hotaks444
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चाचा:- बस छोटा ...मेरे साथ बैठो...
ऐसा बोल के चाचा ने कोटा बोल के बड़ा सा पेग बना दिया...और सुहानी को थामा दिया।
सुहानी थोडा सा पिया...
सुहानी:- उफ्फ्फ कितनी कड़वी है ये...
चाचा:- तो इसके साथ ये खाओ...चाचा ने सुहानी को सल्टेड काजू दिए...सुहानी वो खाने लगी।
चाचा बड़ा चालू इंसान था...वो सुहानी को पिला के मजे करना चाहता था। पर सुहानी उससे भी होशियार थी...वो बस पिने का नाटक करने लगी।
चाचा:+ अरे पिलो बेटा...कुछ नहीं होगा...अछि नींद आएगी...
सुहानी को मज़बूरी में थोडा पीना पड़ा...उसे थोडा अच्छा फील होने लगा था। थोडा नशा सा होने लगा...पर वो अपने सेन्सस में थी। चाचा ने जब देखा की सुहानी को नशा होने लगा है तो उसने अपना पीना बंद काट दिया। सिर्फ नाटक करने लगा।
चाचा:- देखा मैंने कहा था न...कुछ नहीं होगा...अरे ये कूई सस्ती शराब नहीं है जो आवारा सड़कछाप लोग पपीते है....तुम सिर्फ रिलैक्स फील करोगी...हा अगर झूमना चाहती हो तो एक और ले लो...
सुहानी:- नहीं अंकल बस एक बस हो गया...इससे ही तो सब घूमने जैसा लग रहा है...
चाचा:- नहीं वो ऐसेही लगता है...चलो उठो खड़ी हो जाओ कुछ नहीं होगा...चलो वहा रेलिंग के पास खड़े हो के ठंडी हवा का मजा लेते है...
सुहानी चेयर से उठी...लेकिन थोडा लड़खड़ाई...चाचाजी ने उसे थाम लिया...
सुहानी:- इट्स ओके अंकल...सुहानी ने खुद को छुड़ाया...im ओके...
चाचा ने उसे। छोड़ दिया...सुहानी को नशा बहोत कम हुआ था। पर पहली बार था इसलिये थोडा अजीब लग रहा था एयर मजा भी आ रहा था।
वो दोनों जेक रेलिंग के पास खड़े हो गए...चाचा सुहानी के चहरे के हावभाव देख रहा था। और साथ हिउसक्के सेक्सी बदन को नशे में सुहानी थोड़ा थोडा बलखा रही थी।
चाचा:- मन में...उफ्फ्फ क्या सेक्सी लग रही है....सिर्फ चेहरा ठीक होता तो न जाने कितनो का पानी निकालती ये...
सुहानी:- मन में...मुझे बहका के मजे लेनेकी सोच रहे है...उफ्फ्फ मुझे पता है फिर भी मैं क्यू इसे एंटरटेन कर रही हु....क्यू की इनका अटेंशन मुझे अच्छा लग रहा है...वो जिस हवस भरी नजरो से मुझे देख रहे है वो मुझे अच्छा लग रहा है....मुझे अबतक नहीं पता था की मेरे पास भी ऐसा कुछ है जिससे लोग मेरी तरफ अट्रैक्ट होते है...देखो कैसे अपने लंड को मसल रहा है मेरी चुचिया और गांड देख के...चलो इसको थोड़े और जलवे दिखाते है और थोडा तड़पाते है।
चाचाजी ने देखा की सुहानी की नजर उसके लंड पे है तो उसने हाथ हटा लिया।
सुहानी ने उसकी तरफ देखा और स्माइल कर दी...वो भी स्माइल करने लगा।
सुहानी:- वाओ अंकल ये गार्डन कॉटन अच्छा लग रहा है रात में...
