hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
दूध गुनगुना था। मैंने 5 मिनट के अंदर ही गिलास खाली कर दिया और चाची ने गिलास मेरे हाथ से लेकर एक साइड पे रख दिया। और घड़ी में समय देख कर बोली बेटा क्या लगता है अंतिम बार एक राउंड लगा लें 2 बज गए हैं तो सोना भी है तुम्हें सुबह घर को बेचने के लिए भागदौड़ भी करनी है और यह बोलकर ही चाची ने अपना मुँह आगे करके मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और उसकी टोपी पर अपनी जीभ गोल गोल घुमा ने लगी। फिर धीरे धीरे लंड मुंह में ले लिया और बड़ी ही गर्मजोशी के साथ मेरे लंड की चुसाइ करने लगी और लगभग 5 मिनट बाद ही मेरा लंड फिर तन कर खड़ा हो गया था। चाची ने अपने मुंह से मेरा लंड निकाला और बोली बेटा कैसे करना है। मैंने कहा चाची तेल की जरूरत होगी तो चाची ने कहा वसीम पुत्तर चिंता मत कर तेल की जरूरत नहीं है तेरे जितना लंबा लंड कई बार गाण्ड में ले चुकी हूँ ज़्यादा प्रॉब्लम नहीं होगी तेरा थोड़ा मोटा लंड है तो थोड़ा थूक लगा लेना और अंदर कर देना। मैंने कहा ठीक है चाची जान जैसे आप चाहें तो इस तरह करें बेड से उतर कर दीवार के साथ मुँह करके खड़ी हो जाएं और अपनी टांगों को थोड़ा खोल लें। मैं पीछे से लंड अंदर डालता हूँ .
चाची मेरे बात सुनकर दीवार के पास जाकर दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी हो गई और नीचे से अपनी टाँगें भी खोल लीं मैं उनके पैरों के बीच में आसानी से खड़ा हो सकता था और मैं उनके पैरों के बीच खड़ा हो गया और पहले अपने लंड पे थूक लगा कर उसे गीला किया और फिर चाची गाण्ड के छेद पे भी थोड़ा सा थूक लगा दिया . चाची के पैर खुलने की वजह से उनकी गाण्ड काफी हद तक मेरे लंड के सामने आ गई थी। चाची की गान्ड का सराख खुला हुआ था और ब्राउन रंग का था। मैंने अपना लंड पकड़ कर चाची गाण्ड के छेद पे सेट किया मेरे लंड काफी ज़्यादा थूक लगा हुआ था अब लंड चाची की गाण्ड के मुँह में सेट ही हुआ था कि चाची ने अपनी गाण्ड को पीछे की ओर झटका मारा मेरा आधा लंड टोपी समेत चाची की गाण्ड के अंदर पिच की आवाज से घुस गया। चाची के मुंह से एक मस्ती भरी आवाज़ आई हॅयायियी वसीम पुत्तर तेरे लंड ने मेरी गाण्ड विच ठंड पा देती वसीम पुत्तर अब धीरे धीरे अंदर ज़ोर लगाओ।
मैं चाची की बात सुनकर लंड और ज़्यादा अंदर करने लगा चाची के मुंह से सुख भरी आवाज़ निकल रही थी आह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्हआह। और मैं धीरे धीरे अपना लंड अंदर ही अंदर करता जा रहा था फिर जब मेरा लंड लगभग 2 इंच तक बाहर रह गया तो मैंने एक जोरदार झटका मार कर लंड एक ही बार में पूरा अन्दर कर दिया चाची मुंह से आवाज आई हाईईईईईईई हूओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह वसीम पुत्तर अपनी चाची नूं मार दित्ता ई। फिर मैं कुछ देर ऐसे ही लंड पूरा अन्दर डाल कर खड़ा रहा फिर मैं चाची के कहे बिना ही लंड को धीरे धीरे गति देना शुरू कर दिया और लंड गाण्ड के अन्दर बाहर करने लगा चाची की गाण्ड की ग्रिप मेरे लंड के ऊपर काफी ज़यादा टाइट थी। लंड चाची की गाण्ड की दीवारों को रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था मुझे भी एक अनोखा मज़ा आ रहा था लगभग 5 मिनट तक लंड अंदर बाहर करते हुए मेरा लंड चाची की गाण्ड में एडजस्ट हो चुका था तो मैंने अपनी स्पीड को और तेज कर दिया अब मेरे तेज तेज झटकों से मेरा और चाची का शरीर आपस में बुरी तरह टकरा रहा था और धुप्प धुप्प की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। और चाची की सुख भरी सिसकियाँ भी पूरे कमरे में गूंज रही थीं ऐसा लग रहा था जैसे कोई मस्त सेक्स फिल्म चल रही है। फिर एकाएक मेरे झटकों में बहुत ज़्यादा तेजी आ गई थी चाची ने भी महसूस कर लिया था। चाची अपना एक हाथ नीचे करके योनी के अंदर उंगली डाल कर तेजी के साथ अंदर बाहर कर रही थी।
