hotaks444
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अगली सुबह जहाँ एक तरफ मैं और शीला आंटी एक दुसरे को शरारती नज़रों से देख कर हंस रहे थे वहीँ अंजना और मैं भी इसी तरह मुस्कुरा रहे थे. अब मैं मंजुला की तरफ अपनी नजर गड़ा रहा था कि यह मुझे कब मिलेगी. लेकिन अब मुझे यह विश्वास हो चला था कि बहुत जल्दी मंजुला भी मेरी बाहों में आने वाली है.
अगले दिन अब मैं शीला आंटी और अंजना दोनों से मिलने के लिए बेताब हो रहा था. सवेरे जब मैं कोलेगे जाने के लिए तैयार हो रहा था तो अंजना मेरे कमरे में आ गई. उसें आते ही मेरे होंठ चूम लिए और भाग गई. मैं सवेरे सवेरे ही उत्तेजित हो गया.शाम को कॉलेज से आते ही शीला आंटी से सामना हो गया. आज शीला आंटी खुद के कमरे में मुझे ले गई. कुछ ही पलों में हम दोनों ने अपने ऊपर के कपडे खोल दिए और हमेशा कि तरह एक दुसरे से चिपट गए. अंजना के साथ अपने होठों के चुम्बन कि याद आते ही मैनुतावाला हो गया और मैंने शीला आंटी के होठों कि तरफ ललचाई नजर से देखा. शीला आंटी के होंठ कुछ सांवले रंग के थे लेकिन काफी रसभरे लग रहे थे. मैंने अब बेहिचक होकर अपने होंठ उनकी तरफ बाधा दिए और बहुत धीरे से उनके होंठो को सिर्फ छु लिया. शीला आंटी शायद इसी पल का इंतज़ार कर रही थी. उन्होंने तुरन्त जोरों से मेरे होठों को अपने होठों से भींच लिया और मेरे होठों से रस खींचने लगी. मेरा बदन सरसरा उठा. शीला आंटी ने अब बेतहाशा मेरे होठों को चुसना शुरू कर दिया था. काफी मेहनत के बाद ही में शीला आंटी के होठों से रस चूस सका. मैं एकदम बेकाबू हो गया. शीला आंटी ने मुझे अब पलंग पर लेटने के लिए कहा और वो भी लेटकर मुझे लिपट गई. अब हम एक दुसरे के गालों; होठों और गर्दन के सभी हिस्सों को चूम रहे थे. आज मुझे अंजना का डर नहीं सता रहा था. शीला आंटी भी चूँकि बेकाबू हो चुकी थी इसलिए उसे भी समय का कुछ ध्यान नहीं रहा हौर हम दोनों काफी देर तक एक दुसरे से लिपटे रहे और पागलों की तरह एक दुसरे को यहाँ वहां चूमते रहे. इसी बीच अंजना भी आ चुकी थी और हम दोनों को बाहर से चोरी छुपे देख रही थी. लगभग एक घंटे के बाद जब हम दोनों को ही संतुष्टि महसूस हुई तो हम दोनों एक दुसरे से अलग हो गए और मैं अपने कमरे में लौट आया. शीला आंटी ने जल्दी जल्दी कपडे पहने और ड्राइंग रूम में आ गई.
अंजना मेरे कमरे में आई और बोली " आज तो तुमने बहु जोरदार चुम्बन लिए हैं दोस्त. आओ मैं भी तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही हूँ." यह कहकर उसने तुरंत मुझे गालों और गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया. मैंने भी उसी तरह से जवाब दिया. फिर हमने इक दुसरे के होंठ चुसे और सावधानी से दूर हो गए.
अब रात का इंतज़ार था. अंजना रात को एक किताब लेकर कुछ पूछने के बहान एमेरे कमरे में आ गई. कुछ ही देर बाद जब हम दोनों को यह विश्वास हो गया कि मजुला सो गई है तो हम दोनों बिस्तर में गुस गए और एक चद्दर ओढ़ ली और अपना काम शुरू कर दिया. लगभग आधे घंटे तक हम दोनों ने एक दूसरे को खूब चूमा और फिर अंजना अपने कमरे में लौट गई.
