hotaks444
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वासू देव, अश्विन और नीता रात के खाने के लिए के बाहर गये थे
और रवि और सोनिया भी बाहर थे..कुछ पिज़्ज़ा खाने के लिए लाने
घर मे प्रीति और राज ही थे..
"कुछ खास नही बस आज की शाम काफ़ी अच्छी गुज़री" राज ने आँख
मारते हुए प्रीति को जवाब दिया.
"वो तो तुम्हारे चेहरे से ही पता चल रहा है.. में तो ये जानना
चाहती हूँ कि आज किसकी चुदाई की तुमने?" प्रीति ने पूछा.
"क्या चुदाई करने से ही शाम अच्छी गुज़रती है.. क्या और कोई वजह
नही हो सकती?" राज ने पलट के सवाल किया.
"राज ये याद रखो कि में तुम्हारी बेहन हूँ.. और मुझसे बेहतर
तुम्हे कोई नही जानता.. तुम्हारे चेहरे की खुशी बता रही है कि
तुमने आज किसी की चोदा है" प्रीति ने कहा.." हंसते हुए प्रीति ने
कहा और उसके लंड को पकड़ जोरों से दबा दिया.
"अगर तुम ये जानना चाहती हो तो सुनो आज शाम मेने मम्मी की चुदाई
की है"
"सच क्या आज फिर से तुम होटेल मे गये थे?"
"नही होटेल नही गया था आज मेने मम्मी के साथ किचन मे चुदाई
की और अब मम्मी ये भी जानती है कि हम दोनो आपस मे चुदाई करते
है."
"क्या मम्मी ने इस बारे मे कुछ कहा नही?"
"नही मम्मी चुदाई मे इतनी मगन थी कि उसे कुछ कहना याद ही नही
रहा.. और मुझे लगता है अब हम दोनो बराबर हो गये है.. मेने
मम्मी को चोदा और तुम डेडी से चुदवा चुकी हो" राज ने हंसते हुए
कहा.
"नही मुझे दुख है कि हम बराबर नही है क्यों कि में मम्मी के
साथ भी सेक्स कर चुकी हूँ"
"क्या कह रही हो? कब और कहाँ.. और तुमने पहले मुझे क्यों नही
बताया." राज ने असचर्या से पूछा...
तब प्रीति ने राज को बताया की किस तरह शॉपिंग के बाद स्वीटी और
उसने मम्मी के साथ किया और किस तरह एक दूसरे को खरीदे गये नई
खिलोने के साथ मज़ा दिया.
"बड़ी बदमाश हो तुम.. आज तक तुमने ये बात मुझसे छुपा के रखी"
राज ने कहा.
"जानबूझ कर नही किया राज बस दिमाग़ मे ही नही आया तुम्हे
बताना .. लाओ इसके बदले मे तुम्हारा लंड चूस देती हूँ" प्रीति ने
उसकी जीन्स की ज़िप को खोलते हुए कहा...
"ह्म्म्म्म ख़याल बुरा नही है" राज ने कहा.. प्रीति ने उसकी जीन्स को
थोड़ा नीचे खिसकाया और उसके लंड को बाहर निकाल चूसने लगी...
तभी मेन दरवाज़ा खुला और उनके ममरे भाई बेहन लौट आए...
"में रुक जाऊ या फिर चूस्ति रहूं?" प्रीति ने राज से पूछा..
"मेरा ख़याल है रुक जाओगी तो बेहतर रहेगा.. क्योंकि पता नही उस
रात के बाद उनके दिल मे क्या है?" राज ने कहा.
रवि और सोनिया हाथों मे पिज़्ज़ा लिए कमरे मे दाखिल हुए.. राज
किचन मे ड्रिंक के लिए ग्लास लाने चला गया और सोनिया प्रीति के
बगल मे आकर बैठ गयी.. उसने देखा कि राज का लंड पूरी तरह
तन कर खड़ा था.. वो सोचने लगी कि पता नही ये दोनो क्या कर रहे
थे..
राज ग्लास लेकर वापस लौटा और अपनी बेहन की दूसरी ओर बैठ गया
जिससे प्रीति अब राज और सोनिया के बीच थी.. रवि एक कुर्सी पर आराम
से बैठ गया.. उसकी नज़रे तीनो पर टीकी हुई थी और सोच रहा था
कि क्या आज की रात पिछली रात की तरह गुज़रेगी.. क्या उसे प्रीति को
चोद्ने का मौका मिलेगा....
तभी सोनिया ने एक मूवी लगा दी और सभी पिक्चर देखने लगे..
लेकिन प्रीति कहाँ शांत बैठने वाली थी..उसकी चूत मे तो हर वक़्त
आग लगी रहती थी.. चींतिया रेंगती रहती थी... अपने भाई का लंड
चूसने से उसकी चूत गीली हो चुकी थी.. लेकिन वो बेचारी क्या
करती सोनिया उसके बगल मे बैठी थी.. उसने अपना एक हाथ सोनिया की
जांघों पर रखा और सहलाने लगी....और फिर अपने हाथ को धीरे
धीरे उसकी चूत की ओर बढ़ाने लगी...
