hotaks444
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"ओह शमा" राज बस इतना ही कह पाया... तभी स्वीटी ने अपना मुँह उसकी चूंचियो पर रख दिया और उस पर गीरे वीर्य को चाटने लगी... और प्रीति उसके चेहरे को अपनी ओर खींच उसके होठों को चूसने लगी... शमा का बदन और उत्तेजना मे भर उठा... पूरा बदन कांप उठा.. उसने अपने आप को इन दोनो से छुड़ाया और अपने कमरे की ओर भाग गयी. राज शमा के पीछे पीछे जाना चाहता लेकिन स्वीटी ने उसे रोक दिया... "राज जाने दो इसे...वो थोड़ा घबरा गयी है..बस उसे थोड़ा वक्त लगेगा संभालने मे"
“ठीक है" राज ने धीरे से कहा..
"लेकिन एक बात बताओ तुमने ये कैसे सोच लिया कि तुम मुझे चोदे बिना यहाँ से जा सकते हो? " इतना कहकर स्वीटी ने उसके लंड को पकड़ लिया और अपने मुँह मे ले चूसने लगी... थोड़ी ही देर मे उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.. वो उसके सूपदे पर अपनी जीब फिराने लगी...
"और अभी तो में भी बाकी हूँ.. में तुम्हे ऐसे ही नही जाने दूँगी" प्रीति ने कहा और वो नीचे स्वीटी के पास बैठ कर उसकी चुचियों को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी... .स्वीटी ने अपना टॉप उतार दिया और राज के सामने नंगी खड़ी हो गयी..और उसे बेतहाशा चूमने लगी... फिर वहीं
दीवान पर लेट गयी और अपनी टाँगे फैला दी....
"आओ राज और चोदो मुझे.... आज फाड़ दो मेरी चूत को.. बहोत खुजलाती रहती है." स्वीटी ने अपनी चूत को उंगलियों से फैलाते हुए कहा... प्रीति खिसक कर अपनी बेहन के बगल मे आ गयी और देखने लगी कि राज अब स्वीटी की टाँगो के बीच आ कर अपने खड़े लंड को उसकी चूत
मे घुसा रहा था... प्रीति ने आगे बढ़ स्वीटी के होठों को चूम लिया.. और उसके हाथ उसकी चुचि को सहलाने लगे... उसने अपन हाथ उसकी टाँगों के बीच डाल राज के लंड को पीछे से पकड़ लिया....
"अब में तुम दोनो को अपनी नयी पॅंटी दीखाती हूँ जो मेने आज ही खरीदी है.." कहकर प्रीति ने अपनी डेनिम की स्कर्ट उठा दी.. उसकी एक छोटी सी पॅंटी दीखने लगी जिसमे मुश्किल से उसकी चूत छुप पा रही थी.. "प्रीति बहोत ही अछी पॅंटी है.. पहले क्यों नही दीखाई? कहकर राज ने एक ज़ोर का धक्का स्वीटी की चूत मे मारा... प्रीति ने अपनी स्कर्ट उतार दी और स्वीटी के बगल मे बैठ उन दोनो की चुदाई देखने लगी...
राज अब ज़ोर ज़ोर के धक्के मार स्वीटी को चोद रहा था.. "हां राज ऐसे ही कस के चोदो ...ऑश हां और ज़ोर ज़ोर से चोदो... ओह घुसा दो अपना पूरा लंड मेरी चूत मे " स्वीटी अपनी आँखे बंद किए सिसक रही थी.. राज ने थोड़ी देर बाद अपने लंड को स्वीटी की चूत से बाहर निकाल अपनी बेहन को उसे चूस कर सॉफ करने के लिए कहा... प्रीति उसके लंड को
अपने मुँह मे ले उसे चूसने लगी... अब उसका लंड थोड़ा फिर खड़ा हो गया तो उसने एक बार फिर स्वीटी की चूत मे घुसा दिया..
