Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास - Page 4 - SexBaba
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Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास

चंदर एक कोठी में रहता था.. कोई चौकीदार ना दिखते हुए ललिता ने दरवाज़ा

खोला और अंदर चली गयी.. एक छोटा सा गार्डेन था अंदर और उसके आगे में दरवाज़ा था.. ललिता ने चंदर को मैसेज करके बताया कि वो आगयि है तो एक दम से दरवाज़ा

खुला और ललिता अंदर गयी. तभी ललिता की आँखों पे एक रेशमी रुमाल से पट्टी

बाँध दी.. ललिता ने शर्मा के बोला 'ये क्या कर रहे हो" तो उसने बोला "स्शह कुच्छ ना बोलो"

... ललिता अपनी नंगी बाँहो पे उसके मर्दाने हाथ को महसूस कर रही थी....

सीडी चढ़ते चढ़ते ललिता को एक कमरे में ले गया और उसको बिस्तर पे बिठा दिया.

फिर ललिता ने अपने आँखो से पट्टी हटाई और दंग रह गयी. ललिता के सामने

चंदर और उसके छोटे भाई का दोस्त मयंक खड़ा था. ललिता ने हड़बड़ाते हुए

अपनी ड्रेस को नीचे करा और पूछा "तुम यहाँ कैसे" मयंक ने ललिता से नज़रे

मिलाते हुए कहा "चंदर ने नहीं मैने ही तुमको बुलाया था यहाँ"

"क्या मतलब है तुम्हारा" ललिता ने गुस्से में पूछा

मयंक बोला " जो मैं कहने वाला हूँ वो ध्यान से सुनना बड़ी लंबी और

रंगीन कहानी है.. याद है तुम्हे कि मैं चेतन के घर आया था और

जब हम दोनो मिले थे?? उसी दिन जब मैं टाय्लेट ढूँढने गया था तब वहाँ

मुझे फर्श पे तेरी उतरी हुई एक खुश्बुदार सफेद पैंटी मिली थी.. उसी बात से

मुझे समझ आ गया था कि मेरे दोस्त की बहन कितनी अच्छी लड़की है.."

ललिता हैरान परेशान होके ये सब सुनती रही.. " मन था तुझे उसी वक़्त चोद्ने

का मगर मैने अपने आप को रोका ताकि मैं सोच समझ के कदम उठाउ....

मुझे पूरी तरह बात तब समझ आई जब हम डार्क रूम खेल रहे थे..

याद है कि तू बिस्तर के पीछे छुपी हुई थी अपनी गान्ड उपर करके और मैने

हिम्मत दिखाते हुए तेरी गुलाबी सफेद फ्रोक में अपना हाथ डाल दिया था

और तेरी मदमस्त चूत को रगरहने लगा था.. उस वक़्त कैसे जल बिन मछली की

तरह तड़प रही थी तू.." ललिता के गोरे बदन को घूरते घूरते उसकी

साँसें तेज़ होने लग गयी और ललिता अभी भी थोड़े झटके में थी....

मयंक बोला "मुझे लगा तुझे पता है कि ये मैं यानी के मयंक कर रहा है मगर

जब तू वहाँ से भाग गयी तो मैं डर गया था.... असली राज़ तब सामने आया

जब मेरी ये आँखें फॅट गयी तुझे चंदर को तुझे चूमते हुए देख के मैं

समझ गया कि तेरा उसका चक्कर चल रहा है.. साले चंदर को तो लॉटरी लग गयी थी...." कुच्छ देर रुकने के बाद वो फिर बोला " मुझे यकीन नही हो रहा था कि

वो साला भी इतनी आगे जा सकता है... खैर सबसे हसीन बात थी जब मैने तुझे

सबके लिए कोल्ड ड्रिंक डालते हुए देख लिया था.. तूने सबके ग्लास में नींद की गोली

डाली थी सिवाए अपने आशिक़ चंदर के.. मगर मैं भी कितना बड़ा हरामी हू...

मैने अपनी कोक चंदर को ज़बरदस्ती देदि और वो बिचारे ने पी भी ली...

फिर वो रात आई जब तू बिस्तर पे पड़े चंदर का इंतजार कर रही थी...

उस रात तेरे कमरे में मैं आया था." ये सुनके ललिता के होश उड़ गये..

"उस रात को तो हम दोनो ही नहीं भूल सकते.. हैईना?? क्या राप्चन्दुस रात थी वो

मज़े आ गये थे.. मैने पूरी कोशिश करी थी कि तुझे पता ना चले कि मैं

मयंक हूँ चंदर नहीं और उसमें मैं सफल भी हो गया और तू भी कैसी कुतिया

की तरह तड़प रही थी चुद्ने के लिए.. उस रात के बाद हर बारी मुझे तेरे सपने आने लगे.. मैं किसी तरह तुझसे मिलना चाहता था मगर मुझे रास्ता नहीं मिल रहा था..
 
फिर एक दिन मैने चंदर का सेल लिया और तुझे मैसेज करके अपना नंबर. देदिया ताकि तुझे

और चंदर को शक़ ना हो पाए.. फिर हम दोनो ने बात करना शुरू करा मगर

मैं तुझे अपनी आवाज़ नहीं सुनवाना चाहता था इसलिए कभी कॉल नहीं करा..

बिचारे चंदर को तो ये भी नहीं पता मैने उससे उसकी घर की चाबी क्यूँ ली है..

मैं क्या करू.. आगे मयंक कुच्छ बोल पाता ललिता ने एक दम से बिस्तर से उठी और

भाग के उसको चूम लिया.. मयंक कुच्छ पल के लिए घबरा गया मगर जब उसे

ललिता के हाथो की जगह उसके होंठ अपने होंठ पे महसूस वो दंग रह गया...

