Indian Sex Story बदसूरत - Page 3 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here
सब लोग अपने अपने कमरे में सोने चले गए। सुहानी बेड पे लेटे। लेटे सोचने लगी ""आज पापा कितना खुश थे...आज वो मेरी अहमियत समज गए...लेकिन क्या वो मेरी कामयाबी से खुश थे या सिर्फ मेरे साथ अच्छा व्यव्हार करने का दिखावा कर रहे है ताकि वो मुझे चोद सके?? क्यू की उनकी आँखों में मैंने वासना देखि है...उनका वो छूना...मुझे गले लगाना और मेरी पीठ पे उनके घूमते गए हाथ...साफ़ साफ़ मुझे समझ आ रहा था...वो नार्मल नहीं था...लेकिन इसमे उनकी गलती नहीं है मैंने ही तो उनको अपना जिस्म दिखाया था...अब अगर वो मेरी तरफ सेक्सुअली अट्रैक्ट हो चुके है तो अब मुझे क्या करना चाहिए... मैं इतना क्यू सोच रही हु...मैं तो बस उनको ये साबित करना चाहती थी की मैं सिर्फ दिखने में अछि नहीं हु बाकी चीजो में मेरी बराबरी बहोत कम लोग कर पाते है...ये सब तो सही है ..पर अब आगे क्या?? क्या वो सच में मुझे चोदना चाहते है....पर क्यू?? मैं तो उनकी बेटी हु...समीर ने कहा था की ये सब होते रहता है...क्या सच में होता है...होता ही होगा...वरना उस दिन पापा क्यू मुझे खिड़की से देखते? और रोज भी बीएस मुझे घूरे जाते है...आज भी कैसे मेरी चुचियो को अपने सीने पे दबा रहे थे...देखते है क्या होता है अगर वो मर्यादा छोड़ के मुझे पाना चाहते है तो मैं भी पीछे नहीं हटूंगी...शायद इसी बहाने से मुझे उनका प्यार मिल जाय जिसके लिए मैं 23 सालो से तरस रही हु..."""


सुहानी को आज कुछ पल की ख़ुशी ने अँधा बना दिया था। और हो भी क्यू ना...जो लड़की 23 सालो से अपने पापा के प्यार के लिए तरस रही हो उसे वो और चाहिए था फिर वो वासनामय क्यू ना हो।


इधर अविनाश भी सोच में डूब था। उसे नींद नहीं आ रही थी। वो अपनी हरकत को लेके बहोत गिल्टी फील कर रहा था।

""उफ्फ्फ मैं वासना में बह कर कुछ जादा ही गलत हरकत कर बैठता हु...

पर क्या करू जब से उस दिन देखा है मेरी अंदर की सेक्स क8 भावनाय जो सो रही थी वो जाग गयी है...जब भी उसे देखता हु मुझे उसका जिस्म याद आ जाता है...और मैं भावनाओ को काबू नहीं कर पाता....नहीं...बिलकुल नहीं...माना की उस दिन उसे उस हालत में देख के मैं थोडा बहक गया था...पर मुझे मेरी गलती का अहसास आज हुआ है की वो सिर्फ एक ही चीज में कमजोर है बाकि की खुबिया उसमे कूट कूट के भरी हुई है...मैंने हमेशा उन चीजो को नजरअंदाज किया है...आज मेरे जानपहचान या रिश्तेदारो में सुहानी जैसा कोई नहीं है...वो होशियार है कामयाब है और वो कितनी सेक्सी है...उफ्फ्फ मेरी गाडी हमेशा उसके सेक्सी जिस्म पे आके क्यू रुक जाती है??""

अविनाश को समझ नहीं आ रहा था की आज सुहानी के लिए जो प्यार उसके मन में उमड़ रहा है दरअसल वो प्यार नहीं उसके लिए हवस है..बरसो से सेक्स के लिए तड़पते हुए इंसान का फ्रस्ट्रेशन है...

उसने नीता को देखा वो गहरी नींद में सो रही थी। वो उठा और सिगरेट लेके पीछे के दरवाजे से बाहर आया और सिगरेट पिने लगा। टहलते गए वो सुहानी के रूम के पास आया उसने देखा की खिड़की आज बंद थी वो थोडा आगे आया और देखने लगा..उसने खिड़की को धीरे से धकेला पर वो अंदर से बंद थी...सुहानी अपने ऑफिस का कुछ काम कर रही थी....उसे खिड़की के पास कुछ हलचल महसूस हुई तो उस तरफ देखने लगी...पहले तो उसे डर लगा...लें जब उसने थोडा पर्दा हटा के देखा तो वह कोई नहीं था...उसने थोडा ध्यान से देखा तो थोड़ी दुरी पर उसके पापा सिगरेट पि रहे थे...सुहानी समझ गयी की अविनाश खिड़की के पास आके अंदर झांकने की कोशिस कर रहे होंगे...ये सोच सुहानी की हंसी निकल गयी...

सुहानी:- ह्म्म्म लगता है आज भी पापा को लगा कुछ देखने मिल जायेगा इसलिए खिड़की के पास आकर देख रहे थे...

अविनाश उसके लिए दीवाना हो रहा था ये देख के सुहानी के मन में। एक अजीब सी सिरहन दौड़ गयी....और मुस्कुराते हुए अपने काम में लग गयी


अगले दिन से अविनाश का व्यवहार सुहानी के प्रति बहोत बदल गया था। वो सुहानी से बड़े प्यार से बाते करने लगा था...जब भी टीवी देखने बैठते या खाना खाने बैठते अविनाश सुहानी के पास ही बैठ जाता...उसे छूने के बहाने ढूंढता...और सबसे चुपके उसकी सेक्सी बॉडी का रसपान कर लेता....देखने वालो को जैसे की नीता और सोहन को लगता की ये एक बाप का अपनी बेटी के लिए प्यार है...पर सिर्फ सुहानी और अविनाश जानते थे की अविनाश सुहानी को लेके क्या सोचता है।

सुहानी अविनाश के छूने से रोमांचित हो उठती...जब सोफे पे टीवी देखते वक़्त अविनाश सुहानी के पास बैठता तो अपना हाथ उसके कंधे पे रख देता...और धीरे धीरे उसकी बाह को सहलाने लगता...अपनी जांघे उसकी जांघो से सटा देता....सुहानी जब भी अविनाश के करीब होती उसकी धड़कने बढ़ने लग जाती...और जब अविनाश कभी उसककी पीठ या गांड को छु लेता सुहानी की चूत गीली होने लग जाती...सुहानी ने कभी अविनाश का ऐसा छूने का विरोध नहीं किया पर अपनिन्तरफ से कोई इशारा भी नहीं दिया।

सोहन अविनाश का सुहानी के प्रति बदला हुआ व्यवहार देख के हैरान था। जैसा की होता है...पहले वो सोहन से जादा ककरीब थे...उसे लगता था की वो उससे जादा प्प्यार करते है लेकिन अब उसे सुहानी से जलन होने लगी थी और वो जादा ही गुस्सा करने लगा था...और जब भी वो सुहानी से बद्दतमिजिसे बात करता अविनाश उसे डांट देता जिससे वो और भी जादा गुस्सा करने लगा। अब उसे हर बात पे सुहानी का example मिलने लगा था। वो कोई भी गलती करता तो उसे मम्मी या पापा से ये सुनाने मिलता

की "कुछ सिख सुहानी से"

सुहानी भी उसे चिढ़ाने का एकक भी मौका अपने हाथ से नही जाने देती...क्यू की उसने सुहानी को हर्ट करने का एक भी मोका कभी नहीं छोड़ा था...सुहानी के दिल उसकी बातो से उसकी हरकतों से कई बार ठेस पहुंची थी।

एक दिन सुहानी ऐसेही शाम को घर की तरफ आ रही थी। वो एक जगह कही रुकी कुछ सामान लेना था। जब वो वापस आ रही थी तब उसे पूनम के चाचाजी मिल गए....सुहानी ने एक वाइट कलर का टाइट टॉप और ब्लू जीन्स पहन रखी थी। ठरकी चाचाजी का लंड सुहानी की चुचिया उस वाइट टॉप में देख ते ही खड़ा हो गया। वो उसे हवस भरी नजरो से देखने लगा। सुहानी ने जब देखा की चाचाजी उसकी चुचियो को घूर रहे है तो वो शरमा गयी...उन दोनों के बिच hi हेल्लो हुआ और फिर थोड़ी बातचीत क्करके दोनो अपने अपने रस्ते निकल गए।

सुहानी जब सोने के लिए अपने कमरे में आयी तो उसे चाचाजी की याद आयी....एयर वो सारी बाते जो उस दिन हुई थी...वो। बाते याद आते ही सुहानी की चूत में में चुबुलाहट् *होने लगी....और वैसे भी कई दिनों से उसने अपनी चूत में ऊँगली डाल के उसे शांत नहीं किया था। अविनाश के छूने से उनकी हरकतों से उसकी चूत गीली तो हो जाती थी मगर उसने कभी मुठ नहीं मारी थी। वो लेटे लेटे चूत को सहलाने लगी....वो चाचाजी के लंड को याद करकक्के चूत सहला रही थी मगर बार बार उसका ध्यान अविनाश की हरकतों पे चला जाता....और उसकी उत्तेजना कई गुना बढ़ जाती...वो खुद को रोकती...वो खिड़ से कहती की वो मत सोचो मगर उसका मन उसी और चला जाता....उतने में उसे याद आया की अविनाश सिगरेट पिने के लिए पीछे की और आये होंगे...उसने देखा तो उसे निराशा हुई...वो उठ के हॉल में गयी तो उसने देखा अविनाश किचन में था....कुछ ढूंढ रहा था...सुहानी किचन में गयी...

सुहानी:- पापा क्या हुआ?? क्या चाहिए??

अविनाश:- वो मेरा लाइटर ख़राब हो गया है...माचिस ढूंढ रहा था...

सुहानी ने आगे बढ़ के उसे माचिस दी...अविनाश ने माचिस ली और उसे एक नजर देखा और goodnight बोल के निकल गया।

सुहानी दौड़ के अपने कमरे में गयी और खिडक़ी का बेड की तरफ का हिस्सा थोडा खोल दिया और लाइट बंद कर के नाईट बल्ब शुरू कर दिया....नील रंग के नाईट बल्ब की रोशनी में सुहानी बेड पप लेट गयी और सोने का नाटक करने लगी...

सुहानी:-मन में...ये मैं क्या कर रही हु?? क्यू कर रही हु??क्या मेरा मन पापा से चुदवाने का करने लगा है...ओह मैं पागल हो जाउंगी....क्या हो गया है मुझे?? मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए...

तभी उसे खिड़की के पास कुछ आहात सुनाई दी....उसके पैर खिड़की को तरफ थे उसने थोड़ी आँखे खोल के देखा तो वह अँधेरे में कोई खड़ा दिखाई दिया...उसे पता चल गया की अविनाश ही है...वो चाट किबतर्फ मुह करके सीधे सोई हुई थी...ये सोच के की उसके पापा उसे खिड़की से देख रहे है उसकी साँसे तेज हो गयी थी....जिस्कि वजह से उसकी चुचिया उस टाइट टॉप में ऊपर निचे होने लगी...अविनाश उसे गौर से देख रहा था...नील रंग की रोशनी में सुहानी की रेड टॉप में उसकी बड़ी बड़ी चुचियो को ऊपर निचे होता देख उसके लंड में हरकत होने लगी थी...सुहानी की चूत भी नम होने लगी थी जिसका अहसास उसे हो रहा था...सुहानी ने करवट बदली और एक पैर आगे की और करके सो गयी....उसके पजामे में कासी हुई गांड को देख अविनाश का हाथ अपने आप ही लंड पे चला गया....सुहानी ने देखा की अविनाश अभी भी वाही खड़ा उसे देख रहा है....सुहानी की हालत अब और ख़राब होने लगी....वो अपने पापा को अपनी अदाएं दिखा रही थी...मन में एक अपराधिक। भावना थी पर फिर भी उसे मजा आ रहा था...क्यू की अविनाश मन भी तो अपनी बेटी के प्रति वासनामय हो गया था...और यही बात सुहानी को मजा दे रही थी....सुहानी अब थोडा हिल रही थी ...या यु कहो वो सिर्फ अपनी गांड को हिला रही थी किसी नागिन की तरह...अविनाश का लंड अब उफान पे था....

अविनाश:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् क्या गांड है उफ्फ्फ्फ्फ़ ऐसी कसी उभरी हुई और मांसल गांड पहले कभी नहीं देखि....काश उस दिन जैसे नंगी देखने मिल जाय एक बार फिर स्सस्सस्सस

अविनाश के सर पे हवस इस कदर हावी हो चुक्की थी की वो भूल गया था सुहानी उसकी बेटी है....और उसको गांड को देख के वो अपना लंड मसल रहा है....

अब सुहानी कोई हलचल नही कर रही थी....अविनाश को लगा की वो अब सो गयी है...तो उसने खिड़की को धकेला और अपनी रूम की और चला गया....
 
सुहानी ने देखा की अविनाश चला गया है तो वो उठी और खिड़की बंद करके सोचते हुए सो गयी....अविनाश का हाल बुरा था....उसने नीता को देखा वो सो रही थी....उसका। लंड लोहे की रोड जैसा कड़क था...उसने नीता को जगाने की कोशिस की लेकिन नीता ने "उसे सोने दो ना"

कह के मुह फेर के सो गयी। वो उठा और बाथरूम में घुस गया....वहा अपना लंड निकाला और आँखे। बंद करके सुहानी के। बारे। *में सोच के मुठ मारने लगा...2 *min में ही उसका लैंड ने वीर्य उगल दिया...न जाने कितने दिनों से जमा था....आज आखिर में उसे राहत मिल गयी...लेकिन ये तो सिर्फ शुरवात थी क्यू की उसने एक नया दरवाजा खोल दिया था...इतने दिनों से भले ही वो सुहानी को बुरी नजरो से देख रहा था या छु रहा था पर उसके नाम की मुठ नहीं मारी थी....और उसके लंड ने एक। नया स्वाद चख लिया था अब उसे कण्ट्रोल करना अविनाश के लिए बहोत मुश्किल होने वाला था।


अगले दिन जब सुबह सुहानी और अविनाश आमने सामने आये तो *एक दूसरे से नजरे चुरा रहे थे। जो उनके बिच का व्यव्हार सामान्य हो रहा था अब उसमे थोड़ी झिजक सी आ गयी थी। नीता को ये नजर आ गया...उसे लगा की फिरसे अविनाश सुहानी के प्रति अपना पुराण रवैया अपना ना ले...

नीता:- क्या हुआ आपको आज?? सुहानी से ठीक से बात क्यू नहीं कर रहे??

ये सुन के सुहानी और अविनाश दोनों चौके उनको अपनी गलती का। अहसास हुआ...उन्हें ये समाज आ गया की चाहे कुछ। भी। हो उनका व्यवहार सामान्य ही लगना चाहिए।

अविनाश:- * कहा कुछ हुआ?? वो तो मैं पेपर पढ़ रहा था...

