hotaks444
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पहली फुहार
सैयां जिन मांगो, ननदी, सैयां जिन मांगो, ननदी, सेज का सिंगार रे,
अरे, सैयां के बदले, अरे, सैयां के बदले, भैया दूंगी, चोदी चूत तुम्हार रे,
अरे, दिल खोल के मांगो, अरे बुर खोल के मांगो ननदी
अरे बुर खोल के मांगो ननदी जो मांगो सो दूंगी।
सोहर (पुत्र जन्म के अवसर पर गाये जाने वाले गाने) में, सावन में भाभी के मायके में मुझे ही टारगेट किया जा रहा था, आखिर मैं उनकी एकलौती छोटी ननद जो थी।
भाभी ने मुश्कुराते हुये पूछा-
“क्यों ननद रानी, मेरा कौन सा भाई पसंद है, अजय, सुनील, रवी या दिनेश… किससे चुदवाओगी…”
मेरे कुछ बोलने के पहले ही भाभी की अम्मा बोल पड़ी-
“अरे किससे क्या… चारों से चुदवायेगी। मेरी ये प्यारी बिन्नो सबका मन रखेगी…”
और यह कहते-कहते, मेरे गोरे, गुलाबी गालों पर चिकोटी काट ली।
मैं शर्म से लाल हो गयी।
हमारी हम उमर भाभी की छोटी कजिन, चन्दा ने मुझे फिर चिढ़ाया-
“मन-मन भाये, मूड़ हिलाये, मौका मिलते ही सटासट गप्प कर लोगी, अभी शर्मा रही हो…”
तब तक चन्दा की भाभी, चमेली भाभी ने दूसरा सोहर शुरू कर दिया, सब औरतें उनका साथ दे रही थीं।
कहां से आयी सोंठ, कहां से आया जीरा,
अरे, कहां से आयी ननदी हो मेरी गुंइयां।
अरे पटना से आयी सोंठ, बनारस से आया जीरा,
अरे आज़मगढ़ से, आयीं ननदी, हो मेरी गुंइयां।
क्या हुई सोंठ, क्या हुआ जीरा,
अरे क्या हुई ननदी, ओ मेरी गुंइयां।
अरे जच्चा ने खाई सोंठ, बच्चा ने, बच्चा ने खाया जीरा,
अरे, मेरे भैय्या ने, अरे, मेरे भैय्या ने चोदी ननदी रात मोरी गुंइयां।
अरे, मेरे देवर ने चोदी ननदी, हो मेरी गुंइयां, (भाभी ने जोड़ा।)
अरे राकी ने चोदी ननदी, हो मेरी गुंइयां, (भाभी की भाभी, चम्पा भाभी ने जोड़ा।)
जब भाभी की शादी हुई थी, तब मैं 10वें में पढ़ती थी, आज से करीब दो साल पहले . पर बरात में सबसे ज्यादा गालियां मुझे ही दी गयीं, आखिर एकलौती ननद जो थी, और उसी समय चन्दा से मेरी दोस्ती हो गई थी।
भाभी भी बस… गाली गाने और मजाक में तो अकेले वो सब पर भारी पड़ती थीं। पर शुरू से ही वो मेरा टांका किसी से भिड़वाने के चक्कर में पड़ गई।
शादी के बाद चौथी लेकर उनके घर से उनके कजिन, अजय और सुनील आये (वह एकलौती लड़की थीं, कोई सगे भाई बहन नहीं थे, चन्दा उनकी कजिन बहन थी और अजय, सुनील कजिन भाई थे, रवी और दिनेश पड़ोसी थे, पर घर की ही तरह थे।
वैसे भी गांव में, गांव के रिश्ते से सारी लड़कियां बहनें और बहुयें भाभी होती हैं)। उन दोनों के साथ भाभी ने मेरा नंबर…
दोनों वैसे भी बरात से ही मेरे दीवाने हो गये थे, पर अजय तो एकदम पीछे ही पड़ा था। रात में तो हद ही हो गई, जब भाभी ने दूध लेकर मुझे उनके कमरे में भेजा और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। पर कुछ ही दिनों में भाभी अपने देवर और मेरे कजिन रवीन्द्र से मेरा चक्कर चलवाने के…
रवीन्द्र मुझसे 4-5 साल बड़ा था, पढ़ाई में बहुत तेज था, और खूबसूरत भी था, पर बहुत शर्मीला था। पहले तो मजाक, मजाक में… हर गाली में मेरा नाम वह उसी के साथ जोड़तीं,
