Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 49 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

महेश अपनी बेटी के कमरे से निकलकर अपने कमरे में जाने लगा वह अपने कमरे में आते ही बेड पर लेट गया और अपनी बेटी के बारे में सोचने लगा । वह सोच रहा था की जब उसकी बेटी उसके इतना नज़दीक आ गयी है तो अब वह बचकर कहाँ जायेगी। यही सोचते सोचते कब वह नींद के आग़ोश में चला गया उसे पता ही नहीं चला, ऐसे ही दिन बीत गया और रात का खाना खाने के बाद सभी अपने कमरों में जाकर सोने की तैयारी करने लगे।

महेश अपने कमरे में करवटे लेते हुए आने वाले टाइम के बारे में सोच रहा था उसकी आँखों के सामने उसकी बहु का ख़ूबसूरत जिस्म घूम रहा था जिसे सोचते हुए उसका लंड ज़ोर के झटके मार रहा था । इधर नीलम भी बेड पर लेटे हुए अपने पति के जाने का इंतज़ार कर रही थी क्योंकी जो मजा उसे अपने ससुर से मिला था शायद वह उसे ज़िंदगी भर न भुला पाएगी।
"नीलम इधर आओ न कब तक यूँ ही रूठी रहोगी" समीर ने अचानक नीलम को अपनी बाहों में भरते हुए कहा।

"क्या है मुझसे दूर हटो" नीलम ने गुस्से से अपने पति को दूर करते हुए कहा।
"क्या हुआ नीलम क्या अब मैं इतना गिर गया की तुम मुझे अपने क़रीब भी आने नहीं देती?" समीर ने गुस्से और गम से अपनी पत्नी को देखते हुए कहा।
"हाँ तुम मुझे नहीं छू सकते क्योंकी मुझे भी तुम्हारी तरह किसी और से ज्यादा लगाब हो गया है" नीलम ने गुस्से में सीधे अपने पति को बताते हुए कहा।
"नीलम तुम्हें क्या हो गया है? पहले तो तुम ऐसी नहीं थी वह तुम्हारे पिता के समान है कुछ तो शर्म करो" समीर ने लगभग रोते हुए कहा।

"हाँ शायद तुम सही हो मगर मुझे ऐसा करने में भी तुम्हारा हाथ है और शायद तुम ने अच्छा ही किया क्योंकी उसके बाद ही मुझे ज़िंदगी के अनमोल मज़े का अहसास हुआ जो मुझे तुमने नहीं किसी और ने दिलाया" नीलम ने अपने पति को जवाब देते हुए कहा।
"नीलम अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ" समीर ने गुस्से से बेड पर मुक्का मारते हुए कहा।
"अरे इतना गुस्सा मत हो और अब जाओ यहाँ से तुम्हारी बहन तुम्हारा इंतज़ार कर रही होगी" नीलम ने मुस्कराते हुए कहा।

"बुहत चिंता हो रही है तुम्हें मेरी बहन की सब समझता हूँ मैं तुम्हें उसकी नहीं अपनी पड़ी है क्योंकी तुम मेरे जाने के बाद ही पिता जी के साथ रंगरलियां मनाओगी" समीर ने अपनी पत्नी की बात सुनते ही गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा।
"हाँ यार तो इसमें गुस्से की क्या बात है तुम भी तो वही करने जाते हो अपनी बहन के पास" नीलम ने फिर से एक क़ातिल हँसी के साथ अपने पति को जवाब देते हुए कहा।
"ठीक है भाड़ में जाओ मैं जाता हू" समीर ने गुस्से से कहा और अपने कमरे से निकलकर अपनी बहन के कमरे में आ गया।
 
नीलम ने भी अपने पति के जाते ही सुख का साँस लिया और वह लेटे हुए ही अपने ससुर का इंतज़ार करने लगी । समीर अपनी बहन के कमरे में जाते ही सीधा होकर बेड पर लेट गया वह बुहत ज्यादा गुस्से में था।
"क्या हुआ भैया?" ज्योति ने अपने भाई को आज ऐसे आते ही बेड पर लेटने से हैंरान होते हुए उसके क़रीब बैठकर कहा।
"दीदी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। नीलम हर रोज़ ज्यादा ही बदलती जा रही है अब मुझसे बर्दाशत नहीं होता" समीर ने अपनी बहन को देखते हुए कहा उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे।

