Incest Kahani बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत - Page 6 - SexBaba
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Incest Kahani बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

राज को भी पता था कि इस वक्त नेहा की हालत बुरी है। अगर वो अब उसकी गाण्ड मारेगा तो शायद नेहा की जान ही निकल जाए। लेकिन वो नेहा की गाण्ड जरूर मारने वाला था।

राज- अब ना सही मेरी जान, लेकिन तुझे मेरा लण्ड अपनी गाण्ड में लेना ही होगा जल्द।

नेहा कुछ नहीं बोलती। उसे तो डर था की जब राज का काला मोटा लण्ड उसकी गाण्ड के छेद में जाएगा तो उसकी हालत क्या होगा? अब राज नेहा की चूत पर लण्ड सेट करके एक धक्का लगता है नीचे से। लण्ड चूत
गीली होने की वजह से एक झटके में ही अंदर चला जाता है।

नेहा- अहह.. मर गई राज थोड़ा धीरे करो ना प्लीज़... में अक गई हैं।

लेकिन राज नेहा की बात सुने बिना नीचे से तेज-तेज धक्के लगाने लगता है।

नेहा- "अहह... अहह.. ओहह... नहीं राज प्लीज... अहह.."

राज- "तू मेरी गर्लफ्रेन्ड हैं ना... तो ऐसे ही चोदा जाता हैं गर्लफ्रेंड को। वरना गर्लफ्रेंड किस काम की। हाहाहाहा."

नेहा- "आह्ह... अहह... बेशर्म ऐसा मत करो... दर्द होता है। अहह..."

आगे से मस्त दृश्य दिख रहा था। दोनों की जांधे जुड़ी हुई। राज का काला मोटा लण्ड नेहा की गुलाबी चूत में अंदर-बाहर होता हुआ। नेहा की चूचियां ऊपर बाल्स की तरह उछलती हुई। मस्त दृश्य था। और ऊपर से लण्ड
और चूत के मिलाप की आवाजें- टप-टप टप टप टप-टप टप-टप्प।

नेहा- "अहह... अहह... अहह... अहह.."

नेहा की गाण्ड की फॉक और कीम के लण्ड वाला हिस्सा मिलने की भी आवाजें आ रही थी। दोनों पशीले में लथपथ हो चुके थे।

नेहा- "आह्ह... आअहह.... आह्ह... अहह... हो आह्ह... आई आह्ह... आह्ह.."

राज भी अब झड़ने के नजदीक था इसलिए वो अब नीचे से तेज-तेज अपनी कमर चलाने लगता है। उसका काला मोटा लण्ड नेहा की गुलाबी मासूम चूत में जैसे खुदाई कर रहा था। नेहा की हालत थी थी।

नेहा- "मम्मी अह्ह... प्लीज... राज अह्ह... अहह... अहह... प्लीज... जान्न ऐसा मत करो..."

नेहा के मुँह से राज को रोकने के लिए जान शब्द तक निकल गया था, जो वो सिर्फ 3 बार चुदि
थी। नेहा का खुद को जान बोलना ही राज के लिए काफी था। वो दो-तीन धक्के लगाकर नेहा की चूत में ही झड़ने लगता है।

राज- अहह.. मेरी जान ये ले मेरे लौड़े का पानी तेरी चूत में।

राज ने काफी सारा गाढ़ा पानी झाड़ा था। नेहा की चूत से भी राज का पानी बाहर आ रहा था।

राज के झड़ने के बाद काफी देर तक दोनों वैसे ही पड़े रहते हैं। 5 मिनट बाद राज नेहा को अपने ऊपर से हटाता है। नेहा बेड पर लेट जाती है। दोनों पसीने से लथपथ पड़े हुए थे। राज अब थोड़ा होश में आने लगता है। वो नेहा को देखकर खुश हो जाता है। नेहा का मासूम चेहरा खिला-खिला नजर आ रहा था। उसके चेहरे पर फैली हुई जुल्फे उसे और सेक्सी बना रही थी।

राज नेहा की तरफ हाथ बढ़ाकर उसकी एक चुची अपने हाथों से दबाने लगता हैं। जिससे नेहा भी जाग जाती है। वो राज की तरफ देखकर शर्मा जाती हैं। आज वो एक बड़े लौड़े से इतनी सी तरह से चुदी भी की बस हद हो गई थी।

नेहा में उठने की भी ताकत नहीं बची थी। उसकी चूत से रस निकल रहा था, कुछ उसका, कुछ राज का। थोड़ी देर बाद राज बेड से उतर जाता है और नेहा को देखते हुए कहता है।
राज- मजा आया ना मेरी जान तुझे?

नेहा की नजरें झुक जाती हैं। वो इस वक्त नंगी पड़ी हुई थी उस बूढ़े के सामने। अब वो उसे पूछ रहा था की उसे मजा आया क्या?

राज- बोल मजा आया ना?

नेहा अभी भी कुछ नहीं बोलती।

राज- "लगता है तू ऐसे नहीं मानेगी?" कहकर राज उसकी तरफ बढ़ने लगता है।

नेहा को जिसे देखकर डर लगता है की कही ये बुड्ढ़ा फिर से ना शुरू हो जाये। नेहा बोली- "हो."

राज- क्या हो?

नेहा- जो तुमने पूछा।

राज- ठीक से बोल वरना में फिर से शुरू हो जाऊँगा।

नेहा- "मजा आया...

राज के चेहरे पर ये सुनकर एक कमीनी स्माइल फैल जाती है, और कहता है- "ये हुई ना बात मेरी जान। चल में अब चलता हूँ.."

नेहा कुछ नहीं बोलती। राज दरवाजे के पास जाने लगता हैं। तभी वो एक बार नेहा की तरफ देखता हैं। नेहा उसे ही देख रही थी। राज स्माइल करते हुए फिर से अंदर जाता है, और नेहा को पास जाकर उसके ऊपर झुक जाता है। दोनों की नजरें आपस में जुड़ गई थी। तभी राज अपने काले होंठ उसके होठों से मिला देता है, और किस करने लगता है।

इस बार वो नेहा के गुलाबी होंठ बड़े प्यार से चूस रहा था। नेहा भी उसका साथ काफी हद तक दे रही थी। थोड़ी देर किस करने के बाद राज किस तोड़ देता है।

राज- चलता हूँ मेरी जान।

राज अपने कपड़े पहनकर चला जाता है दरवाजे से बाहर। राज सबकी नजर से छुपते छुपाते किसी तरह बाहर चला जाता है। नेहा 10 मिनट वैसे ही लेटी रहती है, चुदाई के पल याद करते हए। उसके बाद वो बेड से उठती है। वो बेड के आस-पास देखती है तो उसके कपड़े इधर-उधर पड़े हुए थे। एक बार के लिए वो शर्मा जाती है। फिर वो दरवाजे तक जाकर दरवाजा बंद करती है। उससे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। हालत ही वैसी की थी राज ने उसकी। नेहा फिर अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में चली जाती है। अच्छी तरह से नहाकर वो बाहर निकलती है। अभी उसे थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था। वो अलमारी में एक नाइटी निकालकर पहन लेती है,
और बेड पर लेट जाती है। उसे जल्द ही नींद आ जाती है।
***** ***
 
कड़ी_24

शाम में नेहा की आँख खुलती है। उसको बहुत अच्छी नींद आई थी। राज की उस धमाकेदार चुदाई के बाद वो अपनी चूत में दर्द महसूस कर रहीं भी। और दर्द हो भी क्यों ना? राज का काला मोटा लण्ड जो उसकी चूत की खुदाई कर रहा था। नेहा के सामने फिर से वो दृश्य आ जाता है, जब राज ने उसकी चुदाई की थी। और खुद भी राज को किस तरह पागलों की तरह किस कर रही भी।

