..भले ही वो ऑफीस का कंपनी का कोई काम नही देखती थी……पर बॉस की जगह खाली होने पर उसकी प्रेज़ेन्स से ही बहुत फरक पड़ता था….उसने मेरे साथ भी नॉर्माली बिहेव किया…..फिर वो बॉस के कॅबिन मे चली गयी…..और शाम के 6 बजने से पहले ही वो ऑफीस से बाहर चली गयी…

हमारा ऑफ भी 6 बजे होता था…..अभी 6 बजने मे 5 मिनिट ही बचे थे….मे अपना पीसी ऑफ कर रहा था कि, मेरे मोबाइल पर नेहा का फोन आया…..पास मे कुछ और स्टाफ के लोग भी बैठे हुए थी….इसलिए मैने थोड़ा दूर जाकर बात की…..”हेलो तुषार कहाँ हो…..” 

मे: जी बस निकल ही रहा हूँ……

नेहा: अच्छा सुनो थोड़ा लेट कर देना…..जब स्टाफ के लोग चले जाए…..तो सामने प्लॉट मे आ जाना…..

नेहा ने फोन काट दिया….दरअसल जो हमारी फर्म के सामने खाली प्लॉट था…..वो जगह बॉस ने कुछ साल पहले ही खरीदी थी…..जगह खाली थी……उस पर कुछ बना नही हुआ था…..इस लिए बॉस अपनी कार वही पार्क करता था….शायद नेहा ने भी अपनी कार वही पार्क कर रखी थी….मे पीसी ऑफ करके टाय्लेट मे चला गया…..कुछ देर वही रुका और जब बाहर आया तो देखा सब लोग जा चुके थे….सिर्फ़ वर्कर ही थे…..जिनकी छुट्टी 8 बजे होती थी…..

मे बाहर निकल कर कुछ देर वेट करता रहा…..जैसे ही फॅक्टरी का गेट बंद हुआ….मे सीधा उस प्लॉट की तरफ बढ़ा…..जैसे ही मे कार की तरफ बढ़ा तो एक दम से बारिश शुरू हो गयी….मे भागता हुआ कार के पास पहुँचा तो नेहा ने कार का डोर खोल दिया…..मे फ्रंट सीट पर उसके साथ बैठ गया….”किसी ने देखा तो नही…..” नेहा ने मेरे बालो मे हाथ फेरते हुए कहा……” 

मे: नही मॅम किसी ने नही देखा……

नेहा: तुषार अब तो ये मॅम-2 करना बंद करो ना…….मुझे मेरे नाम से पुकारो ना…….मे तरस गयी हूँ कि कोई मुझे प्यार और हक़ से मेरे नाम से पुकारे……

नेहा ने मेरे होंठो पर किस करते हुए कहा…..

”ओके नेहा किसी ने नही देखा….” और अगले ही पल नेहा मुझसे लिपट गयी….और मेरे गालो माथे और लिप्स पर किस करने लगी…..कुछ देर बाद वो पीछे हुई तो वो मेरी तरफ देख कर हसने लगी

……”क्या हुआ हंस क्यों रही हो…..?”

नेहा: (हंसते हुए मेरे गालो और लिप्स को अपने अंगूठे से सॉफ करते हुए) कुछ नही वो लिप कलर तुम्हारे चेहरे और होंठो पर लग गया है……

मैने नेहा के सर को पकड़ कर अपनी तरफ झुकाते हुए उसके होंठो को अपने होंठो मे लेकर चूसना शुरू कर दिया….अगले ही पल नेहा अपने सीट से उठ कर मेरी गोद मे आ चुकी थी….नेहा ने अपनी साड़ी को पेटिकॉट समेत अपनी जाँघो तक चढ़ा लिया था….”तुषार जल्दी अपनी पेंट खोलो…” नेहा ने अपनी साड़ी और पेटिकॉट को ऊपर उठाते हुए कहा….मैने जल्दी से अपनी पेंट को खोला और अंडरवेर समेत अपनी पेंट को नीचे सरका दिया….लंड तो पहले से ही खड़ा था…..जैसे ही मेरा लंड बाहर आया, नेहा ने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट कर दिया…..

“ओह्ह्ह्ह तुषार तुम घर चलो ना……एंजाय करेंगे सारी रात………” नेहा ने सिसकते हुए कहा….

.” वो मॅम घर पर जाना है….घर वाले अलाव नही करेंगे…..” अब तक मेरा लंड नेहा की चूत मे समा चुका था….और वो धीरे-2 ऊपर नीचे होने लगी थी….हम ने 10 मिनिट तक ऐसे ही सेक्स किया….और फिर मे कार से निकल कर अपनी बाइक से घर पहुँचा……
 
मैने नेहा के सर को पकड़ कर अपनी तरफ झुकाते हुए उसके होंठो को अपने होंठो मे लेकर चूसना शुरू कर दिया….अगले ही पल नेहा अपने सीट से उठ कर मेरी गोद मे आ चुकी थी….नेहा ने अपनी साड़ी को पेटिकॉट समेत अपनी जाँघो तक चढ़ा लिया था….”तुषार जल्दी अपनी पेंट खोलो…” नेहा ने अपनी साड़ी और पेटिकॉट को ऊपर उठाते हुए कहा….मैने जल्दी से अपनी पेंट को खोला और अंडरवेर समेत अपनी पेंट को नीचे सरका दिया….लंड तो पहले से ही खड़ा था…..जैसे ही मेरा लंड बाहर आया, नेहा ने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट कर दिया…..

“ओह्ह्ह्ह तुषार तुम घर चलो ना……एंजाय करेंगे सारी रात………” नेहा ने सिसकते हुए कहा….

