hotaks444
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बीबी से प्यारी बहना
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर हाजिर हूँ जिसे पढ़ कर आपको बहुत मज़ा आएगा दोस्तो ये कहानी पाकिस्तानी पृष्ठभूमि की है और इस कहानी का ताना बाना पारवारिक पृष्ठभूमि पर बना हैं जिन दोस्तो को पारवारिक सेक्स की कहानियों से अरुचि होती हो वो कृपया इसे ना पढ़े . दोस्तो ये कहानी एक ऐसे भाई की है जिसे अपनी बीबी से ज़्यादा अपनी बहन पर ज़्यादा ऐतबार होता है दोस्तो ज़्यादा ना कहते हुए ये कहानी शुरू कर रहा हूँ और हमेशा की तरह आपसे उम्मीद करता हूँ आप मेरा हौंसला ज़रूर बढ़ाएँगे आपका दोस्त राज शर्मा
मेरा नाम वसीम है मेरा संबंध मुल्तान के एक छोटे से गांव से है मेरे घर में केवल 5 लोग हैं मैं मेरी अम्मी मेरे अब्बा जी और मेरी दो बहन हैं। पहले मेरी बड़ी बहन है जिसका नाम जमीला है वह शादीशुदा है और दो बच्चों की माँ है। फिर दूसरा नंबर मेरा है मेरी भी शादी हो चुकी है और अंत में मेरी छोटी बहन नबीला है जो अभी अविवाहित है। अब मैं मूल कहानी पर आता हूँ यह उन दिनों की बात है जब मैं मैट्रिक करके फ्री हुआ था और आगे पढ़ने के लिए मुल्तान शहर के एक कॉलेज में जाता था। मेरे अब्बा जी एक जमींदार थे हमारे पास अपनी 10 एकड़ जमीन थी .अब्बा जी एक छोटा भाई था आधी ज़मीन उसकी थी आधी मेरे अब्बा जी की थी मेरे अब्बा जी और चाचा अपने अपने हिस्से की जमीन पे खेती करते थे जिससे हमारे घर का गुज़ारा चलता था। जब मेरा कॉलेज का अंतिम वर्ष चल रहा था तो मेरे छोटे चाचा ने मेरे अब्बा जी को कहा कि वह जमीन बेचकर अपने परिवार के साथ लाहौर शहर में जाकर सेट होना चाहता है और अपनी बेटियों को शहर में ही अच्छा पढ़ाना चाहता है
मेरे चाचाकी केवल 2 बेटियां ही थीं, इसलिए वो अपने हिस्से की जमीन बेच देना चाहता है। मेरे अब्बा जी ने उसे बहुत समझाया और कहा कि यहाँ ही रहो यहाँ रहकर अपनी बेटियों को पढ़ा लो लेकिन अपनी ज़मीन मत बेचो लेकिन मेरा चाचा नहीं माना और आखिरकार मेरे अब्बा जी ने अपनी भी और चाचा की भी जमीन बेच दी और आधी राशि छोटे चाचा को दे दी और आधी राशि को बैंक में अपना खाता खुलवा कर जमा करा दिया और फिर एक दिन मेरा चाचा अपने परिवार के साथ लाहौर शहर चला गया। और मेरे अब्बा जी भी घर के होकर रह गए। मेरी बड़ी दीदी की उम्र 27 साल हो चुकी थी मेरे अब्बा जी ने जमीन के कुछ पैसों से बाजी की शादी कर दी मेरी बाजी की शादी भी अपने रिश्तेदारों में ही हो रही थी मेरी दीदी का मियां मेरी चाची का ही बेटा था। मैंने जब कॉलेज में बारहवीं जमात पास कर ली तो मेरे घर के हालात अब आगे पढ़ने की अनुमति नहीं देते थे। और मैंने भी अपने घर की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने अब्बा जी पे बोझ बनना गवारा न किया और घर को संभालने का सोच लिया। मैं यहाँ वहाँ पे रोजगार के लिए बहुत हाथ पैर मारा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मैंने