और फिर खड़ा हो कर चोदने में मेरी टांगों की हिम्मत समाप्त होती जा रही थी और लंड में भी अच्छी खासी हलचल मच चुकी थी फिर अंतिम 2 मिनट मैंने अपनी पूरी ताकत के साथ चाची गांड में लंड के धक्के मारे और फिर आखिरकार गाण्ड के अंदर ही अपना वीर्य छोड़ दिया चाची का शरीर भी बुरी तरह कांप रहा था। क्योंकि उनकी योनी ने भी बहुत ज़्यादा पानी छोड़ दिया था जो उनकी योनी से रिस रिस कर मेरे पैरों से होता हुआ नीचे गिर रहा था जब मेरे लंड ने मेरे वीर्य का एक एक कतरा भी निकाल दिया तो मैने अपना लंड खींच कर बाहर निकाल लिया और पीछे होकर बेड पे लेट गया। चाची बाथरूम चली गई। और लगभग 20 मिनट बाद बाथरूम से निकल कर बेड पे आकर लेट गई। फिर मैं उठा और बाथरूम में जाकर अपने लंड और अपने शरीर को साफ किया और मुंह हाथ धोकर कमरे में आकर बेड पे चाची के साथ लेट गया और फिर मैं और चाची नंगे ही एक दूसरे की बाहों में सो गए।
अगले दिन सुबह जब मैं सो कर उठा तो बेड पर नजर मारी तो चाची वहां पर नहीं थी। मैंने मोबाइल उठाकर समय देखा तो सुबह के 9 बज रहे थे। मैं तो नंगा ही था और फिर बेड से उठा और अपनी सलवार और बनियान उठाई और बाथरूम में घुस गया और लगभग आधे घंटे बाद नहा धोकर फ्रेश हुआ और बाथरूम ने बाहर निकलकर चाची कमरे में रखे हुए ड्रेसिंग टेबल पर ही खड़ा होकर अपने बालों में कंघी की और फिर अपनी शर्ट पहनी और कमरे से निकल आया और आकर टीवी लाउंज में बैठ गया। चाची किचन में कुछ पका रही थी जब उनकी नजर खिड़की से मेरी ओर पड़ी तो मुझे एक मस्त सी मुस्कान दी और बोली मेरा बेटा उठ गया है। तो मैंने कहा जी चाची और फिर मैंने टीवी लगा लिया लगभग 20 मिनट के बाद चाची नाश्ता बनाकर वहां ही ले आई और फिर हम दोनों बैठकर नाश्ता करने लगे और नाश्ते के दौरान चाची ने पूछा बेटा अब अगला क्या इरादा है। तो मैंने कहा चाची जी आज आपके मकान के सौदे के लिए भाग दौड़ करूँगा और आज मकान का फाइनल करके आज रात इस्लामाबाद जाऊंगा और वहां पे अपना काम निपटा कर वापस मुल्तान चला जाऊँगा तुम मेरे मुल्तान जाने के 2 दिन बाद ज़ुबैदा को फोन करके बता देना है।
चाची ने कहा बेटा आज की रात क्यों रुक नहीं जाते आज रात एक और यादगार रात बना लेते हैं मेरे शरीर में तो रात वाला ही नशा खत्म नहीं हो रहा है। तो मैं चाची बात सुनकर मुस्कुरा पड़ा और बोला चाची जी मन तो मेरा भी बहुत कर रहा है लेकिन मजबूरी है मुझे कल इस्लामाबाद जाना है। और वैसे भी अब जब आप मुल्तान आ जाओगी तो हर रात ही यादगार बना दूँगा। चाची मेरी बात सुनकर खिल उठी। और फिर मैंने अपना नाश्ता खत्म किया और चाची बर्तन उठा कर किचन में रखने लगी। फिर मैं वहाँ से उठा और अपने बैग से कपड़े निकाल कर बदल लिए और चाची को बोला- मैं बाहर जा रहा हूँ। मुझे देर हो जाएगी। में मकान के काम के लिए ही जा रहा हूँ। और फिर मैं घर से निकल आया और मोहल्ले से बाहर निकल कर बाजार में आ गया पहले तो मैंने बाजार