.” वो मॅम घर पर जाना है….घर वाले अलाव नही करेंगे…..” अब तक मेरा लंड नेहा की चूत मे समा चुका था….और वो धीरे-2 ऊपर नीचे होने लगी थी….हम ने 10 मिनिट तक ऐसे ही सेक्स किया….और फिर मे कार से निकल कर अपनी बाइक से घर पहुँचा……

दोस्तो घबराने के ज़रूरत नही है……इस सेसन को इस लिए पूरा डिस्क्राइब नही किया….क्योंकि इसके बाद तो असली स्टोरी शुरू होती है….दोस्तो उस दिन के बाद मे नेहा और मेरा अफेर कोई 2 महीने ही चला और इन दो महीनो में मैने उसे 10 बार चोदा होगा…..एक दिन जब मे ऑफीस पहुँचा तो मुझे अपने स्टाफ से ही पता चला कि, नेहा और बॉस एक दूसरे से डाइवोर्स ले रहे थे……ये न्यूज़ सुन कर मुझे बहुत शॉक लगा…..उस दिन मुझे दोपहर को नेहा का फोन आया…..उसने मुझे मिलने के लिए एक रेस्टोरेंट मे बुलाया….जब मे उसे मिलने गया तो उसने मुझे सारी बात बताई…..

दरअसल बात ये थी कि, नेहा को अपने पति का अपनी फ्रेंड के साथ अफेर का पता चल गया था….और नेहा का एक पुराना लवर जो उसे कलाज टाइम से जानता था….वो उसे दोबारा मिल गया था….उस आदमी की पत्नी की डेत हो गयी थी…..इसलिए अब डाइवोर्स के बाद उसी से शादी करने वाली थी…..खैर वो मेरे लिए एक भावनात्मक पल था….नेहा मेरी लाइफ मे पहली औरत थी……

एक तो मेरी लाइफ मे ये एक बड़ा टर्निंग पॉइंट था….और दूसरा टर्निंग पॉइंट मेरा मेरे घर पर इत्ज़ार कर रहा था……जब घर पहुँचा तो पता चला कि, मेरे पापा और मामा जी मिल कर नया बिज़्नेस शुरू कर रहे है….इसीलिए वो वही शिफ्ट हो रहे है……पर मैने वहाँ जाने से मना कर दिया….क्योंकि मे अपनी जॉब नही छोड़ना चाहता था…..और दिल मे एक उम्मीद ये भी थी….कि नेहा दोबारा मुझसे वो रिस्ता ज़रूर जोड़ेगी…..

एक महीने के बाद मेरी पूरी फॅमिली वहाँ सेट्ल हो गयी….हमारा जो पुराना घर था…..पापा ने उसे बेच दिया था……जब हम ने पुराना घर खरीदा था….तब वो कॉलोनी नयी बनी थी….पर वक़्त के साथ -2 कॉलोनी डेवेलप हो गयी थी…..इसीलिए उसकी अच्छी ख़ासी कमीत मिल गयी थी….जिससे पापा ने उस कॉलोनी से बाहर एक नयी कॉलोनी मे मेरे लिए 100 गज घर खरीद दिया था…..वो घर भी डबल स्टोरी था…..पर ऊपर वाली मंज़िल पर सिर्फ़ एक रूम किचन था….और आगे गली की तरफ ऊपर एक बाथरूम टाय्लेट भी था…..

नीचे दो रूम थे…..किचन था टाय्लेट बाथरूम भी था……पर उस घर मे मुझे अकेला रहना था….इसीलिए मैने डिसाइड किया कि, मे ऊपर वाले रूम मे ही अपना तामझाम सेट करूँगा…..जिंदगी अपनी रफतार से चल रही थी…..अब मे अकेला ही रहता था….रात को मम्मी पापा से फोन पर बात कर लेता था…..दिन इसी तरह गुजर रहे थे…….एक दिन जब मे सुबह घर से ऑफीस के लिए निकल ही रहा था कि, मेरे मोबाइल बजने लगा…मैने अपना मोबाइल देखा तो अननोन नंबर था…..जब कॉल रिसिव की तो मेरे ख़ुसी का कोई ठिकाना नही रहा……नेहा की कॉल थी……उससे कुछ देर बाते हुई, फिर उसने मुझे अपने पति की कंपनी को जाय्न करने के लिए कहा….उसके पति का बिज़्नेस काफ़ी फैला हुआ था…..

इसीलिए उन्हे एक भरोसेमंद आदमी की ज़रूरत थी…..मुझे सॅलरी पॅकेज बहुत अच्छा लगा….इसीलिए मे उनकी कंपनी मे इंटरव्यू देने चला गया…..उसके नये हज़्बेंड ने मुझे सेलेक्ट भी कर लिया….10000 रुपये महीना कमाने वाला ये तुषार अब उसकी कंपनी के एक यूनिट का मॅनेजर बन गया था…जाते ही मुझे 65000 महीने सॅलरी मिलनी शुरू हो गयी थी…..दोस्तो अब मे आपको यहाँ बता दूं कि, उस समय मुझे कोई दारू बाजी या रंडी बाजी का बिल्कुल भी शॉंक नही था…..इसलिए मेरा खरचा बहुत ही लिमिटेड था…..घर भी अपना था….इसलिए रेंट की टेन्षन नही थी….इतनी कम उम्र मे भी मे इतना कमाने लगा था…. कि, शायद मेरे पापा ने भी इतने पैसे ना कमाए हो……..और ऊपर से भले ही मेरे और नेहा के बीच अब पहले वाला रिस्ता नही था….पर उसकी मेहरबानियाँ अब भी मेरे ऊपर जारी है…..पर अब वो मुझसे नॉर्मली बिहेव करती थी….उधर पापा का बिज़्नेस भी चल पड़ा था….और मेरे 18 साल के होने तक मैने इंडस्ट्री एरिया मे एक प्लॉट खरीद लिया था……जिसमे कुल 20 रूम थे…..10 ऊपर और 10 नीचे छोटे -2 रूम्स थे…….

