Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान - Page 4 - SexBaba
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Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान

मैंने कहा शाज़िया जी मुँह में डाल कर चूसो न मेरे लंड को ?? शाज़िया ने कहा नहीं में मुंह नहीं डालती मुझे घिन आती है। मैंने कहा शाज़िया जी बहुत मज़ा आएगा यकीन करो। शाज़िया ने मेरी ओर देखा और फिर सामने लगी दीवार को इंगित करके बोली समय भी देख लो, पहले ही बहुत देर हो चुकी है अब लंड चूसने का समय नहीं तो जल्दी जल्दी अब करने वाला काम करो। मैंने घड़ी की ओर देखा तो वाकई बहुत समय हो चुका था। शाज़िया के प्रेमी के लिए तस्वीरें बनाने के चक्कर में काफी समय बर्बाद हो गया था। अब शाज़िया ने खुद ही अपने लंड वाली पैन्टी उतार दी और काउन्टर के सामने मौजूद सोफे पर लेट कर उसने खुद ही अपनी टाँगें खोल ली में शाज़िया की योनी के ऊपर झुक गया और उसको देखने लगा। उसकी योनी बहुत प्यारी थी। हल्की गुलाबी और थोड़ी थोड़ी सी काले रंग की योनी इसमें चमकता हुआ सफेद पानी बहुत सुंदर लग रहा था। मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल कर शाज़िया की योनी के होंठों के बीच रखकर उसको चूसा तो मुझे लगा जैसे मेरी जीभ अब जलने लगेगी। शाज़िया ने अपनी दोनों पैर एक बार आपस में मिलाकर एक बड़ी सी सिसकी ली फिर बोली प्लीज़ यार, देर मत करो, बस अंदर डालो समय कम है ..


. मैं ने शाज़िया की चूत से अपना मुंह उठाया और मेरे लंड ने भी मुझे यही कहा कि उसकी चिकनी चूत चोदने का जो मजा है वह चाटने का नहीं, तो समय बर्बाद किए बिना जो भी शेष समय बचा है उसमें उसकी चूत को चोद लो, क्या पता फिर से ऐसी चिड़िया हाथ लगे या न लगे ... यह सोच कर मैंने अपने शेर जवान लंड को हाथ में पकड़ा और फिर न जाने क्या सोचकर शाज़िया के मुंह की ओर चला गया ... शाज़िया ने फिर हैरानगी से मेरी ओर देखा तो मैंने कहा बस एक बार उसे अपने मुंह में ले कर उसे गीला कर दो तो मैं तुम्हारी चूत में डाल कर ऐसा चोदुन्गा कि आप बार बार मेरे पास आओ करेंगी चुदाई करवाने ... शाज़िया ने बुरा सा मुँह बनाया और बोली नहीं मैं लंड नहीं चूसती ... मैंने कहा चूसने को नहीं कह रहा, बस एक बार इसे अपने मुंह में डाल लो, फिर तुरंत ही निकाल देना, बस गीला करना है उसे ... और जल्दी करो समय कम है, शाज़िया ने मेरी ओर नागवारी से देखा और बोली प्लीज़ .... डाल दो ना ... मैंने कहा शाज़िया जी समय कम है बर्बाद किए बिना उसे एक बार अपने मुंह में डाल लो, फिर ऐसी चुदाई करूँगा कि आप अपने प्रेमी को भूल जाओगी .... शाज़िया ने न चाहते हुए भी मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और बुरा सा मुंह बनाते हुए मेरा लंड को अपने मुंह में ले लिया ... उसके मुँह में गर्म गर्म सांसों से मेरे लंड को जैसे एक नया जीवन मिल गया और उसकी गीली गीली जीभ मेरी लंड पर महसूस हुई तो मुझे करंट सा लगा, लेकिन यह मज़ा थोड़ी देर का था, शाज़िया ने लंड अपने मुँह से निकाल लिया और चिल्लाकर बोली अब अपनी माँ को चोदो आके करो ..... 

शाज़िया बात सुनकर मुझे गुस्सा आने की बजाय हंसी आने लगी ... शाज़िया की इस बात से उसकी कामुकता स्पष्ट हो रही थी कि वह लंड अपनी चूत में लेने के लिए कितनी बेताब हो रही थी। मैंने शाज़िया की एक टांग उठाकर अपने कन्धे पर रखी और उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर उसकी चिकनाहट का अनुमान लगाने लगा। उसकी चूत मेरे अनुमान से अधिक गीली थी। शाज़िया ने एक हल्की सी सिसकी ली और बोली प्लीज़ आराम से करना, मेरी चूत अब बहुत टाइट है और इतना मोटा और लंबा लंड मैंने पहले कभी नहीं लिया। मैंने कहा शाज़िया जी चिंता मत करो, आपको वह मज़ा दूँगा कि आप बार बार मुझसे चुदवाने आया करोगी। यह कह कर मैंने अपने लंड की टोपी को शाज़िया की नाजुक और टाइट चूत पर रख दिया और हल्का सा धक्का लगाया जिससे मेरी टोपी शाज़िया की नाजुक चूत में प्रवेश कर गई मगर उसकी हल्की सी चीख निकली। वह बोली आराम से प्लीज़ ... मैंने एक बार फिर से अपनी टोपी बाहर निकाल ली और फिर हल्का सा धक्का लगाया जिससे मेरी टोपी फिर से शाज़िया की चूत में चली गई और उसकी एक बार फिर चीख निकली जो पहली चीख कुछ हल्की थी। तीसरी बार फिर मैंने लंड बाहर निकाल लिया और टोपी उसकी चूत में डाल कर हल्का सा धक्का लगाया कि केवल टोपी ही उसकी चूत में जाए। इस बार टोपी चूत में गई तो शाज़िया ने खुद ही अपनी गाण्ड ऊपर उठा कर अपना पूरा जोर लगाया जिसकी वजह से मेरा लंड थोड़ा और आगे शाज़िया चूत में उतर गया .... 
 
मैंने शाज़िया देखा तो उसके चेहरे पर बहुत चिंता थी उसने कहा ना तरसाओ प्लीज़ जल्दी डाल दो अपना लंड मेरे अंदर ... यह सुनकर मैं शाज़िया ऊपर झुका और उसे अपना मुंह बंद रखने को कह कर उसके निप्पल अपने मुँह में ले लिया और थोड़ा लंड बाहर निकाल कर इस बार एक जोरदार धक्का लगाया जिससे आधे से अधिक लंड शाज़िया चूत में उतर गया और शाज़िया की एक जोरदार चीख सुनाई दी ... ओय माँ ..... मैं मर गई .... उफ़ .. एफ एफ ...... लंड बाहर निकाल लो प्लीज़, यह बहुत मोटा है ... आह ह ह ह ह ह .... मैंने शाज़िया के नपल्स को अपने दांतों में लेकर काटा तो शाज़िया की परेशानी के साथ साथ एक मजे से भरपूर सिसकी निकली। मैंने कहा शाज़िया जी अभी तो आधा लंड ही आपकी चूत में गया है, अभी से बस हो गई आपकी ...

शाज़िया परेशानी मे तेज़ी से बोली बहुत मोटा लंड है तुम्हारा ..... बाहर निकालो इसे ... मैंने कहा सोच लो, वास्तव में बाहर निकाल लूँ क्या ??? चुदाई नहीं करनी ... मेरी बात सुनकर शाज़िया ने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने मुँह में अपने दोनों हाथ रख कर बोली हां बाहर निकाल लो, और फिर एक ही धक्के में सारा लंड मेरी चूत में उतार दो ... जो दर्द होना है एक बार हो जाए। 

शाज़िया की हिम्मत देखकर मैंने वास्तव में लंड बाहर निकाला महज टोपी को अंदर रहने दिया, और इस बार जो मैंने धक्का लगाया तो शाज़िया की आँखें बाहर आ गई और उसकी चीख उसके मुँह में ही दब गई। मेरा 8 इंच लंड शाज़िया की पतली सी चूत में उतर चुका था। वह अब मछली की तरह तड़प रही थी ... कुछ देर बाद उसने अपने होंठों से अपने हाथ को उठा लिया और भारी भारी सांस लेने लगी, जैसे किसी बच्चे को तेज मिर्च वाला निवाला खिलाओ तो वह मिर्च के कारण आह ह ह ह आह ह ह ह करता है और पानी मांगता है, कुछ ऐसी ही स्थिति शाज़िया की थी वह पानी तो नहीं मांग रही थी मगर तेज तेज साँसों के साथ आह आह .... ओय ..... मैं मर गई ..... इतना मोटा .... अन्याय ....... आह ह ह ह ह ह .... उफ़ एफ एफ एफ ....... धीरे धीरे करो उसको मेरे अंदर .... यह सुनकर मैंने शाज़िया की चूत में धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। 2 मिनट तक ऐसा करने के बाद शाज़िया की चूत फिर से पूरी गीली हो गई जो लंड डालने की परेशानी के कारण सूख गई थी। 