प्रीति ने अपनी नयी पॅंटी उतार दी.. राज उसे लेना चाहता था लेकिन उसने राज को ना देकर अपनी पॅंटी स्वीटी के मुँह पर रख दी... "स्वीटी मेरी पॅंटी पर लगे मेरे रस चॅटो.. और राज को दीखाओ.. और उसे जी भर के चिढ़ाओ.." प्रीति ने अपनी पॅंटी को उसके मुँह मे तूस्टे हुए कहा.
प्रीति एक बार फिर स्वीटी की चुचियों को चूसने लगी और साथ ही उसने अपनी उंगली राज के लॉंड एक साथ साथ उसकी चूत मे घुसा अंदर बाहर करने लगी.. थोड़ी ही देर मे स्वीटी सिसकने लगी..
'ओह हां ओह और ज़ोर से श हाँ और ज़ोर से चोदो ओह.. मेरा तो छूटाआआ."
और वो झाड़ गयी... स्वीटी की सिसक्रियाँ सुन राज ने अपने लंड को जितना हो सकता था अंदर
घुसा अपना पानी छोड़ दिया... "ओह्ह राज तुम्हारा लंड कितना अछा लग रहा है.. " स्वीटी ने अपनी गंद
को घूमाते हुए कहा... "प्रीति में तो कहती हूँ तुम्हे भी लंड का मज़ा अपनी चूत मे लेना चाहिए.. राज तुमने अपनी बेहन को इस भीमकया लंड का मज़ा नही दिया.. बड़े बदमाश हो तुम?
राज और प्रीति का शरम का मारे लाल हुआ चेहरा और झुकी हुई नज़रों ने स्वीटी को सब कुछ बता दिया...."वो क्या है ना स्वीटी मेने एक बार कोशिश की थी.. लेकिन सही मे बहोत दर्द हुआ था.. फिर मेरी हिम्मत ही नही पड़ी" प्रीति ने सफाई मे कहा. "क्या तुमने सिर्फ़ एक ही बार चुदवाया? " स्वीटी असचर्या से उछलती हुई बोली "अगर मैं तुम्हारी जगह इस विशाल लंड के साथ ही घर मे रहती
होती तो कसम से दिन मे चार चार बार चुदाई करती.." स्वीटी ने कहा, "अब काम करो यहाँ मेरे बगल मे लेटो और में देखना चाहती हूँ कि ये तुम्हारी बिना बालों की चूत को कैसे चोद्ता है?"
प्रीति तो पहले से ही राज से चुदवाने का प्रोग्राम बना कर ही आई
थी.. इसलिए वो खुशी खुशी दीवान पर पीठ के बल लेट गयी और
अपनी टाँगो को फैला दिया... स्वीटी ने राज के लंड को पकड़ पहेले अपने मुँह मे लेकर उसे चूस कर
सॉफ करने लगी... राज का लंड एक बार फिर तन कर खड़ा होने लगा... "हां अब ये तय्यार है.. चोदो प्रीति को अपने इस विशाल लंड से" कहकर स्वीटी ने उसके लंड को अपने मुँह से निकाल दिया..
राज अपनी बेहन की टाँगो के बीच आ गया और थोड़ी देर अपने लंड को उसकी चूत पर घिसने लगा.. जब उसका लंड प्रीति की चूत से बहते रस अछी तरह गीला हो गया तो वो अपने लंड को धीरे धीरे अंदर घुसने लगा... उसकी चूत इतनी कसी हुई थी कि राज को अंदर घुसने मे ज़ोर लगाना पड़ रहा था... लेकिन प्रीति ने उसे बताया कि आज उसे दर्द नही हो रहा है... राज की हम्मत बढ़ गयी.. वो और ताक़त लगाकर अपने लंड को अंदर घुसने लगा... राज का लंड जब अछी तरह से प्रीति की चूत मे घुस गया तो वो धीमे धीमे धक्के लगा उसे चोदने लगा.. थोड़ी ही देर मे दोनो
उत्तेजना की चरम सीमा तक पहुँच गये.. दोनो की चुदाई के देख स्वीटी फिर से गरमा उठी...वो प्रीति एक चेहरे पर चढ़ि और अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी..
