Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 24 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

विजय अपनी माँ के चूतडो को उछालता हुआ देखकर अपने लंड को बुहत ज़ोर से अपनी माँ की चूत में अंदर बाहर करने लगा और रेखा भी बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने चूतडो को उछाल उछाल कर अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में लेते हुए चुदवाने लगी । रेखा का पूरा जिस्म अपने बेटे से चुदवाते हुए पसीना पसीना हो गया था और उसका बदन अब अकडने लगा था। वह झरने के बिलकुल क़रीब थी ।

रेखा का बदन अचानक झटके खाने लगा और उसके मूह से ज़ोर की सिसकियां निकलने लगी । रेखा ने अपने दोनों हाथों को अपने बेटे के चूतडों में डालकर उसे अपनी चूत पर दबाने लगी, विजय भी अपनी माँ को इतना उत्तेजित देखकर पूरी ताक़त के साथ उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा ।
"आआह्ह्ह्ह शहहहहह बेटे ओह्ह्ह्हह्ह्" रेखा के मुँह से बस इतना निकला और उसके नाख़ून उसके बेटे के चूतडों में घुस गये।
"उईई माँ" विजय भी अपनी माँ के नाखुनों को अपने चूतड़ों में घूसने से बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए पूरी ताक़त से अपने लंड को अपनी माँ की चूत में पेलने लगा । रेखा झरते हुए हवा में उड़ रही थी । उसे इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था, अपने ससुर से चुदवाते हुए भी उसे इतना मज़ा नही आया था। क्योंकी उसके बेटे का जवान लंड उसकी चूत के हर हिस्से को बुहत ज़ोर और तेज़ी से रगड दे रहा था।

रेखा ने कुछ देर तक झरने के बाद अपने हाथ को अपने बेटे के चूतडो से हटाकर अपनी टांगों को उसकी कमर में फँसा दिया और अपने बेटे को अपनी टांगों से अपनी चूत पर दबाव देते हुए अपने चूतड़ उछालकर चुदवाने लगी । रेखा की आग एक बार झरने के बाद शांत होने की बजाये ज्यादा भडक गयी थी। इसीलिए वह चुदवाते हुए बुहत ज़ोर से सिसक भी रही थी ।
अचानक रेखा ने अपने बेटे को खींचकर अपने ऊपर गिरा दिया और उसे अपने नीचे करते हुए खुद उसके ऊपर आ गयी । रेखा ने यह सब इतनी चालाकी से किया था की उसके बेटे का लंड उसकी चूत में ही पडा रह गया।
 
रेखा अब अपने बेटे के लंड पर ज़ोर से उछलने लगी। विजय आराम से लेटे हुए अपनी माँ को अपने लंड पर उछलता हुआ देख रहा था, रेखा की बड़ी बड़ी चुचीयाँ अपने बेटे के लंड पर उछलते हुए बुहत ज़ोर से हिलते हुए इधर उधर झूम रही थी ।
विजय ने अपनी माँ की हिलती हुयी चुचियों को अपने हाथों से दबाने लगा । विजय कुछ देर तक अपनी माँ की चुचियों को दबाने के बाद उसकी कमर में हाथ डालकर नीचे झुकाते हुए अपनी माँ की चुचियों को एक एक करके चाटते हुए अपने चूतडों को बुहत ज़ोर से उछलते हुए अपनी माँ को चोदने लगा।

रेखा का जिस्म फिर से अकडने लगा और उसने अपने बेटे के मूह से चुचियों को निकालते हुए बुहत ज़ोर से उसके लंड पर उछलने लगी । रेखा का जिस्म कुछ देर में ही झटके खाने लगा और वह ज़ोर से हाँफते हुए दूसरी बार झरने लगी, रेखा दूसरी बार झरते हुए बुहत ज़ोर से अपने बेटे के लंड पर उछलते हुए सिसक रही थी ।
रेखा झरने के बाद अपने बेटे के ऊपर ढेर हो गयी, विजय भी अब झरने के क़रीब था वह अपनी माँ को अपने ऊपर से उठाकर सीधा लिटाते हुए अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया और 5 मिनट तक बुहत तेज़ी के साथ बिना रुके हुए उसे चोदता रहा।