जैसे ही शाज़िया की चूत गीली हुई मेरा लंड कुछ धारा प्रवाह के साथ अंदर बाहर होने लगा और शाज़िया की हल्की-हल्की दर्दनाक मगर मजे से भरपूर सिसकियों का सिलसिला भी शुरू हो गया। यह देख कर मैंने अपने लंड की गति बढ़ा दी और शाज़िया के दोनों पैर अपने कंधों पर रख कर थोड़ा उसके ऊपर झुक गया और दे धक्के पर धक्का उसकी चूत का बेड़ा ग़र्क़ करना शुरू कर दिया।


मेरी गति जैसे-जैसे बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे शाज़िया की सिसकियाँ और आहें भी बढ़ने लगी थीं। मेरी दुकान उसकी आह ह ह ह ह ह ... आह ह ह ह ऊच .... .वाो ....... आह ह ह ह ह ऑफ एफ एफ एफ अन्याय ..... और तेज चोदो मुझे ..... वाव .......... यस .... यस .... यस ..... वाोवोवोवो .... आह ह ह ह ह ह ह ह .... आह ह ह ह ह ह ह उम म म म म म म, ..... उम म म म म म म .... वाोवोवोवो ..... एजीसी मी .... एजीसी मी ... ीतियस यस यस यस यस यस ......... अब शाज़िया अपनी गाण्ड को हिलाने की कोशिश कर रही थी मगर मैंने उसकी टाँगें अपने ऊपर उठा कर उसके ऊपर झुक कर अपना वजन डाला हुआ था जिसकी वजह से वे सही तरह से अपनी गाण्ड नहीं हिला पा रही थी। यह देख कर मैंने शाज़िया के पैर नीचे करके अपनी कमर के आसपास लपेट लिए और अपने धक्कों की गति पहले से बढ़ा दी जिस पर शाज़िया ने भी अपनी गाण्ड हिला हिलाकर चुदाई में मेरा साथ देना शुरू कर दिया।


क्या जबरदस्त चूत थी शाज़िया की जो समय बीतने के साथ पहले से अधिक चिकनी और पहले से अधिक गर्म होती जा रही थी। जैसे-जैसे मैं उसकी चुदाई कर रहा था वैसे-वैसे उसकी चूत की पकड़ मेरे लंड पर पहले से अधिक मजबूत होती जा रही थी। वह लगातार अपनी गाण्ड हिला हिला कर अपनी चुदाई करवा रही थी और मेरे लंड की सराहना भी कर रही थी ... फिर अचानक शाज़िया के चेहरे के रंग बदले और उसने अपनी गाण्ड को और तेजी से हिलाना शुरू कर दिया और अपनी चूत की पकड़ मेरे लंड पर काफी मजबूत कर दी। मैं समझ गया था कि शाज़िया की चूत अब झड़ने वाली है तो मैंने भी अपने धक्कों की गति तेज कर दी। शाज़िया की आवाज अब कुछ अजीब सी हो गई थीं, बे ढंग सी आवाज के साथ उसके चेहरे का रंग भी लाल हो गया था फिर अचानक उसने मेरा लंड अपनी चूत में कसकर जकड़ लिया और अपनी गाण्ड की गति रोक ली .... मगर उसकी चूत को और बाकी शरीर को हल्के हल्के झटके लगने लगे .... उसकी चूत छूट चुकी थी और उसकी चूत के पानी से मेरे लंड की गर्मी और भी बढ़ गई थी। 
 
जब शाज़िया का शरीर झटके खा चुका, और उसका सारा पानी निकल गया तो मैंने अब उसे सोफे से उठाया और खुद सोफे पर बैठ गया। मेरा लंड अभी तना हुआ था। शाज़िया ने लंड को देखा और बोली तुम खत्म नहीं हुए अभी ??? मैंने कहा अभी कहाँ यार, अभी तो पार्टी शुरू हुई है ... इस पर वह खुश होती हुई बोली जबरदस्त ... मेरा प्रेमी तो एक बार में ही खत्म हो जाता है, लेकिन कभी कभी तो मेरे समाप्त होने से पहले ही वह खुद खत्म हो जाता है। मैंने कहा नहीं मेरी जान, अब में खत्म होने वाला नहीं है, तुम एक बार और खाली करवा कर फिर ही खत्म करूँगा में। यह कह कर शाज़िया को मैंने चूतड़ों से पकड़ कर अपनी गोद में बिठा लिया। शाज़िया ने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ और उसकी टोपी को अपनी चूत के छेद पर सेट करके धीरे धीरे खुद ही उस पर बैठती चली गई। फिर जब पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया तो वह धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी। इससे उसको फिर से मजा आने लगा था और उसकी चूत जो पानी छोड़ने के बाद सूखी हो चुकी थी, लंड की गर्मी पाकर फिर चिकनी हो गई। 


चूत के चिकनी होते ही मैंने शाज़िया के चूतड़ों के नीचे हाथ रखकर उसको सहारा दिया और उसे थोड़ा ऊपर उठा कर नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए। मेरे हर धक्के के साथ शाज़िया की सिसकियों में वृद्धि होती जा रही थी, मैंने सोफे के साथ टेक लगा ली थी और शाज़िया पैर फ़ोल्ड किए मेरी गोद में अपने चूतड़ थोड़े ऊपर उठा कर बैठी हुई थी ताकि नीचे से धक्के मारने के लिए मुझे सही दूरी मयस्सर हो। नीचे से शाज़िया की टाइट चूत में धक्के पे धक्का लगा रहा था और शाज़िया अपने मम्मे हाथ में पकड़ कर उनके नपल्स को मसल मसल कर डबल मजा ले रही थी। मैंने शाज़िया को चोदते चोदते पूछा कि आपको मेरा लंड मज़ा दे रहा है ना ?? इस पर शाज़िया ने मुझे प्यार से देखा और आगे बढ़कर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर उन्हें चूसने लगी। यह इस बात का स्पष्ट संकेत था कि मेरे लंड की चुदाई से शाज़िया खूब मजे में थी। 

अब शाज़िया के हाथ मेरी गर्दन के आसपास थे और उसके होंठ मेरे होंठों से मिले हुए थे और मैं शाज़िया को कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींचे हुए था और मेरा लंड नीचे शाज़िया की चूत में रगड़ लगा लगा कर उसे गर्म कर रहा था । 5 मिनट में शाज़िया को अपनी गोद में बिठा कर उसकी चूत को चोदता रहा। फिर 5 मिनट के बाद मैंने शाज़िया को कहा कि अब मेरी गोद से उतरो तुम्हें और शैली में चोदना है। शाज़िया मेरी गोद से उतरी तो मैंने शाज़िया को कहा कि वह काउन्टर की ओर मुँह करके खड़ी हो जाए और अपनी टाँगें खोल ले। शाज़िया ने काउन्टर की ओर मुंह किया और अपनी टाँगें खोल कर अपनी गाण्ड बाहर निकाल ली। फिर शाज़िया ने पीछे मुड़कर देखा और बोली- अब जल्दी खत्म हो जाओ बहुत समय हो गया है। मैंने घड़ी की ओर देखा तो 4 बजने में महज 5 मिनट ही रह गए थे। वास्तव में शाज़िया को मेरी दुकान टाइमिंग से अधिक अपने समय की चिंता थी। 2 से 3 बजे के बीच आमतौर पर वह घर मौजूद रहती है मगर आज 4 बजने को थे मगर वह अभी तक घर नहीं पहुंची थी। एक बार उसके फोन कॉल भी आई थी घर से तो उसने यह कह दिया था कि वह नीलोफर के साथ कुछ देर कॉलेज में ही रुकेगी और आने में देर हो जाएगी। 

