Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति - Page 13 - SexBaba
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Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति

तांत्रिक चला- "चुप हो जा... क्यों बिना वजह चिल्ला रहा है? कौन हहो तुम? तुम्हें पता नहीं है तांत्रिक बिच्छ अब नहीं रहे, और उन्होंने अपने सबसे तेज चेले को पानी में समझा? और यहां मुझे किसी और की तंज आवाज में बोलना नहीं पसंद है..."

तांत्रिक लोल ने उसकी बात सुनकर कुछ मंत्र पढ़ा और उसकी तरफ किया और वो तुरन्त तड़पने लगा। मैं देखकर सभी के मन में खौफ आ गया। सब डरे हए वहीं खड़े थे पर सब कांप रहे थे।

तांत्रिक लोलू- "हाहाहा... मुझे धमकी देता है मुझे हाहाहाहा.. तांत्रिक लालू को, जिसने मौत को भी अपना गुलाम बना लिया है हाहाहाहा..."

ये सब नजारा सभी देख रहे थे और उन्हीं में कुछ ऐसे परिवार भी थे जो तांत्रिक बिरह के चलें थे, वा सभी तो और भी ज्यादा डर गये थे। उन्हें समझ में आ चुका था की ये जो कोई भी है, वो तांत्रिक बिच्छ से बहुत ज्यादा शक्तिशाली तो है ही, साथ में बेरहम भी हैं।

तांत्रिक लोलू- "हाहाहा... अब जो यहां मेरा गुलाम नहीं बनेगा, उसका यही हाल होगा हाहाहा."

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तांत्रिक लोल की बात सुनकर सभी घुटनों के बल बैठ जाते हैं। जिसका मतलब साफ था की सभी गुलाम बनने के लिए तैयार हैं। अब मौत से कौन नहीं डरता यारों, ऐसा तो होना ही था।

वहां जो तांत्रिक बिच्छू के और चले थे, वो तांत्रिक लालू की आवभगत में लग गये और जो परिवार थी वो उसके पैर छकर जाने लगे। लेकिन लोल उन सभी से पूछता की वो क्यों आए थे? ऐसे ही सब जाने लगे। लास्ट में एक आदमी और औरत थे, वो आए और पैर छुए।
तांत्रिक लोलू- तुम लोग कौन हो और किसलिए आए थे?

आदमी- मैं नाम गरा है और ये मेरी लगाईं, और में बच्ची है। मेरे कोई बच्चा नहीं हो रहा था। तभी तांत्रिक बिच्छू बाबा में कुछ किया जिससे मेरे ये छोरी हुई है इसका नाम रति रखा हूँ। बस इसको ही बाबा को आशीर्वाद दिलाने आया हैं।

तांत्रिक लोल- "ठीक है ले मैं देता हैं आशीर्वाद "जल्दी जवान हो जा हाहाहा... कब पैदा हुई थी ?"
तांत्रिक लालू- हाँ ठीक है जा।

फिर वो दोनों आदमी और औरत अपनी बेटी के साथ बाहर आ जाते हैं और वो बाहर आकर ऐसे भागते हैं जैसे
जान बचाकर भाग रहें हों और फिर कभी नहीं आएंगे।

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चला दोस्तों इनके बारे में भी जान लेते हैं।

गुग एक किसान है और बच्ची उसकी बीबी हैं ये बच्ची नहीं हैं नाम है उसका ऐसा। पहले ऐसे ही नाम हुआ करते थे। इसको 5 साल से कोई बचा नहीं हुआ था। ये इसमें परेशान थे। फिर इन्हें किसी ने बताया की पास में एक तांत्रिक भी है, जिसका नाम तांत्रिक बिच्छ है। वो कुछ भी कर सकता है, तो इन्होंने अपने गांव के लोगों से इसके बारे में पूछा और राय ली।

लोगों ने कहा- "देखो भाई गरा, भगवान पर बिस्वास रखो, अगर तेरी किश्मत में बच्चा होगा तो जरूर होगा। ऐसे तंत्रिकों के चक्कर में मत आ। क्योंकी ये जान छीन कर जान देते हैं, और कुकर्म करते हैं। ये कभी सही काम सही तरह से नहीं करते हैं। फिर गलत की तो बात ही क्या? ऐसे में तेरे बचे हो भी जायेंगे तो ना त सुखी होगा और ना ही वो बच्चे। समझे बाबले कुछ?"

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दोनों गाँव वालों की बात सुनकर दुखी हये। फिर दोनों में सोचा और आपस में बात करने लगे। वो कोई भी गलत काम करे, हमको उससे क्या? मेरे को तो बच्चे मिल जायेंगे और तब ना कोई मेरे का नामर्द कहेगा और ना मेरे को बांझ। पर ये अपनी झठी मर्दानगी और बांझपन को सोचकर उसके पास जाने को तैयार हो गये।

फिर तांत्रिक बिच्छू को मिलें, तो तांत्रिक बिच्छू इन्हें दो बकरी के नवजात बच्चे लाने को कहा, और ये भी तैयार हो गये। ये सोचकर की वो कौन सा उसे मारेंगे, बलि ता वा तांत्रिक देगा। पर उन्होंने ये नहीं सोचा की इससे अच्छा तो ऐसे ही जिंदगी जी लेते, और क्या पता उन्हें बच्चा भी हो जाता। ऐसे ही वो दिन भी आ जाता है जब बो बकरी के दो नबजात बरचे लाते हैं, जिन्हें 3 दिन से ज्यादा नहीं हुआ था जनम लिये, और आज उनकी बलि भी दी जा रही थी।

फिर क्या था शैतान के सामने बलि दी जाती है। इन दोनों का खून भी उसमें डालते हैं, फिर कुछ खिलाकर घर भेज देते हैं और फिर ऐसे ही 1% साल निकल जाते हैं, और उन्हें बच्चा नहीं होता। पर पता नहीं भगवान की कैसी इच्छा थी की उन्हें 15 साल बाद बच्ची के पेट में बच्चा ठहर जाता है, और एक काली रात में उसके यहां एक बच्ची का जनम होता है। जिसका नाम रति रखा जाता है।
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कड़ी_42 फ्लैशबैक जारी

उन लोगों के जाने के बाद लाल अपना नाम ऐसे ही फैलाने लगा था और गुलाम बनाने लगा। उसे कुछ ही वक्त हुआ था की एक दिन उसे तांत्रिक बिछू की बजह एक पुरानी किताब मिली, जिसमें काली शक्तियों और यही काले रहस्य के बारे में था। जिसका उसे पता नहीं था और ना ही उसने कभी सोचा था। इसलिए तांत्रिक लोलू समझ गया था की ये किताब तांत्रिक बिच्छ की नहीं, बल्की किसी और की हैं और उसने जो भी सीखा इसी से सीखा, और मुझे उसने जो बताया बो भी इसी से बताया।

फिर वो उस किताब को पढ़ने लगा। वो किताब जरूर पुरानी थी पर इतनी नहीं, और वो ओरिजिनल बक नहीं थी बस उसमें से कुछ को हिन्दी में लिखकर इस किताब को बनाया गया है, और यही कारण भी था जिससे लालू उसे पढ़ पा रहा था। लगभग 7 दिनों में उस किताब के आखीर तक आ गया था, बस कुछ ही पन्जे बचे थे। पर इतना पढ़ कर उसे दिमाग को एक झटका लगा और वो तुरंत चिल्लाया
"गुलामोंऔ...