नीता:- मुझे लगा की...

अविनाश:- तुम्हे तो कुछ भी लगता है...मुझे मेरी गलती। का अहसास। है...बार बार उसे यद् मत दिलाओ...

वो उठ के सुहानी। के पास गए। और उसे। कंधे। से पकड़। के अपनी और खीचा...मैं अब अपनी बेटी से बहोत प्यार करता हु...

नीता ये। देख के मुस्कुराई और अपना काम। करने लगी।

सुहानी और अविनाश अपने ऑफिस के लिए निकल गए।


उस रात को खाना खाने के बाद सब टीवी देख रहे थे...सोहन पढाई कर रहा था अपने रूम में क्यू की। उसके एग्जाम आने वाले थे। टीवी पे हम साथ साथ है मूवी चल। रही थी। नीता और अविनाश सोफे पे बैठे थे...सुहानी निचे नीता के पैरो के पास फर्श पर बैठी हुई थी। थोड़ी देर में। नीता उठी और टीवी बंद करने लगी लेकिन सुहानी। ने। कहा की आप। लोग जाओ मैं मूवी पूरी देखनी है...वो उसकी पसंदीदा फ़िल्म थी।

नीता चली गयी...अविनाश वही बैठा रहा....उसने सुहानी को देखा उसने आज एक टाइट टॉप और। घुटने तक लंबा स्कर्ट पहन रखा था। सुहानी पैर लंबे करके सोफे को टेक के बैठी थी...अविनाश को टॉप के गले उसकी चुचिया की झलक मिल रही थी...वो तो हमेशा बस इसी ताक में रहता था।

सुहानी ने पलट के एक बार उसकी एयर देखा तो पाया की वो टीवी नही उसे देख रहा है....सुहानी मन ही मन मुस्कुराई...आज पहली बार था की वो अविनाश के साथ अकेली थी।

अविनाश का लंड अंगड़ाई लेने लगा था। उसने देखा की फ़िल्म में एक एमूतिनल सिन चल रहा था नीलम और आलोक नाथ का...वो देख के उसका भी मन भर आया...वो सरक के सुहानी के पास आया और उसके सर पप हाथ रखा...सुहानी ने पलट के देखा...अविनाश की आँखों में आंसू थे...सुहानी झट से उठी और सोफे पे बैठ गयी...

सुहानी:- पापा क्या हुआ आपको??

अविनाश:- कुछ नहीं बेटा...वो सिन देख के इमोशनल हो गया...मैं तुमसे माफ़ी चाहता हु। बेटा की मैंने तुमको कभी वो प्यार नहीं दिया जिसकी तुम हक़दार थी...मैं बस अपने ही गुरुर में था...

सुहानी:- जाने दीजिये पापा..भूल जाइए...

अविनाश:- नही सुहानी...अब मैं उन सालो की भरपाई करूँगा...मैं तुम्हे वो प्यार दूंगा जिसकी तुम हक़दार थी...

सुहानी के आँखों। में भी आंसू आ गए...अविनाश ने हथेली में उसका चेहरा पकड़ा और आंसू पोंछे....और बैठे बैठे ही उसे बाहो में भर लिया....सुहानी ने भी अविनाश को गले लगा लिया...सुहानी का चेहरा उसकी छाती पे था और सुहानी के शरीर का भार अविनाश पे आने के कारण अविनाश थोडा पीछे की और चला गया और सुहानी की चुचिया पेट के निचले हिस्से पे थोडा लंड के ऊपर वाले हिस्से पे दब गयी...जब अविनाश को इस बात का अहसास हुआ तो वो इमोशनल मूवमेंट अगले ही पल बदल गयी...अविनाश जिसने सुहानी को बेटी समझ के बाहो में लिया था अब वो उसके लिए सिर्फ एक मादक जवान जिस्म था। उसका लंड खड़ा होने लगा....उसने सुहानी की पीठ पे हाथ घुमाए और उसे थोडा और कसके गले लगा लिया....सुहानी को भी अहसास हुआ की अब वो अपने पापा की बाहो में नही थी वो एक कामुक मर्द की बाहो में थी....उसका दिमाग कहता की उसे दूर हो जाए पर उसका दिल कुछ और ही चाहता था...वो भी थोडा जादा लिपट गयी...सुहानी को अपने पेट पे अविनाश का लंड खड़ा होते हुए महसूस हो रहा था...जैसे ही उसे अविनाश के लंड का टाइटनेस फील हुआ उसकी चूत गीली होने लगी...सुहानी और अविनाश अलग हुए...ये सब सिर्फ 2 min के लिए हुआ था पर दोनों की हालत ख़राब होने के लिए इतना वक़्त काफी था।


दोनों थोड़ी देर कुछ नहीं बोले...ऐसेही टीवी देखते रहे...

सुहानी:- पापा चलिए अब सो जाते है...मुझे नींद आ रही है...

अविनाश:- हा चलो...

दोनों एक दूसरे को गुड नाइट विश किया और अपने अपने कमरे में चले गए।

सुहानी अपने कमरे में आते ही खिड़की थोड़ी खोल दी और पर्दा भिबथोड़ा सरका दिया...और लाइट बंद करके लेट गयी।

सुहानी:- उफ्फ्फ आज तो *पापा ने हद्द ही कर दी...कैसे मुझे कसके बाहो में ले लिया...और लंड भी तो खड़ा हो गया था...और कैसे उचका रहे थे उसे स्सस्सस्स

तभी उसे खिड़की के पास कुछ हलचल दिखाई दी....सुहानी समझ गयी की अविनाश है...वो चुपचाप लेटी रही....उसने सोते वक़्त ही अपना स्कर्ट थोडा ऊपर ककर लिया था....उसे मजा आने लगा था की अविनाश रोज उसे क्खिड़की से देख रहा है...और आज वो अविनाश को थोडा और जादा अपना जिस्म दिखाना चाहती थी।

अविनाश ने देखा सुहानी सो रही है उसने एक पेअर घुटने से मोड़ के साइड में रखा हुआ था...स्कर्ट जांघो तक ऊपर खिसका हुआ था....नील रंग की रोशननि में सुहानी की सावली जांघे कुछ अलग ही दिखाई दे रही थी....थोड़ी देर सुहानी वैसे ही सोती रही....फिर उसने अपना पैर उठाया और थोडा फैला के सो गयी....पैर उठाने की वजह से स्कर्ट पूरा ऊपर की और चला गया और उसककी सफ़ेद पॅंटी दिखाई देने लगी.....उसने अपनी आखो को थोडा खोल के देखा अविनाश वही खड़ा था....सुहानी की चूत गीली होने लगी थी....उसे ये सब करते हुए बहोत मजा आ रहा था....चूत गीली होने के कारन अब थोड़ी खुजली सी होने लगी थी...सुहानी अपनी चूत खुजाना चाहती थी पर उसे शरम आ रही थी....उसे पपता था अविनाश उसे देख रहा है...पर अब उसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था....उसने अपना हाथ चूत पे रखा औरदोनों घुटनो को मोड़ा और बिच की ऊँगली से चूत को खुजाने लगी....कुछ सेकंड तक खुजाती रही और फिर अपना हाथ हटा लिया....खुजाने की वजह से पॅंटी थोड़ी चूत के अंदर ही रह गयी.... उसने अपने पैर मिड हुए हालत में ही फैला दिए...जैसे की किसी को कह रही हो " लो आ जाओ डालदो अपना लंड मेरी चूत में"

सुहानी की सांसे तेज चल।रही थी...वो चाहती थी की अभी अपनि चूत में ऊँगली डाल के उसे चोद दे....ऐसाही हाल अविनाश का था....

ये सब देख के वो अपना लंड पैंट से बाहर निकाल चूका था.....सुहानी के फैलाये हुए पैर और चूत के अंदर धसी हुई पॅंटी को देख के अपना लंड जोर जोर से आगे पीछे कर रहा था....साइड की दीवारे काफी ऊँची थी और वहा अँधेरा था तो कोई उसे देख नहीं सकता था....

अविनाश:-उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स् अघ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् कैसे पैर फैला के सोई है उम्म्म्म्म्म ऐसा लग रहा है जैसे बस इंतजार कर रही है कोई आये और पॅंटी को हटा के लंड अंदर घुसा दे स्सस्सस्सस

अविनाश जोर जोर से लंड हिला रहा था...कुछ ही पल में वो झड़ गया।

सुहानी अपनी आँखे थोड़ी खोल के देख रही थी अविनाश कब जाएगा....क्यू की आज उसे भी अपनी चूत में *ऊँगली करके उसे शांत करना था.....जैसे ही उसे लगा की अविनाश चला गया है वो उठी और उसने कन्फर्म किया और खिड़की बंद करके अपने सारे कपडे उतार फेके और अपनी चुचिया मसलती हुई चूत को सहलाने लगी....चूत में ऊँगली डाल के अंदर बाहर करने लगी....वो इतनी जादा उत्तेजित थी की ...थोड़ी ही देर में वो भी ढेर हो गयी...हफ्ते हुए उसने आँखे बंद कर ली...और वैसेही कब उसे नींद लगी उसे भी पता नहीं चला..,
 
अगले कुछ दिन ऐसेही गुजरे....अविनाश रोज इस फ़िराक में रहने लगा की उसे उस खिड़की से कुछ दिख जाय...लेकिन उस दिन के बाद लगबघ 4 दिन तक उसे कुछ नहीं मिला क्यू की सुहानी खिड़की खोलती ही नहीं थी....सुहानी की हिम्मत ही नहीं होती थी...भले ही उसने ये खेल शुरू किया था...अविनाश को दीवाना बना दिया था...अविनाश का उसके प्रति रवय्या बदल चूका था...शायद यही वजह थी की सुहानी को ये सब गलत लगने लगा था और अजीब भी...लेकिन अविनाश पागल सा हो गया था...जब भी मौका मिलता वो सुहानी को छु लेता..कभी उसे कमर में हाथ डालता तो कभी गले लगा लेता...नीता ये सब देख के खुश थी क्यू की उसे लगता था की एक बाप अपनी बेटी से प्यार कर रहा है पर सुहानी और अविनाश जानते थे की इनसब के मायने क्या है। सुहानी जब भी सोचती तब उसका मन इस बात से कभी इंकार नहीं करता की ये सब उसे बुरा लग रहा है...बल्कि उसे ये सब अच्छा लग रहा था...एक तो उसे कोई मर्द छु रहा था...उसके जिस्म से खेल रहा था...और दूसरा की उसे अपने पापा का प्यार मिल रहा था....

5 वे दिन रात को खाना खाने के। बाद सब लोग टीवी देख रहे थे। तभी पूनम का कॉल आया...सुहानी अपने क्कमरे में चली गयी....फिर उसने वेबकेम ऑन करके उससे चॅट करने लगी....सुहानी ने उसे समीर की बात बताई...वो सुन के पूनम को बहोत ग़ुस्सा आया लेकिन। जब उसने पापा के बारे। में बताया तो वो बहोत खुश हुई....उसने अविनाश से बात करने की इच्छा जताई तो सुहानी अपना लैपटॉप। लेके हॉल में गयी...लेकिन सबलोग जा चुके थे...वो उनके कमरे में गयी और दरवाजा नॉक किया...लेकिन अंदर से कोई रिप्लाई नहीं आया...वो समझ गयी की मम्मी सो। गयी होंगी...और पापा सिगरेट पिने के बाहर होंगे.... और नीता एक बार सो गयी की वो सीधा सुबह 5 बजे ही उठती थी ये सुहानी को अच्छेसे पता था इसलिए उसने दुबारा आवाज नगी दी। उसने पूनम से कहा की वो उसे 5 min में वापस कॉल करेगी...सुहानी। ने खिड़की खोली और देखा अविनाश सिगरेट पिते हुए टहल रहा था ...सुहानी ने उसे आवाज दी तो वो। खिड़की के पास आने लगे...सुहानी ने बताया की पूनम आपसे बात करना चाहती है....अविनाश उसके कमरे से होते हौए हॉल में आ गया.......सुहानी ने लैपटॉप टेबल पे रखा और अविनाश और खुद सोफे पे बैठ गए और बाते करने लगे....

पूनम:- अंकल आप मेरी शादी में नहीं। आये....इस बात से मैं नाराज थी आपसे...लेकिन आज सुहानी ने जो। बताया उससे बहोत खुश हु....आपको अहसास हुआ की मेरी दोस्त दुनिया की सबसे अछि लड़की। है...

अवविनाश:- बेटा माफ़ कर देना उस बात के लिए....तुम सच कहती हो सुहानी सच में दुनिया की सबसे अच्छी लड़की है और सबसे अच्छी बेटी भी...,

सुहानी अविनाश को देख के मुस्कुरा रही थी....

सुहानी पूनम और अविनाश बहोत देर तक बाते करते रहे....फिर पूनम ऑफलाइन हो गयी।

अविनाश और सुहानी एक दूसरे को सट के बैठे हुए थे....

अविनाश:- बेटा पूनम जब इंडिया आये तो उसे अपने यहाँ रहने के लिए कहेंगे कुछ दिन...मैंने कभी नहीं देखा की तुम्हारी कोई दोस्त अपने यहाँ आयी हो या यहाँ रुक के तुम लोगो ने मस्ती की। हो...

सुहानी:- पापा वो मेरे ऐसे कोई दोस्त ही नहीं शिवाय पूनम के....एयर उसे सब पता है इसलिए मैं ही चली जाती थी उसके घर...अ0ने यहाँ। बुलाने की बहोत इच्छा थी मेरी पर....

अविनाश:- मेरे वजह से कभी बुलाया नहीं...हैं। ना?

सुहानी:- हा पापा...

अविनाश:- न जाने कितनी ऐसीबाते होंगी सुहानी जो मेरी वजह से तुम नहीं कर पायी....im सॉरी बेटा...

सुहानी:- कोई बात नहीं पापा...तब नहीं किया तो अब कर लेंगे...

अविनाश:- जरूर बेटा....लेकिन ऐसी। भी बहोत सी बाते है जो मुझे करनी चाहिये थी लेकिन तुम्हे देखने के बाद करने की इच्छा ही हुई नहीं ...बस पता नहीं अलग ही दुनिया में चला जाता था...

सुहानी:-ऐसी कोनसी बाते है पापा?? और अगर ऐसी बाते है तो आप अभी भी कर सकते हो..

अविनाश:- ऐसा नहीं है बेटा...जो बाते जिस समय करनी चाहिए वो उसी समय करनी चाहिए....अब नहीं हो सकती...जैसे की मैं अब तुम्हे अपने हाथो। में नहीं उठा सकता...तुम्हे अपनी गोद में। नहीं सुला सकता...अपनी गोद बिठा के प्यार से बाते नहीं कर सकता....