बहरहाल मैंने घड़ी की ओर देखा तो वाकई बहुत देर हो गई थी, मैंने सोचा कि अब एक बार फुल जान लगाकर शाज़िया को चोदना है और उसके बाद अपनी वीर्य शाज़िया की गोरी और भरी हुई गांड पर निकाल देना है। उसकी चूत में वीर्य डालने का जोखिम नहीं लेना चाहता था, जितनी टाइट उसकी चूत थी मेरा मन तो कर रहा था कि उसकी चूत में ही खत्म जाऊ मगर इस तरह वह गर्भवती हो सकती थी और मेरी वजह से उसको किसी किस्म की कठिनाई हो यह मैं नहीं चाहता था। शाज़िया ने काउन्टर की ओर मुंह किया और अपनी गाण्ड को बाहर निकाला तो मैंने उसकी चूत पर अपने लंड की टोपी सेट की और एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया। शाज़िया की हल्की सी सिसकारी निकली और वह बोली ओय माँ ...... क्या जबरदस्त लंड है यार तुम्हारा .... चोदो मुझे इस तेज तेज .... शाज़िया बात पूरी होते ही मेरा पूर्ण गति में शाज़िया की चूत में धक्के लगाना शुरू हो चुका था। साथ में शाज़िया के सुंदर चूतड़ों पर भी हाथ फेर रहा था। मेरे हर धक्के पर शाज़िया की एक आह ह ह ह ह निकलती .... बीच बीच में उसकी सिसकियाँ भी होती और वह आह ह ह ह ह .... ओह हु हु हु हु ... आवोच। । .. । । । । आह ह ह ह ह ...... आवाज भी निकाल रही थी ... मगर साथ ही वह मुझे यह भी कहती, जान बहुत मज़ा आ रहा है चोदते रहो मुझे यूं ही ..... आह ह ह ह ह ह ह ह ...... जोर से धक्के मारो मेरी चूत में आह ह ह ह ह ...... 
 
अब मैं शाज़िया को उसके चूतड़ों से पकड़ चुका था और अपनी फुल स्पीड के साथ उसकी चूत में धक्के लगा रहा था। फिर मुझे लगा कि शाज़िया ने अपनी चूत को टाइट कर लिया है जिसकी वजह से उसकी चूत की दीवारों पर मेरे लंड का घर्षण बहुत अधिक बढ़ गया था फिर अचानक शाज़िया एक लंबी आह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह और उसकी चूत ने एक बार फिर मेरे लंड पर पानी छोड़ दिया .... शाज़िया का पानी अपने लंड पर देखा तो मेरे लंड की गर्मी और भी बढ़ गई, एक तो शाज़िया गर्म दहकती हुई चूत की गर्मी और ऊपर से शाज़िया चूत का गरम पानी .... इस गर्मी के सामने अब शाज़िया की टाइट चूत से मिलने वाली मलाई ने मेरे लंड को भी अंतिम सीमा तक पहुंचा दिया था। मैंने शाज़ियासे कहा शाज़िया जी बस मेरा लंड भी पानी छोड़ने वाला है .. शाज़िया ने कहा प्लीज़ अंदर न छोड़ना पानी ... बाहर निकाल देना ... शाज़िया मुंह में शुक्राणु को निकालने का सवाल ही पैदा नहीं होता था क्योंकि उसे लंड चूसना गवारा नहीं था तो वह वीर्य कैसे मुंह में ले सकती थी इसलिए मैंने 5, 6 तेज धक्कों के बाद अपना लंड शाज़िया की चूत से निकाल लिया और लंड हाथ में पकड़ कर उसकी मुठ मारने लगा .... 3, 4 सेकंड के बाद ही मेरे लंड से एक सफेद गाढ़ी वीर्य की धार निकली और सीधे शाज़िया के गोरे गोरे चूतड़ों पर जाकर गिरा ... फिर एक के बाद एक धार निकलती रही और शाज़िया की गाण्ड और कमर पर गिरती रही। जब सारा वीर्य निकल गया तो लम्बे सांस लेकर अपनी सांसें सही करने लगा। शाज़िया अभी काउन्टर की ओर मुंह किए हुए थी, वह भी काफी थक गई थी वह भी गहरी गहरी सांस लेकर अपनी सांसें सही कर रही थी। 

फिर कुछ देर के बाद शाज़िया सीधी खड़ी हुई और मेरी ओर बढ़ी, उसने मेरा चेहरा अपने दोनों नाजुक हाथों में लिया और थोड़ा पंजो के बल ऊपर होकर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, मेरे होंठ चूस कर बोली, बहुत बहुत धन्यवाद, बहुत मज़ा दिया है आज आपने 

ऐसी चुदाई तो यासिर ने आज तक नहीं की। मैंने शाज़िया पूछा कि शाज़िया जी यासिर के अलावा भी कभी किसी से चुदाई करवाई है आपने ?? शाज़िया ने पास पड़े एक पुराने कपड़े से अपनी कमर पर मौजूद वीर्य साफ करते हुए कहा कि नहीं बस यासिर से ही उसकी दोस्ती है उसी से 3, 4 बार चुदाई करवाई है इसके अलावा अब मेरे से चुदाई हुई थी शाज़िया की। फिर शाज़िया ने खुद ही मुझे बताया कि यह यासिर भी वास्तव में नीलोफर का प्रेमी था, मगर जब नीलोफर का यासिर से दिल भर गया तो उसने यासिर को कहा कि मैं तुम्हारी दोस्ती अपनी एक और दोस्त से करवा देती हूँ तो उसने मेरी दोस्ती यासिर से करवा दी। और खुद अपने लिए नया प्रेमी ढूंढ लिया जिसके साथ आजकल वह काफी खुश है। मैंने शाज़िया से कहा आप भी यासिर को झंडी करवादें आपको भी नया प्रेमी मिल गया है। शाज़िया मेरी ओर देखकर मुस्कुराई और बोली तुम्हारे लंड में जान है मगर तुम्हारे साथ आ नहीं जा सकती और न ही तुम्हें अपनी सहेलियों से मिलवा सकती हूँ कि यह मेरा प्रेमी है। आप पढ़े लिखे नहीं हो और हमारी स्थिति में भी अंतर है इसलिए तुम्हें अपना प्रेमी नहीं बना सकती लेकिन तुम्हारा लंड जरूर लूँगी फिर भी।
 
शाज़िया की इस बात ने मुझे अंदर तक घायल कर दिया था। मुझे गुस्सा तो बहुत आया शाज़िया पर मगर क्या करता बात तो उसने सच ही थी। महज मैट्रिक पास व्यक्ति था और उच्च वर्ग समाज में उठने बैठने का तरीका मुझे नहीं आता था उसके अलावा जिस तरह शाज़िया के पास पैसा था मेरे पास तो वैसे पैसा नहीं था फिर भला मैं शाज़िया का प्रेमी बनने का सपना क्यों देख रहा था । बहरहाल शाज़िया अब अपने कपड़े पहन चुकी थी और लंड वाली पैन्टी उसने अपने कॉलेज बैग में डाल ली थी मैं भी अपने आप कोसते हुए सलवार कमीज पहन चुका था। शाज़िया ने सामने लगे शीशे में अपने बाल ठीक किए और अपने कपड़ों को भी ठीक करने लगी ताकि बाहर निकल कर उसके हुलिए से यह न लगे कि वह किसी के साथ सेक्स करके आई है। मैंने दरवाजे के लॉक खोला था और साइन बोर्ड भी बदल दिया था। वापश शाज़िया के पास आया तो उसने पर्स में से 4000 निकालकर मुझे दिया, मैंने कहा शाज़िया जी यह 4000 क्यों ??? शाज़िया ने कहा 2500 इस का, 500 जो तुमने कहा था कि यह ब्रा पैन्टी सेट पहनकर तस्वीरें बना लूँ खरीदने की बजाय। मैंने कहा और बाकी 1000 ??? शाज़िया ने आगे बढ़कर फिर मेरे होंठ चूसे और बोली यह 1000 मेरी चूत को आराम पहुंचाने के लिए जो आप ने इतना जबरदस्त चोदा है। मैंने 1000 वापस शाज़िया पकड़ाते हुए कहा नहीं शाज़िया जी चुदाई करने के पैसे नहीं लूँगा आपको मज़ा आया तो मैंने भी आपके शरीर से खूब मज़ा लिया है हिसाब बराबर। यह बाकी के 3000 में रख रहा हूँ। शाज़िया ने कहा कोई बात नहीं आप 4000 से ही रखो। मैंने कहा नहीं शाज़िया जी यह नहीं हो सकता कि मैं आपको चोदने के पैसे लूँ। यह कह कर मैंने वह 1000 का नोट शाज़िया को दे दिया और वापस काउन्टर में जाकर खड़ा हो गया। 

शाज़िया ने कहा ठीक है जैसे तुम्हारी इच्छा मगर फिर एनर्जी जगा रहे हैं। यह कह कर शाज़िया ने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और 1000 के नोट को पर्स में रखकर दुकान से निकल गई। जैसे ही शाज़िया दुकान से निकली ठीक उसी समय लैला मैडम ने दुकान में प्रवेश किया। उनके चेहरे पर आश्चर्य के आसार थे, वह अंदर आई लेकिन उनकी नजरें शाज़िया पर थीं जब तक शाज़िया निकल नहीं गई लैला मेडम शाज़िया को ही देखे जा रही थी। मैंने लैला मेडम पूछा मैम खैरियत तो है आप कुछ देर पहले ही तो गईं थीं ??? लैला मैम ने मुझे शक भरी नज़रों से देखा और बोलीं यह लड़की इतनी देर तक अपनी दुकान में क्या कर रही थी ??? 