तभी वहां तांत्रिक बिच्छू के सभी चलें आ जाते हैं और तांत्रिक लोल के सामने आकर गुलामों की तरह खड़े हो जाते हैं।

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एक गुलाम- "क्या हुआ मेरे मालिक?"

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तांत्रिक लोल- "एक महीने पहले जब मैं यहां आया था, तभी एक आदमी औरत एक छोटी बच्ची के साथ यहां आए थे तांत्रिक बिच्छ का आशीर्वाद लेनें। पर वो तो जिंदा नहीं थे और मैं यहां आ गया था। तभी वो लोग मुझसे मिलकर गये थे। याद है?

चेला2- ही मेरे मालिका
तांत्रिक लोल- तो पता करो वो कहां है मुझे वो बच्ची किसी भी हालत में चाहिए समझे?

फिर कुछ चंले तांत्रिक लालू के बताए उस आदमी औरत और उसकी बच्ची का ट्रंदने निकल जाते हैं।

चेला। डरते हुए- "ऐसी क्या बात है मालिक की आपको उस बच्ची की ज़रूरत पड़ गई?"

तांत्रिक लालू- "वो बच्ची काई नार्मल बरची जैसी नहीं है गान्डू... वो उस काली रात में जनम ली है जब मैंने अपनी सिधियां पाने के लिए बलि दी थी। उस काली रात में होने के कारण और काली शक्ति की वजह से ही उसका जनम हुआ है इसलिए वो काली शक्तियों की गुलाम है, और इस किताब में बताया है की ऐसी काली रात में होने वाली लड़की बड़े से बड़े शैतान को भी जनम दे सकती हैं। उसमें कोई शक्ति नहीं हैं पर वो अपनी काली ताकत से कितनी भी बड़ी ताकत के मालिक को जनम दे सकती है, या उसके जनमें बच्चे को काली शक्ति का शैतान बना सकती है यही नहीं उसके खून से भी हाहाहाहा...

इसलिए तांत्रिक बिच्छ ने उसे वापस यहां लाने को कहा। ताकी वो उन्हें मारकर उस बच्ची को ले ले या उन्हें अपने पास रखता। अब इस पूरी दुनियां को अपना गुलाम बनाने के लिए मुझे उसका बच्चा चाहिए। फिर ये दुनिया मेरी गुलाम हागी.. मेरी... हाहाहाहा।

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कुछ देर बाद वो आ जाते हैं, जो उन्हें ट्रॅटने गये थे। पर उनके साथ कोई नहीं था। ये देखकर गुस्से में तांत्रिक लोलू बोला- "क्या हुआ, वो लोग कहां हैं? तुम या मुँह लटकाए क्यों आ रहे हो? बताओ मुझं कहां हैं वो लोग?"

उनमें से एक चेला डरते हए बोला- "वो लोग तो यहां से जाने के बाद ही अपना घर छोड़कर भाग गये कहीं और। किसी को उनके बारे में नहीं पता है...
तांत्रिक लोल- "क्या? तुम लोगों को एक काम दिया था वो भी नहीं हुआ सब चतिए..." और इसी के साथ लोल ने जैसे पहले उस चले को मारा था, वैसे ही इसे भी मार दिया, और कहा- "मुझे वो चाहिए किसी भी हाल में जाओ ट्रॅदो उन लोगों को..."

अब सभी लोग निकल जाते हैं वहां से, सिर्फ कुछ को छोड़कर। क्योंकी लोल की गुलामी के लिए भी तो कोई चाहिए। ऐसे ही दो साल निकल जाते हैं, पर वो उन्हें नहीं मिलते। फिर तांत्रिक लोलू भी सोच लेता है की उसका सालों का सपना पूरा होने का जरिया उसके सामने से निकल गया, और उसे पता भी नहीं चला। उसे उस टाइम का साच-सोच कर दुख होता गया।

एक दिन एक चेला कुछ सोचकर बोलता है- "मालिक आप अपनी सिधियों में तो उसको ढूँट सकते हैं ना... फिर उससे क्यों नहीं टूटते?

तांत्रिक लालू- "अबे पागल, यदि मैं उसे ऐसे ही ट्रॅद लेता तो तुम सभी चूतियों को ऐसे क्यों पागलों की तरह दूँदने को बोलता। वो काली शक्तियों की गुलाम है मेरी नहीं। मैं खुद उनका गुलाम हैं, मैं तभी टूट सकता हैं यदि वो मेरी एरिया में होते। एक नार्मल इंसान को भी टूटने के लिए एक तांत्रिक उसकी बाडी की कोई चीज या उसकी इस्तेमाल की हुई चीज की जरजत पड़ती है कुछ भी करने के लिए। समझा? कैसे चतियों को पाला हुआ है
तांत्रिक बिछने। पर वो साला तो इनसे भी बड़ा चतिया था."
 
फिर 6 महीने बाद वो थोड़ा सोचा- "मैं उन्हें कभी ना कभी तो ढूँद निकालंगा लेकिन एक बहुत शक्तिशाली शैतान बनाने के लिए एक शैतानी दिमाग के साथ एक खुरापाती ज्यादा पढ़ा लिखा दिमाग भी चाहिए और साथ ही मुझे काली शक्तियों के अलग-अलग शक्ति को अपने कब्जे में करने के लिए तांत्रिक शक्ति और सिधियां चाहिए।

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मैं सब सही साफ करके वहीं बैठा हुआ था की 10 मिनट बाद रवि आता है। वो पहले आराम से बैठता है।

मैं- अबे चूतिए कुछ बोलेगा भी या ऐसे ही चूतड़ फैलाकर बैठा रहेगा मुँह में लण्ड डाले।

रवि- अबे कमीने तेरे मुँह से हर बार यही सब निकलता है। तुझें और कुछ नहीं दिखता क्या?

मैं- अबे तो मुझे ऐसा बनाया भी तो तूने ही हैं।

रवि- अबे मैंने नहीं तेरे कमीने बाप ने समझा?

मैं- "अबे भोसड़ी के दिमाग गाण्ड में डालकर आया है क्या? ये क्या बोले जा रहा है। इसमें मेरा बाप कहां से
आ गया"

रवि- "अबे जिस बात को बताने के लिए मैं तुझे बुलाया था वो यही है, और ये सब तेरे बाप की वजह से ही हुआ है। वो वही से नहीं आया बल्की मेरी तुझे सिखाई हर बात तेरे बाप की है."

मैं- मादरचोद, नशा करने लग गया? क्या-क्या बोल रहा है। सही से बोल, कुछ समझ में नहीं आया।

रवि- "ता सुन... मैं तुझे जो सेक्स और लस्ट के लिए बताता और भड़काता था और मैंने जो सेक्स बक्स और पोर्न मूवीस की तुझे जो सी.डी. दी थी ना वो सब मुझे तेरे बाप ने दी थी, त देने के लिए समझा?"