"माँ मैं झरने वाला हूँ। माँ कहा झडूं" विजय ने अचानक ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"अपनी माँ की चूत में झरना बेटे । मैं तुम्हारा गरम वीर्य अपनी छुइ में महसूस करना चाहती हू" रेखा ने चिल्लाते हुए कहा।
"ओहहहहहहह माँ आअह्ह्ह्हह" विजय कुछ ही देर में ज़ोर से हाँफते हुए अपनी माँ की चूत में अपना वीर्य छोड़ने लगा, विजय ने झरते हुए अपना लंड पूरी ताक़त के साथ अपनी माँ की चूत में घुसा दिया जिस वजह से उसका वीर्य सीधा उसकी माँ की बच्चेदानी में गिरने लगा।
"आआह्ह्ह्हह बेटे ओह्ह्ह्हह्हह तुम्हारा वीर्य कितना गरम है ओहहह यह तो मेरी बच्चेदानी में गिर रहा है" रेखा भी अपने बेटे का वीर्य अपनी चूत में गिरने से तीसरी बार झरने लगी । दोनों माँ बेटे कुछ देर तक झरने का मज़ा लेने के बाद एक दुसरे की बाहों में ढेर हो गए ।
 
बेटे मैं तो शर्त हार गई" रेखा ने कुछ देर बाद होश में आते हुए कहा।
"तो क्या हुआ माँ। मैं सारी ज़िंदगी आपकी पूजा करता रहूँगा" विजय ने अपनी माँ से कहा और उसके होंठो को चूमने लगा।
"बेटे मुझे एक बात तुम्हें बतानी है मगर तुम यह बात किसी से नहीं कहोगे" रेखा ने अपने बेटे के होंठो से अपने होंठो को हटाते हुए कहा।
"माँ आप मुझ पर भरोसा कर सकती हो" विजय अपनी माँ की बात सुनकर सीरियस होते हुए कहा।
"बेटे तुम्हें पता है की तुम्हारे बापु मुझे खुश नहीं कर पाते । इसीलिए मैंने अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए किसी से सम्बन्ध रखे थे जो हमारा अपना है" रेखा ने अपने बेटे की आँखों में देखते हुए कहा।
"कौन है वह माँ" विजय ने हैंरानी से कहा।
"तुम्हारे दादा" रेखा यह कहकर रुक गई।

"माँ दादा जी लेकिन वह तो बुहत बड़े हैं क्या वह आपको खुश कर पाते हे" विजय ने बड़ी हैंरानी से अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"बेटा उनकी पत्नी को मरे हुए बुहत टाइम हो चुका है। इसीलिए वह भी मेरी तरह प्यासे थे और वह हमें तुम्हारे पिता से कहीं ज्यादा खुश करते है" रेखा ने अपने बेटे को बताते हुए कहा ।
"माँ क्या वह हमसे भी ज्यादा आपको खुश करते है" विजय ने अपनी माँ की आँखों में देखते हुए कहा।
"नही बेटा तुम्हारा जवान गरम खून उससे कहीं ज्यादा बेहतर है मगर हम तुम्हारे दादा से अपना रिश्ता ख़तम नहीं कर सकते क्योंकी उन्होंने मुझे बुहत खुश रखा है और अब मेरा फर्ज है की मैं भी उनका वैसे ही ख़याल रखूं" रेखा ने अपने बेटे को अपने ऊपर से उठाकर साइड में लिटाते हुए कहा।

"माँ मैं भी आपको कुछ बताना चाहता हू" विजय ने अपनी माँ की एक चूचि को पकडकर सहलाते हुए कहा।
"बताओ बेटे क्या बात है" रेखा ने भी अपने बेटे के ढीले लंड को अपनी मुठी में लेते हुए कहा।
"हाहहह माँ हम भी एक लड़की को चोद चुके हैं जो हमारी अपनी है" विजय अपनी माँ का हाथ अपने लंड पर पड़ते ही सिसकते हुए कहा ।
"क्या कहा बेटे तुम किसी को चोद चुके हो और वह भी कोई अपनी । कौन है मेरे लाडले वह?" रेखा ने एक्साइटेडट होकर अपने बेटे के लंड को ज़ोर से अपनी मुठी में दबाते हुए कहा।
"ओहहहह माँ वह वह मैं बड़ी दीदी कंचन को चोद चूका हू" विजय ने भी अपने लंड को इतना ज़ोर से दबने से ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
 