उन सभी मे पहले ही वो किराए दार रहते थे…..जो यूपी और बिहार के छोटे-2 गाओं से यहाँ पैसे कमाने के लिए आए हुए थे……मेरी आमदनी दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी….पर दोस्तो कहते है ना किस्मत कब पलटी खाए….कुछ कहा नही जा सकता….ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ…..एक दिन किसी ओफ्फिसियल काम को लेकर मेरे और नेहा के पति के बीच बहस हो गयी….और मैने गुस्से मे आकर जॉब छोड़ दी. अब एक बार मे फिर से ज़मीन पर था……पर शायद मेरे उस फैंसले के वजे से मेरे पास इतनी इनकम का सोर्स था कि, मे घर पर बैठ कर ही खा सकता था…..

मंत मे एक बार उस घर के किरायेदारो से किराया लेने जाना होता था……हां तो दोस्तो अब मे एक आवारा खुला सांड़ हो गया था…..मेरे रूटीन अब बिल्कुल आवारा सांड जैसे हो गये थे….खा पी लिया और सो गये….बस यही रूटीन चल रहा था……पापा ने मुझे अपने पास आने के लिए कहा….पर नज़ाने क्यों मैने मना कर दिया……कुछ 15-20 दिन मे अपनी ही धुन मे रहा…..ना किसी यार दोस्त से कॉंटॅक्ट और ना ही किसी से बोलचाल….हां कभी-2 सेक्स के लिए दिल मचलने लगता था…..तो दोस्तो फिर वो दिन आया जिस दिन से मेरा दुनिया को देखने का नज़रिया बदल गया……

हुआ कुछ ऐसा था कि, एक दिन जब मे सुबह उठा और बाथरूम मे गया फ्रेश होकर ब्रश करने लगा….मेरी आदत है कि ब्रश करते हुए मे इधर उधर टहलता हुआ घर से बाहर अपने गेट के सामने अककर खड़ा हो जाता था……उस दिन भी अपने घर से बाहर खड़ा ब्रश कर रहा था…. तभी मेरे घर के बिल्कुल साथ वाले घर का गेट खुला और एक औरत उसमे से बाहर आई……जैसे कि मे पंजाब का रहने वाला हूँ….तो मे पंजाबी और यूपी और बिहार वाले साइड के लोगो को देख कर ही पहचान जाता हूँ……वो औरत यूपी से बिलॉंग करती थी…..उसको देखते ही पता चल गया…..उसके साथ एक छोटा बच्चा भी था…..जिसने स्कूल की यूनिफॉर्म पहनी हुई थी…..वो उसे स्कूल छोड़ने जा रही थी……

उस दिन मैने उसको पहली बार देखा था……क्योंकि मैने उस घर से कभी किसी की आवाज़ तक नही सुनी थी….इसलिए कभी इस ओर ध्यान नही दिया था….मेरे पड़ोस के घर मे कॉन रहता है. दरअसल उन्हे यहाँ आए हुए भी कुछ ही महीने हुए थी….इसलिए उनकी ज़्यादा बोलचाल आसपास के लोगो के साथ नही थी…..उस दिन कई दिनो के बाद मेरा किसी औरत को देख कर लंड खड़ा हुआ था…..एक दम मस्त माल थी…..उसके ब्लाउस मे तनी हुई चुचियाँ देखते ही बनती थी…..कुदरत ने बहुत ही खूबसूरत दो अनमोल रतन दिए थे उसे ……हाइट ज़्यादा नही थी….5फुट 2 इंच के करीब ही होगी. कमर पतली थी……नैन नख्श एक दम तीखे थे……गान्ड पीछे से हल्की से बाहर निकली हुई थी.

जिसे देखते ही मेरे लंड ने उसे सलामी ठोकी थी….…..खैर वो चली गयी….उसने मुझे नही देखा था….मे ब्रश करता हुआ अंदर आया शवर लिया….और फिर अपना शॉर्ट और टी-शर्ट पहन कर बाहर ऊपर छत पर पर बैठ गया…..क्योंकि सर्दियों के दिन शुरू हुए थे…..इसलिए धूप मे बैठना अच्छा लगता था… दोस्तो मे यहाँ बता दूं कि, पिछले दो महीनो से मे फ्री था….

और फ्री रह कर सांड़ की तरह ख़ाता रहा था…..और सांड़ की तरह ही मेरी बॉडी हो गयी थी…..मे ऊपर बैठा सोच रहा था कि, काश ये माल मुझे एक बार चोदने के लिए मिल जाए तो मज़ा आ जाए…पर कैसे क्या करूँ कि उसके दोनो कबूतरो को मे अपने हाथो मे लेकर मसल सकूँ…मेरी तो उसके और उसके परिवार के साथ कोई बोल चाल भी नही थी….दोस्तो अब मे आपको फिर से वो बता दूं कि, मे ऐसा इंसान हूँ कि, जिसके ऊपर मेरे नज़र पड़ जाए…..और जो चीज़ मेरे दिल को भा जाए उसे पाने की मे पूरी कॉसिश करता था….