देखते ही देखते उसने ललिता को बाँहो में ले लिया.. दोनो की ज़ुबान पेच लड़ा रही थी ... मयंक ललिता की पीठ को सहलाने लगा.. फिर मयंक ने ललिता के ड्रेस की ज़िप खोलनी

चाही मगर ललिता ने उसको धक्का दे दिया और बिस्तर पे जाके गिरा..

मयंक ललिता पे नज़रे गढ़ा के सोचने लगा कि अब इसका क्या करने का इरादा और

तभी ललिता ने हाथ पीछे बढ़ा के अपनी ज़िप खोली और ड्रेस को उतार फेका..

ललिता मयंक के पास बढ़ी और उसके चेहरे के पास आके घूम गयी..

मयंक ललिता को थॉंग में देख कर हैरान हो गया.. उसकी बड़े नितंब सॉफ उसके

चेहरे के पास थे.. मयंक ने मौके का फ़ायदा उठाया और उसपर चॅटा मारा..

"आउच" ललिता के मुँह से हल्के से निकला... राल टपकाता हुआ मयंक अब अपनी शर्ट

उताराने लगा... ललिता मूडी और दोनो एक दूसरे को फिर से चूमने लगे..

ललिता ने मयंक की जीन्स का बटन खोलके उसको नीचे खीच दिया.

उसका लॉडा देख कर ललिता की आँखों में चमक आगयि.. उसको वो सहलाने लगी

और जब वो सख़्त हो गया तो आहिस्ते आहिस्ते चूसने लगी.. मयंक ललिता के इस रूप

को देख कर पागल हुआ जा रहा था. ललिता बड़ी खूबी लंड को चूसे जा रही थी

मयंक ने फ़ायदा उठाके ललिता की ब्रा के हुक खोल दिए और ब्रा नीचे जा गिरी.

रोशनी में ललिता के मम्मे और भी ज़्यादा बड़े और गोल लग रहे थे....

मयंक ललिता के स्तनो से खेलने लगा और जब उससे रहा नहीं गया तो उसने ललिता

को बिस्तर पे लिटाया और उसके मम्मो को चूमने लगा काटने लगा.

ललिता हल्के हल्के सिसकिया लेने लगी... फिर उसने हाथ बढ़ा कर ललिता की थॉंग को

उतारना चाहा मगर ललिता ने उसे रोका और खड़ी हो गयी. मयंक को कुच्छ समझ

नहीं आया.. ललिता ने खुद अपनी थॉंग को उतारा मयंक के मुँह पे फेकि..

ललिता एक कुर्सी पे जाके बैठी और अपनी टाँगें चौड़ी करके मयंक को इशारा करके

बुलाने लगी. मयंक भागके गया और ललिता की चूत को चाटने लगा.

मयंक अपने घुटनो के बल ज़मीन पे बैठा हुआ था और ललिता की गीली चूत को

चाटने में लगा हुआ था... ललिता ने पीछे से फूल दान उठाया और

मयंक के सिर पर धड़ाम से मार दिया.... मयंक वही फर्श पे जा गिरा....

मयंक कुच्छ ही सेकेंड में ज़मीन पे गिरके बेहोश हो गया..

ललिता ने मयंक को घूरते हुए कहा " मुझसे पंगे लेने का अंजाम देख लिया

चूतिए... अब लेटे रह यहीं पर" फिर उसने मयंक का फोन उठाया और वहाँ से

अपने सारे मैसेजस डेलीट कर दिए और अपने कपड़े जल्दी से पहेने लगी....

उसने जैसे तैसे अपनी ब्रा और तोंग पहनी और ड्रेस पहनते हुए कमरे के

दरवाज़े की तरफ भागने लगी तो उसकी नज़र एक लंबे मोटे आदमी पे पड़ी जिसकी नज़रे

ललिता पे ही पड़ी थी...

ललिता कमरे के बाहर निकली और चुपचाप घर के दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगी तभी

उस आदमी ने आवाज़ निकली "मेमसाहिब आपका पर्स तो यही हाई" ये सुनके ललिता के

कदम रुक गये....
 
ललिता वापस मूडी और उस आदमी को पर्स देने के लिए कहा....

वो आदमी फिर बोला "तुमने क्या मुझे चूतिया समझ रखा है... अगर तुम

यहाँ से निकली तो मैं अपने साहब को बता दूँगा कि एक लड़की ने बाबा के दोस्त को यहाँ

बेहोशी की हालत में छोड़ दिया था और ये पर्स आराम से बता देगा कि वो लड़की

आख़िर कार थी कौन "

ललिता समझ गयी थी कि ये आदमी यहाँ का चौकीदार है... बड़ी आराम से ललिता बोली " कितने पैसे चाहिए तुम्हे अपना मुँह बंद रखने के लिए"

चौकीदार अपनी आँखें ललिता के बदन पे घूमाते हुए बोला "पैसे ही चाहिए होते तो मैं ये पर्स ही रख लेता" ललिता समझ गयी थी कि ये आदमी क्या चाहता है...

ललिता को खामोश देखकर चौकीदार बोला " बाबा को आने में एक घंटा बचा हुआ है जब तक तुम्हे मेरी नौकरानी बनके रहना होगा"

ये सुनके ही ललिता को गुस्सा चढ़ गया और वो बोली "तुम होश में तो हो 2 पैसे के चौकीदार"

चौकीदार बोला " मेरा नाम गोलू है... और मेरे पास फालतू बातो के लिए वक़्त नही है" ये कहकर गोलू ललिता का पर्स लेकर घर के दरवाज़े की तरफ चलने लगा... ललिता के सामने से चलता हुआ वो घर के दरवाज़े की तरफ बढ़ा और ललिता ने कहा "रूको..."

गोलू बोला "मेरे पीछे पीछे चलो"

ललिता बोली "मगर मेरा पर्स"

गोलू बोला "वो तुम्हे मिल जाएगा"

ललिता गोलू के पीछे चलने लगी... गोलू एक नीली हाफ बाजू वाली शर्ट और खाकी

पॅंट में था... बाल छोटे से किसी मोची से कटवाए हुए लग रहे थे...

