Indian Sex Story बदसूरत - Page 2 - SexBaba
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चाचा:- बस छोटा ...मेरे साथ बैठो...

ऐसा बोल के चाचा ने कोटा बोल के बड़ा सा पेग बना दिया...और सुहानी को थामा दिया।

सुहानी थोडा सा पिया...

सुहानी:- उफ्फ्फ कितनी कड़वी है ये...

चाचा:- तो इसके साथ ये खाओ...चाचा ने सुहानी को सल्टेड काजू दिए...सुहानी वो खाने लगी।

चाचा बड़ा चालू इंसान था...वो सुहानी को पिला के मजे करना चाहता था। पर सुहानी उससे भी होशियार थी...वो बस पिने का नाटक करने लगी।

चाचा:+ अरे पिलो बेटा...कुछ नहीं होगा...अछि नींद आएगी...

सुहानी को मज़बूरी में थोडा पीना पड़ा...उसे थोडा अच्छा फील होने लगा था। थोडा नशा सा होने लगा...पर वो अपने सेन्सस में थी। चाचा ने जब देखा की सुहानी को नशा होने लगा है तो उसने अपना पीना बंद काट दिया। सिर्फ नाटक करने लगा।

चाचा:- देखा मैंने कहा था न...कुछ नहीं होगा...अरे ये कूई सस्ती शराब नहीं है जो आवारा सड़कछाप लोग पपीते है....तुम सिर्फ रिलैक्स फील करोगी...हा अगर झूमना चाहती हो तो एक और ले लो...

सुहानी:- नहीं अंकल बस एक बस हो गया...इससे ही तो सब घूमने जैसा लग रहा है...

चाचा:- नहीं वो ऐसेही लगता है...चलो उठो खड़ी हो जाओ कुछ नहीं होगा...चलो वहा रेलिंग के पास खड़े हो के ठंडी हवा का मजा लेते है...

सुहानी चेयर से उठी...लेकिन थोडा लड़खड़ाई...चाचाजी ने उसे थाम लिया...

सुहानी:- इट्स ओके अंकल...सुहानी ने खुद को छुड़ाया...im ओके...

चाचा ने उसे। छोड़ दिया...सुहानी को नशा बहोत कम हुआ था। पर पहली बार था इसलिये थोडा अजीब लग रहा था एयर मजा भी आ रहा था।

वो दोनों जेक रेलिंग के पास खड़े हो गए...चाचा सुहानी के चहरे के हावभाव देख रहा था। और साथ हिउसक्के सेक्सी बदन को नशे में सुहानी थोड़ा थोडा बलखा रही थी।

चाचा:- मन में...उफ्फ्फ क्या सेक्सी लग रही है....सिर्फ चेहरा ठीक होता तो न जाने कितनो का पानी निकालती ये...

सुहानी:- मन में...मुझे बहका के मजे लेनेकी सोच रहे है...उफ्फ्फ मुझे पता है फिर भी मैं क्यू इसे एंटरटेन कर रही हु....क्यू की इनका अटेंशन मुझे अच्छा लग रहा है...वो जिस हवस भरी नजरो से मुझे देख रहे है वो मुझे अच्छा लग रहा है....मुझे अबतक नहीं पता था की मेरे पास भी ऐसा कुछ है जिससे लोग मेरी तरफ अट्रैक्ट होते है...देखो कैसे अपने लंड को मसल रहा है मेरी चुचिया और गांड देख के...चलो इसको थोड़े और जलवे दिखाते है और थोडा तड़पाते है।

चाचाजी ने देखा की सुहानी की नजर उसके लंड पे है तो उसने हाथ हटा लिया।

सुहानी ने उसकी तरफ देखा और स्माइल कर दी...वो भी स्माइल करने लगा।

सुहानी:- वाओ अंकल ये गार्डन कॉटन अच्छा लग रहा है रात में...

चाचाजी:- अरे ये तो कुछ नहीं...उस साइड का देखना कितना अच्छा लगेगा जब काम पूरा हो जायेगा...ऐसा बिल के वो सुहानी के पास आये और उसके कंधे पे हाथ रख दिया...और उसे बताने लगे की वहा क्या क्या करने वाले है...सुहानी का ध्यान उसके बातो में कम हाथो पे जादा था। उसने सुहानी को कंधे से पकड़कर थोडा अपनी और खीचा....वो दोनों सामने के तरफ मुह करके खड़े थे। वो धीरे धीरे कंधे को दबा रहा था। सुहानी पे उसका असर होने लगा था। फिर धीरे से चाचाजी ने अपना हाथ उसकी पीठ पे ले आये....आराम से बाटे करते हुए उसकी पीठ सहलाने लगे....सुहानी को अहसास हो रहा था...वो मजे ले रही थी...वो बस देखना चाहती थी की चाचाजी और क्या क्या करते है...चाचाजी धीरे धीरे अपना हाथ निचे लेके जा रहे थे अब उनका हाथ उसकी कमर पर था। टॉप शार्ट था...और पैंट और टॉप में थोडा गैप भी था। उस गैप में चाचाजी का हाथ जाते ही उन्हें उसकी नंगी कमर फील हुई....उनका हाथ वाही रुक गया...वो सुहानी के चहरे की और द्वलहने लगे...दोपहर में कैसे वो झटके से बाजू सरक गयी थी वो यद् आ गया...पर इसबार ऐसा कुछ नहीं हुआ....सुहानी मंद मंद मुस्कुरा रही थी।



सुहानी:- अच्छा प्लान है अंकल...

चाचाजी:- हा..बेटा वो तुम्हारी चाची को पसंद है ये सब...

सुहानी:- कितना सोचते हो आप आंटी के लिए...

चाचाजी:- अब बीवी है तो सोचना ही पड़ता है...जब चाचाजी ने देखा की सुहानी पे शराब का असर कुछ खास नहीं हुआ तो...तुम और पीना चाहोगी??

सुहानी :- नहीं अंकल...बस हो गया...ये ही तो मुझे बहोत हो गयी...मेरा सर चकरा रहा है...
 
चाचाजी:- मन में...थोड़ी देर के बाद पिला दूंगा...अब थोड़ी बाते करते है। वो बाते करने लगे लेकिन उसने पपन हाथ नहीं हटाया था। सुहानी को भी उनका छूना अच्छा लग रहा था। उनके हाथ का गरम स्पर्श अपनी नंगी कमर पे पा कर सुहानी की चूत चुलबुलाने लगी थी।

पहली बार कोई मर्द उसे इसतरह छु रहा था। चाचाजी का तो बुरा हाल था...एक तो शराब का नशा और ऊपर से सुहानी के इतने करीब होने से उसके जिस्म की खुशबु उसे पागल कर रही थी। वो अब थोडा अपना हाथ टॉप के थोडा अंदर सरकाया...और अपना पूरा पंजा उसकी कमर को पकड़ लिया। सुहानी के मुह से हलकी सी आह्ह निकल गयी।

चाचाजी:- क्या हुआ??

सुहानी के होठो पे एक शर्मीली मुस्कान आ गयी...

सुहानी:- कुछ नहीं...

चाचाजी समझ गए की लड़की गरम हो रही है...फिर भी वो जल्दबाजी नहीं करना चाहते थे। वो हल्का हल्का अपने हाथ का दबाव उसकी कोमल कमर पे डालने लगे और सहलाने लगे। वो उसे और गरम करना चाहते थे।

चाचाजी:- कितना अच्छा मौसम है...

सुहानी:- हा...बस अब कुछ दिन...फिर तो समर शुरू हो जाएगा...

चाचाजी:- हा...विंटर का सीजन मुझे बहोत पपसंद है...बहोत मजा आता है...

सुहानी:- मतलब?? कैसा मजा?

चाचाजी:- वो..वो..तुम नहीं समझोगी....तुम्हारी शादी नहीं हुई है ना...पूनम से पूछ लेना...

सुहानी समझ गयी की चाचाजी क्या कहना चाह रहे है।

सुहानी:- इसका शादी से क्या कनेक्शन??

चाचाजी:- हा वो भी है...शादी जरुरी नहीं है....चाचाजी उसकी आँखों में देखते हुए बोले तो सुहानी शर्म से पानी पानी हो गयी...

सुहानी:- हा जिसकी शादी नहीं होती वो विंटर का मजा नहीं लेते क्या?? सुहानी जानबुज ककए बोला।

चाचाजी:-हा बिलकुल लेते है...और लेना भी चाहिए...चाचाजी उसकी कमर को सहलाते हुए अपना हाथ उसकी गांड की और बढ़ाते हुए बोले।

सुहानी अब बहोत गरम हो चुकी थी।

सुहानी:- मन में...उफ्फ्फ अंकल तो मेरी आग को बहोत ही भड़का रहे है...बहोत मजा आ रहा है उम्म्म्म्म्म्म्म

चाचाजी ने अब अपना हाथ उसाकि गांड पे रख दिया था।


सुहानी की चूत अब गीली होने लगी थी। वो चाचाजी के हाथो के स्पर्श का मजा लेने लगी। तभी चकहजी थोडा साइड से मुड़े और अपना खड़ा लंड सुहानी की जांघो पे सटा के खड़े हो गए और अपना हाथ गांड पे रखा हुआ था और वो सुहानी के चेहरा देखने लगे और अपनी बची हुई शराब पिने लगे।


सुहानी की हाइट उनसे थोड़ी जादा थी जिसकी वजह से उनका लंड उसकी जांघो पे रगड़ रहा था। लंड के स्पर्श से सुहानी के पुरे शारीर में कपकपी सी दौड़ गयी। वो सिहर उठी। उसकी चूत पानी से लबलबा गयी।

तभी चाचाजी का ध्यान बालकनी में पड़े एक चमकते हुए टुकड़े पे गयी। वह की लाइट थोड़ी धीमी थी इस वजह से ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था।

चाचाजी:- वो क्या है वहा?? तुम्हारा कुछ गिर गया है क्या??

