hotaks444
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अब जगदीश राय अपनी नाक चूत की गहराई में रगड़ता हुआ चाटने लगा.
मुश्किल से 5 ही मिनट बीता होगा की वो आ गई… भलभला कर झड़ गई.
‘हाय पापा…’ वो इतना ही बोल पाई और अपनी जांघें ताकत से अपने पापा के सिर पर लपेट दीं और झड़ने लगी.
चूत रस का नमकीन स्वाद जगदीश राय मुंह में आ गया. करीब दो तीन मिनट तक वो यूं ही अपने पापा सिर को अपनी चूत पर जांघों से दबोचे रही फिर धीरे से पैर खोल दिए और चित लेट के गहरी गहरी साँसें लेने लगी.
जगदीश राय उसकी जांघ पर सर रखे हुए लेटा रहा.
‘प्लीज पापा, मेरे पास आओ!’ उसकी आवाज बदली बदली सी थी जैसे किसी कुएं के भीतर से बुला रही हो.
जगदीश राय ऊपर खिसक कर उसके पहलू में लेट गया और उसे अपने सीने से लगा लिया. वो मासूम अबोध किशोरी सी अपने पापा से चिपक गई और अपनी अंगुली से उनकी छाती पर जैसे कुछ लिखती रही.
‘क्या लिखा मेरे सीने पर?’ जगदीश राय उसका सिर प्यार से सहलाते हुए पूछा
‘ऊं हूँ!’
‘बता ना?’
‘म्मम्म कुछ नहीं…’ वो बोली और जगदीश राय अपनी बांहों में कस लिया.
कैसा लगा ये सब?’ जगदीश राय उसे चूमते हुए पूछा
साशा :‘बहुत अच्छा बहुत ही प्यारा प्यारा. जब आप मेरी चूत चाट रहे थे तो जैसे मेरे बॉडी में फूल ही फूल खिल गये थे, सारे बदन में रंगीन फुलझड़ियाँ सी झर रहीं थीं. मैंने सोचा भी नहीं था कि ये सब इतना मस्त मस्त लगेगा!’ वो बोली.
‘और अब कैसा लग रहा है?’
‘लग रहा है मैं बहुत हल्की फुल्की सी हो गई हूँ. मेरे भीतर से कुछ बह के निकल गया है जो मुझे हरदम बेचैन किये रहता था.’सशा ने बताया.
कुछ ही देर बाद जगदीश राय सशा की छोटी छोटी टाइट चूचियों को पूरा मुँह में भरकर चूसने लगा।उसके छोटे छोटे निप्पल को दाँतों से काटने लगा।5 मिनट में ही जगदीश राय ने दोनों चूचियों को काट कर चु कर लाल कर दिया।अंब सशा भी पूरी गरम होकर सिसियाने लगी।
दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुके हैं जगदीश राय अपने लंड को सशा की छोटी सी कुंवारी चूत पर रगड़ने लगता है सशा अपनी गांड उपर उठाकर लंड को जल्द से जल्द अंदर लेना चाहती है लेकिन जगदीश राय सशा को और गर्म कर देना चाहता है ताकि उसको कम से कम दर्द हो।
मुश्किल से 5 ही मिनट बीता होगा की वो आ गई… भलभला कर झड़ गई.
‘हाय पापा…’ वो इतना ही बोल पाई और अपनी जांघें ताकत से अपने पापा के सिर पर लपेट दीं और झड़ने लगी.
चूत रस का नमकीन स्वाद जगदीश राय मुंह में आ गया. करीब दो तीन मिनट तक वो यूं ही अपने पापा सिर को अपनी चूत पर जांघों से दबोचे रही फिर धीरे से पैर खोल दिए और चित लेट के गहरी गहरी साँसें लेने लगी.
जगदीश राय उसकी जांघ पर सर रखे हुए लेटा रहा.
‘प्लीज पापा, मेरे पास आओ!’ उसकी आवाज बदली बदली सी थी जैसे किसी कुएं के भीतर से बुला रही हो.
जगदीश राय ऊपर खिसक कर उसके पहलू में लेट गया और उसे अपने सीने से लगा लिया. वो मासूम अबोध किशोरी सी अपने पापा से चिपक गई और अपनी अंगुली से उनकी छाती पर जैसे कुछ लिखती रही.
‘क्या लिखा मेरे सीने पर?’ जगदीश राय उसका सिर प्यार से सहलाते हुए पूछा
‘ऊं हूँ!’
‘बता ना?’
‘म्मम्म कुछ नहीं…’ वो बोली और जगदीश राय अपनी बांहों में कस लिया.
कैसा लगा ये सब?’ जगदीश राय उसे चूमते हुए पूछा
साशा :‘बहुत अच्छा बहुत ही प्यारा प्यारा. जब आप मेरी चूत चाट रहे थे तो जैसे मेरे बॉडी में फूल ही फूल खिल गये थे, सारे बदन में रंगीन फुलझड़ियाँ सी झर रहीं थीं. मैंने सोचा भी नहीं था कि ये सब इतना मस्त मस्त लगेगा!’ वो बोली.
‘और अब कैसा लग रहा है?’
‘लग रहा है मैं बहुत हल्की फुल्की सी हो गई हूँ. मेरे भीतर से कुछ बह के निकल गया है जो मुझे हरदम बेचैन किये रहता था.’सशा ने बताया.
कुछ ही देर बाद जगदीश राय सशा की छोटी छोटी टाइट चूचियों को पूरा मुँह में भरकर चूसने लगा।उसके छोटे छोटे निप्पल को दाँतों से काटने लगा।5 मिनट में ही जगदीश राय ने दोनों चूचियों को काट कर चु कर लाल कर दिया।अंब सशा भी पूरी गरम होकर सिसियाने लगी।
दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुके हैं जगदीश राय अपने लंड को सशा की छोटी सी कुंवारी चूत पर रगड़ने लगता है सशा अपनी गांड उपर उठाकर लंड को जल्द से जल्द अंदर लेना चाहती है लेकिन जगदीश राय सशा को और गर्म कर देना चाहता है ताकि उसको कम से कम दर्द हो।