"भइया धीरज रखो तुम कर भी क्या सकते हो। जितना ज्यादा सोचोगे उतना ही तुम परेशान होगे" ज्योति ने अपने कोमल हाथ से अपने भाई के आंसू को पोछते हुए कहा।
"दीदी तुम नहीं होती तो शायद में खुदकुशी कर लेता" समीर ने अपनी बहन को निहारते हुए कहा।
"बस अब आगे कुछ भी बोले तो मेरे मरा मूह देखोगें तुम चुपचाप लेटे रहो। मैं अभी आपके सारे गम ख़तम करती हू" ज्योति ने अपना एक हाथ अपने भाई के मूह पर रखते हुए कहा। समीर अपने बहन की बात सुनकर चुप होकर लेटा रहा।

ज्योति ने अपने भाई के बाहों को पकडकर ऊपर कर दिया और खुद अपनी नाइटी को उतारकर बेड पर फेंक दिया । ज्योति अब सिर्फ एक ब्रा और पेंटी में थी वह अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाकर अपने भाई के लंड पर उसकी पेण्ट के ऊपर ही बैठ गयी और नीचे झुकते हुए धीरे धीरे अपने भाई की शर्ट के बटन खोलने लगी। समीर का लंड अपनी बहन के ऐसा करने से हरकत में आने लगा वह बड़े गौर से अपनी बहन की चुचियों को घूरने लगा जो उसके झुके होने के कारण तकरीबन पूरी नंगी ही समीर की आँखों के सामने आ गयी थी।

ज्योति ने अपने भाई की शर्ट के बदन खोलने के बाद उसकी शर्ट को उसके आगे से खोलकर साइड में किया और खुद नीचे झुककर अपने भाई के बालों से भरे सीने को अपने होंठो से चूमने लगी । ज्योति अपने भाई के सीने को पूरी तरह से चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर अपने भाई के सीने पर फिराने लगी।
"आह्ह्ह्ह दीदी" समीर भी अपनी बहन की हरक़तों से बुहत ज्यादा गरम हो गया था इसीलिए उसने सिसकते हुए कहा और अपने दोनों हाथों को अपने बहन के बालों में डाल दिया।
 
ज्योति ने अपने दोनों हाथों से समीर के दोनों हाथों को पकडकर फिर से ऊपर कर दिया और खुद नीचे होकर अपनी जीभ को समीर के बूब्स के दाने पर फिराने लगी।
"आह्ह्ह्ह" समीर के मूह से एक और सिसकी निकली। मगर इस बार उसने अपने हाथ को वहीँ पर पड़ने दिया । ज्योति कुछ देर तक अपने भाई के दाने को अपनी जीभ से चाटने के बाद अपना मूह खोलकर उसके पूरे बूब को अपने मूह में ले लीया और बुहत ज़ोर से चूसने लगी।
"ओहहहहहह ओहहह दीदी" समीर को आज तक इतना मजा नहीं आया था जो आज उसकी बहन की हरक़तों से मिल रहा था जिस वजह से वह बुहत ज़ोर से सिसक रहा था।

ज्योति ने अचानक अपने भाई के बूब को अपने दांतों से हल्का काट दिया और बार बार उसे चूसते हुए हल्का काटने लगी।
"उईईईई आह्ह्ह्हह बस करो दीदी" समीर का मज़े के मारे बुरा हाल था उसका पूरा जिस्म मज़े से झटके खा रहा था और वह अपने हाथ को सीधा करने की कोशिश कर रहा था मगर ज्योति ने जल्दी से अपने मुँह को वहां से हटाते हुए अपने भाई के दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड लिया।

ज्योति अपने भाई के हाथों को पकडकर खुद नीचे हो गई और अपने होंठो को अपने भाई के होंटों के बिलकुल क़रीब कर लिया । समीर को अपनी बहन की साँसें महसूस होने लगी वह जैसे ही अपनी बहन के गुलाबी होंठो को चूमने के लिए अपने होंठो को थोडा ऊपर किआ ज्योति ने अपने होंठो को ज्यादा ऊपर कर दिया और समीर अपनी बहन को देखता ही रह गया। ज्योति ने फिर से अपने मुँह को नीचे किया और इस बार अपने भाई के होंठो पर अपने होंठो को ज़ोर से दबा दिया।


