Hindi Sex Stories By raj sharma - Page 11 - SexBaba
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परीक्षाएं शुरू हो गई थी. मेरा उन तीनो से मिलाना नहीं हो पा रहा था, मैं मैरी और हरप्रीत से संभोग की राह देख रहा था. दस दिन के बाद परीक्षाएं ख़त्म हुई. साधना अगले ही दिन दोपहर में उन दोनों के साथ मेरे घर आ गई. साधना ने आते ही कहा कि आज ये दोनों भी तैयार होकर आई है. हम चारों बेडरूम में आ गए. मैंने उन तीनो के कपडे उतार दिए. फिर तीनों ने मिलकर मेरे सारे कपडे उतार दिए. साधना ने मेरे लिंग पर कंडोम लगा दिया. फिर साधना सबसे पहले गद्दे पर लेट गई. मैं उस पर लेट गया और उसकी टांगों को को मैंने अपने हाथों की मदद से फैला दिया और अपना गुप्तांग उसके जननांग में एक झटके से ठूंस दिया. साधना की एक जोर से चीख निकल गई. लेकिन वो मुझसे चिपटी रही. मैंने उसके जननांग को अपने गुप्तांग से लगभग एक घंटे तक अन्दर बाहर कर के खूब रगडा और पूरा पूरा मजा लिया. साधना तो पूरी तरह से मदहोश होकर मजा लेटो रही और आहें भर भर कर अपनी दोनों सहेलियों को भी उत्साहित करती रही. लेकिन मैरी और हरप्रीत हिम्मत नहीं जुटा पाई. साधना संतुष्ट होकर और मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन देकर उन दोनों को लेकर चली गई. एक बार फिर मैं मैरी और हरप्रीत से संभोग नहीं कर सका.
दो दिन के बाद एक बार फिर साधना मैरी और हरप्रीत के साथ आई. आज मैरी ने अपने कपडे उतारे और पलंग पर लेटते हुए कहा " सर आज मैं तैयार हूँ." मैं खुश हो गया. मैंने तुरंत साधना से कंडोम लिया और मैरी से लिपट गया. मैरी ने मरे घबराहट के मुझे जोर से पकड़ लिया. मैंने उसके जननांग के दरवाजे को अपने लिंग से खोल दिया. उसकी आह और चीख एक साथ निकली.लेकिन अगले दो मिनट के बाद वो पूरी तरह से सामने होकर मुझसे अपनी प्यास बुझवा रही थी. हरप्रीत बहुत गौर से यह सब देख रही थी क्यूंकि अगला नंबर उसका था. उसके साधना को पकड़ रखा था और बार बार उससे चिपट रही थी. जब मैरी ने और आगे करवाने में अपनी मजबूरी जताई तो मैंने उसे छोड़ दिया. अब मैंने हरप्रीत को ले लिया. हरप्रीत थोड़ी मजबूत निकली. मैरी केवल दस मिनट के बाद ही अपनी हार मान चुकी थी जबकि हरप्रीत ने पूरे आधे घंटे तक अपने जननांग को मेरे लिंग से खूब रगड़वाया और भरपूर मजा लिया. आखिर में साधना ने भी मुझे पकड़ा. अब मेरी हालत थोड़ी पतली हो रही थी. लेकिन साधना की जिद के आगे मैं मजबूर था. साधना आज तीसरी बार मेरे साथ थी,. मैंने रुकते ठहरते साधना के जननांग को पूरे पौने घंटे तक रगड़ कर और अन्दर बाहर करकर पूरी तरह से लाल कर दिया.
जब तीनों रवाना होने लगी तो साधना ने फोर वे किस करने को कहा. हम सभी ने इस किस को जबरदस्त मजे से किया.
अब जब भी समय और मौका मिलाता है ये तीनो एक साथ ही मुझसे इस ट्यूशन के लिए आ जाती है और घंटों तक रुककर अपनी और मेरी सारी प्यास बुझा जाती है. आप भी ऐसी ट्यूशन करिए खूब मजा आयेगा दोस्तों फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
 
मेरी चाची रागिनी 


ये तब की बात है जब मेने अपने 18 वे साल में कदम रखा था.
मेरे चाचा जो मुझसे सिर्फ़ 8 साल बड़े थे उनकी शादी हो गयी. मेरे
दादा दादी ना रहने पर पिताजी ने ही चाचाजी को पल पोस कर बड़ा
किया था. चाचा ने पिताजी के साथ कारोबार संभाल लिया था. मेरी
चाची रागिनी मुझसे सिर्फ़ 4 साल बड़ी थी.