तोंद बाहर निकली हुई मगर लंबाई उसकी 5फ 9 इंच तक थी... कुच्छ कदम दूर ही कोठी के

पीछे एक छोटा सा कमरा था... ललिता ने देखा कि गोलू ने उस कमरे का ताला

खोला और उसके अंदर चले गया... ललिता ने जब एक कदम अंदर बढ़ाया तो उसे

उधर एक अजीब सी बू आने लगी... कमरा में एक छोटा सा दीवान था (सोफा)

एक छोटा सा टीवी उर उपर एक पंखा लगा हुआ था... दीवारो पे सफेद रंग था मगर

सीलन थी...कमरे में गंदगी सॉफ दिखाई दे रही थी... एक तार पर गोलू के

कच्छे लटक रहे थे...

गोलू उस दीवान पे अपनी मोटी टाँगें फेला के बैठ गया और बोला "नाम क्या है तेरा" ललिता बोली " ललिता"

गोलू हसके बोला "मिर्ज़ा?? वैसे बदन तो तेरा उससे भी ज़्यादा कातिल है...

आ इधर आ मेरे पास" ललिता उसके पास जाके दीवान पर बैठ गई... ललिता ने अपने

सीधे हाथ से अपने ड्रेस को नीच से पकड़ा हुआ था और उसकी नज़रे पथरीले

फर्श पर थी... गोलू ने अपन उल्टा हाथ बढ़ाया ललिता की सीधी मोटी जाँघ पे रख दिया..

आहिस्ते से उसपे फेरने लग गया... ललिता ने अपनी जाँघ उसके हाथ से दूर करना

चाहा तो उसने बहरहमी से उसे जाकड़ लिया... अपने दूसरे हाथ से उसने ललिता के बालो को सहलाया और पीछे कर दिया और अपने होंठो से ललिता की गोरी गर्दन को चूमने लगा... चौकीदार के हाथ अभी भी ललिता की जाँघ पर उपर नीचे हो रहे थे...

मयंक के साथ वक़्त बिताने की वजह से ललिता की चूत गीली थी और उसकी प्यास भी नही

भुजी थी और अब गोलू उसकी चूत को और तडपा रहा था... गोलू ने अपने सीधे

हाथ से ललिता की गर्दन को दबोचा और बोला " देख बे लौंडिया... मुझे बलात्कार

करने में कोई मज़ा नही आता... जैसे उस छिचोर के साथ अपनी टाँगें चौड़ी

करके बैठ गयी थी ना वैसी ही शुरू होज़ा... जा जाके दरवाज़े पे कुण्डी लगा"

ललिता देवान से उठी और दरवाज़े पे कुण्डी लगाकर उसके सामने खड़ी हो गई...

गोलू चौकीदार ने उसे इशारा करते हुए नंगी होने को कहा...

ललिता ने अपना हाथ पीछे की ओर बढ़ाया जिस वजह से उसके मम्मे और बाहर की

तरफ आ गये... गोलू पॅंट के उपर से ही अपने लंड को सहलाने लगा...

ललिता ने अपनी ड्रेस की चैन खोली और अपने कंधे से उसके स्ट्रॅप को हटाकर नीचे गिरा दिया... उसकी कमर पे वो ड्रेस अटक गया मगर उसकी काली ब्रा गोलाईयो को दिखाने लगी...

गोलू के चेहरे पे एक ही एक्सप्रेशन था वो देख कर ललिता को घबराहट हो रही थी...

(कहाँ आके फस गयी) ललिता के दिमाग़ में यही चल रहा था...

ललिता ने उस ड्रेस को नीचे उतारा तो उसकी कcछि का गीलापन सॉफ दिखाई दे रहा था...
 
"जल्दी कर छिनाल" गोलू ने चिल्लाते हुए कहा... ललिता ने अपने ब्रा के हुक्स खोला

और अपनी साथ ही अपनी पैंटी को भी उतार दिया... गोलू सीटी बजाते हुए अपने कपड़े

उतारने लगा और बोला "तेरे सामने तो अच्छी अच्छी हेरोइन भी फैल है" ललिता गोलू

के नंगे बदन को देखकर हैरान हो गई... उसके बदन पर बाल ही बाल थे...

और उसका लंड जोकि थोड़ा सा जगा हुआ था काफ़ी मोटा लग रहा था...

गोलू ने फिर से ललिता को अपने नज़दीक बुलाया और उसको अपनी गोद में बिठा दिया...

ललिता के नंगे नितंब एक चौकीदार की नंगी जाँघ पर थे...

गोलू ने ललिता के बालो को सहलाते हुए उसके होंठो पे एक पप्पी देदि...

वो ललिता के होंठो को काटने लगा था और ललिता उसे कुच्छ नही कह पा रही थी...

उसके हाथ ललिता के मम्मो को मसल रहे थे... ललिता की चूत हल्का हल्का

पानी निकाल रही थी जोकि गोलू की जाँघ पर गिर रहा था... उसने ललिता को अपनी टाँगो

के सामने फर्श पे बिठा दिया और बोला "चल अब रांड़ की तरह मेरे मोटे

लंड को चूसना शुरू कर.... ललिता उस मोटे काले लंड को हाथ में लिया जिसके आस

पास से वीर्य की बदबू आ रही थी और उसको अपने होंठो से लगाया...