चाचाजी:- अरे ये तो कुछ नहीं...उस साइड का देखना कितना अच्छा लगेगा जब काम पूरा हो जायेगा...ऐसा बिल के वो सुहानी के पास आये और उसके कंधे पे हाथ रख दिया...और उसे बताने लगे की वहा क्या क्या करने वाले है...सुहानी का ध्यान उसके बातो में कम हाथो पे जादा था। उसने सुहानी को कंधे से पकड़कर थोडा अपनी और खीचा....वो दोनों सामने के तरफ मुह करके खड़े थे। वो धीरे धीरे कंधे को दबा रहा था। सुहानी पे उसका असर होने लगा था। फिर धीरे से चाचाजी ने अपना हाथ उसकी पीठ पे ले आये....आराम से बाटे करते हुए उसकी पीठ सहलाने लगे....सुहानी को अहसास हो रहा था...वो मजे ले रही थी...वो बस देखना चाहती थी की चाचाजी और क्या क्या करते है...चाचाजी धीरे धीरे अपना हाथ निचे लेके जा रहे थे अब उनका हाथ उसकी कमर पर था। टॉप शार्ट था...और पैंट और टॉप में थोडा गैप भी था। उस गैप में चाचाजी का हाथ जाते ही उन्हें उसकी नंगी कमर फील हुई....उनका हाथ वाही रुक गया...वो सुहानी के चहरे की और द्वलहने लगे...दोपहर में कैसे वो झटके से बाजू सरक गयी थी वो यद् आ गया...पर इसबार ऐसा कुछ नहीं हुआ....सुहानी मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
सुहानी:- अच्छा प्लान है अंकल...
चाचाजी:- हा..बेटा वो तुम्हारी चाची को पसंद है ये सब...
सुहानी:- कितना सोचते हो आप आंटी के लिए...
चाचाजी:- अब बीवी है तो सोचना ही पड़ता है...जब चाचाजी ने देखा की सुहानी पे शराब का असर कुछ खास नहीं हुआ तो...तुम और पीना चाहोगी??
सुहानी :- नहीं अंकल...बस हो गया...ये ही तो मुझे बहोत हो गयी...मेरा सर चकरा रहा है...
ऐसा बोल के चाचा ने कोटा बोल के बड़ा सा पेग बना दिया...और सुहानी को थामा दिया।
सुहानी थोडा सा पिया...
सुहानी:- उफ्फ्फ कितनी कड़वी है ये...
चाचा:- तो इसके साथ ये खाओ...चाचा ने सुहानी को सल्टेड काजू दिए...सुहानी वो खाने लगी।
चाचा बड़ा चालू इंसान था...वो सुहानी को पिला के मजे करना चाहता था। पर सुहानी उससे भी होशियार थी...वो बस पिने का नाटक करने लगी।
चाचा:+ अरे पिलो बेटा...कुछ नहीं होगा...अछि नींद आएगी...
सुहानी को मज़बूरी में थोडा पीना पड़ा...उसे थोडा अच्छा फील होने लगा था। थोडा नशा सा होने लगा...पर वो अपने सेन्सस में थी। चाचा ने जब देखा की सुहानी को नशा होने लगा है तो उसने अपना पीना बंद काट दिया। सिर्फ नाटक करने लगा।
चाचा:- देखा मैंने कहा था न...कुछ नहीं होगा...अरे ये कूई सस्ती शराब नहीं है जो आवारा सड़कछाप लोग पपीते है....तुम सिर्फ रिलैक्स फील करोगी...हा अगर झूमना चाहती हो तो एक और ले लो...
सुहानी:- नहीं अंकल बस एक बस हो गया...इससे ही तो सब घूमने जैसा लग रहा है...
चाचा:- नहीं वो ऐसेही लगता है...चलो उठो खड़ी हो जाओ कुछ नहीं होगा...चलो वहा रेलिंग के पास खड़े हो के ठंडी हवा का मजा लेते है...
सुहानी चेयर से उठी...लेकिन थोडा लड़खड़ाई...चाचाजी ने उसे थाम लिया...
सुहानी:- इट्स ओके अंकल...सुहानी ने खुद को छुड़ाया...im ओके...