एक बार छुट्टियों में पिताजी ने माताजी के साथ यात्रा पर जाने का मन
मना लिया. हम लोगो का कपड़े का व्यापार था. जिसकी वजह से चाचा
अक्सर टूर पर जाते रहते थे. मेरी चाची मुझे बहुत पसंद करती
थी अक्सर कहती थी कि एक में ही हूँ जिससे वो बात कर सकती है.

जब पिताजी यात्रा पर चले गये तो चाची मेरा कुछ ज़्यादा ही ध्यान
रखने लगी. वो हर तरह से मेरा ख्याल रखती और मुझे अपनी माताजी
की कमी नही खलने देती थी. मुझे भी उसके साथ रहने बहुत ही
मज़ा आता था. हम अकस्सर खाली समय में हँसी मज़ाक करते, तो
कभी एक दूसरे को जोक्स सुनते तो कभी गेम्स खेलते.

ना जाने क्यों चाची मुझे और अच्छी लगने लगी और मेरे मन में
उनके प्रति काम वासना जाग उठी. में अक्सर उनकी चुचियों को घूरता
रहता. जब वो चलती तो पीछे से मटकते उनके चूतड़ मेरे लंड को
और खड़ा कर देते. उनके पतले गुलाबी होंठ देख कर मन करता उन्हे
अपने होंठों मे जाकड़ चूस लू.

ये वाक़या तब हुआ जब चाचा जी को एक ज़रूरी काम से बाहर जाना पड़ा.
चाचा शादी के बाद पहली बार बाहर जा रहे थे. मा पिताजी भी
नही थे सो उन्होने मुझे समझाते हुए कहा, "राज तुम अपना ज़्यादा
समय घर पर ही बिताना जिससे तुम्हारी चाची को अकेलेपन का अहसास
ना हो. में दो तीन दिन में आ जाउन्गा."

"आप चिंता ना करें चाचा मैं चाची का पूरा ख्याल रखूँगा."
मेने जवाब दिया.

दूसरे दिन चाचा ने ट्रेन पकड़ी और चले गये. जब मैं स्टेशन से
वापस घर पहुँचा तो मेने देखा कि चाची आज बहुत खुस थी.
उसने मुझे अपने पास बुलाया और कहा, "राज आज तुम मेरे साथ मेरे
कमरे में ही सोना. अकेले में मुझे नींद नही आएगी."

में भी चाची की बात सुन कर खुश हो गया. उस रात चाची ने
बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाया और बड़े प्यार से मुझे खिलाया. खाना
खाने के बाद चाची ने मुझे फल दिए खाने को. फल देते समय
चाची ने शरारत से मेरे हाथ को मरोड़ दिया और मुस्कुरा दी. में भी
समझ गया कि ये मुस्कान रोज़ से अलग है.
 
थोड़ी देर बाद चाची अपने कमरे में बिस्तर पर लेट गयी और में
वही उनके कमरे में स्टडी टेबल पर पढ़ने लगा. गर्मी के दिन थे
और कमरा पूरी तरह तप रहा था. मेने अपनी शर्ट उतार दी और
पॅंट पहने ही पढ़ने लगा. बिस्तर के सामने की दीवाल पर एक शीशा
लगा था. में उस शीशे मे चाची को देखने लगा.

मेने देखा की गर्मी की वजह से चाची अपनी सारी उतार रही है.
चाची ने घूम कर मेरी तरफ देखा, पर वो नही जान पाई कि में
उन्हे शीशे में से देख रहा था. फिर उसने अपने ब्लाउस के बटन
खोल ब्लाउस को उतार दिया. चाची के मम्मे इतने बड़े और भारी थे
कि उनको खाली ब्रा उन्हे सम्हाल नही पा रही थी.

