Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति - Page 12 - SexBaba
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Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति

इधर रंजीत की तरफ रंजीत जब राज के मारने से गुस्से में घर में गया तो ऐमें एक पुराने टूटे हुए घर में गया, जहां इनका अइडा था और वो आदमी भी जो में सब देख रहा था और रंजीत के पीछे घर से निकल गया था, वो और कोई नहीं बल्की लालू था।

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गंजीत वहां जाकर गुस्से में दीवारों पर मारने लगा और गुस्से में बड़बड़ाए जा रहा था- "माला हगामी की औलाद
मुझे मारता है? साला मेरी बीबी को भी अपनी समझ रहा है, जैसे बच्चा मेरा ना होकर उसका हो। मेरा बच्चा है, चाहे मैं उसे मारक या कुछ भी कर उसके साथ। ओहह.. तेरी कहीं ऐसा तो नहीं साले ने मेरे पीछे मेरी बीबी को पला हो और ये उसी का बच्चा हो और क्यों नहीं हो सकता? साला इतने साल तक नहीं हुआ अब अचानक कैसे
आ गया? लेकिन कुछ भी हो मुझे उसे मारना है, बस मारना है।

दिन मस्ती से निकल जाते हैं फिर वो दिन आता है जब रति की डेलिवरी होनी थी। उसकी भी यहीं गाँव में घर पे ही होनी श्री। ऐसें सुबह 10:00 बजे उसे दर्द शुरू हो जाता है तो गाँब से औरतें आती हैं और काई दिन के 12:00 बजे रति की तंज चीख के साथ कुछ देर में बच्चे के रोने की आवाज आती है। मैं तो ये सुनकर बहुत खुश हुआ फिर एक औरत बच्चे को लकर आती है।

औरत- "मालिक लड़का हुआ है.." दोस्तों, अपनी कहानी के शक्तिशाली हीरो का जनम हो चुका है।

मैं खुश होकर उसे ₹500 के नोट की दो गड्डी देता हैं और अपने बेटे को देखता हैं। फिर वो उसे ले जाती है, क्योंकी अभी वो छोटा था तो अपनी माँ के पास रहने में ही उसकी भलाई थी। हम ऐसे ही खुशी मना रहे थे और पंजीत को जब ये पता चलता है तो उसकी जलन और ज्यादा बढ़ जाती और उसकी सारे इच्छाओं पर जैसे पानी फिर गया हो।

जीत- "नहीं, मैं ऐसा नहीं होने देंगा। मैं सबको मार दूंगा। मैं उसके वारिस को मार देंगा। हाँ मैं उन सभी को मार दूंगा, फिर सब कुछ मेरा होगा, सिर्फ मेरा हाहाहा.."

यहां घर में सभी खुशी की वजह से सो रहे थे। वही रंजीत अकेला ही हाथ में तलवार लिए सभी को मारने के इरादे से रात एक बजे आता है। क्योंकी रजत तो अभी यहां नहीं था। क्योंकी शहर में उसे एक गन्डों के ग्रुप ने मिला लिया था, और अभी वो किसी माल पहुँचने के लिए दूसरे शहर गया था।

रंजीत अपने घर के सभी रास्ते जानता था। अब उसका घर है तो ये कामन बात थी। फिर वो किसी तरह राज
के रूम में घुसता है, जहां आज कमी और उसकी बेटी साई हुई थी। क्योंकी रति को अभी-अभी बचा हुआ है इसलिए उन्होंने गम एक्सचेंज कर लिया था। क्योंकी डॉलवरी वहीं हई थी तो अभी गम बदलना सही नहीं समझा कमी ने।

रंजीत जब रूम में आता है तो देखता है की रूम में छोटी लाइट जली हुई है, जिसमें बैंड पर कमी और उसकी बेटी साफ दिख रहे थे। रंजीत मन में- "साली रंडी मुझं निकलवाई और पैदा भी की तो सिर्फ लड़की, अब कहां बचकर जाएगी?"

फिर रंजीत तलवार से एक बार करता है, जिससे कमी की बेटी जिसका नाम रति ने रखा था 'छाया' और वो मर जाती है। पर कमी तेज चीख के साथ उठ जाती है। फिर वो रंजीत और उसकी तलवार पूरी खून से भीगी हुई देखती हैं। वो फिर इरती हुई अपने बैंड पर खुद के पास देखती है। क्योंकी पहले तो वो बुरे सपने की वजह से उठ गई थी।

कमी जैसे ही देखती है चिल्लाते हुए और रोते हए. "नहीं मेरी बच्ची आहह... ओह... मेरी बच्ची... कमीनें तूने मेरी बेटी को मार दिया, मैं तुझे जिंदा नहीं छोइंगी.."

पंजीत कमी को देखकर कमीनी हँसी हँस रहा था फिर जब कमी उसके ऊपर झपटी तो जीत तलवार को सीधा उसके पेट में उतार देता है और तलवार कमी पेंट से पार हो जाती है।

कमी छीखती है- "आआअहहहहह... कमीने नहीईईई..."

थोड़ा पीछे चलते हैं।
जब कमी चीखकर उठती हैं, तभी राज और रति जो अपने बच्चों के साथ सो रहें थे, वो उठ जाते हैं। फिर राज कमी को देखने का बोलकर कमी के रूम के बाहर आता है और दूसरी तरफ से राज की मोम भी आती है। राज के पीछे-पीछे वो भी कमी के राम की तरफ बढ़ती हैं। लेकिन पहले वो पूरे घर की लाइट जलाती हैं। ठीक उसी वक्त रंजीत कमी के पेट में तलवार मारता है, जिसमें कमी के मुँह से दर्द की एक तेज चीख आअहह.. की निकलती और जब राज ये सब देखता है तो वो 'कम्मी' कहते हए चीखता है और जब मोम इन दोनों की आवाज सुनकर जल्दी से इधर देखती है तो इस भयानक मंजर को देखकर उसकी 'नहीं' की एक चीख निकलती है और वो इसी के साथ अटक से मर जाती हैं।
बापस आते हैं।
जब मैंने ये दरिंदगी देखी तो पूरा गुस्से से पागल हो गया और रंजीत की तरफ दौड़ते हुए उसके ऊपर कूदा। बो कमी के पेट से तलवार निकालकर मुझपे वार करने ही वाला था की उससे पहले मैं उसको पकड़कर पूरी शक्ति से गुस्से से मारने लगा फिर, और वो जब तक बेहोश नहीं हो गया तब तक मारता रहा। लेकिन मेगा गुस्सा फिर भी कम नहीं हो रहा था, तो मैं उसे मारता ही जा रहा था चिल्लाते हए।

मैं- "कमीने.... त इंसान नहीं इंसान के वेश में हैवान है। मैं आज तुझं जिदा नहीं छोड़गा। तर्ने मेरे बच्चे और मेरी कमी को मार डाला। मैं तुझे नहीं छोड़गा..."