समीर ने जैसे ही अपनी बहन के गुलाबी होंठो को अपने होंठो पर महसूस किया वह अपना पूरा मुँह खोलकर बुहत ज़ोर से ज्योति के होंठो को चूसने लगा । ज्योति भी अपने भाई का पूरा साथ देते हुए उसके साथ किस्सिंग करने लगी और अचानक अपनी जीभ को भी अपने भाई के मूह में डाल दी। समीर अपनी बहन की जीभ अपने मूह में घुसते ही बड़े प्यार से उसे अपने होंठो और जीभ से चाटने लगा, ज्योति कुछ देर तक ऐसे ही अपने भाई से अपने होंठो को चुसवाने के बाद अचानक सीधी हो गई और बुरी तरह हाँफने लगी।

ज्योति के सीधे होते ही उसके हाथ समीर के हाथों से अलग हो गये और समीर ने उसी पल का फ़ायदा उठाते हुए अपने हाथों से अपनी बहन की ब्रा को उसकी चुचियों से नीचे सरका दिया । समीर अपनी बहन की ब्रा के हटाने के बाद अपने हाथों से उसकी दोनों चुचियों को मसलने लगा, ज्योति ने अपने आप को संभालते हुए अपने भाई के दोनों हाथों को पकडकर फिर से ऊपर कर दिया और खुद नीचे झुककर अपनी दोनों चुचियों को अपने भाई के होंठो पर रगडने लगी, समीर जैसे ही अपना मुँह खोलकर अपनी बहन की चूचि को अपने मूह में भरने की कोशिश करता वह अपनी चुचियों को ऊपर कर लेती।
 
समीर अगर चाहता तो अपने हाथों को अपनी बहन से छुड़ाकर अभी उसकी चूचि को अपने मुँह में भर लेता मगर उसे भी यह खेल मजा दे रहा था । ज्योति कुछ देर तक यों ही अपने भाई को परेशान करने के बाद अपनी चुचियों को अपने भाई के मूह पर रख दिया, समीर ने जैसे ही मूह खोला वह यह देखकर हैंरान रह गया की उसकी बहन ने इस बार अपनी चुचियों को ऊपर नहीं किया। समीर ने जल्दी से अपनी बहन की एक चूचि को अपने मुँह में लिया और बड़े ज़ोर से उसे चूसने लगा।

"आआह्ह्ह भैया आराम से" ज्योति ने सिसकते हुए कहा क्योंकी उत्तेजना में समीर अपनी बहन की चूचि को बुहत ज़ोर से चूस चाट रहा था।

समीर अब बारी बारी अपनी बहन की दोनों चुचियों को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था ज्योति कुछ देर तक अपने भाई से अपनी चुचियों को चुसवाने के बाद सीधे हो गई और वह नीचे होने लगी समीर हैंरानी से अपनी बहन को देखने लगा । ज्योति अपने भाई के टांगों के बीच आ गयी और अपने हाथों से समीर की पेण्ट को खोलने लगी, ज्योति ने अपने भाई की पेण्ट को खोलने के बाद उसे उसके जिस्म से अलग कर दिया।

पैंट के उतरते ही समीर का लंड उसके अंडरवियर में तम्बू की तरह खड़ा हो गया । ज्योति अपने भाई के लंड को देखते हुए अपना मुँह उसकी तरफ झुकाने लगी और अंडरवियर के ऊपर से ही अपने भाई के खड़े लंड को अपने होंठो से चूम लिया । ज्योति ने अपने भाई के लंड को चूमने के बाद उसके अंडरवियर को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया। समीर का लंड अब बिलकुल नंगा ज्योति की आँखों के सामने लहरा रहा था, ज्योति ने अपना एक हाथ बढाकर अपने भाई के झटके खाते हुए लंड को पकड़ा और उसके गुलाबी सुपाडे को अपने होंठो से चूमने लगी।

ज्योति कुछ देर तक अपने भाई के लंड को चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर पूरे लंड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी।
"आह्ह्ह्ह दीदी" समीर की हालत बिगडती जा रही थी उसके मुँह से बुहत ज़ोर की सिसकियाँ निकल रही थी ।ज्योति ने अपने भाई के लंड को चाटते हुए देखा की उसके सुपाडे के छेद से प्रिकम की कुछ बूँदे निकल रही हैं । उसने जल्दी से अपनी जीभ को अपने भाई के लंड के छेद पर रखा और उसके प्रिकम को अपनी जीभ से चाटने लगी, ज्योति ने अपने भाई के प्रिकम को चाटने के बाद अपनी जीभ से उसके सुपाडे के छेद को ही चाटने लगी।
 