"क्या। ओह मेरे भगवान मुझे यकीन नहीं हो रहा है, बेटे सिर्फ तुमने उसे चोदा है या वह पहले भी किसी से चुदवा चुकी है" अपने बेटे की बात सुनकर रेखा एक्साइटेडट होकर विजय के लंड को ज़ोर से दबाते हुए सहलाने लगी।
"उईए माँ नहीं उसने सिर्फ मुझसे चुदवाया है उनकी कुँवारी चूत की सील मैंने ही तोड़ी है माँ" विजय ने अपनी माँ के हाथ को ज़ोर से अपने लंड पर हिलता हुआ देखकर ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा ।
"बेते तुम्हें कैसे पता चला की वह पहले नहीं चुदवा चुकी है" रेखा ने वेसे ही अपने बेटे के लंड को हिलाते हुए कहा । विजय का लंड अपनी माँ की हरक़तों से अब उठकर बड़ा और मोटा होने लगा था।
"माँ जब मैंने उसकी चूत में अपना लंड ड़ाला था तो वह बुहत चिल्लायी थी और उसकी चूत से बुहत खून भी बहा था" विजय ने अपनी माँ की चूचि को ज़ोर से दबाते हुए कहा।

"हाहहह बेटे शुकर है उसने सिर्फ तुमसे चुदवाया है घर की बात घर में ही है । वरना बदनामी का डर रहता, बेटे तुम उसे समझा देना की वह जब चाहे तुमसे चुदवाये मगर अपने घर से बाहर कभी चुदवाने की न सोचे" रेखा ने अपने बेटे के हाथों से अपनी चूचि को ज़ोर से दबाने से सिसकते हुए कहा।
"माँ उसने इसीलिए तो मुझसे चुदवाया क्योंकी वह डरती थी अपनी बदनामी से" विजय ने अपनी माँ की चुचियों को दबाते हुए कहा और अपनी माँ को खींचकर अपने ऊपर लिटा दिया, रेखा ने अपने बेटे के ऊपर आते ही उसके लंड को पकडते हुए अपनी गीली चूत पर रखा और अपने पूरे वजन के साथ नीचे बैठ गई ।

विजय का तना हुआ लंड उसकी माँ की चूत में सरकाता हुआ जड़ तक घुस गया और दोनों माँ बेटे के मूह से मज़े के मारे साथ में सिसकी निकल गई,
"बेटे मुझे तुम्हें कुछ और भी बताना है" रेखा ने अपने बेटे के लंड पर मस्ती से उछलते हुए कहा।
"हाँ बताओ न माँ" विजय ने अपनी माँ की चुचियों को ज़ोर से अपने हाथों में दबाते हुए कहा ।

"ओहहहह बेटा आराम से दबाओ । अब तो सारी ज़िंदगी यह तुम्हारे ही हाथों से मसलती रहेंगी" रेखा ने मस्ती में आकर ज़ोर से सिसकते हुए तेज़ी के साथ अपने बेटे के लंड पर उछलते हुए बोली । रेखा की चूत गीली होने के सबब उसके उचलने से थप थप की आवाज़ें पूरे कमरे में गूँजने लगी।
"माँ यह आवज़ कहाँ से आ रही है" विजय ने अपनी माँ की चूत में अपना लंड आने जाने की वजह से होने वाली आवाज़ सुनकर अपनी माँ से कहा ।
 
"ओहहहह बदमाश यह तुम्हारे मोटे लंड पर उछलने से मेरी गीली चूत से आवाज़ें आ रही है। बेटे में तो तुम्हारे लंड की दासी बन गई एक बार झरने के बाद भी कितना कड़क और मोटा है कितना मज़ा आ रहा है" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर उत्तेजना में आकर और तेज़ी के साथ उसके लंड पर ऊपर नीचे होते हुए बोली।
विजय जानता था की उसकी माँ झरने के क़रीब है इसीलिए वह भी अपनी माँ के चूतड़ो में हाथ डालकर उसे अपने लंड पर तेज़ी के साथ उछालने में मदद करने लगा।
"आआह्ह्ह्ह बेटे मैं झर रही हू" अचानक रेखा का पूरा बदन अकडते हुए झटके खाने लगा और रेखा मस्ती में अपनी आँखें बंद करके अपने बेटे के लंड पर बुहत तेज़ी और ज़ोर के साथ ऊपर नीचे होते हुए झरने लगी।

