desiaks
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इधर रंजीत की तरफ रंजीत जब राज के मारने से गुस्से में घर में गया तो ऐमें एक पुराने टूटे हुए घर में गया, जहां इनका अइडा था और वो आदमी भी जो में सब देख रहा था और रंजीत के पीछे घर से निकल गया था, वो और कोई नहीं बल्की लालू था।
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गंजीत वहां जाकर गुस्से में दीवारों पर मारने लगा और गुस्से में बड़बड़ाए जा रहा था- "माला हगामी की औलाद
मुझे मारता है? साला मेरी बीबी को भी अपनी समझ रहा है, जैसे बच्चा मेरा ना होकर उसका हो। मेरा बच्चा है, चाहे मैं उसे मारक या कुछ भी कर उसके साथ। ओहह.. तेरी कहीं ऐसा तो नहीं साले ने मेरे पीछे मेरी बीबी को पला हो और ये उसी का बच्चा हो और क्यों नहीं हो सकता? साला इतने साल तक नहीं हुआ अब अचानक कैसे
आ गया? लेकिन कुछ भी हो मुझे उसे मारना है, बस मारना है।
दिन मस्ती से निकल जाते हैं फिर वो दिन आता है जब रति की डेलिवरी होनी थी। उसकी भी यहीं गाँव में घर पे ही होनी श्री। ऐसें सुबह 10:00 बजे उसे दर्द शुरू हो जाता है तो गाँब से औरतें आती हैं और काई दिन के 12:00 बजे रति की तंज चीख के साथ कुछ देर में बच्चे के रोने की आवाज आती है। मैं तो ये सुनकर बहुत खुश हुआ फिर एक औरत बच्चे को लकर आती है।
औरत- "मालिक लड़का हुआ है.." दोस्तों, अपनी कहानी के शक्तिशाली हीरो का जनम हो चुका है।
मैं खुश होकर उसे ₹500 के नोट की दो गड्डी देता हैं और अपने बेटे को देखता हैं। फिर वो उसे ले जाती है, क्योंकी अभी वो छोटा था तो अपनी माँ के पास रहने में ही उसकी भलाई थी। हम ऐसे ही खुशी मना रहे थे और पंजीत को जब ये पता चलता है तो उसकी जलन और ज्यादा बढ़ जाती और उसकी सारे इच्छाओं पर जैसे पानी फिर गया हो।
जीत- "नहीं, मैं ऐसा नहीं होने देंगा। मैं सबको मार दूंगा। मैं उसके वारिस को मार देंगा। हाँ मैं उन सभी को मार दूंगा, फिर सब कुछ मेरा होगा, सिर्फ मेरा हाहाहा.."
यहां घर में सभी खुशी की वजह से सो रहे थे। वही रंजीत अकेला ही हाथ में तलवार लिए सभी को मारने के इरादे से रात एक बजे आता है। क्योंकी रजत तो अभी यहां नहीं था। क्योंकी शहर में उसे एक गन्डों के ग्रुप ने मिला लिया था, और अभी वो किसी माल पहुँचने के लिए दूसरे शहर गया था।
रंजीत अपने घर के सभी रास्ते जानता था। अब उसका घर है तो ये कामन बात थी। फिर वो किसी तरह राज
के रूम में घुसता है, जहां आज कमी और उसकी बेटी साई हुई थी। क्योंकी रति को अभी-अभी बचा हुआ है इसलिए उन्होंने गम एक्सचेंज कर लिया था। क्योंकी डॉलवरी वहीं हई थी तो अभी गम बदलना सही नहीं समझा कमी ने।
रंजीत जब रूम में आता है तो देखता है की रूम में छोटी लाइट जली हुई है, जिसमें बैंड पर कमी और उसकी बेटी साफ दिख रहे थे। रंजीत मन में- "साली रंडी मुझं निकलवाई और पैदा भी की तो सिर्फ लड़की, अब कहां बचकर जाएगी?"
फिर रंजीत तलवार से एक बार करता है, जिससे कमी की बेटी जिसका नाम रति ने रखा था 'छाया' और वो मर जाती है। पर कमी तेज चीख के साथ उठ जाती है। फिर वो रंजीत और उसकी तलवार पूरी खून से भीगी हुई देखती हैं। वो फिर इरती हुई अपने बैंड पर खुद के पास देखती है। क्योंकी पहले तो वो बुरे सपने की वजह से उठ गई थी।
कमी जैसे ही देखती है चिल्लाते हुए और रोते हए. "नहीं मेरी बच्ची आहह... ओह... मेरी बच्ची... कमीनें तूने मेरी बेटी को मार दिया, मैं तुझे जिंदा नहीं छोइंगी.."
पंजीत कमी को देखकर कमीनी हँसी हँस रहा था फिर जब कमी उसके ऊपर झपटी तो जीत तलवार को सीधा उसके पेट में उतार देता है और तलवार कमी पेंट से पार हो जाती है।
कमी छीखती है- "आआअहहहहह... कमीने नहीईईई..."