"ओह दीदी" समीर ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा अपनी बहन की इस हरकत से उसका पूरा जिस्म काम्पने लगा था । ज्योति अब अपनी जीभ को नीचे ले जाने लगी और वह अपनी जीभ से अपने भाई की दोनों गोटियों को चाटने लगी, समीर का मज़े के मारे बुरा हाल था पहले कभी भी ज्योति ने ऐसा कुछ नहीं किया था। ज्योति ने अचानक अपनी जीभ को अपने भाई की गोटियों से नीचे करते हुए उसकी गांड को चाट लिया,
"आह्ह्ह्हह दीदी ओह्ह्ह्हह्ह" समीर का पूरा बदन ज्योति की इस हरकत से सिहर उठा और उसने अपनी बहन को बालों से पकडते हुए अपने ऊपर लिटा दिया।

समीर ने अपनी बहन के होंठो को चूमते हुए उसकी पेंटी को नीचे सरका दिया और उसे कमर से पकडते हुए अपने लंड के ऊपर बिठा दिया । अपने भाई से छेड छाड करते हुए ज्योति की चूत इतनी गीली हो चुकी थी की उसके लंड पर अपनी चूत के रखते ही समीर का लंड आराम से उसकी चूत में घुसता चला गया।
"आह्ह्ह्ह भैया" अपनी चूत में अपने भाई का लंड घुसते ही ज्योति के मूह से एक सिसकी निकली और वह अपने चूतडों को उछाल उछालकर अपने भाई का लंड अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी।

समीर भी नीचे से अपने चूतडों को उछालते हुए अपनी बहन को पेलने लगा और साथ में उसके होंठो का रस भी पीने लगा । कुछ देर की चुदाई के बाद ही ज्योति का बदन अकडने लगा क्योंकी वह पहले से बुहत ज्यादा गरम थी। वह अपने भाई के होंठो को छोड़ते हुए सीधी हो गई और पूरी तेज़ी के साथ अपने भाई के लंड पर कूदने लगी, समीर ने भी अपनी बहन की चुचियों को जो उसके ऊपर नीचे होने से बुहत तेज़ी के साथ हिल रही थी पकड लिया और अपने हाथों से उन्हें मसलने लगा।

"आह्ह्ह्हह भैया में आई इसशहहहहहहहः" कुछ देर बाद ही ज्योति का पूरा बदन अकाडकर झटके खाने लगा और वह बुहत ज़ोर से सिसकते हुए झडने लगी । ज्योति ने झरते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और बुहत ज़ोर से अपने भैया के लंड पर उछलने लगी, इधर समीर भी इतनी देर की छेडखानी से बुहत ज्यादा उत्तेजित हो गया था इसीलिए अपनी बहन के झडते ही उसकी चूत के सिकुड़ने की वजह से वह भी सिसकते हुए अपनी बहन की चूत में अपना वीर्य गिराने लगा।

ज्योति तब तक अपने भाई के लंड पर उछलती रही जब तक उसके लंड से वीर्य की आखरी बूँद तक निकलकर उसकी चूत में गिरी और उसके बाद वह अपने भाई के उपर ही निढाल होकर लेट गई।
"भाइ अब कैसा महसूस हो रहा है" ज्योति कुछ देर तक ज़ोर से हाँफते रहने के बाद अपनी साँसों को ठीक करते हुए अपने भाई से बोली।
"ओहहहह दीदी अगर आप नहीं होती तो मैं तो मर" समीर ने इतना ही कहा था के ज्योति ने अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और अपने भाई के साथ खोती चली गई।
 
महेश अपने कमरे से निकलकर अपनी बहु के कमरे में जाने लगा । उसने दरवाज़े के पास पुहंचकर जैसे ही दरवाज़े को धक्का दिया वह अपने आप खुल गया । महेश अंदर दाखिल हो गया और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया, नीलम बेड पर लेटी हुयी थी और उसकी आँखें बंद थी वह नाइटी पहने हुयी थी।

