hotaks444
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सलमा आंटी ने 10 मिनट तक लगातार मेरा लंड अपने चूतड़ों में फंसा कर अपनी चूत पर रगड़ा जिससे मुझे बहुत आराम मिल रहा था। फिर अचानक ही सलमा आंटी की गति में थोड़ी तेजी आ गई, सलमा आंटी अब पहले से ज्यादा आगे पीछे रही थीं और मुझे डर लगने लगा कि सलमा आंटी की इस हरकत से किसी ना किसी का ध्यान हमारी ओर हो जाएगा और फिर बहुत छतरोल होगी, मगर इससे पहले कि कोई हमारी इस हरकत को नोट करता मुझे अपने लंड टोपी पर गर्म पानी का एहसास हुआ और सलमा आंटी मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर लगा कर एकदम स्तब्ध हो गईं और अपने चूतड़ों को मेरे लंड पर मज़बूती से जमाए रखा। सलमा आंटी की चूत ने 10 मिनट की लगातार रगड़ से पानी छोड़ दिया था। सलमा आंटी के शरीर को कुछ देर झटके लगते रहे और फिर उनका शरीर शांत होने लगा। जब उनकी चूत ने सारा पानी छोड़ दिया तो उन्होंने अपने चूतड़ों की पकड़ ढीली की और मेरा लंड अपनी गाण्ड से निकाल दिया और मेरे से कुछ दूरी पर खड़ी हो गईं, मुझे उनकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया क्योंकि अब मेरे लंड आराम नहीं मिला था, लेकिन ऐसी हालत में सलमा आंटी से कुछ नहीं कह सकता था। बस दिल ही दिल में कुढता रहा और परिणाम के रूप में कुछ ही देर में मेरा लंड बैठ गया। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
5 मिनट बाद ही मुल्तान चौक पर बस रुकी तो सलमा आंटी ने साथ वाली सीट से शमीना उठाया जो सो चुकी थी, वह जागी तो सलमा आंटी के आगे आकर खड़ी हो गई, जबकि छोटी सायरा अब तक सोई हुई थी, सलमा आंटी ने मुझे कहा कि तुम सायरा उठाओ उसकी नींद बहुत गहरी है, शायरा वह 10 साल की थी और थोड़ी वजनदार भी थी मगर बहरहाल वह एक बच्ची थी तो मैने मुश्किल से उसे गोद में उठाया और बस से नीचे उतर गया। वहाँ से हम ने एक रिक्शा लिया और उसमें बैठकर आंटी के घर की ओर चलने लगे। रिक्शे में सायरा मेरी गोद में ही थी जबकि सलमा आंटी मेरे साथ बैठी थीं, मैंने सलमा आंटी के पास होकर उनके कान में कहा आंटी आप ने तो मज़ा ले लिया मगर मेरा मज़ा अधूरा रह गया। आंटी ने मेरी तरफ देखा और हल्की आवाज में बोली चुप रहो, और खबरदार जो इस बारे में किसी को बताया या इस बारे में फिर से बात की। सलमा आंटी का लहजा बहुत कर्कश था, मैं कुछ नहीं कह सका और अपना सा मुंह लेकर बैठ गया। कुछ ही देर बाद हम सलमा आंटी के घर पहुंच चुके थे जहां मैंने सायरा को उनके कमरे में जाकर लिटा दिया और सलमा आंटी शमीना को लिए अंदर आ गई। मुनब्बर अंकल ने मुझे धन्यवाद दिया और सलमा आंटी ने भी बहुत सुंदर मुस्कान के साथ मुझे धन्यवाद करते हुए कहा बेटा तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद, तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए खाना बना लूँ, फिर खाना खाकर अपने घर जाना। मैंने कहा नहीं आंटी आप भी थकी हुई हैं, घर चलता हूँ अम्मी ने खाना बनाया हुआ है घर जाकर ही खाना खा लूँगा और यह कह कर मैं वहाँ से वापस अपने घर चला आया, और खाना खाने से पहले एक बार फिर शौचालय जाकर सलमा आंटी की गाण्ड और चूत को याद करके मुठ मार कर अपने लंड आराम पहुंचाया। उसके बाद अम्मी के हाथ का बना हुआ खाना खाया और सलमा आंटी को चोदने की योजना बनाता हुआ रात के पिछले पहर सो गया दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