रेखा की चूत ने झरते हुए अपने बेटे के लंड को दोनों तरफ से कस लिया जिस वजह से ऊपर नीचे होते हुए विजय का लंड रेखा को अपनी चूत में बुहत ज़ोर की रगड देने लगा । रेखा की चूत से जाने कितनी देर तक पानी बहता रहा और झरने के बाद वह अपने बेटे के ऊपर ढेर हो गई ।

"माँ आप कुछ बता रही थी" विजय ने अपनी माँ को कमर से पकडते हुए अपने चूतडो को हिलाकर चोदने लगा । इस पोजीशन में उसकी माँ की दोनों चुचियां बिलकुल उसके बेटे के मूह के ऊपर आ गयी। विजय अपनी माँ को चोदते हुए अपना मूह खोलकर अपनी माँ की चुचियों के दानों को बारी बारी चूसने लगा ।
"बेटे मै थक गयी हूँ में नीचे लेट जाती हूँ तुम ऊपर आ जाओ" रेखा ने अपने बेटे के हाथों को अपनी कमर से हटाकर उसके ऊपर से उठते हुए कहा । रेखा के नीचे उतरते ही विजय का लंड उसकी पानी से गीला होकर चमकता हुआ झटके खाने लाग, रेखा अपनी टांगों को फ़ैलाकर सीधी लेट गयी।

विजय अपनी माँ की टांगों के बीच आ गया । विजय ने देखा की उसकी माँ की बड़ी चूत बिलकुल फूलकर बाहर निकली हुयी थी और उसमें से बुहत पानी टपक रहा था।
"माँ आपकी चूत कितनी फूल गयी है। मुझे तो इसे चूमने का मन हो रहा है" विजय अपनी माँ की डबल रोटी की तरह सुजी हुयी चूत को देखकर अपना मूह अपनी माँ की चूत के क़रीब करते हुए कहा ।
"ओहहहह बेटा चूम लो तुम्हें किसने रोका है और यह तुम्हारे मोटे लंड का ही कमाल है जो यह इतना ज्यादा फूल गयी है" रेखा ने अपने बेटे की साँसों को अपनी चूत के क़रीब महसूस करके सिसकते हुए कहा।
 
"माँ इस में से तो मदहोश करने वाली गंध आ रही है" विजय अपनी माँ की चूत से अपने और उसके मिले जुले वीर्य से आती हुयी गंध को सूँघते हुए बोला और अपना मूह अपनी माँ की फूली हुयी चूत पर रख दिया,
"ओहहहहहह बेटे अपनी माँ की चूत को पूरा मूह में लेकर चूसो" रेखा अपने बेटे का मूह अपनी चूत पर महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए बोली ।
विजय अपनी माँ की चूत को अपने होंठो से चूमते हुए अपनी जीभ से चाटने लगा । विजय को अपनी माँ की चूत को चाटते हुए अजीब किस्म का स्वाद लगा महसूस हो रहा था, कुछ देर तक अपनी माँ की चूत को चाटने के बाद विजय अपना मूह खोलकर रेखा की चूत को पूरा अपने मूह में भर लिया और उसे ज़ोर से चाटते हुए अपने दांतों से हल्का हल्का काटने लगा।

"उई बदमाश खा जाओगे क्या अपनी माँ की चूत को" रेखा अपने बेटे के काटने से उछलते हुए बोली । विजय ने अपनी माँ की चूत से अपना मुँह हटा दिया और उसके ऊपर आते हुए अपना लंड उसकी चूत में घुसाकर चोदने लगा।
"बेटे मैं नरेश से भी एक बार चुदवा चुकी हूँ" रेखा ने अपने बेटे की पीठ में अपने हाथों को डालकर कहा।
"क्या कहा माँ नरेश से" विजय का लंड अपनी माँ की बात सुनकर उसकी चूत में इतनी तेज़ी से झटके खाते हुए फूलने लगा की रेखा के मूह से ज़ोर की सिसकियाँ निकलने लगी और वह अपने चूतडो को उछालकर अपने बेटे के लंड पर दबाने लगी ।

"हाँ बेटे तुम्हारी माँ की चूत में नरेश का लंड भी जा चूका है" रेखा ने अपने बेटे को जोश दिलाते हुए कहा।
"माँ बस करो मैं जान चूका हूँ तुम बड़ी छिनाल हो" विजय अपनी माँ की बात सुनकर पूरे जोश में आते हुए अपनी माँ की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा ।
"आह्ह्ह्ह्ह् बेटे आराम से" रेखा अपने बेटे के इतने तेज धक्कों से काँपते हुए बोली । विजय अपने लंड को पूरा बाहर निकालकर पूरी ताक़त के साथ अपनी माँ की चूत में पेल रहा था। जिस वजह से उसका पूरा जिस्म कांप रहा था और वह बुहत ज़ोर से सिसक रही थी ।