चाची बिस्तर पर जाकर पीठ के बल लेट गयी. अपनी चुचियों को
धाँकने के लिए उन्होने एक हल्का सा दुपपत्ता अपने उपर डाल लिया. एक
पल के लिए मेरे मन में आया की में चाची की चुचियों को देखू
पर ना जाने क्यों मेने अपनी ख्वाइश मार अपना ध्यान पढ़ाई मे लगा
दिया.

नींद में जाने के बाद दुपट्टा खसक गया और उनके भारी मम्मे
साफ दिखाई दे रहे थे. हर सांस के साथ जब मम्मे उठते और बैठते
तो एक अलग ही द्रिश्य बनता. मेरे लंड तन कर खड़ा हो रहा था.
12.00 बज चुके थे, जैसे ही में अपनी किताब बंद कर लाइट बंद
करने जा रहा था कि चाची की नींद भरी आवाज़ सुनाई दी, "राज ज़रा
यहाँ आना."

"क्या है चाची?" मैने बिस्तर के नज़दीक खड़े होकर पूछा. चाची ने
तब तक अपने उपर फिर से दुपट्टा डाल लिया था.

"पता नही क्यों आज नींद नही आ रही. ऐसा करो तुम यही मेरे पास
लेट जाओ. हम लोग कुछ देर बातें करेंगे फिर तुम सोने चले जाना."
चाची बोली.

पहले तो मैं थोड़ा झिज़्का फिर तैयार हो गया. में अक्सर अपने
शॉर्ट्स में सोया करता था और आज पॅंट पहनकर सोने मे थोड़ा अजीब
सा लग रहा था. शायद चाची समझ गयी कि में क्या सोच रहा
हूँ, "राज शरमाओ मत. रोज जैसे सोते हो वैसे ही मेरे साथ सो जाओ."

मुझे अपने नसीब पे यकीन नही हो रहा था. कमरे की लाइट बंद कर
मेने टेबल लॅंप जला दिया. में बिस्तर पर उनके बगल में आकर लेट
गया. चाची की चुचियाँ मुझे सॉफ दिखाई दे रही थी.
 
चाची भी मेरी तरफ ही देख रही थी, "इतने महीनो मे में अकेली
कभी नही सोई इसलिए आदत नही है अकेले सोने की," चाची ने कहा.

"और चाची में भी आज से पहले कभी किसी के साथ नही सोया."
मेने ने कहा.

"अनुभव ले लेना चाहिए, जिंदगी में काम आएगा." चाची ने
हंसते हुए कहा और मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मो पर रख दिया.
मेरी सांस उपर की उपर रह गयी. समझ में नही आ रहा था कि क्या
करू. मेने अपना हाथ वही पर रहने दिया.

"मुझे यहाँ पर कुछ खुजली सी हो रही है, थोडा सा खुजा दो नो."
चाची ने मेरा हाथ अपनी चुचियों पर दबा दिया.

में धीरे धीरे उनकी चुचि को ब्रा के उपर से खुजने लगा. चाची
ने मेरा हाथ अपनी ब्रा के अंदर डाल दिया, "यहाँ ऐसे खुजाओ अच्छा
लग रहा है."

में अपना पूरा हाथ चाची की ब्रा में डाल उनकी चुचियों को मसल्ने
लगा. मेने महसूस किया कि चाची के निपल सख़्त हो गये थे. मुझे
चाची की चुचियाँ मसल्ने मे बहुत मज़ा आ रहा था वही ब्रा के
होने से अच्छी तरह नही मसल पा रहा था.

अचानक रागिनी चाची पलटी और पेट के बल लेट गयी, "राज ज़रा ये
ब्रा के हुक खोल दो गर्मी लग रही है."

मेने काँपते हाथो से उनकी ब्रा का हुक खोल दिया. चाची ने ब्रा के
स्ट्रॅप को कंधे से उतार अपनी ब्रा ज़मीन पर फैंक दी. फिर मेरे हाथ
अपनी नंगी चुचियों पर रख दिया, "हां अब ज़ोर ज़ोर से दबाओ अच्छा
लग रहा है."