महेश आगे बढ़कर बेड पर जाकर बैठ गया और अपने हाथों से अपनी बहु की खुली हुई ज़ुल्फ़ों से खेलने लगा। महेश को अपनी बहु की लम्बी काली ज़ुल्फ़ें बुहत खूबसूरत लग रही थी।
"बेटी नींद आ गयी क्या तुम्हें?" महेश ने अपनी बहु की ज़ुल्फ़ों से खेलते हुए ही कहा । नीलम जाग रही थी बस उसकी आँखें बंद थी मगर वह अपने ससुर को तडपाने के लिए कुछ भी नहीं बोली।
"बेटी उठो ना" महेश ने एक बार अपनी बहु को पुकारते हुए कहा मगर नीलम ने इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया।

महेश समझ गया की उसकी बहु उसे तंग करने के लिए ऐसा कर रही है इसीलिए उसने अपने हाथ को उसकी ज़ुल्फ़ों से हटाकर उसके गालों से ले जाते हुए उसके गुलाबी होंठो पर रख लिया और अपनी एक ऊँगली को अपनी बहु के होंठो पर फिराने लगा । नीलम अपने ससुर का हाथ अपने होंठो पर लगते ही थोडा सा कांप उठी मगर उसने फिर से अपने आप सँभाल लिया और चुप होकर लेटी रही, अपने ससुर की ऊँगली अपने होंठो पर लगते ही नीलम की साँसें तेज़ हो गई थी और उसका जिस्म गरम होने लगा था।

महेश कुछ देर तक अपनी ऊँगली को नीलम के होंठो पर फिराने के बाद अपने हाथ को नीचे ले जाते हुए उसकी नाइटी को आगे से खोल दिया और अपनी बहु की ब्रा को भी उसकी चुचियों से नीचे सरका दिया । नीलम की चुचियां अब बिलकुल नंगी होकर उसके ससुर के सामने आ गयी थी और वह बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकी उत्तेजना के मारे नीलम की साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी, महेश ने एक नज़र अपनी बहु की नंगी चुचियों पर डाली और अगले ही पल उसके दोनों हाथ नीलम की चुचियों को मसलने लगे।

महेश अपनी बहु की चुचियों को बुहत ज़ोर से दबा रहा था जिस वजह से नीलम का अब चुप रहना मुश्किल हो गया था । अचानक महेश ने अपनी बहु की चूचि के एक दाने को अपनी उँगलियों के बीच डालकर ज़ोर से मसाल दिया।
"उईईईई आअह्ह्ह्हह्ह्" नीलम के मुँह से एक ज़ोर की चीख़ निकल गयी और उसने अपनी आँखें खोल दी।
"सॉरी बहु मैंने तुम्हारी नींद खराब कर दी" महेश ने मुस्कराते हुए कहा।
"पिता जी आप क्या कर रहे हैं आपको शर्म नहीं आती अपनी बहु को नींद में पाकर उसका फ़ायदा उठाते हुये" नीलम ने अपने ससुर को डाँटते हुए कहा।
 
"अरे बेटी इसमें मेरा कोई क़सूर नहीं है अब अगर बहु इतनी सूंदर होगी जिसे देखकर ही कुछ होने लगे तो फ़ायदा तो उठाना ही पड़ेगा ना" महेश ने इस बार बेड से उठकर अपनी धोती को अपने जिस्म से अलग करते हुए कहा।
"ओहहहहह पिता जी आप तो सच में बड़े बेशरम हो गये हैं । अपनी बहु के सामने नंगे हो गये आप छी छी" नीलम ने नाटक जारी रखते हुए कहा।
"बेटी देखो न यह हरामी मुझे नींद ही नहीं आने देता। कहता है मुझे अपनी बहु की गरम छोटी सी बिल में रहना है" महेश ने अपनी बहु के पास बैठकर उसके एक हाथ को अपने लंड के ऊपर रखते हुए कहा।

"पिता जी आप अपने इसको समझा दो की तुम्हरी बहु की बिल बुहत छोटी है और यह बुहत बड़ा और मोटा है। इसीलिए मुझे इसे नहीं घुसवाना अपनी बिल में कहीं इसने मेरी बिल को फाड दिया तो" नीलम ने अपने नरम हाथों से अपने ससुर के मुसल लंड को सहलाते हुए कहा। वह बड़े गौर से अपने ससुर के लंड को घूर रही थी उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था की इतना मोटा और लम्बा लंड वह अपनी छोटी सी चूत में पूरा घुसवा चुकी है।