"क्यों छिनाल नरेश से चुदवाते हुए मज़ा नहीं आया जो अपने बेटे से ही चूत मरवा रही हो" विजय ने गुस्से में आकर अपनी माँ को चोदते हुए कहा।
"ओहहहह बेटे जो मज़ा तुम दे रहे हो वह कहाँ दिया उसने" रेखा ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा । विजय ने अचानक अपनी माँ की चूत से अपना लंड निकाल दिया और उसे पकडते हुए उल्टा लिटा दिया ।
 
"साली रंडी अब मैं तुझे कुतिया की तरह चोदुँगा" विजय ने अपनी माँ को उलटा करने के बाद उसके मोटे चूतडों पर थप्पड़ मारते हुए अपना लंड एक ही झटके में पूरा जड़ तक उसकी चूत में घुसा दिया।
"आआह्ह्ह्ह बेटे धीरे मैं तो सारी ज़िंदगी तुम्हारी कुतिया बनकर रहने को तैयार हू" रेखा ने एक ही झटके में विजय का मोटा लंड पीछे से अपनी चूत में घूसने से सिसकते हुए कहा।

"साली कुतिया नखरे तो ऐसे कर रही हो जैसे पहली बार चुदवा रही हो" विजय ने अपनी माँ को वैसे ही बेदरदी से चोदते हुए कहा।
"यआह्ह्ह्ह बेटे कुतिया की चूत में गधे का लंड घुसाओगे तो उसकी गांड तो फटेगी" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।
"साली मुझे गधा कहती हो लगता है तुम्हारी गांड फाड़नी ही पडेगी" अपनी माँ की बात सुनकर विजय का ध्यान पहली बार अपनी माँ की भूरी गांड की तरफ गया। जिसे देखते हुए उसका लंड ज्यादा फूलने लगा।
"बेटे तुम्हें क्या हो गया है तुम्हारा लंड अचानक इतना मोटा कैसे हो गया है" रेखा ने सिसकते हुए कहा

"साली रंडी इतनी गोरी गांड है कभी किसी से मरवाई भी है या ऐसे ही रखा हुआ है" विजय ने अपनी एक ऊँगली को अपने मुँह में डालकर थूक से गीला करते हुए अपनी माँ की गांड के छेद में ज़ोर से घुसाते हुए कहा।।
"उईई साले कुते मेरी चूत से मन नहीं भरा जो अपनी ऊँगली को मेरी गांड में डाल दिया" रेखा ने ज़िंदगी में सिर्फ एक दो बार गांड मरवाई थी अपने पति से । लेकिन उसको बुहत टाइम हो गया था इसीलिए अपने बेटे की ऊँगली के घुसते ही वह दर्द के मारे तडपते हुए बोली ।

"साली रंडी टाइट माल छुपा रखा है और अपनी खुली हुयी चूत मस्त होकर चुदवा रही हो" विजय ने वेसे ही अपनी ऊँगली अपनी माँ की चूत में घुसाए उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा । रेखा की गांड का दर्द कुछ ही देर में ग़ायब हो गया और वह मज़े की एक नयी दुनिया की सैर करते हुए अपने चूतडों को पीछे धकलते हुए अपने बेटे से चुदवाने लगी ।

"साली छिनाल मज़ा आ रहा है न अपने दोनों छेदो को भरा हुआ पाकर" विजय ने अपनी माँ की चूत को चोदते हुए अपनी ऊँगली को भी उसकी गांड में अंदर बाहर करने लगा।
"ओहहहहहह बेटे क्या आज मेरी जान ही ले लोगे क्या इसशहहह बुहत मज़ा आ रहा है ऐसे ही करते रहो" रेखा अपने दोनों छेदों में रगड पाते ही मज़े से सिसकते हुए बोली।
 