वो बदबू उसे उल्टी करने पर मजबूर कर रही थी मगर किसी तरह वो अपने आपको

संभाल रही थी... साथ में जिस तरह से गोलू उसके गोल मम्मो को नौच

रहा था ललिता दर्द के मारे काप रही थी... ललिता की चूत का पानी फर्श पे बहते

देख गोलू बोला "हाए कुतिया कितने मज़े आ रहे है मेरा लंड चूस्ते हुए तुझे

चल अब ज़्यादा समय नही इसलिए फर्श से उठ"

ललिता को अब लंड चूसने में थोड़ा मज़ा भी आ रहा था मगर वो उठी और

गोलू ने उसे गोद में उठा लिया और देवान पे आधा लिटा दिया यानी उसकी पीठ ही

सिर्फ़ दीवान पर थी.. अपने एक हाथ से ललिता के स्तन को दबाते हुए अपने मोटे

लंड को ललिता की चूत में घुसाने लगा... ललिता दर्द के मारे दीवान पे हिलने लगी... उसका लंड छोटा ज़रूर था मगर काफ़ी मोटा था जिस वजह ललिता को अलग ही

एहसास हो रहा था,, धीरे धीरे वो अपने लंड को हिलाने लग गया....

साथ में वो कुच्छ ना कुच्छ बकने लग गया जैसे कभी ललिता की गीली चूत की

तारीफ करता तो कभी उसके गोल मम्मो की.... उसने अपनी 2 उंगलिया ललिता के मुँह में

भी घुसा दी और ललिता बिना कहें उनको चूसने भी लग गयी....

फिर उसने ललिता को कुतिया की तरह बिठा दिया और अपने हाथ उसकी पतली कमर पे रख दिए... अपना लंड फिरसे उस गीली चूत में डालकर चोद्ने लगा....

अब उसने अपनी उंगलिया ललिता की गान्ड में घुसा दी और ललिता दर्द में मारे चिल्ला दी...

इससे पहले कभी भी उसने अपनी गान्ड में उंगली नही डाली थी...

उसके बाल इधर उधर हीले जा रहे थे... गोलू ने ललिता के जिस्म को जाकड़ लिया और

फर्श पे लेट कर ललिता को चोद्ने लगा... ललिता की पीठ गोलू के पेट से चिपकी हुई थी

और उसकी चूत में गोलू का लंड अभी भी हिल रहा था... ललिता के मम्मो को गोलू

ने अभी भी आज़ाद नही करा था... ललिता ख्वाबो की दुनिया में जा चुकी थी... गोलू अपनी भारी साँसें ले कर बोला "अब बता उस छोटे से लड़के के शहरी लंड में दम है या में देसी लॉड में" ललिता सिसकिया लेके बोली "आपके"... ये सुनके वो और ज़ोर से उसे चोद्ने लग गया...

उसे कभी नही लगता था कि एक ग़रीब 2 पैसे का नौकर भी उसे ऐसी जन्नत दिखा सकता है... गोलू ने तुर्रंत अपना लंड निकाला और ललिता के माथे गाल और होंठ पे अपना सारा

वीर्य चिड़क दिया.... कुच्छ देर ललिता फर्श पर ही लेटी रही और गोलू वहाँ से चले गया... ललिता ने अपने कपड़े एक बार फिरसे पहेने और अपना पर्स लेके वहाँ से चली गयी
 
पूरे रास्ते ललिता सोचती रही कि कैसे उसको मयंक ने ब्वकूफ़ बनाया और उसको ज़रा

सा भी पता नही चला..... उसे उस चौकीदार से चुद्वाने में भी कुच्छ ग़लत

नही लग रहा था क्यूंकी अंत में वो मयंक को सबक दिलाने में मदद कर रहा था... मगर जिस तरह से उस गोलू चौकीदार ने उसे चोदा वैसे शायद ही उसे कोई चोद पाएगा..."

शाम को जब ललिता सोकी उठी तब उसने चेतन को सोफे पे देखा जोकि परेशान हाथ

में फोन लिए बैठा था.. ललिता उसके पास जाके बैठी और पूछा "क्या बात है??"

चेतन बोला "कुच्छ नहीं"

ललिता बोली "बता ना मुझे"

चेतन ने आस पास अपनी मम्मी को ना पाते हुए बोला "एक बात है मगर आप मम्मी

को नहीं बताओगे" ललिता ने प्रॉमिस कहा... फिर चेतन बोला "चंदर है ना उसने अपने

घर की चाबी मयंक को दी थी.. वो जो आया था ना घर पे एक दिन रहने के लिए उसको..

हां तो चंदर तो स्कूल में था और वो घर पे अब नज़ाने कैसे उसकी मा घर

पहुचि और उसने मयंक को ज़मीन पर बिना कपड़े के देखा.. अब उसकी मा को

लग रहा है कि वो कोई लड़की वगेरा लाया था वहाँ पे और उसकी वजह बड़ी दिक्कत हो गई है यार"

ये सुनके ललिता मन ही मन मुस्कुरा दी.. उसे नहीं पता था कि बात यहाँ तक पहुच जाएगी मगर अब उसे लगा कि उसका बदला पूरा हो गया और वो मन ही मन उस

चौकीदार की वफ़ादारी को भी सलाम करने लगी..

रात को ललिता अपने बिस्तर पड़ी किस्मत के खेल पर हंस रही थी कि कहाँ चंदर से वो पहली बार

चुद्ना चाहती थी और वो हसरत उसकी मयंक ने पूरी करी और जब मयंक उसको चोद्ना चाहता था तब

चंदर के चौकीदार ने उसको चोद दिया... दोनो बारी उसकी चाहत कुच्छ और थी मगर उसका उल्टा हुआ और उस

उल्तेपन ने भी उसको काफ़ी मज़ा दिया.... जिस तरह से मयंक और गोलू ने उसे चोदा था शायद ही

चंदर वैसे कुच्छ कर पाता... उन दोनो में हिम्मत और अकल थी इसलिए वो ललिता को चोद पाए...

और इन दो चीज़ो की तो ललिता दीवानी भी थी.... सोचते सोचते ललिता का हाथ अपने टॉप के अंदर चले गया

और वो अपनी चुचियाँ से खेलने लगी.... हल्की हल्की आवाज़ें उसके कमरे में आने लगी...

