Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति - Page 11 - SexBaba
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Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति

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ऐसे ही 10 मिनट के बाद मैं मोम को अलग कर देता है। क्योंकी अब मेरा लण्ड साला रूक ही नहीं रहा था। क्योंकी यहां तो मजे में ले रहा था, और लण्ड साला इन सबकी बजह से फड़फड़ा रहा था। तो मोम को अलग करके उन्हें नीचे घुटने के बल बिठाकर लण्ड चूसने को कहा।

में- "आ:: मोम अब और मुझसे नहीं हो रहा, अब मेरा लण्ड चूसो तुम्म..."

मेरे कहने पर मोम नीचे बैठ गई मेरा लण्ड चूसने को, अब उनकी नाइटी चूचियों और गाण्ड से हट गई थी। जिससे उनकी मोटी बड़ी गाण्ड में फैलकर क्या मस्त लग रही थी। मुझे तो नशा चढ़ने लगा था। मोम तो बैठकर दोनों हाथों से लण्ड पकड़कर उसे चूसना शुरू कर दी। शायद एक्सपर्ट श्री वा इसमें, क्योंकी उनके चूसने में पता चल रहा था। पहले आगे से तड़पाते हए फिर जितना हो सके उतने लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी। क्या मस्त चूस रही थी एकदम चंडी की तरह, और मुझे तो ऐसा ही चाहिए होता है।

मैं- "आअहह... उम्म... कितना मस्त लण्ड चसती हो... आह्ह.. मजा आ रहा है मेरी रांड़... साली रंडी हाँ ऐसे ही चूस... अब मैं मुँह चोदने लगा... हाँ हाँ उम्म्म आह्ह.. ही माम...

माम मेरे मुँह से ऐसी गली सुनकर चकित हो गई, फिर सोचा पहले सेक्स का नशा होगा- “आहह... गैं-गै ओह्ह... मुऊऊउ सुर सुब्ब गु गुलगु.."

कोई 10 मिनट बाद मोम ने लण्ड बाहर निकाल लिया। शायद अब मैंह दुखने लगा था, पर वो नहीं जानती थी की इस चुदाई के बाद क्या-क्या दुखने लगेगा? तो उन्होंने लण्ड को अपनी मोटी-मोटी चूचियों के बीच लेकर मुझे धक्के मारने का इशारा किया। साला मेरे को और क्या चाहिये था, मैं भी शुरू हो गया। कुछ देर बाद मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और मैं उनके ऊपर आकर फिर चूचियां चोदने लगा, और मोम भी दोनों चूचियों को पकड़कर दबाते हुए खूब मजे ले रही थी।

फिर कुछ देर बाद चूचियां चोदने के बाद अब मुझे चूत चोदनी थी, तो थोड़ा नीचे आकर उनकी दोनों टाँगों को फैलाते हुए उठा दिया और लण्ड चूत के मुँह पर टिकाकर एक धक्का मारा, और ऐसे ही दो और धक्का मारा की मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में था। वो शायद पहले धक्के में रोकने को बोलती, पर उससे पहले ही दो धक्के और मार दिया था। जिसमें उनकी बोलती बंद और मैं दनादन शुरू हो गया।

मोम पहले भी लण्ड ले चकी थी। पर ऐसे दो बड़े धक्कों में पूरा और लिए भी कुछ दिन हो गये थे, तो दर्द ही क्या चूत से खून भी निकलना ही था, और कुछ दो मिनट बाद उनकी आवाज आई- "कमीने, भड़वें, साले... मोम चुदने को क्या तैयार हुई की सीधे फाड़ दी तुमने... मादरचोद, धीरे नहीं कर सकता था क्या आह्ह... आइ: दर्द हो रहा है."

मैंने मोम की बात का कोई जवाब नहीं दिया। अब तो बस में चोदने में मस्त था। मैं तो जोर-जोर से धक्के लगाए जा रहा था। और 5 मिनट बाद अब उनकी चूत भी पूरा साथ दे रही थी। शायद पूरी मस्त हो गई थी, और सालों की प्यास जो थी तो ऐसा तो होना ही था।

फिर कुछ देर में में खड़े होकर उनका एक पैर उठाकर चोदने लगा। वो एक बार तो पानी छोड़ चुकी थी। लेकिन गर्मी बहुत श्री ता साली अभी भी लगी हुई थी। फिर मुझे बेड फा लिटाकर खुद से उछलकर लण्ड चूत में लेने लगी और फिर मेरे ऊपर लेटकर गाण्ड उठकर चुदने लगी। क्या मस्त थी माम।

मोम- "हाँ ओहह.. ऐसे ही चोदो मुझे, मजा आ रहा है ही आहू चोदो... हाँ फक्क आह्ह.."

फिर माम कुछ ही देर में झड़ने लगी तो मैं फट से खड़ा हो गया। मैंने सोच अब कही गाण्ड ना मिली तो? और वैसे भी अभी मेरा हुआ नहीं है तो मैंने मोम को फट से घोड़ी बनाकर लण्ड को गाण्ड पर टिकाकर एक जोरदार धक्का मारा की मेरा लण्ड गाण्ड फाइत हए आधा चल गया। अब तो उसकी ताकत बढ़ गई थी, दूसरे लण्ड भी चिकना था तो ऐसे ही घुस गया और माम झड़ने का मजा लेकर रूकी भी नहीं थी की मेरे ऐसे करने का मतलब समझती, उससे पहले ही मैंने घोड़ी बनाकर लण्ड गाण्ड में ठोंक दिया था, और वो तेजी से चिल्लाई। बो अभी और चिल्लाती की मैंने फिर एक और ऐसा ही धक्का मारा की उनकी चीख गले में ही रुक गई।

मोम- हाय आहह... मेरी गाण्ड... साले कत्ते, कमीने तेल लगाकर आराम से नहीं मार सकता था क्या? मेरी गाण्ड में कितना दर्द हो रहा है... आह माधरचोद कमीने, रुक्क जा कुछ देर तो.."