प्रीति की हरकतों से सोनिया को भी आनंद आने लगा था उसने अपने आप
को थोड़ा अड्जस्ट कर अपनी टाँगे फैला दी... प्रीति के चेहरे पर
मुस्कुराहट आ गयी और अपनी आँखो को टीवी पर गड़ाए रख अब वो सोनिया
की चूत को सहलाने लगी... फिर उसने अपना दूसरा हाथ राज के लंड
पर रख उसे मसल्ने लगी...
रवि ने तिर्छि नज़रों से अपनी निगाह टीवी से हटा कर अपनी बेहन और
प्रीति पर डाली तो चौंक पड़ा... प्रीति ने अपने भाई के लंड को
बाहर निकाल लिया था और मसल रही थी और दूसरे हाथ से उसकी
बेहन की चूत मसल रही थी.. इस तरह का द्रिश्य देख उसका लंड
पॅंट मे फड़फदा उठा...
तभी सोनिया ने अपने हाथ बढ़ा कर प्रीति की चुचियों को उसकी टी-
शर्ट के उपर से पकड़ लिया और मसल्ने लगी... रवि सोचने लगा कि
क्या उसे एक बार फिर अपनी बेहन की चुचियों को पकड़ने का मौका
मिलेगा क्या उसे फिर अपनी बेहन की चूत मे लंड घुसाने को मिलेगा...इन्ही
ख़यालों मे खोया वो तीनो देखता रहा.
तभी प्रीति अपनी जगह से उठी और कहा उसे टाय्लेट जाना है.. वो राज के
खुले लंड को वैसे ही छोड़ वहाँ से चली गयी... जाते हुए उसने
रवि की ओर मुकुरकर देखा.. सोनिया ने कोशिश की वो टीवी पर चल
रही पिक्चर देखे लेकिन उसकी नज़रे रह रह कर राज के मूसल लंड
पर ठहर जाती... उसे वो पल याद आ गये जब राज ने अपने भारी
भरकम लंड से उसे चोदा था.. कितना अच्छा महसूस हुआ था उसे वो राज
के लंड को एक बार फिर अपनी चूत मे महसूस करना चाहती थी.. उसने
आगे बढ़ कर उसके लंड को अपने हाथों मे ले लिया और धीरे धीरे
सहलाने लगी... फिर उसे अपनी मुट्ठी मे कस मसल्ने लगी. उसकी मुट्ठी
उस लंबे मोटे लंड उपर नीचे होने लगी...
और रवि और सोनिया भी बाहर थे..कुछ पिज़्ज़ा खाने के लिए लाने
घर मे प्रीति और राज ही थे..
"कुछ खास नही बस आज की शाम काफ़ी अच्छी गुज़री" राज ने आँख
मारते हुए प्रीति को जवाब दिया.
"वो तो तुम्हारे चेहरे से ही पता चल रहा है.. में तो ये जानना
चाहती हूँ कि आज किसकी चुदाई की तुमने?" प्रीति ने पूछा.
"क्या चुदाई करने से ही शाम अच्छी गुज़रती है.. क्या और कोई वजह
नही हो सकती?" राज ने पलट के सवाल किया.
"राज ये याद रखो कि में तुम्हारी बेहन हूँ.. और मुझसे बेहतर
तुम्हे कोई नही जानता.. तुम्हारे चेहरे की खुशी बता रही है कि
तुमने आज किसी की चोदा है" प्रीति ने कहा.." हंसते हुए प्रीति ने
कहा और उसके लंड को पकड़ जोरों से दबा दिया.
"अगर तुम ये जानना चाहती हो तो सुनो आज शाम मेने मम्मी की चुदाई
की है"
"सच क्या आज फिर से तुम होटेल मे गये थे?"
"नही होटेल नही गया था आज मेने मम्मी के साथ किचन मे चुदाई
की और अब मम्मी ये भी जानती है कि हम दोनो आपस मे चुदाई करते
है."
"क्या मम्मी ने इस बारे मे कुछ कहा नही?"
"नही मम्मी चुदाई मे इतनी मगन थी कि उसे कुछ कहना याद ही नही
रहा.. और मुझे लगता है अब हम दोनो बराबर हो गये है.. मेने
मम्मी को चोदा और तुम डेडी से चुदवा चुकी हो" राज ने हंसते हुए
कहा.
"नही मुझे दुख है कि हम बराबर नही है क्यों कि में मम्मी के
साथ भी सेक्स कर चुकी हूँ"
"क्या कह रही हो? कब और कहाँ.. और तुमने पहले मुझे क्यों नही
बताया." राज ने असचर्या से पूछा...
तब प्रीति ने राज को बताया की किस तरह शॉपिंग के बाद स्वीटी और
उसने मम्मी के साथ किया और किस तरह एक दूसरे को खरीदे गये नई
खिलोने के साथ मज़ा दिया.