सुहानी ने देखा की अविनाश सच में बहोत गिल्टी। फील कर रहा था।

सुहानी:- क्यू नहीं कर सकते पापा...मैं इतनी भारी नहीं हु और मोटी तो बिलकुल भी नहीं हु....सुहानी ने थोडा माहोल को हल्का करने के। लिए मजाक किया लेकिन जब उसने सोचा की वो क्या बोल गयी तब उसे अहसास हुआ की वो गलती कर बैठी....अविनाश ये सुनके उसकी आखो में चमक आ गयी...सुहानी को उठाने की उसे गोद में बिठाने की बात को सोचते ही...उसके मन में दबी हवस एकदम से उछल पड़ी।

अविनाश:- नही नही सुहानी तुम बिलकुल मोटी नहीं ...बल्कि बिलकुल फिट हो...मन में...तुमने सही जगा पे सही वजन बढ़या हुआ है...जहा जितनी मांसलता होनी चाहिए उतनी ही है...

सुहानी:- हम्म्म्म्म ...सुहानी थोड़ी शरमा गयी।

अविनाश:- लेकिन शायद मुझमे अब उतनी ताकत नहीं है...फिर भी कोशिस करता हु।

और ऐसा बोल के वो खड़ा हो गया।

सुहानी को यकीन नहीं हो रहा था की अविनाश सच में उसे उठाना चाहता है...

सुहानी:- नहीं प्लीज़ ...

अविनाश:- अरे बेटा एक बार कोशिस तो करने दो...

सुहानी को सब समझ आ रहा था की अविनाश उसके जिस्म का स्पर्श सुख लेना चाहता है...सुहानी के लिए ये एक बहोत ही आव्क्वर्ड सिचुएशन थी। क्यू की उसे पता था अविनाश इसके जिस्म के साथ ऐसी ऐसी हरकते करेगा जिससे वो भी उत्तेजित हो जायेगी...फिर उसका मन सेक्स के लिए उतावला होने लगता है...उसका जिस्म फिर उसके काबू में नहीं रहता....

अविनाश:- क्या सोच रही हो...प्लीज़ बेटा अपनी एक हसरत तो पूरी कर लू...

सुहानी न चाहते हुए भी खड़ी हो गयी...

सुहानी:-पापा आराम से उठाना...गिरा मत देना...और उससे भी इम्पोर्टेन्ट अपनी कमर का ख्याल रखना....

अविनाश:- तुम चिंता मत करो...अभी बहोत जान है मुझमे...

दोनों ने एकदूसरे को देखा...अविनाश ने देखा की सुहानी ने आज भी वही घुटनो तक लंबा वाला स्कर्ट पहन रखा है...टॉप तो हमेशा वो टाइट पहनती थी आजकल...और उसके टॉप के बटन थे....अविनाश थोडा आगे हुआ...सुहानी की तेज चलती हुए सांसे उसके चहरे से टकराई....उसके जिस्म की खुशबू उसके सांस में बस सी गयी...सुहानी को भी अविनाश के साँसों की महक आने लगी...अविनाश ने सुहानी की कमर पे हाथ रखा और और थोडा झुका...उसका चेहरा सुहानी की गोल मटोल बड़ी सी चुचियो के करीब था....वो उन्हें देखने लगा...सुहानी को उसके साँस अपने क्लेवेज पे महसूस हुई....उसने देखा की अविनाश बड़ी बड़ी आखे फाड़ के उसकी चुचिया को घूर रहा है....सुहानी ने अपने हाथ अविनाश के कंधे पे रखा और इंतजार करने लगी की वो इसे उठाएगा...अविनाश ने सुहानी की चुचियो कोनेटने करीब से पहली बार देख रहा था....उसका लंड पैंट में टाइट होने लगा था....फिर उसने अपने हाथ धीरे से निचे ले गया....उसने जानबुज के अपनी हथेलिया सुहानी की गांड को सहलाते हुए निचे ले गया...क्यू की पता नहीं उसे ऐसा मौका दुबारा मिले या। ना मिले...सुहानी को अविनाश के हाथो स्पर्ष अपनी गांड पे होते ही उसकी आँखे बंद सी हुई...उसकी आह नियल गयी...लेकिन उसने वो बाहर अपनी जुबान पर नहीं आने दी....उसकी चूत गीली होने लगी...उसका जिस्म गरम होने लगा...ये सब सिर्फ कुछ सेकण्ड में हुआ लेकिन बहोत गहरा असर छोड़ गया था। अविनाश ने अपने हाथ उसके सुडोल गांड के निचे ले जाकर एक हाथ से दूसरे हाथ को पकड़ा और सुहानी को उठाने लगा....सुहानी ने अविनाश का गला पकड़ रखा था...एक झटके साथ सुहानी के दोनों पैर हवा में थे...झटके के कारण सुहानी का बैलेंस थोडा बिगड़ा और उसका भार अविनाश में पड़ने लगा...उसकी चुचिया अविनाश के चहरे पे दब सी गयी..सुहानी ने तुरंत अपने आप को थोडा पीछे किया...लेकिन तब तक अविनाश को उसका अहसास हो चूका था...कुछ पल के लिए ही सही लेकिन उसने अपने होठ सुहानी के चुचियो पे रख दिए थे....उसकी बड़ी बड़ी नरम चुचियो को अपने चहरे पे पाके उसके होश उड़ गए थे....उसका लंड अब सीधा 90 के एंगल में खड़ा हो चूका था और सुहानी की जांघ पे रगड़ खा रहा था....सुहानी को जब अविनाश का लंड के कड़क लंड का अहसास हुआ उसकी चूत और भी गीली होने लगी...उसके कान एकदम गरम हो गए....सुहानी को अब ये सब बर्दास्त के बाहर हो रहा था....

सुहानी:- बापरे...पापा प्लीज़ निचे उतारिये...मैं गिर जाउंगी....

अविनाश उसे ऐसेही पकड़े रहना चाहता था पर ये उसके शरीर के बस में नहीं था...उसने धीरे धीरे सुहानी को निचे उतरने लगा....उतारते वक़्त अव8नाश के हाथ फिरसे सुहानी की मांसल गांड पे आ रुके...सुहानी को अविनाश के लंड का अहसास भी हो रहा था....उसने झट से अपने आप को अविनाश से दूर किया...अविनाश थोडा हाफ रहा था...सुहानी ने जब उसे देखा तो...

सुहानी:- आप ठिक तो है ना??...रुकिए मैं पानी लेके आती हु...

सुहानी उसे नजरे नहीं मिला पा रही थी और ना ही अविनाश...इसलिए वो पानी लेने के बहाने से किचन में भाग गयी....अविनाश सोफे पे बैठ गया और अपना लंड अड्जस्ट करने लगा...सुहानी जब किचन से पानी लेकर वापस आ रही थी तब उसने अविनाश को अपना लंड दबाते हुए देखा तो वो शरम से पानी पानी हो गयी...उसने अविनाश को पानी दिया....
 
सुहानी:- आपको बोला था ना...

अविनाश:- अरे ठीक हु मैं...

सुहानी:-अच्छा चलिए अब सो जाइए...11.30 बज गए है....

सुहानी ऐसा बोल के जाने लगी...लेकिन अविनाश ने उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खीचा...जिसके वजह से सुहानि का बैलेंस बिगड़ा और वो सीधा अविनाश के गोद में जा बैठी....अविनाश की तरफ उसकी पीठ थी...

अविनाश:-रुको तो बेटा...अभी तुम्हे बाहो में उठाया....अब जरा गोद में बिठा के थोडा प्यार करने की हसरत भी पूरी कर लू...

सुहानी को यकीं नहीं हो रहा था की अविनाश ने ऐसा किया...सुहानी ही क्या...अविनाश को खुद पे यकीं नहीं हो रहा था ककी उसने सुहानी को अपने गोद में बिठा लिया है....सुहानी जब बैठी उसकी पीठ अविनाश के तरफ थी...अविनाश के हाथ उसकी कमर के इर्द गिर्द थे....अविनाश को जैसे ही उसकी मांसल गांड का स्पर्श अपने लंड पे हुआ उसका लंड हरकत करने लगा...सुहानी को भी अविनाश के खड़े लंड का स्पर्श अपनी गांड पे साफ़ साफ़ महसूस होने लगा....सुहानी अब थोडा साइड से टर्न हुई...जिसकी वजह से उसकी चुचिया अविनाश के चहरे के पास आ गयी...वो भलीभांति जानती थी की अविनाश बस उसके जिस्म को छूने के बहाने ढूंढ रहा है पर वो ऐसा कुछ करेगा इसपे सुहानी को यकीं नहीं होब्रह् था।सुहानी नेने उठने की कोशिश की तो अविनाश ने अपना एक हाथ उसकी जांघ पे रख दिया...जब सुहानी उठने की कोशिस कर रही थी तब उसकी नरम गांड दो तिन बार अविनाश के टाइट लंड से रगड़ गयी...जिससे अविनाश का लंड और भी जोश में आ गया....सुहानी को ये सब अच्छा तो लग रहा था पर बहोत अजीब फील हो रहा था....

सुहानी:- प्लीज़ छोड़िये मुझे...ये क्या कर रहे हो आप??

अविनाश ने उसकी जांघ पे हाथ का दबाव बनाया ...

अविनाश:- कुछ नहीं बेटा...बचपन में तुम्हे मुश्किल से 5 6 बार गोद में लिया होगा...बड़ा बेकदरा इंसान हु मैं....माफ़ कर देना मुझे...

सुहानी उसको ऐसे एमोतीनल होते हुए देख शांत हो गयी....उसने अपना एक हाथ उसके गले में डाला और दूसरे हाथ को अविनाश के चहरे पे रखा....

सुहानी:- प्लीज़ पापा...भूल जाइए अब...मैंने कहा ना...मैंने माफ़ कर दिया आपको...

अविनाश:- तुमने माफ़ कर दिया ...पर मेरे मन से ये बाते नहीं जा रही...

सुहानी ने महसूस किया की उसका लंड छोटा हो रहा है...इसका मतलब वो सच में गिल्टी फील कर रहा था...अविनाश का एक हाथ उसकी पीठ पे था और एक हाथ उसकी जांघ पर...

सुहानी और अविनाश ने एक दूसरे को देखा और सुहानी उस मूमेंट में बह गयी...और उसी हालात में वो अविनाश को गले लगा लिया...सुहानी गोद में बैठी हुई थी जिसके वजह से उसका चेहरा सीधा चुचियो के ऊपरी हिस्से पे दब गया...सुहानी ने क्या किया इसका अहसास उसे तब हुआ जब उसे अपनी गांड पे फिरसे अविनाश का लंड खड़ा होते हुए महसूस हुआ...अविनाश ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया और सुहानी को कस के गले लगा लिया...और थोडा सुहानी को पकड़ के खुद भी अड्जस्ट हो गया...उसने अपने गाल सुहानी की चुचियो पे एक दो बार दबा लिए....और निचे से अपना लंड उचका के सुहानी की गांड पप रगड़ रहा था।

सुहानी की हालत फिर से खराब होने लगी....उसकी पहले से ही गीली चूत और भी गीली होने लगी....अविनाश के लंड का स्पर्श उसे अपनी चूत के आस पास हो रहा था...अगर वो स्कर्ट और पैंटी ना होती...लंड सीधा उसकी चूत पे रगड़ रहा होता....उसकी धड़कन बढ़ने लगी थी....उसकी सांसे तेज हो रही थी....जिसकी वजह से उसकी चुचिया जिसपे अविनाश का चेहरा था...वो तेजी से ऊपर निचे होने लगी... सुहानी के टॉप के बटन खुल गए थे शायद जब अविनाश ने उसे उठाया था तब खीचा तानी में निकल गए होंगे। अविनाश अपना गाल उसकी चुचिया जो लगबघ नंगी हो चुकी थी उसको सहला रहा था। वो अविनाश से दूर होना चाहती थी पर...उसे वो सब अच्छा लगने लगा था...उसे बहोत मजा आ रहा था...अविनाश धीरे धीरे उसकी ऊपर निचे होती चुचियो पे अपने गाल दबा रहा था...और निचे से थोडा अपनी गांड को उठाया और लंड को सुहानी की गांड पे रगड़ा...सुहानी को एक झटका सा लगा और वो अविनाश को अपने से अलग किया...अविनाश को लगा की इसने बेवजह ही ऐसा किया क्यू की उसके पास और मजे करने का मौका था लेकिन वो भी क्या करता...जब लंड खड़ा हो जाता है तो उसे रगड़ना मज़बूरी हो जाती है...सुहानी और अविनाश ने एक दूसरे को देखा...

सुहानी:- अब मुझे उठाने दीजिये...

अविनाश के पास अब कोई बहाना नहीं था उसे रोकने का...सुहानी बैठे बैठे ही दूसरी साइड सरक गयी...उसने देखा की अविनाश का लंड पुरीबतरह से तना हुआ है...अविनाश को पता था सुहानी जैसे *ही उठेगी उसे वो दिखाई देने लगेगा...वो तैयारी में था...इसने झट से एक सोफे पे रखा हुआ तकिया उठाया और लंड को कवर कर लिया।

दोनों बहोत गरम हो चुके थे। और चुप थे। क्या बात करे किसीको समझ नहीं आ रहा था...

सुहानी:- पापा अब चलिए सो जाइए...

सुहानी ने उस ख़ामोशी को तोडा...

अविनाश:-हा चलो...

दोनों ने एक दूसरे को गुड नाईट कहा और अपने कमरे में चले गए...सुहानी जैसेही अपने रूम में गयी उसने लाइट बंद किया और बेड पे लेट गयी...और अपना स्कर्ट ऊपर किया और अपनी चूत को छुवा...

सुहानी:- स्स्स्स उफ्फ्फ्फ़ कितनी गीली हो गयी है....और आज तो पापा ने हद ही कर दी...कैसे कैसे बहाने बना रहे थे...मेरी चुचियो को तो खूब दबाया आज स्सस्सस्स (सुहानी अपनी चुचिया अपने हाथो से दबाते हुए) उम्म्म्म्म्म मस्त अपने गाल रगड़ लिए मेरी चुचियो से और टॉप के बटन भी तो खुल गए थे...सीधा मेरी चुचियो पे स्पर्श कर लिया उम्म्म्म्म्म और उनका लंड उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्स्स्स्स् कैसे उचका उचका के मेरी गांड से रगड़ रहे थे अह्ह्ह्ह्ह मेरी चूत ने इतना पानी कभी नही छोड़ा अह्ह्ह्ह

सुहानी ने पैंटी को सरकाया और उसके दाने को सहलाने लगी । फिर धीरे से अपनी एक ऊँगली अंदर डाल दी और तेजी से अंदर बाहर करने लगी....वो एक हाथ से अपनी चुचिया दबा रही थी और निचे चूत में ऊँगली कर रही थी....