मैं उसे मारे जा रहा था की मुझे कमी के दर्द से कराहने की आवाज आई तो मैं रंजीत को छोड़कर कमी के पास गया और उसे पकड़ लिया।

मैं- मैं तुम्हें बचा लँगा कमी, तुम फिकर ना करो।

कमी दर्द और टूटी सांसा से- "मुझे मौत से कोई शिकायत नहीं है। बस गम है तो सिर्फ इस बात का की मैं
अपनी बच्ची को नहीं बचा पाई। आप दीदी और मेरे सभी बटचों का खयाल रखना, मौं।
***** *****
 
कड़ी_38 फ्लैशबैक जारी

अभी कमी कुछ और बोलती की वो मेरे पीछे देखकर डर से आँखें बड़ी करके कुछ बोलती, उसे पहले ही मेरी पीठ में तेज दर्द की एक लहर दौड़ गई। जिससे मेरी चीख निकल गई। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरी पीठ को किसी तेज धार वाली चीज से चीर दिया हो, और मैं दर्द से कमी को छोड़ते हुए पीछे की तरफ गिर पड़ा। क्योंकी अब मेरे में बिल्कुल शक्ति नहीं थी। मैं तो बेबस पड़ा देखा की ये सब उस कमीने रंजीत ने किया है।

कमी राज कहते हए तेजी से चीखती है लेकिन इससे ज्यादा नहीं बोल पाती है। क्योंकी अब उसमें और ताकत नहीं थी। वो भी बहती दर्द भरी आँखों से बेबस देख रही थी।

रंजीत मुझे देखकर अब कमौनेपन और पागलों की तरह हँस रहा था- "साले तू मुझे मारेगा हाहाहा... मुझे हाहाहा. देख मैंने सभी को मार दिया और त क्या उखाड़ लिया मेरा बहन के लौड़े। मुझे मेरी ही हुकूमत के अड्डे से मार कर बाहर निकाला था ना तने? देख अब मैं तुझें कैसी मौत देता है हाहाहाहा... ये बोल रंजीत ने अपनी तलबार मेरे पेंट में घोंपने के लिए उठाकर वार करता है की एक तेज- "आआअहहह..." की आबाज फिर गैज उठती है पूरे घर में, और बाहर से दरवाजा पीटने की आवाज आती है।

और ये आवाज मेरी नहीं, ये तो रंजीत की थी जो सिर पकड़कर, दर्द से गिरने वाला था और उसके सिर से खून भी निकल रहा था। मैं ये सब देखकर चकित था। बयाकी मौत तो मेरी होने वाली थी। लेकिन अचानक ये क्या हुआ? फिर रंजीत सिर पकड़े ही नीचं बेसुध गिर गया।

फिर मुझं रति दिखी जिसके हाथ में लाहे की वाली मोटी रोड थी, जिसपे खून लगा हुआ था।

मैं सब समझ गया की जब रंजीत चिल्लाता हुआ नीचे गिरा तो रति भी डर से वा रोड छोड़ दी और भागते हए मेरे पास आई की तभी बाहर से दरवाजा तोड़ने और गाँव वालों की आवाजें आ रही थी।

रति कैसे आई? ये जानने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं- "हुआ कुछ ऐसा था की जब में कमी की आवाज सुनकर नीचे गया रति को आराम करने का बोलकर तो वो भी समझ रही थी की शायद कोई बुरे सपने की बजह से कमी चिल्लाई होगी, और फिर राज और कमी और अपनी सास मोम की चीख सुनकर वो धीरे-धीरे नीचे आई
और जब उसने नीचे का नजारा देखा, यानी छाया के दो टुकड़े और कमी के पेंट में खून और सास मोम की ऐसी हालत तो उसे कुछ समझ में नहीं आया। वो ये सब देखकर दुख में डूबती जा रही थी।

इधर रजीत जब राज के खुद बोलने से की वो उसकी बेटी थी, और उसने कमी से संबंध भी बनाए थे। ये
जानकर उसे और गुस्सा आया और उसने अपनी तलवार को अपने से कुछ दूर देखकर, वो चुपचाप उसे उठाकर राज के पीछे जाकर कमीनी स्माइल के साथ वार करने के लिए तलवार उठाये राज के पीछे था, जो कमी ने देख लिया था इसीलिए वो चिल्लाई थी।

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इधर रति को तब होश आया जब राज कमी से बात कर रहा था। तभी उसकी नजर रंजीत पर पड़ी जो तलवार उठाने की कोशिश कर रहा था। ऐसे मोके पर रति ने पहली बार सही सोचकर अपने आपको ओड़ा रिलैक्स किया और साइड में रखें रोड को उठा लिया। क्योंकी वो जानती थी की यदि वो चिल्लाकर राज को बोलती, तब भी कुछ भी कर सकता था रंजीत। इसलिए अपने और अपनी बहन का बदला लेने और अपने गुस्से को उतारने के लिए उसने राज को मारने से पहले ही जार से वार किया रंजीत के सिर में। जिससे उसका सिर फट गया और वो चिल्लाते हए नीचे गिर गया।

बाकी सब आपके आगे आ ही चुका है। फिर रति राज को संभाल हो रही थी की गाँव के लोग दरवाजा तोड़कर अंदर आ गये, और जब सबने अंदर का नजारा देखा तो सब सकते में आ गये की ये सब कैसे हुआ? और किसने किया? किस तरह शुरू हुआ? कोई समझ नहीं पा रहा था। फिर जब रति के रोने से उनका ध्यान वहां गया, तभी सब उनसे पूछने लगे की ये सब कैसे हुआ? तब रति ने सिसकते हए सब बता दिया।

अब गाँव वालों की तो एक बला टली थी, और एक अच्छे इंसान की ऐसी हालत देखकर सभी उन्हें संभालने लग गये। गाँव के बैदजी भी आ गये जो उन्हीं में से थे।

गाँव के लोग- "मालिक, आप फिकर ना करें। हम इन सबके बारे में किसी को नहीं बताएंगे और छोटे मालिक की लाश का भूत चुडैल वाले जंगल में भी फेंक आएंगे..."
में उनकी बातें सुनकर खुश हो गया। फिर बैदजी मेरा इलाज करने लगे, और मरहम पट्टी कर दी और कुछ दवाई भी दी, और एक महीना आराम करने का भी बोल दिया।

फिर रंजीत की लाश को लोलू वाले जंगल में फेंक दिया गया। वो भी अधिकतर लोग साथ जाकर, जिसमें उन्हें आज कुछ नहीं हुआ और यहां फेंकने का ये कारण था की वैसे तो रंजीत के बारे में सब जानते थे की पता नहीं पीकर कहां पड़ा हो? वा वैसे ही कई दिनों तक घर नहीं आता था तो उसके बारे में किस पूछना था? यदि फिर भी किसी ने पूछा तो कई दिनों तक घर ना आने का बोल देंगे, और फिर ढूँढने पर वहां जंगल में उसकी लाश मिल जाएगी, वो भी पता नहीं किस हाल में? और अगर इस हाल में भी मिले तो सभी जानते हैं इस जंगल के बारे में तो कोई परेशानी नहीं होगी।

फिर सभी काम होने के बाद ऐसे ही बैठे रहे, और फिर सुबह हो गई। रति और राज को दुख बहुत था, लेकिन ऐसे टाइम उनके बच्चों को संभालजा था। फिर मनि, कमी और छापा के अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी। बा क्या है की जब वैदजी ने राज को देखने के बाद, मुनि और कमी को देखा तो उसे बताया की उनकी मौत हो चुकी है।

अब राज की तो ऐसी हालत नहीं थी की वो श्मशान जाकर उनकी चिता को आग दे सके, तो ऐसी सिचुयेशन पर उस कुछ घंटे के बच्चे को उन सभी को एक साथ सिर्फ आग देने के वक्त लेकर गये और उनका अंतिम संस्कार का काम किया गया।

में अंतिम संस्कार का काम बाला सारा सीन, वो झगड़ा देखने वाला काल कंबल ओटे वो आदमी देख रहा था
और ये सब देखकर अपने चेहरे पर एक शैतानी और कुछ पाने की खुशी के साथ वो निकल गया अपने रास्ते।