में धक्के पर धक्के मारते हुए मोम की गाण्ड मार रहा था। उन्हें अब दर्द हो रहा था, और वो तो होता ही रहेगा। फिर काई 15 मिनट बाद अब बा भी गाण्ड हिलाकर साथ दे रही थी। फिर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो वा मुझे फिर सुनाने लगी। लेकिन मैं बिना सने उन्हें उठाकर एक कुर्सी पर बिठाकर उन्हें गाण्ड बाहर निकालने को बोला, क्योंकी में उस पोजीशन का बदलकर चोदना चाहता था, और फिर वैसे ही गाण्ड मारने लगा।

अब वो पहले से मस्त हो चुकी थी और अब मेरा भी टाइम आ चुका था, तो में भी जोर-जोर से और लंबे धक्के मार रहा था और कुछ ही देर में मेरा पानी निकलने वाला था, तो मैं मोम को नीचे बैठाकर उनके ऊपर पूरा पानी छोड़ दिया। वो मेरे पानी में पूरी सफेद हो गई थी, मैं पूरा पानी हिलाकर निकाल दिया फिर कपड़े पहनकर निकल गया। लेकिन इस पो पूरे लस्टी सेक्स को कोई देख रहा था, तो दोस्तों गैस करो।
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कड़ी_33 मैं मोम के रूम से बाहर निकलकर सीधा अपने रूम की तरफ बढ़ गया, क्योंकी में वाली चदाई में मैंने अपनी बहुत एनर्जी लगा दी थी, और निकल भी गई थी। आज पहली बार मैं सिर्फ एक बार सेक्स करने से थक गया था और वो भी इतना की अब मुझे नींद आ रही थी, तो मैं अपने रूम में जाकर सो गया। इधर मोम के रूम में मेरे जाने के वक्त मोम अपनी थोड़ी सी खुली आँखों से मुझे देख रही थी उन्होंने सोचा की मैं उनकी हेल्प करंगगा। पर ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ बल्की में तो ऐसे चोदकर निकल गया। उनको समझ में नहीं आ रहा था की मैं ऐसा कैसे कर सकता है? वो ये सब बातें ही सोच रही थी क्योंकी उठ तो सकती नहीं थी, उनकी गाण्ड जो सूज गई थी।

अब मोम वाले रूम से ये सब देखने वाला और कोई नहीं बल्की वो आत्मा थी जो ये सब देख रही थी। उसका अपनी वो सब करनी भी याद आ रही थी, वो ये सब रोकने की कोशिश तो कर रहा था पर रोक नहीं पा रहा था। सब हो जाने के बाद वो वहीं बैठा हुआ अपने फ्लैशबैंक में चला जाता है।
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फ्लॅशबैक

शुरु ये सब शुरू हुआ था उसके उस छोटे से गाँव से जिसका नक्शे में भी कोई स्थान नहीं है, जिसका नाम है बिलासपुर। ये एक बहुत छोटा और पुराना गाँव है, जहां अब भी जमीदारों का राज चलता है। यहां सभी पुरानी सोच में जीते हैं, जिसका यहां का जमींदार पूरा फायदा उठाता है।

यहां की औरतों का पहनावा घाघरा और चोली है और मदों का धोती और कुर्ता है। यहां बिलासपुर के एक तरफ एक बहुत घना और खतरनाक जंगल है, जो इतना खौफनक है की आज तक लोग दिन के उजाले में भी कभी अंदर नहीं गये। लोगों का कहना है की यहां एक बहुत बड़ा तांत्रिक है, जिसके कब्जे में पिशाच, चुडैल और डायन हैं। रात में तो कई आवाजें और हैवानियत यहां होती रहती है। आज तक जो भी वहां गया वो वापस नहीं आया, पर एक था जो लौटकर आया। इसलिए लोग रात में तो क्या दिन में भी इधर आने से डरते हैं।

इतना कुछ होने के बाद भी सबसे ज्यादा हैरत की बात ये थी की यहां एक भी मंदिर नहीं है ना पहले था। क्योंकी ये लोग उस तांत्रिक और यहां के जमींदार को ही सब कुछ मानते हैं और इनकी यही सोच इनके दुखों का कारण बनी है, और वो दोनों ही इसका खुब फायदा उठाते हैं।

यहां की औरतें तो अब बस जमादार और उसके बेटों के जिस्म की भख को मिटाने के लिए रह गई है क्योंकी सब जानते हैं की इसके संबंध उस तान्त्रिक से भी हैं, तो डर होना ही है।

बिलासपुर एक 17 परिवारों का मिला-जुला एक छोटा सा गाँव है, जमींदार के परिवार को मिलाकर। जहां सभी मजदूर हैं, वो भी यहां के जमीदार की जमीन और उसकी छोटी सी हवेली पर काम करते हैं, जो यहां के बाकी लोगों के लिए बहुत बड़ी है। सभी के ऊपर जमींदार में लिए भारी कर्जे का बोझ है, जिसे लोग कभी चुका नहीं पाए हैं। यहां सिर्फ और सिर्फ जमींदार का ही कानून चलता है और बो इनपर बहुत जुल्म करता है और अपनी हवस पूरी करता है। जिससे पूरा गाँव दुखी है। लेकिन इनकी सोच को बढ़ाने से उन्होंने खुद ही रोका हुआ है।
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01. मनोज नायर- बिलासपुर का एक थोड़ा अमीर। वहां के लोगों के मुकाबले ज्यादा था ही था उनके लिए जिसके चलते यहां का जमींदार है, उम 40 साल, हाईट 5'5" इंच, लण्ड वहीं 5 इंच लम्बा और 1/" इंच मोटा।

ये बस मजदूरों से काम करवाता है और उनकी औरतों को चोदा करता है।

02. मुनि नायर- ये मनोज की बीवी है पर ये एक गुलाम से ज्यादा कुछ नहीं हैं। गाव वालों के लिए जरूर बड़ी है, पर बाकी कोई न इनसे इरता है और न इनकी बात मानता है। उसका कमीना पति इससे जो भी कहता है इस वो करना ही पड़ता है, उम्र 35 साल, इनकी शादी जल्दी कर दी गई थी क्योंकी ये गरीब परिवार से थी और
आगे से बड़े घर का रिस्ता आया था, ये सबसे डरी हुई रहती है।
 
इन दोनों के दो बेटे हैं वो भी जुड़वा, जिसके कारण दोनों का चेहरा मिलता था।

01. गज नायर- मनोज और मुनि का बड़ा बेटा, उम 20 साल,
02.
03. रंजीत नायर- मनोज और मुनि का दूसरा बेटा, उम्र 20 साल, ये राज से दो घंटे लेट पैदा हुआ था। ये दोनों इस गाँव से दूर एक मस्त शहर में पढ़ रहे हैं।
04.
में पानी राज नायर जब से 18 साल के जवान हुए हैं, तभी से आज तक मैंने और मेरे भाई ने अपने बाप को हर औरत को अपने बाप के नीचे देखा हैं और मेरा बाप उनके जिम के खूब मजे लेता था। और मेरी मोम भी कुछ नहीं कहती थी क्योंकी मेरा बाप उन्हें मारता भी था, जिससे उनके मन में बहुत डर बैठ गया था। माने में शुरू के कुछ साल ही मोम के साथ खूब सेक्स किया। पर हम पैदा हो गये और फिर उसको बाहर मुँह मारने में मजा आने लगा। और जब हम दोनों बड़े हए तो हम भी अपने बाप के साथ यहां की औरतों का जिस्म नोचतं, हमें भी इन सब में बहुत मज़ा आने लगा था।