नेहा- "मैं क्या से क्या बन गई हैं। कैसे वो बूढ़ा मेरे साथ ये सब कर रहा है बिना किसी डर को इसमें मेरी हो गलती है। वो जब भी मेरे पास आता है, मैं क्यों उसे रोक नहीं पाती? क्या हो जाता है मुझे? उफफ्फ... पता नहीं आगे क्या-क्या करेगा वो मेरे साथ? कमीना बुढा मुझे अपनी गर्लफ्रेंड मानता है... ऐसा बोलकर नहा के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। फिर वो फ्रेश होकर नीचे चली जाती है।

इधर नौकर क्वार्टर्स में राज बैठा हआ सिगरेट पी रहा था। उसके लिए आज बहुत बड़ी उपलब्धि थी। वो नेहा जैसी खूबसूरत बड़े घर की बहु को अपने लौड़े के नीचे लाने में सफल हो गया आ, और नेहा खुद भी उसका साथ दे रही थी इस दौरान। उस जैसे गंदे काले के लिए इतनी खूबसूरत औरत का पटाना किसी सपने से कम नहीं था। राज बैठे हुए सिगरेट के कश मार रहा था। वो जानता था की नेहा अब उसके कंट्रोल में हैं। वो बैठा हुआ था की तभी वहाँ दरवाजे पर किसी की एंट्री होती हैं। वो जय था जो अब वापस आ गया था गाँवसे। जय को देखकर।

राज- "अबे तू कब आया?"

जय- "बस अभी आया। वो क्या है ना तेरी भाभी की तबीयत खराब हो गई अचानका सारा मजा किरकिरा हो
गया..."

राज इस पर हँसता है।

जय- और तू बता। नेहा मालेकिन को पटा लिया क्या?
राज हँसता है- "पटा भी लिया और मज़े भी ले लिए..."
जय- यार तेरे तो मजे हो गये होंगे नेहा मालेकिन के गोरे बदन में।
माज. यार
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राज- वो तो है।
जा
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जय- "अबे में गाँव गया है तब से अपना लण्ड खाली लिए घूम रहा है। गांव में बीवी भी बीमार पड़ गई। यार मुझे भी उस नेहा मालेकिन को चोदना है। कुछ कर ना?"
राज- "अबे साले त मेरो माल पर क्यों नजर डाल रहा है। तझे तो बोला था ना उस छोटी वाली को पटा।
लेकिन साला तेरा तो पोपट कर दिया आ उस दिन। त मर्द भी है या नहीं बे?"
जय को उस दिन का अप्पड़ याद आता है जो रिया ने उसे लगाया आ। जय कहता है- "हाँ रे साली को कैसे भूल सकता हूँ?
राज- बस तो फिर बदला ले ले उस माल से। लोकल इस बार जबरदस्ती मत करना। साली को धीरे से पटा। फिर त आराम से मजे ले सकता है उसके। वैसे साली हैं एकदम माल। लेकिन मेरी वाला जितना नहीं हैं.."
जय थोड़ा हँसकर- "ठीक है ठीक है। तेरी वाली बड़ी माल बस। लेकिन में उसको अपने लौड़े का गुलाम बनाऊँगा। साली मुझे अप्पड़ मारती है..."
दोनों ऐसे ही बातें करते हैं। इधर हाल में नेहा और उसके सास ससुर बैठकर कुछ बातें कर रहे थे। इतने में मुख्य दरवाजे से रिया अपने हाथ में शापिंग बैंगस लेकर अंदर आती है।
नेहा- अरे रिया कब गई भी शापिंग?
रिया- दीदी बो दोपहर में।
नेहा- अकेली?
रिया- नहीं दीदी। वो सौरभ गये थे साथ में। लेकिन वो उधर से ही आफिस भी चले गये। तो मैं अकेली ही वापस
आ गई।
नेहा- अच्छा।
फिर रिया सबको माइल करते हुए अपने रूम में बैंग लेकर चली जाती है। आज उसने अपने पर्सनल इस्तेमाल
के लिए काफी चीजें खरीदी औ। वो सारे बैंग बेड पर रखती है। उसमें से एक बैंग निकलकर वो बाथरूम में चली जाती है। प्रेश होकर वो बाहर आती है। वो एकदम सेक्सी लग रही थी एक बहुत ही शार्ट नाइट ड्रेस में, जो उसने शापिंग की थी। उसने ये ड्रेस सौरभ से छुपाकर ली थी। ताकी सौरभ को साइज दे सके।
रिया- "याज तो फ्लंट हो जाएंगे मुझे इस ड्रेस में देखकर..." और रिया के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। फिर वी ड्रेस निकलकर वाईसीजे में छुपा देती हैं। फिर एक नाइटी पहन लेती है।
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शाम में सब आफिस से वापस आ जाते हैं। ऐसे ही खाने के बाद रिया और सौरभ अपने रूम में थे। रिया मिरर के सामने बैंठी अपने आपको संवार रही थी। सौरभ बेड पर बैठा हुआ लैपटाप पर कुछ काम कर रहा था।
सौरभ रिया को देखते हुए. "क्या बात है आज मेडम किसलिए तैयार हो रही है?"
रिया उसको स्माइल देते हुए- "अपने पतिदेव के लिए.."
सौरभ- अच्छा... तो मोहतरमा मेरे लिए तैयार हो रही हैं।
रिया- और किसके लिए तैयार होना हैं मुझे?
सौरभ स्माइल करता है उसको। रिया फिर बेड पर आ जाती है। सौरभ अपने काम में बिजी था। रिया उससे चिपक कर बैठ जाती है। सौरभ समझ रहा था के रिमा मूड में है।
रिया- सौरभ अब बस भी करी जा.. क्या तुम इस वक्त एक काम लेकर बैठ गये।
सौरभ- रिया अस थोड़ी देर और .. हो गया।
रिया- आप रख रहे हो या नहीं?
सौरभ- "अच्छा बाबा ठीक है.." और सौरभ लेपटाप बंद करके साइड में रख देता है। सौरभ अब रिय को अपनी बाहों में समेट लेता है तभी।
रिया- "कको रुको एक मिनट... में अभी आई... बोलकर बेड से उतरकर वार्डरोब तक जाकर एक बैंग निकलती है।
सौरभ- क्या हुआ क्या है वो?
रिया उसकी तरफ स्माइल करते हए- "बस एक मिनट... अभी आई.."
फिर रिया बाथरूम में घुस जाती है। थोड़ी देर बाद वो वहीं शार्ट नाइट ड्रेस पहनकर बाहर आती हैं। वो शार्ट
जाइटी उसकी गाण्ड के थोड़ा नीचे तक जा रही थी। उसकी पटी आधी दिख रही थी। और ऊपर भी कुछ वहाँ हाल था। उसकी आधे से ज्यादा चचियां दिख रही थीं।