"आहहह बेटी मैंने तो इस गधे को बुहत समझया मगर मेरी बात तो यह मानता ही नहीं तुम ही इसे समझा दो ना" महेश ने अपनी बहु के नरम हाथ अपने लंड पर पडते ही सिसकते हुए कहा।
"चलो पिता जी मैं ही इसे समझकर देखती हूँ आप सीधे होकर लेट जाएँ!" नीलम ने अपने ससुर के लंड से अपना हाथ हटाते हुए कहा।
"हाँ बेटी यह तेरा दीवाना है हो सकता है तुम्हारी बात मान ले" महेश बेड पर सीधा लेटते हुए बोला।

"तुम मेरे पिता जी को क्यों तंग करते हो तुम्हें शर्म नहीं आती । इनकी उम्र का तो कुछ ख़याल करो" महेश के सीधे लेटते ही नीलम ने अपने ससुर के लंड को अपने एक हाथ में पकडते हुए कहा । नीलम का नरम चूडियों वाला हाथ पडते ही महेश का लंड ज़ोर से झटके खाने की कोशिश करने लगा। मगर नीलम ने उसे अपनी मुठी में पकड रखा था इसीलिए वह ज्यादा उछल न पाया।
"अरे वाह तुम तो नाराज़ हो गये अच्छा अब में तुम्हें प्यार से समझाती हू" नीलम ने अपने ससुर के लंड को घूरते हुए कहा और नीचे झुककर उसके गुलाबी सुपाडे को चूम लिया।

"आहहह बेटी क्या कर रही हो?" अपनी बहु के होंठ अपने लंड पर पडने से महेश ने सिसकते हुए कहा।
"पिता जी प्लीज आप चुप होजाओ आज मैं इसे मनाकर रहुँगी" नीलम ने अपने पिता को डाँटते हुए कहा अपनी बहु की बात सुनकर महेश चुप हो गया।
"अब बताओ कैसा लगा मेरा चूम्मा?" नीलम ने नीचे झुके हुए ही अपने ससुर के लंड को देखते हुए कहा वह पागलों की तरह अपने ससुर के लंड से बाते कर रही थी।
 
"एक और चूम्मा चाहिए। छी तुम तो बुहत गंदे हो अच्छा ठीक है अभी देती हू" नीलम ने इतना कहा और नीचे झुककर अपने ससुर के पूरे लंड को जगह जगह चूमने लगी। ऐसा करते हुए नीलम बुहत ज़ोर से हांफ रही थी वह पूरी तरह गरम हो चुकी थी, नीलम ने अपने ससुर के लंड को पूरी तरह चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर उसके सुपाडे को चाटा और फिर से वहां से थोडा ऊपर हो गयी।

नीलम के ऐसा करने से महेश के मुँह से बुहत ज़ोर की सिसकियाँ निकल रही थी।
"कैसा लगा अब तो तुम खुश हो गये ना" नीलम ने फिर से अपने ससुर के लंड को घूरते हुए कहा।
"अरे तुम तो सच में बुहत बदमाश हो नहीं ऐसे नहीं चलेगा बस आखरी बार ही मैं कर रही हूँ ठीक है ना" नीलम ने अपनी थूक से चमकते हुए अपने ससुर के लंड के सुपाडे को देखा और अपना पूरा मुँह खोलकर उसे अपने मुँह में ले लिया, नीलम अपने ससुर के लंड के मोटे सुपाडे को बड़े प्यार से अपनी जीभ और होंठो के बीच लेकर चूसने लगी । महेश की हालत उस वक्त देखने लायक थी उसका पूरा शरीर झटके खा रहा था और उसके मूह से ज़ोर की सिसकियाँ निकल रही थी।