ऐसे ही कुछ दिन निकल गये और फिर एक दिन रति का बेटा यानी अवी, आज रूम में अकेला सो रहा था की अचानक रोने लगा, तो सब उसके पास आए और क्या देखते हैं की अवी के हाथ के एक बाजू में थोड़ा सा खून निकल रहा था, जैसे किसी छोटे कीड़े में काट लिया हो, या फिर कोई सुई चुभा दी हो। पर फिर किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। पर रति के मन में ये सब घटनाएं जो हई थीं, उससे वो यहां कंफर्टेबल नहीं महसूस कर रही थी। इसलिए उसने राज को वापस शहर चलने का बोला।

मैंने भी ये सही समझ और उससे कहा- "मैं थोड़ा ठीक हो जाऊँ, फिर चलते हैं... और ऐसे ही एक हफ़्ता निकल जाता है, और मैं अपने परिवार के साथ शहर आ जाता हैं और हम यहीं सेटल हो जाते हैं। वक्त चलता जाता है
और अबी और उसकी बहनें बड़ी होने लगती है। अबी एक अच्छे दिल का लड़का था, पढ़ने में भी अच्छा था फिर। फ्लैशबैक समाप्त

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वर्तमान में राज जो वहां ही खड़े हए ये सब सोच रहा था। तबी उसे रति के कराहने की आवाज से अपनी सोच से बाहर
आता है, और देखता है की 3 घंटे से बो अपनी सोच में गुम था, और अभी जब रति चुदाई की वजह से नंगी सो गई थी। और अब उसकी गाण्ड और चूत में बैंड से उठने पर उसे दर्द हुआ था, जिससे उसकी आ:; निकाल गई थी।

रति अपने आपसे बातें करते हए बड़बड़ाती है- "ये अवी ऐसा क्यों हो गया? जो अपनी मोम का दर्द भी देखकर उसे कोई फर्क नहीं नहीं पड़ा हो, ऐसा पहले कभी तो नहीं होता था। शायद मेरे साथ सेक्स करने की वजह से शर्मा रहा है। यही होगा वो शर्माता बहुत है। लेकिन वो शर्माता तो इतना कुछ कैसे कर दिया? और क्या उसने पहले भी सेक्स किया हुआ है? आह्ह... इसके बारे सोच कर मेरा सिर दर्द करने लगा है पहले फ्रेश हो लेती हूँ.."

फिर रति जब फिर उठती है तो उसे फिर दर्द होता है। पर अभी उसे बहुत तेज पेशाब लगी थी तो वो बाथरूम में भागती है, और फिर टायलेट पर बैठकर तेज मत की धार के साथ सीटी की आवाज करती हई मतती है। जिससे उसे रिलैक्स फिल होता है। फिर उसे कुछ देर पहले हए सेक्स की याद आती है की कैसे उसके बेटे ने उसकी चूत फाड़ दी। लेकिन उसे भी बड़ा मजा आया था की कैसे वो रंडी की तरह बोलकर चद रही थी। वो फिर गर्म होने लगती है तो वो अपनी चूत रगड़ने लगती हैं। फिर कुछ देर बाद झड़ जाती है। फिर शावर लेती है और कुछ देर आराम करती है।

आराम के बाद रति गत का डिनर बनाने के लिए झ मरी को बोलती है। क्योंकी आज तो उसमें ताकत नहीं थी
और अपना खाना वो रूम में ही करेंगी, ता उसका खाना कम में ही भिजवा दें। फिर वो गाजर को काल करती है।

रति- हेलो कहां हो?

राज2- "मुझं अर्जेंट मीटिंग के वजह से बाहर आना पड़ गया है, और अब यहां शायद 10-15 दिन लगेंगे। ठीक
रति- ओके।
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रति काल कट कर देती है। ये बात राज2 को भी अजीब लगती हैं। पर अब रति को जैसे उससे कोई मतलब नहीं था। उसे तो सेक्स अनी से मिल हो रहा था, वो भी ऐसा। और वैसे भी उन दोनों के बीच कुछ हुए तो सालों हो गये हैं, ऐसा उसे लग रहा था और ये सच भी तो था अब उसे राज? की जैसे कोई जरूरत ही नहीं थी।

फिर रति झुमरी को राज के बारे में बताती है की अब वो कुछ दिन नहीं आएगा, तो उसका खाना ना बनाए।
और अपने रूम में आराम करने लगती है। कोई एक-दो घंटे बाद डिनर तैयार हो जाता है। फिर झुमरी और चंदा सभी को खाना खाने बोलते है। और झुमरी मोम का डिनर उनके रूम में ले जाती है। फिर मेरी बहनें भी आ जाती हैं। पर अब वो सभी मुझे भखी नजरों से देख रही होती हैं।

वो हुआ कुछ ऐसा था की जब से लोल ने रति की यादें मिटाकर उसकी और घर की सभी स्त्रियों की जिाम की गर्मी और बढ़ा दी थी, तभी से सभी लड़कियां अपने रूम में जाकर अपनी चूत रगड़ती थी, जब तक उनका पानी ना निकल जाए। और में गर्मी ऐसे नहीं मिटने वाली थी। ये तो बढ़ती ही जा रही थी और में सिर्फ एक मस्त लण्ड से चुदकर ही मिट सकती थी।

पर अभी बा पूरी कन्फ्यू ज थी और गम में जाते ही लपटाप या मोबाइल में पोर्न देख-देखकर रात में दो-तीन बार अपना पानी निकालती तभी जाकर उनको चैन मिलती थी। पर इससे उनको थकान का कोई एहसास नहीं होता था, और अब मेरे इतने बड़े लण्ड को मैं बिना अंडरवेर और वो भी ऐसे कपड़ों में जिससे लण्ड साफ दिखता था, बस ये सब रोज इसे देख-देखकर गर्म होती गई। और अब ये सिचुयेशन धी की इन्हें छूट मिल जाए तो अभी मेरा रेप कर दें। पर मेरा तो अभी इस और ध्यान ही नहीं गया था, वरना कब का पेल दिया होता।
 
मैं तो मोम के साथ सेक्स की वजह से थक गया था। जिससे मुझे अभी बहुत तेज भूख लग रही थी, जिसमें मैं खाने में बिजी था। पर मुझे अब इस खाने से बार हो गया था, क्योंकी ये सिर्फ बेजिटेरियन खाना था। हम सभी यही खाते हैं।

फिर मैं डिनर करने के बाद उठकर हाल में टीवी देखने लगा वो भी न्यूज। कुछ दिनों पहले जो मईर हए मिस्ट्री वाले, उस केस को पुलिस सुलझाने में नाकामयाब रही थी, अब उस केस का प्रशासन ने सी.बी.आई. का दिया।
अब देखते है की सी.बी.आई. उस किल्लर या उस गैंग का पता लगा पाती है या नहीं?