उसका ध्यान तब टूटा जब उसके मोबाइल की लाइट जली... ललिता ने हाथ बढ़ा मोबाइल उठाया तो मैसेज आया

हुआ था जिसपे लिखा था "साली तुझे तो मैं मुँह दिखाने लायक नही छोड़ूँगा"

ललिता समझ गयी थी कि ये मयंक ने ही भेजा होगा मगर उसपे इस धमकी का ज़रा सा भी असर नही हुआ

और वो आँखें बंद करके ख्वाबो की दुनिया में चली गयी....

क्रमशः……………………….
 
जिस्म की प्यास--15

गतान्क से आगे……………………………………

रात के कुच्छ 2 बजे शन्नो की आँख खुली तो उसे भयंकर प्यास लगी... बिस्तर से उठ कर जब उसने दरवाज़ा

खोला तो टीवी की रोशनी आ रही थी.... शन्नो को लगा कि चेतन या फिर ललिता ही टीवी देख रहे होंगे तो वो

किचन में सीधा चली गयी पानी पीने के लिए... फ्रिड्ज की तरफ से जब उसकी नज़र टीवी पे पड़ी तो उधर एक

इंग्लीश मूवी आ रही थी.... शन्नो ने फिर फ्रिड्ज खोलके पानी निकाला और एक ग्लास में डालके पीने लगी...

जब अगले सेकेंड उसकी नज़र टीवी पे पड़ी तो उधर एक 30-35 साल की गोरी थी जो दो हिन्दुस्तानी लंड चूस रही थी...

इतनी हिम्मत कैसे हुई चेतन की जो खुले आम यहाँ ऐसी मूवी देख रहा है ये सवाल शन्नो ने अपने आप से पूछा....

वो औरत वो बड़े लंड ऐसे चूस रही थी कि मानो लॉली पोप हो.... शन्नो ड्रॉयिंग रूम रूम में गुस्से

में गयी तो देखा चेतन सोफे पे सोया पड़ा है..... शन्नो की फर्श पे नज़र पड़ी तो उधर रज़ाई नीचे

गिरी पड़ी थी तो वो उसे उठाने जब चेतन की ओर बढ़ी तो वो घबरा गयी.... चेतन का लंड उसकी आँखो

के सामने तना हुआ खड़ा था... अपने बेटे का लंड अपनी आखों सामने देख कर शन्नो को समझ नही

आया कि वो क्या करें और वो रज़ाई वही छोड़के वहाँ से भाग गयी.... बिस्तर पे लेटे लेटे वो

चेतन के लंड को याद करने लगी... नज़ाने कितने समय के बाद उसने लंड की शकल देखी होगी और वो भी

अपनी ही बेटे का.... शन्नो को अपनी चूत की नमी भी महसूस हो गयी क्यूंकी उसकी पैंटी गीली होने लगी थी...

उसे अपने आप पे यकीन नहीथा कि वो वो कितना नीचे गिर गयी है अपने ही बेटे के लौदे को देख कर उसकी ये

हालत हो गयी थी.....

अगली सुबह ललिता की आँख सबसे पहले खुल गयी... उसे बहुत ज़ोरो से पेशाब आ रही थी... वो बिस्तर से उठी

और अपने टाय्लेट में गयी.... टाय्लेट की सीट पे बैठे उसे याद आया जब पहली बारी मयंक ने उसे चोदा था

तब उसके अगले दिन उसके बदन में काफ़ी दर्द हुआ था मगर आज उसको ऐसा कुच्छ नही लग रहा था...

पेशाब करने के बाद जब हाथ धोके बाहर निकली तो घर की घंटी बजने लगी... जब दूसरी बारी घंटी बजी और

शन्नो अपने कमरे से नही निकली तो ललिता खुद दरवाज़ा खोलने चली गयी....

उसने दरवाज़े को खोला तो सामने दूधवाला खड़ा था.... ललिता ने उसे रुकने को कहा और किचन में

पतीला लेने चली गयी... आज दूधवाले ने पहली बारी शन्नो के अलावा किसी और को दूध लेते हुए देखा...

हालाकी जब भी वो शन्नो को दूध देता था तो वो शन्नो को देख कर यही सोचता था कि साली के पास पहले

से ही इतना दूध है तब भी मुझसे ख़रीदती है.... मगर शन्नो की बेटी भी उसकी तरह ही मोटे मम्मे वाली ही थी.... ललिता ने पतीला दूधवाले को दिया और जब उसने उसकी शकल को गौर से देखा तो उसको उस चौकीदार

की ही याद आ आगाई... इसकी तोंद भी उतनी ही बाहर थी और चेहरा लगभग वैसे ही था...

ललिता के चेहरे एक शरम वाली मुस्कुराहट छा गयी... पतीला पकड़ते वक़्त दूधवाले ने भी बड़ी

चालाकी से ललिता की उंगलिओ को छुआ जिस चालाकी की समझ ललिता को अच्छे से थी मगर उसने कुच्छ नही कहा....
 
फिर कुच्छ घंटे बाद दोनो बच्चे पढ़ने के लिए चले गये और घर पे रह गयी शन्नो....

नज़ाने शन्नो को एक अजीब सी परेशानी थी... पूरी रात भर वो चेतन के बारे में सोचती रही...

उसे लग रहा था कि वो अच्छी मा साबित नही हो पाई जो उसका बेटा इन रस्तो पे चल रहा है....

वो मानती थी कि लड़को की ये करने की उमर होती है मगर खुलेआम करना काफ़ी ग़लत बात थी...

अगर उसकी जगह ललिता अपने भाई को ऐसे देख लेती तो उसपे क्या बीतती....

उसने पूरी तरह ठान ली थी कि अपने बच्चो को सही राह पे लाने से पहले उसे अपने आपको ठीक करना पड़ेगा....