मुझे एक झटका लगा कि लैला मैम को कैसे पता कि यह लड़की पिछले 2 घंटे से मेरी दुकान पर थीं, लेकिन मैंने मुस्कान के साथ कहा मैम यह तो अभी आई थी। मैम ने कहा नहीं जब मैं गई थी तो यह लड़की रिक्शा से उतरी थी और इसने सीधी अपनी दुकान में प्रवेश किया था। अब मैं वापस आई तो अपनी दुकान के दरवाजे पर दुकान बंद है का साइन बोर्ड लगा हुआ था तो मैं सामने वाली दुकान में चली गई वहाँ भी मुझे काम था। अब जब आपने फिर से साइन बोर्ड बदला दुकान खुली है तो मैं इस दुकान से अपनी दुकान में आई हूँ और यह लड़की अब निकली है तुम्हारी दुकान से ... में बुरी तरह फंस गया था। एक बार तो मुझे लगा कि बस सलमान आज तेरी खैर नहीं। मगर फिर तुरंत ही मेरा दिमाग चला और मैंने लैला मैम को कहा कि मैम ऐसी बात नहीं, यह इस समय जरूर आई थी जब आप कह रहे हैं, लेकिन यह ब्रा लेकर चली गई थी, और अभी 15 मिनट पहले ही आई थी, मेरी दुकान का कार्ड उसके पास था तो उसने भी दुकान बंद देखकर मुझे फोन किया तो मैंने उसे बताया कि यह समय मेरे आराम करने का होता है, तो उस लड़की ने अनुरोध किया कि अब दुकान खोल लो उसे अपनी बहन के लिए भी ब्रा लेने हैं क्योंकि आज रात ही उनका मुर्री जाने का कार्यक्रम बन गया है तो घर से बहन का फोन आया कि उसके पास ब्रा नहीं हैं वह उसके लिए भी लेती आए। तो इसलिए मैंने साइन बोर्ड नहीं बदला बस दुकान खोलकर उसे अंदर आने दिया और उसने अपनी बहन के लिए ब्रा लिए 15 से 20 मिनट ही रुकी है यहाँ और फिर अब आपके सामने बाहर गई है। 

मैंने तुरंत कहानी तो बना ली थी, लेकिन शायद मेरे चेहरे के भाव मेरी कहानी के विपरीत थे जिसे लैला मेडम ने बखूबी पढ़ लिया था। मगर उन्होंने कुछ कहा नहीं मुझे और सिर्फ इतना ही कहा अच्छा चलो छोड़ो वास्तव में मेरे वापस आने की वजह यह है कि मुझे भी अपने गांव से बहन का फोन आया है कल कुछ दिनों के लिए गांव जा रही हूँ तो मुझे अपनी बहन के लिए भी ब्रा चाहिए होगा। मैंने कहा कोई समस्या नहीं मेडम आप आकार बताओ मैं आपको और ब्रा दिखा देता हूँ। लैला मैम ने अपनी बहन के मम्मों का आकार बताया और मैंने उन्हें उसके अनुसार ब्रा दिखा दिए जिनमें से कुछ ब्रा पसंद करके वह चली गईं, लेकिन वो अब तक संदेह भरी नजरों से दुकान की समीक्षा करती रही थीं और मुझे भी अजीब नज़रों से देख रही थीं लेकिन उन्होंने कहा कुछ नहीं।
 
लैला मैम गईं तो मैंने सुख का सांस लिया और 2 गिलास पानी अपने गले में डाल लिया जो सूख चुका था। फिर मेरा सारा दिन परेशानी में ही गुज़रा कि कहीं लैला मैम को अगर यह शक हो गया कि मैंने इस लड़की को दुकान में चोदा है तो कहीं लैला मैम मुझे दुकान खाली करने का ही नहीं कह दें। इस परेशानी मैं खाना नहीं खाया और सीधा घर जाकर ही अम्मी को खाने के लिए कहा। 

अम्मी ने मुझे खाना ला दिया और बोलीं बेटा परेशान लग रहे हो कुछ। । । मैंने कहा नहीं अम्मी ऐसी तो कोई बात नहीं। अम्मी ने कहा नहीं बेटा कोई तो बात है। मैं बहाना बनाया कि बस अम्मी आज तबीयत खराब रही, दुकान मे, दोपहर का खाना भी नहीं खाया इसीलिए .... अम्मी ने मेरे सिर पर हाथ फेरा और मुझे खाने को बोला। जब मैंने खाना खा लिया और सोने के लिए ऊपर चबारे पर अपने कमरे में जाने लगा तो अम्मी ने कहा रुको बेटा मैंने आपसे एक बात करनी है। मैंने कहा जी अम्मी कहिए अम्मी ने मुझे पूछा बेटा कारोबार कैसा जा रहा है तुम्हारा? मैंने कहा अम्मी बहुत बेहतर है करम है ऊपर वाले का। अम्मी को पता तो था ही क्योंकि अब मैं घर में अम्मी के लिए अच्छा खासा खर्च करने लग गया था जिसकी बदौलत मेरे छोटे भाई और बहनों की पढ़ाई भी अच्छे स्कूलों में हो रही थी और घर में खाना-पीना भी काफी अच्छा हो गया था फिर अम्मी ने कहा बेटा जब तुम्हारी लैला मेडम किराया लेना शुरू करेंगी तब भी इसी तरह खर्च होगा घर पर ??? मैंने कहा जी अम्मी आप चिंता न करें। बस यह पिछले महीने ही है। अगले महीने से लैला मैम को किराया देने का करार है। मगर पिछले 3 महीने से 15 दिन से किराया निकाल कर देख रहा हूं ताकि मुझे अंदाज़ा हो सके कि दुकान का किराया निकालने के बाद भी हमारा खर्च इसी तरह चलेगा या नहीं। पिछले 3 महीने और इस महीने के किराया 60 हजार मेरे पास मौजूद है अगले महीने से किराया देना शुरू करना है तो इसी 60 हजार को फिर से दुकान में निवेश करूंगा और माल दुकान मे भर जाएगा। अम्मी ने मेरे सिर पर फिर हाथ फेरा और मेरा माथा चूम कर बोलीं मेरा बेटा काफी समझदार हो गया है। अम्मी के इस प्यार में मैं अपनी परेशानियां भूल गया और मेरा मन बिल्कुल हल्का सा हो गया जो पहले काफी बोझिल था। फिर अम्मी ने मुझे कहा बेटा वास्तव में खर्च में इसलिए पूछ रही हूँ कि अब मुझ से घर का काम नहीं होता तेरी बहनें भी अभी छोटी हैं और उन्हें पढ़ाना भी होता है .... अम्मी की बात अभी पूरी नहीं हुई थी कि मैंने कहा कोई बात नहीं अम्मी आप काम वाली रख लें में उसे वेतन दे दिया करूँगा अम्मी ने प्यार से मुझे देखा और कहा नहीं बेटा काम वाली नहीं रखनी अब तो घर वाली लानी है। मैंने कुछ समझते और कुछ न समझते हुए अम्मी की तरफ देखा तो अम्मी ने कहा बेटा तेरे लिए एक लड़की देखी है। बहुत प्यारी है। बस यदि हां कर दे तो मैं उस लड़की से तेरी बात पक्की कर दूँ और फिर जल्द ही तेरी शादी भी कर दूं। शादी का सुनकर मेरे चेहरे पर एक रंग आया और एक गया था। अम्मी ने कहा शर्मा मत, जल्दी बता .. तुझे लड़की की तस्वीर भी दिखा देती हूँ। मैंने कहा नहीं अम्मी तस्वीर नहीं अगर आपको लड़की पसंद है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं तो बात पक्की कर दें। यह सुनकर अम्मी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और कहा सदा खुश रहो बेटा। कल ही जाकर तेरी बात पक्की करती हूँ। यह कह कर अम्मी उठकर अपने कमरे में चली गईं और मैं भी अपने कमरे में जाकर आराम की नींद सो गया।