सौरभ रिया को देखकर औखला जाता है। सौरभ का मुंह खला का खुला रह जाता है। रिया सौरभ को देखकर स्माइल करती है। उसे पता था उसका पति लट्ट हो जायेगा उसको इस ड्रेस में देखकर। फिर रिया बेड पर जाती है। ग्राज जल्दी से उसे अपनी बाहों में ले लेता है। फिर एक-दो घंटे पति पत्नी के बीच प्यार होता है। दोनों चुदाई करते हैं। हालांकी सौरभ का लण्ड बड़ा नहीं था लेकिन रिया उससे संतुष्ट थी। दोनों थक कर फिर सो जाते हैं। अगली सुबह रिया पहले उठती है, अंगड़ाई लेते हए। उसे कल अपने पति का प्यार याद आता है। दोनों के बीच प्यार के साथ-साथ आपसी समझ भी थी। रिया सौरभ के गाल पर किस करती है।
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रिया- सौरभ उठो आफिस नहीं जाना क्या?
सौरभ भी अब जागते हुए, रिया को देखकर उसको बाहों में ले लेता है।
जा
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रिया- क्या कर रहे हो सुबह-सुबह।
सौरभ- अपनी पत्नी को प्यार कर रहा है और क्या?
रिया- रहने दो अब के लिए प्यार। आप तैयार हो जाइए आफिस के लिए देरी हो जायगी।
सौरभ- "आज रहने देता है जा आफिसा घर पर ही रह लेता है... ऐसा बोलकर वो रिया की तरफ शरारती स्माइल करता है।
रिया समझ जाती है सौरभ क्या बोल रहा है? वो भी स्माइल कर के कहती है- "नहीं नहीं बिल्कुल नहीं। आप उठी।
मैं भी फ्रेश होकर आती हैं..."
सौरभ- "मत जाओ ना.."
रिया शर्मा जाती है, और कहती है- "क्या गाज आप भी... उठो जल्दी से.."
सौरभ भी बेड से उतरकर फ्रेश होने चला जाता है। फ्रेश होकर वो दोनों नाश्ता करने चले जाते हैं। नाश्ता करने के बाद मर्द आफिस चले जाते हैं। सब औरतें भी अपने-अपने रूम में चली जाती हैं।
इधर लौकर क्वार्टर्स में।
राज- अबे इस बार संभाल कर। क्योंकी इस बार वो गुस्सा हई ना तो तेरी खैर नहीं।
जय- तू फिकर मत कर। तू देखता जा मैं क्या करता हूँ?
जय फिर उधर से निकलता है। रहमन मुख्य दरवाजा से घर के अंदर जाता है। हाल में कोई नहीं था। उसके लिए अंदर जाना आसान हो जाता है। वो किचेन तक जाता है। वहीं पर नीलू काम कर रही थी। नीलू ने उसे नहीं देखा था। जय उधर से सीढ़ियां चढ़ते हए जाने लगता है। वो इधर-उधर देख रहा था की कोई देख तो नहीं रहा। वो रिया के रूम तक पहुँच जाता है। दरवाजा बाहर से लाक था। जय उसे धीरे से खोलता है। वो अंदर
झै कता है तो अंदर उसे रिया मिरर के सामने तीलिया में दिखती हैं।
असल में रिया अभी-अभी नहाकर निकली थी। जय रिया को सिर्फ तौलिया में देख कर बौखला जाता है। उसका मन तो कर रहा था की अंदर जाए और रिया का रेप कर दे। लेकिन उसे ये भी पता था की अगर बी जल्दबाजी करेगा तो उसके हाथ यह तीखी मिची नहीं आने वाली।
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अंदर रिया अपने बाल सुख्खा रही भी हेयरड्रायर से। उसके खूबसूरत चेहरे पर अभी भी पानी की कुछ बँदें थी। और उसके भीगे हुए बाल बस वहाँ सेक्सी माहौल बना रहे थे। तौलिया में उसका गोरा बदन और निखर रहा था। उस तौलिया में उसकी गोरी जांघे और निखर कर दिख रही थी।
जय का लौड़ा उसके पेंट में खड़ा हो चुका था।
रिया को नहीं पता था की बाहर एक गंदा बट्टा ड्राइवर उसको ताड़ रहा है। रिया अब मिरर से हटकर अपने
वाईटरोब में कुछ दैदने लगती हैं। उधर से वो एक साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज़ निकालती है। अब वो मिरर की तरफ घूमकर अपना तौलिया ड्राप कर देती है। अब वो सिर्फ पिंक पैंटी और ब्रा में थी। रिया को इस हालत में देखकर जय की हालत बुरी हो रही थी। इतनी गोरी और खूबसूरत औरत उसने कभी नहीं देखी थी, वो भी इस हालत में। रिया की चूचियां उस ब्रा में पूरी तरह से नहीं समा रही थी, और उसकी पेंटी भी उसकी गाण्ड को फरी तरह से नहीं कवर कर रही थी, क्योंकी वो एक डिजाइनर ब्रा और पेंटी भी।
जय बाहर से अब अपना लण्ड मसलने लगता है।
रिया अपने हुस्न को मिरर में देखकर स्माइल कर रही थी। उसे भी पता था की वो कितनी खूबसूरत है। वो
अपने आपको मिरर में बिहार रही थी। फिर वो अपना ब्लाउज पहनती हैं।
जय उधर से सब देख रहा था।
अब रिया अपना बल्लाउज़ पहनने लगती हैं। वो एक बैंकलेश लाउज़ भी। उसके पीछे से एक पतला हक था जो लगाना था। लेकिन रिया का हाथ नहीं पहुँच रहा था। वो ब्लाउज़ और पेटीकोट में मस्त लग रही थी। जिसे देखकर किसी का भी ईमान डोल जाए। वो एक बटे ड्राइवर के सामने थी। रिया वो हक लगा रही थी। लेकिन उससे नहीं हो रहा था।
जय रिया की गोरी नंगी पीठ देख रहा था। उसे तो मजा आ रहा था रिया को ऐसे देखकर। रिया के चेहरे पर स्ट्रैप न लगा पाने की निराशा दिख रही थी।
रिया- "ओह नहीं... अब इसे कैसे लगा? किससे कह?" और रिया ट्राई किए जा रही थी।
इधर जय कुछ सोचकर दरवाजे से अंदर जाने लगता है। रिया की पीठ उसकी तरफ थी इसलिए वो जय
को देख नहीं पाती। ट्राई करते हुए रिया मिरर से दूर भी। जिसकी वजह से वो मिरर से भी जय को नहीं देख पाई। जय रिया के नजदीक चला जाता है। रिया अभी भी बेखबर भी जय के उसके पीछे होने के। जय रिया के इतना करीब पहुँचकर नशा सा महसूस कर रहा था। इतनी खूबसूरत औरत के करीब वो कभी नहीं गया था। उसके सामने रिया की गोरी पीठ थी, जो बिल्कुल नंगी थी। सिर्फ ब्रा की स्ट्रैप नजर आ रही थी। जय अब उस ब्लाउज़ की डोरी धीरे से पकड़ता है, और धीरे से दोनों मिलाकर लगाने लगता है। तभी उसका काला हाभ रिया की गोरी पीठ से लगता है।
 