सुहानी:- अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स उम्म्म्म्म बहोत मजा आ रहा है आज उम्म्म्म्म उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् मर गयी उम्म्मम्मम्मम्मम्मम्म

सुहानी अब झड़ने के करीब थी....वो अपनी गांड को ऊपर ऊपर उठा रही थी और तेजी से ऊँगली अंदर बाहर कर रही थी। अगले ही पल सुहानी ने अपनी कमर ऊपर उठाई और धड़ाम से बेड पे पटक दी...वो झड़ने लगी थी...उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकल रहा था ...उसका स्कर्ट पूरा गिला हो गया था...वो जोर जोर से साँसे लेते हुए वैसेही पड़ी रही।


इधर अविनाश भी बाथरूम में पुरे जोश में था...एक एक पल कोयाद करते हुए वो अपना लंड हिला रहा था...

अविनाश:- अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स आज तो मजा आ गया उम्म्म्म्म्म आज जी भर के सुहानी के जिस्म को छुआ अह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस उफ्फ्फ्फ्फ्फ क्या चुचिया है उम्म्म्म क्या गांड है उसकी उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़*

अविनाश सुहानी की चुचिया और गांड कोयाद करते हुए झड़ने लगा....


बड़ा ही अजीब खेल चल रहा था दोनों के बिच...सुहानी ने गुस्से में आके ये सब शुरू किया था पर समीर की बात सच हो रही थी...सुहानी का जिस्म देख के अविनाश पागल होने लगा था...जो इंसान बाप् होते हुए भी अपनी बेटी को कभी प्यार नही दिया आज वाही इंसान उसकी बद्सुरती को भूल के सर और सिर्फ अपनी हवस पूरी करने के लिए उसके जिस्म से खेलने लगा था...और ऐसा करने के लिए उसने उन्ही चीजो का सहारा लिया जो उसे जब सुहानी छोटी थी तब करनी चाहिए थी।
 
उस रात सुहानी जब शांत हुई तब उसने बहोत सोचा और ये तय किया की अब वो अविनाश से थोडा दुरी बना के रहेगी क्यू की ये सब बहोत जादा हो रहा था। लेकिन जब एक बार ऐसा कुछ होता है ...एक बार कोई मर्द किसी औरत को छु लेता है तो दोनों ही एक दूसरे से जादा देर दूर नहीं रह सककते और अविनाश तो जैसे फिर से जवान हो गया था....उस रात जो भी हुआ था उससे उसकी हिम्मत और भी बढ़ गयी थी।


अगले दिन सुबह सुहानी नार्मल बिहेव कर रही थी...ये देख के अविनाश ने ये सोचा की या तो सुहानी को उसके इरादे पता नहीं चल रहे या फिर वो अनजान बन के मजे ले रही है....


दो तिन दिन ऐसेही बीते...सुहानी अविनाश से दुरी बनाये हुए थी...अविनाश को उसे छूने का मौका नही मिल रहा था...फिर भी वो कोई ना कोई बहाने से सुहानी के करीब चले ही जाता....सुहानी तिन दिन तक को कुछ नहीं लगा लेकिन चौथे दिन उसे कुछ अजीब सी बेचैनी होने लगी...वो कुछ मिस करने लगी थी।


अगले दिन रात को खाना खाने के बाद सुहानी सीधा अपने रूम में चली गयी....उसे थोडा काम था....सुहानी अपने काम में बिजी थी। इधर अविनाश को मौका नहीं मिलने के कारण वो थोडा बेचैन हो रहा था....सब लोग अपने कमरे में चले गए...अविनाश सिगरेट पिने के लिए पीछे की साइड गया...उसने देखा की सुहानी के रूम। का लाइट जल रहा है मतलब सुहानी अभी सोई नहीं थी।

वो वापस अपने कमरे में आया और नीता को देखा...वो सो रही थी...उसने नीता को हिलाया और आवाज दी...आज अविनाश को सेक्स करना था...लेकिन हमेशा की तरह नीता घोड़े बेच के सो रही थी....अविनाश का मन किया की उसे दो थप्पड़ लगाए और जगाये....लेकिन उसने खुद को संभाला....वो नाराजी में बेड पे लेट गया...जैसे ही वो लेटा उसे अलग सी खुशबु आयी....उसने देखा की नीता ने बालो में तेल लगा रखा है...तभी उसके दिमाग की बत्ती जली...उसने वाही साइड टेबल पे रखी तेल की बोतल उठाई और सीधा सुहानी के कमरे के पास गया और नॉक किया....सुहानी अभी भी काम कर रही थी....सुहानी दरवाजे पे नॉक सुनते ही चौकी...उसे लगा क्या हो गया...दरवाजे पे कोण है...वो उठी और दरवाजा खोला...सामने अविनाश को देख के वो थोडा डर गयी...

सुहानी:- क्या हुआ पापा??

अविनाश:- बेटा वो मेरा ना सर दर्द कर रहा है...दो तिन सिगरेट पि चूका हु पर ...

सुहानी:- पापा आप इतनी सिगरेट क्यू पिते हो??

अविनाश:- अरे बेटा अब क्या करू आदत कहा छूटती है...

सुहानी:- मेरे पास तो कोई दवाई नहीं...

अविनाश:- दवाई नहीं चाहिए...बस थोडा तेल मालिश कर दे सर में...ये तेरी मम्मी लेके आई है...उसका भी सर दर्द कर रहा था उसने मालिश की और सो गयी...अब उसे जगाने का मन नहीं हुआ...इधर पानी पिने आया तो देखा तेरे रूम का लाइट जल रहा है तो सोचा अगर तेरा काम हो गया होगा तो तुझे ही बोल दू...

ये सुन के सुहानी को मन में हँसी आ गयी...उसे थोडा अजीब तो लगा पर मन में कही वो खुश भी हुई की अविनाश उसके लिए कैसे तड़प रहा है....और क्या क्या बहाने बना रहा है...

सुहानी:- अ..वो..पापा..मैं..

अविनाश:- ओह्ह्ह कोई बात नहीं ...मैं खुद ही लगा लेता हु...थोडा तो आराम मिलेगा...तुम अपना काम करो...

अविनाश ने ऐसा बोला तो सुहानी पिघल गयी...उसे लगा सर को मालिश करने में क्या बुराई है...10 min में मालिश कर दूंगी...

सुहानी:- नहीं नहीं पापा...मैं वो ये सोच रही थी की...जाने दीजिये आप लाईये तेल....

अविनाश :- तुम्हे कोई ऐतराज तो नहीं...मतलब की तुम्हारा काम??

सुहानी:- काम हो ही गया है...बाकी सुबह कर लुंगी मैं यही सोच रही थी...वो मुझे नींद भी आ रही थी...

सुहानी ने तेल लिया और बाहर की और जाने लगी...लेकिन अविनाश बाहर की बजाय अंदर आ गया...सुहानी उसे बस देखती ही रही...उसे लगा की हॉल में जाके मालिश करना ठीक रहेगा लेकिन अविनाश तो सीधा उसके कमरे में आ गया था...

अविनाश:- यहाँ निचे बैठ जाता हु तुम बेड पे बैठ जाओ...

सुहानी पीछे मुड़ी और आदत की वजह से दरवाजा को धकेल दिया जिससे दरवाजा बंद हो गया...

सुहानी :- ठीक है पापा...

अविनाश ने देखा सुहानी ने आज एक टाइट टॉप पहना था...अंदर ब्रा नहीं पहनी थी...और निचे एक टाइट पजामा पहना था...अगर ब्रा नही पहनी थी तो पॅंटी भी नहीं पहनी होगी ये सोच के अविनाश के मन में लड्डू फूटने लगे...और सुहानी को इसी बात की टेंशन थी की आज उसने ब्रा पॅंटी नही पहनी थी....उसने देखा की उसके निप्पल कड़क होने लगे थे...जिस्कि वजह से उसके टॉप के पतले कपड़ो में से साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था की उसके निप्पल खड़े है...अविनाश निचे बैठ गया...सुहानी उसके सर के पीछे बेड पे बैठ गयी...सामने देखा तो आइना था...वो दोनों उसमे साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे...अविनाश ने अपने पैर लंबे किये हुए थे और अपने दोनों हाथ अपने लंड को छुपाने के हिसाब से रखे हुए थे....सुहानी के दोनों पैरो को *के बिच बेड कको पीठ टिका बैठा हुआ था....सुहानी की जांघे उसके कंधो से टकरा रही थी। सुहानी ने कुछ तेल उसके सर पे डाला और कुछ अपने हाथ पे लिया और धीरे धीरे मालिश करने लगी...सुहानी के मुलायम हाथो का स्पर्श जैसे अविनाश के सर को बालो को हुआ उसका रोम रोम रोमांचित हो उठा...उसका लंड अंगड़ाई लेने लगा...जिसको उसने हाथो से थोडा दबा दिया...

अविनाश:- आहा हा ..ह्म्म्म कितना अच्छा लग रहा है...

सुहानी:- क्या पापा?

अविनाश:- तुम्हारे मुलायम हाथ....

सुहानी बस थोडा मुस्कुराई....सुहानी ने आईने में देखा अविनाश अपने लंड को दबा रहा है...उसकी हँसी निकल गयी।

सुहानी:- ह्म्म्म लगता है इनका तो खड़ा भी हो गया...

सुहानी धीरे धीरे मलिश करने लगी...अविनाश अपना सर थोडा थोडा पीछे लेके जा रहा था...

अविनाश :- सुहानी थोडा जोर लगा के करो...सर में तेल। नहीं लगाना है सिर्फ थोडा दबाना भी है...

सुहानी:- ओके पापा...

सुहानी अब थोडा जोर लगाने लगी और थोड़ी चम्पी करने लगी जिसकी वजह से बिना ब्रा की उसकी चुचिया उछल ने लगी...अविनाश ये नजारा आईने में देख रहा था....उसका लंड ये देख के और भी जोर मारने लगा....सुहानी का ध्यान जब आईने पे गया और देखा की अविनाश उसकी उछलती हुई चुचियो को आँखे फाड़ के देख रहा है तो वो शरमा गयी...एक अजीब सी लहर उसके दिल में उठी जो सीधा उसकी चूत पे जाके खत्म हुई...उसकी चूत में प्रीकम का पहला बून्द आ गया था...

जैसे ही उसने वो महसूस किया वो अपने आप ही थोडा आगे खिसक गयी...अविनाश का सर उसकी चूत से बस कुछ ही दुरी पे था...अविनाश को ये समझ आ गया की सुहानी थोडा आगे खिसक चुकी है...उसने आईने में देख के अंदाजा लगा लिया की उसका सर सुहानी की चूत से कितनी दुरी पे है। अविनाश ने सुहानी के हाथ पकड़ लिये और अपने फॉरहेड पे रख दिए।

अविनाश:- यहाँ पे दबा थोडा....बहोत दर्द कर रहा है।

अविनाश ने हाथ हटाने की वजह से उसका लंड का उभार सुहानी को ऊपर से साफ़ दिखाई देने लगा। सुहानी उसे आँखे फाड़ के देखने लगी। ये चीज अविनाश। ने आईने में देख ली....उसने दुबारा अपना हाथ लंड कको छुपाने के लिए नहीं रखा...सुहानी उसका खड़ा लंड देख के और भी उत्तेजित होने लगी थी। सुहानी थोडा जोर लगा के उसका सर दबा रही थी जिससे अविनाश जानबुज अपना सर पीछे ले जा रहा था....

अविनाश:- सुहानी थोडा आगे सरको ना...ये बेड मेरे गर्दन को चुभ रहा है....

सुहानी न चाहते हुए भी थोडा आगे सरक गयी....सुहानी अब बिलकुल बेड के कार्नर पे बैठी थी और पेअर फैले होने के कारण उसकी चूत आगे की और आ गयी थी।अविनाश ने झट से अपना सर पीछे किया और अपना सर का पिछला हिस्सा सुहानी की चूत पे रख दिया....

सुहानी की तो जैसे जान ही मुह में आ गयी...वो गरम होने लगी थी...अविनाश उसके चहरे के हाव भाव देख रहा था...उसे सुहानी की फूली हुई चूत का मुलायम अहसास साफ़ साफ़ हो रहा था। उसने अपना सर अड्जस्ट करने के बहाने से एक दो बार सुहानी की चूत पे दबा दिया। सुहानी को मजा आने लगा था...वो भले ही कितनी भी कोशिश करती अविनाश से दूर रहने की पर जब भी वो करीब आ जाता सुहानी को काबू रखना दिन बी दिन मुश्किल होते जा रहा था। अविनाश ने बहोत बढ़िया चाल चली थी...क्यू की अब सुहानी जब भी उसका सर दबाने के लिए जोर डालती अविनाश अपना सर पीछे ले जा के जोर से सुहानी की चूत पे दबा देता...सुहानी की हालत बहोत ख़राब हो चली थी...अब सुहानी भी अपनी गांड को थोडा सरका के अपनी चूत को अविनाश के सर के दबाने लगी थी...सुहानी फूली हुई मुलायम चूत के स्पर्श को पाकर अविनाश ने अपनी आँखे बंद कर ली थी...उसने फिरसे अपने हाथ अपने लंड पर रख लिए और थोडा थोडा उसे दबाने लगा।
 
सुहानी ने जब ये देखा की अविनाश उसके सामने ही लंड को मसल रहा है तो उसकी चूत और पानी छोड़ने लगी....उसे लगने लगा की उसका पजामा गिला होने लगा है....उसे क्या करे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

उसे लगाने लगा की ऐसेही थोड़ी देर चलते रहा तो वो ऐसेही झड़ जायेगी।

सुहानी:- पापा..बस हो गया क्या?? मेरे हाथ दर्द करने लगे है...

अविनाश को तो लग रहा था किनये सब कभी खत्म ही ना हो पर अब उसकी मज़बूरी थी...


अविनाश:- हा ठीक है...अब आराम है मुझे।

अविनाश सीधा बैठा और पीछे मुड़ा..मुड़ते ही उसकी नजर पहले सुहानी की चूत कि तर्फ गयी ..उसे वहा कुछ गिला देखा...पहले तो उसे लगा की तेल का होगा पर अगले ही पल उसे समझ आ गया की वो तेल नहीं है...सुहानी ने झट से अपने पैर पास लिए क्यू की वो देख रही थी की अविनाश उसकी चूत को बड़े गौर से देख रहा है...

अविनाश:- ओह्ह्ह्ह्ह सुहानी की चूत गीली हो गयी थी..,मतलब उसे ये सब अच्छा लग रहा था...उसे मजा आ रहा था....ह्म्म्म्म चलो कुछ और करते है...

अविनाश:- ह्म्म्म सुहानी बहोत अच्छा मस्साज किया तुमने...चलो मैं भी तुम्हारे सर में तेल लगा देता हु...बड़ा अच्छा तेल है...फ्रेश हो जाओगी...

सुहानी समझ गयी की अविनाश अब और कुछ हरकत करने वाला है...

सुहानी:- नही पापा ठीक है...