अगले दिन सुबह उठा तो अम्मी ने मुझे 5000 रुपये मांगे। 3000 तो मेरे पास शाज़िया वाला ही पड़ा था बाकी 2000 मैंने जेब से निकालकर अम्मी को दिया और दुकान पर चला गया। शाम के समय अम्मी का फोन आया कि बेटा बहुत बहुत मुबारक हो, मैं तुम्हारी बात पक्की कर आई हूँ, लड़की वालों को तुम्हारी तस्वीर भी दिखा दी है उन्हें तुम पसंद हो। आज मैं मिठाई लेकर गई थी और लड़की के हाथ में पैसे रख दिए हैं। मैंने कहा अम्मी जैसे आपकी खुशी। अम्मी ने कहा कि बेटा कल तुम दुकान से छुट्टी कर लो लड़की वालों ने तुम्हें देखने आना है। और रस्म करनी है मैंने कहा अम्मी छुट्टी तो नहीं कर सकता लेकिन दोपहर 2 बजे आ सकता हूँ घर इसी समय लड़की वालों को बुला लें। 
 
अम्मी ने कहा ठीक है बेटा कल उन्हें उसी समय बुला लेती हूँ। अम्मी की आवाज में बहुत खुशी थी और मैं भी थोड़ा-थोड़ा खुश हो रहा था, लड़की तो मैं नहीं देखी थी कि कौन कैसी है, लेकिन मन ही मन में एक खुशी थी कि अब मेरी भी जीवन साथी होगी, रात को घर जाऊंगा तो एक प्यारी सी मुस्कान मे वह मेरा स्वागत करेगी और रात को मेरी रात रंगीन करेगी, इसके अलावा अम्मी के साथ भी काम में हाथ बँटाया करेगी। अगले दिन दुकान पर आया तो मुझे अजीब चिंता थी कि 2 बजे घर जाना है, न जाने क्या होगा, मुझे देखकर लड़की वाले क्या प्रतिक्रिया देंगे। कहीं वह इनकार ही न कर दें, और वे मुझे काम के बारे में पूछेंगे तो मैं क्या जवाब दूँगा कि मैं लड़कियों को ब्रा और पैंटी बेचता हूँ ??? बहरहाल 2 बजने में अभी आधा घंटा बाकी था कि अम्मी का फोन आ गया कि बेटा लड़की वाले आ गए हैं तुम भी घर आ जाओ मैंने शीशे में अपने आपको देख कर अपने बाल आदि सेट किए और कुछ ही देर में घर पहुंच गया। घर पहुँच कर मैंने डरते डरते घर का दरवाजा खोला तो अंदर आंगन में 2,3 बच्चे खेल रहे थे जिन्हे में नहीं जानता था यह निश्चित रूप से मेरे होने वाले ससुरालियों के बच्चे होंगे। मुझे देखकर उन्होंने मुझे सलाम किया और अपने खेल में व्यस्त हो गए। सामने कमरे में मेरी बहन ने मुझे देखा और कमरे में पहुंच कर जोर से बोली भैया आ गए हैं। यह सुनकर अम्मी उठकर बाहर आ गई और मुझे अपनी ओर बुलाया आ जाओ बेटा इधर है। में डरते डरते अम्मी की तरफ बढ़ने लगा। न जाने क्यों मुझे अजीब सा डर लग रहा था, शायद हर लड़के को उसी तरह महसूस होता होगा मगर मुझे अपना पता है कि मुझे डर लग रहा था मेहमानों का सामना करते हुए। बहरहाल कमरे में प्रवेश किया तो मेरी नजरें सामने बैठी अपनी होने वाली सास पर पड़ी, वह मुझे देख कर अपनी जगह से खड़ी हुई तो मैंने आगे बढ़कर उन्हें सलाम किया और उनके आगे सिर झुकाया तो उन्होंने मेरे सलाम का जवाब दिया और मेरे सिर पर प्यार किया। साथ बैठे ससुर जी के सामने भी थोड़ा झुका तो उन्होंने जीते रहो बेटा कह कर मेरे कंधे पर थपकी दी और मुझसे हाथ मिलाया। उनके साथ बैठी उनकी छोटी बेटी पर मेरी नज़र पड़ी तो मुझे एकदम शॉक लगा। 


यह लड़की मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी जब मेरी नज़र उस पर पड़ी तो उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा कैसे हैं जीजा जी आप .... मैंने सदमे से सभल कर मुस्कराते हुए उससे हाथ मिलाया और कहा आप यहाँ कैसे ??? मेरी बात पर उसने जवाब दिया मेरी बड़ी आपी से ही आपकी बात पक्की हुई है। अम्मी ने कहा बेटा तुम एक दूसरे जानते ??? इस पर मेरी सास ने कहा जी बहन जी, जब आप ने सलमान की तस्वीर हमें दी तो राफिया ने हमें बताया था सलमान के बारे में कि उसकी शरीफ प्लाजा मे आरटीनिशल गहने और सौंदर्य प्रसाधन की दुकान है। राफिया अपनी दोस्तों के साथ सलमान बेटे की दुकान पर जा चुकी है 2, 3 बार, तो उसी की सिफारिश पर हमने आपके बेटे को पसंद किया है। राफिया को देखने के बाद में थोड़ा रिलैक्स हो गया था। मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे मुझे कोई अपना अपना मिल गया हो मेहमानो में

क्योंकि एक राफिया ही थी जिसे मैं पहले से जानता था। राफिया भी थोड़ी देर के बाद उठ कर मेरे साथ वाली कुर्सी पर बैठ गई और उसने मुझे बोर होने नहीं दिया। आज उसने चादर भी नहीं ली थी लेकिन सिर पर एक मामूली दुपट्टा मौजूद था। मगर ये राफिया और दुकान वाली राफिया से काफी अलग थी। दुकान पर तो यह राफिया बिल्कुल शांत और चुपचाप खड़ी रहती थी मगर आज उसकी ज़ुबान रुकने का नाम नहीं ले रही थी। उसने मेरा दिल लगाए रखा और बातों बातों में अपनी बड़ी आपी का खूब परिचय भी करवाया और उसके बारे में बातें करती रही। मेरी सास साहिबा ने मुझे अंगूठी पहनाई तो राफिया ने अपने मोबाइल से तस्वीरें बनाई और बोली आपी को दिखाउन्गी यह तस्वीरें। मेरे ससुराल वाले कोई 3 घंटे मौजूद रहे और इधर उधर की बातें करते रहे। ससुर ने मेरी दुकान के बारे में जानकारी ली कि क्या दुकान मेरी अपनी है या किराए पर है और कितना कमा लेता हूँ मैं आदि आदि। जबकि सास साहिबा और अम्मी आपस में बातें करती रहीं, अम्मी मेरी और मेरी सास अपनी बेटी मलीहह की बढ़ाई करती रहीं। हाँ मेरी मंगेतर का नाम मलीहह था और वह राफिया की बड़ी बहन थी। 5 बजे के करीब मेरे ससुराल वाले जाने लगे तो फिर मेरी सास ने प्यार दिया और ससुर ने दिल लगाकर काम करने की हिदायत की। राफिया ने भी बड़ी गर्मजोशी से हाथ मिलाया और मेरे करीब होकर मेरे कान में बोली जीजाजी मलीहह बाजी के साथ आएगी दुकान पर अब मैं .... यह कह कर उसने मुझे आँख मारी और मैं उसकी इस बात पर खुश होते हुए दुकान पर चला गया।
 