रिया चौंक कर एक बार के लिए उछलती है। रिया झट से घूमती है, और इस गंदे बटे को देखकर हैरान रह जाती है। रिया जय को देखकर गुस्सा हो जाती है। उसे याद आता है जब इसी आदमी ने उसके साथ बदतमीजी की भी कुछ दिन पहले। और आज उसकी इतनी हिम्मत हो गई की वो उसके रूम तक आ गया।
रिया- "बदतमीज तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की?" वो गुस्से में बोलती है।
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जय- "वो में मदद करने आया था तुम्हारी." जय रिया को बिल्कुल भी इज्जत नहीं दे रहा था।

रिया- क्या? मदद कैसी?
जय- तुम्हारी ब्लाउज़ की डोरी लगाने में मदद।
रिया ये सुनकर हैरान रह जाती हैं। कैसे एक बट्टा ड्राइवर उसके साथ खुलकर बातें कर रहा था वो भी उसी के घर में। रिया कहती है- "पागल हो क्या तुम? तुम निकलो बाहर."
जय- "डोरी लगाने देना...
रिया गुस्सा हो जाती है- "मैंने कहा निकलो यहाँ से." और इस बार रिया और ज्यादा गुस्से में बोलती है।
जय- एक बार लगाकर चला जाऊँगा मैं।
रिया- तुम ऐसे नहीं मानोगे?
रिया अब चिल्लाने ही वाली ही थी की जय उसके खूबसूरत चेहरे पर हाथ रख देता है। उसके हाथ रिया क मुँह बंद किए हए । वो रिया को अब वैसे ही पकड़कर दीवार से सटा देता है। रिया हरी हई जय को देखने लगती है। उसके गोरे चेहरे पर जय के काले हाथ एक अलग ही माहौल बना रहे थे। जय अपने गंदे दांत निकलकर स्माइल कर रहा था। जिसे देखकर रिया की आँखों में गुस्सा साफ नजर आता है। रिया जो अभी भी
आधी खुली ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी। अब जय की गिरफ्त में थी।
जय- तूने मुझे उस दिन थप्पड़ मारा था ना? देख उस दिन का बदला में कैसे लेता हूँ?
रिया ये सुनकर थोड़ा दूर जाती हैं।
जय के हाथ एक पल में रिया की चचियों पर चले जाते हैं। उस बूढ़े के हाथ अपनी चूचियों पर पड़ते ही रिया की आँखें बंद हो जाती हैं। हालांकी उसे घिन आ रही थी यूँ एक गंदे बुड्ढे के उसकी चूचियां दबाने से। लेकिन जय के सामने उसकी उतनी ताकत नहीं थी की वो खुद को छुड़ा सके। जय रिया की चूचियां हल्के से दबा रहा था। रिया खुद को नहीं छुड़ा पा रही थी जय को मजबूत पकड़ से। जय अब चूचियां दबाना बंद करता हैं, और उसको छोड़ भी देता है।
 
रिया अपनी आँखें खोलती हैं।
रहों- मस्त हैं मक्खन जैसे।
रिया ये सुनकर शर्म से लाल हो जाती है। उसे पता था की जय उसकी चूचियों के बारे में बात कर रहा है। रिया उसकी तरफ गुस्से से देखने लगती है। दोनों थोड़ी देर शांत रहते हैं। फिर जय रिया के दोनों हाथ
पकड़कर दीवार से लगा देता है।
रिया ये उम्मीद नहीं कर रही भी। रिया को जय पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
जय रिया के गोरे हाथ अपने काले हाथों में पकड़ कर दीवार से सटाए हुए आ, और अपनी कमीनी स्माइल रिया को दे रहा था।
रिया- कमीने छोड़ो मुझे।
जय कुछ नहीं बोलता। बस उसके कोमल गोरे हाथ दीवार से सटाए हुए रहता है। रिया की धड़कनें तेज चल रही भी इस वक्ता हो भी क्यों ना? वो इस वक्त एक गंदे बुद्ध के साथ उसी के आलीशान रूम में पेटीकोट और ब्लाउज़ में खड़ी थी। रिया जय की पकड़ से निकलने की लाख कोशिश कर रही थी।
रिया- छोड़ो मुझे। वरना मैं चिल्लाऊँगी।
जय- तो चिल्ला। बदनामी तेरी ही होगी सोच ले।
रिया- मेरी क्यों बदनामी होगी? बदतमीजी तुम कर रहे हो मेरे साथ।
जय- वो तुम बोल रही हो। कोई सबूत है तुम्हारे पास?
रिया सोच में पड़ जाती है की ये अदा क्या बोल रहा है? फिर कहती हैं- "तुम मुझे छोड़ते हो या मैं चिल्ला?"
लेकिन रिया बोल जर रही थी की वो चिल्लाएगी पर वो चिल्ला नहीं रही थी। क्योंकी उसे भी पता था की इस बटे के साथ-साथ उसकी भी इज्जत चली जाएगी।
जय- चिल्ला ना?
रिया कुछ नहीं बोलती। बस उसकी तरफ गुस्से से देखती रहती हैं।
जय अब अपना गंदा मुँह रिया के खूबसूरत चेहरे की तरफ बढ़ाता है। रिया को उसके मुँह से गंदी बदबू आ रही थी। रिया को समझ में आ जाता है की ये ठकी बूदा क्या करना चाहता है? रिया उसके करीब आते ही
अपना मह दूसरी तरफ कर लेती है। जय उसके गले को अपनी जुबान से चाटता है।
रिया को अजीब लगता है, वो कहती हैं- "ओह दूर रहो मुझसे कमीने..."
जय- ऐसे कसे? तुझे में इतनी आसानी से छोड़ने वाला नहीं हूँ। तुझे तो मैं अपनी बनाकर रहूँगा।

रिया ये सुनकर जय की तरफ गुस्से से देखती है, और कहती है- "तुम्हारी शकल देखी है तुमने आईने में?"

जय- तू फिकर मत कर। कुछ दिन बाद तू खुद इस गंदी शकल को अपनी मर्जी से चूमेगी।

रिया- हरगिज नहीं। ऐसा कभी नहीं होगा।

जय- "बस देखती जा...' कहकर जय फिर से उसके गले को चूमने लगता है।

रिया के हाथ जय की पकड़ में थे तो वो हिल भी नहीं पा रही थी। जय अपनी जबान रिया की गोरी गर्दन पर चला रहा था। आज तक रिया के पति ने भी उसके साथ ऐसा नहीं किया था।

जय जानता था ये बड़े घर की लड़कियां गरम जल्द हो जाती हैं। क्योंकी उनको असली मर्द वैसे भी मिलते नहीं हैं। और जय अब रिया को गरम करना चाह रहा था। रिया के गले को चूम रहा था बिना रुके। काफी देर ऐसे करने के बाद रिया का जिस्म उसका साथ छोड़ने लगता है, और रिया की सिसकारियां निकलने लगती हैं।

रिया- "कमीने छोड़ मझे..."

जय को रिया के जिस्म से आ रही महक पागल बना रही थी। ऊपर से रिया का गोरा बदन। रिया का विरोध भी कम हो रहा था। रिया की आँखें अधखुली थीं। अब जय रिया के चेहरे को चूमने लगता है। जगह-जगह वो अपनी गंदी थूक रिया के खूबसूरत चेहरे पर लगा रहा था।
अब वो थोड़ा आगे होकर उससे और चिपक जाता है, तो उसका खड़ा लौड़ा रिया को अब अपने आगे चुभने लगता हैं।

रिया को पता था की वो क्या है। लेकिन वो विरोध करने की हालत में नहीं थी। तभी रिया के मोबाइल पर रिंग होती है। रिया अपने मोबाइल की तरफ देखती है जो साइड टेबल पर पड़ा हुआ आ। जय रिया को देख रहा था के वो क्या बोलेगी?

रिया- "छोड़ो मझे.." और अब रिया उसे गुस्से से बोलती हैं।

लेकिन जय जवाब दिए बिना उसे देखते रहता है।

रिया- तुम पागल हो क्या? छोड़ो मेरा हाथ।

तभी बाहर से रिया को कोई पुकारता है।

रिया अब डर जाती है की किसी ने अगर उसको इस हालत में इस बटे के साथ देख लिया तो क्या सोचेगा?
 
जय उसका हाथ छोड़ देता है। रिया झट से अपना मोबाइल जाकर देखने लगती है। रिया मोबाइल देख ही रही थी कि जय पीछे से उसकी गाण्ड फा एक थप्पड़ मार कर कहता है।
जय- "जा रहा हूँ। लेकिन जल्द ही मिलूँगा..' और जय चला जाता है।