हम दोनों अब हमेशा ऐसे ही चूत के चक्कर में रहते थे और दिन में एक-दो बार तो मौका मिल ही जाता था। ऐसे ही हमारी हवस बढ़ती जा रही थी। लेकिन मेरे का बड़ा बनना भी था और खूब पैसे कमाकर दुनिया के सारे ऐस-ओ-आराम से जीना चाहता था और शायद यही चीज हम दोनों भाइयों में कुछ फर्क दिखाती थी, जो आगे चलकर एक बड़े फासले करके और हम दोनों को अलग भी करती थी। जिससे मैं कुछ अच्छा बनने लगा और मेरा भाई बुरा होता गया।

वो ये है की मैं बड़ा बनने के सपने के कारण पढ़ता भी था, जिससे पढ़ाई में अच्छा था। पर रंजीत को तो मेरे बाप की तरह कमीजा बनना पसंद था और वो वैसा ही बनाता चला गया, या ये कहो उससे भी बड़ा कमीना बन रहा था, अब जहां ऐसा कुछ होता रहे तो उस गाँव के लोग और उनके बच्चे कैंस होंगे ये तो आप सोच ही सकते

ऐसे ही दिन बीत रहे थे की मुझे हमारे गाँव की एक लड़की पसंद आ गई। अभी तो उसकी जवानी शुरू हुई ही थी और उसकी सोच भी मेरी तरह थी, बड़ा आदमी बनने की और वो ऐसे गाँव में रहने की वजह से बहुत कामुक थी। उसकी एक छोटी बहन भी थी और वो भी मुझे पसंद करती थी। अब मैं गाँव के अमीर आदमी का बेटा था और अच्छा दिखता भी था। वैसे तो रंजीत भी ठीक-ठाक था लेकिन उसे पढ़ने से ज्यादा चूत का नशा था और गुन्डों की तरह बहता था, जिससे उसे कोई पसंद नहीं करता था। लेकिन बाप का माल समझकर साला हमेशा जबरदस्ती करके मजे लिया करता था।

अभी तक गाँव की लड़कियां बची हुई थीं। क्योंकी वैसे सब परेशान थे हम बाप-बेटों से और अब अगर उनकी बच्चियों के साथ भी ऐसे ही करते तो सब भबगावत कर देते। इसलिए मनोज नायर ने हमें ये करने के लिए मना किया था। हाँ पर फंसाकर कुछ भी कर सकते थे, लेकिन जबरदस्ती नहीं। ऐसा नहीं की बो इससे इगता था। चाहे तो सभी को ऐसे ही कचल सकता था। लेकिन इससे उसका मजा और लालू के साथ जो शक्ति वा हासिल करना चाहता था, जिसमें इनकी बलि भी लगनी थी।

वहीं रंजीत अब अपनी मोम को ही अपनी हवस का शिकार बनाना चाहता था। उसको उसका जिक्षम अब सिर्फ खेलने का सामान दिखने लगा था।

अब डैड ता बाहर ही रहते थे तो उसी का फायदा उठाकर जीत एक रात में अपनी मोम को जबरदस्ती चाद दिया, और मोम पता नहीं डर और अपनी इज्जत चलते कुछ नहीं बोली किसी को। अब ये रोज का काम बन गया था।

फिर एक दिन मेरा बाप घर ही था तभी मोम ने उनसे बात करने की कोशिश की। अभी घर में कोई नहीं था

और में किसी काम से घर आया था तो उनकी बात सुनकर रूक गया और पूरी बात सुनने लगा।

मोम- "मुनिए जी बो... बो... वो रजीत अब बड़ा हो गया है, उसने मेरे साथ भी जबरदस्ती की है और अब तो बो रोज ही करने लगा है... मोम ने इरते हए अपनी बात कही लेकिन जो मेरे कमीने बाप ने कहा उसे सुनकर में तो पूरे आश्चर्य में था और मैंने देखा की दूसरी तरफ पंजीत भी सब सुन रहा है।

डैड- "तो क्या हुआ, उसने तेरी चूत मार ली तो कौन सा घिस गई? अब जवान है ता चूत तो मरेगा ना... और साला मेरा बेटा है तो मुझसे भी आगे है। लगता है मेरे बाद वहीं राज कर सकता है इस गाँव पर..." में बोल उसके डैड कमीनी हँसी हँसने लगे।

मोम फिर डर जाती हैं। अब वो कर भी क्या सकती थी लेकिन।।
 
कड़ी 34 फ्लैशबैक जारी

और उसकी मस्त जवान लड़की नाम था रति, और उसकी छोटी बहन का कमी। पर कमी थी नहीं उसके जिम में भी, पा मस्त जिम था उसका भी। फिर ऐसे ही मैंने रति में अपनी बात कही और वो मान भी गई। अब गाँव का माहौल ही ऐसा था की हम भी जबानी और जिश्म की आग में बढ़ते चले गये। अब रति इतनी मस्त
और कामुक लड़की थी की मैं उसे चोदते हए मस्त हो जाता था और वो भी ऐसे मजे लकर चुदती की कोई देखें तो ऐसा कहें 'यार बस कर बार मेरे भी नीचं आ जाए और उसक जिएम भी तो पूरे गाँव में सबसे मस्त था और चेहरा भी। इसीलिए तो मेरे बाप और भाई ने रति को लपेटने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसे वो पसंद नहीं थे और उसे भी मेरी तरह बड़ा बनाना था। लेकिन उसकी ये इच्छा तभी पी हो सकती थी, जब उसकी शादी राज से हो जाये।

तो फिर क्या था मैंने अपने बाप से रति के साथ शादी करने की बात कही, और उसका बाप पहले तो चकित हुआ लेकिन फिर बहुत सोचकर मुझे ही कह दी, मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था।

मनोज ने सोचा की शादी के बाद गाँव के सभी लोग उसको फिर मानने लगेंगे, क्योंकी उसने इन गुलामों से जो उसके बेटे की शादी करवाई है और फिर अब तो ये सब कच्ची कलियों को मसलने का जरिया बनेंगी।

लेकिन ये तो कुछ नहीं। रंजीत ने जब ये सुना तो उसने भी रति में शादी के लिए बोला, तो मैं भड़क गया। साला मेरे माल पर ही डाका, और फिर हमारी लड़ाई हो गईं। लेकिन मेरे बाप में पता नहीं उसे साइड में ले जाकर क्या बोला की जीत मान जाता है और वो भी उसकी छोटी बहन कमी से शादी करेंगा अब मुझे क्या करना था बस फिर क्या था हो गई शादी।

मनोज ने रंजीत से कहा था- "अरे तू क्यों फिकर करता है? साली आएगी तो यहीं और तुझे भी तो पैलना ही है, तो ये करने की क्या जरूरत? और हाँ अगर तुझें भी शादी करनी है तो उसकी छोटी बहन से कर लें। वो भी तो तगड़ा माल है। बस फिर क्या था रंजीत मान जाता है."

