मैं तो सोने का बहाना किए थी. चूम कर कुच्छ देर तक मेरी कुँवारी चूत को देखता रहा फिर झुककर दुबारा मुँह से चूमते एक हाथ से मेरी मॅक्सी को ठीक से ऊपर करता बोला, "हाए क्या मस्त माल है. अब तो तू भी चुदेगि माँ के साथ बेटी कीकुँवारी फाँक का पूरा मज़ा लूँगा."
मैने अपने बेहन्चोद मामा के मुँह से अपनी तारीफ़ सुनी तो और मस्त हुई. चूत पे किस से बहुत गुदगुदी हुई और मन किया की उससे लिपट कर कह दूं की अब नही रह सकती तुम्हारे बिना मैं तैय्यार हूँ लूटो मेरी कुँवारी चूत को मामा. पर चुप रही.
तभी मामा बेड पर बैठ गये और मेरी राणो पर हाथ फेर मेरी चूत को सहलाने लगे. उससे छूट पर हाथ लगवाने मे इतना मज़ा आ रहा था की बस मन यह कहने को बेताब हो उठा की राजा नंगी करके पूरा बदन सहलाओ. मम्मी का कहना सही था की हाथ लगाओ, मज़ा पाते ही लाइन क्लियर कर देगी. तभी उसकी एक उंगली चूत की फाँक के बीच मे आई तो मैं तड़प कर बोल ही पड़ी, "हाए कौन?"
"मैं हूँ मेरी जान, तुम्हारा चाहने वाला. हाए अच्छा हुआ तुम जाग गयी. क्या मस्त जवानी पाई है. आज मैं तुमको??.." और किसी भूखे कुत्ते की तरह मुझे अपनी बाँहो मे कसता मेरी दोनो चूचियों को टटोलता बोला, "हाए क्या गदराई जवानी है."
मैं अपने दोनो उभारों को उसके हाथ मे देते ही जन्नत मे पहुँच गयी. वो मेरे चिकने गाल पर अपने गाल लगा दोनो को दबा बोला, "बस एक बार चखा दो, देखो कितना मज़ा आता है."
"हाए मामा आप छोड़ो यह क्या कर रहे हैं आप. मम्मी आ जाएगी."
"मम्मी से मत डरो. उन्होने ही तो भेजा है. कहा है की जाओ मेरी बेटी जवान हो गयी है. उसे जवानी का मज़ा दो. बहुत दीनो से ललचा रही हो, बड़ा मज़ा पाओगी. मम्मी कुच्छ नही कहेंगी." और इसके साथ ही मेरी चूचियों को मॅक्सी के ऊपर से कसकर दबाया तो मेरा मज़ा सातवे आसमान पर पहुँच गया.
"मम्मी सो गयी क्या?"
मैने पूछा तो वो बोला, "हाँ. आज तुम्हारी मम्मी को मैने बुरी तरह थका दिया है. अब वो रात भर मीठी नींद सोएंगी. बस मेरी रानी एक बार. देखना मेरे साथ कितना मज़ा आता है." और उसने दोनो निपल को चुटकी दे मुझे राज़ी कर लिया. सच आज उसकी हरकत मे मज़ा आ रहा था. दोनो निपल्स का नशा राणो मैं उतार रहा था.
"मामा आप मम्मी के साथ सोते हैं. वो तो आपकी बहन हैं."
"आज अपने पास सुलाकर देखो, जन्नत की सैर करा दूँगा. हाए कैसी मतवाली जवानी पाई है. बेहन है तो क्या हुआ. माल तो बढ़िया है मम्मी का."
"दरवाज़ा खुला है." मैने मज़े से भरकर कहा. मेरी नस नस मे बिजली दौड़ रही थी. अब बदन पर कपड़ा बुरा लग रहा था. उसने मेरी चूचियों को मसलते हुये मेरे होंटो को किस करना शुरू कर दिया. उसे मेरी जैसी कुँवारी लड़कियों को राज़ी करना आता था. होन्ट चुसते ही मैं ढीली हो गयी.
मामा मेरी मस्ती को देख एकदम से मस्त हो गये. धीरे से मेरे बदन को बेड पर कर मेरी चूचियों पर झुक कर मेरी रान पर हाथ फेरते बोले, "अब तुम एकदम जवान हो गयी हो. कब मज़ा लोगि अपनी जवानी का. डरो नही तुमको कली से फूल बना दूँगा. मम्मी से मत डरो, उनके सामने तुमको मज़ा दूँगा बस तुम हाँ करदो."
हाथ लगवाने मैं और मज़ा आ रहा था. मैं मस्त हो उसे देखती बोली, "मम्मी को आप रोज़...... ??."