मेरी ननद रानी बड़ी हरजायी,
अरे गुड्डी छिनार बड़ी हरजायी,
हमरे देवर से नैना लड़ायें,
अरे रवीन्द्र से जुबना दबवायें, अरे जुबना दबवायें,
वो खूब चुदवायें।
पर धीरे-धीरे सीरीयसली वह मुझे उकसाती। अरे कब तक ऐसे बची रहोगी… घर का माल घर में… रवीन्द्र से करवाओगी तो किसी को पता भी नहीं चलेगा।
मुन्ने के होने पर जब मैंने भाभी से अपना नेग मांगा, तो उन्होंने बगल में बैठे रवीन्द्र की जांघों के बीच में मेरा हाथ जबर्दस्ती रखकर बोला- “ले लो, इससे अच्छा नेग नहीं हो सकता…”
“धत्त…” कहकर मैं भाग गई। और रवीन्द्र भी शर्मा के रह गया।
……
मुन्ने के होने पर, बरही में भाभी के मायके से, चन्दा भी आयी थी। हम लोगों ने उसे खूब चुन-चुन कर गाने सुनाये, और जो मैं सुनाने में शरमाती, वह मैंने औरों को चढ़ाकर सुनवाये-
“मुन्ने की मौसी बड़ी चुदवासी, चन्दा रानी बड़ी चुदवासी…”
एक माह बाद जब सावन लगा तो भाभी मुन्ने को लेकर मायके आयीं और साथ में मैं भी आयी।
“अरे राकी ने चोदी ननदी, रात मोरी गुंइयां…” चम्पा भाभी जोर-जोर से गा रही थीं।
किसी औरत ने भाभी से पूछा-
“अरे राकी से भी… बड़ी ताकत है तुम्हारी ननद में नीलू…”
“अरे, वह भी तो इस घर का मर्द है, वही क्यों घाटे में रह जाय…” चमेली भाभी बोलीं-
“और क्या तभी तो जब ये आयी तो कैसे प्यार से चूम चाट रहा था, बेचारे मेरे देवर तरसकर रह जाते हैं…” चम्पा भाभी ने छेड़ा।
“नहीं भाभी, मेरी सहेली बहुत अच्छी है, वह आपके देवरों का भी दिल रखेगी और राकी का भी, क्यों…” कहकर चन्दा ने मुझे जोर से पकड़ लिया।
सैयां जिन मांगो, ननदी, सैयां जिन मांगो, ननदी, सेज का सिंगार रे,
अरे, सैयां के बदले, अरे, सैयां के बदले, भैया दूंगी, चोदी चूत तुम्हार रे,
अरे, दिल खोल के मांगो, अरे बुर खोल के मांगो ननदी
अरे बुर खोल के मांगो ननदी जो मांगो सो दूंगी।
सोहर (पुत्र जन्म के अवसर पर गाये जाने वाले गाने) में, सावन में भाभी के मायके में मुझे ही टारगेट किया जा रहा था, आखिर मैं उनकी एकलौती छोटी ननद जो थी।
भाभी ने मुश्कुराते हुये पूछा-
“क्यों ननद रानी, मेरा कौन सा भाई पसंद है, अजय, सुनील, रवी या दिनेश… किससे चुदवाओगी…”
मेरे कुछ बोलने के पहले ही भाभी की अम्मा बोल पड़ी-
“अरे किससे क्या… चारों से चुदवायेगी। मेरी ये प्यारी बिन्नो सबका मन रखेगी…”
और यह कहते-कहते, मेरे गोरे, गुलाबी गालों पर चिकोटी काट ली।
मैं शर्म से लाल हो गयी।
हमारी हम उमर भाभी की छोटी कजिन, चन्दा ने मुझे फिर चिढ़ाया-
“मन-मन भाये, मूड़ हिलाये, मौका मिलते ही सटासट गप्प कर लोगी, अभी शर्मा रही हो…”
तब तक चन्दा की भाभी, चमेली भाभी ने दूसरा सोहर शुरू कर दिया, सब औरतें उनका साथ दे रही थीं।
कहां से आयी सोंठ, कहां से आया जीरा,
अरे, कहां से आयी ननदी हो मेरी गुंइयां।
अरे पटना से आयी सोंठ, बनारस से आया जीरा,
अरे आज़मगढ़ से, आयीं ननदी, हो मेरी गुंइयां।
क्या हुई सोंठ, क्या हुआ जीरा,
अरे क्या हुई ननदी, ओ मेरी गुंइयां।
अरे जच्चा ने खाई सोंठ, बच्चा ने, बच्चा ने खाया जीरा,
अरे, मेरे भैय्या ने, अरे, मेरे भैय्या ने चोदी ननदी रात मोरी गुंइयां।