अब मे उसको चोदने के तरीके पर सोचने लगा…..बहुत सोच समझ कर भी जब कुछ हल निकलता नज़र नही आया तो, सोचा पहले ये पता किया जाए….ये लोग कॉन है कहाँ से आए हुए है….क्या करते है. घर मे कितने लोग है…..कोई मेरे उम्र का लड़का है…..जिसके साथ मे दोस्ती करके इसके घर के सदस्यों के नज़दीक जा सकूँ…..तो दोस्तो उसी दिन से मैने अपनी करवाही शुरू कर दी….गली के कुछ दोस्तो से पता चला कि ये लोग 6 महीने पहले यहाँ आए थे…..घर मे सिर्फ़ 4 लोग है….एक तो जिसको मैने देखा था वीना….और उसका पति कमलेश एक बेटी अनु….जो घर पर ही रहती है…उम्र करीब ****5 ..और एक छोटा बेटा…जिसे मैने सुबह उसके साथ स्कूल जाते हुए देखा था….

मेरा पहला प्लान तो फेल हो चुका था….घर मे कोई लड़का नही था….जिससे मे दोस्ती कर सकता….अब मुझे आगे के बारे मे सोचना था…..ले देकर अब मे एक बार फिर से वही पर था….जहाँ से शुरू किया था….मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था कि, मे क्या करू…..पर अभी भी उसकी मटकती हुई गान्ड और तनी हुई चुचियाँ मेरे दिमाग़ मे तस्वीर की तरह छपी हुई थी……उस दिन इतना दिमाग़ खराब हुआ कि, क्या बताऊ यारो….उस दिन सुबह 10 बजे मैने उसके पति को भी घर से निकल कर साइकल पर काम पर जाते हुए देखा…..
 
शाम को मेरे दोस्त का मुझे फोन आया....बहुत पुराना दोस्त था….स्कूल टाइम से…….उसका नाम विशाल है…..मैने कॉल पिक की……”हां बे साले आज कैसे याद कर लिया तूने अपने इस ग़रीब दोस्त को….” मैने कॉल पिक करते ही कहा……

.”यार अगर मे याद नही करता तो तुम कॉन से रोज मुझे मिलने आते हो. कहाँ रहता है आज कल कल तेरे घर पर गया था…तो पता चला कि तुमने वहाँ से मकान बेच दिया है…….”

मे: हां यार वो घर बेच दिया है….नया घर लिया है…..

विशाल: कहाँ पर…..

मे: यार उस घर से थोड़ा आगे नई कॉलोनी कटी है वही पर…..

विशाल: और हां सुना है, कि तुम्हारे घर वाले ***** सिटी मे चले गये है….तो क्या तू वहाँ पर अकेला रह रहा है…..

मे: हां अकेला रह रहा हूँ……

विशाल: यार ऐश है तेरी किसी की रोक टोक नही……चल यार आजा नये घर की ख़ुसी मे पार्टी करते है.

मे: चल ठीक है बोल कहाँ मिलना है…..

विशाल: वही अपने पुराने अड्डे पर…..

मे: विशाल तुझे तो पता है मे पीता नही हूँ…..

विशाल: तो साले मे कॉन से कह रहा हूँ कि तू भी पीना….चल तू वहाँ बैठ कर कोल्ड्रींक ही पे लेना……(उसने हंसते हुए कहा…..)

मे: चल ठीक है मे थोड़ी देर मे पहुँचता हूँ……

उसके बाद मे तैयार हुआ और उस अहाते मे पहुँच गया….जहाँ पर अक्सर वो बैठ कर दारू पीता था…. वहाँ पर मुझे विशाल मिला ढेरो बातें हुई….उसने अपनी व्हिश्कि मँगवाई और मेरे लिए कोल्ड्रींक और साथ मे चिकन भी ऑर्डर किया…..”यार तू तो बहुत तगड़ा हो गया सांड़ की तरह…..क्या बात है..” उसने अपना पेग उठाते हुए कहा…..

”कुछ नही यार आज कल फ्री हूँ…..खाने और सोने के सिवाए कोई काम नही है…..इसलिए थोड़ा वेट बढ़ गया है….”

विशाल: नही यार अच्छा लगती है तेरे बॉडी अब…….

हम ऐसे ही इधर उधर की बाते कर रहे थे….घर जाने की भी जल्दी नही थी…..रात के 9 बज गये थे….पर अहाते मे अब लोगो की गिनती बढ़ने लगी थी…..तभी मेरी नज़र अपने से कुछ दूर बैठे हुए उस आदमी पर पड़ी…जो वीना का पति था…..वो उस समय कोई देसी दारू चढ़ा रहा था… तभी बैठे-2 मेरे दिमाग़ मे एक प्लान आया…..” यार ये दारू का टेस्ट कैसा होता है….” मैने विशाल की ओर देखते हुए कहा…..

विशाल: क्यों बे तेरा भी दिल कर रहा है पीना है क्या……?

मे: हां यार सोच रहा हूँ एक बार ट्राइ करके देखु…..

विशाल: श्योर ?

मे: हां….

विशाल ने मुस्कुराते हुए एक ग्लास उठाया और एक पेग बना कर मुझे दिया…..”थोड़ा कड़वा होता है यार…..पर जब ये एक बार अंदर चली जाती है तो फिर पूछ मत यार…..सारी दुनिया अपनी लगने लग जाती है….” उसने हंसते हुए कहा….

.”अच्छा तो फिर तो एक बार ट्राइ करके देख ही लेता हूँ….” मैने एक घूँट भरा…थोड़ा सा ठनका लगा पर फिर अगली बार एक ही घूँट मे पेग खाली कर दिया….”सबाश मेरे शेर..” विशाल ने खुश होते हुए कहा….

” माँ की चूत बेहन्चोद…” मैने मन ही मन कहा…. पहली बार तो सब को टेस्ट खराब लगता ही है…..