में चाची और करीब खिसकते हुए अपने दोनो हाथो से उनकी
चुचियाँ मसल रहा था दबा रहा था. चाची सिसक रही
थी, "हाआआआआअँ आईसस्स्ससे ही दब्ाओ, ओह थोड़ा धीरे दर्द हो
रहााआअ है, ओह आआआआः."
 
रागिनी चाची की चुचियाँ एक दम गोल और भारी भारी थी. काले
निपल तन कर सख़्त हो गये थे. में निपल को अपने अंगूठे और
उंगली से भींच रहा था. मेरा 8' इंची लंड पॅंट में तन गया था
और चाची के चूतड़ की दरारों में ठोकर मार रहा था.

अचानक चाची ने कहा, "राज ये मेरी जांघों पे क्या चुभ रहा है?"

अब में भी थोडा खुल गया था, "चाची ये मेरा लंड है जो तुम्हे
चुभ रहा है. चाचा का तुमने देखा ही होगा."

"राज तुम मुझे चाची ना बुलाया करो, ऐसा लगता है कि में बुद्धि
हो गयी हूँ, तुम मुझे रागिनी बुलाया करो." रागिनी ने अपना हाथ
पीछे कर मेरे लंड पर रख दिया.

"ठीक है चाआ……..ओह सॉरी रागिनी आज से में तुम्हे रागिनी ही
बुलाउन्गा." मेने अपना लंड और उससे सटा दिया.

रागिनी ने अपना हाथ मेरी शॉर्ट्स में डाल दिया और मेरे लंड को अपनी
मुठ्ठी में पकड़ लिया, "बाप रे ये तो बहुत ही मोटा और कड़क है."
रागिनी पलट कर मेरी ओर हो गयी थी और मेरे लंड को अपने हाथों
से मसल्ने लगी.

रागिनी ने मेरी शॉर्ट्स उतार दी और मेरे लंड की चॅम्डी को उपर नीचे
करने लगी. मोटे लंड और लाल सूपदे को देख वो दंग रह गयी, "राज
कहाँ छुपा रखा था इसे इतने दिनो से?"

"यहीं तो था तुम्हारे सामने पर तुमने कभी ध्यान ही नही दिया."
मेने उसकी चुचि को ज़ोर से मसल्ते हुए कहा.

"ओह माआआआअ" रागिनी सिसक कर बोली. "मुझे क्या पता था कि
भतीजे का लंड चाचा के लंड से बड़ा और मोटा होगा."

में रागिनी की भाषा और बातें सुनकर दंग रह गया. मुझे क्या पता
थी कि चाची इतनी बिंदास औरत है. वो ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को
मसल रही थी. रागिनी ने अपना पेटिकोट उठा दिया और मेरे लंड को
अपनी टाँगो पर रगड़ने लगी.

अब रागिनी की चुचियाँ मेरे चेहरे को छू रही थी. में अपने दोनो
हाथों से उन्हे रगड़ और मसल रहा था. अचानक रागिनी ने अपनी
चुचि मेरी होंठों पर दबा दी, "इन्हे चूसो मुँह में लेकर ज़ोर ज़ोर
से ."

मेने रागिनी की चुचियों को मुँह में ले चूसने लगा. कभी में
उसके निपल को अपने दांतो से काट लेता तो वो सिसक पड़ती.

मेने उसकी चुचि को मुँह से निकाला और कहा, "रागिनी जब भी ये
तुम्हारी बड़ी बड़ी चुचियाँ तुम्हारे ब्लाउस से बाहर झलकती थी तो मेरा
मन करता कि इन्हे ज़ोर से भींचू. में हमेशा कल्पना करता था
इन्हे मुँह में ले चूसू ज़ोर से मसल दू. तुम नही जानती तुमने मेरे
लंड को कितना परेशान किया है."

"तो फिर आज अपनी कल्पना को हक़ीक़त का रूप दे दो." कहकर रागिनी
ने अपनी चुचि और मेरे मुँह में घुसा दी. में ज़ोर से उसकी चुचि
को मसल रहा था चूस रहा था. रागिनी भी मेरे लंड को ज़ोर से
रगड़ रही थी. रागिनी ने अपनी एक टांग मेरी कमर पर रख दी और
मेरे लंड को टाँगो के बीच रगड़ने लगी.
 