मैं- "हाहाहाहा... अब मुझे लगता है तू सच में पागल हो गया है। कोई बाप अपने बेटे को ऐसा क्यों बनाएगा हाहाहा... साला सठिया गया है। साले तुझे खुद को तो जवानी चढ़ती थी और मजे से मुझे बताता था। अब बोल रहा है मेरा बाप पागला गया है हाहाहाहा.."

रवि- "अबै तुझे मेरी बात पर पकीन नहीं है क्या? साले मैं सच बोल रहा हूँ समझा.."

मैं- "हाहाहाहा.. अब क्या कुछ भी हो.. मैं तो समझा था की में ही बंडलबाज़ हैं। लेकिन आज साले तूने साबित कर दिया की तू मुझसे भी बड़ा बंडलबाज है। चल अब चलता है। मैं तो सोचा कुछ इंपार्टेट बात है, पर तू साला रहा गान्डू का गान्डू ही... सुबह इंपाट बात कहकर मुझे बुलाया भी और अब बकचोदी करने लगा। चल चलता हूँ अब बहुत हुई बकचोदी हाहाहाहा.."

रवि बी.डी. को जाते देखकर चिल्लाते हुये बोलता है- "अरे सुन्न त, मैं सच बोल रहा हूँ."

मैं- अब कल के लिए भी रख लें यार, बाड़।

मैं ये बोलकर घर निकल जाता हैं। क्योंकी साला फालत की बकचोदी पेल रहा था। पता नहीं क्या खा लिया सालें ने की मेरे बाप की लेने पर तुला है। चलो मजे मारने दो साले को मेरे बाप से। मैं तो इसको माम और बहन के मजे मारता है, और अब तो मारकर भी आया है हाहाहाहा।
 
मैंने जब घर की डोरबेल बजाई तो दरवाजा झुमरी ने खोला। लगता है साली की चूत और गाण्ड अब ठीक है, फिर बंजाना पड़ेंगा। पर यहां सभी हर कोई कभी भी अपनी गाण्ड मरा ही लेती हैं। ऐसे नहीं की में चूत के लिए भूखा बैठा हैं, सब चूत लेकर मेरी भूख मिटाएं लेकिन ये सब।

झुमरी मन में- "कमीना कैसे अभी भी घर रहा है, मेरी चूत और गाण्ड फाड़कर। पर अब क्या फायदा अब तो पूरी फट चुकी है..."

झुमरी थोड़ी शर्माकर- "क्या हुआ, क्या सोचने लगे छोटे बाबू? अंदर नहीं आना क्या?"

मैं- लगता है तेरी चूत फिर से मेरा लण्ड माँग रही है, साली तभी इतना उछल रही है।

झुमरी मेरे मुँह से ये सुनकर चकित हो गई थी। क्योंकी जिस अवी को वो जानती थी, वो बड़ा शर्मिला था। चाहे उससे सेक्स भी कर लिया हो, पर फिर भी वो इतना बेशर्म नहीं हो सकता था। पर अब वो जान गई की अब मैं बहुत बदल चुका हूँ।

झुमरी शर्माकर- "अरे अंदर तो आओं मैं तो बस अंदर आने का बोल रही हैं."

मैं भी फिर कुछ ना बोलकर अंदर आ जाता हैं। फिर रूम में जाकर सो जाता हैं। क्योंकी शायद मेरी हवस की जो गमी थी उसे मैंने बहुत निकाली है। इसलिए अब मुझे सेक्स के बाद थकान होती है पर वो ना के बराबर ही थी।

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ऐसे ही दिन खत्म होता जा रहा था। रात होने को थी। झुमरी और मोम डिनर तैयार कर रहे थे, तो मैं टीवी देखने लगा। अब मुझे ये टीवी जो सीरियल यानी चूतियापा होता था, पसंद नहीं आता था, ना ही मबी। क्योंकी उसमें विलेन को हीरा से मारना बताते थे, जो मुझे पसंद नहीं था। ऐसे में मुझे टाइम पास के लिए एक ही विकल्प था, वो था न्यूज तो मैं यही देखने लगा।

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तभी मुझे अपनी एक और रंडी यानी रेणुका काल आया।

मैं- हेलो।

रेणु- हेलो।

में- हाँ बोल मेरी रडी, क्या चूत में खुजली फिर शुरू हो गई क्या?

रेणु. पहले ये बताओ तुम कहा हो?

मैं- क्यों, बात क्या है?

ण- तुम थोड़ा चौकन्ना रहना।

में- क्यों ?

रेणु- तुम्हारे डैड तेरे लिए कुछ बुरा प्लान कर रहे हैं।

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में उसकी बात सुनकर कुछ कहता की तभी न्यूज में जो बता रहे थे उसे देखने लगता हूँ।
 
न्यूज- "आज की सबसे बड़ी न्यूज। शहर में हो रहे मर्डर केस को साल्व कर रही सी.बी.आई. को कुछ ऐसी जानकारी मिली है। जिससे पूरा शहर ही नहीं बल्की परे देश को झटका लगा है। इस मर्डर केस में मारा गया एम.एल.ए. काला का बड़ा बेटा अजीत भी था। पर साथ में उनका छोटा भाई, यानी एम. एल. ए. काला का दूसरा बेटा जो छोटा भी था, उसकी मौत भी किसी आक्सिडेंट में नहीं बल की इसी किलर के हाथों हुई है और इसे हमारे एम.एल.ए. साहब सभी से छपा रहे थे। क्योंकी इस केस में सी.बी.आई. इन्वेस्टिगेशन करें तो उन्हें ये बात पता ना चले की उनके संबंध इस स्टेंट के सबसे बड़े डान र2 से है। आप सभी तो जानते ही होंगे र2 क्या है? वो पूरे देश को अपने कंट्रोल में करना चाहता है, वो सभी को अपना गुलाम समझता है, जिससे वो जो चाहे कर सकें, बस उसकी हकूमत रहे.."

में जब र2 के बारे में गुलाम और हकूमत जैसे शब्द सुना, उसके काम को स्ना की वो क्या करता है? ये सब सुनकर मुझे इसका नशा चढ़ने लगा, जैसे चूत के लिए हवस का नशा होता है। फिर मेरा दिमाग र? की जगह जाने के बारे में सोचने और प्लान करने लगा। ये सब भी मुझं वैसे ही अच्छा लग रहा था जैसे अपनी हवस के लिए जिम। वैसे ही सभी को अपने नीचे गुलाम बनाकर रखना में सब मुझे चाहिए। बस सब छीनना है अब र?