गाँव के सभी लोग इसे मनाज की अच्छाई समझ रहे थे और गाँव की लड़कियां तो जैसे पागल हो गई थीं। उन्हें नहीं पता था की कभी ऐसा भी हो सकता है? अब उनके मन में भी ऐसे सपने आने लग गये थे। लेकिन ये एक बहुत बड़ा जाल था, जो तांत्रिक लालू ने बिछाया था।

लेकिन कहते है ना की सभी को अपने कर्मों का फल मिलता है। ठीक ऐसा ही मनोज के साथ भी हुआ। मेरी और रति, रंजीत और कमी की शादी के बाद मनोज को एक ऐसी बीमारी हई की उसके जिम के सभी अंग सड़ने लगे। उसने इसका खूब इलाज भी कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उसने लोल में भी मदद मांगी, लेकिन वो भी इसका इलाज नहीं कर पाया और मनोज अपने बुरे कमाँ का फल ऐसे ही भगतने लगा। लेकिन कुत्ते की पूछ कभी सीधी नहीं होती, ठीक ऐसे ही उसने रंजीत को अपना पद दे दिया लेकिन इससे मुझको कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।

में अपने हिस्से के पैसे लेकर शहर में एक पुरानी छोटी सी कंपनी ले ली और उसे चलाने लगा। उसकी बेटियां क्या किमत लकर आई थी की राज का बिजनेंस अच्छा चलने लगा। अब उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी। अब बीच-बीच में वो गौव भी जाता, अपनी मोम और सभी में मिलता और गाँव वाले उसकी बड़ी इज्जत करते, क्योंकी अब वो बड़ा आदमी जो बन गया था।
 
लेकिन रंजीत रति का जिम नहीं हाशिल कर पाया तो उसे इस बात की चिद श्री और में उसके लिए पागल हुआ जा रहा था। अब टाइम तो चल रहा था। धीरे-धीरे राज के बच्चे होने लगे। लेकिन जीत को कोई बच्चा नहीं हुआ, इससे वो और गुस्से और बदले की भावना रखने लगा, अब वो इसके लिए कमी को मारने लगा की उसे बच्चा भी नहीं दे पाई। लेकिन हकीकत ये थी की उसके नशे के कारण उसके लण्ड के पानी में अब ताकत ही नहीं बची थी।

रति जब बीच-बीच में आती थी, तब उससे अपनी बहन का ऐसा हाल नहीं देखा जा रहा था। एक तो उसे पहले ही रंजीत पसंद नहीं था, लेकिन उसके घरवाले भला कैसे ऐसा रिस्ता मना कर देते। और अब कमी को ऐसे मारना और अब तो उसके बच्चा ना होने के कारण उसकी मौं बनने की इच्छा भी उसकी पूरी नहीं हो रही थी। जो पति का प्यार नहीं मिलने और शादी के इतने साल बाद जुल्म सहने के बाद सिर्फ अब एक बच्चे की माँ बनने की थी, तो पति ने एक दिन कमी को शहर ले जाकर चेकप करवाया तो रिपोर्ट नार्मल थी, यानी परेशानी रंजीत में थी। लेकिन अब उस जैसे आदमी से ये कौन बोलता और वो कमीना में सब कैसे मानता?

इन सबके बीच मनोज की मौत हो गई, और वो बहुत बुरी मौत मरा और इसी की मौत से राज को भी ये एहसास हो गया की जो वो अपने बाप और भाई के साथ यहां की औरतों का जिपम नाचता था, वो कितना गलत था और उसने जिषम के लालच में हो तो रति के साथ शादी की थी। पर वो नहीं जानता था की रति भी अपने अमीर बनने के लिए राज के साथ थी, और उसके साथ शादी करने के बाद खब जिम का खेल खेली। दोनों को अपनी गलती का एहसास मनोज की मौत और उनके घर में आने वाली प्यारी-प्यारी बेटियों के कारण हुआ।

अब वो ये सब छोड़कर अपने आपको एक अच्छी शुरुआत करनी शुरू कर दी। अब दोनों में जिम का खेल अपनी हवस को टंडा करने के लिए नहीं, बल्की उनकी रिश्ते की अलग पहचान के लिए होता था। हाँ ये जरूर था की उनका सेक्स जंगली होता था, लेकिन एहसास और सोच बदल गई थी। अब जंगली तो होना ही था क्योंकी, रति इतनी हाट थी और वो लोग ऐसी जगह पैदा और बड़े हए जहां एक बड़ा आदमी गाँव की सभी
औरतों का उन सभी के सामने रगड़ा था।

वक्त बदल और आगे बढ़ रहा था और साथ ही इन दोनों की जिंदगी। लेकिन एक चीज और बढ़ रही थी, वो था गाँव वालों की जिंदगी साथ ही कमी की हालत बुरी होती जा रही थी, और जीत के मन में राज की इज्जत और उसके पैसे बढ़ना ये सब उसे बर्दाश्त नहीं हो रहे थे।

ये बात राज और रति भी जानते थे लेकिन कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते रहे, और साथ ही रति का अब बोलने कपड़े पहँने, यानी कहने का मतलब ये है की वा अब शहर में रहकर परी माडर्न बन रही थी। फिर भी वो अपने बच्चो को अच्छे से पाल रही थी।

लेकिन अब रति का अपनी बहन का ये दख नहीं देखा जा रहा था, तो उसने इस बारे में राज से बात करने करने की सोची।

रति- राज मुझसे कमी का ये हाल अब और नहीं देखा जाता, तुम कुछ करते क्यों नहीं?

में राज- अब मैं क्या करंग रति उस जानवर (रंजीत) को समझाने का कोई फायदा नहीं है।

रति- तो क्या उसे ऐसे ही मरने दोगे उस जल्लाद के हाथों, बताओ?

मैं- मैं ऐसा तो नहीं बोल रहा, पर हम कर भी क्या सकते हैं बताओ?

रति भी मेरी बात सुनकर चुप हो जाती और कुछ सोचने लगती। तभी उसे कमी की वो बात याद आती है जब वो पिछली बार गाँव गई थी। तभी कमी ने उससे कहा था- "अब तो बस में एक बच्चे की माँ बन जाऊँ फिर वो भी मुझे बच्चे के लिए नहीं मारेंगे और मैं भी खुश रहूंगी."

क्योंकी अब तो कमी को भी पता चल गया था की उसकी किश्मत में एक जानवर के साथ जोड़ी गई है। वो सिर्फ अपनी हवस मिटाने और अपने इच्छा के लिए जीता है। उसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है,
और देखो बदकिस्मती की वो राज का जुड़वा भाई है और उसका चेहरा भी बहुत मिलता है।

रति कमी की उन्हीं बातों और रंजीत के कमीनेपन के बारे से सोचकर राज से वो कहती है। राज भी पहले पाप कर चुका था लेकिन हालत और सोच का इसमें बहुत फर्क था। लेकिन राज के लिए ये सदमे से कम नहीं था। क्योंकी दोनों ने अपनी गलती समझकर अब सब बदलकर आगे आ चुके थे, और रति तो फिर उसी रास्ते पर जाने के लिए कह रही है।

रति- "एक रास्ता है... क्यों ना तुम कमी के साथ सेक्स करके उसे माँ बना दो..."