अरे, मेरे देवर ने चोदी ननदी, हो मेरी गुंइयां, (भाभी ने जोड़ा।)
अरे राकी ने चोदी ननदी, हो मेरी गुंइयां, (भाभी की भाभी, चम्पा भाभी ने जोड़ा।)
जब भाभी की शादी हुई थी, तब मैं 10वें में पढ़ती थी, आज से करीब दो साल पहले . पर बरात में सबसे ज्यादा गालियां मुझे ही दी गयीं, आखिर एकलौती ननद जो थी, और उसी समय चन्दा से मेरी दोस्ती हो गई थी।
भाभी भी बस… गाली गाने और मजाक में तो अकेले वो सब पर भारी पड़ती थीं। पर शुरू से ही वो मेरा टांका किसी से भिड़वाने के चक्कर में पड़ गई।
शादी के बाद चौथी लेकर उनके घर से उनके कजिन, अजय और सुनील आये (वह एकलौती लड़की थीं, कोई सगे भाई बहन नहीं थे, चन्दा उनकी कजिन बहन थी और अजय, सुनील कजिन भाई थे, रवी और दिनेश पड़ोसी थे, पर घर की ही तरह थे।
वैसे भी गांव में, गांव के रिश्ते से सारी लड़कियां बहनें और बहुयें भाभी होती हैं)। उन दोनों के साथ भाभी ने मेरा नंबर…
दोनों वैसे भी बरात से ही मेरे दीवाने हो गये थे, पर अजय तो एकदम पीछे ही पड़ा था। रात में तो हद ही हो गई, जब भाभी ने दूध लेकर मुझे उनके कमरे में भेजा और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। पर कुछ ही दिनों में भाभी अपने देवर और मेरे कजिन रवीन्द्र से मेरा चक्कर चलवाने के…
रवीन्द्र मुझसे 4-5 साल बड़ा था, पढ़ाई में बहुत तेज था, और खूबसूरत भी था, पर बहुत शर्मीला था। पहले तो मजाक, मजाक में… हर गाली में मेरा नाम वह उसी के साथ जोड़तीं,
मेरी ननद रानी बड़ी हरजायी,
अरे गुड्डी छिनार बड़ी हरजायी,
हमरे देवर से नैना लड़ायें,
अरे रवीन्द्र से जुबना दबवायें, अरे जुबना दबवायें,
वो खूब चुदवायें।
पर धीरे-धीरे सीरीयसली वह मुझे उकसाती। अरे कब तक ऐसे बची रहोगी… घर का माल घर में… रवीन्द्र से करवाओगी तो किसी को पता भी नहीं चलेगा।
मुन्ने के होने पर जब मैंने भाभी से अपना नेग मांगा, तो उन्होंने बगल में बैठे रवीन्द्र की जांघों के बीच में मेरा हाथ जबर्दस्ती रखकर बोला- “ले लो, इससे अच्छा नेग नहीं हो सकता…”
“धत्त…” कहकर मैं भाग गई। और रवीन्द्र भी शर्मा के रह गया।
……
मुन्ने के होने पर, बरही में भाभी के मायके से, चन्दा भी आयी थी। हम लोगों ने उसे खूब चुन-चुन कर गाने सुनाये, और जो मैं सुनाने में शरमाती, वह मैंने औरों को चढ़ाकर सुनवाये-
“मुन्ने की मौसी बड़ी चुदवासी, चन्दा रानी बड़ी चुदवासी…”
एक माह बाद जब सावन लगा तो भाभी मुन्ने को लेकर मायके आयीं और साथ में मैं भी आयी।
“अरे राकी ने चोदी ननदी, रात मोरी गुंइयां…” चम्पा भाभी जोर-जोर से गा रही थीं।
किसी औरत ने भाभी से पूछा-
“अरे राकी से भी… बड़ी ताकत है तुम्हारी ननद में नीलू…”
“अरे, वह भी तो इस घर का मर्द है, वही क्यों घाटे में रह जाय…” चमेली भाभी बोलीं-
“और क्या तभी तो जब ये आयी तो कैसे प्यार से चूम चाट रहा था, बेचारे मेरे देवर तरसकर रह जाते हैं…” चम्पा भाभी ने छेड़ा।
“नहीं भाभी, मेरी सहेली बहुत अच्छी है, वह आपके देवरों का भी दिल रखेगी और राकी का भी, क्यों…” कहकर चन्दा ने मुझे जोर से पकड़ लिया।