में उसकी जगह लेकर उसे मौत देकर अपनी हकूमत करना था। और ऐसे ही मैं आँखें खोले खोले ही एक सपने में चला गया।

सपना- "जैसे एक बहुत बड़ी जगह हो। यहां एक बड़ी अजीब और थोड़ी इरावनी जैसे एक बड़ी चेयर या फिर ऐसे कोई बड़ा सिंहासन था, जिसके ऊपर मैं मस्ती से अजीब कपड़ों में बैठा और अलग-अलग तरह से दिखने वाली लड़कियों के जिम में खेल और सेक्स कर रहा था। और नीचे भी अजीब-अजीब से लोग अपने अजीब कपड़ों और बड़े और खतरनाक हथियारों के साथ सिर झकाए मेरे आगे खड़े थे, और उनसे थोड़ी दूर ऐसे ही कुछ लोग कुछ कैदी जैसे लोगों को मार रहे थे, और खौफनक हँसी हँस रहे थे हाहाहाहा.."

और मैं ये सब एंजाय कर रहा था। वो जगह अजीब थी, पर एक खास बात की सब बिखरा हुआ था जैसे यहां कोई जंग हुई हो। पर डेड बाडी नहीं थी काई भी। पर सब मुझे मस्त लग रहा था। बीच-बीच में मैं भी उनके जैसी खौफनक हँसी हँस रहा था पर वो उनसे कही ज्यादा खौफनक थी हाहीहीहीही।

फिर वो सपना जाने लगा और मुझे टीवी की आवाज आने लगी जो सपने की वजह से नहीं आ रही थी, और रेणु का काल तो मेरे ना बोलने पर कब का ही कट गया था। मैं इन सबके बारे में सोच रहा था, राज2 के बारे मे नहीं। जैसे वो बात कुछ इंपार्टेट हो ही नहीं। और
मेरा हातानी दिमाग कुछ अलग और खतरनाक सोचने लगा जो मुझे खुशी दे रहा था। जैसे वो मुझे मेरा मकसद दे रही हो। पर इन सब में एक चीज ये भी धी की जो मेरे अंदर इंसानी अंश था वो मुझे इन सबके लिए रोक रहा था। और मुझे इन सबमें क्या?"

ऐसे ही सोचते हुए डिनर का टाइम हो जाता है। मेरी अपनी सोच की वजह से अपने घर की चूतों पे अभी नजर नहीं गई थी, क्योंकी अभी कुछ खतरनाक सोच रहा था। फिर डिनर करने के बाद अपने रूम में चला गया और बेड पे बैठकर सोचने लगा, पता नहीं कितनी देर में सोच रहा था की तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया तो मैंने आने का सिग्नल दे दिया। तो दरवाजा खुला और चदा एक बुक लेकर अंदर आई।
उसे ऐसे देख कर अब मेरे लण्ड में हवस जाग गई। में फिर लण्ड से सोचने लगा की साली इसकी चूत अभी तक बची हुई है। आज तो इसकी फाड़कर ही रहूंगा।
 
में आओ मेरे पास बेड पे बैठ, क्या हुआ?

चंदा- वो मेरे इंग्लिश टीचर स्कूल में नहीं हैं तो क्या तुम मुझे इंग्लिश पटा दोगे क्या?

मैं मन में- "अरे... ये तो खुद चुदने आई है। यही सही मौका है, साली को गरम कर के चार देता हैं, इसकी लेने में मजा भी बड़ा आएगा.."

मैं- यह क्यों नहीं आ जा।

फिर वो मेरे पास ही बेड पर बैठ जाती है। मैं उसकी बक लेकर उसे थोड़ा पढ़ाने लगता हैं। क्योंकी मेरी नजर तो उसके जिम में ही थी। वो भी कुछ ध्यान नहीं दे रही थी। उसकी चूचियां मेरी साइड पे छ रही थीं।

मैं उसे थोड़ा पढ़ाने के बाद उसे बुक देकर पटने को बोला, तो वो बुक लकर पटने लगी। मैंने उसकी जांघ पे हाथ रख दिया तो उसने कुछ नहीं बोला। फिर मैं उसकी जांघ में पूरा हाथ घुमाने लगा तो कुछ देर में उसे पढ़ने में परेशानी होने लगी। क्योंकी मेरे हाथ अब उसकी जांघ के आखीर तक जा रहे थे, तो उसकी सामें तेज हो गई थी।

मैंने मन में सोचा- "साला ये तो परे हाट माल है, इसकी लेने में अब और मजा आएगा। वैसे में सोच-सोचकर थक गया था। इसलिए अब मस्ती करने के लिए लण्ड पागल हुए जा रहा था..."

मैं- चंदा यार, तू पूरी जवान हो गई है।

चंदा- हाँ मुझे पता है।

मैं उसकी बात सुनकर उसकी चूत के ऊपर हाथ लाकर घुमाने लगा। अब तो उसकी सांसें और तेज हो गईं। मैं भी समझ गया अब अगर इसे चोदू तो में मना नहीं करेगी, तो मैं उसे किस करने लगा। वो भी साथ देने लगी। इतना फास्ट तो मैं भी नहीं था, जितनी ये हो रही थी। मैं उसकी चूचियां भी दबाने लगा। किस और जंगली हाता गया, जैसे होंठों का खून चूस रहे हों। फिर कुछ 6 मिनट के बाद अलग हए सांस लेने के लिए। मैं तो कुछ देर में ही उसके शार्ट टाप में से उसकी चुचियाँ निकालकर उन्हें जोर-जोर से मसल-मसल के चूसने लगा। चंदा तो जोर-जोर से आहे लेकर चूसबा रही थी, उसे दर्द के साथ मजा भी आ रहा था।

चंदा- "आई आह्ह.. आह्ह ... आराम से चूसो... मैं कहीं भागी नहीं जा रही... आहह आईईई.."

मैं ऐसे ही उसके और अपने कपड़े भी निकल दिया, वो तो खुद इसमें मेरी हेल्प की। साली की गर्मी जो इतनी बघ गई थी की अभी उसे अपने जिम पे कपड़े काटतें लग रहे थे।

अब वो ब्रा और पैंटी में थी और मैं अडरवेर में। मैंने आज वहां से आकर इसे पहना था। मुझे नहीं पता था इतना जल्दी उतारने की आ जाएगी, वरना पहनता ही नहीं। फिर हम एक दूसरे को हवस भरी नजारों से देखें। तभी उसकी नजर मेरे लण्ड में गई, जो पूरा हाई होकर अंडरवेर को भी उठाकर तंबू बनाए हए था और ऐसे में फनी लग रहा था, जिसे देखकर चंदा हँसने लगी और मेरी गाण्ड सुलग गई।

मैं क्या है, क्यों हँस रही है?

चंदा- देख तेरे तंबू को मैंने पहली बार ऐसा देख है, इसलिए हँसी आ रही है।

मैं मन में सोचा- "साली हँस ले जितना हँसना है। जब मैं मेरी चूत और गाण्ड फाइंगा तब देखना कैसे चिल्लाएगी। मुझपे हँसती है बहन की लौड़ी साली कुतिया.."

मैं- "चल अब जल्दी आ, कहीं तेरी मोम ना आ जाएं चुदनें। ...मैंने तो सच बोलते हुए गाली दी। शायद उसे नहीं पता हो, पर वो मादर चाद तो जासूस की बेटी साली, जैसे सब जासूसी करके पता कर चुकी थी। वो सब समझ गई मेरी बात का मतलब क्या था?