के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक चक्कर लगाया और चेक करने लगा कहाँ कहाँ प्रॉपर्टी वालों के कार्यालय हैं। चक्कर लगाकर देखा तो कल 5 कार्यालय थे। पहले वाले कार्यालय में चला गया वहां पर उसको अपना बता दिया मैं किस घर से आया हूँ वह मेरे चाचा को जानता था और समझ गया और बोला मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ। मैंने उसे मकान का बता दिया तो वह कुछ देर सोचता रहा फिर बोला वैसे तो जल्दी में मकान का ठीक रेट नहीं मिलेगा लेकिन एक पार्टी है उससे शाम को बात करके बता दूँगा और अगर उनका मूड हुआ तो मैं आपकी मुलाकात करवा दूंगा।
चाची मेरे बात सुनकर दीवार के पास जाकर दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी हो गई और नीचे से अपनी टाँगें भी खोल लीं मैं उनके पैरों के बीच में आसानी से खड़ा हो सकता था और मैं उनके पैरों के बीच खड़ा हो गया और पहले अपने लंड पे थूक लगा कर उसे गीला किया और फिर चाची गाण्ड के छेद पे भी थोड़ा सा थूक लगा दिया . चाची के पैर खुलने की वजह से उनकी गाण्ड काफी हद तक मेरे लंड के सामने आ गई थी। चाची की गान्ड का सराख खुला हुआ था और ब्राउन रंग का था। मैंने अपना लंड पकड़ कर चाची गाण्ड के छेद पे सेट किया मेरे लंड काफी ज़्यादा थूक लगा हुआ था अब लंड चाची की गाण्ड के मुँह में सेट ही हुआ था कि चाची ने अपनी गाण्ड को पीछे की ओर झटका मारा मेरा आधा लंड टोपी समेत चाची की गाण्ड के अंदर पिच की आवाज से घुस गया। चाची के मुंह से एक मस्ती भरी आवाज़ आई हॅयायियी वसीम पुत्तर तेरे लंड ने मेरी गाण्ड विच ठंड पा देती वसीम पुत्तर अब धीरे धीरे अंदर ज़ोर लगाओ।
मैं चाची की बात सुनकर लंड और ज़्यादा अंदर करने लगा चाची के मुंह से सुख भरी आवाज़ निकल रही थी आह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्हआह। और मैं धीरे धीरे अपना लंड अंदर ही अंदर करता जा रहा था फिर जब मेरा लंड लगभग 2 इंच तक बाहर रह गया तो मैंने एक जोरदार झटका मार कर लंड एक ही बार में पूरा अन्दर कर दिया चाची मुंह से आवाज आई हाईईईईईईई हूओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह वसीम पुत्तर अपनी चाची नूं मार दित्ता ई। फिर मैं कुछ देर ऐसे ही लंड पूरा अन्दर डाल कर खड़ा रहा फिर मैं चाची के कहे बिना ही लंड को धीरे धीरे गति देना शुरू कर दिया और लंड गाण्ड के अन्दर बाहर करने लगा चाची की गाण्ड की ग्रिप मेरे लंड के ऊपर काफी ज़यादा टाइट थी। लंड चाची की गाण्ड की दीवारों को रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था मुझे भी एक अनोखा मज़ा आ रहा था लगभग 5 मिनट तक लंड अंदर बाहर करते हुए मेरा लंड चाची की गाण्ड में एडजस्ट हो चुका था तो मैंने अपनी स्पीड को और तेज कर दिया अब मेरे तेज तेज झटकों से मेरा और चाची का शरीर आपस में बुरी तरह टकरा रहा था और धुप्प धुप्प की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। और चाची की सुख भरी सिसकियाँ भी पूरे कमरे में गूंज रही थीं ऐसा लग रहा था जैसे कोई मस्त सेक्स फिल्म चल रही है। फिर एकाएक मेरे झटकों में बहुत ज़्यादा तेजी आ गई थी चाची ने भी महसूस कर लिया था। चाची अपना एक हाथ नीचे करके योनी के अंदर उंगली डाल कर तेजी के साथ अंदर बाहर कर रही थी।