थोड़ा पीछे चलते हैं।
जब कमी चीखकर उठती हैं, तभी राज और रति जो अपने बच्चों के साथ सो रहें थे, वो उठ जाते हैं। फिर राज कमी को देखने का बोलकर कमी के रूम के बाहर आता है और दूसरी तरफ से राज की मोम भी आती है। राज के पीछे-पीछे वो भी कमी के राम की तरफ बढ़ती हैं। लेकिन पहले वो पूरे घर की लाइट जलाती हैं। ठीक उसी वक्त रंजीत कमी के पेट में तलवार मारता है, जिसमें कमी के मुँह से दर्द की एक तेज चीख आअहह.. की निकलती और जब राज ये सब देखता है तो वो 'कम्मी' कहते हए चीखता है और जब मोम इन दोनों की आवाज सुनकर जल्दी से इधर देखती है तो इस भयानक मंजर को देखकर उसकी 'नहीं' की एक चीख निकलती है और वो इसी के साथ अटक से मर जाती हैं।
बापस आते हैं।
जब मैंने ये दरिंदगी देखी तो पूरा गुस्से से पागल हो गया और रंजीत की तरफ दौड़ते हुए उसके ऊपर कूदा। बो कमी के पेट से तलवार निकालकर मुझपे वार करने ही वाला था की उससे पहले मैं उसको पकड़कर पूरी शक्ति से गुस्से से मारने लगा फिर, और वो जब तक बेहोश नहीं हो गया तब तक मारता रहा। लेकिन मेगा गुस्सा फिर भी कम नहीं हो रहा था, तो मैं उसे मारता ही जा रहा था चिल्लाते हए।
मैं- "कमीने.... त इंसान नहीं इंसान के वेश में हैवान है। मैं आज तुझं जिदा नहीं छोड़गा। तर्ने मेरे बच्चे और मेरी कमी को मार डाला। मैं तुझे नहीं छोड़गा..."
मैं उसे मारे जा रहा था की मुझे कमी के दर्द से कराहने की आवाज आई तो मैं रंजीत को छोड़कर कमी के पास गया और उसे पकड़ लिया।
मैं- मैं तुम्हें बचा लँगा कमी, तुम फिकर ना करो।
कमी दर्द और टूटी सांसा से- "मुझे मौत से कोई शिकायत नहीं है। बस गम है तो सिर्फ इस बात का की मैं
अपनी बच्ची को नहीं बचा पाई। आप दीदी और मेरे सभी बटचों का खयाल रखना, मौं।
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गंजीत वहां जाकर गुस्से में दीवारों पर मारने लगा और गुस्से में बड़बड़ाए जा रहा था- "माला हगामी की औलाद
मुझे मारता है? साला मेरी बीबी को भी अपनी समझ रहा है, जैसे बच्चा मेरा ना होकर उसका हो। मेरा बच्चा है, चाहे मैं उसे मारक या कुछ भी कर उसके साथ। ओहह.. तेरी कहीं ऐसा तो नहीं साले ने मेरे पीछे मेरी बीबी को पला हो और ये उसी का बच्चा हो और क्यों नहीं हो सकता? साला इतने साल तक नहीं हुआ अब अचानक कैसे
आ गया? लेकिन कुछ भी हो मुझे उसे मारना है, बस मारना है।
दिन मस्ती से निकल जाते हैं फिर वो दिन आता है जब रति की डेलिवरी होनी थी। उसकी भी यहीं गाँव में घर पे ही होनी श्री। ऐसें सुबह 10:00 बजे उसे दर्द शुरू हो जाता है तो गाँब से औरतें आती हैं और काई दिन के 12:00 बजे रति की तंज चीख के साथ कुछ देर में बच्चे के रोने की आवाज आती है। मैं तो ये सुनकर बहुत खुश हुआ फिर एक औरत बच्चे को लकर आती है।
औरत- "मालिक लड़का हुआ है.." दोस्तों, अपनी कहानी के शक्तिशाली हीरो का जनम हो चुका है।
मैं खुश होकर उसे ₹500 के नोट की दो गड्डी देता हैं और अपने बेटे को देखता हैं। फिर वो उसे ले जाती है, क्योंकी अभी वो छोटा था तो अपनी माँ के पास रहने में ही उसकी भलाई थी। हम ऐसे ही खुशी मना रहे थे और पंजीत को जब ये पता चलता है तो उसकी जलन और ज्यादा बढ़ जाती और उसकी सारे इच्छाओं पर जैसे पानी फिर गया हो।
जीत- "नहीं, मैं ऐसा नहीं होने देंगा। मैं सबको मार दूंगा। मैं उसके वारिस को मार देंगा। हाँ मैं उन सभी को मार दूंगा, फिर सब कुछ मेरा होगा, सिर्फ मेरा हाहाहा.."