मैं- "क्या? गति तम ये क्या कह रही हो? सब जानने के बाद भी फिर वही सब करने को बोल रही हो..."

रति. हाँ, पहले तू रिलैक्स होकर यहां बैठी। फिर मेरी बात एक बार ध्यान से सुनो।

में रिलॅक्स होकर बैठने के बाद- "ओके, अब बोलो?"

रति- देखो राज सारी सिचुयेशन तुम्हारे सामने है, एक तो हमारे गाँव में काई जा नहीं सकता और ना यहां का कोई आदमी कमी के साथ ये सब करने की हिम्मत कर सकता है, और अब तो बो हमें किसी भी हाल में कमी को शहर नहीं लाने देगा।

मैं- हाँ ये तो है।
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कड़ी_35 फ्लैशबैक जारी

रति- और अब तो इतनें जल्म सहने के बाद उसकी सिर्फ एक ही इच्छा है माँ बनने की, और फिर जब कमी उसे बच्चा दे देंगी तो वो उसे मरंगा भी नहीं, और बच्चा भी अपना ही होगा, न की किसी और का ये भी तो सोचो।

मुझे भी रति की बातें सही लग रही थी। वैसे भी उसने बहुत कुछ सहा है और क्या ये सही होगा? ये समझ में नहीं आ रहा था। फिर कुछ सोचकर मैं बोला- "लेकिन रति, क्या कमी मेरे साथ ये सब करने के लिए तैयार होगी?"

रति खुश होते हुए- "ही ही क्यों नहीं होगी, मैं उससे बात करंगी..."

में ही ठीक है।

रति- "और वैसे भी अभी तक हमारे सिर्फ लड़कियां ही हुई हैं, क्या पता कमी से हमें एक लड़का भी मिल जाए"

मैं- पर वो कमी का होगा हमारा नहीं।

रति- हाँ हौं जानती हैं। तो क्या हुआ, होगा तो अपना ही ना.. और ये बात हम जानते होंगे।

मैं- ठीक है।

गति- तो फिर कल चलते हैं।

मैं- ठीक है तो सब तैयारी कर लो।

ऐसे ही दिन पूरा हो जाता है और फिर अगले दिन हम अपनी कार से अपने गाँव निकल जाते हैं। और कुछ घंटों में हम अपने गाँव में होते हैं। सब गाँव वाले खुश होते हैं और रति के मोम-डैड रति के लिए खुश थे, पर कमी के लिए दी भी थे और ऐसे ही दोनों अपने गाँव के घर आ जाते हैं।

रंजीत भी ये सब देख रहा था। उसे ये सब देख बहत गुस्सा आता है। पर अभी वो करें तो क्या? बाद में देखने का सोचकर चल देता है।

फिर मैं अपनी मोम से मिलता हूँ। अब रंजीत मोम के साथ वो सब नहीं करता था। क्योंकी अब तो उसका रास्ता साफ था। अब वो खुलकर सभी के मजे लेता था। रंजीत दो दिनों तक घर नहीं आता था नशे और अपनी हवस में डूबा रहता था।

ऐसे ही दिन पूरा हो जाता है अब मोम भी बीमार रहने लगी थी। वैसे उनकी ज्यादा उम्र नहीं थी लेकिन उन्होंने भी क्या कुछ नहीं सहा था। और कमी तो बस जी रही थी कभी-कभी नशे में जरूर बरी तरह मारते हए रंजीत उसके साथ सेक्स करता था।

ऐमें ही बातें करते हुए गत हो जाती हैं। फिर सभी खाना खाते हैं और फिर सभी अपने रूम में चले जाते हैं, और रंजीत आवारा कुत्तों की तरह निकल जाता है। वो क्या करता था किसी को नहीं पता था, और करना भी क्या था? रंजीत के जाने के बाद रति कमी के रूम में जाती है उससे बात करने, जहां कमी रुम में ही मिल जाती है।

कमी- ओहह ... आओ दीदी साई नहीं अभी तक? कैसे आना हुआ, कुछ काम था तो मुझे बुला लिया होता।

रति- अरे रुक-रुक बोलती ही जा रही है। मैं ता बस तेरे से बात करने आई हैं।

कमी- आओं ना दीदी, बैठो। बोलो क्या बात है? और जीजा को ज्यादा इंतजार मत करवाया करो।

रति- अच्छा... तो तू चली जा अपनी जीजा के पास?

कमी रति की बात से थोड़ा शर्मापी और मुश्कुरा दी। क्योंकी यहां से ज्यादा बड़ी बात नहीं थी, बोली- "लेकिन मुझमें तुम्हारे जैसी बात नहीं है ना... और तुम अब शहरी मेंम बन गई हो और मैं कहा गाँव की लड़की."

रति- "तो क्या हुआ? होता तो सभी के पास एक जैसा ही ना.."

कमी फिर वैसा ही करती है, जो थोड़ी देर पहले की थी. "चलो ये सब छोड़ो और बताओ क्या बात करनी है?"

गति सीरियस मह में- "अब सब कैसा चल रहा है? अब भी वैसे ही है क्या?"

कमी रति की बात सुनकर रति के गले लगाकर राते हुए- "कुछ नहीं बदला दीदी, अब मैं क्या कर तुम ही बताओ?"

गति- "देख पहले तो तू चुप हो जा, और में यहां इसीलिए तो आई हैं.."

कमी चुप होते हुए- "क्या मतलब?"

रति फिर उसे अपनी और राज की हुई सारी बात बताती है। कमी ये सुन चौंकती जरूर है, लेकिन में सब यहां कोई बड़ी बात नहीं थी तो वो रति की पूरी बात सुनती है।
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कमी- "लेकिन दीदी, अगर उस जानवर को पता चल गया तो क्या होगा पता है ना तुम्हें, वो बेरहम कमीना उसकी नियत और सोच तो तुम जानती ही हो..."

गति खुशी से- "यानी तू तैयार है... और तू उसकी टेन्शन मत ले। उसे कैसे पता चलेगा? वैसे भी वो नशे में रहता हैं आधे से ज्यादा टाइम तो..."

कमी- ठीक है दीदी।

रति- त रुक, मैं राज को भेजती हैं अभी तेरे पास।

फिर रति जल्दी से राज के पास आती है और उसे सब बता देती है। राज भी चौंका की कमी तैयार है उसके साथ सेक्स करने के लिए। लेकिन ये कोई बड़ी बात नहीं थी यहां के लिए तो वो रति को बाकी सबका ध्यान रखने का बोलकर चल देता है।
 
कमी- "आए जीज, बैठो... फिर दोनों बैठ जाते हैं

मैं- "ये बता तू कैसे इतनी जल्दी तैयार हो गई?"

कमी- "पहली बात तो यहां से कोई बड़ी बात नहीं है, ये तुम भी जानते हो। दूसरी मैं तो तुम्हें पहले से ही पसंद करती थी, और तीसरी बात इतने साल तो इंतजार ही किया है माँ बनने का, अब और देर की तो शायद ये फिर कभी नहीं हो पाएगा."