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फिर चंदा मेरे पास आई की मैं उसे खींच उसकी चूचियां चूसने और काटने लगा, और अपना हाथ नीचे लेजाकर उसकी चूत पेंटी से रगड़ने लगा। फिर उसकी पैटी साइड करके उसकी पेंटी को मसलने के बाद उसमें उंगली डालकर उससे चोदने लगा।

चंदा- "आ: उईई आह्ह... आह... सीईईई.. सीईई... उईई... उम्म्म... आह्ह.." करने लगी।

फिर मैंने उसकी ब्रा और पैटी निकाल दिया। वहीं बैठकर उसकी टांगें चौड़ी करके उसकी चूत चाटने लगा। साली इससे तो पागल ही हो गई, जैसे इसी का इंतजार कर रही हो।

चंदा- "आह मोम... हाँ और जोर से आह्ह... सस्सीईई... मजा आ रहा है उम्म आह्ह.. चाटा और पूरा चाटो."

में कुछ देर उसकी चूत चाटा फिर उसमें उंगली डालकर चाटने लगा। फिर मैं खड़ा हो गया और अपनी अंडरवेर उतार दिया और उसे लण्ड चूसने के लिए बोला। वो पहले मेरे लण्ड को देखकर चकित हो गई। पर अभी उसमें हवस चढ़ी हुई थी। साली ऐसे चूसने लगी जैसे उसे दुबारा मिलेगा ही नहीं। पर वो सही भी थी, मैंने किसी को भी एक या दो बार ही चोदा था, फिर उसकी तरफ देखा भी नहीं था।

मैं- “आहह... साल्ली क्या मस्त चूसती है त.. अभी तक जिसने भी चूसा है, तु पहली नम्बर पे है आहह... ऐसे ही परा लेकर चूस साली पंडी आह... सीईई.."
 
दस मिनट लण्ड चूसने के बाद में उसे उठकर बैंड लेटने का बोला और वो वैसा ही करती है। फिर में उसकी दोनों टाँगों के बीच आकर उसकी दोनों टांगें फैलाकर पकड़ लेता हैं। अपने काले मोटे लंबे लण्ड को उसकी चूत में रखकर एक मस्त धक्का देता हैं। जिससे लण्ड का पूरा सुपाड़ा उसकी चूत के मुँह का फाइते हर अंदर घुस जाता हैं। चंदा के मुँह से चीख भी निकली, लेकिन परेशानी की कोई बात नहीं थी। क्योंकी र2 ने सभी कम साउंडप्रफ बनाए थे। फिर लण्ड थोड़ा अंदर जाने पर मैं उसकी जांघे पकड़कर एक के बाद एक दो धक्के ऐसे जोर से मारे की लण्ड चंदा की चूत की धज्जियां उड़ाता हुआ पूरा अंदर घुस गया, और उसकी चूत से खून निकलने लगा। वो तो मरे इन धक्कों से चिल्ला भी नहीं पाई थी की उसकी हालत और बुरी हो गई, और इस टाइम लण्ड अपना काम किए जा रहा था।

ऐसे ही लण्ड पूरा पेलने के बाद बिना रुके ठोंकने लगा- दे दनादन। उसकी तो चीखें निकल रही थीं, मरे हर धक्के पै। मैं बिना उसकी परवाह किए चोर्दै जा रहा था, और 10 मिनट में ही चोदने के बाद मैं उसकी एक टौंग उठाकर फिर चादने लगा। अब उसकी आवाज मुझे गाली देने लायक हो गई थी।

चंदा- “आहह... आअहह... साले हवसी, शैतान है त... देख भी नहीं सकता की एक लड़की को कितना दर्द हो रहा होगा इससे? आहह... देखना एक दिन तू भी इतने दर्द में तड़पेगा समझा? आहह... एक औरत के दर्द की आहे हैं... तभी एक औरत से ही आया है ओहह... आहह... धीरे कर कमीने..."

दोस्तों एक चीज बता दं, बी.डी. ने अब तक जिसके साथ भी सेक्स किया है। हर लड़की या औरत ने उसे ऐसे चंदा की तरह बददुआ जरुर दी है।
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मैं- "आह्ह.. साली तेरी चूत फाड़ने में मजा आ रहा है... ले साली और ले... तेरी ये आहे और बद्दुआ अब तक पता नहीं कितनी औरतें दे चुकी हैं हाहाहाहा... मुझे कीसी का डर नहीं.."

चंदा- "अरे.... मैं तो दर्द होने के गुस्से में कह रही थी... त ऐसे ही चोद... आराम्म से चोद चंदा को आह्ह..."

मैं- "चल हट साली रडी.. मेरे लिए सब मेरे लण्ड की प्यास के लिए ... तुमपे कैसा रहम्म यहा?"

फिर मैं खड़ा हुआ और उसे भी खड़ी करके एक टाँग उठाकर चोदने लगा। कभी इस टांग को, कभी उस टांग को। बा भी अब चुदाई से चूत मस्त होने से मस्त होकर चुद रही थी। ऐसे ही मैंने उसे 25 मिनट चोदा जिसमें अब तक पूरी चुदाई में वो 4 बार झड़ चुकी थी।

फिर मैं अब उसकी गाण्ड फाड़ने के लिए उसे बेड पे लेजाकर घोड़ी बनाया। उसने सोचा पोजीशन चेंज करके चोदूंगा। फिर मैंने उसके बाल पकड़ लिए, जिससे लण्ड डालने में भागे नहीं और लण्ड पहले जैसे ही धक्का मारकर पूरा लण्ड पेलकर उसकी गाण्ड फाइने लगा। कुछ देर ऐसे चोदने के बाद मुझे लगा की अब मैं आसन बदल लें तो मैं नीचे आया, और उसे ऊपर करके चादने लगा। वो मेरे ऐसे करने पे उससे भी ज्यादा चिल्लाई और उसकी गाण्ड से खून भी निकला और अब तो गालियां भी सुनाई।

चंदा- "मादर चोद... मेरी गाण्ड में भी डालकर देखा... साले कमाने, कत्ते हरामी बहनचोद आह्ह... मोम के लौड़े.. उसकी चूत में डाल... तेरी मोम फ्री की मिल रही है तो फाड़ देगा क्या?"