अविनाश:- अरे आ जाओ...समझ लो की ये भी मेरी एक हसरत है जो मैं पहले नही ककर पाया...अब मौका मिला है तो मुझे कर लेने दो।

सुहानी सोच में पड़ गयी..."ओह्ह पापा हमेशा ये बात बोल के मुझे दुविधा में डाल देते है..वो मालिश करते वक़्त फिरसे कुछ न कुछ करेंगे और मेरी हालत ख़राब करेंगे...लेकिन सच कहु तो मजा तो मुझे भी आता है...फिर क्या सोचना...

अविनाश:- क्या सोचने लगी?? चल बैठ निचे मैं ऊपर बैठता हु...

सुहानी शरमाते हुए निचे बैठ गयी...अविनाश ऊपर बेड पे बैठ गया...एयर उसके सर पे तेल डाल के धीरे धीरे मालिश करने लगा...ऊपर से सुहानी के बड़े गले के टॉप से सुहानी की चुचिया आधी *दिखाई दे रही थी। गोल गोल बड़ी बड़ी सावली सी चुचिया को देख के अविनाश का लंड फिरसे खड़ा होने लगा था...सुहानी ने आईने में देखा की अविनाश उसकी चुचियो को जादा से जादा देखने की कोशिश कर रहा है...सुहानी को हँसी आयी...सुहानी भी अब इस खेल का मजा लेना चाहती थी....

सुहानी:-ह्म्म्म देखो तो ऐसे तड़प रहे है पापा...चलो इनको और तड़पाती हु....

सुहानी ने धीरे से अपना टॉप का निचला हिस्सा पकड़ा और निचे खीचने लगी...ब्रा नही होने के कारण टॉप उसककी चिकनी चुचियो पे फिसलते हुए निचे जाने लगा....सुहानी ये काम इतने धीरे कर रही थी की अविनाश को मालुम भी नही पड़ा...लेकिन अविनाश को अब सुहानी की चुचियो का काफी हिस्सा साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। उसका लंड अब बेकाबू हो रहा था....वो थोडा आगे हुआ और सुहानी के सर को पीछे खीचा...और अपने लंड पे रख लिया....जैसे ही सुहानी को अविनाश के कड़क लंड का स्पर्श अपने सर पे हुआ उसकी आँखे बंद हो गयी....अविनाश का लंड भी उड़ने लगा...

अविनाश:- ऐसेही रहो...मैं तुम्हारा सर दबा देता हु...

सुहानी:- ओके पापा...

सुहानी का सर पीछे आ जाने के कारण उसकी चुचिया ऊपर की और आ। गयी थी...और सुहानी ने टॉप को थोडा खीच के पकड़ा हुआ था इसलिए सिर्फ निप्प्ल्स ही टॉप में छुपे हुए थे....और सुहानी ने अपनी छाती को जानबुज के थोडा ऊपर के और उठा लिया....जिससे उसकी चुचिया को नजारा अविनाश को मिल रहा था वो अधभुत था....अविनाश उसे ऐसे देख के पागल हो गया....वो अपना लंड उचका उचका के अपनी ख़ुशी जाहिर करने लगा....उसके लंड का उचकना सुहानी को फील हो रहा था....उसकी साँसे तेज होने लगी....धड़कने बढ़ने लगी....उसकी तेज साँसों के साथ ऊपर निचे जाती उसकी अधनंगी चुचियो को देख अविनाश को होश ही नही रहा.....वो सुहानी का सर अपने लंड पे दबाने लगा....सुहानी भी मजे से अविनाश के कड़क लंड कक स्पर्श एन्जॉय करने लगी....कुछ मिनटों तक यही सिलसिला चलता रहा....

अविनाश:- अच्छा लग रहा है ना सुहानी?

सुहानी:- हा पापा...

अविनाश:- मजा आ रहा है??

सुहानी:- मजा?? मतलब??

अविनाश जोश में होश खो बैठा था...

अविनाश:- वो..में..मेरा...मेरा मतलब....

अविनाश की बात अधूरी ही रह गयी...क्यू की सुहानी के हाथ पे एक कोई उड़ने वाला कीड़ा आके बैठा...सुहानी किसी और ही दुनिया में थी...वो आँखे बंद करके थी...वो एकदम से डर गयी और हाथ से उसे झटक दिया और थोडा चिल्लाते हुए कड़ी हुई। वो बहोत डर गयी थी। वो इधर उधर देखने लगी।

अविनाश खड़ा हुआ।

अविनाश:- क्या हुआ??क्यू डर गयी इतना?? कुछ नही बस वो एक कीड़ा था...वो क्या कहते है उसे....रातकीड़ा...वो जो किर्रर्रर्रर आवाज करता है...

सुहानी अब भी दरी हुई थी...अविनाश आगे हुआ और उसे बाहो में लिया और ...

अविनाश:- अरे कुछ नही होता उससे...

सुहानी:- वो बड़ा ही अजीब फील हुआ हाथ पे...

सुहानी इधर डरी हुई थी और अविनाश अपने काम में लगा हुआ था....उसने सुहानी को अपनी बाहो में कस लिया...सुहानी के बड़े बड़े कड़क निप्प्ल्स उसको अपनी छाती पे महसूस हो रहे थे। नरम नरम चुचियो के स्पर्श से उसका लंड जो थोडा मुरझा गया था....वो फिर से टाइट होने लगा.....इसबार अविनाश का लंड सही निशाने पे था...क्यू की एक तो वो थोडा मुरझा गया था जिससे सुहानी को जब गले लगाया तब उनका फासला कम था लेकिन अब जब वो टाइट होने लगा था तब सुहानी की चूत के बहोत करीब था....वो सुहानी की पीठ पे हाथ घुमा रहा था....धीरे धीरे वो अपने हाथ घुमाने का दायरा बड़ा रहा था...वो निचे कमर तक...फिर थोडा। और। निचे सुहानी गांड के ऊपरी हिस्से पे हाथ घुमाने लगा....सुहानी भी अब संभल गयी थी...वो डर के ट्रैक से निकल कर वापस सही ट्रैक पे लौट आई थी...अविनाश का हाथ अपने गांड को सहलाते हुए पाके वो उत्तेजित होने लगी....वो चाहती तो अविनाश को दूर कर सकती थी पर उसे मजा आने लगा था...

अविनाश:- सुहानी ठीक है..कुछ नहीं होता...इतना क्या डरना?

वो सुहानी को अपने आप से और चिपकाते हुए बोला।

सुहानी:- मुझे बहोत डर लगता है ऐसे कीड़ो से...

सुहानी अब खुद उससे चिपकती हुई बोली...अविनाश ने मौके का फायदा उठाया और अपना लंड सुहानी की चूत से सटा दिया....,सुहानी की आह निकलते निकलते बची....सुहानी भी अब पीछे नही हटना चाहती थी...उसने भी अपनी चूत अविनाश के लंड की और थोडा बढ़ा दी...दोनों भी वासना में अंधे हो चुके थे....लगबघ दो मिनट हो चुके थे पर दोनों ही एकदूसरे को छोड़ना नही चाहते थे...लेकिन तभी वो कीड़ा फिरसे उड़ते हुए आया और अविनाश के हाथ पे बैठ गया...अविनाश ने झटके से उसे उड़ाया...लेकिन इस दरमियान उसने सुहानी को अपनी बाहो से आजाद कर दिया था....सुहानी ये देख के हस पड़ी...

सुहानी:- हा हा हा देखा मैंने नही कहा था...देखो आप भी डर गए ना??

अविनाश:- नही तो...अरे वो अजीब सा फील हुआ...रुको मैं उसे भगाता हु...नही तो तुम्हे और परेशां करता रहेगा...

अविनाश ने देखा वो कीड़ा एक कोने में बैठा हुआ था....अविनाश ने एक पुराणी नोटबुक ली और उस कीड़े को मार गिराया...उसे बहोत ग़ुस्सा आ रहा था उस कीड़े पे क्यू को दो बार उसने अच्छे खासे सिन का कबाड़ा कर दिया था...

सुहानी:- चलो पापा बहोत लेट हो गया है...मुझे सुबह जल्दी उठ के काम खत्म करना है...

अविनाश ने अधूरे मन से गुड नाइट बोला और अपने कमरे में चला गया...

सुहानी बेड पे लेट ककए सोचने लगी...

सुहानी:- ये पापा भी ना अपनी हरकतों से मुझे बहका ही देते है...आज तो कुछ हो जाता...क्या सच में कुछ हो जाता??? उफ्फ्फ्फ़ मुझे तो सोच के डर लग रहा है...और मजा भी आ रहा है...मजा तो तब आ रहा था जब पापा का लंड मेरी चूत पप रगड़ खा रहा था स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह (सुहानी अपनी पैंट निचे की) देखो कैसे गीली हो चुकी है उम्म्म्म्म*

सुहानी अपनी चूत का दाना रगड़ने लगी...

सुहानी:- अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स पापा कौसे ओन सर मेरी चूत पे दबा रहे थे स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह्ह्ह जब उनका लंड मेरी चूत पे था तब तो ऐसा लगा की बस अब हो गया अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स ये मैं क्या सोच रही हु अह्ह्ह्ह्ह चुप बैठ अह्ह्ह्ह्ह चुदने के लिए मरी जा रही है स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह हा तो क्या पापा से चुदवा लू अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म चुदवा ले अह्ह्ह पूनम के चाचा से तो अच्छे ही है अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह वो तो है स्सस्सस्स लेकिन ये गलत होगा...क्या गलत?? समीर ने कहा था की ये सब होता है बस दिखाई नही देता...हा उफ्फ्फ्फ्फ्फ और ऐसे भी पापा भी तो इसी फ़िराक में है अह्ह्ह्ह वो भी तो मेरी लेंना चाहते है अह्ह्ह्ह्ह मुझे चोदना चाहते है उम्म्म्म्म्म

सुहानी के मन में ये ख्याल आते ही वो अपनी चूत में ऊँगली डाल दी...पहले एक और फिर दो...आज पहली बार उसने दो उंगलिया अपनी चूत में डाली थी...उसे दर्द तो हुआ लेकिन उससे जादा मजा आया....वो तेजी से अपनी चूत चोद रही थी....कुछ ही पल में झड़ गयी....

अविनाश भी आज बहोत जादा जोश में था...आज 5 दिन बाद उसे मौका मिला था और आज तो लगबघ उसने सुहानी को चोद ही दिये था।

अविनाश अपना लंड हिला रहा था।

अविनाश:- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् क्या चुचिया है सुहानी की उफ्फ्फ्फ्फ्फ इतने करीब से देखा अह्ह्ह्ह मजा आ गया आज तो उम्म्म्म्म्म उसकी चूत भिंकित्नी मुलायम है स्स्स्स्स् और गीली भी थी उफ्फ्फ्फ्फ्फ मतलब वो भी मजे ले रही थी अह्ह्ह्ह्ह्ह वो भी चाहती है स्सस्सस्स आज इतना गरम हो गयी थी की आज चुद जाती वो मुझसे उम्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कितना मजा आएगा उसको चोदने में अह्ह्ह्ह्ह उसकी बड़ी बड़ी चुचिया दबाने में अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्सस्सस्सस्सस्स

अविनाश ये सब सोचते हुए झड़ने लगा।*


दोनों जब शांत हुए तब आराम से सो गए।


बड़े ही नाटकीय ढंग से ये सब चल रहा था। नीता और सोहन इनसब से बेखबर थे। लेकिन कितने दिनों तक अविनाश और सुहानी उनसे छुपते हुए ये सब करते रहेंगे ये तो वक़्त ही बताएगा।
 
अगले दिन जब रात को खाना खाने के बाद सब लोग टीवी देख रहे थे तब सोहन बोल पड़ा....

सोहन:- पापा मेरे एग्जाम खत्म हो गए है ...चलो ना कही दो तिन दिन घुमाने चलते है...अब तो कार भी है दीदी की....

सुहानी:- नहीं अब छुट्टी मिलना मुश्किल है....पूनम के शादी के टाइम बहोत छुट्टी ले ली थी...

सोहन:- क्या दीदी...अब वीक एन्ड ही तो है...और सैटरडे सन्डे छुट्टी भी है...

अविनाश:- हा सच में चलो...सेकंड सैटरडे है मुझे तो दो दिन छुट्टी है...

सुहानी:- नहीं पापा नहीं होगा...

नीता:- चलो ना बेटा....हम कभी फॅमिली साथ घूमने नहीं गए...

नीता भी जब जोर देने लगी तो सुहानी भी सोच में पड़ गयी।

सुहानी:- देखती हु कल ऑफिस में जाउंगी तो और बताउंगी...

सोहन:- अरे दीदी देखो कल फ्राइडे है हम शाम को निकल जाएंगे और रत के दो बजे तक महाबलेश्वर पहोंच जायेंगे...फिर सैटरडे सन्डे और मंडे दोपहर तक घूमेंगे फिर लंच के बाद निकल जायेंगे..,रात तक पहोंच जाएंगे...आराम हो जायेगा सुबह आप और पापा ऑफिस चले जाना...

सुहानी:- प्लान तो अच्छा है...देखती हु छुट्टी मिलती है या। नहीं....

अविनाश:- मिल जायेगी...

नीता:- हा मिल जॉएगी....और कल जाते ही पूछ लेना और फ़ोन कर देना हम सब तैयारी कर लेंगे...

सोहन:- हा होटल भी बुक करना पड़ेगा...

अविनाश:- लेकिन ड्राइविंग इतनी कोण करेगा और रत का टाइम में??

सोहन:- मैं कर लूंगा....*

अविनाश:- नहीं कोई जरुरत नहीं....मेरे पहचान का ड्राईवर है उसे बोल दूंगा...

सुहानी:- हा पापा ये सही रहेगा....वैसे हमें ड्राइविंग आती है अच्छेसे पर फिर भी हम कोई चांस नहींलेंगे*

नीता:- हा सही है...आप बोल दीजिये ड्राईवर को।

सुहानी:- हा पपहले मुझे छुट्टी तो मिल जाने दो....नहीं तो आप सब लोग चले जाना..ये भी सही रहेगा।

अविनाश:- नही अगर तुम्हे छुट्टी नहीं मिली तो कोई नही जायेगा।

सुहानी ये सुनके बहोत खुश हुई क्यू की उसे इतनी अहमियत इस घर में कभी नहीं मिली थी।

नीता:- हा जायेंगे तो सब साथ नही तो कोई नहीं...

सोहन:- अगर दीदी को छुट्टी नही मिली हमें जाने में क्या खराबी है...??

अविनाश:- देखो अगर तुम्हारा नहीं जामेगा तो हम चले जायेंगे लेकिन सुहानी के बिना कोई नहीं जायेगा...

सोहन:- ओह हो...आजकल दीदी की इम्पोर्टेंस इस घर में काफी बढ़ गयी है..

सुहानी:- बढ़ेगी क्यू नहीं...मैं हु ही ऐसी...

सोहन:- रहने दे...एक कार क्या ले लिये तो खिड़ को तीसमारखां मत समझ...मेरी जॉब लगने दे फिर मैं इस से भी महंगी कार लूंगा..

