hotaks444
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अब सारे दिन शीला आंटी भी मेरे कॉलेज से लौटने का इंतज़ार करती और मैं भी कॉलेज के आखिरी समय में शीला आंटी से मिलने के सपने देखने लग जाता. उधर अंजना और मंजुला भी मुझे अपनी और आकर्षित करने कि बहरापुर कोशिश करने लगी थी. एक दिन तो अंजना ने तो हद ही कर दी. वो नहाने के बाद रात के वक्त सोते वक्त पहनने वाला हाल्फ पन्त पहनकर मेरे कमरे में अपनी कोई किताब खोजने का बहाना करते हुए आ गई. मैं उसे देखते ही एक बार तो अपने होश खो बैठा. उसकी टांगें चमक रही थी. एकदम चिकनी और सपाट. उसने मुझे ललचाने कि कोशिश भी कि लेकिन शीला आंटी का ख़याल आते ही मैंने अपनी नजरें दूसरी तरफ घुमा ली. अंजना गुस्से से कमरे से बाहर निकल गई.
शीला आंटी के पति एक सप्ताह के लिए अहमदाबाद गए हुए थे. जिस दिन वे अहमदाबाद गए उस दिन जब मैं कॉलेज से लौटा तो देखा कि शीला आंटी कि आँखों में कुछ अलग तरह की चमक थी. मैं समाजः गया की शीला आंटी अब हम दोनों को सवेरे मिलने वाले खली समय के बारे में सोचकर खुश हो रही होगी. मैंने तेजी से अपनी कमीज और बनियान निकला दिया. इसके बाद मैंने शीला आंटी का ब्लाउस खोला और फिर आखिर में चोली. हमेशा की तरह हम दोनों एक दुसरे से लिपट गए. हम दोनों कुछ इस तरह से लिपटे थे कि हमें समय का पता नहीं चला और हम दोनों ही यह भूल गए कि अंजना और मंजुला के आने का समय हो चुका है. आज विशेष रूप से शीला आंटी बेकाबू हो गई थी. मैंने एक दो बार खुद को उनसे अलग करने कि कोशिश भी की लेकिन वो असफल रही. जिस बार का मुझे डर था वो ही हुआ. अंजना लौट आई. वो सीधे मेरे कामे की तरफ ही आई. उसने जैसे ही मेरे कमरे का दरवाजा धीरे से खोला तो वो मुझे और शीला आंटी को इस हालत में एक दुसरे से लिप्त हुआ देखकर हैरान रह गई. शीला आंटी की पीठ दरवाजे की तरफ होने से शीला आंटी को तो कुछ पता नहीं चला लेकिन मेरी नजरें अंजना से मिल गई. अंजना कुछ ना बोली और गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए चली गई. मैंने शीला आंटी को यह बताना सही नहीं समझा. कुछ देर बाद मैंने बड़ी मुश्किल से अपने को शीला आंटी से अलग किया.
रात को खाना खाते वक्त अंजना बार बार मुझे एक कुटिल मुस्कान के साथ देखे जा रही थी. मैं लगातार उससे नजर चुरा रहा था.
जब मैं सोने के लिए अपने कमरे में गया तो कुछ ही देर बाद अंजना मेरे कमरे में दाखिल हुई. अंजना बहुत ही खुले गले का टी शर्ट और जाँघों तक की लम्बाई वाला हाल्फ पैंट पहने हुई थी. मैं उसे इन कपड़ों में देखते ही उसके इरादे को समझ गया. मैं सचेत होकर बैठ गया. अंजना ने मेरे बहुत करीब आकर मेरे सीने पर हाथ रखा और बोली " तुम्हारा सीना कुछ ज्यादा ही मुलायम नहीं लग रहा आज!" मैं उसका इशारा समझ गया. अंजना अब मेरे बहुत करीब आ चुकी थी. उसकी साँसें मुझे छूने लगी थी. मैंने उसे दूर जाने के लिए कहा. अंजना ने एक शैतान नजर मुझ पर डाली और बोली " अगर तुमने मेरा कहा नहीं मन तो मैं पिताजी से सारी बात कह दूंगी." मैं घबरा गया. अंजना ने धेरे से मेरे शर्त के बटन खोलने शुरू किये. मैं मजबूर था इसलिए कुछ नहीं कर सकता था. उसने मेरा शर्ट उतर दिया और फिर बनियान भी खोल दिया. इससे पहले कि मैं कुछ संभल पता वो मुझे लिपट गई. मैंने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उसने मुझे बहुत कसकर पकड़ लिया था. अचानक उसने मुझे कुछ इस तरह से धकेला कि हम दोनों पलंग पर गिर गए. मैंने उसे दूर धकेला. अंजना ने अब अपनी हाफ पैंट उतार दी और टी शर्ट को खोलना शुर कर दिया था.