सुहानी ने देखा फिर खिड़ की एअर रिंग्स चेक्क की और गले की चैन सब ठीक था।

सुहानी:- नहीं तो...तबी सुहानी के दिमाग में कुछ आया और *वो टर्न होक निचे झुक गयी जिसके वजह से *उसकी गांड चाचाजी के आखो के सामने आ गयी।



पजामे में कासी हुई उसकी गांड देख चाचाजी का लंड और भी जादा तन गया उन्होंने बिना देर किये अपना लंड उसकी गांड से सटा दिया और वो भी थोडा झुक के देखने का नाटक करने लगे। सुहानी भी यही चाहती थी। वो उनका पजामे के पतले कपडे में से उनका ताना हुआ लंड अपनी गांड के फाको के बिच महसूस कर रही थी। अगर पैंट ना होती तो लंड सीधा उसकी गांड में घुस गया होता।
 
चाचाजी:-क्या है सुहानी?? अपना लंड उसकी गांड में दबाते हुए पूछा...

सुहानी:- कुछ नहीं है अंकल किसी का एअर रिंग है...वो उठा के उसे देलहने लगी लेकिन झुकी हुई ही रही क्यू की उसे चाचाजी के लंड का स्पर्श बहोत अच्छा लग रहा था।

चाचाजी:- ओह्ह्ह किसी मेहमान का होगा...अपना लंड को पीछे ले जाके एक हल्का सा झटका सुहानी की गांड पे देते हुए कहा।



सुहानी:- हा...शादी के टाइम जो रुक्का होगा उसका होगा...वो ऐसे झुक के नहीं रह सकती थी...इसलिए कड़ी हो गयी...और टर्न हो के चाचाजी *की तरफ फेस करके खड़ी हो गयी...दोनों के बिच थोडा अंतर था पर *चाचाजी का तना हुआ लंड बिलकुल सुहानी के चूत पे निशाना लगाए खड़ा था बस कुछ इंच की दुरी थी। सुहानी के होठो पे एक शर्मीली हँसी थी। चाचाजी भी उसे देख रहे थे। उन्होंने देखा की सुहानी के लंबे बाल उसकी एक चूची को धक् रहे है। उन्होंने अब जादा देर करना सही नहीं समझा क्यू की लड़की अब फंस चुकी है इस बात का उनको यकीं हो गया था।

चाचाजी ने उसके कंधे पे हाथ रखा और बालो को पकड़ते हुए अपना हाथ थोडा निचे ले गए उनकी उंगिलियो का पिछला हिस्सा सुहानी की चुचियो को छु के निकाला...सुहानी उनके ऐसे स्पर्श से चिहुंक उठी।



चाचाजी:- उसकी चुचियो को देख के....बहोत बड़े है तुम्हारे...बाल...

सुहानी समझ गयी की वो बाल नहीं बॉल की बात कर रहे है...

सुहानी:- हा...लोगो को बड़े ही पसंद आते है...

चाचाजी:-हा हम मर्दों की यहिबटो कमजोरी होती है...बड़े हो तो सहलाने में मजा आता है...

सुहानी:-क्यू आंटी के नहीं है क्या?

चाचाजी:- है...लेकिन तुम्हारे जितने नहीं है...

सुहानी:- क्या मजा आता है बड़े बड़े कको सहला के??

चाचाजी थोडा आगे हुए और अपना खड़ा लंड सुहानी के चूत से सटा दिया हाइट कम होने से उनका लंड बिलकुल चूत *के छेद पे दस्तक दे रहा था। सुहानी को जैसे ही लंड का स्पर्श चूत पे हुआ उसकी आँखे बंद सी होने लगी। वो अनजाने में ही अपनी चूत का हल्का सा दबाव चाचाजी के लंड पे डाल बैठी। चाचाजी को अब सब्र नहीं हो रहा था।


चाचाजी:- वो तो नहीं पता...क्यू की आजतक इतने बड़े कभी सहलाये नहीं...

सुहानी:- मेरे तो सहला रहे हो...

चाचाजी:- कहा बस छु रहा हु...सहलाके देखु क्या??

सुहानी शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पायी बस मुस्कुरा के निचे देखने लगी....निचे *चाचाजी का लंड उसकी दोनों जांघो के बिच चूत पे था। उसे देख के उसकी उत्तेजना बहोत जादा बढ़ गयी। चाचाजी ने अपनी शराब खत्म की और ग्लास वाही रख दिया *और सुहानी के चीन को पकड़ के ऊपर उठाया और अपना लंड बिलकुल अंदर डालते हुए उसको आँखों में देलहते हुए कहा...

चाचाजी:- बोलो सुहानी ...सहलाके देखु क्या ?? क्या फर्क होता है??

सुहानी की सांसे तेज हो चुकी थी। उसे ऐसे मौको पे क्या करना चाहिए क्या कहना चाहिए इसका कोई अंदाजा नहीं था। वो बस जोर जोर से साँसे लेते हुए शर्मा के दूसरी और देखने लगी........
सुहानी:- अच्छा?? ऐसा क्या ख़ास करते हो आप??

चाचाजी:- वो तो जब तुम्हारी। मालिश करूँगा तब पता चल ही जाएगा...

सुहानी:- फिर भी कुछ तो ख़ास होगा...

चाचाजी:- मेरे पास स्पेशल क्रीम है...उसे लगा के मालिश करो तो उससे मजा भी आता है और बड़े भी होते है।

सुहानी को ये समझा नहीं।

सुहानी:- तो मुझे दे दीजिये...मैं खुद कर लुंगी।

चाचाजी:- वो ऐसे नहीं दे सकता...उसके लिए पहले बहोत कुछ करना पड़ता है...

सुहानी:- अभी नही है क्या आपके पास...खत्म हो गयी??

चाचाजी:- बहोत है...और वो कभी खत्म नही होती...बहोत भरी हुई है बोतल...

चाचाजी अपना लंड दबाते हुए बोले...फिर एकदम से सुहानी को क्लिक हुआ की वो किस क्रीम की बात कर रहे है।

सुहानी को समीर का झड़ना याद आ गया।

सुहानी:-तो निकालिये ना बोतल से...सुहानी बहोत ही मादक तरीके से बोली...अब उसका मुड़ भी शरारती हो चूका था।

चाचाजी:- बोतल बहोत दिनों से बंद है...जाम हो चुकी है...क्रीम निकलने के लिए...उसे हिलाना पड़ेगा...या हो सकता है चूसना भी पड़े...

सुहानी चूसना सुनके एकदम चौक पड़ी।
 
सुहानी:- मन में उफ्फ्फ ये क्या बोल रहे है उम्म्म्म मेरी चूत तो फड़फड़ाने लगी है स्सस्सस्सस और उनका लंड भी कबसे खड़ा है और ऐसे मसल रहे है मेरे सामने अह्ह्ह्ह्ह

वो आगे कुछ बोल पाती...तभी सुहानी का फ़ोन बजने लगा। वो अंदर गयी और फ़ोन पे बात करने लगी। इधर चाचाजी अब बेसबरे हुए जा रहे थे। उन्होंने और एक पेग लिया और एक ही झटके में पि गए। इधर सुहानी अपने मम्मी से बात कर रही थी और इधर चाचाजी ने एक और पेग खत्म किया। लाघबघ 10 मिनट हो चुके थे। चाचाजी पर अब शराब काफी हावी हो चुकी थी। इतनी देर बाद सुहानी वापस नहीं आयी ये देखने के लिए चाचाजी भी रूम में चले गए। सुहानी ने देखा की चाचाजी रूम में आ रहे है तो उसने मम्मी से कहा की वो अब फ़ोन रख रही है। चाचाजी अब अपने होशो हवास में नहीं थे। *सुहानी ये देख के समझ गयी की चाचाजी कको शराब कुछ जादा ही चढ़ गयी है।

सुहानी:- अंकल मुझे लगता है आपको अब अपने रूम में जाना चाहिए।

चाचाजी:- नशे में...ओह्ह क्यू??

सुहानी:- आपको जादा हो गयी है। चलिए मैं आपको रूम तक छोड़ आती हु।
सुहानी:- अच्छा?? ऐसा क्या ख़ास करते हो आप??


चाचाजी:- वो तो जब तुम्हारी। मालिश करूँगा तब पता चल ही जाएगा...


सुहानी:- फिर भी कुछ तो ख़ास होगा...


चाचाजी:- मेरे पास स्पेशल क्रीम है...उसे लगा के मालिश करो तो उससे मजा भी आता है और बड़े भी होते है।


सुहानी को ये समझा नहीं।


सुहानी:- तो मुझे दे दीजिये...मैं खुद कर लुंगी।


चाचाजी:- वो ऐसे नहीं दे सकता...उसके लिए पहले बहोत कुछ करना पड़ता है...


सुहानी:- अभी नही है क्या आपके पास...खत्म हो गयी??


चाचाजी:- बहोत है...और वो कभी खत्म नही होती...बहोत भरी हुई है बोतल...


चाचाजी अपना लंड दबाते हुए बोले...फिर एकदम से सुहानी को क्लिक हुआ की वो किस क्रीम की बात कर रहे है।


सुहानी को समीर का झड़ना याद आ गया।


सुहानी:-तो निकालिये ना बोतल से...सुहानी बहोत ही मादक तरीके से बोली...अब उसका मुड़ भी शरारती हो चूका था।


चाचाजी:- बोतल बहोत दिनों से बंद है...जाम हो चुकी है...क्रीम निकलने के लिए...उसे हिलाना पड़ेगा...या हो सकता है चूसना भी पड़े...