खैर दो पेग के बाद ऐसा सरूर चढ़ा कि पूछो ही मत…..मे एक दम मस्त हो चुका था…अब मेरे दिमाग़ मे सिर्फ़ एक ही बात थी….कि वीना के पति को कैसे भी करके अपना दोस्त बनाना है…..अगली सुबह जब मे उठा तो मेरे दिमाग़ मे फूल्लतू प्लान था….मे फ्रेश हुआ और ब्रश करते हुए एक खाली बालटी उठाई और घर से बाहर आया…..और उनके घर का गेट नॉक किया…डोर बेल नही थी…..थोड़ी देर बाद जैसी कि मुझे उम्मीद थी…उसके पति कमलेश ने ही गेट खोला…

.”जी” उसने मेरी ओर देखते हुए कहा….. 

“यार वो मेरे घर पर पानी नही आ रहा…..एक बालटी पानी मिल जाएगा….मे ये पड़ोस मे रहता हूँ….”

कमलेश: जी क्यों नही……उसने झुकते हुए कहा…..आए ना अंदर आए…..

मे: नही मे यही ठीक हूँ…आप भर कर बाहर ही ला दीजिए….

कमलेश अंदर गया और थोड़ी देर बाद बालटी पानी से भर कर बाहर ले आया…

.”शुक्रिया भाई साहब….वैसे आपका नाम क्या है….” मैने उसकी ओर देखते हुए कहा…

.”जी मेरा नाम कमलेश है…”

“और मेरा नाम तुषार है…..” मे पानी लेकर घर आ गया…..एक काम तो हो गया था….अब आगे क्या करना है….वो भी पहले से ही दिमाग़ मे फिट था…..अब मे रात के इंतजार मे था…..रात को 8 बजे मे तैयार होकर घर से निकला रास्ते मे एटीम से पैसे निकलवाए….और उसी अहाते पर पहुँच गया…..यहाँ मे पिछली रात बैठा था…..मे इस उम्मीद के साथ वहाँ आया था कि, शायद आज भी कमलेश दारू पीने वहाँ ज़रूर आएगा……

और मेरा यकीन उसी पल पक्का हो गया….जब 8:30 बजे मेने उसको अहाते के अंदर आते हुए देखा….उसने मेरी तरफ नही देखा था….और वो दूसरे टेबल पर जैसे ही बैठने लगा तो मैने उसे आवाज़ लगा दी…..”कमलेश भाई इधर……” उसने अपना नाम सुन कर पीछे मूड कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए मेरे पास आ गया….”ओह्ह तुषार भाई आप…..”

मे: हां कमलेश भाई…..आज दारू पीने का मूड था….इसलिए चला आया….आइए बैठिए ना साथ मे बैठ कर पेग लगाते है….

कमलेश: भाई आपको कोई दिक्कत तो नही होगी….

मे: यार इसमे दिक्कत वाली क्या बात है…..

कमलेश: वो क्या है ना भाई……कहाँ आप बड़े लोग और कहाँ हम ग़रीब…..आपके पीने का ढंग मुझसे अलग होगा…..

मे: यार कोई बात नही बैठो तो सही…..जैसे तुम्हारा दिल करे वैसे पीना…..
 
कमलेश: भाई आपको कोई दिक्कत तो नही होगी….

मे: यार इसमे दिक्कत वाली क्या बात है…..

कमलेश: वो क्या है ना भाई……कहाँ आप बड़े लोग और कहाँ हम ग़रीब…..आपके पीने का ढंग मुझसे अलग होगा…..

मे: यार कोई बात नही बैठो तो सही…..जैसे तुम्हारा दिल करे वैसे पीना…..

कमलेश मेरे साथ बैठ गया….मैने पहले से हाफ ले रखा था विस्की का …..पर उसने भी पहले से देसी दारू का कर्टर लिया हुआ था….”यार आज तुम ये पी कर देखो….अँग्रेज़ी है…..” मैने उसको बॉटल दिखाते हुए कहा….

.”नही भाई….फिर इसका क्या करूँगा….आप शुरू करो…अगर ये ख़तम होने के बाद भी दिल करेगा तो आपकी बोतल से भी एक पेग लगा लूँगा…..” उसने अपनी दारू के कर्टर को खोलते हुए कहा……फिर क्या था….पेग्स का दोर शुरू हो गया था….उसने अपना कर्टर सिर्फ़ दो ही पेग मे ख़तम कर दिया था…और मैने अभी तक आधा पेग भी नही ख़तम किया था….

जैसा कि मुझे यकीन था…..कमलेश एक नंबर का पियाक्कड इंसान निकाला……उसने मेरी बॉटल से भी दो बड़े-2 पेग मार लिए थे…..मुफ़्त की दारू देख कर वो अपनी हद से ज़्यादा ही पी गया था..इतनी कि जब हम जाने के लिए खड़े हुए तो उससे खड़ा भी नही हुआ जा रहा था…..मैने उस अहाते वाले से बात की और उसकी साइकल को उसके अहाते के अंदर ही खड़ा कर दिया….और उसको दो आदमियों की मदद से अपनी बाइक के पीछे बैठाया….और धीरे-2 बाइक चला कर किसी तरह घर तक पहुँचा…..

मैने बाइक स्टॅंड पर लगाई और उसको बाइक से नीचे उतारा….और उसको कंधे का सहारा देते हुए उसके घर के गेट के पास पहुँचा….और गेट नॉक किया….तभी अंदर से मुझे वीना की आवाज़ आई…..”आ रही हूँ..” मे वेट करने लगा….क्योंकि कमलेश तो बेसूध मेरे कंधे के साथ लटका हुआ था….और जैसे ही वीना ने डोर खोला तो वो मुझे कमलेश को इस तरह पकड़े देख कर एक दम से घबरा गयी….” क्या हुआ इन्हे….अनु जल्दी आ…..” वो बेहद घबरा गयी थी

……”कुछ नही हुआ….वो इन्होने ज़्यादा दारू पी ली थी…..” मैने उसको अंदर ले जाते हुए कहा…..तभी वीना की लड़की अनु भी अंदर से भागी चली आई…वो मुझे और अपने पापा को इस हालत मे देख कर एक दम सहम सी गयी थी….