रात को सोते हुए तो मैंने सपने में खूब सलमा आंटी की चौदाई और सलमा आंटी ने भी मेरा लंड मुंह में डाल कर मुझे खूब मजे दिए, मगर उनके मज़ों नतीजा यह निकला कि आधी रात को ही आंख खुल गई, और आंख खुली क्योंकि सलमा आंटी के लंड चूसने के दौरान लंड को वीर्य छोड़ना था, जैसे ही सपना मे मेरे लंड ने सलमा आंटी के मुंह में शुक्राणु की धाराए बहाई तभी वास्तव में भी मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया और मेरी सारी सलवार को खराब कर दिया। मजबूरन आधी रात को उठकर नहाना पड़ा और कपड़े बदलने पड़े, इसके बाद काफी देर सलमा आंटी की गाण्ड के बारे में ही सोचता रहा और नींद आंखों से कोसों दूर रही। फिर नींद आई तो ऐसी शुक्रवार का समय गुजर चुका था और दोपहर 3 के पास में बिस्तर से उठा। आम दिनों में ऐसी हरकत पर अम्मी जान से खूब डांट पड़ती थी मगर आज बचत हो गई थी क्योंकि वे जानती थीं कल का दिन यात्रा में गुज़रा है तो थकान हो गई होगी।
अगले दिन फिर सामान्य जीवन शुरू हो गया, इस दौरान सलमा आंटी फोन के इंतजार करता रहा कि कभी तो वह अपने लिए फिर ब्रा मँगवाएँगी और तब फिर उनकी नरम नरम गाण्ड में अपना लंड फंसाकर खूब मजे करूंगा मगर यह इंतजार लंबा होता चला गया और काफी महीने बीत गए मगर सलमा आंटी का कोई फोन नहीं आया। अब तो मुझे लगने लगा था कि शायद मुल्तान से कबीर वाला तक का सफर भी मैंने सपने में ही किया था और सलमा आंटी ने मेरा लंड अपने चूतड़ों में फंसाकर भी मेरे सपने में मजे किए थे वास्तव में शायद ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था । मगर एक दिन फिर किस्मत की देवी मेहरबान हुई, मेरे फोन की घंटी बजी और नंबर सलमा आंटी का था, दिल के तार बजने के साथ लंड ने भी अंगड़ाइयाँ लेनी शुरू कर दीं और फिर उम्मीद के मुताबिक सलमा आंटी ने ब्रा घर लाने को कहा। मैंने एक बार फिर शुक्रवार का दिन ही चुना क्योंकि इस दिन छुट्टी होती थी दुकान से तो मैं आराम से सलमा आंटी के घर जा सकता था। उस दिन भी मैं फिर से 5, 6 सेक्सी ब्रा शापर में डालकर सुबह 10 बजे सलमा आंटी के घर जा पहुंचा। दिल में कितने ही अरमान थे कि आज तो सलमा आंटी की गाण्ड मेरे लंड से नहीं बच सकेगी, लेकिन तब मेरी सभी उम्मीदों पर पानी फिर गया जब मैं घर में दाखिल होकर देखा कि आज न केवल शमीना घर पर थी बल्कि जाग भी रही थी और सायरा भी वहीं थी। इन दोनों के होते हुए मेरा कुछ भी होने वाला नहीं था। वही हुआ, सलमा आंटी ने पानी पिलाया, और फिर शापर उठाकर मुझे वहीं इंतजार करने को कहा और सायरा और शमीना को मेरे पास बिठा कर अन्दर कमरे में चले गई, जबकि बाहर सोफे पर बैठा कुढता रहा। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )
इस दौरान मैंने शमीना के शरीर का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया लेकिन फिर सोचा कि नहीं अभी वह बहुत छोटी है। अभी तो उसके स्तन के उभार भी सही तरह से नहीं बने थे, लेकिन छोटे छोटे नुकीले निशान स्पष्ट हो रहे थे जिसमें उभार बढ़ना शुरू हो रहा था कि शमीना ने अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखा है, और अब वह पूरी तरह से चुदाई के लिए सक्षम नहीं हुई। फिर शमीना से नजरें हटाकर में सायरा और शमीना दोनों को दिल ही दिल में कोसने लगा। कोई 15 मिनट बाद सलमा आंटी बाहर आई तो उन्होंने शापर मुझे वापस पकड़ा दिया जिसमें कुछ ब्रा मौजूद थे। साथ ही सलमा आंटी ने मुझे बताया कि उन्होंने 2 पीस रखे हैं और शमीना से पानी लाने को कहा, शमीना किचन में गई तो सलमा आंटी ने मुझे उनके ब्रा के बारे में बताया जो उन्होंने रखे थे, एक शुद्ध था और एक फोम वाला। फिर सलमा आंटी ने उनकी कीमत पूछी तो मैं बता दी, सलमा आंटी ने पैसे दे दिए तभी किचन से शमीना मीठा सिरप ले आई। मैंने बुझे हुए दिल के साथ 2 गिलास पानी पिया कि चलो अगर सलमा आंटी की गाण्ड नहीं मिली तो ठंडे पानी से अपनी मेहनत का प्रतिफल तो प्राप्त करें। पानी पीकर कुछ देर ज़बरदस्ती में बैठा रहा, लेकिन जब देखा कि अब सलमा आंटी मुझे ज्यादा लिफ्ट नहीं करवा रही तो मैंने वापस आने में ही अपनी भलाई समझी और और अपना शापर उठाकर वापस घर आ गया और सलमा आंटी की दोनों बेटियों को कोसने लगा। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )
मगर कुछ हद तक मुझे सलमा आंटी पर भी आश्चर्य था कि उस दिन बस में तो खुद अपने हाथ से मेरा लंड पकड़कर उन्होंने अपने चूतड़ों में फंसाया था, फिर आखिर ऐसी क्या बात हुई कि उन्होंने कोई संकेत तक नहीं किया मुझे आज जिस तरह उन्होने व्यवहार किया उससे मेरा हौसला ही जाता रहा कि यह गाण्ड मुझे मिलनी वाली है। मगर किस्मत में ये गाण्ड अभी नहीं लिखी थी सो नहीं मिली। और जिंदगी एक बार फिर सामान्य हो गई। इस घटना के कारण सलमा आंटी की गाण्ड का भूत काफी हद तक मेरे मन से उतर चुका था मगर मेरे लंड को किसी की गाण्ड की खोज आज भी थी। दोस्तो मोहल्ले की एक लड़की से मेरी सेटिंग थी और मुझे जब ज़रूरत होती में किसी न किसी तरह से अकेले में मिलकर अपने लंड की प्यास बुझा लेता था, मगर न जाने क्यों जब से मैंने ब्रा बेचने शुरू किए थे, मेरा दिल करता था कि जो मुझसे ब्रा खरीद रही है उसी को चोद दूँ, उसके मम्मे दबाऊ, उनको मुंह में लेकर चुसूँ, उनके मुंह में अपना लंड डाल दूं। इसीलिए मेरी प्यास किसी तरह कम नहीं हो रही थी।
5 मिनट बाद ही मुल्तान चौक पर बस रुकी तो सलमा आंटी ने साथ वाली सीट से शमीना उठाया जो सो चुकी थी, वह जागी तो सलमा आंटी के आगे आकर खड़ी हो गई, जबकि छोटी सायरा अब तक सोई हुई थी, सलमा आंटी ने मुझे कहा कि तुम सायरा उठाओ उसकी नींद बहुत गहरी है, शायरा वह 10 साल की थी और थोड़ी वजनदार भी थी मगर बहरहाल वह एक बच्ची थी तो मैने मुश्किल से उसे गोद में उठाया और बस से नीचे उतर गया। वहाँ से हम ने एक रिक्शा लिया और उसमें बैठकर आंटी के घर की ओर चलने लगे। रिक्शे में सायरा मेरी गोद में ही थी जबकि सलमा आंटी मेरे साथ बैठी थीं, मैंने सलमा आंटी के पास होकर उनके कान में कहा आंटी आप ने तो मज़ा ले लिया मगर मेरा मज़ा अधूरा रह गया। आंटी ने मेरी तरफ देखा और हल्की आवाज में बोली चुप रहो, और खबरदार जो इस बारे में किसी को बताया या इस बारे में फिर से बात की। सलमा