सुहानी:- जॉब के लोए पास होना पड़ता है..और उसके लिए पढाई करनी पड़ती है...और मैंने देखा है तूने कितनी पढाई की है...

नीता:- तुम लोग चुप हो जाओ...चलो अब रात हो गयी है बहोत सो जाते है।

सब लोग सोने चले जाते है। अविनाश हमेशा की तरह सिगरेट पिने के लिए बाहर चला जाता है। सुहानी अपना लैपटॉप लेके काम करने बैठ जाती है क्यू की अगर छुट्टी मिल गयी तो फिर काम बाकी रह जायेगा।

अविनाश खिड़की में से झांकने की कोशिस करता है पर खिड़की बंद होती है
काफी देर टहलने के बाद अविनाश अपने कमरे में वापस आता है पर उसे नींद नहीं आती। वो कल रात की बातो के बारे में सोच सोच के अपना लंड मसल रहा था। आखिर उससे रहा नहीं जाता और वो सुहानी के कमरे की और निकल पड़ता है...वो सुहानी के कमरे के दरवाजे पे नॉक करता है। सुहानी का काम ख़त्म हो चूका था वो शादी के फ़ोटो जो पूनम ने उसे। भेजे थे वो देख रही थी...जैसे ही दरवाजे में नॉक ककी आवाज सुनती है उसका दिल धक से धड़कने लगा था। क्यू की उसे पता था की अविनाश ही होगा...सशयद वो मन में कही जानती भी थी की अविनाश आएगा...या वो भी वेट कर रही थी।
 
सुहानी दरवाजा खोलती है।

सुहानी:- क्या हुआ पापा?? आज भी सर दर्द कर रहा है क्या??

अविनाश अंदर आ जाता है और दरवाजा बंद कर देता है। सुहानी ये देख के शरमा जाती है।

अविनाश:- अरे नहीं बेटा...मैं तो ये कहने आया था की तुम कल छुट्टी जरूर ले लेना...हम सब साथ पहली बार घूमने जायेगे ...मजा आएगा...और मुझे तुमसे कुछ जरुरी बात करनी थी...मैंने नीता से कहा था पर वो। कहने लगी की आप ही करलो...

सुहानी:- ऐसी क्या बात है??

अविनाश:- यहाँ आओ बैठ के बात करते है...

दोनों बेड पे बैठ गए...

अविनाश:- बेटा बात ये है की( सुहानी के हाथो पे हाथ रखते हुए) ...वो मैं ये पूछना चाह रहा था की...वो..बेटा बुरा मत मानना...

सुहानी:- ओह हो पापा बोलो भी...मैं बुरा नही मानूँगी...सुहानी दिल जोर जोर से धड़कने लगता है...पता नही क्या बात है??ये सोच के।

अविनाश:- बेटा मैं ये पूछ रहा था की तुम्हारे लाइफ में कोई है क्या?? मतलब की तुम किसी कोंपसंद करती हो??

सुहानी:- नहीं पापा( सुहानी ने झट से जवाब दिया) कोई नहीं है...

अविनाश:- तो वो कपडे क्यू लेके आई थी तुम??

सुहानी समझ जाती है की अविनाश कोनसे कपड़ो की बात कर रहा था वो थोड़ी शरमा जाती है।

सुहानी:- कोनसे कपडे??

अविनाश को अपनी गलती का अहसास होता है...उसे समझ नहीं आता की अब क्या जवाब दे।

अविनाश:- वो उस दिन तुम नीता को दिखा रही थी...अब लड़की ऐसे कपडे खरीदती है तो कुछ स्पेशल दिखने के लिए और किसी स्पेशल ओ दिखाने के लिए।

सुहानी:- वो तो मैं ऐसेही लेके आ गयी थी ऑफिस में सब अच्छे कपडे पहनते है तो मैं भी लेके आ गयी।

अविनाश:- मुझे लगा की...

सुहानी:- ह्म्म्म नहीं पापा और मुझ जैसी बदसूरत से कोण प्यार करेगा...

अविनाश:- ऐसा मत बोलो बेटी ...जरूर मिलेगा जो तुम्हारे चहरे से नही तुमसे प्यार करेगा...

सुहानी:- ह्म्म्म देखते है...वरना जिंदगीभर यही पड़ी रहूंगी..

अविनाश:- तो क्या हुआ ...रह जाना यहाँ...मैं हु ना...

अविनाश के ऐसे बोलते ही सुहानी चौक के देखा...

अविनाश को समझ आ गया की वो क्या बोल गया...

अविनाश:- मतलब हम सब है ना...तुम चिंता मत करो...

सुहानी:- मुझे कोई चिंता नहीं पापा...मुझे पता है आप सब हो...

अविनाश:- हा बेटी ...तुम्हारी हर जरुरत पूरा खयाल रखूँगा मैं....

सुहानी समझ रही थी अविनाश किस जरुरत की बात कर रहा है।

सुहानी:- वो तो मैं खुद रख सकती हु...आप बस मुझसे ऐसेही प्यार करते रहो...सुहानी ने बात को थोडा घुमा दिया।

तभी अविनाश का ध्यान लैपटॉप पे गया उसने देखा शादी के फ़ोटो है।

अविनाश:- अरे बेटा ये पूनम के शादी के फ़ोटो है क्या मुझे भी दिखाओ जरा...सुहानी ने लैपटॉप उठा के अपने जांघो पे रख लिया...और अविनाश को दिखने लगी। अविनाश उसकी और खिसक गया...अपना चेहरा उसके कंधे के पास ले गया बिलकुल उसके गालो के पास...उसककी साँसे सुहानी को अपने गर्दन पे महसूस हो रही थी...सुहानी उसे एक एक फ़ोटो दिखने लगी...अविनाश पहले तो फ़ोटो देख रहा था पर अब वो ऊपर से उसके टॉप में से दिखाई दे रही चुचिया जादा देख रहा था...उसने धीरे से अपना हाथ सुहानी की कमर पे रखा सुहानी पहले ही उसकी सांसो की गरम हवा जो उसके गर्दन को छु रही थी उससे उत्तेजित हो रही थी और। अब उसने कमर पे हाथ रख दिया था।

अविनाश:- बेटा ये कोण है??

सुहानी:- कोण पापा??

अविनाश:- ये जो पिछली पिछ में था...अविनाश ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और सुहानी के हाथो के ऊपर से न ले जाके उसकी कमर और हाथ के बिच जो गैप थी उसमे से ले जा के लैपटॉप के सेंसर पे रख दिया और क्लिक करके पीछे ले गया...सुहानी ने दोनों हाथो से लैपटॉप पकड़ रखा था..

अविनाश:- ये बेटा...अविनाश ने पूनम के चाचा की फ़ोटो दिखाते हुए पूछा...

सुहानी:- ये पूनम के अंकल है...सुहानी को वो सब बाते किसी फस्फोरवर्ड की तरह उसके आँखों के सामने से निकल गयी...उसकी उत्तेजना और भी बढ़ गयी...क्यू की अविनाश का हाथ लैपटॉप के सेंसर पे था और वो बिलकुल उसकी दोनों जांघो के बिच था और अविनाश उसप्प सिर्फ उंगलिया चला रहा था और उसका हाथ सुहानी की चूत से बस कुछ इंच की दुरी पे था...अविनाश जानबुज के अपना हाथ पीछे के और ले रहा था....सुहानी की साँसे तेज होने लगी थी अविनाश को समझ आ रहा था क्यू की उसकी हर सांस के साथ उसकी चुचिया उप्पर हो जाती...सुहानी ने आज भी ब्रा पॅंटी नही पहनी थी शायद उसे कही कोने में यकीं था की आज भी अविनाश उसके कमरे में आएगा...सुहानी चाह रही थी की लैपटॉप उठा के अविनाश को दे दे लेकिन उसे इन सब में मजा आ रहा था...

सुहानी:- स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह ....अचानक सुहानी के मुह से आह निकल गयी...क्यू की हुआ ही कुछ ऐसा था...अविनाश ने अपना हाथ लैपटॉप के सेंसर से फिसला कर निचे सुहानी के चूत के पास रख दिया था...अगर थोडा 5 cm और पीछे आ जाता तो सीधा सुहानी की चूत को छु लेता....लेकिन अविनाश को ये अहसास जरूर हो गया था की सुहानी ककी चूत गीली होने लगी थी...

अविनाश:-क्या हुआ बेटा??

सुहानी ने शरमाते हुए उसकी तरफ देख के सिर्फ ना में गर्दन हिलाई...अविनाश भी उसकी आह को जादा अहमियत न देते हुए अपने काम में।लग गया....केकुछ देर बाद उसने एकबार फिर वही हरकत की...सुहानी को अब बर्दास्त नहीं हो रहा था...उसका मन कर रहा था की हाथ पकड़ के सीधा चूत पप रख दे लेकिन वो ये नहीं ककर सकती थी...लेकिन अविनाश का इसतरह से छूना भी अब उसके बर्दास्त के बाहर हो रहा था। लेकिन तभी पिक्स खत्म हो गए...सुहानी ने राहत की सांस ली...लेकिन अविनाश अपने हाथ से ये मौका नही जाने देने वाला था...

सुहानी:- पापा खत्म हो गए...सुहानी ने कैसे तो भी हिम्मत जुटा के कहा...अविनाश ने अपना हाथ पीछे लिया लेकिन इस बार उसने अपना हाथ पहले सुहानी की जांघो पे रखा और धीरे से पीछे की खीचते हुए सुहानी की गीली चूत को बिच वाली ऊँगली से छु ही लिया।

सुहानी को एकदम जोर का झटका लगा।

सुहानी:- उफ्फ्फ्फ्फ्फ ये क्या स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह पापा ने मेरी चूत को टच किया अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स मर गयी अह्ह्ह्ह्ह

अविनाश:- उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह मजा आ गया उम्म्म्म्म इसकी चूत तो बहोत। गीली हो रही है स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह कितनी गरम है स्सस्सस्सस अंदर से बाफ निकल रही है स्सस्सस्स काश थोड़ी देर और ऐसेही रह पाता उम्म्म्म

सुहानी अब संभल गयी थी उसने देखा अविनाश संभल के बैठ गया था और अपने खड़े लंड को छुपाने की नाकाम कोशिस कर रहा है।

अविनाश:- ह्म्म्म बहोत बढ़िया शादी थी...मुझे आना चाहिए था...

सुहानी:- पूनम चाहती थी मगर आपसे कह नहीं नहीं पायी...चलो जाने दीजिये बहोत देर हो गयी चलिए सो जाते है...

अविनाश :- हा चलो सरको उधर...सो जाते है...

अविनाश ने हस्ते हुए कहा।

स7हानि:- यहाँ?? कुछ भी क्या पापा...आप जाइए अपने कमरे में...

अविनाश:- तुमने ही तो कहा....

सुहानी:- हा हा हा वैरी फनी...सुहानी ने हस्ते हुए कहा।

अविनाश भी हँसने लगा और उठ के जाने लगा....सुहानी भी पीछे पीछे दरवाजा लगाने के लिए उठी....लेकिन एक कदम आगे बढ़ के अविनाश पलटा...वो जैसे ही पलटा वो पीछे से उठती हुई सुहानी से टकराया ...जिससे सुहानी का बैलेंस बिघड़ गया और बेड पे गिराने लगी उसने सहारे के लिए अविनाश को पकड़ा अविनाश भी उसे पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाया लेकिन उसका भी बैलेंस बिघाड गया और और भी सुहानी के ऊपर गिर गया....अविनाश थोडा आगे होने के कारण जब वो गिरा उसका चेहरा सुहानी के चुचियो पे दब गया सुहानी ने गिरते वक़्त अपना हाथ आगे बढ़ाया था हाथ पकड़ने के लिए लेकिन उसके हाथ में गिरते हुए अविनाश का। सर आ गया...जब गिरे तब अविनाश का सर बिलकुल चुचियो पे था और सुहानी का हाथ उसके सर पे....और निचे सुहानी के चूत पे अविनाश का लंड था...जैसे ही सुहानी को अहसास हुआ उसके पैर अपने आप खुल गए...अविनाश की जैसे सारी इच्छाये पूरी हो गयी थी। उसने होठ सुहानी की चुचियो ककए ऊपर रख दिए और उसे धीरे से ऊपर की और ले गया....सुहानी उसकी ये हरकत समझ गयी थी लेकिन वो उसके निचे दबी। हुई थी....अविनाश थोडा ऊपर की और सरका और उसका लंड बिलकुल निशाने पे था...सुहानी की चूत को अविनाश के टाइट लंड का अहसास अपनी चूत पे हो रहा था....उसे भी अब नशा चढ़ने लगा था.....वू भी थोडा एडजस्ट हो के अपनी चूत को अविनाश के लंड पे दबा रही थी। दोनों ऐसा दिखावा कर रहे थे की सब अनजाने में हो रहा है....अविनाश बिना उठे सिर्फ अपना चेहरा ऊपर उठाया और कोहनी के बल थोडा ऊपर उठा...

अविनाश:- ठीक हो सुहानी?? चोट तो नहींलगी?

सुहानी:- नही...मैं ठीक हु...अपने गिरा दिया मुझे...

सुहानी को कोई जल्दी नही थी ...अविनाश तो ऐसेही उसके साथ घंटो पड़ा रह सकता था...अविनाश का चेहरा सुहानी के चहरे के बिलकुल सामने था...निचे चूत और लंड एक दूसरे का। स्पर्श पा कर आंनद से। *उड़ने लगे थे।*

अविनाश:- मैंने नही गिराया....वो तो मैं तुमसे ये कहने के लिए पलटा था की कल छुट्टी ले लेना कोई भी हालत में...और उसने अपना दूसरा हाथ आगे करके सुहानी के बाल उसके चहरे से हटाये और अपना हाथ वैसेही रखा...उसका आर्म के निचे सुहानी की चुचिया डाब रही थी अविनाश धीरे धीरे उन्हें दबा रहा था....सुहानी को मजा आ रहा था....उसको यकीं नहीं हो रहा था की उए सब उसके साथ हो रहा है....उसकी चूत बहोत पानी छोड़ रही थी....अविनाश का लंड भी काफी टाइट हो चूका था....

सुहानी:- उठिये अब...अह्ह्ह्ह्ह

अविनाश चाहता तो साइड में होक उठ सकता था पर *उसने अलग ही तरीका अपनाया ...पहले वो अ0ने पंजो के बाल खड़ा हुआ और आखरी बार सुहानी की चूत पे अपना लंड रगड़ा....और खड़ा हो गया...सुहानी भी पीछे सरक के बैठ गयी....
 
अविनाश:- तुम ठीक हो ना??

सुहानी:- हा...वो बीएस इतना ही कह पायी...

अविनाश:- चलो मैं चलता हु...गुड नाइट...

सुहानी:-गुड नाइट...