मुझे 6-7 मिनट ऐसे चोदने के बाद इसमें इतना मजा नहीं आया तो मैं खड़ा होकर उसे खड़ी करके एक तरफ टेबल के सहारे झुकाकर पीछे से लण्ड डाला, जो उसकी चूत में गया। मुझे क्या था.. अब मुझे भी अपना पानी निकालना था, क्योंकी अब मैं ज्यादा देर नहीं रूक सकता था। फिर वैसे ही चादने लगा और 5 मिनट के बाद लंबे धक्के के साथ उसकी चूत में ही झड़ गया... और वो तो अब तक कितनी बार झड़ी मुझे नहीं पता। पर उसे पूरा निचोड़ दिया था। मैंने उसे पकड़कर कुछ देर झुकाये रहा फिर उसे छोड़कर बेड पर आकर सो गया और वो तो मेरे छोड़ते ही वहीं गिर गई थी। क्योंकी उसमें बिल्कुल ताकत नहीं थी उठने की तो वो वहीं सो गई और मैं बेड में सो गया था।
 
सुबह हो जाती है। मैं और चंदा वैसे ही पड़े थे। तभी जैसे हर दिन की तरह झुमरी पहले उठती है, पर उसे अपने पास चंदा नहीं दिखती तो उसे याद आता है की वो मेरे पास आई श्री पढ़ने के लिए, और उसे मेरी अभी बाली बात की किसी को भी चोदे बिना न छोड़ना याद आई, तो वो तुरंत उठकर मेरे रूम में आती है। अब रूम लाक तो घर में कोई भी नहीं करता था। उसे में बेड पर नंगा खड़े लण्ड के साथ दिखा, पर वो तो चंदा को देखने आई थी, जो उसे नहीं दिख रही थी।

फिर वो एक बात पर गौर करती है की जब से वो आई है, तभी से गाम में उसे बदबू आ रही थी। तभी अचानक उसकी नजर बैंड के दूसरी तरफ जाती हैं, जहां उसे सिर्फ चंदा का हाथ नजर आता है, तो वो उधर जाती हैं और क्या देखती है की चंदा एकदम नंगी है और उसकी चूत और गाण्ड फूली हुई है, जिसमें खून सूखा हुआ भी था।

झुमरी चंदा सकी टांगें खोलकर सोने की वजह से साफ दिख रहा था, और जो बदबू आ रही थी वो चंदा के नीचे से थी, यानी उसने रात में वहीं मूत दिया था। उसे ये देखकर मेरे पे बहुत गुस्सा आ रहा था। पर पहले अपनी बेटी को संभालना था, तो वो उसे किसी तरह उठाकर बाथरूम ले गई और गर्म पानी से साफ की।

चंदा को तो पानी लगते ही नींद खुल गई, और अपनी मोम को ये सब करते देखकर उसे शमं भी आ रही थी। फिर उसे याद आया की वो भी तो ये सब करती है, तो उसे कोई फिकर नहीं हुई। सब साफ करने के बाद झुमरी उसमें गुस्से में पूछती है- "ये सब क्या है?"

चंदा भी बाफकर होकर बोल देती है- "तुम भी तो करती हो.... जिससे झुमरी चुप हो जाती है और दोनों मेरे रूम से निकल जाती हैं।

ऐसे फिर माम आकर मुझे उठाती हैं और कुछ देर मेरे लण्ड से चुदकर चली जाती हैं। मैं तैयार होकर नीचे आता हैं, तो सभी नाश्ता कर रहे होते हैं। मेरी बहनें हमेशा एक नम्बर माल बनी रहती है, और आज भी वैसी ही इंस में थी, और बाकी सब भी। उन्हें देखकर मेरे लण्ड खड़ा हो जाता है। पर अभी कुछ कर नहीं सकता था, तो मैं जाकर नाश्ता करता हूँ।

फिर अपने प्लान के बारे में सोचता है- "अगर मैं उस र2 को मार दू तो उसकी जगह मेरी होगी, और सब शक्ति मेरे पास होगी। मैं जिसे चाहे मार सकता हैं, कितने ही पैसे होंगे। जिसे चाहे खरीद सकता है और ऐसे ही सभी स्टेट के डान को मारकर मैं उनकी जगह आ जाऊँगा, और इससे तो मैं जल्दी ही पूरे देश का डान हो जाऊँगा हाहाहाहा."

पर उससे पहले मुझे इस साले एम.एल.ए. को मारना होगा, तभी तो वो खुद मुझे ढूंढते हए आएगा। क्योंकी ये उसका बड़ा प्यादा है। फिर में उसे मार दूंगा और सबसे बड़ी बात की अगर ऐसा नहीं भी हुआ तो मुझे कैसे पता चलेगा की र2 है कौन है? मैंने तो उसे देखा भी नहीं है। पर इस एम.एल. ए. काला में तो देखा होगा। इसी से पता कर लँगा। पर साले काले को टूट कहां? पता नहीं कहां छिपा बैठा है? पर देखना तो पड़ेगा ही..."

में सोचकर मैं बाहर निकल जाता हैं बाइक लेकर एम.एल.ए. का ट्रॅदने, बो भी पोलिस से पहले। ऐसे ही दो दिन निकल जाते हैं। फिर एक दिन एम.एल.ए. के आदमियों की गाड़ी शहर से बाहर एक फार्महाउस की तरफ जाती दिख जाती है, तो में भी उसके पीछे छपता हुआ जाता हैं। ये एक बड़ा फार्महाउस था, जहां गुन्डे की तरह दिखने वाले बहुत सारे लोग हाथों में गन लिए उसके चारों तरफ सेक्योरिटी कर रहे थे। तभी मैं समझ गया की एम.एल.ए. भी यहीं छुपा हुआ होगा हाहाहाहा।

मैं अपनी स्पीड से एक गुन्डे को जो एक कोने में था, उसको मार देता हैं और उसकी गन लेकर एक पेड़ के पीछे छिपकर सभी को गोलियों से भूनने लगता हैं। मेरी फायरिंग में अंदर और उधर के लोग आक्टिव हो गये, और बो भी गोलियां चलाने लगा मैंने आगे के सभी को तो कब का ही मार दिया था गन से। लेकिन बाकी और से आए और ऊपर के लोग थे, जिसमें फाइरिंग चल रही थी। फिर मैं बाहर के सभी गन्डों को मारकर तेजी से फार्महाउस की दीवार से जा लगा। अब ऊपर के लोगों को में नहीं दिख रहा था।

फिर मैंने फार्महाउस के मुख्य दरवाजे के लाक को गोली से तोड़ दिया, और इसी के साथ गन की सभी गोलियां भी खत्म हो गई। अभी मैं यहां खड़ा था की मना कुछ लोग आ रहे हैं, तो मैं तेजीड में फार्महाउस के पीछे आ गया। वो लोग मुझे इधर-उधर देख रहे थे। वो क्या है की मैं तेजी से उन्हें नहीं मार सकता था, क्योंकी अभी ये बहुत कम थे। लेकिन आम इंसान के लिए बहुत ज्यादा थी। जैसे बाइक 100 की स्पीड में चलती है पर गोलियों की स्पीड तो ज्यादा होती है ना? तो फिर मैं उनके सामने स्पीड से मारने वाली बेवकूफी कैसे कर सकता था?