मैं अब समझ गया था कि उससे बच पाना मुश्किल है. मैंने सोचा इससे अच्छा मौका अब नहीं मिलने वाला कि हुस्न का दरिया मेरे सामने आकर खुद मुझे डूबने को कह रहा है. मैंने अब अंजना को कसकर पकड़ लिया और उसके सीने से अपने सीने को लगा दिया. अंजना ने भी वापस इसी अंदाज में जवाब दिया. मैं और अंजना अब उसी मुद्रा में थे जिस तरह अंजना ने मुझे शीला आंटी के साथ देखा था. अब अंजना ने अपने होठों को मेरे होठों के बहुत करीब लाकर एक लम्बी सांस छोड़ी. मुझ पर जैसे एक नशा छा गया. मैंने अचानक अपने होंठ अंजना के होंठ पर रख दिए. अंजना ने मेरे होठों को चूम लिया. हम दोनों के शारीर में एक बिजली कि लहर जैसे दौड़ गई क्योंकि हम दोनों के लिए इस तरह के चुम्बन का यह पहला ही मौका था. हम दोनों को ऐसा लगा जैसे एक साथ ढेर सारी शक्कर की मिठास एक साथ मुंह में घुल गई हो. हम दोनों लगभग पांच मिनट तक एक दुसरे के होठों को चूमते रहे. अब मैंने अंजना को पलंग पर सीधा लिटा दिया और मेरी मनपसंद उसकी चिकनी टांगों और जांघों को बेतहाशा चूमने लगा. अंजना को यह बहुत ही पसंद आ रहा था. वो बार बार मुझे अपनी जांघें चूमने को कहती रही और मैं उसे चूमता रहा.
अंजना ने इसके बाद मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझे अपने स्तनों को चूमने को कहा. मैंने शीला के आंटी के स्तनों को बहुत करी से देखा था लेकिन कभी चूमा नहीं था. अब मुझे पहली बार किसी के स्तनों को चूमने का मौका मिल रहा था. मैंने उसके दोनों स्तनों को चूमा. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी मलाई के सागर में तैर रहा हूँ. अंजना को तो ऐसा लगा जैसे वो बादलों में उड़ रही हो. अब अंजना ने मुझे जगह जगह चूमना शुरू किया. हम दोनों इसी तरह लगभग आधी रात तक एक दुसरे को चूमना जारी रखा. इसके बाद अंजना ने यह कहते हुए कि मंजुला को कोई शक ना हो जाए; अपने कपडे पहने और अपने कमरे में चली गई. मैं अपनी किस्मत पर खुश हो रहा था.
शीला आंटी के पति एक सप्ताह के लिए अहमदाबाद गए हुए थे. जिस दिन वे अहमदाबाद गए उस दिन जब मैं कॉलेज से लौटा तो देखा कि शीला आंटी कि आँखों में कुछ अलग तरह की चमक थी. मैं समाजः गया की शीला आंटी अब हम दोनों को सवेरे मिलने वाले खली समय के बारे में सोचकर खुश हो रही होगी. मैंने तेजी से अपनी कमीज और बनियान निकला दिया. इसके बाद मैंने शीला आंटी का ब्लाउस खोला और फिर आखिर में चोली. हमेशा की तरह हम दोनों एक दुसरे से लिपट गए. हम दोनों कुछ इस तरह से लिपटे थे कि हमें समय का पता नहीं चला और हम दोनों ही यह भूल गए कि अंजना और मंजुला के आने का समय हो चुका है. आज विशेष रूप से शीला आंटी बेकाबू हो गई थी. मैंने एक दो बार खुद को उनसे अलग करने कि कोशिश भी की लेकिन वो असफल रही. जिस बार का मुझे डर था वो ही हुआ. अंजना लौट आई. वो सीधे मेरे कामे की तरफ ही आई. उसने जैसे ही मेरे कमरे का दरवाजा धीरे से खोला तो वो मुझे और शीला आंटी को इस हालत में एक दुसरे से लिप्त हुआ देखकर हैरान रह गई. शीला आंटी की पीठ दरवाजे की तरफ होने से शीला आंटी को तो कुछ पता नहीं चला लेकिन मेरी नजरें अंजना से मिल गई. अंजना कुछ ना बोली और गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए चली गई. मैंने शीला आंटी को यह बताना सही नहीं समझा. कुछ देर बाद मैंने बड़ी मुश्किल से अपने को शीला आंटी से अलग किया.