गतान्क से आगे
रागिनी ने कोई पॅंटी नही पहन रखी थी. मेरा लंड उसकी झटों में
घूम रहा था. रागिनी मेरे लंड को अपनी झटों के बीच ले मसल रही
थी. एक अजीब ही सिरहन और उत्तेजना में हम दोनो भरते जा रहे
थे.

"रागिनी मुझे कुछ हो रहा है, बताओ में क्या करूँ? मेने अपनी
कमर को और उसकी कमर से चिपकाते हुए कहा.

"तुमने कभी किसी लड़की को चोदा है?" रागिनी ने मेरे लंड को
मसल्ते हुए पूछा.

"नही."

"इतना मोटा लंड लेकर भी आज तक किसी को नही चोदा! कितने दुख की
बात है. क्या शादी तक कुंवारे ही रहना चाहते हो?" रागिनी ने
पूछा.

में क्या कहता. मेरे पास शब्द नही थे कुछ कहने को. में बस
रागिनी को देखे जा रहा था.

रागिनी ने मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथों में लिया और मेरे होंठो
को चूमते हुए मेरे कान में फुसफुसा, "क्या अपनी चाची को चोद्ना
चाहोगे?"

"क…..क्यों नही!" मेने सूखे गले से बोला.

"ठीक है फिर अपनी शॉर्ट्स उतार कर नंगे हो जाओ?" रागिनी ने कहा.

में बिस्तर से उतर कर खड़ा हुआ और अपनी शॉर्ट उतार दी. अब पूरा
नंगा अपनी आध नंगी चाची के सामने खड़ा था.

रागिनी ने मेरे लंड को पकड़ा और अपने पेटिकोट का नाडा ढीला कर
दिया, "इसे भी उतार दो."
 
में उसके पेटिकोट को पकड़ खींचने लगा. उसने अपनी कमर उठा
दी जिससे पेटिकोट निकल गया और वो पूरी तरह से नंगी हो गयी.
उसने अपनी टाँगे फैला दी जिससे मुझे कमरे की मंद रोशनी में उसकी
चूत सॉफ दिखाई दे रही थी. चूत के चारों और उगी झटें
रोशनी में चमक रही थी. मुझे ऐसा लग रहा था कि चुदाई की
देवी बिस्तर पर लेटी हो.

उसने मेरे कंधों को पकड़ा और कहा, "अब मेरे उपर आकर लेट जाओ."

में उसके उपर आकर लेट गया. उसे बदन से चिपटते ही मेरा शरीर
थिर्थुरा गया. उसकी बदन की गर्मी मुझे मदहोश कर रही थी. मेरा
लंड उसकी चूत के मुँह पर ठोकर मार रहा था.

रागिनी ने मेरे गले में बाहें डाल मेरे होंठों को अपने होंठों मे ले
चूसने लगी. तभी उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी. में भी
उसकी जीभ को चूसने लगा. वो मुझे कस के भींच रही थी.

में उसके चेहरे चूम रहा था, फिर उसकी थोड़ी को. नीचे होते हुए
मेने उसकी गरदन पर एक चुम्मा लिया फिर उसके मम्मो को मुँह में ले
चूसने लगा. मेरा हाथ उसके शरीर पर रैंग रहा था. में उसके
शरीर को दबा रहा था सहला रहा था. उसके मुँह से सिसकारिया निकल
रही थी, "ओह राआाज हाआआं अच्छा लगगगगगगग रहााआ है
आईसस्स्स्ससे ही कार्रर्ररर्ते जाओ."

रागिनी ने अपने शरीर को थोड़ा सा खिसकाते हुए अपना दाया हाथ मेरे
लंड पर रख दिया और मसल्ने लगी. फिर उसने अपने बाए हाथ से
मेरा दाया हाथ पकड़ अपनी चूत पर रख दिया. उसका इशारा समझ
में उसकी चूत को सहलाने लगा. कभी ज़ोर से मुठ्ठी में भींच उसे
दबा देता.