बाहर के देश जाने का सोचा पहले तो मेरे अब्बा जी ने मना कर दिया लेकिन फिर मैंने उन्हें घर की स्थिति समझाकर राजी कर लिया और अब्बा जी के पास जो बाकी पैसे थे उन पैसों से मुझे बाहर सऊदी भेज दिया और में 22 साल की उम्र में ही रोजगार के लिए सऊदी चला गया। सऊदी आकर पहले तो मुझे बहुत मुश्किल साहनी पड़ी लेकिन फिर कोई 1 साल बाद यहां सेट हो गया मैंने यहाँ आकर ड्राइविंग सीख ली और फिर यहाँ पे ही टैक्सी चलाने लगा। शुरू-शुरू में मुझे टैक्सी के काम का इतना नहीं पता था लेकिन फिर धीरे धीरे मुझे पता चलता गया और मैं एक दिन में 14 घंटे लगातार टैक्सी चलाकर पैसे कमाता था। धीरे धीरे मेरी मेहनत से पाकिस्तान में मेरे घर के हालात ठीक होने लगे और लगभग 5 साल में 2 बार ही पाकिस्तान गया लेकिन इस मेहनत की वजह से मेरे घर के हालात काफी अधिक ठीक हो चुके थे
मैंने अपने घर को बहुत ज्यादा अच्छा और मजबूत बना लिया था हमारा घर एक मरले का था पहले वह एक हवेली नुमा घर ही था 3 कमरे और रसोई और बाथरूम ही था। फिर मैंने सऊदी में रहकर पहले अपने घर को ठीक किया अब वह हवेली नुमा घर पूरा घर बन गया था हमने उसे तोड़ कर 2 स्टोरी वाला घर बना लिया पहली स्टोरी पे 3 ही कमरे थे और दूसरी स्टोरी पे 2 और कमरे बाथरूम और किचन बना लिए थे। मुझे सऊदी में काम करते हुए कोई 6 साल हो चुके थे लेकिन मेरी उम्र 28 साल थी तो मेरे अब्बा जी ने मेरी शादी का सोचा और मुझे पाकिस्तान बुलाकर अपने छोटे भाई यानी मेरी चाचा की बड़ी बेटी ज़ुबैदा से मेरी शादी कर दी।
ज़ुबैदा की उम्र 25 साल थी वह मेरी छोटी बहन की हमउम्र थी। शहर में रहकर शहर के वातावरण को अधिक पसंद करती थी। इसलिए जब सऊदी चला जाता था तो वह ज्यादातर अपने माता पिता के घर लाहौर में ही रहती थी। जब पाकिस्तान शादी के लिए आया तो अब्बा जी ने मेरी शादी बड़ी धूमधाम से की और मैं भी खुश था मुझे ज़ुबैदा शुरू से ही पसंद थी वह सुंदर भी थी और सुडौल और सेक्सी शरीर की मालिक थी। उसका कद भी ठीक था और गोरा चिट्टा और भरा शरीर रखती थी। सुहाग रात को मैं बहुत खुश था क्योंकि आज से मुझे सारी जिंदगी ज़ुबैदा के शरीर से मज़ा लेना था बरात के दिन सब काम समाप्त हो कर जब रात को अपने कमरे में गया तो ज़ुबैदा दुल्हन बनी बैठी थी। मैंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और फिर दूसरे लोगों की तरह मैंने भी उससे काफी बातें की और कई प्रकार के वादे और दिए और फिर मैंने अपनी सुहाग रात को ज़ुबैदा को सुबह 4 बजे तक जमकर 3 बार चोदा। वैसे भी जमींदार का बेटा था गांव के वातावरण में ही ज्यादातर रहा था शुद्ध और अच्छी चीजें खाने का शौकीन था मेरा शरीर भी ठीक ठाक था और मेरा हथियार भी काफी मजबूत और लंबा था लगभग 7 इंच लंबा मेरा लंड था। जिसके कारण मैंने ज़ुबैदा को पहली ही रात में जम कर चोदा था जिसका उसे भी ठीक से पता लगा था। क्योंकि सुबह उसकी कमर में दर्द हो रहा था। जो मेरी