"आह्ह्ह्ह साली छिनाल मैं झरने वाला हूँ । बोल कहाँ झडुँ कहे तो तेरी गांड में ही अपना वीर्य भर दूँ" विजय ने सिसकते हुए बुहत तेज़ी के साथ अपनी माँ को चोदते हुए कहा।
"नही बेटे मेरी चूत में अपना वीर्य छोड। वरना मेरी चूत की आग ठण्डी नहीं होगी" रेखा ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा।
"तो ले छिनाल ओह्ह्ह्हह में झर रहा हू" विजय अपनी माँ की बात सुनकर अपनी ऊँगली को पूरा उसकी गांड में ड़ालकर ज़ोर से सिसकार कर झरते हुए कहा ।

विजय का पूरा जिस्म झडते हुए मज़े से कांप रहा था। उसको अपना लंड अपनी माँ की चूत में बुहत कसा हुआ महसूस हो रहा था । जिस वजह से उसे बुहत ज्यादा मज़ा आ रहा था और उसके लंड से ज्यादा वीर्य निकल रहा था।
"उईईए आहहह बेटे मैं भी झर रही हूँ । ज़ोर से अपना लंड घुसाओ" विजय का गरम गरम वीर्य अपनी चूत में पड़ते ही रेखा भी अपनी आँखें बंद करते हुए अपने चूतडों को विजय के लंड पर दबाने लगी । विजय भी अपना लंड बुहत ज़ोर से अपनी माँ की रस बहाती चूत में अंदर बाहर करते हुए पूरी तरह झरने के बाद उसके ऊपर ही ढेर हो गया ।

विजय को अपने ऊपर गिरने से रेखा भी लडख़ड़ाते हुए बेड पर ढेर हो गई और विजय का लंड सिकूड़ कर उसकी माँ की चूत से निकल गया और उसकी चूत से रस निकल कर बेड पर गिरने लगा । विजय अपनी माँ के ऊपर से उठते हुए उसके साइड में लेट गया, रेखा भी अपने बेटे के हटते ही सीधा होकर लेट गयी ।
विजय उठकर बाथरूम में जाने लगा । उसने देखा उसकी माँ अपनी टाँगें फ़ैलाकर लेटी हुयी थी और उसकी चूत का छेद चुदाई से सुज कर बिलकुल लाल होकर खुला हुआ था। जिस में से उसकी माँ का और खुद उसका पानी निकल कर बेड पर गिर रहा था।

"माँ अपनी चूत तो देखो कैसे खुल गयी है" विजय ने बाथरूम की तरफ जाते हुए अपनी माँ की चूत की तरफ देखकर हँसते हुए कहा।
"हँस बेटा हँस। इसकी ऐसी हालत भी तुमने ही की है, मैं अपनी पूरी ज़िंदगी तुम्हारी यह चुदाई नहीं भुला पाऊँगी" रेखा ने अपने बेटे को हँसता हुआ देखकर अपनी टांगों को सिकोड़कर अपनी चूत को छुपाते हुए कहा ।
 
"बेटा एक और बात बताओ । मैं बाहर तुम्हारे पिता का पीछा करते हुए गयी थी और जो मैंने देखा मुझे अब तक उसका इतबार नहीं हो रहा है तुम्हारे पिता अपनी बहन मनीषा को चोद रहे थे" रेखा ने विजय के बाथरूम से लौट कर आने के बाद कहा।
"माँ लगता है यहाँ पर सभी किसी न किसी आग में जल रहें हैं । इसीलिए तो सब जिसे दिल में आये उसे चोद रहें है" विजय ने अपनी पेण्ट पहनते हुए कहा।

"बेटा तुमने किसे देखा है?" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनकर हैंरानी से पूछा।
"माँ क्या बताऊँ । नरेश अपनी बहन और माँ दोनों को चोद चूका है" विजय ने अपनी पेण्ट पहनने के बाद कहा।
"विजय क्या कहा शीला को न । मुझे तो देखते ही वह आग का समुन्दर लग रही थी" रेखा ने ठण्डी आहहह भरते हुए कहा।
"हाँ माँ शीला साली छिनाल अपने भाई से चुदवाने के बाद भी मुझ पर डोरे डाल रही थी" विजय ने अपनी शर्ट को भी पहनते हुए कहा ।

"विजय एक बात तो बताओ तुम्हारी और नरेश की छोटी बहनें तो अभी तक बची हुयी हैं या वह भी किसी से चुदवा चुकी है" रेखा ने अपने बेटे की बातें सुनने के बाद उससे पूछा।
"नही माँ वह दोनों तो बुहत शरीफ हैं । उन्हें अभी टाइम लगेगा चुदवाने में" नरेश ने सारे कपड़े पहनने के बाद कहा।
"अरे बेटा लंड का स्वाद ऐसा है की यह जब एक बार चुदवा ली तो फिर इनकी सारी शर्म वरम गुम हो जाएगी" रेखा ने बेड से उठकर अपनी नाइटी को पहनते हुए कहा ।