अगले दिन अंजना और मंजुला अपनी किसी सहेली के जनम दिन कि पार्टी में कॉलेज से सीधे ही जानेवाली थी और रात को ही लोटने वाली थी. इसलिए शाम से लेकर रात तक मैं और शीला आंटी अकेले ही रहनेवाले थे औए मैं यही सोचकर रोमांचित हो रहा था. सच कहूँ तो अब मुझे सारा सारा दिन शीला आंटी का उभरा हुआ सीना अपनी आँखों के सामने घूमता हुआ दिखाई देता था.
शाम को घर आते ही मैं शीला आंटी के कमरे में गया. शीला आंटी ने एक मुस्कान से मेरा स्वागत किया और मुझे अपनी बाहों में भर लिया. मैंने हमेशा कि तरह शीला आंटी के उपरी कपडे उतार दिए और फिर शीला आंटी ने मेरे उपरी कपडे खोल दिए. मैं जैसे ही उनकी तरफ बाधा शीला आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पेटीकोट के नाड़े की तरफ ले गई और मुस्कुराने लगी. मैंने पेटीकोट का नाडा भी खोल दिया. शीला आंटी मेरा हाफ पैंट खोलने में लग गई. अब मेरे दिल की धडकनें बढ़ने लगी. मैंने देखा कि शीला आंटी ने इसके बाद मेरा अंडरवेअर खींचकर नीचे लेकर खोल दिया और मरे हाथ से अपना अंडर वेअर छुआ दिया. मैंने उनका अंडरवेअर भी खोल दिया. अब हम दोनों पूरी तरह निर्वस्त्र एक दूसरे के सामने खड़े थे. मैंने शीला आंटी को पहली बार निर्वस्त्र देखा था. उनका एक एक अंग गदराया हुआ था और हर अंग से रस टपक रहा था. शीला आंटी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और लिप्त लिया. मेरा पूरा शरीर कांपने लगा. हम दोनों ने धीरे धीरे हमेशा कि तरह एक दूजे को चूमना शुरू किया. कुछ देर बाद एक दूजे को होठों को खूब चूसा. शीला पीछे मुड़ी और मैंने उनकी पीठ को भी चूमा. अब शीला आंटी ने अपनी एक टांग उठाई और कुर्सी पर रखकर खड़ी हो गई. मैंने उनकी जांघ को जब चूमा तो शीला आंटी के मुंह से सिसकी निकल गई. मैं बेतहाशा उनकी जांघ को अह यह. शीला आंटी एक झटके से मुझे पकड़ पलंग की तरफ ले गई और हम दोनों पलंग पर लेट गए और लिपट गए.
अगले दिन अब मैं शीला आंटी और अंजना दोनों से मिलने के लिए बेताब हो रहा था. सवेरे जब मैं कोलेगे जाने के लिए तैयार हो रहा था तो अंजना मेरे कमरे में आ गई. उसें आते ही मेरे होंठ चूम लिए और भाग गई. मैं सवेरे सवेरे ही उत्तेजित हो गया.शाम को कॉलेज से आते ही शीला आंटी से सामना हो गया. आज शीला आंटी खुद के कमरे में मुझे ले गई. कुछ ही पलों में हम दोनों ने अपने ऊपर के कपडे खोल दिए और हमेशा कि तरह एक दुसरे से चिपट गए. अंजना के साथ अपने होठों के चुम्बन कि याद आते ही मैनुतावाला हो गया और मैंने शीला आंटी के होठों कि तरफ ललचाई नजर से देखा. शीला आंटी के होंठ कुछ सांवले रंग के थे लेकिन काफी रसभरे लग रहे थे. मैंने अब बेहिचक होकर अपने होंठ उनकी तरफ बाधा दिए और बहुत धीरे से उनके होंठो को सिर्फ छु लिया. शीला आंटी शायद इसी पल का इंतज़ार कर रही थी. उन्होंने तुरन्त जोरों से मेरे होठों को अपने होठों से भींच लिया और मेरे होठों से रस खींचने लगी. मेरा बदन सरसरा उठा. शीला आंटी ने अब बेतहाशा मेरे होठों को चुसना शुरू कर दिया था. काफी मेहनत के बाद ही में शीला आंटी के होठों से रस चूस सका. मैं एकदम बेकाबू हो गया. शीला आंटी ने मुझे अब पलंग पर लेटने के लिए कहा और वो भी लेटकर मुझे लिपट गई. अब हम एक दुसरे के गालों; होठों और गर्दन के सभी हिस्सों को चूम रहे थे. आज मुझे अंजना का डर नहीं सता रहा था. शीला आंटी भी चूँकि बेकाबू हो चुकी थी इसलिए उसे भी समय का कुछ ध्यान नहीं रहा हौर हम दोनों काफी देर तक एक दुसरे से लिपटे रहे और पागलों की तरह एक दुसरे को यहाँ वहां चूमते रहे. इसी बीच अंजना भी आ चुकी थी और हम दोनों को बाहर से चोरी छुपे देख रही थी. लगभग एक घंटे के बाद जब हम दोनों को ही संतुष्टि महसूस हुई तो हम दोनों एक दुसरे से अलग हो गए और मैं अपने कमरे में लौट आया. शीला आंटी ने जल्दी जल्दी कपडे पहने और ड्राइंग रूम में आ गई.