और फिर खड़ा हो कर चोदने में मेरी टांगों की हिम्मत समाप्त होती जा रही थी और लंड में भी अच्छी खासी हलचल मच चुकी थी फिर अंतिम 2 मिनट मैंने अपनी पूरी ताकत के साथ चाची गांड में लंड के धक्के मारे और फिर आखिरकार गाण्ड के अंदर ही अपना वीर्य छोड़ दिया चाची का शरीर भी बुरी तरह कांप रहा था। क्योंकि उनकी योनी ने भी बहुत ज़्यादा पानी छोड़ दिया था जो उनकी योनी से रिस रिस कर मेरे पैरों से होता हुआ नीचे गिर रहा था जब मेरे लंड ने मेरे वीर्य का एक एक कतरा भी निकाल दिया तो मैने अपना लंड खींच कर बाहर निकाल लिया और पीछे होकर बेड पे लेट गया। चाची बाथरूम चली गई। और लगभग 20 मिनट बाद बाथरूम से निकल कर बेड पे आकर लेट गई। फिर मैं उठा और बाथरूम में जाकर अपने लंड और अपने शरीर को साफ किया और मुंह हाथ धोकर कमरे में आकर बेड पे चाची के साथ लेट गया और फिर मैं और चाची नंगे ही एक दूसरे की बाहों में सो गए।
अगले दिन सुबह जब मैं सो कर उठा तो बेड पर नजर मारी तो चाची वहां पर नहीं थी। मैंने मोबाइल उठाकर समय देखा तो सुबह के 9 बज रहे थे। मैं तो नंगा ही था और फिर बेड से उठा और अपनी सलवार और बनियान उठाई और बाथरूम में घुस गया और लगभग आधे घंटे बाद नहा धोकर फ्रेश हुआ और बाथरूम ने बाहर निकलकर चाची कमरे में रखे हुए ड्रेसिंग टेबल पर ही खड़ा होकर अपने बालों में कंघी की और फिर अपनी शर्ट पहनी और कमरे से निकल आया और आकर टीवी लाउंज में बैठ गया। चाची किचन में कुछ पका रही थी जब उनकी नजर खिड़की से मेरी ओर पड़ी तो मुझे एक मस्त सी मुस्कान दी और बोली मेरा बेटा उठ गया है। तो मैंने कहा जी चाची और फिर मैंने टीवी लगा लिया लगभग 20 मिनट के बाद चाची नाश्ता बनाकर वहां ही ले आई और फिर हम दोनों बैठकर नाश्ता करने लगे और नाश्ते के दौरान चाची ने पूछा बेटा अब अगला क्या इरादा है। तो मैंने कहा चाची जी आज आपके मकान के सौदे के लिए भाग दौड़ करूँगा और आज मकान का फाइनल करके आज रात इस्लामाबाद जाऊंगा और वहां पे अपना काम निपटा कर वापस मुल्तान चला जाऊँगा तुम मेरे मुल्तान जाने के 2 दिन बाद ज़ुबैदा को फोन करके बता देना है।
चाची ने कहा बेटा आज की रात क्यों रुक नहीं जाते आज रात एक और यादगार रात बना लेते हैं मेरे शरीर में तो रात वाला ही नशा खत्म नहीं हो रहा है। तो मैं चाची बात सुनकर मुस्कुरा पड़ा और बोला चाची जी मन तो मेरा भी बहुत कर रहा है लेकिन मजबूरी है मुझे कल इस्लामाबाद जाना है। और वैसे भी अब जब आप मुल्तान आ जाओगी तो हर रात ही यादगार बना दूँगा। चाची मेरी बात सुनकर खिल उठी। और फिर मैंने अपना नाश्ता खत्म किया और चाची बर्तन उठा कर किचन में रखने लगी। फिर मैं वहाँ से उठा और अपने बैग से कपड़े निकाल कर बदल लिए और चाची को बोला- मैं बाहर जा रहा हूँ। मुझे देर हो जाएगी। में मकान के काम के लिए ही जा रहा हूँ। और फिर मैं घर से निकल आया और मोहल्ले से बाहर निकल कर बाजार में आ गया पहले तो मैंने बाजार के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक चक्कर लगाया और चेक करने लगा कहाँ कहाँ प्रॉपर्टी वालों के कार्यालय हैं। चक्कर लगाकर देखा तो कल 5 कार्यालय थे। पहले वाले कार्यालय में चला गया वहां पर उसको अपना बता दिया मैं किस घर से आया हूँ वह मेरे चाचा को जानता था और समझ गया और बोला मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ। मैंने उसे मकान का बता दिया तो वह कुछ देर सोचता रहा फिर बोला वैसे तो जल्दी में मकान का ठीक रेट नहीं मिलेगा लेकिन एक पार्टी है उससे शाम को बात करके बता दूँगा और अगर उनका मूड हुआ तो मैं आपकी मुलाकात करवा दूंगा।