रिया- कमीना इसकी इतनी हिम्मत? इसे तो मैं छोड़ूँगी नहीं। लेकिन मैं कहूँगी क्या? इससे तो मेरे चरिन्न फा भी उंगलियां उठेंगी। कहा फंस गई?
इधर जय नौकर क्वार्टर्स में पहुंच जाता है।
राज- आ गया। क्या हुआ बे? फिर से मार खाकर तो नहीं आया?
जय हसकर- "साली की गाण्ड पर थप्पड़ मारकर आ रहा है। तू देखता जा उसकी गाण्ड में कैसे मारता है?"
राज. "शाबाशा मेरे शेर... लगा रह। दोनों बहुओ की बैंड बाजा देंगे हम दोनों.." फिर दोनों हँसते हैं।
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रिया अपने रूम में लेटी हुई जय की हरकतों के बारे में सोच रही थी। उसे अजीब सा लग रहा था की एक
गंदा बढ़ा उसके साथ इतना खुलकर गंदी हरकत कर रहा था। वो वहीं सोच रही थी।
इधर नेहा अपने रूम में प्रेश होकर नीचे जाने के लिए तैयार भी। वो कहीं पर जा रही थी तैयार होकर। उसने बैंकलेश साड़ी पहनी थी। उसकी पीठ काफी नंगी दिख रही थी। आगे से उसका गोरा पेट भी दिख रहा था। ऊपर से उसका खूबसूरत चेहरा। बस कयामत ढा रही भी नेहा। वो तैयार होकर नीचे जाती है। वो मोबाइल पर विशाल को काल लगाती है।
नेहा- हेलो विशाल कहां हो? मैं तैयार है।
विशाल- नेहा रियली सारी। मैं नहीं आ पाऊँगा। एक क्लाइंट के साथ बिजी हो गया है में। बेरी सारी।
नेहा- "क्या विशाल... तुम हमेशा ऐसा करते हो..." और नेहा गुस्सा हो जाती है विशाल से।
विशाल- सारी बेबी। तुम एक काम करो। जितना शापिंग करना है करो। मैं ड्राइवर को भेज देता हूँ।
नेहा- मुझे नहीं जाना अब्बा
 
विशाल- प्लीज़... नेहा समझा करो। और तुम जाओ प्लीज़... मेरे लिए
नेहा- मैंने कहा ना मुझे नहीं जाना।
विशाल- नेहा, अगली बार जरूर साथ में चलेगा। इस बार चली जाओ।
नेहा कुछ नहीं बोलती।
विशाल- "नेहा प्लीज़..."
नेहा- ठीक है। इस बार के लिए जा रही है। अगली बार ऐसा हुआ ना तो फिर देखना तुम?
विशाल- अगली बार ऐसा नहीं होगा। में ड्राइवर भेज देता हूँ।
नेहा- ठीक है।
फिर दोनों काल खतुम करते हैं। नेहा वहीं सोफे पर बैठ जाती है इंतजार करते हुए। आधे घंटे बाद बाहर कार की हार्न होती है। नेहा बाहर चली जाती है।
जब वो कार के पास पहुँचती है तो कार ड्राइवर राज को देखकर हैरान रह जाती है। नेहा सोच रही थी राज कैसे आ गया आफिस हाइका को जगह। असल में विशाल ले हो राज को भेजा था। नेहा राज की तरफ देखती है। राज अपने गंदे दाँत दिखाकर उसे स्माइल दे रहा था। नेहा वहीं खड़ी रहती है। इतने में राज कार से उतरता है, और दूसरी साइड से जाकर दरवाजा खोलता है।
राज नेहा की तरफ देखते हुए- "आ जा मेरी जान.."
नेहा उसे हैरत से देखती है। उसे पता था की राज कैसा है। नेहा कहती हैं- "तुम यहां क्या कर रहे हो?"
राज- "साहब ने भेजा हैं आपकी जररत पूरी करने के लिये..." बोलकर वो अपना लण्ड पेंट पर से मसलता है।
नेहा उसे देखती रह जाती है- "बेशर्म कहाँ के... क्या कहा?"
राज. वही जो तूने सुना मेरी बुलबुल। मैं यहां मेरी गर्लफ्रेंड को घुमाने ले जाने आया है।
नेहा के चेहरे पर स्माइल आ जाती हैं। नेहा मन में- "कमीना घुमाने ले जाने आया है। शकल देखी नहीं शायद
आईने में अपनी। बड़ा आया बनने मेरा बायफ्रेंड..."
नेहा- "मुझे कहीं घूमने नहीं जाना। जि बोला है वो ही करो..." और नेहा पिछला दरवाजा खोलकर बैठ जाती है।

राज- आगे बैंठो ना मेरी जान।
नेहा- नहीं नहीं मुझे नहीं बैठना वहां।
राज थोड़ा मायूस होकर ड्राइवर सीट पर चला जाता है। फिर कार गेट से बाहर निकला जाती है। राज कार झाइका करके हाइवे पर आ चुका था। नेहा चुपचाप बैठी हुई थी। वो कभी-कभी राज को देख रही थी। राज वा बात जानता था। लेकिन वो कुछ बोल नहीं रहा था। दोनों ऐसे ही चुप बैठे थे।
आखीरकार, राज खामोशी तोड़ता है- "आज क्या स्पेशल लेने जा रही है मेरी गर्लफ्रेंड
नेहा- तुमसे मतलब?
राज. तुमसे मतलब... तु मेरी गर्लफ्रेंड है। तेरा सब मतलब मेरे से होना चाहिए मेरी जान।
नेहा- नहीं नहीं मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं है।
राज- अच्छा? चुदाई से भी नहीं?
नेहा शर्म से लाल हो जाती है कीम के चुदाई का जिकर करते हो। नेहा राज की बात का जवाब भी नहीं देती।
राज- बोल मेरी बुलबुल, है ना चुदाई से मतलब तुझे?
-
-
-
नेहा- प्लीज़... राज ऐसी बातें मत करो।

- चल ठीक है अपनी गर्लफ्रेंड के लिए कुछ भी। लेकिन एक बात बता? फिर से कब चोदने देगी मझे। तेरे साथ चुदाई करके मजा आ जाता है कसम से। क्या साथ देती है त। क्या चमती है त। तेरी चूत में जो मजा है ना वो किसी के साथ नहीं।
नेहा को राज की बातें सुनकर बहुत शर्म आ रही भी। लेकिन वो जवाब नहीं देती है।
राज- बोल ना।
नेहा- मुझे नहीं पता। तुम अपना काम करो ना।
राज- कौन सा काम?
नेहा उसकी तरफ देखते हुए- ड्राइवर हो तो ड्राइविंग करो। दूसरी बातें मत करो..' बोलकर वो स्माइल करती है।
राज- "अच्छा ठीक है... और थोड़ी देर बाद कार एक बड़े से माल तक पहुँच जाती है।
 
उधर जय नौकर क्वार्टर्स में अपना लौड़ा मसल रहा था, रिया के गोरे जिम के बारे में सोचते हए।
जय- साली ने लौड़े में दम करके रखा है। जल्द चोदना होगा उसको। वरना में पागल हो जाउँगा। नहीं नहीं जल्दबाजी करने का कोई मतलब नहीं है। साली को अपनी रखेल बनाकर रखना है। थीड़ा सबर तो करना पड़ेगा।
जय नौकर क्वार्टर्स में से निकल पड़ता हैं रिया के साथ एक और चान्स मारने के लिए। वो मुख्य दरवाजे से
अंदर जाता है। यह दोनों बड़े आराम से घर में अंदर-बाहर आ जा रहे औं। घर वालों को इसकी फिकर ही नहीं भी जैसे। लेकिन उनको क्या पता को ये दोनों ट्रे घर को दोनों खूबसूरत बहुओं को ठोकने में लगे हुए हैं।
जय हाल में से होकर किचेन तक जाता हैं। वहीं नीलू नहीं थी। वो वहीं छप कर रिया के कहीं से दिख जाने
का इंतजार करने लगता है। काफी देर हो जाती हैं रिया उसे नहीं दिखती।
जय- "पता नहीं साली किधर है"
उधर का माहौल एकदम शांत आ। जय के गौर से सुनने से किसी के बात करने की आवाज आती हैं।
जय- ये आवाज जानी पहचानी है।
जय उस आवाज की तरफ जाने लगता है। आवाज सादियों की तरफ से आ रही थी। वो उधर जाने लगता है। जब वो पहले माले तक पहुँचता है उसे रिया छत पर जाते हुए दिखती है किसी से मोबाइल पर बातें करते हुए।
जय- ओहो तो ये हैं। सही टाइम पर मिली है रंडी।
जय उसके पीछे पीछे जाने लगता है छुपते छुपाते। छत पर रिया पहुँच चुकी थी। छत कुछ हद तक बड़ी थी।
वहां पर कुछ पुरानी चीजें रखी हुई थी। वहां पर एक बड़ा सा पानी का टैंक भी था, और एक स्टोर रूम बना हुआ था। रिया फोन पर बात करते हुए उधर ही टहल रही थी। जय भी थोड़ी देर में पहुँच जाता है। वो अभी भी छपकर था। जय को सूझ नहीं रहा था की वो कैसे स्टार्ट करे। रिया की पीठ उसकी तरफ भी। वो मोबाइल में इतना बिजी थी की उसे पता नहीं था की जय यहाँ पर हैं। इधर जय कुछ सोचता है। वो छत का दरवाजा बंद करके वहीं पर खड़ा हो जाता है। रिया को दरवाजा बंद होने की आवाज आती है। इसलिए वो अब घूम जाती है। जय को देखकर वो डर जाती है। जय अपने गंदे दाँत निकालकर स्माइल कर रहा था। रिया काल कट करती है।
रिया- ये क्या बदतमीजी है। दरवाजा क्यों बंद किया तुमने?
जय- "थोड़ा मस्ती करने के लिये मेरी रांड़.." जय के मुँह से रांड़ सुनकर रिया गुस्सा हो जाती है।
.
रिया- "तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुम मुझे रांड़ बोलो?