छोटी बहन नबीला ने महसूस कर लिया था क्योंकि वह ज़ुबैदा की सहेली भी थी। लेकिन जब मैं सुबह सो कर उठा तो ज़ुबैदा मेरे से पहले उठ चुकी थी और वह अंदर बाथरूम में नहा रही थी। मैंने जब बेड की चादर पे नजर मारी तो मुझे आश्चर्य का करारा झटका लगा क्योंकि बेड की सफेद चादर बिल्कुल साफ थी उसके ऊपर ज़ुबैदा की योनी के खून की एक बूंद भी नहीं थी और जहां तक मुझे पता था यह ज़ुबैदा के जीवन की पहली चुदाई थी और मेरे काफी अच्छे और मजबूत लंड से उसकी योनी की सील टूटना चाहिए थी और खून भी निकलना चाहिए था। बस इसी सवाल ने मेरा दिमाग खराब कर दिया था।
अगले दिन मलाई था और मैं सारा दिन बस सोच में था क्या ज़ुबैदा की योनी सीलबंद नहीं थी। वो पहले भी किसी से करवा चुकी है। या लाहौर में उसका कोई दोस्त है जिससे वह अपनी योनी मरवा चुकी है। बस ये ही सवाल मेरे मन में चल रहे थे। यूं ही मलाई वाला दिन भी बीत गया और रात हो गई और उस रात भी मैंने 2 बार जमकर ज़ुबैदा की योनी मारी लेकिन सीलबंद योनी वाली बात मेरे दिमाग से निकल ही नहीं रही थी। मैं हैरान था ज़ुबैदा दो दिन से दिल व जान से मुझसे चुद रही है और खुलकर मेरा साथ दे रही है और हंसी खुशी मेरे साथ बात कर रही लेकिन पता नहीं क्यों मेरा मन बस ज़ुबैदा की सीलबंद योनी वाली बात पे ही अटक गया था और मैंने अपने दिल और दिमाग में ही भ्रम पाल लिया था। हर इंसान की इच्छा होती हैकि उसकी होने वाली पत्नी पाक और पवित्र हो और सील पैक हो लेकिन मेरे साथ तो शायद धोखा ही हो गया था।
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर हाजिर हूँ जिसे पढ़ कर आपको बहुत मज़ा आएगा दोस्तो ये कहानी पाकिस्तानी पृष्ठभूमि की है और इस कहानी का ताना बाना पारवारिक पृष्ठभूमि पर बना हैं जिन दोस्तो को पारवारिक सेक्स की कहानियों से अरुचि होती हो वो कृपया इसे ना पढ़े . दोस्तो ये कहानी एक ऐसे भाई की है जिसे अपनी बीबी से ज़्यादा अपनी बहन पर ज़्यादा ऐतबार होता है दोस्तो ज़्यादा ना कहते हुए ये कहानी शुरू कर रहा हूँ और हमेशा की तरह आपसे उम्मीद करता हूँ आप मेरा हौंसला ज़रूर बढ़ाएँगे आपका दोस्त राज शर्मा
मेरा नाम वसीम है मेरा संबंध मुल्तान के एक छोटे से गांव से है मेरे घर में केवल 5 लोग हैं मैं मेरी अम्मी मेरे अब्बा जी और मेरी दो बहन हैं। पहले मेरी बड़ी बहन है जिसका नाम जमीला है वह शादीशुदा है और दो बच्चों की माँ है। फिर दूसरा नंबर मेरा है मेरी भी शादी हो चुकी है और अंत में मेरी छोटी बहन नबीला है जो अभी अविवाहित है। अब मैं मूल कहानी पर आता हूँ यह उन दिनों की बात है जब मैं मैट्रिक करके फ्री हुआ था और आगे पढ़ने के लिए मुल्तान शहर के एक कॉलेज में जाता था। मेरे अब्बा जी एक जमींदार थे हमारे पास अपनी 10 एकड़ जमीन थी .अब्बा जी एक छोटा भाई था आधी ज़मीन उसकी थी आधी मेरे अब्बा जी की थी मेरे अब्बा जी और चाचा अपने अपने हिस्से की जमीन पे खेती करते थे जिससे हमारे घर का गुज़ारा चलता था। जब मेरा कॉलेज का अंतिम वर्ष चल रहा था तो मेरे छोटे चाचा ने मेरे अब्बा जी को कहा कि वह जमीन बेचकर अपने परिवार के साथ लाहौर शहर में जाकर सेट होना चाहता है और अपनी बेटियों को शहर में ही अच्छा पढ़ाना चाहता है