उसने फ़ैसला किया था कि आज के बाद वो हॉलो मॅन से बात भी नहीं करेगी और वो लंड को दूर जाके फेंक देगी....

वो इन्न सब बातो को वो राज़ ही रखना चाह रही थी और उसके बारे में भूल जाना चाहती थी.....

जैसी वो अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगी फोन की घंटी बजना शुरू हो गयी...

पहली बरी शन्नो ने उसको उठाया नही... दूसरी बारी उसने अपने आपको काबू में रखके कॉल कट कर

दिया मगर तीसरी बारी वो टूट गयी और हॉलो मॅन ने अपनी अजीब सी आवाज़ में कहा

"हेलो मॅम... आज अकेले अकेले शुरू हो गयी थी क्या"

जिन बातो से ललिता को चिढ़ मचती थी अब उनको सुनकर ही वो हवस में डूब रही थी....

मगर उसने हिम्मत दिखाते हुए कहा " मैं मानती हूँ कि तुम्हे बढ़ावा देने में मेरा भी हाथ है

मगर अब मैं इस सिलसिले को ख़तम करना चाहती हूँ"

हॉलो मॅन बोला " और उस तोफ़े का क्या जो मैने तुम्हे बड़े प्यार से दिया है??"

शन्नो बोली " तुम चाहो तो मैं तुम्हे तुम्हे वो वापस देदून्गि"

ह्म बोला " मैं किसी के इस्तेमाल करी चीज़ वापस नही लेता

शन्नो बोली "मैने उसको इस्तेमाल नही करा है.... देखो मेरे पति आने वाले है वापस 2-3 दिनो में प्लीज़

मुझे आज के बाद कॉल नही करना" (शन्नो ने झूठ बोला था)

शन्नो की बीनती को अनसुना करके एचएम बोला "बस एक बारी उस लंड को इस्तेमाल कर्लो... मस्ती छ्हा जाएगी"

शन्नो बोली "मुझे नही करना है ना"

एचएम बोला "मैं तुम्हे मस्ती में झूलता हुआ सुनना चाहता हूँ तुम्हारी नशे में डूबी हुई सिसकियाँ महसूस

करना चाहता हूँ... "

शन्नो ने उसे कुच्छ नहीं कहा... एचएम फिर बोला " मैं आपको कॉल करना बंद कर्दुन्गा अगर मेरी ये इच्छा पूरी कर दो..."

शन्नो दुविधा में पड़ गयी थी... एचएम फिर से बोला "मैं वादा करता हूँ"

शन्नो चाहती थी कि यही एक मौका है उसके पास जब इससे छुटकारा पा सकती थी.... शन्नो सोफे से उठी और

फोन लेके अपने कमरे में गयी.... हॉलो मॅन को अलमारी खुलने की आवाज़ सुनाई दी जिससे उसकी दिल की धड़कने

तेज़ होने लग गयी....

हॉलो मॅन बोला " निकाल लिया लंड को"

शन्नो ने "ह्म्म" कहा

हॉलो मॅन बोला " अब इसको ऑन करो मगर मिनट पॉवेर पर... (जिससे वो आहिस्ते से चले" .... हॉलोमॅन को आवाज़ आने लगी लंड के शुरू होने की... शन्नो के सामने लंड धीरे धीरे हिलने लग गया....
 
हॉलोमॅन बोला "अब अपनी जाँघो पे रगड़ते हुए इसको उपर की तरफ लेके जाओ और अपनी चूत की तरफ घूमाति रहो...

मगर पैंटी मत उतारना"

शन्नो बिस्तर पे बैठ गई और अपनी नीली नाइटी को अपनी कमर तक उपर कर्दिआ..... फिर धीरे से उस हिलते हुए

लंड को अपनी उल्टी जाँघ पे रखा और उपर की तरफ बढ़ती रही... पहले उसको कुच्छ ख़ास महसूस नही हुआ मगर

जैसी ही वो अपने चूत की तरफ बढ़ी उसे हल्की सी कपकपि आ गयी...

हॉलो मॅन बोला "अब अपनी पैंटी के उपर उसे हिलाती रहो... और फिर अपनी चूत पे"

शन्नो ने ठीक वैसे ही करा. और हल्की सी "आहह" निकल गयी उसके मुँह से.... फिर वो हॉलो मॅन के कहने पर

लंड को चूत पर उपर नीचे करती रही... शन्नो से अब वो नाइटी संभाली नही जा रही थी तो इसलिए उसने उसे

उतार के बिस्तर पे फेंक दिया....

हॉलोमॅन बोला " अब अपने उल्टे हाथ से अपनी पैंटी की सीधी तरफ से पाकड़ो और उल्टी तरफ खीचो ताकि तुम्हारी रेसीली

चूत दिखने लगे.... शन्नो को हॉलोमॅन का एक एक शब्द सॉफ सॉफ सुनाई दे रहा था और उसने ठीक वैसा ही करा

और जैसी ही वो लंड उस खुली चूत पे लगा शन्नो मस्ती में पागल हो गयी....

शन्नो ने हॉलोमॅन से धीरे से पुच्छा "अब??"

हॉलो मॅन को समझ आ गया था कि शन्नो पूरी तरह उसके बातो के जादू में फस चूकि है... उसने अपनी भारी

आवाज़ में बोला "अब अपनी पैंटी को उतार फेंको और उस लंड को अपनी गीली चूत पे चलाती रहो"

शन्नो ने अपनी काली पैंटी को फेंक दिया और जैसे ही उसका उल्टा हाथ फ्री हुआ उसने अपने मम्मो को ब्रा के उपर से ही

दबाना शुरू कर दिया...

शन्नो हवस में डूबी हुई थी ... उसने पूछा "हॉलो मॅन क्या मैं इससे अंदर डाल सकती हूँ"

हॉलो मन ने पूछा किसे "किससे??"