रात को खाना खाते वक्त अंजना बार बार मुझे एक कुटिल मुस्कान के साथ देखे जा रही थी. मैं लगातार उससे नजर चुरा रहा था.
जब मैं सोने के लिए अपने कमरे में गया तो कुछ ही देर बाद अंजना मेरे कमरे में दाखिल हुई. अंजना बहुत ही खुले गले का टी शर्ट और जाँघों तक की लम्बाई वाला हाल्फ पैंट पहने हुई थी. मैं उसे इन कपड़ों में देखते ही उसके इरादे को समझ गया. मैं सचेत होकर बैठ गया. अंजना ने मेरे बहुत करीब आकर मेरे सीने पर हाथ रखा और बोली " तुम्हारा सीना कुछ ज्यादा ही मुलायम नहीं लग रहा आज!" मैं उसका इशारा समझ गया. अंजना अब मेरे बहुत करीब आ चुकी थी. उसकी साँसें मुझे छूने लगी थी. मैंने उसे दूर जाने के लिए कहा. अंजना ने एक शैतान नजर मुझ पर डाली और बोली " अगर तुमने मेरा कहा नहीं मन तो मैं पिताजी से सारी बात कह दूंगी." मैं घबरा गया. अंजना ने धेरे से मेरे शर्त के बटन खोलने शुरू किये. मैं मजबूर था इसलिए कुछ नहीं कर सकता था. उसने मेरा शर्ट उतर दिया और फिर बनियान भी खोल दिया. इससे पहले कि मैं कुछ संभल पता वो मुझे लिपट गई. मैंने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उसने मुझे बहुत कसकर पकड़ लिया था. अचानक उसने मुझे कुछ इस तरह से धकेला कि हम दोनों पलंग पर गिर गए. मैंने उसे दूर धकेला. अंजना ने अब अपनी हाफ पैंट उतार दी और टी शर्ट को खोलना शुर कर दिया था.
मैं अब समझ गया था कि उससे बच पाना मुश्किल है. मैंने सोचा इससे अच्छा मौका अब नहीं मिलने वाला कि हुस्न का दरिया मेरे सामने आकर खुद मुझे डूबने को कह रहा है. मैंने अब अंजना को कसकर पकड़ लिया और उसके सीने से अपने सीने को लगा दिया. अंजना ने भी वापस इसी अंदाज में जवाब दिया. मैं और अंजना अब उसी मुद्रा में थे जिस तरह अंजना ने मुझे शीला आंटी के साथ देखा था. अब अंजना ने अपने होठों को मेरे होठों के बहुत करीब लाकर एक लम्बी सांस छोड़ी. मुझ पर जैसे एक नशा छा गया. मैंने अचानक अपने होंठ अंजना के होंठ पर रख दिए. अंजना ने मेरे होठों को चूम लिया. हम दोनों के शारीर में एक बिजली कि लहर जैसे दौड़ गई क्योंकि हम दोनों के लिए इस तरह के चुम्बन का यह पहला ही मौका था. हम दोनों को ऐसा लगा जैसे एक साथ ढेर सारी शक्कर की मिठास एक साथ मुंह में घुल गई हो. हम दोनों लगभग पांच मिनट तक एक दुसरे के होठों को चूमते रहे. अब मैंने अंजना को पलंग पर सीधा लिटा दिया और मेरी मनपसंद उसकी चिकनी टांगों और जांघों को बेतहाशा चूमने लगा. अंजना को यह बहुत ही पसंद आ रहा था. वो बार बार मुझे अपनी जांघें चूमने को कहती रही और मैं उसे चूमता रहा.
अंजना ने इसके बाद मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझे अपने स्तनों को चूमने को कहा. मैंने शीला के आंटी के स्तनों को बहुत करी से देखा था लेकिन कभी चूमा नहीं था. अब मुझे पहली बार किसी के स्तनों को चूमने का मौका मिल रहा था. मैंने उसके दोनों स्तनों को चूमा. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी मलाई के सागर में तैर रहा हूँ. अंजना को तो ऐसा लगा जैसे वो बादलों में उड़ रही हो. अब अंजना ने मुझे जगह जगह चूमना शुरू किया. हम दोनों इसी तरह लगभग आधी रात तक एक दुसरे को चूमना जारी रखा. इसके बाद अंजना ने यह कहते हुए कि मंजुला को कोई शक ना हो जाए; अपने कपडे पहने और अपने कमरे में चली गई. मैं अपनी किस्मत पर खुश हो रहा था.