अविनाश झट से पलट के कमरे के बाहर निकल गया...सुहानी वैसेही थोड़ी देर बैठी रही। दोनों अब वासना की आग में जलने लगे थे। दोनों अनजान बन के मजे ले रहे थे। बस जरुरत थी किसी एक की जो खुल के बात कर सके...पर ये बहोत मुश्किल था क्यू की उनका रिश्ता ही कुछ ऐसा था...


आज के घटना से सुहानी और अविनाश बहोत उत्तेजित हो गए थे। आज तो ऐसा कुछ हो गया था जिसकी दोनों ने कल्पना भी नहीं की थी।

दोनों ने अपने आप को शांत किया और सो गए...


अगले दिन सुहानी ने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। और घर पे सबको बता दिया था...नीता ने सब तैयारी कर ली थी।

सुहानी और अविनाश ऑफिस से आने के बाद फ्रेश हुए और सब निकल गए। अविनाश ने ड्राईवर को बोल दिया था । सामने सोहन बैठा था...पीछे एक विंडो साइड से सुहानी बैठी थी...दूसरे साइड से अविनाश बिच में नीता बैठी थी....सब लोग मस्ती मजाक करते हुए जा रहे थे।

करीब 8 बजे अविनाश ने रास्ते में एक होटल में गाडी रोकी और सब लोग खाना खाने उतार गए। सब ने खाना खाया और अपने कपडे चेंज कर लिए। सुहानी को पक्का यकीं था की ये सफ़र अबतक जैसा गुजरा है वैसा आगे नहीं गुजरेगा...उसने एक ढीला पजामा पहन लिया था और और अंदर पॅंटी नहीं पहनी थी। लेकिन ब्रा पहन रखी थी...और ऊपर से ढीला शर्ट था। जब वो चेंज करके वापस आयी तो उसका शक यकीं में बदल गया। अविनाश ने नीता को राईट साइड वाली विंडो के पास बिठा दिया था और खुद बिच में बैठ गया था। सुहानी हँसते हुए आगे बढ़ी और लेफ्ट साइड से बैठ गयी। फिर कार अपने मंजिल की और निकल पड़ी....बाहर ठण्ड थी...गाडी में हीटर शुरू कर दिया लेकिन कुछ दूर जाने के बाद ड्राईवर ने कहा की अगर ऐसेही हीटर शुरू रहा तो उसे नींद आने लग जायेगी...उसने कहा की सब लोग एक स्वेटर पहन ले या फिर शॉल ले ले..सोहन ने अपना जैकेट पहन लिया नीता ने स्वेटर पहन लिया लेकिन सुहानी ने एक बड़ा सा शॉल ले लिया ये देख के अविनाश बहोत खुश हुआ...उसने भी एक शॉल ले लिया और अपने आप को कवर ककर लिया। ड्राईवर ने अपने साइड की खिड़की का कांच थोडा खोल दिया...उसमे से ठंडी हवा आने लगी। सब लोग जाग रहे थे और बाते कर रहे थे। सुहानी और अविनाश एक दूसरे से चिपक के बैठे थे दोनों के कंधे और जांघे एकदूसरे से चिपके हुए थे। अविनाश कुछ भी हरकत नहीं कर रहा था। जाहिर है नीता और सोहन अभी सोये नहीं थे।

थोड़ी देर बाद नीता सो गयी थी....लेकिन सोहन अभी भी जाग रहा था। लेकिन वो अपने मोबाइल में बिजी था। गाडी अपने रफ़्तार से चल रही थी। बाहर अब थंड भी बढ़ने लगी थी लेकिन अब अविनाश गरम होने लगा था।

अविनाश ने देखा सोहन का मोबाइल अब बंद हो चूका था...शायद वो भी अब सो चूका था। उसने सुहानी की और देखा सुहानी भी सो चुकी थी। उसने ड्राईवर से कहा की सब सो चुके है गाडी धीरे चलाना...उसने सुहानी को देखा....

अविनाश:- सुहानी ...सुहानी...(उसने धीरे से आवाज दी)

लेकिंन सुहानी सो रही थी। उसने अपनी शॉल नीता के ऊपर डाल दी। और सुहानी की शॉल को धीरे से निकाला और दोनों के ऊपर ढक दिया। *और अपना हाथ सुहानी की गर्दन के निचे से ले जाके उसके ककंधे पे रख दिया और उसका सर अपने छाती पे रख दिया और शॉल को अच्छेसे दोंनो को कवर कर लिया। इस थोड़ी खीचा तानी में सुहानी जग गयी। जब उसने देखा की अविनाश अपनी चाल चल चूका है वो मन ही मन मुस्कुरा उठी। दोनों एक ही शॉल के अंदर थे उसकी मम्मी उस साइड से सो रही थी। थोड़ी देर तो अविनाश ऐसेही बैठा रहा...वो सुहानी ककए जिस्म की गर्मी को महसूस कर रहा था। फिर थोड़ी देर बाद जो उसका हाथ सुहानी के कंधे पे था वो उसने धीरे से उसकी बाह पे सरकाया....उसकी बाह को धीरे धीरे सहलाने लगा...सुहानी समझ गयी की अविनाश ने अपना खेल शुरू कर दिया है। फिर कुछ देर ऐसेही सहलाता रहा....फिर उसने अपनी उंगलियो को सीधा किया और सुहानी की चुचियो की बाह वाले हिस्से पे रख दिया। कार में अँधेरा था...फिर भी अविनाश सोहन और नीता को बार बार देख रहा था और सुहानी को भी। जैसेही सुहानी को अविनाश के उंगलिया का स्पर्श महसूस हुआ उसके बदन में एक लहर दौड़ गयी। अविनाश ऐसेही अपनी उंगलिया थोड़ी देर रखी और फिर हल्का सा दबाया...उसने सुहानी की तरफ देखा सुहानी सो रही थी।उसकी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी...उसने अपनी उंगलिया सुहानी के चुचियो के उन हिस्सों पे ऊपर निचे फिराया....

अविनाश:- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह जितनी ऊपर से दिखती है उससे बड़ी लग रही है अह्ह्ह्ह और कितनी सख्त है...लगता है अभी ताकक खुद ने भी कभी मसला नहीं होगा अह्ह्ह्ह

सुहानी:-स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म पापा ये रोज ऐसे करते है आग लगा देते है चूत में उम्म्म्म्म एक बार का पकड़ के कस कस के दबा क्यू नहीं देते उफ्फ्फ्फ्फ्फ

ये सुहानी के मन की बात जैसे अविनाश ने सुन ली हो....उसने अपना हाथ थोडा आगे बढ़ाया और सुहानी की चुचियो पे रख दिया....अविनाश का दिल जोर जोर से धड़कने लगा...उसने आज पहली बार सुहानी की चुचियो को इस तरह छुआ था....उसके हाथ जैसे सुहानी की चुचियो पे जम से गए थे। सुहानी तो जैसे हवा में उड़ रही थी अपने पापा का हाथ उसकी चुचियो पे था उसे पता चल गया था की अभी जो थोड़ी देर पहले उसने सोचा था वही होने वाला था...वो साँस रोके अगले पल क्या होने वाला है उसका इंतजार करने लगी। अविनाश की हालत बहोत ख़राब हो गयी थी....उसको उस ठण्डी में भी पसीने छुटाने लगे थे। वो बार बार नीता सोहन और सुहानी को देख रहा था।

अविनाश:-स्सस्सस्सस उफ्फ्फ्फ़ कितनी बड़ी है स्स्स्स्स् एक हाथ में भी नहीं समां रही स्स्स्स्स्स्स्स

अविनाश का हाथ बिलकुल चुचियो के ऊपर सेंटर में था। बस चूची पे रखा हुआ था....उसकी हिम्मत बिलकुल भी नहीं हो रही थी आगे कुछ करने की। सुहानी की साँसे तेज होने लगी जिससे उसकी चुचिया ऊपर निचे होने लगी अविनाश ने इसी का फायदा उठाया....जैसे ही सुहानी सांस अंदर लेती अविनाश अपना हाथ उसके साथ निचे ले जाता...ऐसेही थोड़ी देर चलता रहा...सुहानी को बहोत मजा आ रहा था...उसने धीरे से अपना दूसरा हाथ जो की अविनाश के तरफ था अपनी चूत के तरफ बढ़ाया और चूत को छुआ वो बहोत गीली हो चुकी थी...लेकिन सुहानी ने ऐसा करते वक़्त ये नहीं सोचा की उसकी कोहनी अविनाश के जांघ पे लग जायेगी।

अविनाश को सुहानी की हलचल से पता चला की वो कुछ कर रही उसका दिल जोर से धड़का...उसे लगा कहि वो जाग तो नही गयी...उसने अपना हाथ हटा लिया...सुहानी कोटब समझा की उसने क्या गलती की...सुहानी झट से पहले जैसी हो गयी। कुछ देर बाद अविनाश फिरसे देखा सब सो रहे थे...उसने फिरसे उसीतरह सुहानी की चूची पे हाथ रख दिया....लेकिन इस बार उसने बिना इन्तजार के अपनी उंगलिया सुहानी की चूची के इर्द गिर्द ले जाके उन्हें धीरे से दबा दिया।

सुहानी:-अह्ह्ह स्स्स्स्स् पापा उफ्फ्फ्फ्फ्फ उम्म्म जोर से दबाईये उम्म्म्म

सुहानी की मन की बात जैसे इस बार भी अविनाश ने सुन ली हो...उसने थोडा दबाव बढ़ाया ...

अविनाश:- उफ्फ्फ्फ़ क्या मस्त चूची है अह्ह्ह्ह्ह काश आज इसने ब्रा नही पहनी होती उम्म्म्म्म*

सुहानी अपनी चूची इस तरह दबाने से काफी उत्तेजित हो रही थी। अविनाश अपना काम बहोत धीरे धीरे और सफाई से कर रहा था...उसे सुहानी का कोई डर नही था क्यू की उसे थोडा यकीं था की सुहानी उसकी हरकतों को एन्जॉय करती है....और ये सच भी था सुहानी अविनाश की हरकतों को एन्जॉय कर रही थी बस खुल के सामने नही आना चाहती थी।

अविनाश ने शॉल का एक हिस्सा अपने पीठ के निचे दबा लिया ताकि शॉल निचे न खिसक जाए...और उसने अपना हाथ वापस सुहानी के कंधे पे रखा...और धीरे धीरे। निचे सुहानी की चूची की तरफ फिसलाने लगा...जब उसका हाथ सुहानी के शर्ट के गले के पास पहोंचा तो उसने अपनी उंगलिया आगे बढ़ाई....शर्ट ढीला था...उसकी उंगलिया आसानी से शर्ट के अंदर चली गयी...सुहानी के चूची का ऊपरी हिस्सा के ऊपर वो धीरे धीरे उंगलिया घुमाने लगा...उसकी चिकनी चूची को छु कर अविनाश पागल हो गया....उसने अपना दूसरा हाथ अपने लंड पे रख दिया और उसे दबाने लगा। सुहानी की हालत अब बिना पानी के मछली जैसी हो गयी थी...पर उसमे और उस मछली में फर्क था..मछली तड़प दिखा सकती थी लेकिन सुहानी नहीं...अविनाश अपना हाथ और अंदर डालने लगा...लेकिन उसका हाथ आगे जा नहीं रहा था...उसने अपना हाथ पीछे लिया और फिर उसने शर्ट का एक बटन खोल दिया...सुहानी आखे बंद करके उसकी एक एक हरकत नोट कर रही थी...जैसेही बटन खुला उसका हाथ आराम से अंदर चला गया उसने अपना हाथ ब्रा के ऊपर से ही सुहानी ककी चूची पे रख दिया...वो दोनों के लिए ऐसा पल था जो शब्दों में बयां नही कर सकते... सुहानी की चिकनी चूची जो आधी ब्रा में कैद थी और जो बाहर थी उसपे अविनाश का गरम हाथ का स्पर्श सुहानी को ही पता था वो कैसे अपनी सिसक को कण्ट्रोल किये हुए थी...उसकी चूत में पानी का सैलाब आ चूका था...अविनाश ने जैसे ही अपना*

हाथ उसकी ब्रा में कैद चूची पे रक्खा उसको लगा जैसे उसने किसी संगेमरमर के टुकड़े को छु लिया हो...उसका लंड किसी भी वक़्त पानी छोड़ सकता था...उसने कण्ट्रोल किया और अपना हाथ हटा लिया...वो धीरे धीरे उस चूची को दबाने लगा...सुहानी ने अपना सर निचे किया और निचला होठ अपने दातो में दबा लिया...अविनाश एक बार फिर से सबका जायजा लिया और अपने काम में लग गया...उसने अपना हाथ थोडा ऊपर खिंचा...सुहानी समझ गयी की अविनाश अब क्या करने वाला है....वो अब तैयार थी...अविनाश ने अपनी उंगलिया ब्रा के अंदर घुसाई...उसकी उंगलिया ऐसे अंदर फिसली जैसे मखन पे रख दी हो...अव8नाश का हाथ अब सुहानी की नंगी चुचि पे था....अविनाश ने ठीक से अपना हाथ एडजस्ट किया और उसकी पूरी चूची के ऊपर रख दिया।

अविनाश:- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस उफ्फ्फ्फ्फ्फ क्या चूची है स्स्स्स्स्स्स्स इतनी चिकनी और बड़ी स्स्स्स्स्स्स्स आज तो जन्नत मिल गयी....निप्पल कितना बड़ा है स्सस्सस्सस इसे चूसने में कितना मजा आएगा स्स्स्स्स्स्स्स मेरा लंड तो बिना छुए ही झड़ जाएगा ऐसा लग रहा है....

सुहानी:- अह्ह्ह्ह्ह मर गयी माँ....उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना मजा आ रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्स्स्स मम्मी यहाँ बाजु में है और मैं स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ लगता है मेरी आज जान ही निकल जायेगी....

अविनाश धीरे धीरे सुहानी की चूची दबा रहा था.....