मैं- ओह हौं, तुम्हारी बात में पूरा दम है तो चलो शुरू करते हैं।

रति मेन दरवाजा बंद करके कमी के रूम के बाहर ही खड़ी होकर ये सब सुन रही थी। उसे कमी से कोई जलन नहीं हो रही थी, और कमी की माँ बनने वाली बात सुनकर उसे भी एहसास होता है की वो कितने दुख में थी।

में कमी को पकड़कर चमने लगता हैं वो जानती तो नहीं थी फिर भी परी कोशिश कर रही थी। मैं किस के साथ उसकी मोटी-मोटी चूचियां भी दबा रहा था। क्या मस्त चूचियां थी कमी की... मैंने पहले ही बताया था की कमी का जिम भी मस्त था।

हमारे मुँह से स्लप-स्लम की आवाज आ रही थी, फिर कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैं उसे लेटने को कहता हैं, और वो लेट जाती है तो मैं उसका बलाउज़ खोला तो उसकी नंगी मोटी-मोटी चूचियां उछलते हए मेरे सामने आ जाती हैं। क्योंकी यहां कोई भी अंदर के कपड़े यानी ब्रा और पेंटी नहीं पहनती हैं, मैं तो उसकी चूचियां देखकर उनमें टूट पड़ता है, उन्हें मसलते हुए चूसने लगता हूँ और कमी मस्ती से आवाजें निकल रही थी। क्योंकी उसने ये सब कभी नहीं महसूस नहीं किया था।

रंजीत तो हमेशा उसे मारता था या मारने के बाद ही सेक्स करता था, और तभी भी बीच में मारता था। उसके लिए वो उसे सुख के लिए पल थे जसमें वो खूब मस्ती मजे ले रही थी।

कमी- "आह्ह... राज्ज हौ... आह माँ... कितना मस्त चूसते हो तुम... मैंने पहले ऐसा कभी नहीं देखा..."

मैं चुचियाँ चसना बंद करके- "अरी मेरी रान्नी... अभी तो तेरी चुत चोदना बाकी है..."

ऐसे ही कुछ देर बाद मैं उसके घाघरे को उतार देता हैं, जिससे उसकी कसी, फूली हुई चूत मेरे सामने थी। मैं तो देखकर ही पागल हुआ जा रहा था, तो मैंने उसकी टाँगा को दोनों तरफ फैलाकर उसकी चूत को चूमना शुरू कर दिया। आह्ह... क्या मजा था उसकी चूत का, लगता है जैसे अभी भी कुँवारी चूत को चूम रहा हूँ.."

कमी- "आहह ... उयी क्या कर रहे हो जीजाजी आअहह.. ऐसा मैंने कभी महसूस नहीं किया ना देखा। आह्ह... मजा आ रहा है आहह... ये क्या है... आऽ, कितना मस्त चूस रहे हो... करते रहो मेरा पानी निकलने वाला है..." इसी के साथ ही वो तेज आइ: आ.5 करके पानी छोड़ देती है- "आहह... आहह... जीजाजी...' और वो निटाल पड़ जाती है।

मैं उसके पानी निकलते ही हटकर उसकी चूत रगड़ रहा था, जिसमें वो खूब पानी छोड़ती है। फिर में उसके साथ ही लेट जाता हैं और 10 मिनट के बाद मैं कमी को बोलता हैं।

मैं- कमी मेरी रानी अब तुम मेरा लण्ड चूसो।

कमी- "ठी ... ये तम क्या बोल रहे हैं गाजा काई ऐमें भी करता है क्या?

मैं- ही मेरी गनी, तू कर तुझे भी मजा आएगा।

कमी- "लेकिन मैंने तो कभी अपने गाँव में ऐसा नहीं देखा, पर तुम कहते हो तो करती हैं.." फिर कमी चूसने लगती है। पहले तो उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर कुछ देर में ठीक लग रहा था। वो क्या है की बिलासपुर में सिर्फ चूचियां चूसना और लण्ड चूत में डालकर चोदना ही होता है।

कमी दो-तीन मिनट लण्ड चूसने के बाद हट जाती है। क्योंकी अब उससे और नहीं हो रहा था। वैसे भी उसका पहली बार था। मैं कमी के हटने के बाद उसके दोनों पैर उठाकर फैलाकर उसके बीच आ जाता हैं और उसकी चूत पर लण्ड टिकाकर एक धक्का मारता हैं, जिससे मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस जाता है।

मेरे एक धक्के से उसे ज्यादा दर्द नहीं होता। लेकिन मैंने जब दूसरा धक्का मारा तो उसकी चीख निकल गई, वैसे मेरा और रंजीत का लण्ड बराबर था लेकिन वो कमी के साथ सेक्स कम ही करता था इसलिए ये सब हुआ।

आहह... राज धीरे करो, मैंने कई दिनों से
कमी- "आहह... करो जीजाजी, अब और ना तड़पाओ... आअहह.. उम्म्म्म नहीं किया है..."
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मैं भी दूसरा धक्का मारकर उसे धीरे-धीरे चोदने लगा। कोई 5 मिनट चोदने के बाद मैं उसे घोड़ी बनाकर उसकी चूत पीछे से मारने लगता हूँ। अब तो वो भी पूरे मजे में चुद रही थी।

कमी- "ओहो आइ मजा आ रहा है चोदो और चोदो... आहह मजा आ रहा है..."

फिर मैं 5 मिनट के बाद लेट जाता है और कमी को अपने ऊपर आने को बोलता हैं। वो भी आकर लण्ड के ऊपर उछलने लगती है। ऐसे ही 10 मिनट कमी खब मजे से चद रही थी और एक बार तो पानी भी छोड़ चकी थी और फिर गर्म होकर पानी छोड़ने पर और मैं भी नीचे से जोर से धक्के मार रहा था। क्योंकी अब मेरा भी पानी निकलने वाला था। और 10-15 मिनट के बाद दोनों एक साथ एक तेज आवाज के साथ पानी छोड़ देते हैं
और थक के वहीं पड़ जाते हैं। कमी की चूत में पानी निकल रहा था और सो जाते हैं।

***** *****
 
कड़ी_36 फ्लैशबैक जारी

हम दोनों इस चुदाईके बाद सो जाते हैं, और रति भी जब हम दोनों की लास्ट आइ सनती है तो समझ जाती हैं की क्या हुआ? और वो भी अपने रूम में आकर सो जाती है।
ऐसे ही दिन निकल गया। यहां गौंव में कुछ दिन निकल जाते हैं, और मैंने इन दिनों दोनों के साथ ही खूब सेक्स किया। फिर हमारा वापस शहर जाने का वक्त आ जाता है, और जब जा रहे थे तभी कमी की आँखों में औंसू थे। पर अब हमारा जाना भी तो जरूरी था और इसमें कमी रति को उसके बदले बहुत सुक्रिया कह रही थी। फिर हम शहर आ जाते है और ऐसे ही दिन निकलने लगते है और दिन महीने में बदल जाते हैं। और एक दिन सुबह कमी का फोन आता है।

रति- हौं कमी, बोला कैसे फोन किया?

