hotaks444
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अपने पिता की बात सुनकर ज्योति का सर शर्म से झुक गया और वह बगैर कुछ बोले चुप होकर बैठी रही।
"क्या हुआ बेटी बोलो न तुमने तो अपने भाई के साथ ही प्रोग्राम सेट कर लिया" महेश ने ज्योति की जाँघ पर अपने हाथ को फेरते हुए कहा।
"पिता जी मुझसे गलती हो गई इतने सालों से प्यासी थी और ऊपर से नीलम भाभी भैया को हाथ भी लगाने नहीं दे रही थी इसीलिए हम दोनों जवानी की हवस में अंधे हो गये" ज्योति ने वैसे ही शर्म से अपना कन्धा नीचे किये हुए कहा।
"ह्म्मम्म तुमने ठीक आदमी को चुना अगर तुम यह काम बाहर करती तो हमारी ही बदनामी होती और समीर का भी क्या क़सूर तुम हो ही इतनी ख़ूबसूरत की तुम्हें देखकर किसी भी आदमी का खड़ा हो जाए" महेश ने इस बार अपने हाथ को अपनी बेटी की पेंटी तक लाकर उसे सहलाते हुए कहा ।
"पिता जी आप यह क्या कह रहे हैं मैं आपकी बेटी हूँ" ज्योति अपने पिता के हाथ को अपने हाथ से पकडते हुए बोली। उसे बुहत ज्यादा हैंरानी हो रही थी की उसका बाप भी उसके बारे में ऐसा कह सकता है।
"ता क्या हुआ बेटी जब तुमने अपने भाई का चख लिया है तो फिर मुझसे क्यों शरमाती हो" महेश ने ज्योति के हाथ को अपनी धोती के ऊपर से ही अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा । अपना हाथ अपने पिता के लंड पर लगते ही ज्योति का सारा जिस्म कांप उठा और उसने अपने हाथ को फ़ौरन वहां से हटा दिया।
"क्यों बेटी अच्छा नहीं लगा क्या। तेरे भाई से ज्यादा तगड़ा है" महेश ने हँसते हुए कहा ।
ज्योति का चेहरा शर्म से लाल हो चुका था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या करे उसकी साँसें भी बुहत ज़ोर से चल रही थी । ज्योति अचानक वहां से उठकर अपने कमरे में चलि गयी अपने कमरे में आकर ज्योति ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।
ज्योति बेड पर बैठकर ज़ोर से हाँफने लगी उसका पूरा जिस्म गरम हो चुका था । उसे बार बार अपने हाथ पर अपने पिता के लंड का अहसास हो रहा था । ज्योति अपना हाथ अपने पिता के लंड पर लगते ही समझ गयी थी की उसके पिता का लंड बुहत मोटा और लम्बा है मगर वह अपने पिता के साथ यह सब कुछ करने का सोच भी नहीं सकती थी इसीलिए वह वहां से भाग आई थी ।
"क्या हुआ बेटी बोलो न तुमने तो अपने भाई के साथ ही प्रोग्राम सेट कर लिया" महेश ने ज्योति की जाँघ पर अपने हाथ को फेरते हुए कहा।
"पिता जी मुझसे गलती हो गई इतने सालों से प्यासी थी और ऊपर से नीलम भाभी भैया को हाथ भी लगाने नहीं दे रही थी इसीलिए हम दोनों जवानी की हवस में अंधे हो गये" ज्योति ने वैसे ही शर्म से अपना कन्धा नीचे किये हुए कहा।
"ह्म्मम्म तुमने ठीक आदमी को चुना अगर तुम यह काम बाहर करती तो हमारी ही बदनामी होती और समीर का भी क्या क़सूर तुम हो ही इतनी ख़ूबसूरत की तुम्हें देखकर किसी भी आदमी का खड़ा हो जाए" महेश ने इस बार अपने हाथ को अपनी बेटी की पेंटी तक लाकर उसे सहलाते हुए कहा ।
"पिता जी आप यह क्या कह रहे हैं मैं आपकी बेटी हूँ" ज्योति अपने पिता के हाथ को अपने हाथ से पकडते हुए बोली। उसे बुहत ज्यादा हैंरानी हो रही थी की उसका बाप भी उसके बारे में ऐसा कह सकता है।
"ता क्या हुआ बेटी जब तुमने अपने भाई का चख लिया है तो फिर मुझसे क्यों शरमाती हो" महेश ने ज्योति के हाथ को अपनी धोती के ऊपर से ही अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा । अपना हाथ अपने पिता के लंड पर लगते ही ज्योति का सारा जिस्म कांप उठा और उसने अपने हाथ को फ़ौरन वहां से हटा दिया।
"क्यों बेटी अच्छा नहीं लगा क्या। तेरे भाई से ज्यादा तगड़ा है" महेश ने हँसते हुए कहा ।
ज्योति का चेहरा शर्म से लाल हो चुका था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या करे उसकी साँसें भी बुहत ज़ोर से चल रही थी । ज्योति अचानक वहां से उठकर अपने कमरे में चलि गयी अपने कमरे में आकर ज्योति ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।
ज्योति बेड पर बैठकर ज़ोर से हाँफने लगी उसका पूरा जिस्म गरम हो चुका था । उसे बार बार अपने हाथ पर अपने पिता के लंड का अहसास हो रहा था । ज्योति अपना हाथ अपने पिता के लंड पर लगते ही समझ गयी थी की उसके पिता का लंड बुहत मोटा और लम्बा है मगर वह अपने पिता के साथ यह सब कुछ करने का सोच भी नहीं सकती थी इसीलिए वह वहां से भाग आई थी ।