फिर बाकी सभी भी आकर बैठ जाते हैं, और टीवी देखने लगते हैं। मेरे एक तरफ रिया तो दसरे तरफ मिशा मुझसे चिपक कर बैठ जाती हैं। जिससे रिया की आधी नंगी जांघ मेरी जांघों से और मिशा की मोटी-मोटी चुचियाँ मेरी डौलों पर रगड़ खा रही थी, और मेरा तो एक झटके में पहले ही खड़ा हो चुका था। वो तो मैं अपने हाथों से दबाए हुए था, बरना अभी तक दोनों को लण्ड टाप सलमी दे चुका होता।

अब मेरा ज्यादा देर रुकना इसको यहीं पटक कर पेलने पर आ जाता। इसलिए नींद का वहाँना करके निकल लिया अपने रूम में। फिर कुछ देर में वो सभी भी चली गई अपने रूम में। पर एक बात थी कुछ दिनों से में
अधिकतरा सभी काम एक साथ ही करती दिख रही थीं। पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

ऐसे हर दिन की तरह सुबह हो गई पर अवी अभी भी सो रहा था। क्योंकी आज उसे स्कूल नहीं जाकर उस रेणु भोसलें की चूत फाड़कर उसकी सरनेम बदलनी है, इसलिए एनर्जी ले रहा था सोते हुए।

10:00 बजे झुमरी के उठाने से उठा। उसकी चूचियां देख उसको मसला, और फिर फ्रेश होकर चल दिया। फिर नीचे आकर टाइम देख... ओहह ... फक 10:30 बज रहे थे। मैंने फटाफट लंच किया और निकल गया उसके घर, और 11:00 बजे में वहां पहुँचकर बेल बजा दी।

कुछ देर बाद रेणु एकदम माल बनी शार्ट हाट इंस में दरवाजा खोलती है, जिसे देखकर ही लग रहा था चूत साफ करके तेल लगाकर तैयार होकर मेरा ही इंतजार कर रही हो। एक तो मेरे घर के माल को अब रोज में या इससे भी हाट ड्रेस में देख-देखकर लण्ड सिर उठाए रहता है, जिससे साला दर्द होता है। तो इसकी चूत की मैं क्या करंगगा? ये मैं भी नहीं जानता था। पर इतना जगर था लण्ड से इसे चोद-चादकर नछ देर के लिए बेहोश जरूर कर दूंगा।

रेणु सेक्सी स्माइल करक- "हाय.."

मैं- हाय, क्या मस्त माल लग रही हो यार।

रेणु - थॅंक्स आओ,
मैं अंदर आया उसने दरवाजा लाक किया तो मैंने उसे पकड़ लिया।

रेणु - अरे रुको, आराम से बहुत टाइम है हमारे पास।
 
"मेरे चोदने के बाद वो सारा टाइम तुझें अपने आपको ठीक करने में लगेगा। इसलिए टाइम खराब मत कर सीधा काम में लग जा मेरी बडी...' बोलकर में उसे जंगली किस करने लगा।

रेणु भी मेरा साथ दे रही थी। मुझे कमसिन कली का टेस्ट क्या मस्त लग रहा था। कुछ देर में किस करते हुए उसकी चूचियां मसलते हुए उनकी हालत खराब करने लगा। मरें चुचियाँ मसलने से उसकी दर्द की आहे निकलने लगी। अब पहली बार लण्ड लेगी तो दर्द तो होगा ही ना? रंडीपन दिखाने में दर्द काम थोड़े ही होता है। फिर 4-5 मिनट के बाद हम दोनों किस तोड़कर सांसें संभालने लगे। पर मैं हाथों का काम नहीं रोका, बल्की जोर और बढ़ा दिया।

वो अभी सांसें ही संभाल रही थी की चूचियों के मसलने से मस्ती वाला दर्द उसे उत्तजित करने लगा। जिससे उसकी सांसें फिर तेज हो गई साथ ही वो तेज सेक्सी आवाजें भी निकाल रही थी।

रेणु - "हाँ अहह... आह्ह... इस्स्सी उम्म.. आह्ह... ऊओह्ह... आराम से करो आअहह..."

मेरा चुदाई का नशा उसकी आवाजों से बढ़ रहा था। मैं उसकी किसी बात पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था। अब लण्ड दर्द करने लगा था तो उसे भी बाहर निकाल लिया। वो मेरा मोटा लंबा काला लण्ड देखकर चकित हो गई। अब उसे भी डर लगाने लगा की ये उसकी चूत में कैसे जाएगा?

मैं उसके डर को कम करने के लिए उसका हाथ मेरे लण्ड पर रखकर आगे-पीछे करने लगा। वो भी समझ गई की क्या करना है और में उसके ऊपर के कपड़े हटाकर उसकी नंगी चूचियों को मसलने लगा।

रेणु. ये इतना बड़ा मैं कैसे लेंगी अपने अंदर? नहीं ये मुझसे नहीं होगा।
मैं- "अरे तू में ही डर रही हैं। जब मैं तेल लगाकर डालूंगा, तब पता ही नहीं चलेगा और वैसे भी ये मंरा काम हैं, मैं कर लेंगा तो अपने काम (लण्ड हिलाने) पर ध्यान दें..."

रेणु. आह... आअहह... ओहह... आऽ: सीईई... आहह... हाय आअहह."

अब रेणु से नीचे बैठकर लण्ड चुसवाने के लिए लण्ड उसके मुंह के पास ले गया। वो समझ गई और लण्ड चुसाई की प्रैक्टिस शुरू हो गई और वो अपनी चूत भी रगड़ रही थी पर मुझे तो मजा ही आ रहा था और इसी मजे में में उसका मुह चोदना शुरू कर दिया।

रेणु- "स्लप्प... स्लप्प... आह्ह... ओहह... स्लप्प... स्लप्प... गप्प गप्प... अहह.."

फिर उसे उठाकर दीवार से लगाकर उल्टा दिया और उसकी चूत और गाण्ड चाटने लगा। अब तो वो कुछ देर में
ही झड़ गई। क्या पानी था साली का मजा आ गया।

रेणु- ओहह... आइ. स्स्सीपी आहह सक्किंग सो हाट आअहह... आहह.."

फिर मैंने उसको वहीं लिटाकर और उसके पैर उठकर उसके पैर को पकड़ लिया और फिर लण्ड वारी चूत में टिकाकर एक धक्का दिया। जिसमें लण्ड का टोपा पूरा अंदर घुस गया, और उसकी चीख घर में गज गई। अभी पूरी चीख भी नहीं पाई थी की मैंने एक मस्त जोरदार धक्का मारा की उसकी चूत में आधा लण्ड अंदर घुसकर उसकी झिल्ली तोड़ दिया और खून का फौवारा निकलने लगा, पर ज्यादा नहीं, क्योंकी लण्ड उसे पीना शुरू कर दिया था। इस वाले धक्का से तो उसकी आवाज ही रुक गई थी। मुझे भी लगा की अगर और डाला तो साली यही मर जाएगी। फिर मेरे लण्ड का क्या होगा? तो वैसे ही धीरे-धीरे चादने लगा और चुचियाँ भी मसलने लगा। जिससे 10 मिनट बाद वो कुछ ठीक हुई।

रेणु - "ओउ बास्टई, मादरचोद, साले कुत्ते, मजे लेने के लिए चुद रही हैं, मरने के लिए नहीं.... बहन के लौड़े बाप का माल समझा है क्या आअहह... उम्म्म..."
मैं- पहली बार ऐसे ही दर्द होता है... आहह क्या मस्त चूत है तेरी, हट.."
अब वो भी मजे ले रही थी चदाई में। वो झड़ने वाली थी। मैं तभी एक और धक्के में पूरा अंदर घसा दि उसकी फिर तेज चीख निकल गई, पर मैं तो चोदे जा रहा था, उसके झड़ने के बाद भी। कुछ देर में वो भी साथ देने लगी तो मैं रुक कर नीचे लेटा और उसे ऊपर आकर लण्ड पर बैठकर चुदने को बोला। वो अब उछल उछलकर चुदने लगी।
 
जब वो फिर झड़ने के करीब आई तो मैं उसे फिर खड़ा करके उल्टा किया। उसने सोचा में पीछे से चोदूंगा या चाएंगा। पर में तो उसकी चूत के पानी को गीले लण्ड पर लगाया और फिर उसकी गाण्ड को फैलाकर डाल दिया,

और एक के बाद एक दो मस्त धक्के दिए। जिससे उसकी गाण्ड फट गई और खून निकलने लगा, वो तो गाण्ड पकड़कर वही चिल्ला रही थी।

रेणु - "आहह... मादार चोद नहीं... फाड़ दी मेरी गाण्ड... आह मोम आअहह... ओहह..."