सुहानी चूसना सुनके एकदम चौक पड़ी।


सुहानी:- मन में उफ्फ्फ ये क्या बोल रहे है उम्म्म्म मेरी चूत तो फड़फड़ाने लगी है स्सस्सस्सस और उनका लंड भी कबसे खड़ा है और ऐसे मसल रहे है मेरे सामने अह्ह्ह्ह्ह


वो आगे कुछ बोल पाती...तभी सुहानी का फ़ोन बजने लगा। वो अंदर गयी और फ़ोन पे बात करने लगी। इधर चाचाजी अब बेसबरे हुए जा रहे थे। उन्होंने और एक पेग लिया और एक ही झटके में पि गए। इधर सुहानी अपने मम्मी से बात कर रही थी और इधर चाचाजी ने एक और पेग खत्म किया। लाघबघ 10 मिनट हो चुके थे। चाचाजी पर अब शराब काफी हावी हो चुकी थी। इतनी देर बाद सुहानी वापस नहीं आयी ये देखने के लिए चाचाजी भी रूम में चले गए। सुहानी ने देखा की चाचाजी रूम में आ रहे है तो उसने मम्मी से कहा की वो अब फ़ोन रख रही है। चाचाजी अब अपने होशो हवास में नहीं थे। *सुहानी ये देख के समझ गयी की चाचाजी कको शराब कुछ जादा ही चढ़ गयी है।


सुहानी:- अंकल मुझे लगता है आपको अब अपने रूम में जाना चाहिए।


चाचाजी:- नशे में...ओह्ह क्यू??


सुहानी:- आपको जादा हो गयी है। चलिए मैं आपको रूम तक छोड़ आती हु।


ले जाइए यहासे...और वो उनकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी...उसे लगा की उसके ऐसे ग़ुस्से से बोलने के बाद चाचाजी चले जायेंगे लेकिन चाचाजी चलते हुए उसके पास आये और उसकी कमर में अपना हाथ डाल के पिछेसे सुहानी को अपनी तरफ खीच लिया अपना लंड उसकी गांड पे दबाते हुए उसके गले को किस ककरन लगे। सुहानी ने उनके हाथ पकड़ लिए और छुटने की कोशिस करने लगी। पर चाचाजी उसके गले को चूम रहे थे अपनी जुबान से चाट रहे थे उससे सुहानी के तन बदन में आग लगने लगी। उसका विरोध कम होने लगा। उतने में चाचाजी ने अपने हाथ ऊपर सरकाते हुए उसकी चुचियो पे रख दिया और उसे मसलने लगे।

चाचाजी:- अह्ह्ह्ह सु..सुहानी उम्म्म कितनी बड़ी और सख्त चुचिया है तुम्हारी उम्म्म्म

सुहानी को अपनी चुचियो चाचाजी के हाथो का स्पर्श बहोत अच्छा लग रहा था वो उनके हाथो पे अपना हाथ बस रख के आँखे बंद करके मजा लिए जा रही थी अपनी गांड को अपने आप ही चाचाजी के लंड पे धीरे धीरे राउंड राउंड घुमाने लगी।

दीजिये अह्ह्ह्ह स्स्स्स मत...उह्ह्ह्ह धीरे मस्लिये उम्म्म्म
 
सुहानी वासना की दुनिया में लगबघ खो चुकी थी। वो बीएस आँखे। बंद किये आगे क्या होने वाला है इसीका इंतजार कर रही थी। चाचाजी ने *अपना हाथ उसके टॉप के अंदर घुसाया और ब्रा के ऊपर से सुहानी की चुचिया मसलने लगे। सुहानी को एक सुखद सा झटका लगा।

सुहानी:-स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह अंकल

चाचाजी:- अह्ह्ह्ह्ह सुहानी उम्म्म्म्म्म

चाचाजी के दोनों हाथ सुहानी के दोनों चुचियो को दबा रहे थे। सुहानी को उनके हाथो का स्पर्श अपनी आधी चुचिया जो ब्रा से बाहर थी उसपे हो रहा था। उसके मुह से आनंद भरी सिसक निकल रही थी। तभी चाचाजी ने अपना एक हाथ निचे लिया और सुहानी की चूत पे रखा....सुहानी को एक तेज झटका लगा और मुद गयी अनजाने में चाचाजी कको धक्का दे दिया....चाचाजी इसके लिए तैयार नहीं थे शराब उंनपे पूरी तरह हावी हो चुकी थी। वो धड़ाम से बेड पे गिर गए.... वो उठाने की कोशिस करने लगे लेकिन उठ नहीं पाये....वो सिर्फ सुहानी उम्म्म्म्म अह्ह्ह सुहानी चोदने दो ना एक बार अह्ह्ह्ह्ह ऐसा बोलते हुए और भी कुछ बड़बड़ाते हुए बेहोश से हो गए।

सुहानी थोडा घबरा गयी और दौड़ के उनके पास गयी और उन्हें हिलाने लगी। लेकिन वो अब होश में नहीं थे।

सुहानी:- सोचने लगी...उफ्फ्फ ये तो यही सो गए...अब क्या करू?? इनको उठा के ले नही जा सकती अकेली...और अगर ये यही रहे तो प्रॉब्लम हो जायेगी...

वो फिर से उन्हें उठाने लगी लेकिन कोई फायदा नहीं था। वो बेड के पास अपने सर पे हाथ रख के खड़ी हो गयी और सोचने लगी....तभी उसका ध्यान चाचाजी के पजामे में बने तम्बू की तरफ गया....उनका लंड अभी भी खड़ा था।

सुहानी को अचरज हुआ ये देख की अभी उनका लंड खड़ा था। वो गौर से देखने लगी। उसे पजामा थोडा गिला गिला दिखा वो थोडा नजदीक जाके देखने लगी....थोडा झु क के देखा तो उसे प्रीकम की महक आने लगी उसे वो बहोत ही अछि लगी तो थोडा और झुकी।

सुहानी:- अह्ह्ह्ह स्स्स कितनी अच्छी खुशबु है ....खुद तो बेहोश पड़े है पर ये अभी भी तन के खड़ा है....हाथ लगा के देखु क्या??...नहीं नहीं...पागल हो क्या...अरे ये तो बेहोश है क्या पता चलने वाला है...

सुहानी थोडा असमंजस में थी....वो उनके पास बैठ गयी और गौर से उनका लंड देखने लगी। सुहानी ने चाचाजी की तरफ देखा और अपना हाथ उनके लंड की तरफ ले गयी उसके हाथ काँप रहे थे। उसने अपना हाथ लंड पे रखा और झट से खीच लिया...उसे धड़कन तेज हो रही थी। उस खामोश कमरे में सर उसकी तेज सांसे और धडक्नो के अलावा कोई भी आवाज नहीं आ रही थी। उसने एक बार *चाचाजी की तरफ देखा और फिर से धीरे धीरे अपना हाथ बढ़ने लगी....उसने अब चाचाजी के लंड पे हाथ रख दिया था। वो थोडा नरम हो चूका था...उसने धीरे धीरे उसे एक दो बार दबाया...उसे लंड को छूना बहोत अच्छा लग रहा था। कल उसने समीर का लंड देखा था और आज वो चाचाजी का लंड छु रही थी।*

को छूते ही उसकी चूत में चुबुलाहट काफी तेज होने लगी थी। उसने देखा चाचाजी कूई हरकत नही क्र रहे थे उसी हिम्मत बढ़ गयी...और वो पजामे के ऊपर से ही लंड को मुट्ठी में पकड़ने लगी और दबाने लगी....लंड में अब धीरे धीरे हरकत होने लगी....वो फिर से टाइट होने लगा था....

सुहानी:-स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है स्स्स्स्स् अंकल काश आपने इतनी नहीं पि होती आज उम्म्म्म्म मेरी चूत तो छटपटा रही है स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह

सुहानी अपनी चूत को पजामे के ऊपर से ही सहलाने लगी।

सुहानी:-स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह कितना पानी छोड़ रही है उम्म्म्म्म्म इतना तो कल भी। *नही गीली हुई थी....उसे अचानक से समीर का लंड याद आ गया....उसने चाचाजी का पजामा के बटन खोले और थोडा ढीला क्किया....वो बिनधास्त थी क्यू की उसे पता था की चाचाजी बेहोश है....और अगर होश में भी आ जाते है तो उसे अब। डर नहीं था...उसने उनकी अंडरवियर के साथ पजामा निचे किया और दूसरे हाथ से लंड को बाहर निकाला...लंड फिर से थोडा मुरझा गया था....उसने देखा चाचाजी का लंड उस अवस्था में भी काफी बड़ा लग रहा था। उसने धीरे से मुट्ठी में पकड़ा और उसकी चमड़ी को निचे किया....उनके लंड का लाल सुपाड़ा जो प्रीकम से चमक रहा था वो सुहानी के आँखों के सामने था।

सुहानी:- स्सस्सस्सस क्या मस्त चीज होती है ये लंड उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह

सुहानी उसे धीरे धीरे मुट्ठी में पकड़ के ऊपर निचे करने लगी...लंडमें फिर से *तनाव आने लगा। सुहानी एक हाथ से लंड को मुठिया रही थी और दूसरे हाथ से अपने पैंट में दाल के अपनी चूत के दाने को सहला रही थी।

सुहानी:- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ्फ़ ककित्न मोटा हो गया है ये स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह्ह ले लू क्या इसे चूत में स्स्स्स्स्स्स्स *अह्ह्ह्ह नही स्स्स्स्स् दर्द होगा अह्ह्ह्ह कितना मोटा है ये स्स्स्स्स्स्स्स मेरी तो चूत फट जायेगी अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स

सुहानी उत्तेजना के सातवे आसमान पे थी। उसका हाथ प्रीकम से पूरा गिला हो चूका था उसने देखा और उसे सूंघने लगी....उसे वो महक बहोत अछि लगी....तभी उसे समीर की लंड चूसने वाली बात याद गयी। वो धीरे धीरे अपना चेहरा लंड के पास ले गयी और देखने लगी उसे प्रीकम की महक और तेज आने लगी...उसने लंड के सुपाड़े को नाक से सुंघा ...और फिर धीरे से थोड़ी सी जुबान बाहर निकल के चाटा...