वो आगे कुछ कर पाता....तभी ड्राईवर ने आवाज दी...वो सोहन को उठा रहा था...अविनाश ने झट से अपना हाथ हटाया और वापस नार्मल तरीके से बैठ गया...उसने शॉल के। बाहर अपने हाथ निकाले और सोने का नाटक करने लगा...सुहानी भी कार के दरवाजे की तरफ सर कर लिया और अपने शर्ट का बटन धीरे से बंद कर लिया।


ड्राईवर ने सोहन को जगाया और होटल का पता पूछने लगा...वो लोग महाबलेश्वर पहोंच गए थे।


सोहन ने मोबाइल निकाला और जीपीएस से देख के उसे रास्ता बताने लगा।


थोडा ही देर में वो लोग होटल पहोंच गए...बाकी फॉर्मेलिटी करके वो अपने अपने कमरे में चले गए। सुहानी और नीता एक कमरे में थे और अविनाश और सोहन एक कमरे में।


सुहानी और अविनाश अब इस खेल में बहोत आगे बढ़ गए थे....कार में अविनाश ने सारी हदे पार कर दी थी....शायद ये छोटासा टूर सुहानी और अविनाश के जिंदगी में बहोत कुछ बदलने वाला था।
 
सुहानी की आँखों से नींद तो जैसे गायब ही हो गयी थी। बिस्तर पर लेटे हुए कार में हुई बातो कको याद कर रही थी।

सुहानी:- उफ्फ्फ अभी तक अपनी चूची पे पापा के हाथ का अहसास हो रहा है...पापा की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी...मम्मी बाजु में थी फिर भी मेरे साथ ये सब कर रहे थे...अगर और थोड़ी देर हम कार में होते तो क्या पता क्या क्या करते...शायद मेरी चूत को भी छु लेते...और मैं मना भी नही करती...उस दिन भी तो कैसे मेरी चूत पे लंड रगड़ रहे थे....सुहानी ये सब सोचते हुए उत्तेजित हो रही थी...उसने अपनी चूत सहलाना शुरू कर दिया था और थोड़ी देर में ही झड़ गयी ।


अविनाश भी आज बहोत खुश था...आखिर उसने आज सुहानी की नंगी चूची को छु जो लिया था।


अविनाश:- आज तो मजा आ गया...और सबसे बड़ी बात की सुहानी ने मना भी नही किया...रोज तो किसी ना किसी बहाने से छुट जाती थी...पपर आज चुपचाप सब करवा रही थी....वो भी मजे ले रही है...चलो अच्छा है ऐसेही चलता रहा तो जल्द ही उसे चोद दूंगा स्सस्सस्सस सच कहु तो ऐसे उसके बदन से खेलने का मौका मिलता रहे ये भी बहोत है...पर अगर वो भी राजी है मुझसे चुदने को तो फिर मजे मजे है....


अविनाश भी अपना लंड हिला रहा था...थोड़ी ही देर में वो भी झड़ के शांत हो गया और सो गया।


दो दिन सब ने वहा बहोत एन्जॉय किया...सब लोग बहोत खुश थे। अविनाश को कुछ खास मौका नहीं मिला था ये दो दिन ...लेकिन दूसरे दिन रात को जब सब लोग खाना खा के अपने अपने कमरे में जाने लगे तब सुहानी ने सबको कहा की चलो घूम के आते है लेकिन सब ने कहा की वो बहोत थक गए है ...तो सुहानी ने कहा की वो अकेली ही जा रही है ...अविनाश भी बहोत थक गया था...उसका भी मुड़ नही था लेकिन जब उसने देखा की सुहानि सच में अकेले ही घूमने निकल पड़ी तो वो भी उसके पीछे पीछे चला गया...उसने नीता से कहा की रात को उसे ऐसे अकेले नहीं छोड़ सकते...

सुहानी ने देखा की अविनाश उसके पीछे पीछे आ गया तो वो मन ही मन मुस्कुराई...

होटल के सामने बहोत बड़ा गार्डन था...रात के 10.30 बज चुके थे ... धीमे लाइट की रौशनी थी...बाहर बहोत ठण्ड थी तो बस केकुछ ही लोग थे जो घूम रहे थे...सुहानी और अविनाश बाते करते हुए ठंडी हवा का मजा लेते हुए टहलने लगे...


टहलते हुए वो गार्डन के आखरी कोने में आ गए...वहा उन्होंने देखा की एक कपल बैठा हुआ था....वो किस कर रहे थे...अविनाश और सुहानी ने उनको देखा तो उनके कदम वही रुक गए और वो दोनों पलट गए...दुबारा जब दोनों चक्कर लगा के वापस आये तो सुहानी ने देखा वो लोग अभी किस कर रहे थे...और लड़का उसकी चुचिया दबा रहा था...सुहानी को बड़ा अजीब लगा वो फिर से पलट गए...अविनाश ने देखा सुहानी उन दोनों को वो सब करते देख अजीब सा फील कर रही थी...वो जब दुबारा घूम के उस और जाने लगे तो सुहानी ने मना कर दिया....

सुहानी:- नही पापा उस और नही जाते...

अविनाश:- क्यू क्या हो गया??

सुहानी:+ पापा वो लोग बैठे हुए होंगे वहा...और वो...

अविनाश को लगा की यही सही मौका है सुहानी से खुल के बात करने का...

अविनाश:- अरे बेटा वो लोग तो मजे कर रहे थे...यहाँ कपल इसीलिए तो आते है की साथ में वक़्त गुजार सके...

सुहानी:- हा तो रूम में जाके करे जो करना है...ऐसे खुले में अच्छा लगता है क्या??*

सुहानी ग़ुस्से में बोल गयी।

अविनाश:- बात तुम्हारी सही है...पर खुली ठंडी हवा में ही कुछ ऐसा होता है की आदमी बहक् जाता है। और वो क्या कर रहे थे सिर्फ किसिंग ही तो कर रहे थे

सुहानी किसिंग की बात सुन के शरमा जाती है।


अविनाश:- अब अगर मेरी जगह तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड होता ना तो तुम्हे समझ आता...अगर अभी तुम्हारे जगह नीता होती तो मेरा भी कण्ट्रोल नही रहता...

सुहानी:- कुछ भी बोलते हो आप...इक तो मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है...और मैं मम्मी नहीं हु...

अविनाश:- ह्म्म्म। जनता हु...पर होती तो पता नहीं क्या करता??

सुहानी:- क्या करते??


सुहानी के मुह से। अचानक निकल गया...जब उसे पता चला की उसने क्या पूछ लिया है तो शरमा गयी।


अविनाश:- वही जो वो लोग कर रहे थे...या उससे जादा भी। कुछ हो सकता था...

सुहानी:- कुछ भी...मम्मी आपको दो थप्पड़ लगा देती ही ही ही

अविनाश:-ऐसे कैसे लगा देती...


बाते करते हुए वो लोग घूम के वापस उसी जगह आ गए थे...अब वो कपल किस नहीं कर रहा था...वो लड़की लड़के के गोद में सर रखी हुई थी...


सुहानी:- थैंक गॉड...

अविनाश:-क्यू??*

सुहानी:- दोनों अब नार्मल है..

अविनाश:- किसने कहा?? तुम्हे यहाँ से ऐसा लग रहा है...पर वहा कुछ और ही खेल चल रहा है...


अविनाश जानबुज के ये सब बोल रहा था।


सुहानी:- क्या खेल?? मुझे तो सब ठीक ही लग रहा है...

अविनाश:- जाने दो तुम नही समझोगी...

सुहानी:- बताईये तो....सुहानी को समझ नहीं आ रहा था...वो कुछ जादा ही क्यूरियस हो रही थी।

अविनाश:- नहीं रहने दो...

सुहानी:- बताईये तो सही...


अविनाश:- देखो वो लड़की उस लड़के के गोद में सर किस तरह राखी हुई है...

सुहानी ने ठीक से देखा...वो लड़की लड़के गोद में सर राखी हुई थी और उसका मुह पेट किबतर्फ था...उसका मुह बिलकुल लड़के के लंड पे था...ये देख के सुहानी झट से पीछे हट गयी और मुद के वापस चलने लगी...

अविनाश:- समझ आया कुछ??

सुहानी:- छी पापा कुछ भी बोलते हो आप...सुहानी शरमा रही थी।

अविनाश:- अरे तुमने ही पूछा इसलिए ममैने बताया...

सुहानी:- लेकिन मुझसे ऐसे बात करते हो आप...आपको शर्म नहीं आती??

अविनाश:- देखो तुमने पूछा मैंने बताया...और शरम की क्या बात?? कहते की जब बच्चा बड़ा हो जाता है तो उसका दोस्त बन के रहना चाहिए....और दोस्तों के बिच इतना तो चलता है और हम आज के ज़माने के है...

सुहानी:- ओह्ह्ह तो ऐसी बात है...

अविनाश:- हा बिलकुल...

सुहानी:- ठीक है...चलिए अब सोने चलते है...

अविनाश:- हा चलो...ठण्ड बहोत बढ़ गयी है...और ऐसे ठण्ड में यहाँ रहना है तो उनके जैसा कुछ करना पड़ेगा...

सुहानी:- पापा....सुहानी हस्ते हुए आँखे बड़ी करती हुई अविनाश को देखा।

अविनाश:- हा नहीं तो क्या...उनको देख के तो मुझे मेरा हनीमून याद आ गया...

सुहानी:- ओह्ह्ह तो आप क्या हनीमून पे ऐसेही कहि पे भी शुरू हो जाते थे क्या??

सुहानी भी खुलने लगी थी।

अविनाश:- हा तो हनीमून होता ही इसलिए है...

सुहानी:- ह्म्म्म आपका ये रूप तो मुझे पता ही नही था...

अविनाश:- तुमने अभी देखा ही क्या है...

सुहानी:- मुझे देखना भी नही है...मुझे मेरे पापा इस रूप में ही पसंद है...

अविनाश:- देख लो एक बार...क्या पता अलग वाला रूप जादा पसंद आये...

सुहानी:- नही देखना मुझे...

अविनाश:- पर मुझे देखना है...

सुहानी अविनाश की इस बात पे हैरानी से उसकी और देखा।

सुहानी:- क्या देखना है???

अविनाश:- मतलब की तुम्हारा हर पैलू मुझे जानना है...तुम्हारा हर रूप मुझे देखना है..

सुहानी:- ओके दिखा दूंगी...

अविनाश:- कब दिखाओगी??

सुहानी अविनाश के इस सवाल पे थोडा चौकी क्यू की उसे अब समझा था की अविनाश डबल मीनिंग वाली बाते कर रहा है...वो शरम से पानी पानी हो गयी।

सुहानी:- क्या??आप की बाते मेरी समझ के बाहर है...चलिए...

सुहानी। बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहती थी...इसलिए उसने उसका हाथ पकड़ा और लगबघ खिवहते हुए वो होटल के अंदर जाने लगी।

अविनाश:-( ह्म्म्म्म सब समझ आता है पर नाटक कर रही हो...चलो कोई नही धीरे धीरे सब समझने भी लगोगी और....)

*दोनों अपने अपने कमरे में चले गए।


सुहानी:- ये पापा भी ना...पहले तो बस हरकते करते थे अब बाते भी करनी शुरू कर दी है...बहोत बदमाशी करने लगे है...सुहानी शरमा रही थी।*


अजीब खेल होता है टाइम का...कल तक सुहानी अविनाश से ठीक से बात भी नही कर पाती थी...आज उसके साथ ऐसे मजाक भी करने लगी थी...अविनाश जो सुहानी को नजर भर देखता नही था...आज सिर्फ उसको देखना चाहता था...या यु कहो की सिर्फ उसका मादक जिस्म...अविनाश का तो समझ आता है...पर सुहानी?? वो क्यू इतना अविनाश के साथ ये सब कर रही थी??

जवाब साफ़ था...सुहानी को इतनी अटेंशन आज तक किसी मर्द ने नही दी थी...शायद वो अब बहने लगी थी...उसके जिस्म से होती हुई छेड़छाड़ ने उसे उनके बिच के रिश्ते को भुला देने पे मजबूर कर दिया था...वो सिर्फ समीर की बातो में आ गयी थी...ये सब उसे नॉर्मल लगने लगा था.......


अगले दिन दोपहर में वो लोग वापसी के सफ़र में लग गए थे...दिन का समय था और नीता भी दोनों के बिच होने के कारण वापसी के समय कुछ नही हुआ।


रात को वापस अपने शहर पहोच के उन्होंने बाहर ही खाना खाया और थकेहारे घर पहोंच कर सो गए।

अगले दो तिन दिन कुछ ख़ास नहीं हुआ....सुहानी छुट्टी लेने के कारण बहोत काम पेंडिंग था। अविनाश को भी कोई बहाना नहीं मिल रहा था...और ऊपर से नीता की तबियत भी थोड़ी ख़राब हो गयी थी।


अगले दिन नीता की तबियत थोड़ी जादा ही ख़राब हो गयी...हालांकि उसे डॉ को दिखा दिया था पर उसका बुखार कम नहीं हो रहा था।


सुहानी जब ऑफिस से लौटी तो उसने देखा की *नीता की तबियत कुछ जादा ही ख़राब होने लगी है तो वो उसे लेकर हॉस्पिटल गयी...वहा डॉ ने उसे एडमिट कर लिया। सुहानी ने फ़ोन करके अविनाश को बताया तो भी तुरंत हॉस्पिटल पहोंच गया...सोहन भी आ गया था। नीता की ट्रीटमेंट शुरू हो गयी थी...उसे बहोत कमजोरी आ गयी थी। डॉ ने बताया की उसे तिन दिन तक यही रहना पड़ेगा...और अगर तिन दिन के बाद भी कुछ लगा तो और रुकने का काम पड़ सकता है।

सुहानी घर गयी और सब जरुरी सामान और सोहन और अविनाश के लिए खाना ले आयी....सुहानी ने अविनाश और सोहन से कहा की वो घर चले जाय...वैसे भी दूसरे दिन सन्डे था तो उसे कोई प्रॉब्लम नहीं थी...और रूम में सिर्फ एक आदमी के सोने की व्यवस्था थी...लेकिन अविनाश ने कहा की वो रुक जाएगा सोहन और सुहानी को घर जाने को कहा...लेकिन सुहानी ने मना कर दिया...आखिर में ये तय हुआ की सुहानी और अविनाश दोनों वही रहेंगे और सोहन घर पे चला जाएगा।


करीब 11 बजे डॉ का राउंड हुआ...अब नीता को बुखार नहीं था...लेकिन कमजोरी बहोत थी...और दवाइया जो उसे सलाइन में से दी जा रही थी उसके वजह से उसे बहोत नींद आ रही थी।*

डॉ के जाने के बाद....

सुहानी:- पापा आप यहाँ सोफे पे सो जाइये मैं निचे सो जाउंगी...लेकिन मैं ब्लैंकेट सिर्फ एक ही लायी हु...

अविनाश:- कोई बात नहीं तुम यहाँ सोफे पे। सो जाओ...मैं बैठे बैठे सो जाऊँगा...मुझे आदत है...ऑफिस में ऐसेही आराम कर लेता हु...

सुहानी:- ह्म्म्म क्या पापा आप भी न...

अविनाश:- अरे मजाक कर रहा था...तुम सो जाओ...मैं यहाँ निचे सोफे को टेक के बैठता हु...और किसी एक को जागना पड़ेगा...क्यू की अगर नीता को कुछ लगा तो या कुछ प्रॉब्लम हुई तो...

सुहानी:- हा ये भी है...तो मैं भी नहीं सोती...और वैसे भी नींद नहीं आएगी इतने जल्दी। चलिए चेंज तो कर लीजिये...मैं आपके कपडे लायी हु...

अविनाश और सुहानी। ने चेंज कर लिया। अविनाश ने टी शर्ट और नाईट पैंट पहन हुआ था...सुहानी ने वही ढीला नाईट ड्रेस पहना था जो ट्रेवलिंग में पहना था।

*दोनों बैठ के इधर उधर की बाते करने लगे।
 
Back
Top