"हाँ मेरी जान तुम्हारी मम्मी को रोज़ चोद्ता हूँ. तुम तैय्यार हो तो तुमको भी रोज़ चोदुन्गा. हाए कितनी खूबसूरत हो. ज़रा सा और खोलो ना. तुमसे छोटी छोटी लड़कियाँ चुद्वाती हैं."
मैं तो जन्नत मे थी. मामा चूचियों को दबाए एक हाथ गाल पर और दूसरा राणो के बीच फेर रहे थे. "मुझसे छोटी छोटी?"
"हाँ मेरी जान. ज़्यादा बड़ी हो जाओगी तो इसका मज़ा उतना नही पाओगी जितना अभी लोगी. तुम्हारी एकदम तैयार है बस हाँ कर दो."
"मैं तो अभी बहुत छोटी हूँ." और दोनो राणो को पूरा खोल दिया.
मामा चालाक थे. पैर खोलने का मतलब समझ गये. मुस्करा कर मेरे होंट चूम बोले, "मेरी छोटी बहन को तो तुम जानती हो, अभी 16 की भी नही है. उसकी चूचियों भी तुमसे छोटी हैं. वो भी मुझसे खूब चुद्वाती है."
और छूट के फाँक को चुटकी से मसला तो मैं कसमसकर बोली, "हाए मामा अपनी छोटी बहन को भी मेरी मम्मी की तरह चोदते हो?"
"हाँ यहाँ रहता हूँ तो तुम्हारी मम्मी को यानी अपनी बड़ी बहन को चोद्ता हूँ और घर मे मैं अपनी छोटी बहन यानी तुम्हारी मौसी को खूब हचक कर चोद्ता हूँ तभी वो सोने देती है. तुम्हारी चूचियाँ तो खूब गदराई हैं. बोलो हो राज़ी."
और मॅक्सी के गले से हाथ अंदर डाला तो मैं राज़ी हो गयी और बोली, "राज़ी हूँ पर मम्मी से मत बताना." मैं उसे यह एहसास नही होने देना चाहती थी की मैं तो जाने कब से राज़ी हूँ. उसके पास आते ही पूरा मज़ा आने लगा. मैं अपना 15 साल का ताज़ा बदन उसके हवाले करने को तैयार थी.
अगर वो मम्मी को चोदकर ना आए होते तो मेरी कुँवारी चूत को देखकर चोदने के लिए तैयार हो जाते. पर वो मम्मी को चोदकर अपनी बेकरारी को काबू मे कर चुके थे. वो मेरी नयी चूचियों को हाथ मे लेते ही मेरी कीमत जान गये थे. मेरे लिए यह पहला चान्स था. मामा मुझसे ज़बरदस्ती ना कर प्यार से कर रहे थे. अब तक वो मेरी नंगी चूत को देख उसपर हाथ फेर चूम भी चुके थे पर मैने अभी तक उनका लंड नही देखा था.
मॅक्सी के अंदर हाथ डाल चूचियों को पकड़ और बेकरार कर दिया था. मामा ने दुबारा मॅक्सी के ऊपर से चूचियों को पकड़कर कहा, "मम्मी से मत डरो. मम्मी ने पूरी छूट दे दी है. बस तुम तैयार हो जाओ." और चूचियों को इतनी ज़ोर से दबाया की मैं तड़प उठी.
"मुझे कुच्छ नही आता." मैं राज़ी हो बोली
तो उसने कहा, "मैं सीखा दूँगा." और मेरे गाल काटा
तो मैं बोली, "ऊई बड़े बेदर्द हो मामा."
मेरी इस अदा पर मस्त हो गाल सहलाते मॅक्सी पकड़ कर बोले, "इसको उतार दो."
"हाए पूरी नंगी करके."
"हाँ मेरी जान मज़ा तो नंगे होने मे ही आता है. बोलो पूरा मज़ा लोगी ना."
"हाँ."
"तो फिर नंगी हो मैं अभी आता हूँ." वो कमरे से बाहर चले गये.
मैं कहाँ थी, बता नही सकती थी. पूरे बदन मे चीतियाँ चलने लगी. चूत फुदकने लगी थी. मैं पूरी तरह तैयार थी. मैने जल्दी से मॅक्सी उतार दी और पूरी नंगी हो बेड पर लेट गयी. मम्मी तो चुद्वाने के बाद अपने कमरे मे आराम से सो रही थी और अपने यार को मेरे पास भेज दिया था.
मैं अपने नंगे जवान बदन को देखती आने वाले लम्हो की याद मे खोई थी की मेरी माँ का यार वापस आया. मुझे नंगी देख वो खिल उठा. पास आ पीठ पर हाथ फेर बोले, "अब पाओगि जन्नत का मज़ा."
मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेर मज़ा दे उसने झटके से अपनी लूँगी अलग की तो उनका लंड मेरे पास आते ही झटके खाने लगा. अभी उसमे फुल पावर नही आया था पर अभी भी उनका कम से कम 6 इंच का था. मैं ग़ज़ब का लंड देख मस्ती से भर गयी.
वो बेड पर आए और पीछे बैठ मेरी कमर पकड़कर बोले, "गोद मैं आओ मेरी जान."
मेरा कमरा मेरे लिए जन्नत बन गया था. अब हम दोनो ही नंगे थे. जब मामा की गोद मे अपनी गांद रखी तो मामा ने फ़ौरन मेरी दोनो चूचियों को अपने दोनो हाथों मे ले बदन मैं करेंट दौराया.
"ठीक से बैठो तभी असली मज़ा मिलेगा. देखना आज मेरे साथ कितना मज़ा आता है." नंगी चूचियों पर उसका हाथ चला तो आँख बंद होने लगी. अब सच ही बड़ा मज़ा आ रहा था.
"शशि."
"जी"
"कैसा लग रहा है?" मेरी गांद मैं उसका खड़ा लंड गड़ रहा था जो एक नया मज़ा दे रहा था. अब मैं बद हवास हो उसकी नंगी गोद मे नंगी बैठी अपनी चूचियों को मसळवती मस्त होती जा रही थी. तभी मामा ने चूचियों के टाइट निपल को चुटकी से दबाते पूछा, "बोलो मेरी जान."
"हाए अब और मज़ा आ रहा है. मामा."
"घबराओ नही तुमको भी मम्मी की तरह पूरा मज़ा दूँगा. हाए तुम्हारी चूचियाँ तो दीदी से भी अच्छी हैं." वो मेरी मस्तजवानी को पाकर एकदम से पागल से हो गये थे. निपल की छेड़ छाड़ से बदन झंझणा गया था.
तभी मामा ने मुझे गोद से उतारकर बेड पर लिटाया और मेरे निपल को हूँट से चूस्कर मुझे पागल कर दिया. हाथ की बजाए मुँह से ज़्यादा मज़ा आया. मामा की इस हरकत से मैं खुद को भूल गयी. उसको मेरी चूचियाँ खूब पसंद आई. मामा 10 मिनिट तक मेरी चूचियों को चूस चूस्कर पीते रहे. चूचियों को पीने के बाद मामा ने मुझसे राणो को फैलाने को कहा तो मैने खुश होकर अपने बेहन्चोद मामा के लिए जन्नत का दरवाज़ा खोल दिया.
पैर खोलने के बाद मामा ने मेरी कुँवारी चूत पर अपनी जीभ फिराई तो मैं तड़प उठी. वो मेरी चूत को चाटने लगे. चत्वाते ही मैं तड़प उठी. मामा ने चाटते हुवे पूछा, "बोलो कैसा लग रहा है?"
"बहुत अच्छा मेरे राजा."
"तुम तो डर रही थी. अब दोनो का मज़ा एक साथ लो."
और अपने दोनो हाथ को मेरी मस्त चूचियों पर लगा दोनो को दबाते मेरी कुँवारी गुलाबी चूत को चाटने लगे तो मैं दोनो का मज़ा एक साथ पा तड़पति हुई बोली, "हाए आआहह बस करो मामा ऊई नही अब नही."
"अभी लेती रहो." मुझे ग़ज़ब का मज़ा आया. वो भी मेरी जवानी को चाटकर मस्त हो उठे. 10 मिनिट तक चाटते रहे फिर मुझे जवान करने के लिए मेरे ऊपर आए. मामा ने पहले ही मस्त कर दिया था इसलिए दर्द कम हुआ. मामा भी धीरे धीरे पेलकर चोद रहे थे. मेरी चूत एकदम ताज़ी थी इसलिए मामा मेरे दीवाने होकर बोले, "हाए अब तो सारी रात तुमको ही चोदुन्गा."
मैं मस्त थी इसलिए दर्द की जगह मज़ा आ रहा था. "मैं भी अब आपसे रोज़ चुड़वाओंगी."
उस रात मामा ने दो बार चोदा था और जब वो अगली रात मुझे पेल रहे थे तो अचानक मम्मी भी मेरे कमरे मे आ गयी. मैं ज़रा सा घबराई लेकिन मामा उसी तरह चोद्ते रहे.
मम्मी पास आ मेरी बगल मैं लेट मेरी चूचियों को पकड़कर बोली, "ओह बेटी अब तो तुम्हारी चोद्ने लायक हो गयी है. लो मज़ा मेरे यार के तगड़े लंड का."
"ओह मम्मी मामा बहुत अच्छे हैं. बहुत अच्छा लग रहा है." अब मैं और मम्मी दोनो साथ ही मामा से चुद्वाते हैं.