सुहानी:- अह्ह्ह्ह उम्म्म्म बहोत अजीब सी टेस्ट है स्स्स्स पर अछि है...शायद इसीलिए वो निशा उस लड़के का लंड इतने चाव से चूस रही थी...

सुहानी ने फिर से थोडा जुबान से चाचाजी का लंड को चाटा...और फिर पागलो की तरह चाटने लगी और फिर मुह में लेके चूसने लगी इसे बहोत मजा आने लगा था। इधर वो अपनी चूत में ऊँगली डाल के अंदर बाहर करने लगी थी।

सुहानी:- मन में ...उफ्फ्फ्फ्फ़ मैं ये क्या कर रही हु स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह बहोत मजा आ रहा है लंड चूसने में अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स उफ्फ्फ्फ़ हाय अह्ह्ह्ह्ह्ह

मेरा तो पानी छूटने वाला है स्स्स्स्स्स्स्स

तभी चाचाजी ने कुछ हलचल की...वो बेहोशी में ही अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स करते हुए अपनी कमर हिलाने लगे और सुहानी के सर को पकड़ के लंड पे दबाने लगे....सुहानी ने तिरछी आँखों से देखा उनकी आँखे बंद थी। सुहानी ने अपना काम जारी रखा क्यू की वो भी अब झड़ने के कगार पर थी।

सुहानी:-उम्म्म्म्म्म्म्म आआआआऊऊऊऊऊऊम्मम्मम्मम्मम

सुहानी ने अपने हाथ और मुह की रफ़्तार तेज कर दी थी वो झड़ने लगी थी इधर चाचाजी ने सुहानी का सर अपने लंड पे जोर से दबा दिया....और उसके मुह के अंदर ही पिचकारी छोड़ने लगे। सुहानी एक अलग ही दुनिया में थी वो बहोत देर ताकक झड़ती रही और इधर मुह में चाचाजी के गरम वीर्य की पिचकारियों को महसूस करती रही। जब उसकी ये खुमारी टूटी तो उसने देखा उसका पूरा मुह वीर्य से भरा हुआ था उसकी अजीब सी टेस्ट और गंध आ रही थी वो बाथरूम में गयी और अपना मुह साफ़ किया...आते वक़्त एक मग में थोडा पानी ले आयी...उसने चाचाजी के कपडे थिक् किये....और फिर थोडा पानी उनके। चेहरे पे मारा....लेकिन चाचाजी उठ ही नहीं रहे थे....उसने थोडा जोर से हिलाया और थोडा जादा पानी मारा...तो चाचाजी एक्दम हड़बड़ा के उठ गए। सुहानी ने उन्हें बताया की बहोत लेट हो गया है...वो भी अब समझ रहे थे की सोना ही बेहतर है इसलिए वो भी किसीतारह अपने कमरे में गए और सो गए....सुहानी ने भी शराब की बोतल और बाकि सामान उनकी गॅलरी में रख दिया और अपने बेड पे लेट गयी....और उसे कब नींद लगी उसे भी पता नहीं चला।
 
[size=large]दूसरे दिन सुबह जब सुहानी तैयार हो के पूनम के रूम में गयी वो जाग चुकी थी और उसकी रही सही पैकिंग कर रही थी। सुहानी भी उसकी हेल्प करने लगी। दोनों ऐसेही मस्ती मजाक करते हुए काम कर रहे थे। अभी दो घंटे बाद पूनम की फ्लाइट थी।
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दोनों निचे हॉल में आ गयी। सुहानी ने जब चाचाजी को देखा तो उसकी नजरे अपने आप ही शरमा के निचे की और चली गयी। चाचाजी भी उसकी और देख के शरारती मुस्कान अपने होठो पे ले आये।*

फिर नाश्ता करने के बाद आखिर वो घडी आ ही गयी जब पूनम को विदा होना था। पूनम ने। सुहानी को गले लगा लिया और दोनों ही रो पड़ी। पूनम की माँ ने। भीगी आँखों से दोनों को समझाया दोनों ने। आंसू पोछे पूनम को गाडी में बिठाते वक़्त सुहानी की हालत शब्दों में बयान करना मुश्किल था। क्यू की वो उसके लिये क्या थी ये सिर्फ वो ही जानती थी। वो पूनम की गाडी को तब तक देखते रही जब तक वो उसकी आँखों से ओझल नहीं हुई....जब वो अंदर अपना बैग लेने के लिए आयी तब चचाजी ने उसे दरवाजे में ही रोक लिया।

चाचाजी:- सुहानी...वो कल रात मुझे थोड़ी जादा ही हो गयी थी ना...

सुहानी:- जी...

चाचाजी:- मुझे तो कुछ भी याद नही आ रहा की मैं अपने कमरे तक कैसे पहोंचा...

सुहानी:- हा आप बिलकुल होश में नही थे...मन में...थैंक गॉड इन्हें कुछ याद नही...वरना मैं तो क्या क्या सोचे जा रही थी।

चाचाजी:- हा ना...अच्छा मौका था...

सुहानी:- किस चीज का?? सुहानी जानबुज के पूछा।

चाचाजी:- अ..वो..कुछ नही...आते रहना कभी कभी...अच्छा लगेगा...मन में..और मेरा काम भी तो बाकि है...वो उसकी चुचियो को घूरते हुए सोचने लगे।

सुहानी ने देखा की चाचाजी उसकी चुचियो को। घूर रहे है तो उसके होठो पे एक मुस्कान दौड़ गयी।

सुहानी:- जरूर अंकल...

चाचाजी:- चलो मुझे थोडा काम है मैं निकलता हु...

ऐसा बोल के वो चले गए...

सुहानी अंदर आके अपना बैग उठाया और पूनम के मम्मी को बाय बोला। पूनम की मम्मी ने उसे कहा की फ़ोन करते रहना..और मिलने आते रहना। पूनम की मम्मी की। आँखों में आंसू आ गए...सुहानी। ने उन्हें गले लगाया...तभी पूनम के पापा भी वही आ गए...सुहानी ने उन्हें भी बाय बोला और उनके पैर छु लिए। पूनम के पाप ने सुहानी को कंधो से पकड़ के उठाया और कहा...

पापा:- तुम पूनम की सबसे अछि दोस्त हो...हरदम उसके साथ रही हो...

सुहानी:- नहीं अंकल...साथ तो उसने दिया मेरा..वो नहीं होती तो पता नही मैं क्या करती...

पापा:- ह्म्म्म ...चलो मैं तुम्हारे लिए गाड़ी मंगा देता हु...तुम्हे घर तक छोड़ आएगी।

सुहानी:- नहीं अंकल...मैं टैक्सी से चली जाउंगी...

पापा:-नहीं बेटा तुम रुको..पूनम के पापा ने एक ड्राईवर से कहा की सुहानी ओ घर छोड़ आये।

सुहानी दोनों को फिर से बाय। बोला पूनम की। मम्मी को गले लगाया तो पूनम। के *पापा ने भी। इसबार उसे गले लगा लिया। सुहानी को थोडा अजीब लगा क्यू *की उनका टच उसे कुछ अलग लगा। फिर भी उसने नजर। अंदाज किया।

सुहानी बाहर जाने लगी...और दरवाजे में से पलट के फिर से हाथ हिलाया कब उसकी नजर पूनम के पापा पे। पड़ी तो उसने देखा की वो उसकी। गांड को देख रहे थे। सुहानी को अब कुछ जादा ही अजीब लगा।

वो चली गयी।

इधर पूनम के पापा सोच रहे थे"अहहह कल जब इसकी चुचिया और गांड पे नजर गयी। है साला दिमाग से नही जा रही है...अब तकक इसकी। सूरत की वजह से देखने का दिल ही नहीं करता था लेकिन अब साला लंड खड़ा हो जाता है इसे देख के...मजा आएगा अगर ये एक बार चुद जाय मुझसे...लेकिन मुझे नहीं लगता कोई चांस है क्यू की ये तो अब यहाँ आने से रही...चलो कोई नहीं जब अगली बार पूनम आएगी तब देखते है।""


सुहानी कार में बैठी सोच रही थी की कल कैसे वो पूनम के चाचा के साथ क्या क्या कर रही थी। और आज उसके पापा...नही ..नहीं...वो ऐसेही मेरा वहम होगा..वो ऐसा नहीं सोच सकते...मेरा न दिमाग ख़राब हो गया है...जब से ये सेक्स का चस्का लगा है...हर मर्द में बस वही दिखाई दे रहा है....नहीं यार आज जब हग क्किया तो कैसे कस के अपनी तरफ खिंचा था...और टच तो मैं पहचानती हु ही...जैसा अंकल का टच था कल रात को बिलकुल वैसेही ...ये सोचते सोचते वो घर पहोच गयी थी।