मेरे चाचाकी केवल 2 बेटियां ही थीं, इसलिए वो अपने हिस्से की जमीन बेच देना चाहता है। मेरे अब्बा जी ने उसे बहुत समझाया और कहा कि यहाँ ही रहो यहाँ रहकर अपनी बेटियों को पढ़ा लो लेकिन अपनी ज़मीन मत बेचो लेकिन मेरा चाचा नहीं माना और आखिरकार मेरे अब्बा जी ने अपनी भी और चाचा की भी जमीन बेच दी और आधी राशि छोटे चाचा को दे दी और आधी राशि को बैंक में अपना खाता खुलवा कर जमा करा दिया और फिर एक दिन मेरा चाचा अपने परिवार के साथ लाहौर शहर चला गया। और मेरे अब्बा जी भी घर के होकर रह गए। मेरी बड़ी दीदी की उम्र 27 साल हो चुकी थी मेरे अब्बा जी ने जमीन के कुछ पैसों से बाजी की शादी कर दी मेरी बाजी की शादी भी अपने रिश्तेदारों में ही हो रही थी मेरी दीदी का मियां मेरी चाची का ही बेटा था। मैंने जब कॉलेज में बारहवीं जमात पास कर ली तो मेरे घर के हालात अब आगे पढ़ने की अनुमति नहीं देते थे। और मैंने भी अपने घर की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने अब्बा जी पे बोझ बनना गवारा न किया और घर को संभालने का सोच लिया। मैं यहाँ वहाँ पे रोजगार के लिए बहुत हाथ पैर मारा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मैंने बाहर के देश जाने का सोचा पहले तो मेरे अब्बा जी ने मना कर दिया लेकिन फिर मैंने उन्हें घर की स्थिति समझाकर राजी कर लिया और अब्बा जी के पास जो बाकी पैसे थे उन पैसों से मुझे बाहर सऊदी भेज दिया और में 22 साल की उम्र में ही रोजगार के लिए सऊदी चला गया। सऊदी आकर पहले तो मुझे बहुत मुश्किल साहनी पड़ी लेकिन फिर कोई 1 साल बाद यहां सेट हो गया मैंने यहाँ आकर ड्राइविंग सीख ली और फिर यहाँ पे ही टैक्सी चलाने लगा। शुरू-शुरू में मुझे टैक्सी के काम का इतना नहीं पता था लेकिन फिर धीरे धीरे मुझे पता चलता गया और मैं एक दिन में 14 घंटे लगातार टैक्सी चलाकर पैसे कमाता था। धीरे धीरे मेरी मेहनत से पाकिस्तान में मेरे घर के हालात ठीक होने लगे और लगभग 5 साल में 2 बार ही पाकिस्तान गया लेकिन इस मेहनत की वजह से मेरे घर के हालात काफी अधिक ठीक हो चुके थे
मैंने अपने घर को बहुत ज्यादा अच्छा और मजबूत बना लिया था हमारा घर एक मरले का था पहले वह एक हवेली नुमा घर ही था 3 कमरे और रसोई और बाथरूम ही था। फिर मैंने सऊदी में रहकर पहले अपने घर को ठीक किया अब वह हवेली नुमा घर पूरा घर बन गया था हमने उसे तोड़ कर 2 स्टोरी वाला घर बना लिया पहली स्टोरी पे 3 ही कमरे थे और दूसरी स्टोरी पे 2 और कमरे बाथरूम और किचन बना लिए थे। मुझे सऊदी में काम करते हुए कोई 6 साल हो चुके थे लेकिन मेरी उम्र 28 साल थी तो मेरे अब्बा जी ने मेरी शादी का सोचा और मुझे पाकिस्तान बुलाकर अपने छोटे भाई यानी मेरी चाचा की बड़ी बेटी ज़ुबैदा से मेरी शादी कर दी।