शन्नो बोली "इस लंड को..." हॉलो मॅन बोला "नहीं अभी नही... पहले तुम बिस्तर पे लेट जाओ और अपनी टांगे चौड़ी करो"

शन्नो अपनी टाँगें चौड़ी करके लेट गयी और जैसी ही हॉलो मॅन ने उसे आदेश दिया उसने उस मोटे लंड को अपने अंदर डाला और वो मदहोश हो गयी.... उसकी सिसकिया रुकने का नाम ही नही ले रही थी... हॉलो मन ने कहा " अब इस फोन को अपने बिस्तर के पास में रख दो और दूसरे हाथ से अपनी चुचियाँ से खेलो"

शन्नो हॉलो मॅन की आवाज़ को अपने कानो से दूर नही करना चाहती थी इसलिए उसने उसे स्पीकर पे लगा दिया और

अपनी ब्रा उतारके अपनी चुचियाँ को नौचने लगी....धीरे धीरे वो लंड काफ़ी अंदर तक चला गया था...

हॉलो मॅन ने कहा "अब रूको... लंड को सीधा करो और उसपे बैठो.... "

शन्नो ने वैसे ही करा और जब अपनी चूत को उस लंड में घुसाने लगी तो उससे बेहतर उसने कुच्छ महसूस नही

किया था.... वो लंड फिर से हिलने लगा और शन्नो की चूत के कोने कोने में उसका असर था....

हॉलो मॅन ने बोला "अब अपने दोनो हाथो से अपने नितंब को खीचो...." शन्नो ने अपने दोनो हाथ बढ़ाए और वैसे ही करने लगी... उसके नाख़ून उसकी कोमल त्वचा पे निशान बना रहे थे... वो लंड उसकी चूत के अंदर घुस कर उसे पागल

बना रहा था....
 
हॉलो मॅन बोला "अब उस लंड के साथ में एक और छोटा ऐंटीना सा है उसको अपनी गान्ड में घुसाओ"

शन्नो ने अभी तक ऐसा कुच्छ नही करा था और उसे ये करना अच्च्छा भी नही लगता था लेकिन उसने होलॉ मॅन की बात को पूरा माना और उस ऐंटीने को अपनी गान्ड में डाल दिया....

"ओइइ माआ" शन्नो ज़ोर से चिल्लाई... उसके दोनो छेद अब भरे हुए थे और वो मज़े ले रही थी...

ऐसा मज़ा उसे आज तक नही मिला था... अब वो अपने दोनो हाथो से अपने 38डी बड़े गोल मम्मो को मसल रही

थी और फिर अपनी ज़ुबान से अपनी चुचियाँ को चाट रही थी...."

शन्नो को अब ऐसा ही लग रहा था कि एक अंजान इंसान उसकी चूत और गान्ड दोनो मार रहा है और बीच बीच

में उसकी चुचियाँ को चूस रहा है.... वो अपनी आँखें बंद कर के हॉलो मॅन को उसको चोद्ते हुए देखने की कोशिश कर रही थी और फिर वो ज़ोर से चिल्लाई और उसकी चूत ने सारा पानी बिस्तर पे निकाल दिया....

हॉलो मॅन ने भारी साँस लेकर कहा "अब मेरे लंड को बिल्कुल सॉफ करदो" तो शन्नो अभी मदहोश हुई अपनी

आँखें बंद करके हॉलो मॅन के लंड को महसूस कर रही.... उसने वो लंड अपनी चूत से निकाला और

उसको चाटकार उसके उपर लगा पानी सारा चाट लिया"

फोन कट हो गया और शन्नो अभी भी बिस्तर पे नंगी लेटी रही.... इतने समय के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ा था... कुच्छ देर तक वो इसी एहसास को महसूस करती रही....

वक़्त बीतता गया और उसके साथ साथ शन्नो की जिस्म की प्यास बढ़ती गयी.... वो पूरी सुबह हॉलो मॅन के

कॉल का बेसब्री से इंतजार करती रही और जब भी वो उसे कॉल करता तो जो भी जैसा भी वो उसे करने को कहता

वो बिना कुच्छ कहे वो कर देती.... कभी वो किचन में अपनी चूत की प्यास उस लंड से भुजाति तो कभी टाय्लेट में.... हॉलो मॅन ने शन्नो के लिए एक अडल्ट मूवी भी भेजी थी जिसमें एक 40 साल की औरत को कयि लड़के मिलके

चोद रहे थे... उस वीडियो को देख देख कर शन्नो ने अपनी चूत को शांत किया और फिर उसकी गान्ड की प्यास

भुजाने के लिए हॉलो मॅन उसे एक और लंड तोफ़े में दिया जोकि पिच्छले वाला से थोड़ा पतला था...

अब तो असर इतना गहरा था कि शन्नो रात में भी हॉलो मॅन की आवाज़ को महसूस करके अपने आप को खुश करने की कोशिश करती थी...

मगर ललिता ने अपने आप पर काबू कर लिया था... उसे पता था कि हर जगह मुँह मारने लगेगी तो कोई भी उसे

कहीं का भी नही छोड़ेगा.... वो सही इंसान और मौके की तलाश में थी...

अगले ही दिन दोपहर की ट्रेन से डॉली दिल्ली आने वाली थी थी जिस खबर से सबसे ज़्यादा खुशी चेतन को हो रही थी...

वो अब और डॉली का इंतजार नही कर सकता था... शन्नो को खुशी के साथ साथ परेशानी भी थी और

वो इस बात की थी कि जब डॉली आजाएगी तो पूरे वक़्त वो घर पे रहा करेगी तो फिर हॉलो मॅन से वो बात कैसे करेगी??
 