जय- हाँ मेरी रांड़।
रिया गुस्सा भी। उसके चेहरे पर गुस्सा साफ-साफ जाहिर था। जय अब अपना लण्ड अपनी गंदी सी पेंट के ऊपर से मसलने लगता है। जिसे देखकर रिया दूसरी तरफ मुँह कर लेती है। रिया को घिन आ रही भी इस मंजर
से। वो नीचे जाना चाहती थी लेकिन जय दरवाजे पर ही खड़ा था।
रिया- "हटी उधर से मुझे जाना है." रिया दूसरी तरफ मुँह करके बोलती है।
जय- थोड़ा रुक जा फिर चली जाना।
रिया अब इधर देखते हुए- "मैं क्यों रुकू? मुझे नहीं रुकना तुम हटो..."
जय उसकी तरफ बढ़ने लगता है। रिया दूर जाती है। जय को उसकी तरफ बढ़ता देखकर। रिया ने साड़ी पहनी हुई थी। उसकी गोरी कमर काफी विजिबल भी। रिया के चेहरे पर टेन्शान के भाव थे, जय को अपनी तरफ आता देखकर।
रिया अब पीछे जाने लगती है। रिया पीछे जाते हुए पानी की टंकी से लग जाती है। अब वो और पीछे नहीं जा
सकती थी। जय उसके पास पहुँच जाता है। रिया को पशीना आने लगा था ये सोचकर को अब ये उसके साथ क्या करेगा?
जय अब रिया के बेहद करीब आ जाता है। रिया खौफ में जय की आँखों में देखने लगती हैं। तभी जय रिया के गोरे हाथ अपने हाथों में पकड़कर दीवार से सटा देता है, और अपना बदसूरत चेहरे उसके खूबसूरत चेहरे
के करीब ले जाता है। रिया के होंठ कांप रहे थे जय की हरकतों से।
रिया- दूर रहो मुझसे।
जय उसकी ठोड़ी को उठाता है और अपने काले होंठ रख देता है उसके गुलाबी होंठों पर। जय को ठीक तरह से किस करना नहीं आता था। ची अनाड़ी था। वो इधर-उधर रिया के होठों को चूस रहा था, बिल्कुल अनाड़ी की तरह। जिससे रिया को भी तकलीफ हो रही थी। रिया उसे युद्ध से दूर हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी ताकत के सामने रिया की कुछ भी नहीं चल रही थी।
दो मिनट बाद जय किस तोड़ता है। उसके काले होंठों पर रिया की पिंक लिपस्टिक लगी हुई औ। जगह-जगह। जिसे देखकर रिया शर्म से लाल हो जाती हैं। वो हॉफ भी रही थी उसके बरे किस की वजह से। जय अब रिया
के हाथ छोड़कर उसकी चूचियां पकड़ लेता है, और हल्के-हल के दबाने लगता है।
रिया- आह्ह... छोड़ कमीने।
जय- इतने आसानी से तुझे छोड़ने वाला नहीं है मैं समझी। तुझे मेरी बनना पड़ेगा हमेशा के लिए।
 
रिया- प्लीज मुझे छोड़ दो। मैं कभी वैसा नहीं करेंगी दुबारा।
जय- "दुआरा करने की जररत पड़ेगी भी नहीं तुझे ..' बोलकर जय उसका ब्लाउज़ पीछे से खोल देता है।

रिया अपना हाथों से अपनी चूचियों को खुलने होने से बचाती हैं।
जय- हाथ हटा अपने।
रिया- मैं नहीं हटाऊँगी।
रिया का ब्लाउज़ उसके हाथों के सहारे था। जय स्माइल करते हुए उसके करीब जाता है, और उसके होंठों पर
अपनी उंगली रखता है।
जय- हटा अपना हाथ।
जय अब अपनी उंगली उसके होंठों पर फेर रहा था। जिससे रिया को एक अजीब सौ फीलिंग आ रही थी। रिया भी उसे देखने लगती है। रिया की आँखें अब जय के ऐसा करने से मदहोश होने लगती हैं। जय धीरे से उसके हाथ उसकी छाती पर से हटाता है। रिया उसको नहीं हटाने देती है। जय फिर से ट्राई करता है। इस बार भी वो नहीं हटाती। जय अब रिया के दोनों होंठों पर अपनी गंदी उंगली फेरने लगता है। रिया को जैसे नशा हो रहा था। उसकी आँखें बंद होने लगती है।
जय अब फिर से ट्राई करता है। इस बार रिया विरोध नहीं कर पाती, और रिया का ब्लाउज़ नीचे गिर जाता है। अब रिया ऊपर से सिर्फ ब्रा में भी। ब्रा में उसकी गोरी चूचियां कैद औं। इतने गोरे बदन की औरत जय ने सपने में भी नहीं देखी भी। जय तो जैसे पागल हो रहा था रिया की खूबसूरती देखकर। उसे पता आ अगर ये परी उसके नीचे आ गई तो उसके मजे ही मजे हैं।
जय अब उसके होंठों पर से उंगली हटा लेता हैं और अपने काले होंठ उसके गुलाबी होठों पर रख देता है। रिया ये उम्मीद नहीं कर रही थी । जय उसे अजीब सा किस कर रहा था। वो ठहरा गाँव वाला उसे किस
करना बिल्कुल नहीं आता था। जय अञ्च किस करते ह रिया की ब्रा के अंदर हाथ डालकर उसकी चूचियां दबाने लगता है।
जय की हरकतों से न जाने क्यों रिया की चूत गीली हो रही थी। ऐस्सा अहसास उसे कभी नहीं हुआ था। खुद उसके पति के छने से भी उसकी चूत गीली नहीं हुई थी। आज इस काले बूढ़े के छने से उसकी चूत रस छोड़ रही
थी। खुद रिया को भी अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था।
जय के हाथ रिया के निपल को भी मसल रहे थे। रिया को अब जय के किस से तकलीफ हो रही थी तो
अपना मुँह हटाने की कोशिश कर रही थी। जय भी उसे फोर्स ना करते हुए किस तोड़ता है। लेकिन वो अपने हाथ उसकी ब्रा के अंदर रखता है। जय के हाथ रिया को चूचियों को जैसे गंध रहे थे।