रात को समीर के साथ वेबकेम दोनों ने फिरसे एक दूसरे को नंगा देख के मुठ मारी। अब ये उनका रूटीन हो चूका था। सुहानी बहोत खुश थी। समीर उसे रोज नए नए तरीको से खुश कर रहा था। सुहानी के दिमाग में अब बस सेक्स ही सवार रहता था। जब भी ऑफिस जाती तब उसकी नजर हमेशा उसके साथ काम करने वालो पे रहती। वो ऑफिस में अब टाइट कपडे पहनके जाने लगी थी जिससे उसका चुचिया और गांड लोगो को आकर्षित करे....और वो हो भी रहा था। जो लोग उसे नजर भर देखना भी पसंद नहीं करते थे वो अब उसकी हिलती हुई चुचिया और मटकती गांड को देख के अपना लंड मसलने लगे थे। सुहानी उनके लंड का उभार देख मन ही मन खुश हो जाती। सुहानी अब ऐसे ककपदे पहनती जिसमे उसकी चुचिया दिखाई दे जाती। वो कभी कभी जानबुज के निचे झुक जाती जिससे उसके आजु बाजू के लोगो को उसकी ब्रा तक दिखाई दे जाती। सुहानी का ये बदला हुआ रूप देख के ऑफिस में सब अचंभित थे। खासकर लडकिया क्यू की कुछ लोगो का फोकस अब उनसे हटकर सुहानी पे शिफ्ट होने लगा था। सुहानी ने एक दो बार उनकी बाते भी सुनी जिसमे वो कह रही थी की इतनी बदसूरत लड़की भी हवस के पुजारी ऑफिस के लोग कैसे ताड़ते रहते है...तो दूसरी जवाब देती की क्यू ना ताड़े उसकी फिगर है ही इतनी कातिल और आजकल वो भी तो सबको दिखती घूम रही है। ये सुन के सुहानी दुःख भी हुआ और ख़ुशी भी और ये सब समीर की वजह से था। वो ये सब उससे डिस्कस करती थी। समीर को क्या था वो तो बस मजे करना चाहता था।समीर उसे हमेशा मिलने के लिए कहता और अपना चेहरा दिखाने के लिए मिन्नतें करता पर सुहानी हर बार टाल देती और उसे धमकी देती की उसे जादा फ़ोर्स किया तो चाट करना बंद कर देगी...समीर ये सुन के चुप हो जाता।*

सुहानी और समीर रोज रत को एक नए तरीके से चाट करते थे...हर रोज एकक नया रोल प्ले करते थे।कभी टीचर का कभी हस्बैंड वाइफ कभी हस्बैंड फ्रेंड कभी बस में अनजान के साथ मस्ती ...ऐसे बहोत सारे। सुहानी की मस्त कट रही थी.....लेकिन एक दिन सुहानी और समीर के बिच कुछ ऐसी बात हुई जिससे सुहानी की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गयी वो हुआ यु की.....


एक दिन जब दोनों चैट कर रहे थे तब समीर ने पूछा...

समीर:- बोलो जानेमन आज कोनसा रोल प्ले करे...

सुहानी:- तुम जो बोलो....

समीर:- तुम्हे इन्सेस्ट रोल प्ले पसंद है??

सुहानी:- ये क्या होता है??

सुहानी को नहीं मालूम था की ये इन्सेस्ट क्या होता है।

समीर:- तुम्हे नहीं पता?? अरे जब रिश्तों में ही चुदाई होती है उसे इन्सेस्ट कहते है...

सुहानी:- रिश्तों में मतलब??

समीर:- जैसे मामा भांजी...माँ बेटा...बहन भाई...बेटी और पापा...ऐसे..

सुहानी:- छी....ऐसा भी कभी होता है??

समीर:- अरे बिलकुल। होता है...

सुहानी:- कुछ भी...सिर्फ कल्पनायें होती होंगी...

समीर:- नहीं सच में होता है...ये सब चार दिवारी की बिच रहता है इसलिए पता नहीं चलता...

सुहानी को पता नहीं क्यू इन सब में इंटरेस्ट आने लगा था।

सुहानी:- मैं नहीं मानती...तुमने कभी किया है...

समीर:- नहीं...पर सच कहू मेरी एक कजिन है...बहोत सेक्सी है उसे। चोदने का मन करता है...

सुहानी:- ईईईई...मतलब तुम्हारी बहन के साथ चुदाई करने का...पागल हो क्या??

समीर:- क्यू तुम्हारे मन में कभी तुम्हारे भाई के लिए ऐसा ख्याल नहीं आया??*

सुहानी:- नहीं बिलकुल नहीं...

समीर:- यार तुम इतनी सेक्सी हो...तुम्हारा भाई तो जरूर तुम्हारे नाम की मुठ मरता होगा पक्का...अगर मैं तुम्हारा भाई होता तो कब का तुम्हे चोद चूका होता...

सुहानी:- छिईईईई...चुप करो कुछ भी बकवास कर रहे ही...

[size=large]समीर:- हम्म अभी तो छी कर रही हो जब सच में होगा तब उछल उछल के चुदवाओगी भाई से...[/size]
 
सुहानी के आखो के सामने वो सिन आने लगा की उसका भाई उसे चोद रहा है...लेकिन अगले ही पल उसे याद आया की उसका भाई उससे सीधे मुह बात नहीं करता देखता तक नहीं...उसको शर्म महसूस होती है की उसकी बहन बदसूरत है वो क्या चोदेगा???

समीर:- ओह मैडम। कहा खो गयी...खयालो में ही भाई का लंड ले लिया क्या चूत में हा हा हा...

सुहानी:- चुप। बैठो बदमाश कही के...कुछ भी बोल रहे हो...

समीर को पता चल गया था की सुहानी को मजा आ रहा है इन सब बातो। में...

समीर:- अच्छा भाई नही तो तुम्हारे पापा ने *कभी तुम्हे उस नजर से देखा या छुआ है??

सुहानी:- नहीं पागल हो क्या...क्या बकवास कर रहे हो आज तुम??

समीर:- अरे यार ग़ुस्सा क्यू हो रही हो...बस पूछ रहा हु...

और कोण कोण है तुम्हारे घर में??

सुहानी:- सभी है...मामा चाचा उनके बेटे बेटिया...लेकिन सब दूसरे शहर में रहते है बहोत कम मिलना होता है...

समीर:- तो कभी उन्होंने *ट्राय नही किया तुमपे?

सुहानी:- नहीं...

समीर:- क्यू?

सुहानी:- क्यू की मैं खूबसूरत नहीं हु...सुहानी का दर्द आखिर शब्दों समीर के सामने आ ही गया।

समीर:-क्या?? कुछ भी...इतनी सेक्सी जिस्म है तुम्हारा इतनी मीठी आवाज है और खूबसूरत नहीं हो...ये कैसे हो सकता है?

सुहानी:- हा मैं बदसूरत हु...इसीलिए तुम्हे अपना चेहरा नहीं दिखाती..

समीर:- मन में..ओह्ह तो ये बात थी इसके ना मिलने और अपना चेहरा छुपाने के पीछे...लेकिन मुझे लगता है की ये झूठ बोल रही है...इतनी सेक्सी है यार ये...हा थोड़ी सावली है पर खूबसूरत नहीं ये मानने को दिल नहीं करता।

सुहानी:- कहा खो गए??

समीर:- अ..क..कही नहीं...मैं नही मानता...हा तुम थोड़ी सावली हो पर इससे कुछ फरक नहीं पड़ता...

सुहानी:- अरे सच में..

समीर:- ठीक है...लेकिन एक बात कहू..इससे कोई फरक नहीं पड़ता...मैं दावे के साथ कह सकता हु की अगर कोई तुम्हारा जिस्म देख ले वो तुम्हारे चेहरे की बदसूरती भूल के तुम्हे एक बार चोदने के लिए पागल हो जायेगा।

सुहानी:- रहने दो अगर मैं तुम्हे अभी अपना चेहरा दिखा दू तो तुम भाग जाओगे...

समीर:- नहीं भागूंगा...

सुहानी:- समीर ये सब कहने के लिए अच्छा लगता है पर मैं इस जिंदगी को जीती हु...मुझे पता लोग जब मुझे देखते है तो उनके चहरे के रिएक्शन से पता चलता है की मेरे बारे में क्या सोचते है...हा ये बात है की अगर मैं चेहरा स्कार्फ से ढक लू तो वो मेरी छाती और गांड को देख के लंड मसलने लगते है...

समीर:- देखा मैंने कहा था न...

सुहानी:- तुम समझे नहीं...वो सिर्फमेरा जिस्म देख के ...लेकिन अगर साथ में चेहरा भी दिख जाये तो मुह फेर लेते है...

समीर:- सुहानी सच कहु तो मैं भी सुंदरता का पुजारी हु...पर मेरा मानना है की कोई भी लड़की अपनी अदाओ से किसी भी आदमी को अपना दीवाना बना सकती है..

सुहानी:- मानना अलग होता है...और हकीकत अलग....

समीर:- सुहानी मैं तुम्हे देखना चाहता हु...अभी

सुहानी:- नहीं समीर प्लीज...

समीर:-सुहानी तुमसे बात करके मैं इतना तो समज गया हु की तुम दुखी हो...लेकिन मैं भी अपनी बात प्रूव करना चाहता हु की चेहरे की सुंदरता से कुछ नहीं होता...

सुहानी:- समीर मैं तुम्हे अपना चेहरा दिखाउंगी लेकिन तब जब मुझे यकीन हो जायेगा की सच में तुम्हारी बात सही है...क्यू की तुम अपनी बात सच करने के लिए आज तुम झूठमूठ का दिखावा करो...

समीर:- सुहानी तुम आखिर चाहती क्या हो...

सुहानी:- मुझे नहीं पता...मैं बता नहीं सकती...मैं बस इतना चाहती हु की मैं जिससे सेक्स करू वो पुरे होश में रहे और दिल से मेरे साथ सेक्स करे...

समीर:- तुम यहाँ गलत हो सुहानी...देखो खूबसूरत लड़की की और कोई भी अट्रैक्ट हो जाता है...उन्हें कोई efforts लेना नही पड़ता...पर इस बात की कोई गारंटी नही होती की वो लड़की सेक्सी हो...हा लेकिन तुम सेक्सी हो...लेकिन तुम्हे लोगो को अपनी और अट्रैक्ट करने के लिए एफर्ट डालने पड़ेंगे।

सुहानी:- कैसे एफर्ट??

समीर:- अपनी अदाएं दिखानी पड़ेंगी...अपना जिस्म थोडा एक्सपोज़ करना पपड़ेगा ताकि लोगो को तुम्हारे सेक्सी जिस्म दिखाई दे और वो तुम्हारे जिस्म को पूरा देखने के लिए पागल हो जाय...

सुहानी:- हा ये तो मैं करती हु...और सच में लोग मेरी तरफ अट्रैक्ट भी हो जाते है पर बस उतने ही समय के लिए...