पर मैने अभी अनु की तरफ ध्यान नही दिया था…..मैने कमलेश को अंदर जाकर एक चारपाई पर लेटा दिया…..और रूम से बाहर आकर आँगन मे खड़ा हो गया….थोड़ी देर बाद वीना बाहर आई…. “बहुत बहुत शुक्रिया आपका…..पर आप कॉन है….क्या आप भी इनके साथ फॅक्टरी मे काम करते है….”

मे: नही नही….वो दरअसल मे आपके पड़ोस मे रहता हूँ…..आज मे अपने दोस्त के साथ अहाते मे गया था….ये वहाँ मुझे मिले थे….इन्होने ज़्यादा पी रखी थी….आज सुबह जब मे आपके घर पानी लेने के लिए आया था…..तब मे इनसे मिला था……

वीना: ओह्ह तो आप सुबह पानी लेने आए थे….

मे: जी…….

वीना: आप बैठिए ना…..मे चाइ बनाती हूँ…..

मे: नही अब मे चलता हूँ….वैसे भी मे इस समय चाइ नही पीता….मेरे खाने का वक़्त हो गया है…..

वीना: तो खाना खा कर चले जाएगा….आप हमारे पड़ोसी हो…और पहली बार हमारे घर के अंदर आए हो….ऐसे नही जा सकते आप…..

मे: नही वो मे खाना बाहर से ही लेकर आता हूँ…..तो वो खराब हो जाएगा…..

वीना: क्यों बाहर से खाना क्यों लाते हो….घर पर पकाने वाला नही है कोई….

मे: नही वो मेरा परिवार ***** सहर मे रहता है……मे यहाँ अकेला रहता हूँ…..

वीना: ओह्ह अच्छा….वैसे आपने बहुत बड़ा उपकर किया है हम ग़रीबो पर…..पर एक ये है कि, इन्हे अपने घर बार की कोई चिंता ही नही…..

मे उसके घर से निकल कर बाहर आ गया….जब मे बाहर आया तो वो बाहर गेट की दहलीज पर खड़ी होकर मुझे देख रही थी…..मैने घर का लॉक खोला और बाइक स्टार्ट करके घर के अंदर कर दी…अब तक तो जैसे मैने सोचा था....वैसे ही हो रहा था.....और मेरी किस्मत भी मेरा साथ दे रही थी....मे उस रात वीना के बारे मे सोचते हुए सो गया....अगली सुबह मे उठा और फ्रेश होकर ब्रश करते हुए नीचे आया गेट खोला और गेट के बाहर खड़े होकर ब्रश करने लगा....तो देखा कि कमलेश गेट पर ही खड़ा था....मुझे देखते ही वो मेरे पास आया...और थोड़ा सा झुकते हुए बोला...."बहुत -2 शुक्रिया तुषार भाई....और कल के लिए मे माफी भी चाहता हूँ.....कल आपको मेरी वजह से परेशानी उठानी पड़ी...

मे: कोई बात नही कमलेश भाई....आप फिकर ना करें....

कमलेश: अच्छा भाई एक बात बताओ वो मेरी साइकल कहाँ है...मुझे ड्यूटी पर भी जाना है....

मे: हां वो जाते हुए उस अहाते से ले लेना....वही रखवा दी थी...

कमलेश: भाई कल इतनी पी ली थी कि, खुद का होश नही था....तो साइकल का कहाँ से रहता.....आए ना अंदर चाइ पी लीजिए.....

मे: नही भाई अभी तो मुझे नहाना भी है....

उसके बाद कमलेश अंदर चला गया.....और मे भी अंदर आ गया...नहा धो कर घर पर ही अंडे उबाले और दूध के साथ खाए....यही मेरा सिंपल सा नाश्ता था....मे काफ़ी देर तक ऊपर अपने रूम मे लेटा रहा.... मे नही चाहता था कि, मे कमलेश की नज़रों मे ज़्यादा आउ....और उसे ये पता चला कि, मे सारा दिन घर पर ही रहता हूँ....और किसी वजह से उसको मेरे ऊपर शक हो....

10 बज चुके थे....मे जानता था कि, कमलेश ड्यूटी पर चला गया होगा... इसलिए मे रूम से बाहर आया.....बाहर आकर गली की तरफ वाली बाउड्री के पास खड़ा हो गया....मे दिल ही दिल मे सोच रहा था कि, काश वीना ऊपर आ जाए....और बात को आगे बढ़ाने का कुछ मोका मिले....मे काफ़ी देर तक इंतजार करता रहा....पर ना तो वीना ही ऊपर आई और ना ही उसकी बेटी अनु....दोस्तो एक बार मे यहाँ फिर से अपने घर के नक्शे के बारे मे बता दूं टंकी के आपको संजने मे आसानी हो....

दोस्तो जैसे के मैने बताया की मेरे यूयेसेस घर मे दो फ्लोर थी....नीःे ग्राउंड फ्लोर पर दो रूम थी....पीछे एक बड़ा रूम था....और उस रूम से आगे किचन था....किचन के ठीक सामने लेफ्ट साइड मे गेट था.....और गेट के दूसरी यानी राइट साइड मे एक और रूम था....और उस रूम से पहले किचन से थोड़ा सा आगे बाथरूम और टाय्लेट था.....और साथ ही ऊपर जाने के लिए सीडीयाँ थी....

और ऊपर पीछे की तरफ ही एक रूम था....रूम से आगे किचन और फिर उसके आगे थोड़ी जगह खाली जगह छोड़ कर बाथरूम और टाय्लेट था....किचन बाथरूम और टाय्लेट तीनो एक ही लाइन मे थे....और बीच मे ऊपर आने वाली सीडीयाँ थी.....जिस तरफ ये तीनो चीज़े थी....उस तरफ के पड़ोस के घर से कोई मेरे घर की तरफ नही झाँक सकता था....