चाचा ने उसे। छोड़ दिया...सुहानी को नशा बहोत कम हुआ था। पर पहली बार था इसलिये थोडा अजीब लग रहा था एयर मजा भी आ रहा था।
वो दोनों जेक रेलिंग के पास खड़े हो गए...चाचा सुहानी के चहरे के हावभाव देख रहा था। और साथ हिउसक्के सेक्सी बदन को नशे में सुहानी थोड़ा थोडा बलखा रही थी।
चाचा:- मन में...उफ्फ्फ क्या सेक्सी लग रही है....सिर्फ चेहरा ठीक होता तो न जाने कितनो का पानी निकालती ये...
सुहानी:- मन में...मुझे बहका के मजे लेनेकी सोच रहे है...उफ्फ्फ मुझे पता है फिर भी मैं क्यू इसे एंटरटेन कर रही हु....क्यू की इनका अटेंशन मुझे अच्छा लग रहा है...वो जिस हवस भरी नजरो से मुझे देख रहे है वो मुझे अच्छा लग रहा है....मुझे अबतक नहीं पता था की मेरे पास भी ऐसा कुछ है जिससे लोग मेरी तरफ अट्रैक्ट होते है...देखो कैसे अपने लंड को मसल रहा है मेरी चुचिया और गांड देख के...चलो इसको थोड़े और जलवे दिखाते है और थोडा तड़पाते है।
चाचाजी ने देखा की सुहानी की नजर उसके लंड पे है तो उसने हाथ हटा लिया।
सुहानी ने उसकी तरफ देखा और स्माइल कर दी...वो भी स्माइल करने लगा।
सुहानी:- वाओ अंकल ये गार्डन कॉटन अच्छा लग रहा है रात में...
चाचाजी:- अरे ये तो कुछ नहीं...उस साइड का देखना कितना अच्छा लगेगा जब काम पूरा हो जायेगा...ऐसा बिल के वो सुहानी के पास आये और उसके कंधे पे हाथ रख दिया...और उसे बताने लगे की वहा क्या क्या करने वाले है...सुहानी का ध्यान उसके बातो में कम हाथो पे जादा था। उसने सुहानी को कंधे से पकड़कर थोडा अपनी और खीचा....वो दोनों सामने के तरफ मुह करके खड़े थे। वो धीरे धीरे कंधे को दबा रहा था। सुहानी पे उसका असर होने लगा था। फिर धीरे से चाचाजी ने अपना हाथ उसकी पीठ पे ले आये....आराम से बाटे करते हुए उसकी पीठ सहलाने लगे....सुहानी को अहसास हो रहा था...वो मजे ले रही थी...वो बस देखना चाहती थी की चाचाजी और क्या क्या करते है...चाचाजी धीरे धीरे अपना हाथ निचे लेके जा रहे थे अब उनका हाथ उसकी कमर पर था। टॉप शार्ट था...और पैंट और टॉप में थोडा गैप भी था। उस गैप में चाचाजी का हाथ जाते ही उन्हें उसकी नंगी कमर फील हुई....उनका हाथ वाही रुक गया...वो सुहानी के चहरे की और द्वलहने लगे...दोपहर में कैसे वो झटके से बाजू सरक गयी थी वो यद् आ गया...पर इसबार ऐसा कुछ नहीं हुआ....सुहानी मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
सुहानी:- अच्छा प्लान है अंकल...
चाचाजी:- हा..बेटा वो तुम्हारी चाची को पसंद है ये सब...
सुहानी:- कितना सोचते हो आप आंटी के लिए...
चाचाजी:- अब बीवी है तो सोचना ही पड़ता है...जब चाचाजी ने देखा की सुहानी पे शराब का असर कुछ खास नहीं हुआ तो...तुम और पीना चाहोगी??
सुहानी :- नहीं अंकल...बस हो गया...ये ही तो मुझे बहोत हो गयी...मेरा सर चकरा रहा है...