समीर:- तो अगली बार थोडा और दिखाओ...

सुहानी सोचने लगी" सच कह रहा है...पूनम के अंकल कैसे पागल हो गए थे...पर वो तो नशे में थे...पर उसके पापा नशे में नही थे...""

समीर:-तुम्हारे सामने example है...मैं तुम्हे पाने के लिए बेताब हुआ जा रहा हु सुहानी....मुझे फर्क नहीं पड़ता आज की तुम खूबसूरत हो या नहीं..

सुहानी:-समीर प्लीज मुझे थोडा टाइम और चाहिए...

समीर:- थिक् है सुहानी...लेकिन आज क्या ऐसेही सुखा सुखा सुलाओगी मुझे...

सुहानी:- नहीं मेरी जान...गिला करके सुलाउंगी

समीर:-तो शुरू करे??

सुहानी:-ओके...

समीर:- चलो तो फिर एक काम करते है...तुम मेरी वो कजिन बन जाओ...
 
सुहानी और समीर ये भाई बहन वाला रोल प्ले शुरू किया....सुहानी को पहले तो बहोत अजीब लगा पर बाद में उसे मजा आने लगा...वो अपने भाई को इमेजिन करने लगी थी....और ये सिलसिला जो शुरू हुआ तो रुका ही नहीं....अब सुहानी खुद इन्सेस्ट में इंटरेस्ट लेने लगी थी। वो खुद समीर को रोज अलग अलग तरीके इन्सेस्ट प्ले करने का सुझाव देने लगी थी।*

घर पे जब वो उसके भाई या पापा को देखती तो उसे समीर के साथ किये हुए प्ले याद आने लगते और वो शरमा जाती। वो अब अपने भाई और पापा और बाकि रिश्तोदारो में सिर्फ एक मर्द ...सिर्फ एक लंड दीखता...अब वो अपनी चूत में सचमुच में एक लंड लेने के लिए उतावली हो गयी थी।

सुहानी हर पल सिर्फ चुदाई के बारे में सोचने लगी थी। लेकिन मन में हमेशा डर लगा रहता था तो ठीक से अप्रोच नही कर पाती।

ऐसेही सुहानी और समीर को मिले हुए दो हफ्ते हो गए थे। सुहानी और समीर अब फ़ोन पे भी बाते करने लगे थे। समीर जो की एक बहोत बड़ा कमीना था लेकिन उसके मन में सुहानी के लिये एक अलग जगह बन चुकी थी।

एक दिन समीर ने फिर से सुहानी को अपना चेहरा दिखाने को कहा...लेकिन हर बार की तरह सुहानी। ने मना कर दिया...लेकिन समीर जिद्द पे अड़ गया और उसने सुहानी से कह दिया की अब जब तक वो सुहानी को देख नहीं लेता तब तक उससे बात नहीं करेगा। वो उससे मिलना चाहता था। उसने कहा की वो उसे एक तस्वीर भेज दे और कल उसे मिलने आये। उसने उसे एक होटल का नाम बताया और कहा की वो सन्डे को वो उसका इंतजार करेगा।*

सुहानी असमंजस थी की क्या करे...आखिर उसने फैसला किया की वो अब समीर को अपना चेहरा दिखा देगी। और फिर सन्डे को सुबह सुहानी ने समीर को अपनी एक तस्वीर भेज दी....सुहानी बेचैन थी की क्या करे...उसका मन कही भी नहीं लग रहा था। वो समीर के फ़ोन का इंतजार करने लगी। लेकिन समीर का फ़ोन नहीं आया...सुहानी ने कई बार उसे फ़ोन करने के लिए फ़ोन उठाया पर हिम्मत नहीं जुटा पायी....सुहानी के मन में अजीब अजीब खयाल आने लगे....उसे लगा की समीर जो इतनी बड़ी बड़ी बाते कर रहा था वो भी औरो की तरह ही निकला...लेकिन फिर भी सुहानी ने उसककी बताई जगह जाने का फैसला किया....वो उस होटल में पहुंची....लेकिन समीर वहा नहीं आया था....वो उसका इंतजार करने लगी। 3 घंटे तक वो समीर का इन्तजार करति रही पर समीर नहीं आया। *वो उसका फ़ोन ट्राय करती रही पर वो स्विच ऑफ आ रहा था। वो समझ गयी की समीर अब नहीं आने वाला....उसे बहोत ग़ुस्सा आया...बहोत दुःख हुआ।

वो घर आ गयी...रात को वो स्काइप पे भी ट्राय किया मगर समीर वहा भी ऑनलाइन नहीं था। सुहानी ने फ़ोन किया लेकिन अभी भी उसका फ़ोन स्विच ऑफ ही था। सुहानी रोने लगी। बहोत देर तक रोती रही।*

फिर उसका मन ग़ुस्से से भर गया..."ये लोग समजते क्या है खुद को...इतना भी क्या गुरुर है इन सबको...समीर मेरा भाई...पापा...और बाकि लोग....मैं ऐसी हु तो क्या ये मेरी गलती है? भगवान ने मुझे ऐसा बनाया तो मैं क्या करू? क्या मैं इंसान नहीं हु? मेरे अंदर कोई फीलिंग नहीं है? मैं इनसब को इनकी गलती का अहसास करवा के रहूंगी.,.बदसूरती सिर्फ बाहरी होती है...मैं लोगो की ये सोच बदल के रहूंगी...चाहे मुझे इसके लिए कुछ भी क्यू ना करना पड़े...जो आजतक मेरी बदसूरती की वजह से मुझसे दूर भागते आ रहे है उन्हें अगर मैंने अपने पीछे पीछे नहीं घुमाया तो मेरा नाम सुहानी नहीं"

पता नहीं सुहानी के दिमाग में क्या चल रहा था....पर एक बात तो थी अब वो ऐसा कुछ कर गुजरने वाली थी जो किसीने सोचा भी नहीं होगा...........

सुहानी ने शाम को ऑफिस खत्म हो जाने के बाद उसकी मम्मी को पहिने करके बताया की वो आज थोडा लेट हो जायेगी.....

करीब 9 बजे वो घर पहूंची। जब वो अंदर आयी तो सब ने देखा की वो ढेर सारे बैग्स लेके आयीं थी....सुहानी ऑफिस के बाद सीधा एक मॉल में गयी और बहोत सारी शौपिंग की....सब ब्रांडेड और लेटेस्ट फैशन के कपडे उसने ख़रीदे थे। और भी बहोत शॉपिंग की ....

उसने सारी बैग्स वही हॉल में रख दी लेकिन कुछ बैग्स वो अपने साथ अपीने रूम में ले गयी।

सुहानी के पापा और सोहन उसका भाई वही हॉल में बैठ के टीवी देख रहे थे। सुहानी फ्रेश होकर चेंज करके वापस आयीं और अपनी माँ को एक एक करके सब दिखने लगी। सभी बहोत ही अच्छे कपडे थे। उसने मम्मी के लिए भी 4 साड़ी लेके आयी थी। लेकिन भाई और पापा के लिए कुछ भी नहीं लिया था।

वो दोनों बस सुहानी को देखे जा रहे थे...और जब उनको ये समझ आया की सुहानी। ने सिर्फ खुद के लिए और मम्मी के लिए ही शॉपिंग की तो वो जलभुन के राख हो गए। सोहन तो आँखे फाड़ फाड़ के सर उन कपड़ो के प्राइस टैग देख रहा था। पापा को ये बात बिलकुल पसंद नहीं आयी थी किंसुहानि ने सोहन के लिए कुछ भी नहीं ख़रीदा था।

पापा:- इतना महंगे कपडे लेने क्या जरुरत थी? और भाई के लिए कुछ क्यू नहीं लायी...उसके पापा ने हमेशा किबतरह थोडा ग़ुस्से में पूछा।

सुहानी:- मैं देड लाख रूपए महीने का कमाती हु...क्या खुद के लिए इतना भी खर्च नहीं कर सकक्ति?? और सोहन के लिए आप और मम्मी लेके आईये मैं क्यू लाऊ...और वैसे भी अपनी पहली सैलरी से मैंने सबके लिए गिफ्ट लिए थे...क्या किसीने मुझे प्यार से थैंक यू कहा था??

सुहानी के पापा और सोहन को ये बिलकुल भी एक्सपेक्ट नहीं था। उनको यकीन नहीं हो रहा था की सुहानी पलट के जवाब दे रही थी।

(दोस्तों मैं सुहानी ककी मम्मी और पापा का नाम बताना भूल गया था जो अब बता रहा हु ताकि संभाषण में लिखते वक़्त आसानी हो

सुहानी के पापा:- अविनाश

सुहानी की मम्मी:- नीता)


सोहन:- मुझे नहीं चाहिए कुछ...मेरे पास बहोत है...और इनसे कही अच्छे।


सुहानी ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और एक वन पीस उठा के दिखाते हुए अपने मम्मी से कहा..."मम्मी ये देखो ये बरबेरी का है पुरे 20 हजार का है...


ये सुनके सोहन की आँखे खुली की खुली रह गयी।

यही हाल अविनाश का था। वो ग़ुस्से से उठ के चले गए। सोहन भी आग बबूला हो गया और अपने कमरे में चला गया। उन दोनों का बेहवियर देख सुहानी को अलग ही ख़ुशी मिल रही थी।

नीता:- सुहानी सच कहु तो इतने पैसे खर्च करने की जरुरत नहीं थी...और दोनों के लिए भी कुछ लेके आ जाती...

सुहानी:- मम्मी प्लीज...मेरा मन। नहीं हुआ उनके लिए कुछ लेने का तो नहीं लायी...जब होगा तब ले आउंगी...

नीता:- ठीक है...जैसी तेरी मर्जी...चल अब खाना खा ले...

