hotaks444
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रेखा खुद भी मनीषा के कमरे के पास जाते हुए इधर उधर देखने लगी । उसे एक खिड़की नज़र आ गयी जहाँ से अंदर का नज़ारा साफ़ दिखाई दे रहा था । मुकेश जैसे ही अपनी बहन के कमरे में दाखिल हुआ मनीषा उसके गले लग गयी और दोनों के होंठ एक दुसरे के होंठो से मिलकर एक दुसरे का होंठो का रस चूसने लगे ।
रेखा अंदर का नज़ारा देख कर हैंरान और गरम हो गयी, उसका हाथ अपने आप उसकी नाइटी के अंदर जाकर अपनी पेंटी के ऊपर से ही अपनी चूत को सहलाने लगा और वह अंदर देखने लगी । मनीषा और मुकेश ने कुछ देर तक एक दुसरे के होंठो को चूसने के बाद एक दुसरे से अलग होते हुए अपने अपने कपडे उतारने लगे ।
दोनों भाई बहन अपने कपडे उतारने के बाद बिलकुल नंगे होकर फिर से एक दुसरे से लिपट गए । मुकेश ने अब मनीषा के काँधे को चूमते हुए नीचे होता हुआ उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को चूसने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया कैसा लग रहा है आपको अपनी बहन की चुचियों का स्वाद" मनीषा ने अपने भाई का मुँह अपनी चुचियों पर पडते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा जो रेखा को अच्छी तरह से सुनायी दे रहा था।
"दीदी बुहत मीठा है दिल कर रहा है इन्हे अपने दांतों से चबा दूँ" मुकेश ने अपनी दीदी के एक चूचि को अपने मुँह से निकालते हुए कहा और उसकी दूसरी चूचि को पूरा अपने मुँह में भर लिया, मुकेश ने अपनी बहन की चूचि को ज़ोर से चूसने के बाद अपने मुँह से निकालते हुए उसकी दोनों चुचियों को ऊपर से ही अपने दांतों से काटने लगा ।
"उईई भैया क्या कर रहे हो निशान हो जाएंगे" मनीषा ने चीखते हुए कहा।
तो हो जाने दो ना" मुकेश ने वैसे ही अपनी दीदी की चुचियों को काटते हुए कहा।
"पति देखेगा तो क्या कहूँगी" मनीषा ने अपने भाई के लंड को अपने हाथ में लेते हुए कहा जो पूरा तनकर झटके खा रहा था ।
"आह्ह्ह्ह कह देना की तुम्हारे भाई ने इन्हें काट दिया है" मुकेश ने अपने लंड पर अपनी बहन का हाथ पडते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"भइया आप भी न अगर उन्होने ने गुस्से में मुझे छोड दिया तो" मनीषा ने अपने भाई के लंड को वैसे ही सहलाते हुए कहा।
रेखा अंदर का नज़ारा देख कर हैंरान और गरम हो गयी, उसका हाथ अपने आप उसकी नाइटी के अंदर जाकर अपनी पेंटी के ऊपर से ही अपनी चूत को सहलाने लगा और वह अंदर देखने लगी । मनीषा और मुकेश ने कुछ देर तक एक दुसरे के होंठो को चूसने के बाद एक दुसरे से अलग होते हुए अपने अपने कपडे उतारने लगे ।
दोनों भाई बहन अपने कपडे उतारने के बाद बिलकुल नंगे होकर फिर से एक दुसरे से लिपट गए । मुकेश ने अब मनीषा के काँधे को चूमते हुए नीचे होता हुआ उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को चूसने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया कैसा लग रहा है आपको अपनी बहन की चुचियों का स्वाद" मनीषा ने अपने भाई का मुँह अपनी चुचियों पर पडते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा जो रेखा को अच्छी तरह से सुनायी दे रहा था।
"दीदी बुहत मीठा है दिल कर रहा है इन्हे अपने दांतों से चबा दूँ" मुकेश ने अपनी दीदी के एक चूचि को अपने मुँह से निकालते हुए कहा और उसकी दूसरी चूचि को पूरा अपने मुँह में भर लिया, मुकेश ने अपनी बहन की चूचि को ज़ोर से चूसने के बाद अपने मुँह से निकालते हुए उसकी दोनों चुचियों को ऊपर से ही अपने दांतों से काटने लगा ।
"उईई भैया क्या कर रहे हो निशान हो जाएंगे" मनीषा ने चीखते हुए कहा।
तो हो जाने दो ना" मुकेश ने वैसे ही अपनी दीदी की चुचियों को काटते हुए कहा।
"पति देखेगा तो क्या कहूँगी" मनीषा ने अपने भाई के लंड को अपने हाथ में लेते हुए कहा जो पूरा तनकर झटके खा रहा था ।
"आह्ह्ह्ह कह देना की तुम्हारे भाई ने इन्हें काट दिया है" मुकेश ने अपने लंड पर अपनी बहन का हाथ पडते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"भइया आप भी न अगर उन्होने ने गुस्से में मुझे छोड दिया तो" मनीषा ने अपने भाई के लंड को वैसे ही सहलाते हुए कहा।