"श प्रीति मुझसे नही रहा जा रहा मेरी चूत को चूसो और मेरी चूत मे भरे अपने भाई के वीर्य को पी जाओ " प्रीति ने उसके दोनो कुल्हों को पकड़ा और अपनी जीब बाहर निकाल उसकी चूत मे घुसा दी.. अब वो उसकी चूत मे भरे अपने भाई के रस को चाटने लगी..
क्रमशः................
“ठीक है" राज ने धीरे से कहा..
"लेकिन एक बात बताओ तुमने ये कैसे सोच लिया कि तुम मुझे चोदे बिना यहाँ से जा सकते हो? " इतना कहकर स्वीटी ने उसके लंड को पकड़ लिया और अपने मुँह मे ले चूसने लगी... थोड़ी ही देर मे उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.. वो उसके सूपदे पर अपनी जीब फिराने लगी...
"और अभी तो में भी बाकी हूँ.. में तुम्हे ऐसे ही नही जाने दूँगी" प्रीति ने कहा और वो नीचे स्वीटी के पास बैठ कर उसकी चुचियों को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी... .स्वीटी ने अपना टॉप उतार दिया और राज के सामने नंगी खड़ी हो गयी..और उसे बेतहाशा चूमने लगी... फिर वहीं
दीवान पर लेट गयी और अपनी टाँगे फैला दी....
"आओ राज और चोदो मुझे.... आज फाड़ दो मेरी चूत को.. बहोत खुजलाती रहती है." स्वीटी ने अपनी चूत को उंगलियों से फैलाते हुए कहा... प्रीति खिसक कर अपनी बेहन के बगल मे आ गयी और देखने लगी कि राज अब स्वीटी की टाँगो के बीच आ कर अपने खड़े लंड को उसकी चूत
मे घुसा रहा था... प्रीति ने आगे बढ़ स्वीटी के होठों को चूम लिया.. और उसके हाथ उसकी चुचि को सहलाने लगे... उसने अपन हाथ उसकी टाँगों के बीच डाल राज के लंड को पीछे से पकड़ लिया....
"अब में तुम दोनो को अपनी नयी पॅंटी दीखाती हूँ जो मेने आज ही खरीदी है.." कहकर प्रीति ने अपनी डेनिम की स्कर्ट उठा दी.. उसकी एक छोटी सी पॅंटी दीखने लगी जिसमे मुश्किल से उसकी चूत छुप पा रही थी.. "प्रीति बहोत ही अछी पॅंटी है.. पहले क्यों नही दीखाई? कहकर राज ने एक ज़ोर का धक्का स्वीटी की चूत मे मारा... प्रीति ने अपनी स्कर्ट उतार दी और स्वीटी के बगल मे बैठ उन दोनो की चुदाई देखने लगी...
राज अब ज़ोर ज़ोर के धक्के मार स्वीटी को चोद रहा था.. "हां राज ऐसे ही कस के चोदो ...ऑश हां और ज़ोर ज़ोर से चोदो... ओह घुसा दो अपना पूरा लंड मेरी चूत मे " स्वीटी अपनी आँखे बंद किए सिसक रही थी.. राज ने थोड़ी देर बाद अपने लंड को स्वीटी की चूत से बाहर निकाल अपनी बेहन को उसे चूस कर सॉफ करने के लिए कहा... प्रीति उसके लंड को
अपने मुँह मे ले उसे चूसने लगी... अब उसका लंड थोड़ा फिर खड़ा हो गया तो उसने एक बार फिर स्वीटी की चूत मे घुसा दिया..
प्रीति ने अपनी नयी पॅंटी उतार दी.. राज उसे लेना चाहता था लेकिन उसने राज को ना देकर अपनी पॅंटी स्वीटी के मुँह पर रख दी... "स्वीटी मेरी पॅंटी पर लगे मेरे रस चॅटो.. और राज को दीखाओ.. और उसे जी भर के चिढ़ाओ.." प्रीति ने अपनी पॅंटी को उसके मुँह मे तूस्टे हुए कहा.