कमी- रति, में मौं बनने वाली हैं।

रति में सुनकर बहुत खुश होती है की अब उसकी बहन को कुछ खुशी तो मिलेगी, और वो आवाज लगाकर राज को भी ये बताती है। जिससे वो भी खुश होता है।

डाली, रति की बड़ी बेटी जो कुछ-कुछ समझने लगी थी वो भी बोलती है- "क्या हुआ मोम?"

रति- "बेंटा आपकी मौसी को एक बच्चा होने वाला है। यानी आपको एक और भाई या बहन मिलने वाले हैं." रति की बात पर डाली और मिशा खुश हो जाती हैं, और नैना और रिया तो छोटे थे लेकिन अपनी बड़ी बहनों को खुश देखकर वो भी खुश हो जाती हैं।

इधर कमी फोन पर ये सब सुन रही थी। ऐसें सबके खुश होने से वो भी खुश हो रही थी। फिर रति उससे बोलती है की हम सभी अगले हफ्ते आ रहे हैं। जिसे सुनकर कमी और खुश हो जाती है।

और ऐसे ही दो दिन बाद रति को भी उल्टी होने लगती है। तभी डाक्टर को बुलाया जाता है, तो डाक्टर बोलता है की रति भी माँ बनने वाली है। तो ये खुशी तीन गुना बढ़ जाती है।

***** *****

इधर रंजीत की तरफ जब राज ऐसे एक मस्त गाड़ी में और ऐसे इतने महंगे कपड़ों में इस बार गौब आया था, तभी रंजीत को गज की अमीरी का अंदाजा होता है की उसके पास तो जैसे कुछ नहीं है। क्योंकी इस साल जब भी राज गाँव आया था हर बार अलग गाड़ी थी।
उससे ये सब देखा नहीं जा रहा था। क्योंकी यहां तो उसके पास सिर्फ एक पुरानी गाड़ी थी। अब वो ये सब राज से हथियाना चाहता था। इसलिए वो नशा कम करके राज से सब कुछ हड़पना चाहता था। पर कैसे यही सब सोचता रहता था?

फिर इसी बीच उसे उसका एक दोस्त मिला जो शहर में एक छोटे बिलनिक पर बैठता था। लेकिन था बड़ा कमीना बिल्कुल रंजीत के जैसे। जब भी किसी औरत का इलाज करता या इंजेक्सन लगाता तो उसके अंदरूनी जिम के हिस्सों को उता और कभी-कभी बेहोश मरीज का पूरा फायदा भी उठा लेता था। फिर एक दिन पकड़ा गया तो लोगों में इसे मारना शुरू किया पर साला बचकर भाग गया चरना लोग तो इसे जान से ही मार देते।

और बो भागकर अपने गाँव आ गया और अब यही रंजीत के साथ आवारागर्दी करता है तो अब इस कमीनें इंसान का नाम तो आप लोग जानते ही हैं। जी हाँ दोस्तों, ये रजत गुप्ता ही है।

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रजत ऐसे ही कुछ दिनों से रंजीत को एसे अलग बिहेंब और सोच में गम देखकर उससे पूछता है- "क्या रे चूतिए, दो दिन में देख रहा हूँ कुछ अजीब सी हरकतें कर रहा है."

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रंजीत उसे सब बताता है कैसे, क्या हुआ और अब वो क्या चाहता है।

रंजीत- देख यार जो राज के पास हैं वो सब मुझं चाहिए, मैं भी ऐसे मजें में जीना चाहता है, और जब सब मेरै पास होगा तो रोज नई चूत चोदूंगा और उस साली रति की तो फाड़ दूँगा। इसलिए अब तुझे भी मेरा साथ देना होगा। फिर देखना मैं तुझे मालामाल करता हैं।

रजत- लेकिन कैसे करेंगा ये सब? वो कोई छोटा आदमी नहीं रहा, जिस पर हाथ डाल हम बच जाएंगे।

रंजीत- कुछ तो सोचना पड़ेगा।

ऐसे ही ये सब प्लान करने का सोच रहे थे। लेकिन कोई भी प्लान समझ में नहीं आ रहा था। फिर दोनों ऐसे ही बातें करते और सोचते हए दिन पूरा करने लगे। और एक दिन ऐसे ही महीने में बदल गया फिर एक दिन रंजीत को कमी ने अपने प्रेग्नेंट होने की बात बताई तो ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा खुश था की अब उसका भी बंटा होगा, और वो उसे उससे भी बड़ी कमीना बनाएगा।

अब ऐसा ही होता है की जैसे डाक्टर अपने बेटे को डाक्टर बनाने की सोचता है। अब जीत जैसा कमीजा गुन्हा अपने बेटे को भी अपने जैसा बनाना चाहता था। लेकिन उससे पहले वो मेरा सब कुछ मुझसे छीनना चाहता था। टाइम ऐसे महीनों में बदलकर निकल रहा था और रंजीत अपने प्लान के बारे में सोच रहा था। फिर एक दिन उसे एक फिल्म में ऐसे ही चेहरा बदलकर दूसरे को मारकर उसकी जगह लेने का बता रहे थे। बस फिर क्या था

ये सीन देखते ही रंजीत के दिमाग में उसके प्लान को अंजम देने का रास्ता मिल गया।
 
इधर मैं और रति और अपनी चारों बेटियों के साथ दो आने वाले बच्चे की खुशी में खुशी से अपनी जिदगी गुजार रहे थे की आने वाले वक्त में ऐसे खतरे से अंजान जिससे सबकी जिंदगी बदल जाएगी,

कुछ महीनों के बाद आखीर कार, वो वक्त आ ही गया जिसका सभी का इंतजार था। यानी कमी और रति की डॉलवरी। अब पहले बच्चा कमी को होने वाला था तो हम सब गाँव चल दिए। वहां जाकर देखा की कमी बहुत खुश थी। वो हम सभी को देखकर और खुश हो गई और माम भी बहुत खुश थी। आज इतने महीनों से बीमार रहने के बाद भी घर में आने वाले बच्चे की खुशी उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी।

ऐमें ही दिन पूरा हो जाता है। अब रंजीत रोज आता तो था, लेकिन वो हम सभी को देखकर हमेशा अपनी कमीनी बरी स्माइल देता था। जिसके पीछे उसकी चाल का हमें कोई पता नहीं था। पर मुझे ठीक नहीं लगता था। लेकिन फिर सोचा साले का चेहरा ही ऐमा है।

फिर ऐसे ही दिन निकालने लगे और 7 दिन बाद कमी के पेट में दर्द होना शुरू हो गया, तो रति गाँव की बड़ी औरतों के साथ कमी के रूम में चली गई। वैसे तो उसकी हालत भी ठीक नहीं थी की वा अंदर कमी को संभाल सके। लेकिन उसका होसला बढ़ा रही थी। और फिर कमी की दर्द की तेज आवाज के बाद आती है एक बच्चे की आवाज। फिर कुछ देर में ही एक औरत बच्चे के साथ काम के दरवाजा से बाहर आती है और में फटाफट उसके पास जाता हूँ।

औरत- मालिक लड़की हई है।

में सुनके खुश हो गया फिर बच्चे को देखकर उसे नोट की एक गइडी देकर पूछा- "सब ठीक ता है ना?"