शाज़िया की इस बात ने मुझे अंदर तक घायल कर दिया था। मुझे गुस्सा तो बहुत आया शाज़िया पर मगर क्या करता बात तो उसने सच ही थी। महज मैट्रिक पास व्यक्ति था और उच्च वर्ग समाज में उठने बैठने का तरीका मुझे नहीं आता था उसके अलावा जिस तरह शाज़िया के पास पैसा था मेरे पास तो वैसे पैसा नहीं था फिर भला मैं शाज़िया का प्रेमी बनने का सपना क्यों देख रहा था । बहरहाल शाज़िया अब अपने कपड़े पहन चुकी थी और लंड वाली पैन्टी उसने अपने कॉलेज बैग में डाल ली थी मैं भी अपने आप कोसते हुए सलवार कमीज पहन चुका था। शाज़िया ने सामने लगे शीशे में अपने बाल ठीक किए और अपने कपड़ों को भी ठीक करने लगी ताकि बाहर निकल कर उसके हुलिए से यह न लगे कि वह किसी के साथ सेक्स करके आई है। मैंने दरवाजे के लॉक खोला था और साइन बोर्ड भी बदल दिया था। वापश शाज़िया के पास आया तो उसने पर्स में से 4000 निकालकर मुझे दिया, मैंने कहा शाज़िया जी यह 4000 क्यों ??? शाज़िया ने कहा 2500 इस का, 500 जो तुमने कहा था कि यह ब्रा पैन्टी सेट पहनकर तस्वीरें बना लूँ खरीदने की बजाय। मैंने कहा और बाकी 1000 ??? शाज़िया ने आगे बढ़कर फिर मेरे होंठ चूसे और बोली यह 1000 मेरी चूत को आराम पहुंचाने के लिए जो आप ने इतना जबरदस्त चोदा है। मैंने 1000 वापस शाज़िया पकड़ाते हुए कहा नहीं शाज़िया जी चुदाई करने के पैसे नहीं लूँगा आपको मज़ा आया तो मैंने भी आपके शरीर से खूब मज़ा लिया है हिसाब बराबर। यह बाकी के 3000 में रख रहा हूँ। शाज़िया ने कहा कोई बात नहीं आप 4000 से ही रखो। मैंने कहा नहीं शाज़िया जी यह नहीं हो सकता कि मैं आपको चोदने के पैसे लूँ। यह कह कर मैंने वह 1000 का नोट शाज़िया को दे दिया और वापस काउन्टर में जाकर खड़ा हो गया। 

शाज़िया ने कहा ठीक है जैसे तुम्हारी इच्छा मगर फिर एनर्जी जगा रहे हैं। यह कह कर शाज़िया ने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और 1000 के नोट को पर्स में रखकर दुकान से निकल गई। जैसे ही शाज़िया दुकान से निकली ठीक उसी समय लैला मैडम ने दुकान में प्रवेश किया। उनके चेहरे पर आश्चर्य के आसार थे, वह अंदर आई लेकिन उनकी नजरें शाज़िया पर थीं जब तक शाज़िया निकल नहीं गई लैला मेडम शाज़िया को ही देखे जा रही थी। मैंने लैला मेडम पूछा मैम खैरियत तो है आप कुछ देर पहले ही तो गईं थीं ??? लैला मैम ने मुझे शक भरी नज़रों से देखा और बोलीं यह लड़की इतनी देर तक अपनी दुकान में क्या कर रही थी ??? 

मुझे एक झटका लगा कि लैला मैम को कैसे पता कि यह लड़की पिछले 2 घंटे से मेरी दुकान पर थीं, लेकिन मैंने मुस्कान के साथ कहा मैम यह तो अभी आई थी। मैम ने कहा नहीं जब मैं गई थी तो यह लड़की रिक्शा से उतरी थी और इसने सीधी अपनी दुकान में प्रवेश किया था। अब मैं वापस आई तो अपनी दुकान के दरवाजे पर दुकान बंद है का साइन बोर्ड लगा हुआ था तो मैं सामने वाली दुकान में चली गई वहाँ भी मुझे काम था। अब जब आपने फिर से साइन बोर्ड बदला दुकान खुली है तो मैं इस दुकान से अपनी दुकान में आई हूँ और यह लड़की अब निकली है तुम्हारी दुकान से ... में बुरी तरह फंस गया था। एक बार तो मुझे लगा कि बस सलमान आज तेरी खैर नहीं। मगर फिर तुरंत ही मेरा दिमाग चला और मैंने लैला मैम को कहा कि मैम ऐसी बात नहीं, यह इस समय जरूर आई थी जब आप कह रहे हैं, लेकिन यह ब्रा लेकर चली गई थी, और अभी 15 मिनट पहले ही आई थी, मेरी दुकान का कार्ड उसके पास था तो उसने भी दुकान बंद देखकर मुझे फोन किया तो मैंने उसे बताया कि यह समय मेरे आराम करने का होता है, तो उस लड़की ने अनुरोध किया कि अब दुकान खोल लो उसे अपनी बहन के लिए भी ब्रा लेने हैं क्योंकि आज रात ही उनका मुर्री जाने का कार्यक्रम बन गया है तो घर से बहन का फोन आया कि उसके पास ब्रा नहीं हैं वह उसके लिए भी लेती आए। तो इसलिए मैंने साइन बोर्ड नहीं बदला बस दुकान खोलकर उसे अंदर आने दिया और उसने अपनी बहन के लिए ब्रा लिए 15 से 20 मिनट ही रुकी है यहाँ और फिर अब आपके सामने बाहर गई है। 

मैंने तुरंत कहानी तो बना ली थी, लेकिन शायद मेरे चेहरे के भाव मेरी कहानी के विपरीत थे जिसे लैला मेडम ने बखूबी पढ़ लिया था। मगर उन्होंने कुछ कहा नहीं मुझे और सिर्फ इतना ही कहा अच्छा चलो छोड़ो वास्तव में मेरे वापस आने की वजह यह है कि मुझे भी अपने गांव से बहन का फोन आया है कल कुछ दिनों के लिए गांव जा रही हूँ तो मुझे अपनी बहन के लिए भी ब्रा चाहिए होगा। मैंने कहा कोई समस्या नहीं मेडम आप आकार बताओ मैं आपको और ब्रा दिखा देता हूँ। लैला मैम ने अपनी बहन के मम्मों का आकार बताया और मैंने उन्हें उसके अनुसार ब्रा दिखा दिए जिनमें से कुछ ब्रा पसंद करके वह चली गईं, लेकिन वो अब तक संदेह भरी नजरों से दुकान की समीक्षा करती रही थीं और मुझे भी अजीब नज़रों से देख रही थीं लेकिन उन्होंने कहा कुछ नहीं।


लैला मैम गईं तो मैंने सुख का सांस लिया और 2 गिलास पानी अपने गले में डाल लिया जो सूख चुका था। फिर मेरा सारा दिन परेशानी में ही गुज़रा कि कहीं लैला मैम को अगर यह शक हो गया कि मैंने इस लड़की को दुकान में चोदा है तो कहीं लैला मैम मुझे दुकान खाली करने का ही नहीं कह दें। इस परेशानी मैं खाना नहीं खाया और सीधा घर जाकर ही अम्मी को खाने के लिए कहा। 