नीलम कुछ देर तक अपने ससुर के लंड के टोपे को चाटने के बाद उसे अपने मुँह से निकाल दिया और बुहत ज़ोर से हाँफने लगी।
"पिता जी ने सच कहा था तुम बुहत बदमाश हो मुझे थका ही दिया चलो अब बुहत हो गया अब मैं कुछ नहीं करूंग़ी" नीलम ने अपने ससुर के लंड को अपने मुँह से निकालकर उसे घूरते हुए कहा।
"क्या कहा बदमाश नहीं देखो यह अच्छी बात नहीं है। मैं यह सब नहीं कर सकती" नीलम ने फिर से अपने ससुर के लंड से बात करते हुए कहा।
"हाहहह बेटी क्या कह रहा है यह नालायक ज़रा मुझे भी तो बताओ" महेश जो इतनी देर से अपनी बहु का नाटक देख रहा था उसने नीलम को देखते हुए कहा।

"पिता जी आपने सही कहा था यह बुहत बदमाश है मैंने इसकी सारी फ़रमाइशें पूरी कर दी। फिर भी यह नहीं मान रहा और यह फिर से वही बात कर रहा है" नीलम ने अपने ससुर की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा।
"कौन सी बात बेटी?" महेश ने भी इस बार अपनी बहु को छेडते हुए कहा।
"पिता जी आप भी न वही जो आपसे कह रहा था" नीलम अपने ससुर की बात सुनकर शरमाते हुए बोली।
"ओह बिल में घूसने वाली बात" महेश ने हँसते हुए कहा।

"हाँ पिता जी" नीलम ने शर्म से अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा।
"बेटी बेचारे को एक बार अपनी बिल में ले ही लो कुछ नहीं होगा तुम्हें" महेष ने अपनी बहु को देखते हुए कहा।
"नही पिता जी फिर यह हर रोज़ ऐसा करने को कहेंगा" नीलम ने अपनी नज़रें नीची किये हुए ही कहा।
 
अरे बेटी देखो तो बेचारा कैसे तुम्हें देखकर झटके खा रहा है ज़रा रहम करो इस पर" महेश ने नीलम से कहा।
"पिता जी ठीक है आप कहते हैं तो आपकी खातिर मैं इसे एक बार अपनी बिल में घूसने की इजाज़त दे देती हू" नीलम ने अपनी आँखों से अपने ससुर के लंड को देखते हुए कहा।

"देखो पिता जी आपकी खातिर मैं तुम्हें एक बार अपनी बिल में घूसने की इजाज़त दे रही हूँ मगर इसके बाद तुम सुधर जाना" नीलम ने अपने एक हाथ से महेश के लंड को पकडते हुए कहा और खुद बेड से उठकर अपनी नाइटी को अपने जिस्म से अलग कर दिया ।नीलम ने अपनी नाइटी को उतारने के बाद अपनी पेंटी को भी अपने जिस्म से अलग किया और खुद बेड पर चढ़ गई, नीलम बुहत ज्यादा गरम हो चुकी थी जिस वजह से उसकी चूत से बुहत ज्यादा पानी बह रह था।

नीलम ने बेड पर चढने के बाद अपने ससुर के लंड को अपने हाथ में लिया और नीचे झुककर अपनी जीभ से उसके सुपाडे को चाटने लगी।
"आआह्ह्ह्ह बेटी ऐसे ही इसे अपनी थूक से गीला कर दो ताकी तुम्हें कोई तकलीफ न हो" अपनी बहु की जीभ अपने लंड पर लगते ही महेश बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए बोला । नीलम ने अपने ससुर के लंड के सुपाडे को पूरी तरह अपनी थूक से गीला करने के बाद अपना मुँह वहां से हटा दिया और खुद अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाकर अपनी चूत को अपने ससुर के लंड पर रख दिया।


आह्ह्ह्ह पिता जी" नीलम अपने ससुर के लंड को अपने एक हाथ से पकडकर अपनी चूत के छेद पर घीसने लगी ऐसा करते हुए उसके मुँह से बुहत ज़ोर की सिसकियाँ निकल रही थी । नीलम कुछ देर तक ऐसा करने के बाद अपने ससुर के लंड को अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और खुद अपने वजन के साथ उस पर बैठने लगी।
"ओहहहहह इसशहहहह पिता जी" नीलम के थोडा वजन ड़ालने पर उसके ससुर के लंड का मोटा सुपाडा उसकी चूत में घुस गया जिस वजह से उसके मुँह से ज़ोर की सिसकि निकल गई।