पर जिस तरफ वीना का घर था....उस तरफ सिर्फ़ 4 इंच की बाउंड्री बीच मे थी....जो रूम और बरामदे से आगे थी....मतलब सॉफ है कि, हम दोनो एक दूसरे के घरो की छत पर देख सकते थे...चलिए बहुत हो गया....अब फिर से स्टोरी की तरफ चलते है....जब काफ़ी देर तक वीना ऊपर नही आई तो मे अंदर आकर बेड पर लेट गया...लेटने से पहले टीवी ऑन कर लिया था...मैने करीब 1 घंटे तक टीवी देखा और फिर टीवी बंद करके फिर से बाहर आ गया.....

पर इस बार मे जैसे ही बाहर आया तो देखा वीना अपने घर की छत पर धोए हुए कपड़े सुखाने के लिए छत पर लगी तार पर डाल रहे थी....जैसे ही उसने मेरी तरफ देखा तो उसने होंठो पर मुस्कान लाते हुए सर को हिलाया....."नमस्ते......" और फिर उसने मुझे नमस्ते कहा....तो मैने भी जवाब दिया...मे दोनो छतो के बीच मे बनी हुई बौंडरी के साथ लगी हुई चेयर पर बैठ गया....

और वीना को देखने लगा...वो अपने काम मे बिज़ी थी....तभी रूम मे पड़ा हुआ मेरा मोबाइल बजने लगा....मे चेयर से उठ कर रूम मे गया और मोबाइल उठा कर देखा तो मम्मी का फोन था....मे मम्मी पापा और छोटे भाई के साथ बातें करने मे बिज़ी हो गया...

करीब 20 मिनिट बात करने के बाद जब मे बाहर आया तो देखा कि, वीना नीचे जा चुकी थी.....उसकी छत पर एक सिरे से दुरसे सिरे तक जो तार कपड़े सुखाने के लिए बाँध रखी थी....वो पूरी भरी हुई थी....और तार पर और जगह ना होने के कारण उसने कुछ कपड़े दोनो घर के बीच वाली बाउंड्री पर डाल दिए थे.....

और उसी बाउंड्री पर उसकी वो साड़ी भी थी....जो उसने कल रात पहनी हुई थी...मेने कुछ देर और देखा पर वीना ऊपर नही आए तो मे जैसे ही वापिस अपने रूम मे जाने लगा तो मेरा ध्यान उस साड़ी के नीचे पड़ी हुई चीज़ पर गया....जैसे ही मैने साड़ी को थोड़ा सा ऊपर उठाया तो मेरे लंड ने शॉर्ट मे ज़ोर का झटका खाया....नीचे उसकी काले रंग की ब्रा और पैंटी पड़ी हुई थी....मैने उसकी छत की तरफ देखा और थोड़ा सा घबराते हुए उसकी ब्रा को उठा कर देखा तो उस पर साइज़ का टॅग लगा हुआ था.....36 डी क्या बड़े-2 मम्मे हैं मेरे दोस्त....

फिर मैने उसकी पैंटी को उठा कर कुछ देर देखा और फिर वही वापिस रख दी....मे वीना के बारे मे कुछ ज़्यादा जानता नही था....पर मुझे ऐसा लग रहा था कि, वीना एक बहुत ही समझदार औरत है....और अपनी मान मर्यादा मे रहने वाली औरत है....मैने उसको पहले कभी घर के बाहर या छत पर नही देखा था....मुझे लग रहा था कि, शायद मे उसे पाने मे नाकामयाब हो जाउन्गा......
 
मेने उसकी ब्रा और पैंटी वैसे ही साड़ी के नीचे रख दी और अपने रूम मे चला आया...और फिर सो गया....2 घंटे बाद जब मेरी आँख खुली तो मे उठ कर बाहर आया...तो देखा कपड़े अभी भी कुछ गीले थे और ऊपर छत पर ही थे....क्योंकि सर्दियाँ अब शुरू हो चुकी थी...इसीलिए धूप कम तेज होने के कारण कपड़े देर से सुखते थे.... मे वही दीवार के पास चेयर पर बैठ गया.......

मे जानता था कि, अगर मेरे जल्द ही कुछ नही किया तो.....मुझे वीना से बात करने के लिए भी मोका ढूँढना मुस्किल हो जाएगा...क्योंकि कल उसके पति को घर छोड़ा था....तो इसका मतलब ये नही था कि, वो उस बात को लेकर बार- 2 मेरा शुक्रिया अदा करने के बहाने से बात करे....और वीना के नेचर को देख कर भी ऐसा लग रहा था....कि वो बिना किसी वजह से कम ही बात करती होगी.....

अचानक बैठे-2 मेरे दिमाग़ मे कुछ आया....और मेने उठ कर उसकी साड़ी के नीचे वो ब्लॅक कलर की ब्रा और पैंटी निकाली और अपनी छत की तरफ दीवार के पास नीचे फेंक दी.....और फिर से चेयर पर बैठ गया....और अपने सामने रखे हुए स्टूल पर अपने पैर उठा कर रख कर पीछे की तरफ अपनी पीठ टिका कर अपनी आँखे बंद करके लेट गया...और सोने की आक्टिंग करने लगा.....अब मेरे पास वेट करने के अलावा और कोई चारा नही था...और जब तक वीना ऊपर कपड़े लेने नही आ जाती तब तक मे वहाँ से हिल भी नही सकता था.....