नीता हमेशा इस टॉपिक को जादा नहीं खिंचती थी क्यू की उसे पता था सुहानी के पूछे सवालो का उसके पास कोई जवाब नहीं होता था।


"इग्नोरंस"


जो आजतक सुहानी झेलते हुए आयी थी आज पहली बार अविनाश और सोहन को झेलना पड़ा था। सुहानी का पहला ही शॉट बॉउंड्री के पार चला गया था। उसका तीर सीधा निशाने पे लगा था। आज उन दोनों को ये फिल कराके सुहानी ने उन तक ये मेसेज पहुचने कोशिस की थी की ऐसा जब होता है तब कैसा लगता है ये खुद फील करो।
 
सुहानी खाना खाने के बाद अपने रूम में आयी...आज उसके दिल को। बहोत सुकून मिल रहा था।

अब उसने वो बैग खोली जो वो सीधा अंदर लेके आयी थी। उसमे उसने एक से बढ़कर एक ब्रा पैंटी थे। वो एक एक करके उनको देलहने लगी। फिर पता नहीं उसे क्या सुझा...उसने अपने कपडे उतारे और एक एक ट्राय करने लगी। पहन के खुद को आईने में देखने लगी। सभी बहोत सेक्सी थे। उसकी जवानी को चार चाँद लगा रहे थे।

जब उसने g स्ट्रिंग वाली पैंटी पहन के खुद को आईने देखा तो हैरान रह गयी....क्यू की पीछे से उसके नंगी गांड और गांड के दरारों *में फंसी छोटी सी स्ट्रिंग एयर सामने से सिर्फ छोटी सी स्ट्रिप जो उसकी चूत को बड़ी मुश्किल से ढक पा रही थी। सुहानी ने धीरे से अपनी चूत को सहलाया...वो थोडा सा गीली हो चुकी थी।

अगर सुहानी को ऐसे कोई भी देख लेता तो उसका लंड वही पानी छोड़ देता।

फिर सुहानी ने एक ट्रांस्प्रंट ब्रा और पॅंटी पहनी....और खुद को देखने लगी....जाली वाली ब्रा में उसके बड़े बड़े बूब्स का आकार बहोत ही मोहक् लग रहा था...उसकी काले निप्पल क्खदे हो चुके थे...और गोल गोल चुचिया जैसे किसी फ़िल्म के हेरोइन की होती है बिलकुल वैसेही लग रही थी...निचे उसकी बिना बालो वाली सवाली सी चिकनी चूत और उस जाली में से दिखते। उसके चूत के पतले ओठ उफ्फ्फ्फ्फ़ और थोडा थोडा गिला होने ककए कारन बल्ब की रोशनी में किसी सितारे किबतरह चमक रही थी।

सुहानी:- क्या ऐसे मुझे ककोई देखेगा तो कंट्रोल कर पायेगा?

इसका जवाब बाहर की खिड़की से झांकता वो इंसान जरूर दे रहा था जो अपना लंड मसल रहा था। वो अविनाश था....जो सिगरेट पिने के लिए हमेशा पीछे की तरफ टहलते हुए सिगरेट पीते थे। आज भी वो वही करने आये थे मगर उन्होंने देखा की सुहानी के कमरे में कुछ हलचल हो रही है और खिड़की भी थोड़ी खुली हुई थी। तो वो कुतूहल में देखने लगे...सुहानी की पीठ खिड़की की तरफ होने से उसे तो दिखाई नहीं दे रहा था पर अविनाश सब कुछ देख रहा था।

जैसे ही उसने सुहानी को ब्रा पैंटी में खुद को आईने के सामने निहारते हुए देखा उन्होंने झट से कदम पीछे हटा लिए...और अपनी सिगरेट पिने लगे।

और कुछ देर उस और गए ही नहीं। लेकिन रह रह के उनकी आँखों के सामने वही नजारा आ रहा था। वो फिर से उस थोड़ी सी खुली खिदक्कि में से झाँकने लगे। अब सुहानी ने दूसरी ब्रा पैंटी पहनी हुई थी। उनके पाँव ववही जम गए...पिछेसे उसकी नंगी पतली कमर और पॅंटी में कसी हुई गांड देख के उनके लंड में हरकत होने लगी। और जब सुहानी ने ग स्ट्रिंग वाली ब्रा पॅंटी पहनी तो उसकी नंगी गांड और उसके दरार में घुसी हुई स्ट्रिंग को देख उनका हाथ अपने आप ही लंड पे चला गया। उनके सोचने समझने की शक्ति खत्म सी हो गयी थी। वो अपनी खुद की बेटी को ऐसे अधनंगी हालत में देख के लंड मसल रहे थे। सुहानी जब थोडा साइड हुई और अपनी चूत को सहला रही थी तब अविनाश की आँखे फटी की फटी रह गयी....उसकी चिकनी जांघे और सिर्फ चूत को कवर करती एक छोटीसी स्ट्रिप ....उफ्फ्फ्फ़ ये नजारा किसी को भी लंड मसलने के लिए मजबूर करने के लिए काफी था।

अविनाश की सिगरेट खत्म हो के उसे एकक चटका सा लगा...तब जाके वो होश में आया...

अविनाश:- अह्ह्ह ...ये में क्या कर रहा हु...अपनी बेटी को ऐसे देख के लंड मसल रहा हु...पागल हो गया हु मैं...शरम आणि चाहिए मुझे...वो खुद पे लानत भेज रहा था क्यू की वो बाप था....मगर उनके अंदर का मर्द सुहानी के सेक्सी बदन को देखने से खुद को रोक नहीं पा रहा था।

सुहानी थोडा साइड में जा के चेंज कर रही थी इसलिए वो उसे नंगा होते हुए नही देख पा रहे थे...अगले।पल सुहानी वो ट्रांस्प्रंट ब्रा पॅंटी पहन के खुद को आईने के सामने निहार रही थी। अविनाश का लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चूका था...अविनाश ने देखा सुहानी के गोल गोल और बड़े बड़े। बूब्स के काले निप्पल कड़क हो चुके थे....उसकी नंगी भरी हुए गांड और वो पॅंटी में इस कदर कसी हुई थी की उनको जबरदस्ती उसमे ठूसा है...और जब सुहानी जब थोडा आगे पीछे हो रही थी तब उसे दोनों फाके आपस में घर्षण हो जाती ...ये देख के अविनाश फिर अपने होश खो चूका था। जालीदार पॅंटी में से सुहानी के चूत के पतले होठ देख के अविनाश के मुह में पानी आ गया....उसकी सावली चिकनी चूत को देख के अविनाश ने अपना लंड पपजमे के अंदर हाथ डाल के पकड़ लिया। थोड़ी देर सुहानी ऐसेही खुद को देखती रही....और फिर उसने कप पहन लिए और लाइट बंद कर दिया....अविनाश भी अब होश में आ चूका था वो भी पिछेसे ही अपने कमरे में दाखिल हो गया...उसने देखा नीता कोई किताब पढ़ रही थी...


नीता:-आज बहोत देर लगा दी...कुछ सोच रहे थे क्या?

अविनाश:- अ..वो..मैं...

नीता:- सुहानी के बारे में...

अविनाश:- अ..न..नहीं..

नीता:- देखिये..आज जो भी हुआ उसे दिल पे मत लीजिये...मैंने पहले भी कहा है आपसे वो थोडा उदास हो जाती है जब आप दोनों उससे थिक् से बात नहीं करते...उसे प्यार नहीं करते..

अविनाश हमेशा नीता की ऐसी बातो पे भड़क जाता था लेकिन आज वो कुछ और ही सोच रहा था।

अविनाश:-चलो सो जाओ..मुझे नींद आ रही है..

नीता ने लाइट ऑफ किया और सो गयी...अविनाश लेटे लेटे आँखे बंद करके कुछ सोच रहा था। लेकिन जब भी वो आँखे बंद करता उसके आँखों के सामने सुहानी का जिस्म तैरने लगता।

अविनाश:- उफ्फ्फ आज मैं ये क्या देख बैठा...मुझे ये सब नहीं देखना चाहिए था...और मैं कैसे लंड मसल रहा था...और ये साला लंड तो अभी भी खड़ा होने लगा है...लेकिन कुछ भी कहो सुहानी है बहोत सेक्सी...क्या चुचिया है स्स्स्स्स् और गांड तो एकदम पटाखा है....लेकिन वो ये सब क्यू खरीद के लायी है...कही उसका कोई बोयफ्रैंड तो नहीं बन गया?? और उसे रिझाने के लिए ये सब...नही नही..या हो भी सकता है...देखना पड़ेगा ...कहि ये अपनी इज्जत ना गवा बैठे...ककिसीसे चुदवा ना ले....

अविनाश को जलन सी हुई...लेकिन वो उसे केअर का कवर चढ़ा के खुद को तस्सली दे रहा था।

अविनाश:- मैं ये सब क्या सोच रहा हु?? बाप हु तो बेटी की चिंता रहेगी..लेकिन कल तक मुझे उसकी कोई चिंता क्यू नहीं थी...आज अचानक से....मैं ये सोच के ही क्यू जलन महसूस कर रहा हु की वो किसी और से चुदवा ने वाली है...ऐसा सेक्सी जिस्म चोद के तो कोई भी बाग़ बाग़ हो जाएगा...उसकी चिक्नी सावली चूत को चाट के पागल हो जाएगा....उसकी भरी हुई मांसल गांड पे लंड रगड़ने में कितना मजा आएगा...उसके काले गोल बड़े निप्पल को तो कोई भी घंटो तक चूसता रहेगा...उफ्फ्फ अह्ह्ह्ह और उसकी बड़ी बड़ी चुचियो को मुट्ठी में लेके दबाने को मिले तो जन्नत मिल जाए...ये..ये मुझे क्या हो रहा है...मैं ऐसे पागलो की तरह क्यू सोच रहा हु...वो तो मैं बस कल्पना कर रहा था...बस मैं ये सोच रहा था की वो जवान है उसे बस कोई धोका ना दे...
 