लेकिन मेरे लाक तोड़ने में दरवाजा ही टूट गया था और बाकी बचे सभी गुन्डे तो बाहर आकर मुझे देख रहे थे। इधर-उधर पर दरवाजा से ज्यादा दूर नहीं और कुछ लोग तो वहीं थे बस यही सही मौका था, तो मैंने इतने गुन्डों को मारा था, उनमें से दो गन ली और अपनी पूरी स्पीड के साथ एक तरफ से निकलते हए गोलिया चलाने लगा। वो इससे संभल भी नहीं पाए थे की मैं पता नहीं कितने गुन्डों को मारकर अंदर आ गया और एक जगह छिप गया। यहां से मुख्य दरवाजे की तरह साफ देख सकता था, और गोली चला सकता था।

उन लोगों को जब तक समझ में आया तब तक तो में उनके आधे से ज्यादा गुन्डों को ऊपर पहुँचा कर अंदर से उनके आने का इंतजार कर रहा था। वो लोग अब चौकन्ने होकर अंदर आ रहे थे। पर उन्हें नहीं पता था की सब मुझे साफ दिख रहा है। उनके आते ही मैंने फिर गोलियां चला दी। एक पहली बार चला रहा था ना लेकिन टाइट पकड़कर सामने चलाना था और बैंसें इतने लोग थे तो किसी न किसी को तो लगनी ही थी। पर जब मैं बाहर मार रहा था तभी वो इतने लोग नहीं थे।

लेकिन पहली बार था इसलिए 8-10 लोगों को मारने में ही मेंरी परी गन खाली हो गई थी। जब दूसरी बार बो सब मेरे सामने थे, पर मेरे सिर्फ कुछ लोग और उसमें भी उनका ध्यान मेरी तरफ नहीं था, और मैं स्पीड में भी तो था। वो कुछ समझते उससे पहले मैं अंदर आ गया था। और दूसरी बार दोनों हाथों में गन लेकर चला था

और उससे भी मैंने इतने लोगों को मारा, जिसमें मेरा हौसला और जनन तो बदना ही था। फिर जैसे ही वो लोग बचे थे, जब लगभग सभी आ गये तो मैंने गोली चलाना फिर शुरू कर दिया। जिसकी वजह से फिर मारे गये पर इस बार सभी। तब मैं अपनी कमीनी जीत की स्माइल लिए अंदर चल दिया।
 
वहीं अंदर एक रूम में एम.एल.ए. काला अपने बेड पर मजे से सो रहा था की उसे बाहर गोलियों की आवाज आई। उसने सोचा शायद पोलिस को पता चल गया उसका, तो वो भागने के लिए बाहर आया। जहां उसके आदमी खड़े थे तो उसँ पूछा- "क्या हुआ?"

आदमी- "बास पता नहीं कौन साला आ गया और सभी पर गोलियां चला रहा है."

एम.एल.ए. काला- चतिए पोलिस या सी.बी.आई. होगी और कौन होगा?

आदमी2- नहीं बास बो में दोनों नहीं हो सकते।

एम.एल.ए.- "क्यों नहीं हो सकता? साले मादरचोद पूरी बात बोलकर बीच में रुक के सस्पेंस से मेरी गाण्ड ना मारा कर समझा?"

आदमी2- उसे सही से गन चलानी नहीं आती है, उसके चलाने से ये साफ लग रहा है।

एम.एल.ए. तो फिर तुम सब उसके पास क्यों अपनी माँ चुदा रहे हो, मार नहीं सकते थे क्या?

आदमी- बास बाहर बो बता रहे थे की वो छिपकर सभी पर गोली चला रहा है इसलिए अभी तक नहीं मारा गया।

एम.एल.ए.- "तो बहनचोद, तो तुम लोग अपना दिमाग गाण्ड में डालकर घूमते हो क्या सालो? तुम भी वैसे ही मारो न मादरचोद... में कैसे लोगों की गाण्ड धो रहा था अब तक? में साला चूतिया है। आज लगता है की इन सभी की वजह से मारा जाऊँगा.."

कोई कुछ बोलता उसे पहले ही एक आदमी आता है और बोलता है- "बास बाहर के सभी आदमी मारे गये.."

एम.एल.ए.- और वो?

आदमी- वो जिदा है, और कहीं छप गया है।

एम.एल.ए.- "ता यहां क्या अपनी माँ चुदाने आए हो क्या? जाओं सभी और मार डाला साले को। पता नहीं दिन ब-दिन में मेरे दुश्मन कौन पैदा किए जा रहा है?" बो ये बात अपने बेटों को मारने वाले और अब यहां अटैक करने वाले के बारे में बोल रहा था।

फिर सभी बाहर जा ही रहे होते हैं की उन्हें दरवाजे पर गोलियां चलने की आवाज आती है। फिर जब बंद हुई तो दरवाजा धौंय की आवाज से नीचे गिर जाता है। सब डरकर पीछे होते हैं। फिर संभल के बाहर आते हैं छपते छुपाते तो फिर आगे क्या हुआ? ये आप सभी ऊपर पद ही चुके हैं।

अंदर एम.एल.ए. टेन्शन में हाता है। फिर उसे काफी देर शांति के बाद अचानक गालियां चलने और अपने आदमी मारने की आवाज आती है, तो एम.एल.ए. पूरे टेन्शन में आ जाता है की कौन है ये जो उसे मारना चाहता है? उसे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था तो वो अपने बास पानी बर को काल लगा देता है।

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कड़ी_45

एम.एल.ए. काल में डरी हुई आवाज में. "हेल्लो बोस्स.."

राज?- हेला काला क्या हुआ, तू इतना इरा हुआ क्यों है?

एम.एल.ए.- "बास पता नहीं कौन है, जिसे मेरे यहां छपे होने का पता चल गया है, और वो मेरे सभी आदमियों को मार रहा है..."

राज? टेन्शन में- "काला, त कैसे भी वहां से निकलो... वो पोलिस ही होगी और तने मुझे देख लिया है कहीं पकड़ा गया तो मेरे बारे में त सब बक देगा.."

एम.एल.ए- "नहीं बास। मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा, और वो पोलिस नहीं है। सिर्फ एक आदमी है, पुरुश या स्त्री अभी कन्फर्म नहीं है। वो सिर्फ ये बता रहा है की वो जो कोई भी हैं सिर्फ एक है, जिसे अभी गन भी सही से चलानी नहीं आती है.."

राज2- "क्या?"

ये बात तो रंजीत के लिए भी किसी बड़े सदमे से कम नहीं थी।

राज2- तो फिर वो है कौन? और किसलिए ये कर रहा है?

एम.एल.ए. मुझे नहीं पता बास की वो पं सब क्यों कर रहा है?

राज2- "कुछ भी हो पर एक बात तो है की वो वहां तुम्हारे लिए आया है.." फिर अचानक उसके मन में कुछ आता है- "कही वो सीक्रेट आफिसर या एजेंट तो नहीं, जो उन्हें चकमा देने के लिए ये दिखाया हो की जैसे उसे गन चलानी भी नहीं आती और वो सब उसे इंजी ले लें। क्योंकी ऐसे अकेले तो यही लोग करते हैं.."

फिर पूरे टेन्शन और इर से- "तू कैसे भी वहां से निकल, अगर पकड़ा जाए ता अपने आपको गोली मार लेना। पर मेरे बारे में कुछ नहीं बोलना, वरना बच नहीं पाएगा मेरे हाथों समझा?"