अम्मी ने मुझे खाना ला दिया और बोलीं बेटा परेशान लग रहे हो कुछ। । । मैंने कहा नहीं अम्मी ऐसी तो कोई बात नहीं। अम्मी ने कहा नहीं बेटा कोई तो बात है। मैं बहाना बनाया कि बस अम्मी आज तबीयत खराब रही, दुकान मे, दोपहर का खाना भी नहीं खाया इसीलिए .... अम्मी ने मेरे सिर पर हाथ फेरा और मुझे खाने को बोला। जब मैंने खाना खा लिया और सोने के लिए ऊपर चबारे पर अपने कमरे में जाने लगा तो अम्मी ने कहा रुको बेटा मैंने आपसे एक बात करनी है। मैंने कहा जी अम्मी कहिए अम्मी ने मुझे पूछा बेटा कारोबार कैसा जा रहा है तुम्हारा? मैंने कहा अम्मी बहुत बेहतर है करम है ऊपर वाले का। अम्मी को पता तो था ही क्योंकि अब मैं घर में अम्मी के लिए अच्छा खासा खर्च करने लग गया था जिसकी बदौलत मेरे छोटे भाई और बहनों की पढ़ाई भी अच्छे स्कूलों में हो रही थी और घर में खाना-पीना भी काफी अच्छा हो गया था फिर अम्मी ने कहा बेटा जब तुम्हारी लैला मेडम किराया लेना शुरू करेंगी तब भी इसी तरह खर्च होगा घर पर ??? मैंने कहा जी अम्मी आप चिंता न करें। बस यह पिछले महीने ही है। अगले महीने से लैला मैम को किराया देने का करार है। मगर पिछले 3 महीने से 15 दिन से किराया निकाल कर देख रहा हूं ताकि मुझे अंदाज़ा हो सके कि दुकान का किराया निकालने के बाद भी हमारा खर्च इसी तरह चलेगा या नहीं। पिछले 3 महीने और इस महीने के किराया 60 हजार मेरे पास मौजूद है अगले महीने से किराया देना शुरू करना है तो इसी 60 हजार को फिर से दुकान में निवेश करूंगा और माल दुकान मे भर जाएगा। अम्मी ने मेरे सिर पर फिर हाथ फेरा और मेरा माथा चूम कर बोलीं मेरा बेटा काफी समझदार हो गया है। अम्मी के इस प्यार में मैं अपनी परेशानियां भूल गया और मेरा मन बिल्कुल हल्का सा हो गया जो पहले काफी बोझिल था। फिर अम्मी ने मुझे कहा बेटा वास्तव में खर्च में इसलिए पूछ रही हूँ कि अब मुझ से घर का काम नहीं होता तेरी बहनें भी अभी छोटी हैं और उन्हें पढ़ाना भी होता है .... अम्मी की बात अभी पूरी नहीं हुई थी कि मैंने कहा कोई बात नहीं अम्मी आप काम वाली रख लें में उसे वेतन दे दिया करूँगा अम्मी ने प्यार से मुझे देखा और कहा नहीं बेटा काम वाली नहीं रखनी अब तो घर वाली लानी है। मैंने कुछ समझते और कुछ न समझते हुए अम्मी की तरफ देखा तो अम्मी ने कहा बेटा तेरे लिए एक लड़की देखी है। बहुत प्यारी है। बस यदि हां कर दे तो मैं उस लड़की से तेरी बात पक्की कर दूँ और फिर जल्द ही तेरी शादी भी कर दूं। शादी का सुनकर मेरे चेहरे पर एक रंग आया और एक गया था। अम्मी ने कहा शर्मा मत, जल्दी बता .. तुझे लड़की की तस्वीर भी दिखा देती हूँ। मैंने कहा नहीं अम्मी तस्वीर नहीं अगर आपको लड़की पसंद है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं तो बात पक्की कर दें। यह सुनकर अम्मी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और कहा सदा खुश रहो बेटा। कल ही जाकर तेरी बात पक्की करती हूँ। यह कह कर अम्मी उठकर अपने कमरे में चली गईं और मैं भी अपने कमरे में जाकर आराम की नींद सो गया।


अगले दिन सुबह उठा तो अम्मी ने मुझे 5000 रुपये मांगे। 3000 तो मेरे पास शाज़िया वाला ही पड़ा था बाकी 2000 मैंने जेब से निकालकर अम्मी को दिया और दुकान पर चला गया। शाम के समय अम्मी का फोन आया कि बेटा बहुत बहुत मुबारक हो, मैं तुम्हारी बात पक्की कर आई हूँ, लड़की वालों को तुम्हारी तस्वीर भी दिखा दी है उन्हें तुम पसंद हो। आज मैं मिठाई लेकर गई थी और लड़की के हाथ में पैसे रख दिए हैं। मैंने कहा अम्मी जैसे आपकी खुशी। अम्मी ने कहा कि बेटा कल तुम दुकान से छुट्टी कर लो लड़की वालों ने तुम्हें देखने आना है। और रस्म करनी है मैंने कहा अम्मी छुट्टी तो नहीं कर सकता लेकिन दोपहर 2 बजे आ सकता हूँ घर इसी समय लड़की वालों को बुला लें। 
 
अम्मी ने कहा ठीक है बेटा कल उन्हें उसी समय बुला लेती हूँ। अम्मी की आवाज में बहुत खुशी थी और मैं भी थोड़ा-थोड़ा खुश हो रहा था, लड़की तो मैं नहीं देखी थी कि कौन कैसी है, लेकिन मन ही मन में एक खुशी थी कि अब मेरी भी जीवन साथी होगी, रात को घर जाऊंगा तो एक प्यारी सी मुस्कान मे वह मेरा स्वागत करेगी और रात को मेरी रात रंगीन करेगी, इसके अलावा अम्मी के साथ भी काम में हाथ बँटाया करेगी। अगले दिन दुकान पर आया तो मुझे अजीब चिंता थी कि 2 बजे घर जाना है, न जाने क्या होगा, मुझे देखकर लड़की वाले क्या प्रतिक्रिया देंगे। कहीं वह इनकार ही न कर दें, और वे मुझे काम के बारे में पूछेंगे तो मैं क्या जवाब दूँगा कि मैं लड़कियों को ब्रा और पैंटी बेचता हूँ ??? 

बहरहाल 2 बजने में अभी आधा घंटा बाकी था कि अम्मी का फोन आ गया कि बेटा लड़की वाले आ गए हैं तुम भी घर आ जाओ मैंने शीशे में अपने आपको देख कर अपने बाल आदि सेट किए और कुछ ही देर में घर पहुंच गया। घर पहुँच कर मैंने डरते डरते घर का दरवाजा खोला तो अंदर आंगन में 2,3 बच्चे खेल रहे थे जिन्हे में नहीं जानता था यह निश्चित रूप से मेरे होने वाले ससुरालियों के बच्चे होंगे। मुझे देखकर उन्होंने मुझे सलाम किया और अपने खेल में व्यस्त हो गए। सामने कमरे में मेरी बहन ने मुझे देखा और कमरे में पहुंच कर जोर से बोली भैया आ गए हैं। यह सुनकर अम्मी उठकर बाहर आ गई और मुझे अपनी ओर बुलाया आ जाओ बेटा इधर है। में डरते डरते अम्मी की तरफ बढ़ने लगा। न जाने क्यों मुझे अजीब सा डर लग रहा था, शायद हर लड़के को उसी तरह महसूस होता होगा मगर मुझे अपना पता है कि मुझे डर लग रहा था मेहमानों का सामना करते हुए। बहरहाल कमरे में प्रवेश किया तो मेरी नजरें सामने बैठी अपनी होने वाली सास पर पड़ी, वह मुझे देख कर अपनी जगह से खड़ी हुई तो मैंने आगे बढ़कर उन्हें सलाम किया और उनके आगे सिर झुकाया तो उन्होंने मेरे सलाम का जवाब दिया और मेरे सिर पर प्यार किया। साथ बैठे ससुर जी के सामने भी थोड़ा झुका तो उन्होंने जीते रहो बेटा कह कर मेरे कंधे पर थपकी दी और मुझसे हाथ मिलाया। उनके साथ बैठी उनकी छोटी बेटी पर मेरी नज़र पड़ी तो मुझे एकदम शॉक लगा। 

यह लड़की मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी जब मेरी नज़र उस पर पड़ी तो उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा कैसे हैं जीजा जी आप .... मैंने सदमे से सभल कर मुस्कराते हुए उससे हाथ मिलाया और कहा आप यहाँ कैसे ??? मेरी बात पर उसने जवाब दिया मेरी बड़ी आपी से ही आपकी बात पक्की हुई है। अम्मी ने कहा बेटा तुम एक दूसरे जानते ??? इस पर मेरी सास ने कहा जी बहन जी, जब आप ने सलमान की तस्वीर हमें दी तो राफिया ने हमें बताया था सलमान के बारे में कि उसकी शरीफ प्लाजा मे आरटीनिशल गहने और सौंदर्य प्रसाधन की दुकान है। राफिया अपनी दोस्तों के साथ सलमान बेटे की दुकान पर जा चुकी है 2, 3 बार, तो उसी की सिफारिश पर हमने आपके बेटे को पसंद किया है। राफिया को देखने के बाद में थोड़ा रिलैक्स हो गया था। मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे मुझे कोई अपना अपना मिल गया हो मेहमानो में