अविनाश अजीब कश्मकश में था...एक तो वो समझ नहीं पा रहा था की सुहानी के प्रति उसके मन वासना उमड़ रही है या चिंता...क्यू की कही कोने में उसे पता था की कल तक उसे सुहानी की कोई फिकर नहीं थी क्यू की वो बदसूरत थी...कोई उसे देखता भी नहीं था...उसका कोई लड़का दोस्त भी नही था..लेकिन जब आज उसने अपनी आँखों से सुहानी का मादक जिस्म देखा तो उसे लगने लग गया की कोई उसे भोग ना ले...ये एक बाप की चिंता थी...मगर इसके साथ उसके मन में जो भाव उमड़ रहे थे वो वासनामय थे...उसके लिए भी कुछ कारण था...नीता और उसके बिच कई महीनो से सेक्स नहीं हुआ था...नीता सेक्स में शुरू से ही कोई रूचि नहीं रखती थी...उसके अविनाश एक बहोत ही कामुक पुरुष था...लेकिन शादी के बाद अपनी बीवी की सेक्स प्रति बेरुखी देख के उसका भी मन धीरे धीरे सेक्स के प्रति उदासीन होते गया...पर उसने कभी बाहर अपनी आग शांत करने की कोशिस नहीं की...वो अंदर ही अंदर उसे दबाता गया...लेकिन आज सुहानी को ऐसे देख वो दबा हुआ ज्वालामुखी सक्रीय होने लगा था....शायद बहोत जल्द ही ज्वालामुखी दहक उठे....


उस दिन के बाद अविनाश का सुहानी की तरफ देखने का नजरिया ही बदल चूका था....सुहानी जो अब मॉडर्न और रिवेलिंग कपडे पहनने लगी थी ...जिसमे से झांकता उसके शारीर के अंग कू देख के उनका आँखों से ही रसपान करने लगा था...उसका बहोत मन करता की वो सुहानी के पास जाए उससे बाते करे...उसे छुए पर उसने कभी *ऐसा कुछ नहीं किया था इसकी वजह से उसके मन में एकक अपराधिक भावना ने जन्म ले लिया था....उसका गिल्ट उसे ही खाये जा रहा था.....सुहानी का बेहवियर भी अब कुछ अलग ही हो गया था...वो उसके भाई और पापा को जितना जादा हो सके उतना इग्नोर कर रही थी और ऊपर से ये जता भी देती थी की वो इग्नोर कर रही है....पर अविनाश इन सब के बावजूद इसी फ़िराक में रहता था की कब उसे सुहानी की चुचिया और गांड का जी भर के दीदार हो जाय....सुहानी भी अब धीरे धीरे अविनाश की नजरे समजने लगी थी....उसे ये पता होने लगा था की वो जब भी आसपास होता था तब चुपके चुपके उसे हो घूरता रहता....

एक दिन सुहानी ऑफिस जाने से पहले नास्ता कर रही थी....अविनाश सामने सोफे पे बैठ के पेपर पढ़ रहे थे...तभी सुहानी आचार का डिब्बा लेने के लिए कड़ी हुई और सामने की तरफ झुकी...तभी अविनाश की नजर उसपे पड़ी...उसके टॉप के खुले गए बटन में से आधे से जादा चुचिया अविनाश को दिखाई देने लगी...अविनाश का मुह खुला का खुला रह गया...तभी सुहानी की नजर उसपे पड़ी जो उसकी अदनंगी चुचिया देखने में व्यस्त था....सुहानी ने जब देखा उसके चहरे पे एक विजयी मुस्कान दौड़ गयी....

सुहानी:- मन में" ह्म्म्म्म देखा कैसे मैंने इनको दीवाना बना दिया है....एक हफ्ता हुआ है अभी जब से मैंने इनको अपना जिस्म उस रात को दिखाया है तब से मेरी तरफ अट्रैक्ट हो चुके है...हमेशा मुझे घूरते रहते है...सच कहा था समीर ने अगर मैंने अपनी बॉडी भाई और पापा को दिखाई तो वो भी मुझे चोदने के लिए तड़प उठेंगे...लेकिन क्या मैं ये सही कर रही हु...क्या सच में मैं इनसे चुदवाना चाहती हु?? सही गलत मुझे नही पता...मैं बस इनको अपने पीछे पीछे दौड़ना चाहती हु....


सुहानी ने उस दिन जानबुज के खिड़की खुली राखी थी क्यू की उसे पता था खाना खाने के बाद अविनाश सिगरेट पिने के लिए पीछे आते है...और जैसे ही उसे अविनाश की आहट सुनाई दी उसने अपना काम शुरू कर दिया।

सुहानी भी अजीब कश्मकश में थी...उसे पता था वो जो कर रही है वो गलत है पर उसके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था...उसे बस लोगो को खासकर के उसके पापा और भाई को सबक सिखाना था।इसके लिए वो कुछ भी करने के लियेबतायर थी और वो इसमें कामयाबी का पहला चरण पार कर चुकी थी।

अगले दिन सुहानी ने सबको एक्क् और झटका देने का प्लान कर चुकी थी...वो अपनी नयी कार लेके घर पहूंची....सब ये देख के हैरान थे...नीता को बहोत गुस्सा आया क्यू की सुहानी कुछ जादा ही मनमानी कर रही थी। सोहन तो बौखला गया था। लेकिन अविनाश इसबार सबसे विपरीत खुश था।

नीता:- सुहानी ये क्या है...तुम् खुद कमा रही हो इसका मतलब ये नहीं की कुछ भी करती रहो...एक बार हमसे पूछ तो लेती।

सुहानी थोड़ी घबरा गयी..वो कुछ बोल पाती इसके पहले ही अविनाश बोल पड़ा...

अविनाश:- नीता क्यू डांट रही हो....उसने तो आज हमारा सर गर्व से ऊँचा कर दिया है....

सुहानी और बाकि सब लोग हैरानी से अविनाश कोंदेखते रहे।

अविनाश चलते हुए सुहानी के पास गया और उसे अंधे से पकड़ के उसके माथे को चूम लिया....

अविनाश:- im प्राउड ऑफ़ यू सुहानी...

और उसने सुहानी को गले लगा लिया। सुहानी क्कोंकुच समझ नहीं आ रहा था की वो क्या कहे। नीता और सोहन ये देख के हैरान थे पर संभल गए थे। वो बड़े चाव से गाडी देखने लगे। अविनाश सब पडोसी को बुला के मिठाई देने लगा। सुहानी अपने पापा को ऐसे खुश देख के रोमांचित हो रही थी अविनाश ने आज पहली बार उसे प्यार से गले लगाया था...नीता ने गाडी की पूजा की...फिर सब मिलके गाडी में घुमाने गए....सुहानी बस अविनाश को देखे जा रही थी।

सोहन भी खुश था...

सोहन:- दीदी मुझे दोगी न कार चलने के लिए...कभी कॉलेज जाने के लिए...सोहन घर में आते ही सुहानी के पास गया और पूछा।

सुहानी:- नहीं बिलकुल नहीं...

सोहन:- प्लीज दीदी...

सुहानी:- नहीं...मैंने तुझे कितनी बार कहा की मुझे अपने बाइक पे शॉपिंग लेके चल या फिर कही और कोई काम से तब तो तुझे शरम आती थी मेरे साथ बाहर आने में...अब मैं क्यू दू तुम्हे...

सोहन:-मम्मी पापा...प्लीज देखिये दीदी मुझे...

अविनाश:- तुम पहले अपनी पढाई पे ध्यान दो...और खुद सुहानी जैसे बड़ी कंपनी में जॉब हाशिल करो और खुद की कार लो और उसे चलाओ...

सोहन को गुस्सा आया और प्पेर पटकते हुए चला गया...नीता अविनाश का बदला हुआ रवैया देख खुश थी।

अविनाश सुहानी के पास गया उसके कंधे पे हाथ रखा और ...

अविनाश:- बेटा आज सच में मैं बहोत खुश हु...

सुहानी:- पापा....

सुहानी कुछ बोल नहीं पा रही थी...

अविनाश:- आज जब सब प्पड़ोसि तुम्हारीबतारीफ कर रहे थे तुम सोच नहीं सकती मुझे क्या महशुस हो रहा था। थैंक यू बेटा...अविनाश ने सुहानी को कस के गले लगा लिया...सुहानी भी भावनाओ में बहती चली गयी और वो भी अविनाश से लिपट गयी....

नीता बाप बेटी को ऐसे गले लगे हुए देख के बहोत सुकून महशुस कर रही थी...आज पहली बार वो ऐसा कुछ देख रही थी....उसकी आँखों में आंसू आ गए...सुहानी भी अपने आंसू रोक नहीं पायी....मगर अविनाश ककए मन में कुछ और ही चल रहा था...सुहानी जब उसने पहली बार गले लगया तो सुहानी की चुचिया उसकी छाती पे दब गयी....उसे स्वर्ग के भांति अनुभूति हुई....और अब जब उसने सुहानी गले लगया था तो थोडा और कसक्के गले लगया था....उसका लंड खड़ा होने लगा था...

अविनाश:- मन में...उफ्फ्फ मेरा लंड तो खड़ा होने लगा...कही सुहानी को अहसास न हो जाये....उफ्फ्फ लेकिन क्या मस्त चुचिया है उम्म्म्म्म अपने छाती पे दबती हुई कितना मजा आ रहा ...

अविनाश और सुहानी अलग हुए...पपहलि बार सुहानी को कुछ नहींलग लेकिन इसबार सुहानी अविनाश का टच समझ रही थी....उसे थोड़ी शरम आ रही थी की अपनी मम्मी के सामने वो अपने पापा से ऐसे गले लगे हुए कड़ी थी....

सब मिलके खाना खाया....आज सुहानी के घर का माहोल कुछ अलग ही था...सिर्फ सोहन ही था जो खुश नहीं था।
 
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