"आह्ह्ह्ह बेटी कितनी टाइट है तुम्हारी चूत" महेश ने भी अपने लंड को अपनी बहु की गरम टाइट चूत में घूसने से सिसकते हुए कहा । नीलम ने अपने हाथों को अपने ससुर के सीने पर रखा और वह फिर से अपने दबाव के साथ नीचे बैठने लगी।
"ओहहहहहह पिता जी आपका बुहत लम्बा और मोटा है" नीलम ने नीचे झुकते हुए अपनी चूत में अपने ससुर का लंड आधे से ज्यादा घुसा दिया था मगर अब उसे तकलीफ हो रही थी।
 
"आजहहह बेटी बस बाकी थोडा ही बचा है तुम अपने पूरे वजन के साथ बैठ जाओ" महेश ने अपनी बहू को समझाते हुए कहा । नीलम भी अपने ससुर की बात सुनकर एकदम से अपने पूरे वजन के साथ अपने ससुर के लंड पर बैठ गयी।
"उईईए आहहह पिता जीईई बुहत दर्द हो रहा है" महेश का लंड पूरा नीलम के चूत में घुस चूका था जिस वजह से उसके मुँह से ज़ोर की चीख़ें निकल रही थी।

महेश ने अपनी बहु को कमर से पकडकर अपने ऊपर झुका लिया और वह अपने हाथों से उसकी दोनों चुचियों को मसलते हुए नीलम के होंठो को चूसने लगा ।थोड़ी ही देर में नीलम का सारा दर्द ख़तम हो गया और वह अपने चूतडों को अपने ससुर के लंड पर उछालने लगी।
"आआह्ह्ह्ह पिता जी आपका कितना लम्बा और मोटा है। यह मुझे अपने पेट तक जाता हुआ महसूस हो रहा है" नीलम ने अब सीधे होकर अपने ससुर के लंड पर ज़ोर से उछलते हुए कहा । वह बुहत ज्यादा गरम हो चुकी थी इसीलिए वह बुहत ज़ोर से हाँफते हुए अपने ससुर के लंड पर उछल रही थी।

कुछ ही देर में नीलम का बदन अकडने लगा और वह बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने ससुर के लंड पर उछलते हुए झडने लगी। नीलम पूरी तरह झडने के बाद निढाल होकर अपने ससुर के ऊपर गिर गयी और बुहत ज़ोर से साँसें लेने लगी । महेश ने अपनी बहु को अपने ऊपर से उठाकर उलटा लिटाया और अपना मुसल लंड पीछे से उसकी चूत में घुसाने लगा, नीलम को पहले तो बुहत ज्यादा तकलीफ हुई मगर कुछ ही देर में उसे फिर से बुहत ज्यादा मज़ा आने लगा और वह अपने ससुर के लंड पर अपने चूतडो को ज़ोर से दबाते हुए चुदवाने लगी।

"आजहहह बेटी तुमने कभी अपने पति का लंड अपनी गांड में लिया है?" अचानक महेश की नज़र अपनी बहु की गांड के भूरे छेद पर पडी जिसे देखते ही महेश का लंड जयादा तनकर झटके खाने लगा और उसने सिसकते हुए अपनी बहु की चूत में अपना लंड ज़ोर से अंदर बाहर करते हुए कहा।
"छी छी पिता जी उस गन्दी जगह में भी यह घुसाया जाता है भला" नीलम ने वैसे ही मस्ती में चुदवाते हुए जवाब दिया।

"हम्म्म्म बेटी इसका मतलब तुमने वहां कभी नहीं लिया" महेश ने अपनी एक ऊँगली से अपनी बहु की गांड को कुरेदते हुए कहा।
"ओहहहहह पिता जी छोड़िये न क्या कर रहे हैं आप वहां मैंने कभी नहीं लिया" नीलम ने अपनी गांड पर अपने ससुर की ऊँगली के लगते ही ज़ोर से उछलते हुए कहा।
"बेटी जैसे चूत में लंड घुसता है वैसे ही वह गांड में ड़ाला जाता है" महेश ने अपनी ऊँगली को थोडा दबाव देकर अपनी बहु की गांड में ड़ालते हुए कहा।
"उईई निकालिये पिता जी मुझे नहीं पता कुछ। मुझे वहां नहीं करवाना" नीलम ने अपने ससुर की थोड़ी सी ऊँगली को ही अपनी गांड में घुसने से ज़ोर से चीखते हुए कहा।
 
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