मैं फिर ऐसे ही चोदने लगा, उसकी चूत भी मसलने लगा था। जिससे वो भी पानी छोड़ दी। उसे तो समझ ही नहीं आया की क्या करे? क्योंकी में एक धक्का और मारकर पा लण्ड उसकी गाण्ड में डालकर चोदने लगा।

में कोई 20 मिनट तक उसको झुका कर 5 मिनट के बाद पूरी गाण्ड मेरे पानी से भर दी और उसकी चूत भी पानी छोड़ दी। अब उसकी हालत ठीक नहीं थी। चूत बुरी तरह से सूज गई थी, लेकिन मुझे उससे क्या?

में तो निकल गया वहां से घर आने के लिए, और अभी 3:00 बज गये थे तो बहनें भी आ गई थी सब अपने रूम में थी और माम तो अपने रूम में ही होंगी तो मैं पानी पीने के लिए किचन में गया, तो वहां झुमरी थी। उसकी गाण्ड मेरी तरफ थी। अब मुझे फिर से अपने लण्ड के लिए शिकार मिल गया। फिर क्या था, पीछे से जाकर उसके कपड़े ऊपर करके शुरू हो गया।

एक घंटे बाद बाहर आया तो चंदा इधर ही आ रही थी। पर अब तो सब ठीक था, पर उसे शक हो गया था की फिर उसकी मोम की बजा दी मैंने।
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कड़ी_40 लोल की तरफ

जब उसने रति की यादें मिटाकर उसकी और उसकी बेटियों की सेक्स की इच्छा को बढ़ा दिया था, जिश्म की गर्मी में आग लगा दिया। तभी लोलू हँसता है हाहाहाहा।

मारला- क्या हुआ? तांत्रिक लोलू बाबा, क्यों हँस रहे हो?

तांत्रिक लोलू- "मेरा इस दुनियां पर हुकूमत करने का सपना अब सच होने वाला है, उसकी शुरुआत हो चुकी है हाहाहाहा..." फिर कुछ सोचक- "पर उसपे कंट्रोल कैसे होगा? मेरी ये समझ में नहीं आ रहा है.."

मार लो- आप उस शैतान की बात कर रहे हैं?

तान्त्रिक लोलू- "हाँ, उसी की बात कर रहा हैं। वो मेरे शैतानी दिमाग का एक ऐसा हथियार है, जिसकी मदद से मैं इस दुनियां को अपनी मुट्ठी में कर लूँगा हाहाहा..."

मारलो. "पर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है तांत्रिक लोलू बाबा की ये सब आपने कैसे किया, और किस लिए? और किस तरह? और ये सब कैसे शुरू हुआ? आपने इतने बड़े तांत्रिक बनने का काम किस वजह से किया? सब मेरे लिए एक जाल सा बन गया है। आप तो इतने बड़े बाबा हैं जो दनियां को अपने बस में करने वाले हैं। प्लीज... आप मुझे अपने बारे में बताइये.."

तांत्रिक लालू मारलो की ऐसी बातों से खुश हो जाता है और अपनी तारीफ सुनकर सीधा चने के झाड़ पर चढ़ जाता है। उसके सपने का सहारा लेकर मारला में उसकी कहानी जानने के लिए तीर फेंका था। वो जाकर बिल्कुल निशाने पर लगा था और वो अब अपने बारे उसे बताने जा रहा था।

तांत्रिक लालू- ठीक है मारलो। मैं तुझे आज यहां तक पहुँचने के सारे सीकेंट बताता हैं।

फिर वो कुछ मंत्र पढ़ता है। जिसमें उन दोनों की बातें कोई नहीं सुन सकें, किसी भी तरह। पर हमारे पाठक सुन
पा रहे हैं उनकी सभी बातें, क्योंकी ये सभी सूपर हरमन हैं।

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आगे की कहानी लोलू की जुबानी मैं शुरू से ही बड़ा कमीना रहा हैं। मैंने अपने घर में कभी ध्यान नहीं दिया। हमेशा गलत रास्ता चुना और गलत

, साथ ही मुझे भी जिम से खेलने की चाह थी। लेकिन मेरी सबसे बड़ी इच्छा थी पूरी दुनियां को अपना गुलाम बनाना, और उस हकूमत करना। फिर मजे से जीना, जो चाहे करना। सब मेरे गुलाम बनें, मैं जब चाहूं जिसक साथ चाई उसके साथ कुछ भी कर सकू। सब मेरे लिए कीड़े-मकोडे की तरह हों। अगर कोई सिर उठाने की कोशिश करें, तो उसको मैं ऐसे ही अपने पैर के नीचे कुचल दूं। यहां सब मेरी मज़ी से हो। कितना मजा आएगा, कुछ ऐसा करंग जिसमें कोई मुझे मार ना पाए, मैं हमेशा हमेशा के लिए अमर हो जाऊँ। हर घंटे दुनियां की किसी भी लड़की या औरत को जब चाह जैसे चाहं अपने नीचे लिटा सञ्। सब मेरे लण्ड के नीचे हों। इस दुनिया का भगवान मैं बनूं। ये सब मेरे लिए एक मकसद बन गया था।

इसी को पूरा करने के लिए 19 साल की उम्र में गुन्डा बन गया। सब काम करता जैसे चोरी, मारपीट, नशा, रेप
और अब मईर भी करने लगा था। जिसमें मेरे घरवाले मुझे ये कहकर निकाल दिए को पता नहीं कौन सा पाप करने से तुझ जैसा हैवान का पुजारी हमारे घर पैदा हुआ, और उन्होंने सोचा मैं सब छोड़कर माफी मांगते हुए रात को घर आ जाऊँगा। लेकिन में तो सच में वही बन गया था, जो मेरे घरवालों ने कहा। इसलिए रात में आकर सभी को मारकर दूसरे शहर भागकर आ गया।

इस सब में एक साल रहने के बाद एक बड़ा गुन्डा बन गया था अपने जिले का। लेकिन फिर मैंने सोचा की मुझे बो बनने के लिए ये रास्ता जल्दी वहां तक नहीं लेकर जाएगा, और इस दुनियां में तो मेरे जैसे और मुझसे बड़े भी कई डान हैं। पता नहीं कब कौन मार दे? इसलिए कुछ और सोचना पड़ेगा और जो मैं चाहता है वो सब मुझे इससे पूरी तरह नहीं मिल सकता है।

ऐमें ही सोचते हए वो बात याद आई हैवान का पुजारी' मैंने फिल्मों में भी देख था कैसे ऐसे लोग शक्तिशाली हो जाते हैं। लेकिन कुछ बेवकूफी भी कर देते हैं, जिससे वो मरते है हीरो के हाथा लेकिन इससे मुझे मेरा नया रास्ता मिल गया, और वो था शैतान की पूजा करके खुद एक शैतान बनना। जिससे दुनियां मेरी मुट्ठी में होगी।
और में वो सब गलती नहीं करगा, बल्की ऐसा करंगा जो किसी ने भी नहीं सोचा होगा और ना देखा होगा हाहाहा।

अब रास्ता तो मिल गया। लेकिन शुरुआत कहां से करंग? कुछ समझ में नहीं आ रहा था। फिर एक दिन मैंने एक तांत्रिक के बारे में सुना, जो बहुत जादू-टोने जानता था और शैतान का पुजारी भी था। बस बन गया मेरा काम और उसका नाम था तांत्रिक बिछ तो मैं चल देता हूँ उसके पास।

तांत्रिक बिच्छू तांत्रिक तो था, लेकिन वो लालू जितना बड़ा नहीं था, यानी लोल के अभी जितना बड़ा नहीं था। लोलू अपनी शुरुआत तो इसके जैसे के साथ करने का सोचकर उसे पता चल गया की वो जल्द को पूरा कर सकता है। लेकिन उसका मकसद भी तो बड़ा था, तो लालू ने आगे जाकर इससे भी बढ़कर बड़ा और शक्तिशाली बनना था। जिसके लिए हमेशा बिच्छ के पास बहता और उससे सब कुछ जानने की कोशिश करता। बिच्छ बहुत कुछ जानता था, पर उसने कभी उन सबको काम में लाने या पाने की कोशिश नहीं की। क्योंकी इसमें जान जाने का खतरा 99% होता है।

लाल- गुरुजी तांत्रिक क्रिया में कितनी शक्ति लगती है और क्या कुछ किया जा सकता है?