एम.एल.ए.- "ओके बास... और काल कट हो जाती है

अब तो एम.एल.ए. की पौ फट के हाथ में आ गई थी। क्योंकी वो जानता था की यदि वो इन दोनों से कोई भी हुआ, या फिर एजेंट तो उसकी क्या हालत होगी? वो ये बात अच्छे से जानता था और वो अपने बास का कहा हुआ भी नहीं कर सकता था। वैसे भी उसकी कोई परिवार तो थी नहीं, जो उसको बचाने के लिए अपने आपको मारना पड़े। अब सभी को अपनी जान प्यारी होती है, तो वो कैसे खुद को मार सकता है? पर डर तो उसकी गाण्ड से उसके सिर तक पहुँच गया था। जिससे उसे समझ में ही नहीं आ रहा था की वो क्या करें? फिर वो पीछे से निकलकर भागने के लिए जैसे ही अपने रूम का दरवाजा खोलता है तो उसे सामने एक 18-19 साल का लड़का हाथ में गन लिए उसकी तरफ करके एक कमीनी स्माइल दे रहा था। जिससे उसकी और फट रहीं थी। लेकिन सिर्फ एक इतने कम उम्र के लड़के को देखकर कुछ रिलैक्स था।

में सभी को मारकर अंदर इनके लौडर यानी एम.एल.ए. को देखने लगता हैं। तभी एक रूम में मुझे कुछ आँके बास जैसी आवाज सुनाई दी। मैं समझ गया एम.एल.ए. यहां ही है। पर अभी ये भी था की शायद वो अकेला ना हो, उसका बास यानी 2 भी हो। इसलिए में दरवाजा खुलने का इंतजार कर रहा था। और जैसे ही उस रूम का दरवाजा खुला में एम.एल.ए. काला के सामने गन ताने खड़ा था, और मैंने देख की वो रूम में अकेला ही है, यानी मोबाइल पर बात कर रहा होगा।

मैं- "ओह्ह ... एम. एन.ए. साहब कैसे हो? और इतना पशीना क्यों निकल रहा है?"

एम.एल.ए.- कौन हो तू और मुझसे ऐसे बात करने की तेरी हिम्मत कैसे हुई?

मैं समझ गया सामने मुझे बचा समझ कर इगा रहा है। साले को दिखाना ही पड़ेगा की जितना उसने एम.एल.ए. बनकर कुर्सिया नहीं तोड़ी होंगी, उतनी तो मैं चूत और गाण्ड फाड़ चुका है। मैं यही सोच रहा था की एम.एल.ए. मुझे साच में देखकर समझा की मैं डर गया तो झपट्टा मारकर मेरे हाथ से गन छीनने लगा, तो मैंने एक मस्त लात मारी, जिससे वो रूम के बेड पर जाकर गिरा चिल्लाते हुए। साला बी.डी. से चालाकी?

एम.एल.ए- "आअह्ह... मर गया.."

में- "बहन के लौड़े मुझसे लण्ड खेली, अब मैं तो फाड़कर रख देता हैं.." बोलकर मैंने एक गोली उसके पैर पे चलाई, अब गन ऐसी थी की एक बार गन का ट्रिगर दबाने पर 5-6 गोलियां जा लगी उसके पैर में और दो-तीन बेड पर उसके पैर के लगी।

एम. एल. ए- "आह्ह... मार डाला आअहह... कितना दर्द हो रहा है?"

मैं- "अब तो तू समझ ही गया होगा की मैं क्या चीज है। बरचा मत समझ, सिर्फ इतना बता की र2 कौन है? बरना अबकी बार गाण्ड में गोली मारंगा तो सिर चौर के निकलेंगी, और वो भी पता नहीं कितने छेद करके समझा?"

एम.एल.ए.- बताता हूँ.. पर तुम्हें एक वादा करना होगा की तुम मुझे जिदा छोड़ दोगे। बोला मजूर है?

मैं- ठीक है वादा किया। तुझे कुछ नहीं करूंगा, अब अपना मुँह खोल।

एम.एल.ए.-2 यानी दो 'आर' मतलब की दो नाम।

मैं- हाँ आगे बाल।

एम.एल.ए.- "एक 'व' का नाम- राज? नायर जो शहर का एक बड़ा बिजनेसमैन हैं, और दूसरा उसी का दोस्त और पारिवारिक डाक्टर रजत गुप्ता..."

मैं तो एम.एल.ए. की बात सुनकर चकित हो गया। साला ये तो मैंने सोचा भी नहीं था। साला कुछ समझ में नहीं आ रहा था। ऐसे कैसे हो सकता है? वैसे मुझे उसमें कोई लगाव नहीं था। लेकिन था तो सदमा ही मेरे लिए। फिर मुझे रवि और रेणु की बात याद आती है। अब मुझे भी यकीन हो गया की साला बो तो अपने बेटे को ही मारने की फिराक में है। साला मेरी तो समझ में नहीं आता है पर इसका क्या लोचा है?

एम.एल.ए.- अब तो मुझे जाने दो। मैंने तुम्हें सब बता दिया और तुमनें वादा भी किया था।

मैं "अगर मैं छोड़ा तो वो तम्हें मार देंगे, और वैसे भी मैं हीरा नहीं, जो अपने इन चतिए वादा में पड़ा रह बेवकूफी करता रहूं, समझा? में विलेन हैं बिलेन हाहाहाहा... तो फिर मेरे ही हाथों मर जा, क्या करेंगा जीकर हाहाहा..." और गोली चला दी। पता नहीं कितनी गोलियां लगी साले को पर पूरा मर गया था।

फिर मैं चल दिया। लेकिन घर जाने में पहले कपड़ों का कुछ करना पड़ेगा। वरना सब गाण्ड में उंगली करने लगेंगे। शहर के पास आकर एक माल में गया और तेजी से एक शाप से पतला को ही उठा लाया, और उसके कपड़े उतारकर पहन लिया। शाप वाला तो जब तक सदमें से बाहर आया, तब तक मैं तो बाहर कपड़े चेंज करके निकल भी गया था।

में घर जाते हए कमीनी स्माइल के साथ खुश था। क्योंकी अब मुझे वहां जाने में कोई परेशानी नहीं होने वाली थी। क्योंकी मुझे पता है वो कौन है और मैं इतने आराम से मार सकता हूँ। फिर मैंने सोचा की देर किसलिए? में कोई पोलिस थोड़े ही हैं, जो अपना काम देर से करें। इसलिए बाइक घुमाकर चल दिया र2 के दूसरे पार्टनर यानी रजत गुप्ता के पास, उसे ऊपर पहुँचाने।

मैं 20 मिनट के बाद रजत के क्लिनिक में उसे देखकर मैं समझ गया की ये तो बस नाम के लिए ही है। क्योंकी ऐसी जगह कोई पेशेंट कैसे हो सकते हैं, और उसने सोचा होगा ऐसी जगह से वो अपना काम आराम से कर सकता है। पर बेचारे ने ये नहीं सोचा की यहा उसका काम भी आराम से हो सकता है और उसने अपनी सेक्यारिटी के लिए बस दो गुन्हें रखे थे, जो की बाहर मुख्य दरवाजे पर खड़े थे। अब उसकी सोच भी सही थी। एक तो कोई उसे जानता नहीं, दूसरा किसी को पता भी नहीं है की वो कहां रहता है? सिर्फ मेरी परिवार को छोड़कर। और में उसको मारने भी आ गया। अब मेरे कमीने बाप के लिए इससे बड़ा झटका और क्या हो सकता था?
 
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