"बड़ी बदमाश हो तुम.. आज तक तुमने ये बात मुझसे छुपा के रखी"
राज ने कहा.
"जानबूझ कर नही किया राज बस दिमाग़ मे ही नही आया तुम्हे
बताना .. लाओ इसके बदले मे तुम्हारा लंड चूस देती हूँ" प्रीति ने
उसकी जीन्स की ज़िप को खोलते हुए कहा...
"ह्म्म्म्म ख़याल बुरा नही है" राज ने कहा.. प्रीति ने उसकी जीन्स को
थोड़ा नीचे खिसकाया और उसके लंड को बाहर निकाल चूसने लगी...
तभी मेन दरवाज़ा खुला और उनके ममरे भाई बेहन लौट आए...
"में रुक जाऊ या फिर चूस्ति रहूं?" प्रीति ने राज से पूछा..
"मेरा ख़याल है रुक जाओगी तो बेहतर रहेगा.. क्योंकि पता नही उस
रात के बाद उनके दिल मे क्या है?" राज ने कहा.
रवि और सोनिया हाथों मे पिज़्ज़ा लिए कमरे मे दाखिल हुए.. राज
किचन मे ड्रिंक के लिए ग्लास लाने चला गया और सोनिया प्रीति के
बगल मे आकर बैठ गयी.. उसने देखा कि राज का लंड पूरी तरह
तन कर खड़ा था.. वो सोचने लगी कि पता नही ये दोनो क्या कर रहे
थे..
राज ग्लास लेकर वापस लौटा और अपनी बेहन की दूसरी ओर बैठ गया
जिससे प्रीति अब राज और सोनिया के बीच थी.. रवि एक कुर्सी पर आराम
से बैठ गया.. उसकी नज़रे तीनो पर टीकी हुई थी और सोच रहा था
कि क्या आज की रात पिछली रात की तरह गुज़रेगी.. क्या उसे प्रीति को
चोद्ने का मौका मिलेगा....
तभी सोनिया ने एक मूवी लगा दी और सभी पिक्चर देखने लगे..
लेकिन प्रीति कहाँ शांत बैठने वाली थी..उसकी चूत मे तो हर वक़्त
आग लगी रहती थी.. चींतिया रेंगती रहती थी... अपने भाई का लंड
चूसने से उसकी चूत गीली हो चुकी थी.. लेकिन वो बेचारी क्या
करती सोनिया उसके बगल मे बैठी थी.. उसने अपना एक हाथ सोनिया की
जांघों पर रखा और सहलाने लगी....और फिर अपने हाथ को धीरे
धीरे उसकी चूत की ओर बढ़ाने लगी...
प्रीति की हरकतों से सोनिया को भी आनंद आने लगा था उसने अपने आप
को थोड़ा अड्जस्ट कर अपनी टाँगे फैला दी... प्रीति के चेहरे पर
मुस्कुराहट आ गयी और अपनी आँखो को टीवी पर गड़ाए रख अब वो सोनिया
की चूत को सहलाने लगी... फिर उसने अपना दूसरा हाथ राज के लंड
पर रख उसे मसल्ने लगी...
रवि ने तिर्छि नज़रों से अपनी निगाह टीवी से हटा कर अपनी बेहन और
प्रीति पर डाली तो चौंक पड़ा... प्रीति ने अपने भाई के लंड को
बाहर निकाल लिया था और मसल रही थी और दूसरे हाथ से उसकी
बेहन की चूत मसल रही थी.. इस तरह का द्रिश्य देख उसका लंड
पॅंट मे फड़फदा उठा...
तभी सोनिया ने अपने हाथ बढ़ा कर प्रीति की चुचियों को उसकी टी-
शर्ट के उपर से पकड़ लिया और मसल्ने लगी... रवि सोचने लगा कि
क्या उसे एक बार फिर अपनी बेहन की चुचियों को पकड़ने का मौका
मिलेगा क्या उसे फिर अपनी बेहन की चूत मे लंड घुसाने को मिलेगा...इन्ही
ख़यालों मे खोया वो तीनो देखता रहा.
तभी प्रीति अपनी जगह से उठी और कहा उसे टाय्लेट जाना है.. वो राज के
खुले लंड को वैसे ही छोड़ वहाँ से चली गयी... जाते हुए उसने
रवि की ओर मुकुरकर देखा.. सोनिया ने कोशिश की वो टीवी पर चल
रही पिक्चर देखे लेकिन उसकी नज़रे रह रह कर राज के मूसल लंड
पर ठहर जाती... उसे वो पल याद आ गये जब राज ने अपने भारी
भरकम लंड से उसे चोदा था.. कितना अच्छा महसूस हुआ था उसे वो राज
के लंड को एक बार फिर अपनी चूत मे महसूस करना चाहती थी.. उसने
आगे बढ़ कर उसके लंड को अपने हाथों मे ले लिया और धीरे धीरे
सहलाने लगी... फिर उसे अपनी मुट्ठी मे कस मसल्ने लगी. उसकी मुट्ठी
उस लंबे मोटे लंड उपर नीचे होने लगी...