तांत्रिक बिच्छू- "लोल, तांत्रिक क्रिया से बहुत कुछ पाया जा सकता है। इसकी शस्कति केवल मंत्रों तक ही नहीं होती, और भी बहुत कुछ होता है। पर वो सब पाना इतना आसान नहीं। क्योंकी उसमें जान जाने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। यही नहीं बक्त भी बहुत लगता है। जिसक कारण शरीर की आयु पूरी हो जाती है..."

लालू- जब जान जाने का इतना खतरा होता है तब उसे कैसे पाया जाता है?

तांत्रिक बिच्- "जिसमें जान जाने का खतरा होता है, वो काई सामान्य सीड़ी नहीं होती समझा? ऐसी मुश्किल सीढ़ी को पाने के लिए खतरा तो उठना ही पड़ता है। तभी ऐसी सीदी मिलती है जिससे तांत्रिक बहुत कुछ कर सकता है....

लालू- फिर उनकी उम पूरा होने का भी तो खतरा होता है उसका का क्या?

तांत्रिक बिच्छ- "उसके लिए ऐसी कई सीढ़ी है, जिसे पाने के बाद मरने पर भी जिंदा रहा जा सकता है किसी दसरे के शरीर में। शरीर किसी और का और आत्मा किसी और की..."

लालू बहुत खुश होते हुए. "क्या सच में गुरुजी ऐसा भी होता है जिससे जिदा रह सकते हैं?

तांत्रिक बिच्छू- "हौं... ये तो केवल एक ही उपाए बताया है। ऐसी तो और भी काई सीदी बनी हुई है, जिससे अपनी उम बढ़ा सकते है, और योगी तो योग से ही अपनी उम्र बढ़ा लेते हैं। उनमें भी कई ऐसे योग होते हैं जिसमें शरीर को कई तरह से मजबूत और हर तरह से शक्तिशाली हो जाता है, जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

लालू मुँह बनाते हुए- "ये योग-वोग तो दूर ही रखिए मुझसे। ये मेरे काम की चीज नहीं है.."

लालू की बात और उसके मुँह बनाने पर तांत्रिक बिच्छू का हँसी आ जाती है हाहाहाहा।

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अब चंदा की गर्मी बढ़ती जा रही थी। पर अभी मुझे उसे और हवा देनी थी। क्योंकी फिर जब वो चलेंगी तो सबको पीछे छोड़ देगी, और मुझे उसके बारे में भी बहुत पता चल चुका था की स्कूल में रोज उसे टीचर अपने केबिन में बुलाता था। पर एक बात थी वो अभी तक चुदी नहीं थी जो उसकी चल बता रही थी।

ऐसे ही रात हो जाती है। फिर सभी डिनर करने लगते हैं। कुछ बातें भी हई हैं, पर वो इतनी इंपार्टेट नहीं थीं। अब पहले जैसा कुछ नहीं रह गया था घर में, न वो लोग थे, और नहीं रह गया था घर में, न वो लोग थे, और न वो बातें। सब कर बदल सा गया था। पर मुझे इससे क्या? मैं तो मस्त था। कभी-कभी कुछ ऐसा होता की जैसे इस दिल के किसी कोने से या मेरे दिमाग के दसरे हिस्से से मुझे ये सब छोड़ने के लिए की मैं सब ना कर। पर मझे इन सब में हो तो मजा आता था।

फिर ऐसे ही सोचतें हए डिनर करता हैं और बाकी सब भी करते हैं फिर अपने-अपने काम में जाकर कोई सोचता,
तो कोई चूत रगड़ता है, तो कोई कुछ सोच रहा होता है। ऐसे ही सब सो जाते है फिर वैसे ही सुबह का टाइम होता है। सब अपने काम कर रहे होते हैं। मैं भी सबसे चिपके मसलते हुए विश करता है।

फिर अपने रूम में आकर स्कूल के लिए तैयार हो रहा होता हैं की मुझे रवि चूतिए का काल आता है।

रवि- हेलो।

मैं- हाँ गान्डू बोल क्यों सुबह-सुबह अपनी मोम चुदाई तूनें।

रवि गुस्से में- "माले तुझसे एक इपाट बात करनी थी। इतने दिन में बात नहीं हो पा रही है। इसलिए आज स्कूल मत जाना और मेरे घर आ जा। मैं भी नहीं जा रहा हैं। इधर ही बात करेंगे। समझ गया त?"

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मैं- "हाँ समझ गया, ठीक है। पर साले ऐसा क्या बताने वाला है त? क्या कहीं बाम्ब ता नहीं फोड़ने वाला या चूत की सील तोड़ने (बहन की) के लिए बुला रहा है?"

रवि- साले कमीनें जो बोल रहा हैं वो कर। हर जगह अपना लण्ड डालना जरूरी है क्या?

में- ठीक है, चल फोन रख, आता हैं।

काल कट करके मैं सोचने लगा- "इस चूतिए को ऐसी क्या बात करनी है, जो इतने दिनों से करने की सोच भी रहा था? चल देख लेते हैं की क्या बात है?"

फिर कपड़े बदलकर शार्ट कपड़े जो घर में पहनता है वो पहनता हैं। फिर मैं नीचे आकर सभी के साथ नाश्ता करने लगता हैं। फिर मोम को बोलकर की आज रवि को काम है इसलिए स्कूल नहीं जा रहा है, और अभी उसके पास जा रहा हूँ। वो ओके बोल देती है। अब मुझे कोई रोकता-टोकता नहीं था। क्योंकी सब मेरे नीचे जो आ चुकी थी।

में घर से निकलकर सीधा रवि के घर आकर डोर बेल बजाता है तो दरवाजा उसकी बहन ऋतु खोलती हैं। वो अपनी बड़ी गाण्ड के साथ क्या मस्त माल लग रही थी। मुझे तो इसे यहीं पटक कर चोदने का मन कर रहा था। वो मुझे देखकर स्माइल के साथ हाप बोलती है।

मैं भी हाय बालकर अंदर आ जाता है और उससे अपनी सवारी की गाड़ी यानी उसकी मोम सविता के बारे में पूछता हैं। तो वो बोलती है की बाहर मार्केट गई है, कुछ घर का जरनी सामान लाने।

मैं- "ओके" कहकर मन में- "सब सामान तो साली के पास पहले से है फिर कौन सा सामान लाने गई है?"

ऋतु ये बोल पलटकर जाने लगती है। तभी मुझे उसकी बड़ी-बड़ी गाण्ड ऊपर-नीचे होती देखकर मस्ती चदने लगती है, तो मैं उसके पास से निकलते हुए अपने दायें हाथ से उसकी गाण्ड दबाकर सीधा रवि के रूम में चल देता हैं। इधर ऋतु अपनी गाण्ड को उसके भाई के दोस्त के दबाने से उसका मस्ती चढ़ जाती है फिर सोचती है की छोटा सा बच्चा है और ऐसी हरकत करता है। साले ने मेरी लण्ड से चुदने की प्यास को हवा देता है, अभी बताती है।

जब मैं रवि के गम में आया तो वो कुछ ट्रॅट रहा था। उसे देखकर थोड़ी हँसी आई। साला एकदम चूतिया लग रहा था।

मैं- अबे गान्डू क्या देख रहा है?