औरत- जी मालिका

फिर वो बच्चे को ले अंदर चली जाती हैं। मैं और मेरी बाटियां भी अंदर जाते हैं। सभी खुश थी और कमी भी खुश थी। लेकिन ऐसे वक्त पर भी जीत नहीं था। फिर कोई दो घंटे बाद वो आता है जिसकी आँखें लाल थी शायद गांजा पीकर आया था।

रंजीत- अरे कहां है मेरा बेटा? आखीरकार, इस बिलासपुर का मालिक है।

हम सभी रंजीत की बात पर चकित हो जाते हैं, क्योंकी वो सिर्फ बेटे के लिए खुश हो रहा था। उसे बचा होने की नहीं, बल्की उसके बाद विलासपुर को जहन्नम बनाने वाला चाहिए था।

मैं- छोटं, लड़की नहीं लक्ष्मी हुई है हमारे घर।

रंजीत गुस्से सें- "क्या? नहीं, ऐसा नहीं हो सकता..." फिर कमी से- "साली रंडी, एक बेटा नहीं दे सकती थी? एक तो इतने सालों में पता नहीं किससे चूत मरवाकर पैदा की और वो भी एक लड़की? ये मेरा नहीं हो सकता। मैं मर्द हैं और मई के लण्ड से सिर्फ एक मई पैदा होता है."

कमी उसकी बातों से रोने लगी थी और मेरी बेटियां भी, रति तो गुस्से से रजीत को घूर रही थी।

मैं- "ये क्या कुछ भी बोले जा रहा है तू? लड़कियां तो शहर में बहुत नाम कमा रही हैं, और तू में क्या मदं बजने की बात कर रहा है जो एक औरत पा हाथ उठाता हो.."

रंजीत- "अबे तू चुप रह साले रंडी के.. तू साला शहरी बाबू बन गया तो मुझे मेरी मदानगी दिखाएगा? ये हम दोनों का मामला है समझा? बीच में अपनी नाक मत ला.." फिर कमी से- "तू साली बहन की लौड़ी... फेंक दें इस साली को, मुझे नहीं चाहिए ये समझी?"

मुझे रंजीत के गाली देने पर गुस्सा तो आया लेकिन यहां गाँव में ये कोई बड़ी क्या छोटी बात भी नहीं थी। लेकिन उसने कमी के बच्चे को यानी मेरी बेटी को फेंकने की बात की तो मैंने दे घुमा के एक साले के मुँह पर "चट्टावक..." और कहा।

मैं- "अब अगर तू उस बच्चे के बारे में और बोला ना तो मादर चोद को यहाँ गाड़ दूँगा समझा, निकल यहां से साला हरामी..."
***** *****
 
कड़ी_37 फ्लै शबैक जारी

रंजीत मेरे मारने से नीचे गिर गया था और उसके होंठों से खून भी निकल रहा था। फिर वो खड़ा होने के बाद बोला- "तने ये ठीक नहीं किया, अभी तो मैं कह रहा हूँ। लेकिन तुझे नहीं छोड़ेगा और ना ही इस बच्चे को.."

मैं उसकी बात सुनकर फिर उसकी तरफ जाने ही वाला था की वो वहां से दम दबाकर भाग गया। मोम भी ये सब देख रही थी। उनकी भी आँख में आँस थे और दिल में अपने पति मनोज और रंजीत को गालियां दे रही
थी। फिर राज के मारने पर उसे ठीक लगा।

गति- "रो मत कमी, सब ठीक है अब, और वो अभी नशे में है."

कमी- "रति, मैं उस कमीने की वजह से नहीं, बल्की इसलिए दुखी हैं की उसने मेरे बच्चे के बारे में क्या कुछ नहीं बोला, और उसके साथ इतना सब होने के बाद वो चुप नहीं बैठेगा। मुझे डर है कहीं वो मेरे बच्चे को कुछ कर ना दं..."

गति. तू डर मत, हम हैं ना तेरे पास... वो कुछ नहीं कर पाएगा।

मैं- हौं कमी, और तू टेन्शन मत ले। कल ही में तुम सबको शहर ले जाऊँगा।

फिर सभी मेरी बात से राहत की सास लेते हैं और सब आराम करने चले जाते है, और सब गाँव वाले भी चले
जाते हैं। लेकिन कोई था जो ये सब देख रहा था। उन सभी गाँव वालों के पीछे एक काले कंबल से चेहरा छुपाए हए और रंजीत के साथ जाते ही वो भी उसके पीछे-पीछे चला जाता है।

रंजीत और सभी गाँव वालों के जाने के बाद घर में एक सन्नाटा रह जाता है। वो आने वाले एक खतरे का इशारा कर रहा था।

फिर मैं इस सन्नाट को तोड़ते हुए- "रति डिनर का वक्त होने को है उसकी तैयारी शुरू कर दो.

रति- ठीक है। मैं बोलती हैं किसी को आप जाकर आराम करो।

आज रति को राज से दिल से प्यार हुआ, और उसका एहसास उसे बदल रहा था। जैसे आज उसने राज को आप बोला, जो उसने कभी नहीं बोला था। ये सब उसे आज अपने बच्चे और कमी की जीत से सुरक्षा करने के दौरान इस एहसास ने जनम लिया था, जो उसके आने वाले बच्चे का भी प्यार महसूस कर रहा था।

लेकिन मैं नहीं जानता था की हमारी जिंदगी में ये सब बस पल भर के लिए हैं। फिर एक तफान आएगा जो सब उड़ा ले जाएगा। फिर ऐसे ही डिनर का टाइम हो जाता है और सब मिलकर साथ में डिनर करते हैं। आज सभी के दिल में कुछ अजीब था, लेकिन हम नहीं जानते थे की बीते हए टाइम में किए गये गुनाह का फल आने वाले किसी भी पल में मिल सकता है।

ऐसे ही रात हो जाती है और सभी अपने रूम में जाकर सो जाते हैं। अब ऐसे ही दिन निकल रहे थे, और अब वो टाइम भी पास आ रहा था जब रति के बच्चा होने वाला था। मैंने उसे डाक्टर को दिखाया तो उसने में बताया
की रति को दो दिन बाद का टाइम है। मैं ये सनकर खश था।

फिर हम घर आ गये और सभी को ये बताया तो सब बहुत खुश थे। अब तो सभी रंजीत वाली बात को भी दिमाग से निकाल हो चुके थे और शायद यही हमारी गलती थी।

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