यहां घर में सभी खुशी की वजह से सो रहे थे। वही रंजीत अकेला ही हाथ में तलवार लिए सभी को मारने के इरादे से रात एक बजे आता है। क्योंकी रजत तो अभी यहां नहीं था। क्योंकी शहर में उसे एक गन्डों के ग्रुप ने मिला लिया था, और अभी वो किसी माल पहुँचने के लिए दूसरे शहर गया था।
रंजीत अपने घर के सभी रास्ते जानता था। अब उसका घर है तो ये कामन बात थी। फिर वो किसी तरह राज
के रूम में घुसता है, जहां आज कमी और उसकी बेटी साई हुई थी। क्योंकी रति को अभी-अभी बचा हुआ है इसलिए उन्होंने गम एक्सचेंज कर लिया था। क्योंकी डॉलवरी वहीं हई थी तो अभी गम बदलना सही नहीं समझा कमी ने।
रंजीत जब रूम में आता है तो देखता है की रूम में छोटी लाइट जली हुई है, जिसमें बैंड पर कमी और उसकी बेटी साफ दिख रहे थे। रंजीत मन में- "साली रंडी मुझं निकलवाई और पैदा भी की तो सिर्फ लड़की, अब कहां बचकर जाएगी?"
फिर रंजीत तलवार से एक बार करता है, जिससे कमी की बेटी जिसका नाम रति ने रखा था 'छाया' और वो मर जाती है। पर कमी तेज चीख के साथ उठ जाती है। फिर वो रंजीत और उसकी तलवार पूरी खून से भीगी हुई देखती हैं। वो फिर इरती हुई अपने बैंड पर खुद के पास देखती है। क्योंकी पहले तो वो बुरे सपने की वजह से उठ गई थी।
कमी जैसे ही देखती है चिल्लाते हुए और रोते हए. "नहीं मेरी बच्ची आहह... ओह... मेरी बच्ची... कमीनें तूने मेरी बेटी को मार दिया, मैं तुझे जिंदा नहीं छोइंगी.."
पंजीत कमी को देखकर कमीनी हँसी हँस रहा था फिर जब कमी उसके ऊपर झपटी तो जीत तलवार को सीधा उसके पेट में उतार देता है और तलवार कमी पेंट से पार हो जाती है।
कमी छीखती है- "आआअहहहहह... कमीने नहीईईई..."
थोड़ा पीछे चलते हैं।
जब कमी चीखकर उठती हैं, तभी राज और रति जो अपने बच्चों के साथ सो रहें थे, वो उठ जाते हैं। फिर राज कमी को देखने का बोलकर कमी के रूम के बाहर आता है और दूसरी तरफ से राज की मोम भी आती है। राज के पीछे-पीछे वो भी कमी के राम की तरफ बढ़ती हैं। लेकिन पहले वो पूरे घर की लाइट जलाती हैं। ठीक उसी वक्त रंजीत कमी के पेट में तलवार मारता है, जिसमें कमी के मुँह से दर्द की एक तेज चीख आअहह.. की निकलती और जब राज ये सब देखता है तो वो 'कम्मी' कहते हए चीखता है और जब मोम इन दोनों की आवाज सुनकर जल्दी से इधर देखती है तो इस भयानक मंजर को देखकर उसकी 'नहीं' की एक चीख निकलती है और वो इसी के साथ अटक से मर जाती हैं।
बापस आते हैं।
जब मैंने ये दरिंदगी देखी तो पूरा गुस्से से पागल हो गया और रंजीत की तरफ दौड़ते हुए उसके ऊपर कूदा। बो कमी के पेट से तलवार निकालकर मुझपे वार करने ही वाला था की उससे पहले मैं उसको पकड़कर पूरी शक्ति से गुस्से से मारने लगा फिर, और वो जब तक बेहोश नहीं हो गया तब तक मारता रहा। लेकिन मेगा गुस्सा फिर भी कम नहीं हो रहा था, तो मैं उसे मारता ही जा रहा था चिल्लाते हए।
मैं- "कमीने.... त इंसान नहीं इंसान के वेश में हैवान है। मैं आज तुझं जिदा नहीं छोड़गा। तर्ने मेरे बच्चे और मेरी कमी को मार डाला। मैं तुझे नहीं छोड़गा..."
मैं उसे मारे जा रहा था की मुझे कमी के दर्द से कराहने की आवाज आई तो मैं रंजीत को छोड़कर कमी के पास गया और उसे पकड़ लिया।
मैं- मैं तुम्हें बचा लँगा कमी, तुम फिकर ना करो।
कमी दर्द और टूटी सांसा से- "मुझे मौत से कोई शिकायत नहीं है। बस गम है तो सिर्फ इस बात का की मैं
अपनी बच्ची को नहीं बचा पाई। आप दीदी और मेरे सभी बटचों का खयाल रखना, मौं।
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