hotaks444
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बंसल - अरे बेटी बोलो तो क्या है वो।। अभी कार स्टार्ट करने से जरुरी कुछ नहीं है। नहीं तो हमे रात भर इसी जंगल में रहना पडेगा।
शालु - वो पापा मैंने ब्लाउज के अंदर कप वाली ब्रा पहनी है वो शायद काम आ जाए।
बंसल - तुम्हारी ब्रा?
शालु - हाँ (शालू अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल देति है और अपनी ब्रा दिखाते हुए कहती है)
शालु - देखिये न पापा। क्या इस से हो जायेगा?
बंसल नजदीक जाकर शालु के ब्लाउज हटा कर सिर्फ ब्रा में ढकी हुई उसकी चूचि को देखता है। फिर ब्रा के ऊपर हाथ फेरते हुए कहता है।
बंसल - हाँ बेटी इससे हो जाएगा।। तुम अपनी ब्रा उतार के मुझे दे दो।
(शालू पापा की बात मान कर पीछे मुड कर अपनी ब्रा खोल देती है, अपनी बेटी की नंगी पीठ देखकर बंसल का लंड खड़ा हो जाता है। वो अपनी उत्तेजना छिपाते हुए शालु के हाथ से उसकी ब्रा लेता है। शालु एक हाथ से अपनी चूचियां ढंकने की कोशिश कर रही होती है)
बानसाल - ब्रा को इधर उधर देखते हुए। हो जाएगा।। तुम इसमे पेशाब करो। (बंसल ब्रा को जमीन पर रख देता है)
(शालू अपनी साड़ी उठा कर अपने दोनों हाथो से पापा के सामने ही अपनी पेंटी घुटने तक सरकाती है और बैठ कर ब्रा के कप में पेशाब करने लगती है)
शालु - ओह पापा ये तो इधर इधर जा रही है।। पकड़िये न।। (बंसल तुरंत जमीन पे बैठ जाता है और ब्रा की कप को हाथ में उठाये शालू की पेशाब को ब्रा के कप में में लेता है। ऐसा करते हुए कई बार शालू की पेशाब उसके पापा के हाथो पे गिरती है। बंसल अपनी बेटी को पेशाब करता देख उत्तेजना से भर उठता है। उधर शालू भी शर्म से लाल हो जाती है, उसे अपने शरीर में कुछ अजीब सी अनुभूति होती है। उसे शर्म भी आ रही थी और थोड़ी उत्तेजित भी हो रही थी।
शालु - वो पापा मैंने ब्लाउज के अंदर कप वाली ब्रा पहनी है वो शायद काम आ जाए।
बंसल - तुम्हारी ब्रा?
शालु - हाँ (शालू अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल देति है और अपनी ब्रा दिखाते हुए कहती है)
शालु - देखिये न पापा। क्या इस से हो जायेगा?
बंसल नजदीक जाकर शालु के ब्लाउज हटा कर सिर्फ ब्रा में ढकी हुई उसकी चूचि को देखता है। फिर ब्रा के ऊपर हाथ फेरते हुए कहता है।
बंसल - हाँ बेटी इससे हो जाएगा।। तुम अपनी ब्रा उतार के मुझे दे दो।
(शालू पापा की बात मान कर पीछे मुड कर अपनी ब्रा खोल देती है, अपनी बेटी की नंगी पीठ देखकर बंसल का लंड खड़ा हो जाता है। वो अपनी उत्तेजना छिपाते हुए शालु के हाथ से उसकी ब्रा लेता है। शालु एक हाथ से अपनी चूचियां ढंकने की कोशिश कर रही होती है)
बानसाल - ब्रा को इधर उधर देखते हुए। हो जाएगा।। तुम इसमे पेशाब करो। (बंसल ब्रा को जमीन पर रख देता है)
(शालू अपनी साड़ी उठा कर अपने दोनों हाथो से पापा के सामने ही अपनी पेंटी घुटने तक सरकाती है और बैठ कर ब्रा के कप में पेशाब करने लगती है)
शालु - ओह पापा ये तो इधर इधर जा रही है।। पकड़िये न।। (बंसल तुरंत जमीन पे बैठ जाता है और ब्रा की कप को हाथ में उठाये शालू की पेशाब को ब्रा के कप में में लेता है। ऐसा करते हुए कई बार शालू की पेशाब उसके पापा के हाथो पे गिरती है। बंसल अपनी बेटी को पेशाब करता देख उत्तेजना से भर उठता है। उधर शालू भी शर्म से लाल हो जाती है, उसे अपने शरीर में कुछ अजीब सी अनुभूति होती है। उसे शर्म भी आ रही थी और थोड़ी उत्तेजित भी हो रही थी।