hotaks444
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नीलम- पूरे चोदू हो आप… इतनी बुरी गत बना दी है मेरी । फिर भी चैन नहीं है आपको…
महेश- मुझे तो चैन ही चैन है पर अपने इस लन्ड का क्या करूँ?
नीलम- भागे थोड़े न जा रही हूँ, जल्दी-2 रोटियां बनाने दीजिये, कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी।
महेश- ठीक है बेटी धक्के नहीं लगाऊंगा पर लन्ड अंदर ही रहने दे। बड़ा सुख मिल रहा है।
नीलम रोटियाँ बनाने लग पड़ी और महेश उसके मम्मों से खेलता रहा, बीच- 2 में दो0 चार झटके भी दे देता।
“आह… आह… क्या कर रहे हो? रोटी जल जाएगी.” वो प्यार से कहती।
“अच्छा रोटी जलने की चिंता है तुझे साली और जो तेरी इस कसी हुई चूत में मेरा लन्ड जल रहा है उसका क्या?” महेश ने उसकी गांड पर हल्के हाथों से मारते हुए कहता।
नीलम- पिताजी निकालो न अपना लंड, देखो देर हो रही है… कोई आ जायेगा देखो 10 बज गए।
महेश ने टाइम देखा तो दस बज चुके थे उसने अपना लन्ड नीलम की चूत से बाहर निकाल लिया।
महेश- अब पड़ गयी तुझे ठंडक? ले बना ले रोटियां… मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ।
महेश के चले जाने के बाद सबसे पहले नीलम ने अपनी मैक्सी ऊपर करके अपनी चूत चेक की उसमें जमा हुआ वीर्य और सूज गयी चूत देख कर बेचारी डर गई “हाय राम, कितनी बेहरमी से चुदाई की है उसके ससुर ने क्या हाल कर दिया है… कितनी सूज गयी है.” उसने अपने आपसे से कहा और जैसे जैसे उसका बदन ठंडा पड़ता गया, उसका बदन शांत हो गया लेकिन चूत और गांड में दर्द अभी भी था।
अब बेचारी क्या करती, कोई चारा नहीं था उसके पास… उसने किसी तरह रोटियां पकाई और अपने पति के लिए खाना टिफिन बॉक्स में पैक किया।
वक़्त बीतने के साथ साथ दर्द बढ़ता जा रहा था, उसने पानी हल्का गर्म किया और एक कपड़ा लेकर टाँगों पे लगा हुआ वीर्य साफ किया और फिर अपनी चूत और गांड को गरम पानी से साफ करने लगी, गर्म पानी से उसे जलन हो रही थी पर आराम भी मिल रहा था।
महेश- मुझे तो चैन ही चैन है पर अपने इस लन्ड का क्या करूँ?
नीलम- भागे थोड़े न जा रही हूँ, जल्दी-2 रोटियां बनाने दीजिये, कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी।
महेश- ठीक है बेटी धक्के नहीं लगाऊंगा पर लन्ड अंदर ही रहने दे। बड़ा सुख मिल रहा है।
नीलम रोटियाँ बनाने लग पड़ी और महेश उसके मम्मों से खेलता रहा, बीच- 2 में दो0 चार झटके भी दे देता।
“आह… आह… क्या कर रहे हो? रोटी जल जाएगी.” वो प्यार से कहती।
“अच्छा रोटी जलने की चिंता है तुझे साली और जो तेरी इस कसी हुई चूत में मेरा लन्ड जल रहा है उसका क्या?” महेश ने उसकी गांड पर हल्के हाथों से मारते हुए कहता।
नीलम- पिताजी निकालो न अपना लंड, देखो देर हो रही है… कोई आ जायेगा देखो 10 बज गए।
महेश ने टाइम देखा तो दस बज चुके थे उसने अपना लन्ड नीलम की चूत से बाहर निकाल लिया।
महेश- अब पड़ गयी तुझे ठंडक? ले बना ले रोटियां… मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ।
महेश के चले जाने के बाद सबसे पहले नीलम ने अपनी मैक्सी ऊपर करके अपनी चूत चेक की उसमें जमा हुआ वीर्य और सूज गयी चूत देख कर बेचारी डर गई “हाय राम, कितनी बेहरमी से चुदाई की है उसके ससुर ने क्या हाल कर दिया है… कितनी सूज गयी है.” उसने अपने आपसे से कहा और जैसे जैसे उसका बदन ठंडा पड़ता गया, उसका बदन शांत हो गया लेकिन चूत और गांड में दर्द अभी भी था।
अब बेचारी क्या करती, कोई चारा नहीं था उसके पास… उसने किसी तरह रोटियां पकाई और अपने पति के लिए खाना टिफिन बॉक्स में पैक किया।
वक़्त बीतने के साथ साथ दर्द बढ़ता जा रहा था, उसने पानी हल्का गर्म किया और एक कपड़ा लेकर टाँगों पे लगा हुआ वीर्य साफ किया और फिर अपनी चूत और गांड को गरम पानी से साफ करने लगी, गर्म पानी से उसे जलन हो रही थी पर आराम भी मिल रहा था।