ज़ुबैदा की उम्र 25 साल थी वह मेरी छोटी बहन की हमउम्र थी। शहर में रहकर शहर के वातावरण को अधिक पसंद करती थी। इसलिए जब सऊदी चला जाता था तो वह ज्यादातर अपने माता पिता के घर लाहौर में ही रहती थी। जब पाकिस्तान शादी के लिए आया तो अब्बा जी ने मेरी शादी बड़ी धूमधाम से की और मैं भी खुश था मुझे ज़ुबैदा शुरू से ही पसंद थी वह सुंदर भी थी और सुडौल और सेक्सी शरीर की मालिक थी। उसका कद भी ठीक था और गोरा चिट्टा और भरा शरीर रखती थी। सुहाग रात को मैं बहुत खुश था क्योंकि आज से मुझे सारी जिंदगी ज़ुबैदा के शरीर से मज़ा लेना था बरात के दिन सब काम समाप्त हो कर जब रात को अपने कमरे में गया तो ज़ुबैदा दुल्हन बनी बैठी थी। मैंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और फिर दूसरे लोगों की तरह मैंने भी उससे काफी बातें की और कई प्रकार के वादे और दिए और फिर मैंने अपनी सुहाग रात को ज़ुबैदा को सुबह 4 बजे तक जमकर 3 बार चोदा। वैसे भी जमींदार का बेटा था गांव के वातावरण में ही ज्यादातर रहा था शुद्ध और अच्छी चीजें खाने का शौकीन था मेरा शरीर भी ठीक ठाक था और मेरा हथियार भी काफी मजबूत और लंबा था लगभग 7 इंच लंबा मेरा लंड था। जिसके कारण मैंने ज़ुबैदा को पहली ही रात में जम कर चोदा था जिसका उसे भी ठीक से पता लगा था। क्योंकि सुबह उसकी कमर में दर्द हो रहा था। जो मेरी छोटी बहन नबीला ने महसूस कर लिया था क्योंकि वह ज़ुबैदा की सहेली भी थी। लेकिन जब मैं सुबह सो कर उठा तो ज़ुबैदा मेरे से पहले उठ चुकी थी और वह अंदर बाथरूम में नहा रही थी। मैंने जब बेड की चादर पे नजर मारी तो मुझे आश्चर्य का करारा झटका लगा क्योंकि बेड की सफेद चादर बिल्कुल साफ थी उसके ऊपर ज़ुबैदा की योनी के खून की एक बूंद भी नहीं थी और जहां तक मुझे पता था यह ज़ुबैदा के जीवन की पहली चुदाई थी और मेरे काफी अच्छे और मजबूत लंड से उसकी योनी की सील टूटना चाहिए थी और खून भी निकलना चाहिए था। बस इसी सवाल ने मेरा दिमाग खराब कर दिया था।
अगले दिन मलाई था और मैं सारा दिन बस सोच में था क्या ज़ुबैदा की योनी सीलबंद नहीं थी। वो पहले भी किसी से करवा चुकी है। या लाहौर में उसका कोई दोस्त है जिससे वह अपनी योनी मरवा चुकी है। बस ये ही सवाल मेरे मन में चल रहे थे। यूं ही मलाई वाला दिन भी बीत गया और रात हो गई और उस रात भी मैंने 2 बार जमकर ज़ुबैदा की योनी मारी लेकिन सीलबंद योनी वाली बात मेरे दिमाग से निकल ही नहीं रही थी। मैं हैरान था ज़ुबैदा दो दिन से दिल व जान से मुझसे चुद रही है और खुलकर मेरा साथ दे रही है और हंसी खुशी मेरे साथ बात कर रही लेकिन पता नहीं क्यों मेरा मन बस ज़ुबैदा की सीलबंद योनी वाली बात पे ही अटक गया था और मैंने अपने दिल और दिमाग में ही भ्रम पाल लिया था। हर इंसान की इच्छा होती हैकि उसकी होने वाली पत्नी पाक और पवित्र हो और सील पैक हो लेकिन मेरे साथ तो शायद धोखा ही हो गया था।