मेरी उंगलिया उसकी चूत के पानी से गीली हो रही थी, "राज अपनी उंगली
मेरी चूत में डाल दो?"

मेने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी. चूत गीली होने की
वजह से उंगली आसानी से अंदर चली गयी. फिर में अपनी दूसरी
उंगली भी अंदर डाल उसे उंगली से चोद्ने लगा, "हााआअँ और
जोर्र्र्र्ररर सीई डाआआअलो ओह आआआः."
 
में एक हाथ से उन्हे उंगली से चोद रहा था और दूसरे हाथ से उसके
मम्मे पकड़ चूस रहा था. वो भी उत्तेजना मे मेरे लंड को खूब ज़ोर
से मसल रही थी.

रागिनी ने अपनी टाँगे और फैला दी और मेरे लंड को अपनी चूत के
मुँह पर रख दिया, "अब अपना लंड मेरी चूत में घुसाओ……..धीरे
से……..प्यार से नही तो मुझे दर्द होगा."

मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड किसी भट्टी पे रख दिया गया
हो. उसकी चूत इतनी गरम थी और में भी चुदाई में अनाड़ी था,
मेने एक ज़ोर का धक्का लगा अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया.

रागिनी को थोड़ा दर्द हुआ, "ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईई माआआअ." पर उसकी चूत
पहले से ही काफ़ी गीली थी इसलिए मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों
में समा गया.

"राज ऐसे ही पड़े रहो हिलना मत." कहकर वो अपने हाथ से अपनी चूत
को सहलाने लगी. शायद उसे थोड़ा दर्द हुआ था, मेरे लंड की लंबाई
और मोटाई ने शायद उसकी चूत दी दरारो को और चौड़ा कर दिया था.

में उसके शरीर पर ऐसे ही कुछ देर लेटा रहा. उसके मम्मे तन कर
मेरे चेहरे के सामने थे. में एक बार फिर उसके निपल को अपने मुँह
में ले चुभलने लगा. रागिनी ने तभी अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर
से लपेट ली और कहा, "राज अब शुरू हो जाओ, चोदो मुझे."

मेने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी. मेरा लंड उसकी चूत के अंदर
बाहर हो रहा था. पहले तो में धीरे धीरे कर रहा था पर
उत्तेजना के साथ मेरे धक्को की रफ़्तार तेज हो गयी.

रागिनी भी मेरे चूतड़ को पकड़ अपने चूतड़ उछाल मेरे धक्को का
साथ दे रही थी, "हााआआं चूऊऊऊदो मुझीईई फ़ाआआद दो
मेर्रर्ररर चूओत को आआआज ओह जोर्र्र्र्र्ररर से हाआआं जोर्र्र्ररर
से."

मेने अपने दोनो हाथ उसके कंधो पर रखे और ज़ोर के धक्के लगाने
लगा. चाची आँख बंद किए चुदाई का मज़ा ले रही थी. मेने अपने
होंठ उसके होंठों पर रख चूसने लगा और वही और ज़ोर की ठप मार
उसे चोद्ने लगा.

"ओह हााआअँ राआआअज जोर्र्र्र्र्ररर से मेरााआ छुउतन्ने
वलल्ल्ल्ल्ल्ल है." रागिनी सिसक रही थी, "आआआअहह ओह
मीईएईन तूओ गाआआआई." उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

मेरा लंड तन रहा था और मुझसे रुका नही जा रहा था. "ओह
चााआची मेरााआअ भी छुउऊुुुउउटा." कहकर मेरे लंड ने वीर्य
की बौछार उसकी चूत में कर दी. रागिनी ने ज़ोर से मेरे लंड को
अपनी टाँगो में भींच लिया जैसे मेरे लंड का सारा पानी निचोड़ लेना
चाहती हो.

हम दोनो अपनी उखड़ी सांसो के साथ एक दूसरे की बाहों में लेटे थे.
रागिनी ने फिर मुझे भींचते हुए मेरे कान मे कहा, "राज आज से
पहले ऐसे मुझे किसी ने नही चोदा. तुमने तो कमाल कर दिया."