मेरी चेयर से कुछ ही दूरी पर उसकी ब्रा और पैंटी नीचे पड़ी हुई थी.....और मे उसके ऊपर आने का वेट कर रहा था....इंताजार काफ़ी लंबा हो गया था…..पर कहते है ना सबर का फल मीठा होता है और उसी कहावत को याद करके मे वहाँ बैठा हुआ था…..करीब 1 घंटे बाद मुझे उसकी सीडीयों से किसी के ऊपर आने की आहट सुनाई डी….मैने उस तरफ देखा तो वीना छत पर आ चुकी थी….मैने उसी पल अपनी आँखे बंद कर ली…..वो तार पर से कपड़े उतारने लगी….अब मे वेट कर रहा था कि, कब वो बाउंड्री पर रखे हुए कपड़े उठाने आए…..

और जिस पल का मुझे बेसबरी से इंतजार था….वो आ ही गया….वो बाउंड्री के पास और कपड़े उतारने लगी….उसने सारे कपड़े उठा लिए थे….पर जैसे ही उसका ध्यान मेरे घर की तरफ नीचे गिरी हुई उसके ब्रा और पैंटी पर गया तो वो कुछ पल के लिए ठहर गयी….वो झुक कर अपनी ब्रा और पैंटी नही उठा सकती थी….क्योंकि साढ़े 4 फीट की बाउंड्री के दूसरी तरफ खड़े होकर झुक कर अपनी ब्रा और पैंटी उठाना उसके लिए ना मुनकीन था…..या तो वो मुझे आवाज़ देती और मुझे अपनी ब्रा और पैंटी जिसे वो अपनी चूत और मम्मों के ऊपर से पहनती थी….और मुझे उठाने के लिए कहती….

और या फिर वो खुद इस तरफ दीवार फाँद कर आती और खुद ही उठाती….पर क्योंकि मे ठीक उसी बाउंड्री के पास चेयर पर बैठा सोने की आक्टिंग कर रहा था….इसलिए उसे दीवार फान्दने की भी हिम्मत नही हो रही थी…..तभी उसने मुझे धीरे से पुकारा…..”सुनिए…..”

मे वैसे ही आँखे बंद करके लेटा रहा…

.”सुनिए…..” इस बार उसने थोड़ा उँचे स्वर मे कहा तो मैने ऐसे दिखाया जैसे मे अभी नींद से जागा हूँ….मैने उसकी तरफ देखा और चेयर से खड़े होते हुए पूछा….”जी कहिए…” मे जान बुझ कर नीचे की तरफ नही देख रहा था….

वीना: वो मेरी साड़ी नीचे गिर गयी है…..पकड़ा दीजिए ना….

मेने नीचे की तरफ देखा और मन ही मन उसके दिमाग़ की दाद दी….साली ने ब्रा और पैंटी के ऊपर जानबूज कर अपनी साड़ी फेंक दी थी…..कि जब मे उसी साड़ी उठा कर पकड़ा दूं तो साथ मे उसके ब्रा और पैंटी भी आ जाएगा…पर दिमाग़ लड़ाने मे तो मैं उसका भी उस्ताद था…मे साड़ी के पास गया और झुक कर साड़ी को ऐसे पकड़ा कि, साथ मे उसकी ब्रा और पैंटी ना आए…फिर मैने साड़ी उठाते ही ऊपर की तरफ फेस कर लिया…

और ऐसे दिखाया कि नीचे छूट गयी ब्रा और पैंटी मैने देखी ही ना हो….मैने उसकी तरफ साड़ी को बढ़ाया तो देखा कि उसके चेहरे पर अजीब से भाव थे. और वो थोड़ा शरमा भी रही थी….अब उसके पास और कोई चारा नही था….”जी वो भी उठा दीजिए….” उसने इशारा करते हुए कहा….जब मैने नीचे देखा तो उसकी ब्रा और पैंटी को देख कर अपने चेहरे पर भी ऐसे भाव ले आया….जैसे मे उसे देख कर नर्वस हो गया होऊ…..

मैने पहले उसकी ब्रा को उसके स्ट्रॅप्स से पकड़ कर उठाया और उसकी तरफ बढ़ाया….तो उसने अपनी नज़रें झुकाते हुए ब्रा को मेरे हाथ से पकड़ लिया…और अपने दूसरे हाथ मे पकड़ी हुई साड़ी के नीचे छुपा लिया….अब उसके चेहरे पर शरम के मारे मे जो लाली आई थी वो सॉफ दिखाई दे रही थी….पर उसके होंठो पर कोई मुस्कुराहट नही थी….फिर मैने झुक कर उसकी पैंटी को उठाया….मैने पैंटी को नीचे से पकड़ा था…जिस हिस्से से चूत ढँकती है…उस हिस्से के बीच मे अपनी उंगली फँसा कर उठाते हुए उसके चेहरे के सामने ले आया…मेरी उंगली उसकी पैंटी के अंदर उस जगह थी….जहाँ पर उसकी वो पैंटी उसकी चूत के छेद को ढँकती होगी…

अपनी पैंटी को मेरे हाथ की उंगली मे ऐसे लटकते हुए देख उसका चेहरा और लाल हो गया….और उसने अपने सर को झुकाते हुए पैंटी की तरफ हाथ बढ़ाया…मे उसके चेहरे और उसके होंठो को बड़े गोर से देख रहा था….तभी मुझे उसके होंठो पर हल्की सी शर्माहट भरी मुस्कान नज़र आई..और अगले ही पल उसने अपनी पैंटी को पकड़ कर जल्दी से साड़ी के नीचे कर दिया….फिर उसने एक बार मेरी तरफ देखा तो मे मुस्कराते हुए उसकी ओर देख रहा था….उसके होंठो पर भी मुस्कान फैल गयी…और अगले ही पल वो तेज़ी से मूड कर नीचे के तरफ चली गयी…..
 
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