रवि- अबे तू अभी आ गया चल थोड़ा और बैठ।

मैं- अबे भोसड़ी के देख क्या रहा है?

रवि- "अबे धीरे बोल। अत् दीदी यही हैं, और वो अभी मोम का काल आया था। वो अपना वालेट भल गई है,। बस वही देख रहा हूँ.."

मैं अभी कुछ बोलता, उससे पहले ऋतु रूम में आती है और थोड़ा गुस्से में भी थी, वो सीधा मेरे पास आती है और वो कुछ बोलती उससे पहले मैंने साली का मुँह बंद कर दिया, उसकी तो आँखें फटी की फटी रह गई। वो घर रही थी, उसका मुँह ऐसे खुला रहा गया, जैसे मुँह में लेने के लिए उसकी पक्टिस कर रही हो।

वो क्या है की जैसे ही वो मुझे कुछ बोलने को हुई की मैं जो अपने शार्ट में टेबल पर बैठा हुआ था, उसके बोलने से पहले ही अपने शार्ट को एक तरफ से ऊपर कर दिया। जहां उसे मेरा नंगा लण्ड सामने आ गया। उसकी तो हालत ही ऐसे ही हो गई की वो बस बुत बनी उसे पूरे जा रही थी। जब वो कुछ नहीं बोली, ऐसे ही देखती रही तो मुझे पता चल गया की लण्ड लेने के लिए इसकी चूत खूब पानी छोड़ रही है, इसलिए पागल हो रही है।
 
मैंने भी उसे वैसे ही देखते हए मजे लेने का साचा। यार अकेले ही वो मेरे लण्ड को देखकर मजे ले रही थी। मैं भी थोड़े उसके मजे लेने का सोचा था, पर पहले साले लण्ड को छुपा लेता हूँ। कहीं इसके चूतिए भाई ने देखा लिया तो बिना चूत मारे ही जाना पड़ सकता हैं। इसलिए मैंने उसे वापस ढक लिया।

रवि- "पार में अभी थोड़े देर में आता हूँ। तू यही रुक, ठीक है?" ये बोलकर वो निकल जाता है।

अब सिर्फ में और अत बचे हुए थे। फिर पता नहीं उसे क्या हुआ की उसने शार्ट के ऊपर से ही मेरे लण्ड का पकड़ लिया, शायद अब लण्ड लिए बिना रुकेगी नहीं। और जब मैंने इतना बड़ा झटका दे दिया तो साली इसकी भी तो खुजली बढ़ी होगी।

ऋतु- "बड़ा लण्ड है तेरा तो और तू भी साले कितना चालक है। रवि के होते हुए मुझे लण्ड दिखा रहा है."

मैं- साली मैं तो उस चूतिए के होते हए तेरी चूत भी मार सकता है फिर ये क्या चीज है?

ऋतु- "तिया नहीं है वो समझे? वो तो उसे पता नहीं था, वरना तेरी गाण्ड मार देता। पर एक बात तो है की इतना बड़ा मैंने सिर्फ पोर्न मूवी में ही देखा है, और त मेरी इससे मारने की बात कर रहा है। मेरी फाइनें की सोच रहा है क्या? मैं नहीं लगी इसे समझे..."

मैं- त क्या जाने वो कितना बड़ा चूतिया है? मेरी गाण्ड मारने का क्या मार्केट में सेल चल रहा है, जो कोई भी गान्डू मार सके... और त टेन्शन ना ले मेरी रंडी, तेरी फटेगी पर दर्द नहीं होने दूंगा.." और मन में- "बलकी दर्द से त चिल्लाकर रोएगी हाहाहा..."

ऋतु- "मैं कोई रंडी नहीं हूँ समझा? तेरा लण्ड देखकर गर्म जरब हुई हूँ, पर ऐसे ही मत समझ साले कमीनें..."

मैं- "देखा, तू भी गाली दे रही है। इससे ही तो चुदाई का मजा आएगा मेरी रंडी..." और ये बोलकर मैं उसे अपने पास खींचकर उसकी चूत पे उसके शार्ट के ऊपर से ही रगड़ने और उसे किस करने लगता है।

ऋतु भी अब जंगली किस कर रही थी। उसे आता तो नहीं था पर चूत की गर्मी अब उसके सिर चढ़कर बोल रही थी। वैसे भी उसका हाथ अभी वहीं था। फिर हमारे कपड़े उत्तरें, जैसे उन में आग लग गई हो, ऐसे उतार के फैंक दिया। वो मेरे नंगे लंबे मार्ट लण्ड को अपने हाथों में पकड़कर हिला रही थी, और में उसकी गर्दन चाट रहा था।

कुछ देर बाद उसे वहीं खड़ी करके उसकी चूचियां मसलने लगा। उसकी दर्द से आहे निकल रही थी। फिर मैं नीचे बैठकर उसके पैर फैलाकर उसकी चूत चूसने लगा।

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ऋतु- “आहह.. उईई... आह्ह... आअहह ... उईईई... आ:: ऐसे ही चूसा आह्ह... मैं आने वाल्ली हूँ आह.."

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मैं उसकी चूत को चूसने के बाद उसे वहीं टेबल पे लिटाकर उसके मुँह में लण्ड डालकर चोदने लगा। मजा आ रहा था। लण्ड उसके गर्म मैंह में जाने से मस्त हो रहा था। मैं बोला- “आहह... सली अब आया मजा... क्या मस्त चीज है तू.."

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ऋतु- "f-ौँ स्लप्प-स्लप्पं स्लप्प-स्लप्पं अहह..
फिर 10 मिनट चोदने के बाद अब मुझे लगा की चूत मार ले बेटा। कहीं साली का नशा उतर जाए, उसकी हवस खतम हो, उससे पहले फाड़ दे। तो मैंने उसे टेबल पे बिठाकर उसकी टाँगों को खोलकर उसे खींचकर उसकी चूत को टेबल के किनारे लाकर लण्ड चूत के छेद पर लगाया और ठोंक दिया एक मस्त धक्के के साथ उसकी चूत में। लण्ड उसकी चूत की सील तोड़कर 4 इंच घुस गया।

वो चिल्ला उठी। अभी वो पूरा चिल्लाती उससे पहले ही दो और धक्का लगाकर परा लण्ड उसके अंदर डाल दिया। उसकी तो आवाज ही बंद हो गई, आँसू निकल रहे थे। मैं रुका नहीं धकाधक फाइता गया उसकी चूत। कोई 15 मिनट के बाद अब वो भी झड़ने लगी थी।

मैं- "आह्ह... साली मजा आ रहा है बारी चूत फाड़ने में आहू..."

ऋतु- "आहह... आहह... ओह मोम... साले कुत्ते कमीने। फाड़ दिया तूने मेरी चूत... दूर हट मादरचोद..." फिर जब वो अब लण्ड ले रही थी, उसको उतना दर्द अभी नहीं लगा रहा था। और एक बार तो पानी भी छोड़ चुकी थी। तभी मैंने उसे खड़ी करके घुमा दिया, और वो टेबल पकड़कर झुकी हुई थी।

तभी मैं पीछे से उसकी चूत में लण्ड डालकर उसे तेज धक्के के साथ चोदने लगा, और 5-7 मिनट में ही वो फिर पानी छोड़ दी, तंज आवाज के साथ। शायद अब उसे दर्द के साथ पानी छोड़ने का पता चला था।
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ऋतु- "आह्ह... ओह्ह... ऊह्ह.. आअहह... उईंडैड आह्ह... आह.."