क्योंकि एक राफिया ही थी जिसे मैं पहले से जानता था। राफिया भी थोड़ी देर के बाद उठ कर मेरे साथ वाली कुर्सी पर बैठ गई और उसने मुझे बोर होने नहीं दिया। आज उसने चादर भी नहीं ली थी लेकिन सिर पर एक मामूली दुपट्टा मौजूद था। मगर ये राफिया और दुकान वाली राफिया से काफी अलग थी। दुकान पर तो यह राफिया बिल्कुल शांत और चुपचाप खड़ी रहती थी मगर आज उसकी ज़ुबान रुकने का नाम नहीं ले रही थी। उसने मेरा दिल लगाए रखा और बातों बातों में अपनी बड़ी आपी का खूब परिचय भी करवाया और उसके बारे में बातें करती रही। मेरी सास साहिबा ने मुझे अंगूठी पहनाई तो राफिया ने अपने मोबाइल से तस्वीरें बनाई और बोली आपी को दिखाउन्गी यह तस्वीरें। मेरे ससुराल वाले कोई 3 घंटे मौजूद रहे और इधर उधर की बातें करते रहे। ससुर ने मेरी दुकान के बारे में जानकारी ली कि क्या दुकान मेरी अपनी है या किराए पर है और कितना कमा लेता हूँ मैं आदि आदि। जबकि सास साहिबा और अम्मी आपस में बातें करती रहीं, अम्मी मेरी और मेरी सास अपनी बेटी मलीहह की बढ़ाई करती रहीं। हाँ मेरी मंगेतर का नाम मलीहह था और वह राफिया की बड़ी बहन थी। 5 बजे के करीब मेरे ससुराल वाले जाने लगे तो फिर मेरी सास ने प्यार दिया और ससुर ने दिल लगाकर काम करने की हिदायत की। राफिया ने भी बड़ी गर्मजोशी से हाथ मिलाया और मेरे करीब होकर मेरे कान में बोली जीजाजी मलीहह बाजी के साथ आएगी दुकान पर अब मैं .... यह कह कर उसने मुझे आँख मारी और मैं उसकी इस बात पर खुश होते हुए दुकान पर चला गया।
 
अगले दिन मैं उत्सुकता से राफिया और अपनी मंगेतर मलीहा का उत्सुकता से इंतजार करता रहा मगर सारा दिन बीत गया और दोनों में से कोई नहीं आया। 3, 4 दिन बीत गए न तो राफिया आई न ही उसकी दोस्तें नीलोफर और ना शाज़िया आईं और न ही सलमा आंटी ने कोई लिफ्ट करवाई। फिर करीब एक सप्ताह के बाद लैला आंटी दुकान पर आईं तो उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ। क्योंकि जब से मेरी सगाई हुई थी लैला मेडम दुकान पर नहीं आई थीं और न ही मैं उन्हें यह खुशखबरी सुना सका था। लैला मैम दुकान पर आईं तो वह खुश दिखाई दे रही थीं, मैंने उनसे उनकी खुशी का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि काफी दिनों के बाद वह अपने गांव गई और अपनी बहन और अन्य रिश्तेदारों के साथ कुछ समय बिताकर आई हैं । इसलिए उनका मूड बहुत अच्छा था,
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उसके साथ लैला मेडम ने यह भी बताया कि कल उनकी शादी की सालगिरह है और इस संबंध में वे कुछ तैयारी कर रही हैं। साथ ही उन्होंने मुझे भी अपनी पार्टी में आमंत्रित किया तो मैंने लैला मेडम बताया कि दुकान बंद करते करते काफी रात हो जाती है तो मेरा आना मुश्किल होगा, लेकिन लैला मेडम ने मुझे सख्ती से आने को कहा और कहा कि अगर एक दिन दुकान जल्दी बंद कर दोगे तो कोई नुकसान नहीं होगा, थोड़ा समय अपने लिए भी निकाल लेना चाहिए। फिर इससे पहले कि लैला मेडम अगली कोई बात करतीं मैंने मेडम को अपनी सगाई के बारे में बताया जिसे सुनकर वह बहुत खुश हुईं और मुझे बधाई दी। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैंऔर शादी कब तक करने का इरादा है, लड़की क्या करती है, आदि आदि इस तरह की बातें पूछने लगीं। फिर लैला मेडम ने पूछा कि अपनी मंगेतर की फोटो दिखाओ तो मैं ने लैला मेडम को बताया कि अब तक तो मैंने खुद भी उसे नहीं देखा। यह सुनकर मेडम बहुत हैरान हुईं और बोलीं अगर देखा नहीं तो सगाई कैसे हो गई? मैंने मेडम बताया कि मेरे घर वाले उसके घर गए और फिर उनके घर वाले हमारे घर आए , न तो मैं उधर गया और न ही मलीहा मेरी मंगेतर हमारे घर आई। और न ही मोबाइल में उसकी कोई तस्वीर देखी है। बस अम्मी को पसंद है मैंने हाँ कर दी। मेरी बात सुनकर लैला मेडम कहा आश्चर्य आजके दौर में भी ऐसे आज्ञाकारी बच्चे हैं। फिर उन्होंने मुझे आने वाले जीवन में सुखों का आशीर्वाद दिया और फिर बोलीं कि कल उन्होंने साड़ी पहननी है काले रंग की तो उसके साथ कोई अच्छा सा ब्रा दिखा दो।


मैंने मेडम से पूछा साड़ी के साथ ब्रा पहनेंगे या ब्लाऊज़ के नीचे ब्रा पहनेंगे ??? मेरी बात सुनकर लैला मेडम हल्का सा मुस्कुराई और बोली तुम्हें कैसा पसंद है ?? थोड़ा संकोच से मैने कहा क्या मतलब मेडम ?? लैला मेडम ने कहा मतलब सीधा सा है तुम्हें साड़ी के साथ ब्रा पहना हुआ अच्छा लगता है या ब्लाऊज़ के नीचे से ब्रा अच्छा लगता है? मैं अब अपने सवाल पर थोड़ा शर्मिंदा हुआ और कहा नहीं मेरा मतलब था कि आप साड़ी के साथ ब्रा पहनेंगी इसीलिए मैं समझा कि शायद आप को अपने पति के सामने पहननी है साड़ी तो उसके साथ ब्रा पहनेंगे, वैसे तो ब्लाऊज़ ही पहना जाता है साड़ी के साथ। मेरी बात सुनकर मेडम के चेहरे पर एक बार फिर से कुछ उदासी सी दिखने लगी, तो वे बोलीं मैंने तुम्हें बताया तो था कि वह हिल डुल भी नहीं सकते तो कैसे उनके लिए ऐसे कपड़े पहनना चाहिए। यह कहते हुए उनकी आंखों से उदासी साफ झलक रही थी और मैं मन ही मन में एक बार फिर से अपने आप को कोस रहा था। 
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फिर मैंने कहा वैसे आप चाहें तो मैं आपको ब्लाऊज़ नुमा ब्रा भी दिखा सकता हूँ, जो साड़ी के साथ बहुत सुंदर लगती हैं। मेडम ने कहा, दिखा। मैंने ब्रा पैन्टी सेट में से कुछ ऐसे ब्रा निकाले जो ब्लाऊज़ की तरह बने हुए थे, यानी वे केवल मम्मों को ही नहीं बल्कि थोड़ा छाती और कुछ हद तक पेट को कवर करते थे। इस तरह के ब्रा या ब्रा से अधिक उन्हें शर्ट कहना उचित होगा नाइटी के साथ आते हैं और रात को ही पहने जा सकते हैं, लेकिन अगर उसको साड़ी के साथ भी पहन लिया जाए तो न केवल बहुत सुंदर लगते हैं बल्कि सेक्सी भी लगते हैं। मैंने ऐसी ही एक छोटी शर्ट मेडम दिखाई जिसके बाजू नहीं थे, उसमें कंधे नंगे रहते हैं,दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं लेकिन गर्दन के आसपास उसका कॉलर सा बना हुआ था और नीचे मम्मों से कुछ ऊपर शर्ट पर लाल रंग का कढ़ाई वाला काम शुरू होता था और क्लीवेज़ बनाता हुआ मम्मों को छिपाने के बाद नाभि से कुछ ऊपर यह शर्ट खत्म हो जाती थी। पीछे से शर्ट मे 3 स्ट्रिप थीं, एक हाथ पिछे कंधों की हड्डी के बराबर, एक जहां ब्रा स्ट्रिप होती है वहाँ और एक से कुछ नीचे कमर पर। इस शर्ट में लगभग सारी ही कमर नंगी रहती थी मेडम यह शर्ट बहुत पसंद आई और बोलीं यह तो बहुत सुंदर लगेगी। मैंने कहा जी मेडम यह आपके शरीर पर बहुत सुंदर लगेगी।
 
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