"कमाल तो तुमने किया चाची, अगर तुम मुझे ना उकसाती तो थोड़ी में
ये कर पाता." मेने उसे बाहों में भरते हुए कहा.

रागिनी एक बार फिर मेरे लंड को मसल्ने लगी. में भी उसकी
चुचियों को चूस्ते हुए अपनी एक उंगली उसकी चूत मे डाल अंदर बाहर
करने लगा. थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से तन गया. रागिनी भी
फिर उत्तेजित हो गयी थी.
 
मेने अपना लंड उसकी चूत मे घुसा कर उसे फिर चोद्ने लगा. चुदाई
का खेल पूरी रात इसी तरह चलता रहा. उस रात हमने तीन बार चुदाई
की. आख़िर थक कर हम एक दूसरे की बाहों में सो गये.

साइड टेबल पर अलार्म घड़ी में जब घंटी बजी तो मेरी आँख खुली.
मेने देखा सुबह के 6.30 बज चुके थे. शरीर में अभी थकावट
थी. चाची ने भी आँख खोली और मुस्कुरा दी और मेरे होंठों को
चूम लिया और शरारत में अपने दांतो से काट लिया. रागिनी फिर उठ
कर चली गयी और घर के काम में जुट गयी.

*********

दूसरे दिन में कॉलेज नही गया. नाश्ता करने के बाद खाने के समय
तक में पढ़ाई करता रहा. खाना कहने के बाद चाची मेरे कमरे मे
आई. मेने देखा की रागिनी ने सिर्फ़ लहनगा और चोली पहन रखी
थी.

रागिनी मेरे बगल में बिस्तर पर बैठ गयी और मेरे हाथ से मेरी
किताब छीन ली, "इतना भी ज़्यादा पढ़ना ठीक नही होता, सेहत पर असर
पड़ता है." कहकर वो शरारत से मुस्कुरा दी.

मेने रागिनी का हाथ पकड़ अपनी ओर खींचा और अपने होंठ उसके होंठो
पर रख दिए. उसने भी साथ देते हुए मेरे निचले होंठ को अपने होंठ
में ले चूसने लगी. काफ़ी देर तक हम इसी तरह एक दूसरे को चूमते
रहे.

"तुम कितनी अच्छी हो रागिनी," मेने कहा, "अपनी चूत दी, मुझे
चोदना सिखाया, चाचा भी तुम्हे ऐसे ही चोद्ते है क्या?"

"चोदते है पर उनमे तुम्हारी जितनी ताक़त नही है. उनका लॉडा भी
तुम्हारे लंड से पतला और छोटा है. उनका पानी जल्दी ही झाड़ जाता
है और वो सो जाते है. में प्यासी ही रह जाती हूँ और पूरी रात
तड़पति रहती हूँ." रागिनी ने कहा. और मुझे खींच कर मेरे चेहरे
को अपनी छातियों पर दबा दिया.

में अपने चेहरे को रागिनी की चुचियों की दरार में रख वहाँ
जीभ से सहला रहा था और साथ ही उसकी पीठ को मसल रहा था.
मेने अपने हाथ से उसकी चोली की डोर खोल दी जिससे उनकी चोली ढीली
हो गयी. मेने अपना दाया हाथ उसकी चोली में डाल कर उसके मम्मे
दबाने लगा और साथ ही बाएँ हाथ से उसका घाघरा उपर कर दिया.

मेने अपना हाथ उसके चूतड़ पर फिराया तो पाया कि उसने अंदर कुछ
भी नही पहन रखा था, में उसके चूतड़ को सहलाने लगा. मेरा
सोया लंड तन कर खड़ा हो चुक्का था.

रागिनी ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे पयज़ामे का नाडा खोल दिया और
मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया, "राज तुम्हारा लंड कितना
अच्छा है, कितना मोटा है. राज को जब मेने इसे देखा और तुमसे
चुदवाने की सोचा तो एक बार तो में डर ही गयी थी कि कहीं तुम्हारा
लंड मेरी चूत को फाड़ ही ना डाले."