मैं उसे उठाकर पास ही सोफे में घोड़ी बना दिया और उसकी चूत के पानी से गीले लण्ड को उसके मैंह को पकड़कर गाण्ड में डाल दिया। उसने तो इसका सोचा भी नहीं थी की उसकी गाण्ड भी आज ही फट जाएगी। बो फिर चिल्ला उठी। फिर में दो और धक्का लगाकर गाण्ड की भरजी बनाने लगा।

ऋतु- "आह मोम... छोड़ मुझे... मुझे नहीं चुदना साले हरामी... तरी मोम की गाण्ड नहीं है, जो फाड़े जा रहा है.."

20 मिनट तक ऐसें तेज धक्के मारकर चोदने से वो वहीं सोफे पर ही लेट गईं, पर मैं नहीं रुका। बल्की वैसे ही उसकी गाण्ड मारने लगा। फिर 10 मिनट बाद अब शायद दोनों का टाइम आ गया था तो मैंने उसे खड़ी करके उसकी टाँग उठाकर पीछे से लंबे-लंबे धक्के मारकर चाटने लगा। फिर कुछ देर बाद उसके पानी छोड़ने के दो मिनट बाद में भी अपना पानी छोड़ दिया, और वहीं पड़ गया।

फिर मेरे दिमाग में आया- "अरे उस चतिए को भी आना है... साला कुछ करना पड़ेगा.." तो मैंने ऋतु को देखा तो उसकी चूत और गाण्ड बुरी तरह सूजी हुई थी, और उसकी हालत भी की थी। पर मुझे क्या? मैं उसे उठाकर उसके रूम में छोड़ आया और उसके कपड़े भी उसके रूम में फेंक दिए थे। फिर उसका थोड़ा बहुत खून जो गिरा था, उसे साफ किया, क्योंकी बाकी तो मेरे लण्ड में पी लिया था। फिर अपने कपड़े पहनकर उसका इंतजार करने लगा, और वो भी उसके 10 मिनट बाद आ ही गया। साथ में उसकी मोम भी थी। पर मैं रूम में था तो उसे पता नहीं चला।
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फ्लैशबैंक लालू की कहानी लोलू बुरा मुँह बजाते हुए- "ये योग-बाग तो दूर ही रखिए मुझसे। ये मेरे काम की चीज नहीं है..."

लालू की बात और उसके मुंह बनाने पर तांत्रिक बिच्छू को हँसी आ जाती है हाहाहाहा।

तांत्रिक बिच्छ- "तो तुम्हें क्या लगा तांत्रिक सीदियां ऐसे ही पा लेता है क्या कोई भी? अभी तुमने जाना ही क्या है इनके बारे में? यदि बुरी और ताकत वाली सीदिया पाना हो तो पता नहीं कितने लोगों की बलि की जरूरत पड़ती है, और एम शान में उनको सिद्ध करना पड़ता है...

तांत्रिक लालू मन में. "भोसड़ी के तो मुझे कौन सा अच्छी शक्ति चाहिए, और खून तो मैंने पहले ही बहुत किए हैं। साला अब कर रहा है ना काम की बात। इतनी देर से मेरी जैसे गाण्ड मार रहा हो और इसे मजा आ रहा हो, ऐसे हँस रहा था....

तांत्रिक लोलू- "कुछ और भी बताओं तांत्रिक बिच्छू बाबा.."

तांत्रिक बिच्छू और सुन... कुछ सीदी तो ऐसी होती है, जिसे तूने पा लिया तो समझ की तू अमर हो जाएगा।

तांत्रिक लोलू ललचाकर और खुश होते हुए. "मैं समझ नहीं, और अच्छे से बताओ?"

तांत्रिक बिच्छ. "उसको पाने के बादत कभी अपना शरीर छोड़कर किसी दूसरे के शरीर में जा सकता है, यानी तेरी रह। पर इसमें भी तुम ऐसे रहोगे जैसे कोई बुरी आत्मा किसी डैड बाड़ी में रहती है। क्योंकी सही से रहने के लिए योग में ही उसे पाया जा सकता है.."

तांत्रिक लोलू फिर मन में- "तो मुझे इसमें क्या, में इसे पाकर ही रहूंगा.."

ऐसे ही तांत्रिक बिच्छू उसे बहुत कुछ बताता है। फिर लालू उस सभी को पाने के लिए निकल जाता है। अब वो 60 साल का बूढ़ा हो गया था, पर सिद्धियों के कारण अभी अंदर से इतना कमजोर नहीं हुआ था। अब उसे किसी के शरीर में जाने के लिए बलि की जरुरत थी तो उसे अपने बास मनिया की याद आती हैं। और वो उससे मिलता है। उसकी भी हालत ऐसी ही थी, पर वो कमजोर था। पर इतने साल गुन्डागोरी करने पर अब वो एक बड़े अइई का डान बन गया था। लोल से सब बताता है और उसे लालच देता है की उसे भी दूसरी बाड़ी में डाल देगा बस बदले में उसे उसके लिए बलि के लिए लोगों का इंतजाम करना होगा।

अब इतने मस्त आफर का कोई कैसे ना कर सकता है? जब उसे फिर से जीने का मौका मिल रहा हो तब वो भी हाँ कह देता है। तब लोल उसे अभी से इसी काम में लग जाने को बोलता है। मनिया अपने गुन्डों को बुलाकर ऐसे ही लोगों का उठाने के लिए बोलता है. और साथ में ये भी की देखना उनके आगे-पीछे कोई ना हो जिससे पोलिस का कोई लफड़ा नहीं होगा। फिर उसके गुन्डे निकल जाते हैं काम के लिए। और लोल भी बलि के लिए तैयारी करने के लिए।

एक महीने में ही मनिया के गुन्डे 151 लोगों को उठा लेते हैं। पर अब पुलिस भी उनके पीछे पड़ी थी। वो सभी अंडरग्राउंड हो जाते हैं। फिर एक बड़ी काली रात को तांत्रिक लोलू शैतान के सामने उन सभी की बलि देता है। जिससे खुश होकर शैतान उसे कुछ काली शक्तियां भी देता है और उसकी कई सिद्धियां भी पा लेता है।

तांत्रिक लोलू अब तांत्रिक बिछ में बहुत बड़ा तांत्रिक बन गया था। अब उसने बहुत कुछ पा लिया था। अब उसने अपने आपको एक दूसरे आदमी के जिश्म में डालकर उसे भी खुश कर दिया था। फिर तांत्रिक लालू ने उसे अपनी शक्ति की वजह से उधार के सारे अड्डे का डान बना दिया। वहां के पहले डान का अपने ब्लैक शक्ति से मार कर।

फिर एक दिन तांत्रिक लोलू तांत्रिक बिच्छ के पास गया तो पता चला की वो तो मर गया है। अब उसका एक चेला था, जो सभी में ज्यादा तेज था। उसे उसकी जगह दी गई, बयोकी लालू तो वहां था ही नहीं।

तांत्रिक लोलू- "तांत्रिक बिच्छ कहां है? देखा आज मैं कितना शक्तिशाली हैं। अ पर तू मुझे पहचानेगा कैसे? अब तो मेरा शरीर ही बदल चुका है हाहाहाहा.." जब तांत्रिक लोल वहां आकर चिल्लाने लगा और ऐसी बातें करने लगा तो बाकी सभी चलें उसे पागल समझने लगे और जो यहां तांत्रिक बिच्छ की जगह था वो अपने गुरु के बारे में सुनकर बोला।
 
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