आंटी का लहजा बहुत कर्कश था, मैं कुछ नहीं कह सका और अपना सा मुंह लेकर बैठ गया। कुछ ही देर बाद हम सलमा आंटी के घर पहुंच चुके थे जहां मैंने सायरा को उनके कमरे में जाकर लिटा दिया और सलमा आंटी शमीना को लिए अंदर आ गई। मुनब्बर अंकल ने मुझे धन्यवाद दिया और सलमा आंटी ने भी बहुत सुंदर मुस्कान के साथ मुझे धन्यवाद करते हुए कहा बेटा तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद, तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए खाना बना लूँ, फिर खाना खाकर अपने घर जाना। मैंने कहा नहीं आंटी आप भी थकी हुई हैं, घर चलता हूँ अम्मी ने खाना बनाया हुआ है घर जाकर ही खाना खा लूँगा और यह कह कर मैं वहाँ से वापस अपने घर चला आया, और खाना खाने से पहले एक बार फिर शौचालय जाकर सलमा आंटी की गाण्ड और चूत को याद करके मुठ मार कर अपने लंड आराम पहुंचाया। उसके बाद अम्मी के हाथ का बना हुआ खाना खाया और सलमा आंटी को चोदने की योजना बनाता हुआ रात के पिछले पहर सो गया दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
रात को सोते हुए तो मैंने सपने में खूब सलमा आंटी की चौदाई और सलमा आंटी ने भी मेरा लंड मुंह में डाल कर मुझे खूब मजे दिए, मगर उनके मज़ों नतीजा यह निकला कि आधी रात को ही आंख खुल गई, और आंख खुली क्योंकि सलमा आंटी के लंड चूसने के दौरान लंड को वीर्य छोड़ना था, जैसे ही सपना मे मेरे लंड ने सलमा आंटी के मुंह में शुक्राणु की धाराए बहाई तभी वास्तव में भी मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया और मेरी सारी सलवार को खराब कर दिया। मजबूरन आधी रात को उठकर नहाना पड़ा और कपड़े बदलने पड़े, इसके बाद काफी देर सलमा आंटी की गाण्ड के बारे में ही सोचता रहा और नींद आंखों से कोसों दूर रही। फिर नींद आई तो ऐसी शुक्रवार का समय गुजर चुका था और दोपहर 3 के पास में बिस्तर से उठा। आम दिनों में ऐसी हरकत पर अम्मी जान से खूब डांट पड़ती थी मगर आज बचत हो गई थी क्योंकि वे जानती थीं कल का दिन यात्रा में गुज़रा है तो थकान हो गई होगी।
अगले दिन फिर सामान्य जीवन शुरू हो गया, इस दौरान सलमा आंटी फोन के इंतजार करता रहा कि कभी तो वह अपने लिए फिर ब्रा मँगवाएँगी और तब फिर उनकी नरम नरम गाण्ड में अपना लंड फंसाकर खूब मजे करूंगा मगर यह इंतजार लंबा होता चला गया और काफी महीने बीत गए मगर सलमा आंटी का कोई फोन नहीं आया। अब तो मुझे लगने लगा था कि शायद मुल्तान से कबीर वाला तक का सफर भी मैंने सपने में ही किया था और सलमा आंटी ने मेरा लंड अपने चूतड़ों में फंसाकर भी मेरे सपने में मजे किए थे वास्तव में शायद ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था । मगर एक दिन फिर किस्मत की देवी मेहरबान हुई, मेरे फोन की घंटी बजी और नंबर सलमा आंटी का था, दिल के तार बजने के साथ लंड ने भी अंगड़ाइयाँ लेनी शुरू कर दीं और फिर उम्मीद के मुताबिक सलमा आंटी ने ब्रा घर लाने को कहा। मैंने एक बार फिर शुक्रवार का दिन ही चुना क्योंकि इस दिन छुट्टी होती थी दुकान से तो मैं आराम से सलमा आंटी के घर जा सकता था। उस दिन भी मैं फिर से 5, 6 सेक्सी ब्रा शापर में डालकर सुबह 10 बजे सलमा आंटी के घर जा पहुंचा। दिल