hotaks444
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माँ गान्ड को ढीला छोड़.......क्यों कस रही है" विजय की बात सुन रेखा थोड़ा कोशिश करने लगी. विजय एक के बाद धीरे धीरे दो उंगलियाँ अपनी माँ की गान्ड में डालने की कोशिश करने लगा. रेखा फिर से गान्ड टाइट करने लगी. विजय ने गुस्से में एक चांटा कस कर उसके चुतड पर मारा तो रेखा को समझ में आ गया. बहुत जल्द तेल से सनी विजय की दो उंगलियाँ उसकी माँ की गान्ड में अंदर बाहर हो रही थीं. हालाँकि रेखा सी सी कर रही थी. अब विजय को लगा कि लंड घुसाया जा सकता है. उसने दो तीन वार तेल से उंगलियाँ तर कर अपनी माँ की गान्ड में डाली ताकि अच्छी तरह से चिकनाई हो जाए और ढक्कन उठाकर दूर रख दिया.
"माँ थोड़ा अपनी गान्ड तो फैला" विजय ने जैसे ही कहा उसकी माँ ने अपने दोनों हाथ पीछे लाकर अपने दोनो चुतड़ों को फैलाया. उसकी टाँगे तो पहली ही खूब चौड़ी थी अब उसने जब अपने चुतड़ों को विपरीत दिशा में खींचा तो गान्ड का छेद हल्का सा खुल गया. विजय ने अपने हाथ उसकी कमर पर रखे और अपना लन्ड़ उसकी गान्ड के सुराख पर रख दिया.
"हाए धीरे....धीरे-धीरे डालना.......बेटे उूउउफफफ्फ़ बहुत बड़ा है तेरा लंड" रेखा ने विजय चेताया।
"तू डर मत माँ......तुझे मैं तकलीफ़ नही होने दूँगा" विजय ने अपनी माँ को दिलासा दिया. वो कुछ घबरा रही थी क्योंकि एक तो इतने सालों से ना चुदने से रेखा की गान्ड बिल्कुल संकरी हो गयी थी और उपर से विजय का लंड काफ़ी मोटा था।
विजय ने अपनी माँ की कमर हाथों मे कस कर पकड़ ली और लंड आगे सुराख के उपर रख ज़ोर लगाने लगा. उसकी माँ का बदन कांप रहा था. मगर वाकई गान्ड बहुत टाइट थी. वो उसके ज़ोर लगाने से थोड़ा सा खुली तो ज़रूर मगर इतनी नही कि लंड घुस पाता. लगता था काफ़ी ज़ोर लगाना पड़ेगा और माँ को भी थोड़ी तकलीफ़ सहन करनी पड़ेगी. ये सोचकर विजय ने कमर को पूरे ज़ोर से थाम फिर से ज़ोर लगाना शूरू किया.
"माँ थोड़ा अपनी गान्ड तो फैला" विजय ने जैसे ही कहा उसकी माँ ने अपने दोनों हाथ पीछे लाकर अपने दोनो चुतड़ों को फैलाया. उसकी टाँगे तो पहली ही खूब चौड़ी थी अब उसने जब अपने चुतड़ों को विपरीत दिशा में खींचा तो गान्ड का छेद हल्का सा खुल गया. विजय ने अपने हाथ उसकी कमर पर रखे और अपना लन्ड़ उसकी गान्ड के सुराख पर रख दिया.
"हाए धीरे....धीरे-धीरे डालना.......बेटे उूउउफफफ्फ़ बहुत बड़ा है तेरा लंड" रेखा ने विजय चेताया।
"तू डर मत माँ......तुझे मैं तकलीफ़ नही होने दूँगा" विजय ने अपनी माँ को दिलासा दिया. वो कुछ घबरा रही थी क्योंकि एक तो इतने सालों से ना चुदने से रेखा की गान्ड बिल्कुल संकरी हो गयी थी और उपर से विजय का लंड काफ़ी मोटा था।
विजय ने अपनी माँ की कमर हाथों मे कस कर पकड़ ली और लंड आगे सुराख के उपर रख ज़ोर लगाने लगा. उसकी माँ का बदन कांप रहा था. मगर वाकई गान्ड बहुत टाइट थी. वो उसके ज़ोर लगाने से थोड़ा सा खुली तो ज़रूर मगर इतनी नही कि लंड घुस पाता. लगता था काफ़ी ज़ोर लगाना पड़ेगा और माँ को भी थोड़ी तकलीफ़ सहन करनी पड़ेगी. ये सोचकर विजय ने कमर को पूरे ज़ोर से थाम फिर से ज़ोर लगाना शूरू किया.