hotaks444
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"दीदी उठो न क्यों सता रही हो" विजय ने अपनी बहन की चुचियों के उपरी उभार को सहलाते हुए कहा।
"हमम्म सोने दो नींद आ रही है" कंचन ने हल्का मुस्कराते हुए सोने का नाटक करते हुए कहा।
"दीदी उठो वरना जो मुझे दिल में आएगा वह करुंगा" विजय ने अपनी बहन की चुचियों के ऊपर हाथ को ज़ोर से सहलाते हुए कहा ।
कंचन ने अपने भाई की बात का कोई जवाब दिए बगैर वेसे ही सोने का नाटक करने लगी । विजय समझ गया की उसकी बहन ऐसे नहीं उठेगी। उसने अपने हाथ से अपनी बहन की नाइटी को आगे से खोल दिया। कंचन अब विजय के सामने सिर्फ एक छोटी सी ब्रा और पेंटी में लेटी हुयी थी और उसकी साँसें बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी। जिस वजह से उसकी बड़ी बड़ी चुचियां उसकी ब्रा में आधी नंगी बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी।
अपनी बहन की गोरी गोरी चुचियों को देखकर विजय का लंड उसकी पेण्ट को फाडने के लिए उतावला हो रहा था, विजय ने सीधा होते हुए अपनी शर्ट और पेण्ट को अपने जिस्म से अलग कर दिया। अब वह सिर्फ एक अंडरवियर में था जिस में उसका लंड तनकर तम्बू जैसे उभार बनाये हुए था ।
विजय ने अपने कपडे उतारने के बाद बेड पर बैठते हुए अपनी बहन की आधी नंगी चुचियों को देखते हुए अपने हाथ से उसकी ब्रा को भी अपनी सगी बहन की चुचियों से खींचकर अलग कर दिया । कंचन की ब्रा के हटते ही उसकी चुचियां अपने भाई के सामने बिलकुल नंगी हो गयी।
विजय का दिल अपनी बहन की नंगी चुचियों को देखकर बुहत जोर से धडकने लगा, उसने अपनी तेज़ धडकनों के साथ अपने दोनों हाथ बढाकर अपनी बहन की चुचियों पर रख दिये । कंचन की साँसें भी बुहत जोर से चल रही थी। अपने भाई का हाथ अपनी चुचियों पर महसूस करते ही उत्तेजना के मारे उसकी चूत से रस टपकने लगा ।
विजय को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका हाथ किसी फोम के टुकडे पर रख दिया गया हो, उसे अपना हाथ अपनी सगी बहन की नरम नरम चुचियों पर बुहत ज़्यादा मजा दे रहा था।
विजय ने अपने हाथों से अब अपनी बहन की नरम नरम चुचियों को सहलाना शुरू कर दिया । कंचन को अब नाटक करना बुहत भारी पड रहा था, वह अपने भाई के हाथ से अपनी चुचियों को सहलाता हुआ महसूस करके बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो रही थी।
"आह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो भैया" कंचन ने अखिरकार हार मानते हुए कह दिया।
"क्यों दीदी मजा नहीं आ रहा क्या" विजय ने अपनी बड़ी बहन की आवाज़ सुनकर उसकी दोनों चुचियों को ज़ोर से पकडकर सहलाते हुए कहा ।
"हमम्म सोने दो नींद आ रही है" कंचन ने हल्का मुस्कराते हुए सोने का नाटक करते हुए कहा।
"दीदी उठो वरना जो मुझे दिल में आएगा वह करुंगा" विजय ने अपनी बहन की चुचियों के ऊपर हाथ को ज़ोर से सहलाते हुए कहा ।
कंचन ने अपने भाई की बात का कोई जवाब दिए बगैर वेसे ही सोने का नाटक करने लगी । विजय समझ गया की उसकी बहन ऐसे नहीं उठेगी। उसने अपने हाथ से अपनी बहन की नाइटी को आगे से खोल दिया। कंचन अब विजय के सामने सिर्फ एक छोटी सी ब्रा और पेंटी में लेटी हुयी थी और उसकी साँसें बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी। जिस वजह से उसकी बड़ी बड़ी चुचियां उसकी ब्रा में आधी नंगी बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी।
अपनी बहन की गोरी गोरी चुचियों को देखकर विजय का लंड उसकी पेण्ट को फाडने के लिए उतावला हो रहा था, विजय ने सीधा होते हुए अपनी शर्ट और पेण्ट को अपने जिस्म से अलग कर दिया। अब वह सिर्फ एक अंडरवियर में था जिस में उसका लंड तनकर तम्बू जैसे उभार बनाये हुए था ।
विजय ने अपने कपडे उतारने के बाद बेड पर बैठते हुए अपनी बहन की आधी नंगी चुचियों को देखते हुए अपने हाथ से उसकी ब्रा को भी अपनी सगी बहन की चुचियों से खींचकर अलग कर दिया । कंचन की ब्रा के हटते ही उसकी चुचियां अपने भाई के सामने बिलकुल नंगी हो गयी।
विजय का दिल अपनी बहन की नंगी चुचियों को देखकर बुहत जोर से धडकने लगा, उसने अपनी तेज़ धडकनों के साथ अपने दोनों हाथ बढाकर अपनी बहन की चुचियों पर रख दिये । कंचन की साँसें भी बुहत जोर से चल रही थी। अपने भाई का हाथ अपनी चुचियों पर महसूस करते ही उत्तेजना के मारे उसकी चूत से रस टपकने लगा ।
विजय को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका हाथ किसी फोम के टुकडे पर रख दिया गया हो, उसे अपना हाथ अपनी सगी बहन की नरम नरम चुचियों पर बुहत ज़्यादा मजा दे रहा था।
विजय ने अपने हाथों से अब अपनी बहन की नरम नरम चुचियों को सहलाना शुरू कर दिया । कंचन को अब नाटक करना बुहत भारी पड रहा था, वह अपने भाई के हाथ से अपनी चुचियों को सहलाता हुआ महसूस करके बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो रही थी।
"आह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो भैया" कंचन ने अखिरकार हार मानते हुए कह दिया।
"क्यों दीदी मजा नहीं आ रहा क्या" विजय ने अपनी बड़ी बहन की आवाज़ सुनकर उसकी दोनों चुचियों को ज़ोर से पकडकर सहलाते हुए कहा ।