में कितने ही अरमान थे कि आज तो सलमा आंटी की गाण्ड मेरे लंड से नहीं बच सकेगी, लेकिन तब मेरी सभी उम्मीदों पर पानी फिर गया जब मैं घर में दाखिल होकर देखा कि आज न केवल शमीना घर पर थी बल्कि जाग भी रही थी और सायरा भी वहीं थी। इन दोनों के होते हुए मेरा कुछ भी होने वाला नहीं था। वही हुआ, सलमा आंटी ने पानी पिलाया, और फिर शापर उठाकर मुझे वहीं इंतजार करने को कहा और सायरा और शमीना को मेरे पास बिठा कर अन्दर कमरे में चले गई, जबकि बाहर सोफे पर बैठा कुढता रहा। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )
इस दौरान मैंने शमीना के शरीर का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया लेकिन फिर सोचा कि नहीं अभी वह बहुत छोटी है। अभी तो उसके स्तन के उभार भी सही तरह से नहीं बने थे, लेकिन छोटे छोटे नुकीले निशान स्पष्ट हो रहे थे जिसमें उभार बढ़ना शुरू हो रहा था कि शमीना ने अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखा है, और अब वह पूरी तरह से चुदाई के लिए सक्षम नहीं हुई। फिर शमीना से नजरें हटाकर में सायरा और शमीना दोनों को दिल ही दिल में कोसने लगा। कोई 15 मिनट बाद सलमा आंटी बाहर आई तो उन्होंने शापर मुझे वापस पकड़ा दिया जिसमें कुछ ब्रा मौजूद थे। साथ ही सलमा आंटी ने मुझे बताया कि उन्होंने 2 पीस रखे हैं और शमीना से पानी लाने को कहा, शमीना किचन में गई तो सलमा आंटी ने मुझे उनके ब्रा के बारे में बताया जो उन्होंने रखे थे, एक शुद्ध था और एक फोम वाला। फिर सलमा आंटी ने उनकी कीमत पूछी तो मैं बता दी, सलमा आंटी ने पैसे दे दिए तभी किचन से शमीना मीठा सिरप ले आई। मैंने बुझे हुए दिल के साथ 2 गिलास पानी पिया कि चलो अगर सलमा आंटी की गाण्ड नहीं मिली तो ठंडे पानी से अपनी मेहनत का प्रतिफल तो प्राप्त करें। पानी पीकर कुछ देर ज़बरदस्ती में बैठा रहा, लेकिन जब देखा कि अब सलमा आंटी मुझे ज्यादा लिफ्ट नहीं करवा रही तो मैंने वापस आने में ही अपनी भलाई समझी और और अपना शापर उठाकर वापस घर आ गया और सलमा आंटी की दोनों बेटियों को कोसने लगा। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )
मगर कुछ हद तक मुझे सलमा आंटी पर भी आश्चर्य था कि उस दिन बस में तो खुद अपने हाथ से मेरा लंड पकड़कर उन्होंने अपने चूतड़ों में फंसाया था, फिर आखिर ऐसी क्या बात हुई कि उन्होंने कोई संकेत तक नहीं किया मुझे आज जिस तरह उन्होने व्यवहार किया उससे मेरा हौसला ही जाता रहा कि यह गाण्ड मुझे मिलनी वाली है। मगर किस्मत में ये गाण्ड अभी नहीं लिखी थी सो नहीं मिली। और जिंदगी एक बार फिर सामान्य हो गई। इस घटना के कारण सलमा आंटी की गाण्ड का भूत काफी हद तक मेरे मन से उतर चुका था मगर मेरे लंड को किसी की गाण्ड की खोज आज भी थी। दोस्तो मोहल्ले की एक लड़की से मेरी सेटिंग थी और मुझे जब ज़रूरत होती में किसी न किसी तरह से अकेले में मिलकर अपने लंड की प्यास बुझा लेता था, मगर न जाने क्यों जब से मैंने ब्रा बेचने शुरू किए थे, मेरा दिल करता था कि जो मुझसे ब्रा खरीद रही है उसी को चोद दूँ, उसके मम्मे दबाऊ, उनको मुंह में लेकर चुसूँ, उनके मुंह में अपना लंड डाल दूं। इसीलिए मेरी प्यास किसी तरह कम नहीं हो रही थी।