प्रीति एक बार फिर स्वीटी की चुचियों को चूसने लगी और साथ ही उसने अपनी उंगली राज के लॉंड एक साथ साथ उसकी चूत मे घुसा अंदर बाहर करने लगी.. थोड़ी ही देर मे स्वीटी सिसकने लगी..
'ओह हां ओह और ज़ोर से श हाँ और ज़ोर से चोदो ओह.. मेरा तो छूटाआआ."
और वो झाड़ गयी... स्वीटी की सिसक्रियाँ सुन राज ने अपने लंड को जितना हो सकता था अंदर
घुसा अपना पानी छोड़ दिया... "ओह्ह राज तुम्हारा लंड कितना अछा लग रहा है.. " स्वीटी ने अपनी गंद
को घूमाते हुए कहा... "प्रीति में तो कहती हूँ तुम्हे भी लंड का मज़ा अपनी चूत मे लेना चाहिए.. राज तुमने अपनी बेहन को इस भीमकया लंड का मज़ा नही दिया.. बड़े बदमाश हो तुम?
राज और प्रीति का शरम का मारे लाल हुआ चेहरा और झुकी हुई नज़रों ने स्वीटी को सब कुछ बता दिया...."वो क्या है ना स्वीटी मेने एक बार कोशिश की थी.. लेकिन सही मे बहोत दर्द हुआ था.. फिर मेरी हिम्मत ही नही पड़ी" प्रीति ने सफाई मे कहा. "क्या तुमने सिर्फ़ एक ही बार चुदवाया? " स्वीटी असचर्या से उछलती हुई बोली "अगर मैं तुम्हारी जगह इस विशाल लंड के साथ ही घर मे रहती
होती तो कसम से दिन मे चार चार बार चुदाई करती.." स्वीटी ने कहा, "अब काम करो यहाँ मेरे बगल मे लेटो और में देखना चाहती हूँ कि ये तुम्हारी बिना बालों की चूत को कैसे चोद्ता है?"
प्रीति तो पहले से ही राज से चुदवाने का प्रोग्राम बना कर ही आई
थी.. इसलिए वो खुशी खुशी दीवान पर पीठ के बल लेट गयी और
अपनी टाँगो को फैला दिया... स्वीटी ने राज के लंड को पकड़ पहेले अपने मुँह मे लेकर उसे चूस कर
सॉफ करने लगी... राज का लंड एक बार फिर तन कर खड़ा होने लगा... "हां अब ये तय्यार है.. चोदो प्रीति को अपने इस विशाल लंड से" कहकर स्वीटी ने उसके लंड को अपने मुँह से निकाल दिया..
राज अपनी बेहन की टाँगो के बीच आ गया और थोड़ी देर अपने लंड को उसकी चूत पर घिसने लगा.. जब उसका लंड प्रीति की चूत से बहते रस अछी तरह गीला हो गया तो वो अपने लंड को धीरे धीरे अंदर घुसने लगा... उसकी चूत इतनी कसी हुई थी कि राज को अंदर घुसने मे ज़ोर लगाना पड़ रहा था... लेकिन प्रीति ने उसे बताया कि आज उसे दर्द नही हो रहा है... राज की हम्मत बढ़ गयी.. वो और ताक़त लगाकर अपने लंड को अंदर घुसने लगा... राज का लंड जब अछी तरह से प्रीति की चूत मे घुस गया तो वो धीमे धीमे धक्के लगा उसे चोदने लगा.. थोड़ी ही देर मे दोनो
उत्तेजना की चरम सीमा तक पहुँच गये.. दोनो की चुदाई के देख स्वीटी फिर से गरमा उठी...वो प्रीति एक चेहरे पर चढ़ि और अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी..
"श प्रीति मुझसे नही रहा जा रहा मेरी चूत को चूसो और मेरी चूत मे भरे अपने भाई के वीर्य को पी जाओ " प्रीति ने उसके दोनो कुल्हों को पकड़ा और अपनी जीब बाहर निकाल उसकी चूत मे घुसा दी.. अब वो उसकी चूत मे भरे अपने भाई के रस को चाटने लगी..
क्रमशः................