डॉली की दिल्ली जाने वाली बात राज को पता थी मगर फिर भी उसने दिखावा करने के लिए डॉली से बात

तक नहीं कहीं.. डॉली मगर उससे मिलने के लिए बेताब थी.. वो जाने से पहले उससे मिलना चाहती थी इसलिए

उसने राज को कॉल करके मनाया और आज रात मिलने का प्लान बनाया. जब रात आई तो पहले की तरह ही

राज डॉली का इंतजार उसके घर के बाहर अपनी गाड़ी में कर रहा था.. डॉली जब गाड़ी में बैठी तो

राज ने देखा कि डॉली ने वोई कपड़े पहने है जिसमें वो उसे स्कूल में आखरी बार मिला था.

एक अजीब सी कशिश थी डॉली की आँखों मे जिसको देख कर राज उसकी ओर खीचा चला जा रहा था....

उसे लग रहा था कि आज रात शायद डॉली उसे अपना सब कुच्छ दे देगी.... कुच्छ बातें करने के बाद

राज ने मज़ाक में पूछा "क्या आज इस स्कर्ट के नीचे कुच्छ पहना भी है क्या??"

डॉली ये सुनके हंस पड़ी और उसको देख कर बोली "खुद देखलो"

राज बोला "अच्छा जब मैं आगे बढ़ुंगा तब तुम मुझे रोक दोगि. डॉली ने बोला "तुम रुकोगे क्या" राज ने

तभी गाड़ी एक सुनसान पुल के नीचे रोक दी और डॉली को देख कर मुस्कुराने लगा. राज ने अपना

हाथ बढ़ाया और डॉली बचने की कोशिश करती रही. डॉली की पीठ गाड़ी के शीशे से चुपकी हुई थी और

उसके हाथ स्तनो की तरफ थे जैसे कि वो उन्हे ढकने की कोशिश कर रही हो.... राज ने अपना एक हाथ

बढ़ाया और डॉली के दोनो हाथ को पकड़ा और दूसरे हाथ से स्कर्ट को उपर की तरफ उठा दिया.

डॉली की जांघें दिखने लगी तो डॉली ने अपनी टाँगें ज़ोर ज़ोर से हिलाई ताकि उसकी स्कर्ट नीचे हो जाए और

वैसा ही हुआ.... राज ने बड़ी बहरहमी से डॉली को स्कर्ट उपर करा और तब उसे डॉली की चूत एक सफेद रंग

की पैंटी से धकि हुई दिखी. राज ये देख कर अपनी जीत मनाने लगा. मस्ती में डॉली ने राज के

हाथ पे नाख़ून गढ़ा दिया और दर्द के मारे राज ने डॉली के हाथ को छोड़ दिया....

मगर राज ने अपनी पूरी ताक़त से डॉली के हाथ उपर उठाते हुए जाकड़ लिया... डॉली के दोनो हाथ

राज के हाथो की गिरफ़्त में थे जोकि गाड़ी की छत को च्छू रहे थे..... डॉली के चेहरे पर घबराहट थी

मगर उसकी आँखें चेतन की आँखों को घूर रही थी.... डॉली ने अब अपना हाथ छुड़ाने

की कोशिश भी नहीं की. राज डॉली के करीब बढ़ा और पास आते आते रुक गया. दोनो के होंठो के बीच

कुच्छ ही फासला था... दोनो एक दूसरे की तेज़ तेज़ साँसें महसूस कर पा रहे थे....

डॉली ने हल्के से बोला "मैं तुम्हे आज ये तौफा देना चाहती हूँ राज.." डॉली आइ लव यू कहकर रुक गयी और

फिर राज के होंठो को चूम लिया. राज ने डॉली के हाथो को छोड़कर उसके गालो प्यार से चुआ

और डॉली ने अपने हाथ राज की गर्दन पे रख दिए. डॉली ने आँखें बंद नहीं करी और वो राज को

देखती ही रही. चूमते चूमते राज के हाथ डॉली के स्तनो की तरफ बड़े और वो उन्हें दबाने लगा....

फिर अगले ही समय उसने टॉप के अंदर अपने हाथो को डाला और डॉली की गरम पेट को छुने लगा...

राज ने फिर डॉली के पर्पल टॉप को उतार दिया. एसी की ठंडी हवा डॉली के मम्मो पे लग रही थी जोकि

अभी भी सफेद ब्रा में छुपे हुए थे मगर उसकी चुचे इतने सख़्त हो गये थे कि ब्रा

में पता चल रहे थे...... उसको राज पे अब पूरा भरोसा और प्यार था और अब डॉली भी उस प्यार

को महसूस करना चाहती थी. राज ने ब्रा के हुक्स को भी खोल दिया और उसकी ब्रा उसकी गोद में जा गिरी.

डॉली के मम्मो को देख कर तो वो बस उनमें खो गया. आहिस्ते से उनके चूमने और चूसने लगा.

डॉली ने अब अपनी आखें बंद करली थी और ये देख कर राज ने उसको वापस होंठो पे चूमा और आखें

खोलने को कहा. डॉली की आखों में से एक आँसू टपकते देख राज रुक गया मगर डॉली

ने उसको रुकने नहीं दिया. डॉली ने हाथ बढ़ाया और राज की जीन्स और अंडरवेर को उतार दिया.

राज का लंड एक साधारण हिन्दुस्तानी के जितना बड़ा था. डॉली ने उसको चूसना शुरू करा. धीरे धीरे उसको

चुस्ती रही. राज उस वजह से पागल हो गया था. डॉली लंड को चूस्ते हुए भी इतनी प्यारी लग रही थी.

फिर राज ने डॉली को अपने लंड से दूर करा और फिर उसने अपनी मनोकामना पूरी करी. उसने डॉली की सफेद स्कर्ट

को झटके से नीचे उतार दिया.... राज ने फिर पैंटी उतारनी चाही मगर डॉली ने उसको रोक दिया....

क्रमशः……………………….
 
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