जय- आह्ह... क्या चूचियां हैं तेरी। मेरी औरत से तो बहुत टाइट हैं।
रिया के लिए ये शर्म से लाल होने के लिए काग आ। वो अपना सिर झकार भी। बी एमोशन के साथ बह रही थी। जो थोड़ी देर पहले विरोध कर रही थी अब उसका जिस्म उसका साथ नहीं दे रहा था। जय अब रिया के पीछे हाथ लेजाकर उसकी ब्रा का हक निकालने लगता है। तभी उसे रिया रोकती है।
रिया- प्लीज़... नहीं ऐसा मत करो। मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? क्यों मेरी लाइफ बर्बाद करना चाहते हो?
जय- तेरी गलती ये है की तूने मुझे थप्पड़ मारा। अब उस गलती की सजा भुगत।
रिया अपनी गलती को कोसने लगती है। लेकिन वो भी जानती थी की जय जो भी कर रहा है वो गलत है।
अब जय ब्रा का हुक निकाल देता है। रिया अपनी ब्रा नीचे गिरने से बचा रही थी।
जय- अपनी ब्रा छोड़, वरना नीचे से भी नंगी कर दूंगा।
रिया ये सुनकर उसकी तरफ गुस्से से देखता है, और कहती है- "तुम समझते क्या हो खुद का?"
जय- तेरा आशिका
रिया- "आशिक माइ फुट... दूर हटो मुझसे..." और रिया उसको खुद से दूर हटाने लगती है।
तभी जय उसकी साड़ी नीचे से उठाने लगता है।
रिया. प्लीज... नहीं।
-
जय- तो छोड़ अपनी ब्रा।
रिया को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे। आखीरकार, हालात के सामने वो हार मान लेती है
और अपनी सा छोड़ देती हैं। जय एकदम से उसकी ब्रा निकाल फेंकता है साइड में। जय के सामने अब रिया की गोरी गोरी चूचियां बिलकुल नंगी थी, और उसपर पिंक कलर के निपल। बस कयामत लग रहीं भी रिया उस वक्त।
जय के मुँह में पानी आ जाता है रिया की गोरी मस्त चूचियां देखकर। रिया अपना चेहरा दूसरी तरफ किए हए खड़ी थी। उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था की वो इस हालत में एक बूढ़े के सामने खड़ी है। जय एक
बार रिया के चेहरे की तरफ देखता है, और फिर टूट पड़ता है उसकी गोरी चूचियों पर। जय रिया की चूचियां अपने मुँह में लेकर चूस रहा था एक-एक करके।
रिया- "अहह....

ये पहली बार था की किसी ने उसकी चूचियां चूमी थी। सौरभ सिर्फ उसकी चूचियां दबाता था। वो भी प्यार से। पता नहीं क्यों लेकिन रिया को जय का ऐसा करना एक अजीब अहसास करा रहा था।
 
जिंदगी में इतनी खूबसूरत चूचियां नहीं देखी थी। उसकी बीवी की तो काली थी। जिसे वो चूसकर थक चुका था। लेकिन रिया थी जवान और खूबसूरत। उसका मजा ही अलग था। रिया अब तक दो बार आलरेडी झड़ चुकी थी। चूचियां चूसते चूसते एक बार जय उसका एक निपल अपने दाँत से काटता है जिससे रिया को दर्द होता है।
रिया- हाय कमीने कहीं के।
गृहमाज मश्कराता है. और करता है
ता है, और कहता है- "क्या करंग तेरी चूचियां हैं ही इतने मस्त की रहा नहीं जाता..."
रिया कुछ नहीं बोलती।
जय का लण्ड पेंट में रोड की तरह सख्त हो चुका था। उसे अंदर रखने में अब जय को परेशानी हो रही
थी। वो अब रिया की चूचियां छोड़ता है। रिया जल्दी से अपनी चूचियां अपने हाथों से छुपा लेती है। जय अब अपनी पेंट की जिप खोलने लगता है। जिसे देखकर रिया दूसरी तरफ देखने लगती है शर्म के मारे। जय अपना काला मोटा लौड़ा बाहर निकालता है जो दिखने में ही गंदा लग रहा था। इसने भी राज की तरह खतना नहीं करवाया था। चमड़ी लण्ड के टोमे के ऊपर तक थी। जय अपना लण्ड हाथ में पकड़कर रिया को इस हालत में देखकर हिलाने लगता है।
रिया इधर घूमी हुई। उसे नहीं पता था की जय क्या कर रहा था?
जय- हाय क्या जिाम है तेरा एकदम गोरा।
रिया को कछ आवाज आती हैं, जैसे हिलने की। रिया जय की आवाज से उसकी तरफ देखती हैं तो हैरान रह
जाती है उसका बड़ा काला लौड़ा देखकर। रिया झट से अपनी नजर घुमा लेती हैं।
जय- देख ले कैसा है मेरा लण्ड? खूब मजे देगा तुझे।
रिया की हालत खराब भी जय की बातें सुनकर। दोनों अब ऑड़ा दूर खड़े थे। रिया अपनी चूचियां कवर किए हुए और जय अपना लण्ड पकड़े हुए। जय से रहा नहीं जा रहा था रिया की खूबसूरती देखकर। तभी वो उसकी तरफ बढ़ता है।
लेकिन अचानक रिया के मोबाइल पर किसी का काल आता है। रिया का मोबाइल उसके हाथ से नीचे गिरा हुआ
आ। रिया नीचे देखता है और उठाने के लिए नीचे झकती हैं। तभी उसकी चूचियां फिर से लटक जाती हैं। जय को ये दृश्य देखकर बड़ा मजा आ रहा था।

रिया मोबाइल पर अपने पति का काल देखकर डर जाती है। उसके चेहरे पर दूर साफ नजर आ रहा था। हो भी क्यों ना। वो इस वक्त छत पर आधी नंगी खड़ी है, एक बड़े काले ड्राइवर के सामने। रिया झट से काल उठाती है। अपने एक हाथ में मोबाइल पकड़े हुए और दूसरे हाथ से अपनी चूचियां छुपाने की कोशिश करते हुए।
रिया- हेलो सौरभ।
सौरभ- ही रिया, मैं अभी 5 मिनट में घर आ रहा है। तुम तैयार होकर रहना। एक काम है।
रिया- कैसा काम सौरभ?
सौरभ- "तुम खुश हो जाओगी। तुम सवाल मत करो। इस तैयार हो जाओ..." और सौरभ काल खतुम कर देता है।
रिया काल खतुम करके अपनी ब्रा और बलाउज़ उठा लेती हैं, और ब्रा पहन लेती है।
जय जो तब से इनकी बातें सुन रहा था, कहता है- "कहां जा रही है?"
रिया- तुमसे मतलब? में कोई तुम्हारी बीबी नहीं हूँ जो तुम पूछो उसका जवाब दूं?
जय- तो बन जा मेरी बीवी।
रिया- चुप करो।
जय- "तू ऐसे नहीं मानेगी?" और वो रिया की तरफ बढ़ने लगता है।
रिया- प्लीज़... मत को फिर से। मेरे पति घर आ रहे हैं। प्लीज़... मुझे जाना है।
जय- तु नहीं जा सकती।
रिया- क्यों?
जय- नहीं मतलब नहीं, समझी।
रिया- "प्लीज़... क्यों मुझे परेशान कर रहे हो। जाने दो मुझे प्लाज़्ज़.."
जय कुछ सांचकर- "ठीक है लेकिन एक शर्त पर?"
रिया- शर्त... कैसी शर्त?
जय- तुझे मेरे को चुम्मा देना होगा।
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रिया ये सुनकर चकित रह जाती है, और कहती है- "मैं वो नहीं करने वाली। बिल्कुल नहीं.."
जय- ठीक है तो फिर तू यहाँ से भी नहीं जाने वाली।
रिया- "प्लीज़... क्यों तुम ऐसा कर रहे हो मेरे साथ?" और रिया को एहसास होता है की टाइम जा रहा था। रिया कुछ देर इंतजार करके उधर से भागने की कोशिश करती है।
तभी जय उसे पीछे से पकड़ लेता है।
रिया- छोड़ो मुझो।
जय- मुझसे चालाकी?
रिया- प्लीज... जाने दो।
जय- चुम्मा दे।
रिया समझ नहीं पा रही थी की क्या करे? तभी बाहर नीचे से कार का हान होता है। रिया बोली- "ओह नहीं...
सौरभ आ गये प्लीज़... कमाने छोड़ मझे.." और रिया उसकी पकड़ से छुटने की कोशिश कर रही थी।
-
जय- देख अब तो तेरा पति भी आ गया। जल्दी कर।
रिया के पास अब कोई चारा नहीं था। यह बात जय भी जानता था। वो रिया को छोड़ देता है। रिया लाचार होते हए जय की तरफ घूमती हैं। जय का बदसूरत चेहरा देखकर उसे जैसे उल्टी आ रही थी। जय उसे अपने गंदे दाँत निकालकर स्माइल करके दिखा रहा था।
-
 