"माँ आप कहाँ जा रही हो" विजय ने अपनी माँ को उठता हुआ देखकर कहा।
"बेटा तुम्हारे साथ एक बार तुम्हारे पिता को देख लूँ। उनका दिल भरा या नही" रेखा ने अपनी नाइटी पहनने के बाद अपने बेटे के साथ बाहर आते हुए कहा ।
दोनों माँ बेटे जैसे ही मनीषा के कमरे के पास पुहंचे तो उन्हें एक आवज़ सुनायी दी।
"हाहहह भैया अब बस करो न मैं तो आपसे चुदवाते हुए 5 बार झर चुकी हूँ ।अब मुझसे और नहीं होगा" मनीषा अपनी भाई से कह रही थी।
"आआह्ह्ह्ह दीदी बस मैं आया ओह्ह्ह्हह " मुकेश शायद झड़ रहा था ।

"देखा बेटे अपने बाप का कमाल अपनी पत्नी को तो चोदता नहीं और अपनी बहन को छोडता नहीं। चलो मुझे तो बुहत नींद आ रही है तुम भी जाकर सो जाओ" रेखा ने हँसकर कहा अपने बेटे से कहा और दोनों वहां से जाते हुए अपने अपने कमरों में चले गए ।
 
विजय जैसे ही कमरे में दाखिल हुआ उसने देखा कंचन सो रही थी । विजय भी बुहत थक चूका था । वह भी अपनी दीदी के साइड में जाकर सो गये, रेखा अपने कमरे में आकर सोने की कोशिश करने लगी तभी उसका पति भी कमरे में दाखिल हुआ जिसे देखकर रेखा अपनी आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगी। मुकेश भी अपनी पत्नी के साइड में आकर सो गया।
रेखा को भी कुछ ही देर में नींद आ गयी और वह भी खराट्टे लेते हुए सोने लगी, शीला अपने भाई नरेश से दो दफ़ा चुदवा चुकी थी इस दौरान शीला 4 बार झडी थी। और अब वह भी थक हार कर अपने भाई के साथ नंगी ही लिपट कर सो गयी थी । कंचन की अचानक आँख खुली वह उठकर बाथरूम में मूतने के बाद वापस आकर टाइम देखी तो सुबह के ५ बज रहे थे उसने सोचा अपने भाई को उठाकर अपने कमर में भेज दे कहीं उसकी माँ को न कुछ पता लग जाए।

"कंचन ने जैसे ही अपने भाई के ऊपर से कम्बल को हटाया वह अपने भाई का अंडरवियर में खडा लंड देखकर गरम हो गई और कम्बल को साइड में करते हुए अपने भाई को बिना उठाये उसके अंडरवीयर को खींचकर उसके जिस्म से नीचे सरका दिया ।
अंडरवियर के हटते ही विजय का लंड नंगा होकर कंचन की आँखों के सामने झटके खाने लगा । कंचन की साँसें अपने भाई के खडे लंड को देखकर ज़ोर से चलने लगी, कंचन अपनी नाइटी को उतारते हुए अपने पूरे कपड़े उतारकर बिलकुल नंगी हो गयी।

कंचन ने नंगा होते ही अपने भाई के खडे लंड को अपनी मुठी में पकरते हुए आगे पीछे करने लगी और अपने दुसरे हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी । कंचन का जिस्म कुछ ही देर में बिलकुल गरम होकर आग बन गया, कंचन ने अब अपना मूह नीचे करते हुए अपनी जीभ निकालकर अपने भाई के लंड के गुलाबी सुपाडे पर फिराने लगी ।

विजय अपने लंड पर जीभ के लगते ही थोडा उछला मगर फिर वह नींद की ख़ुमारी में चला गया । कंचन कुछ देर तक अपने भाई के लंड को अपनी जीभ से चाटने के बाद मूह खोलते हुए अपने भाई का लंड जितना हो सकता था उतना अपने मूह में ले लीया और अपने होंठ के बीच लेकर चूसने लगी, विजय अपने भाई के लंड को चाटते हुए अपनी जीभ से उसके छेद को भी चाटने लगी ।
 
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