अंजना मेरे कमरे में आई और बोली " आज तो तुमने बहु जोरदार चुम्बन लिए हैं दोस्त. आओ मैं भी तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही हूँ." यह कहकर उसने तुरंत मुझे गालों और गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया. मैंने भी उसी तरह से जवाब दिया. फिर हमने इक दुसरे के होंठ चुसे और सावधानी से दूर हो गए.
अब रात का इंतज़ार था. अंजना रात को एक किताब लेकर कुछ पूछने के बहान एमेरे कमरे में आ गई. कुछ ही देर बाद जब हम दोनों को यह विश्वास हो गया कि मजुला सो गई है तो हम दोनों बिस्तर में गुस गए और एक चद्दर ओढ़ ली और अपना काम शुरू कर दिया. लगभग आधे घंटे तक हम दोनों ने एक दूसरे को खूब चूमा और फिर अंजना अपने कमरे में लौट गई.
अगले दिन अंजना और मंजुला अपनी किसी सहेली के जनम दिन कि पार्टी में कॉलेज से सीधे ही जानेवाली थी और रात को ही लोटने वाली थी. इसलिए शाम से लेकर रात तक मैं और शीला आंटी अकेले ही रहनेवाले थे औए मैं यही सोचकर रोमांचित हो रहा था. सच कहूँ तो अब मुझे सारा सारा दिन शीला आंटी का उभरा हुआ सीना अपनी आँखों के सामने घूमता हुआ दिखाई देता था.
शाम को घर आते ही मैं शीला आंटी के कमरे में गया. शीला आंटी ने एक मुस्कान से मेरा स्वागत किया और मुझे अपनी बाहों में भर लिया. मैंने हमेशा कि तरह शीला आंटी के उपरी कपडे उतार दिए और फिर शीला आंटी ने मेरे उपरी कपडे खोल दिए. मैं जैसे ही उनकी तरफ बाधा शीला आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पेटीकोट के नाड़े की तरफ ले गई और मुस्कुराने लगी. मैंने पेटीकोट का नाडा भी खोल दिया. शीला आंटी मेरा हाफ पैंट खोलने में लग गई. अब मेरे दिल की धडकनें बढ़ने लगी. मैंने देखा कि शीला आंटी ने इसके बाद मेरा अंडरवेअर खींचकर नीचे लेकर खोल दिया और मरे हाथ से अपना अंडर वेअर छुआ दिया. मैंने उनका अंडरवेअर भी खोल दिया. अब हम दोनों पूरी तरह निर्वस्त्र एक दूसरे के सामने खड़े थे. मैंने शीला आंटी को पहली बार निर्वस्त्र देखा था. उनका एक एक अंग गदराया हुआ था और हर अंग से रस टपक रहा था. शीला आंटी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और लिप्त लिया. मेरा पूरा शरीर कांपने लगा. हम दोनों ने धीरे धीरे हमेशा कि तरह एक दूजे को चूमना शुरू किया. कुछ देर बाद एक दूजे को होठों को खूब चूसा. शीला पीछे मुड़ी और मैंने उनकी पीठ को भी चूमा. अब शीला आंटी ने अपनी एक टांग उठाई और कुर्सी पर रखकर खड़ी हो गई. मैंने उनकी जांघ को जब चूमा तो शीला आंटी के मुंह से सिसकी निकल गई. मैं बेतहाशा उनकी जांघ को अह यह. शीला आंटी एक झटके से मुझे पकड़ पलंग की तरफ ले गई और हम दोनों पलंग पर लेट गए और लिपट गए.