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रिया झझक रही भी उसे किस करने में। तभी उसके मोबाइल पर फिर से उसके पति का काल आता है। वो समझ जाती है की सौरभ रूम में आ चुका है। अब तो रिया के पास बिल्कुल भी कोई चारा नहीं थी। रिया झट से अपनी आँखें बंद करती है और जय के काले होंठों पर अपने गुलाबी होंठ रख देती है, और किस करने लगती है ऊपर से हो।

जय जानता था रिया का किस बिल्कुल मॉर्डन है, उसकी तरह नहीं अनाड़ी की तरह। रिया के किस के जोश में जय रिया के चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ खींचता है। रिया को अब तकलीफ हो रही थी सांस लेने में। एक मिनट किस करने के बाद रिया जैसे तैसे किस तोड़ती है और हाँ फते हुए अपने होंठ अपने हाथों से पोंछने लगती है। क्योंकी उसने अभी-अभी एक गंदे बढ़े के काले होंठ को किस किया था।

जय खुश था रिया के खुद उसको किस करने से।

रिया जल्दी से अपनी ब्लाउज़ पहनकर खुद को ठीक करती हैं और वहाँ से भाग जाती है।

जय. "साली अभी तेरे साथ बहुत कुछ करना बाकी है। मुझसे पंगा लेती है। देख मैं तेरी क्या हालत करता
-
इधर रिया भाग भागकर रूम में जाती है। वहीं सौरभ काल कर रहा था उसी को।

रिया- राजा

सौरभ- रिया तुम कहां हो यार। कब से काल लगा रहा हूँ तुमको, और मैंने तुमको तैयार रहने के लिए बोला था जा... तुम अभी तक नहीं हुई। तुम गई कहां थी?

रिया- "सौरभ बो में... वो में.. और रिया को समझ में नहीं रहा था की वो क्या बोले।

सौरभ- छोड़ो वो सब। जाओ जल्दी तैयार हो जाओ।

रिया जल्दी से वार्डरोब से एक साड़ी, ब्लाउज़ निकालकर बाथरुम चली जाती है। 10 मिनट बाद तैयार होकर दोनों रूम से बाहर निकलते हैं। तभी जय छत पर से उसी रास्ते से आ जाता है। रिया जय को देखकर डर जाती है।

सौरभ- "अरे तुम यहां क्या कर रहे हो पर? घर के अंदर?" सौरभ गुस्से से बोलता है।

जय- साहब वो टंकी में लोकेज का प्राब्लम था तो बड़ी मालकिन ने ठीक करने के लिए बोला था।

रिया को पता था की जय झठ बोल रहा है। रिया उसे गुस्से से देखती है। जय डबल मीनिंग बात कर रहा हैं, ये रिया को भी समझ में आ रहा था।

सौरभ- ठीक है, हो गया क्या?

जय- "नहीं साहब बहुत कुछ बाकी है.." ये बात जय रिया की तरफ देखकर बोलता है।

रिया तो शर्म से लाल हो जाती है।

सौरभ- ठीक है जल्दी कर देना।

जय- जी साहब।

सौरभ- चलो रिया हम लेट हो रहे हैं।

जाते हुए रिया एक बार जय को गुस्से से घूरती है।

जय उसे स्माइल करके दिखाता है। फिर रिया और सौरभ चले जाते हैं। जय भी वहाँ से चला जाता है नौकर क्वार्टर्स।
***** ****

कड़ी_26

इधर नेहा को माल में शापिंग करते हुए एक घंटा हो चुका था। राज बाहर इंतेजार कर रहा था उसका। वो इंतेजार कर-करके बोर हो रहा था।

राज- "साली क्या कर रही हैं अंदर? इतना देर क्यों लगा रही है ये? खरीदारी तो ऐसे कर रही है जैसे इसकी
शादी हो..."

थोड़ी देर बाद नेहा बाहर आ जाती हैं माल के। उसके हाथ में काफी सारे शापिंग बैंग थे। आज नेहा ने जमकर शापिंग की थी।

राज- "साला ये तो सारी दुकान उठा लाई है। इसके पति के पास पैसा बहुत है ना। त फिकर मत कर मेरी बलबल, तेरे सारे पैसों का में ठीक तरह से इस्तेमाल करेंगा एक दिन।

नेहा कार के पास पहुँचती है- "दरवाजा खोलो.."

राज. क्या जानेमन कुछ ज्यादा खरीदारी नहीं कर लो?

नेहा- तुमको क्या है? तुम्हारे पैसे से तो नहीं लिया ना?

राज- तेरे बायफ्रेंड के पास पैसे नहीं हैं तो मार ले ताने।

नेहा- तुम दरवाजा खोली।

राज दरवाजा खोलता है। नेहा बैगस अंदर रखती हैं।

नेहा- "एक मिनट में आती हैं... फिर वो वालम माल चली जाती है।

राज- फिर से?

थोड़ी देर बाद नेहा वापस आती है। अभी भी कछ बैंगस थे उसके पास।

राज- तुझे क्या आज पूरी दुकान खरीदने का इरादा है क्या?

नेहा उसके तरफ देखते हुए- "हाँ दुकान ही ले लेनी है पूरी। तुम चलो अब.."

राज- बिल्कुल मेरी जान... चलते हैं।

नेहा बैठ जाती है। फिर राज कार चला देता हैं। नेहा खुश भी। आज उसने काफी सारी शापिंग की औ। राज नेहा को देख रहा था मिरर से।

राज- बहुत खुश है आज मेरी गर्लफ्रेंड।

नेहा उसकी तरफ देखकर स्माइल करते हुए. "चुप रहो, और कार चलाओ.."

राज- चल ला किधर भी घूमकर आते हैं।

नेहा- क्या, पागल हो क्या?

राज- हाँ पागल हो गया है तेरे प्यार में।

नेहा- "क्या प्यार? तुम सच में पागल हो गये हो। पहले शकल देखो अपनी मिरर में। बूढ़े कहीं के... नेहा की कहने के अंदाज में एक अलगपन था। एक अदा के साथ वो बोल रही थी।

राज- चल ना।

नेहा- मैं क्यों आऊँ तुम्हारे साथ किधर भी? तुम हो कौन मेरे?

राज- तू मेरी गर्लफ्रेंड है और बायफ्रेंड गर्लफ्रेंड कहीं भी घूम फिर सकते हैं।

नेहा शर्मा जाती है।

राज. तो तैयार है ना तू?

नेहा- मैंने कहा ना, मुझे नहीं जाना किधर भी।

राज- "एक बार अपने इस बूढ़े बायफ्रेंड की मुराद पूरी कर दे..."

नेहा बटे बायफ्रेंड की नाम से शर्मा जाती हैं।

नेहा मन में. "कमीना कहीं का। घुमाने जाना है इसको। बड़ा आया गर्लफ्रेंड को घुमाने वाला। जेब में 10 रूपये नहीं हैं। घुमाने जाना है इसको.." फिर नेहा के चेहरे पर स्माइल आ जाती है।
 
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