रागिनी अपनी उंगलिया मेरी झटों मे फिरा रही थी और साथ ही मेरे
लंड को मसल रही थी. थोड़ी देर बाद उसने खड़ी होकर अपनी चोली
उतार दी और मेरे पयज़ामे को भी नीचे खस्का दिया. मेने अपने कूल्हे
उठा कर उसकी मदद की.

अब में बिस्तर पर नंगा बैठा था और मेरा लंड सिर उठाए रागिनी
के चेहरे को देख रहा था. रागिनी घुटनो के बल मेरी टाँगो के बीच
बैठ गयी और मेरे लंड को अपनी मुठ्ठी में ले रगड़ने लगी. थोड़ी
देर रगड़ने के बाद अचानक उसने मेरे लंड को अपने मुँह मे ले लिया.

में चौंक गया, मेने सपने मे भी नही सोचा था कि कोई लंड को
अपने मुँह मे भी लेता है, "चाची ये क्या कर रही हो? और मेरा लंड
अपने मुँह मे क्यो ले रही हो?"

"चूसने के लिए और काहे के लिए, तुम आराम से बैठे रहो और लंड
चूस्वाई का मज़ा लो. ये सब दुनिया मे होता रहता है." चाची ने
मेरे लंड को और अपने मुँह में घुसाते हुए जवाब दिया.
क्रमशः..................
 
ये मेरा पहला अनुभव था लंड चुसवाने का. जो सिरहन सी मेरे शरीर
मे भरती जा रही थी कि में लिख नही सकता. मुझे लग रहा था
कि में सातवे आसमान में पहुँच गया हूँ. थोड़ी ही देर में मेरे
लंड मे तनाव आना शुरू हो गया, "चाची रुक जाओ मेरा छूटने वाला
है."

पर रागिनी मेरी बात पर ध्यान ना देते हुए और ज़ोर ज़ोर से चूसने
लगी. मुझसे रुका ना गया और मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारी रागिनी के
चेहरे पर छोड़ दी. थोड़ा पानी उसकी चूचियों पर भी गिर गया.

उसके चेहरा मेरे पानी से चमक रहा था, उसके होंठों से टपकता
मेरा वीर्य, और उसके चेहरे पर गिरा पानी उसे और मादक बना रहा
था. उसने अपने होंठों से मेरे वीर्य की बूँदो को चूस्ते हुए
कहा, "क्यों राजा मज़ा आया लंड चूसवाने मे."

मेने एक कपड़ा लिया और उसके चेहरे और चुचियों पर से अपने रस को
पौंचने लगा. "राज अब तुम्हारी बारी है."

"क्या मतलब, में कुछ समझा नही." मेने थोड़ा चौंकते हुए पूछा.

"अब तुम मेरी चूत चॅटो." कहकर रागिनी मेरे सामने खड़ी हो गयी
और अपना घाघरा उपर को उठा दिया जिससे उसकी नंगी चूत और खुल
गयी.

रागिनी मेरे चेहरे के इतने पास खड़ी थी कि उसकी चूत ठीक मेरे
मुँह के ऊपर थी. उसने अपना हाथ मेरे सिर पर रख अपनी चूत पर
दबा दिया. मेने अपने दोनो हाथ उसकी चूतड़ पर रखे और उसकी
चूत के चारों तरफ अपनी जीब घुमाने लगा. "ओह आआआआ" उसके
मुँह से सिसकारी निकल पड़ी.

में मज़े लेकर उसकी चूत को अपनी जीब से चाट रहा था. उसने
अपनी टाँगे और फैला दी, "अपनी जीब को अब मेरी चूत के अंदर डाल दो
और अंदर बाहर करो?" उसने मेरे सिर पर दबाव बढ़ाते हुए कहा.

मेने उसकी गांद के छेद में एक उंगली घुसाते हुए अपनी जीब उसकी
चूत में डाल दी और चारों तरफ घुमाने लगा. उसकी चूत से
उठती खुश्बू और चूत का स्वाद मुझे पागल किए जा रहा था,
मेने उसके चूतड़ पकड़ उसे घुमाया और बिस्तर पर लिटा दिया.
 
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