hotaks444
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फिर इन सब ने मेरे साथ नन्गपन का खेल खेना शुरू कर दिया... बिहारी ने तो मेरे सामने ये तक शर्त रख दी कि वो मुझे दो घंटे में सिड्यूस करेगा....मगर यहाँ भी उन लोगों ने मेरे साथ धोखा किया.. मेरे जूस में उनलोगों ने कोई दवाई मिला दी थी... फिर मेरे साथ ऐसे गंदे गंदे सवालों का सिलसिला शुरू किया जिसका जवाब मुझे उन्हें बेशर्मी के साथ देना पड़ता....उन सब ने मुझसे वो सब कुछ कहलवाया जो अच्छे घर की लड़की मर जाना पसंद करेगी मगर ऐसे शब्द नहीं बोलेगी.... आख़िरकार मैं अपने जिस्म के आगे हार गयी और उनके सामने अपने घुटने टेक दिए....
फिर उन सब ने बारी बारी मेरे साथ सेक्स किया... और फिर एक साथ सबने मिलकर मुझसे सेक्स करते रहे.... एक समय पर मैं एक साथ तीन तीन मर्दों की प्यास बुझाती....मुझसे उनलोगों ने वो सब करवाया जो बड़ी से बड़ी रंडिया भी करने से कतराती हैं... मगर हर दर्द में मैने तुम्हें महसूस किया.... फिर एक दिन काजीरी नाम की औरत वहाँ आई और उसने मेरा सौदा 10 लाख में कर दिया... वो मुझे ऐसे दरिंदों के बीच ले गयी जहाँ इंसानियत नाम की चीज़ उनके अंदर बिल्कुल नहीं थी....उस रात मेरे साथ 6 आदीमयों ने बहुत रफ सेक्स किया...जिसकी वजह से मेरी नसें फट गयी थी और मेरे शरीर से ब्लीडिंग होना शुरू हो चुका था....
मगर इनलोगो ने भी मुझ पर थोड़ी भी दया नहीं की...उसी हालत में मेरे साथ ये सब सेक्स करते रहें....और फिर जब एक हफ़्ता पूरा होने वाला था तभी विजय ने एक ऐसी घिनौनी चाल चली कि मैं अपनी ही नज़रो में हमेशा हमेशा के लिए गिर गयी.... उसने मेरे बापू के साथ धोके से सेक्स करवा दिया....मेरे आँखों में पट्टी बाँधा और उधेर मेरे बापू की आँखों में भी पट्टी बाँधकर हमे पूरी नंगी हालत में सेक्स करवाया गया.... जब मेरे बापू को ये बात पता चली. तब वो ये सदमा नहीं बर्दास्त कर पायें और अपनी जान दे दी....मैं वैसे भी अब तक बहुत नीचे गिर चुकी थी.... इन सब ने मुझे हर रात ड्रग्स का इंजेक्षन दिया... अब तो मैं भी ड्रग्स की अडिक्ट बन चुकी थी... मुझे विश्वास था कि तुम मुझे अब किसी भी हाल में नहीं अपनाओगे.....और मैं ऐसे ज़िल्लत भरी ज़िंदगी जीना नहीं चाहती थी...इस वजह से मुझे अपने आप को ख़तम करना पड़ा......
मैं जानती हूँ कि जब तू मेरी डायरी पूरा पढ़ चुके होगे तब तुम्हें भी मुझसे नफ़रत हो जाएगी.... कि मैं कितनी गिरी हुई लड़की थी...लेकिन मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं तुम्हें ये सारी बातें अपने मूह से बता सकूँ... इस लिए मुझे इस डायरी का सहारा लेना पड़ा.... मेरे साथ जो भी हुआ मुझे उसका कोई दुख नहीं हैं पर सच तो ये हैं कि अब मैं तुम्हारी वो राधिका नहीं रही जिससे तुमने कभी प्यार किया था....बस इतनी ही कहूँगी कि तुम निशा का हाथ थाम लेना...वो तुमसे बहुत प्यार करती हैं...अगर उसे तुम ना मिले तो वो मर जाएगी....शायद मेरी किस्मेत में तुम नहीं थे....बस हो सके तो मुझे माफ़ कर देना.......
डायरी पढ़ते पढ़ते इस वक़्त राहुल की आँखों में आँसू आ गये थे और वो ज़ोर से चीख पड़ता हैं...................................राधिका................
इस वक़्त राहुल बिल्कुल खामोश बैठा हुआ था...उसके हाथों में वही राधिका की डायरी थी.....और आँखों में आँसू....राहुल को ऐसा रोता हुआ देखकर निशा उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे चुप कराती हैं......थोड़ी देर बाद वो थोड़ा नॉर्मल होता हैं....
राहुल- आख़िर मुझे किस चीज़ की इतनी बड़ी सज़ा मिली...आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा .....आख़िर दोनो तरफ से हार मुझे ही मिली .....एक पल के लिए भी तुमने ये नहीं सोचा कि तुम्हारे बिना मैं कैसे जीऊँगा....शायद तुम मेरे प्यार को समझ नहीं सकी....मैने पहले भी तुमसे कहा था कि हमारा रिश्ता दिल का हैं ना कि जिस्म का.....मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुमने क्या किया....हां थोड़ा दुख ज़रूर हुआ....मगर इतना सब कुछ तुम अकेले सहती रही और मुझे कोई भी बात बताना ज़रूरी नहीं समझा....क्या मिला तुम्हें अपने आप को बर्बाद करके.....आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा.... और राहुल वहीं ज़मीन पर बैठ जाता हैं.....
निशा- हिम्मत रखो राहुल...जो बीत गया अब उसे दुबारा तो वापस नहीं लाया जा सकता.....बेहतर यही है कि हमे आज के लिए कल को भूलना होगा....
राहुल-नहीं निशा मैं नहीं भूल सकता अपनी राधिका को...ऐसा कभी नहीं हो सकता...आज भी वो मेरे दिल में बसी हुई हैं....जिस दिन मेरा दम निकलेगा शायद उस दिन मैं अपनी राधिका को भुला पाउन्गा.....जीते जी तो ये संभव नहीं....
निशा फिर राहुल के एक दम करीब आती हैं और उसे वहीं खड़ा करती हैं और उसके आँखों से बहते हुए आँसू पोछती हैं.....पोलीस वाले होकर भी तुम आज इतना कमज़ोर बन रहे हो राहुल.....थोड़ा हिम्मत रखो.....जो सच हैं उसे बदला नहीं जा सकता....आज राधिका हम सब के बीच नहीं हैं...और यही सच हैं...
निशा- मैं समझ सकती हूँ राहुल इस वक़्त तुम्हारे दिल पर क्या बीत रही होगी...जितना तुम्हें दुख हैं उतना मुझे भी राधिका की कमी महसूस हो रही हैं....कब तक आपने आप को सज़ा दोगे....
राहुल झट से निशा के सीने से लग जाता हैं- आइ आम सॉरी निशा मैने गुस्से में आकर ना जाने तुम्हें क्या क्या कहा...और तुम्हें राधिका के मौत का भी ज़िम्मेदार बना डाला.....मैं क्या करूँ मैं खुद इतना डिस्टर्ब हो गया हूँ कि मुझे समझ नही आ रहा की क्या सही हैं और क्या ग़लत....
निशा- इट'स ऑल राइट राहुल....तुम थोड़ा हाथ मूह धो लो मैं तुम्हारे लिए खाना लेकर आती हूँ....फिर निशा किचन में जाकर राहुल के लिए खाना लाती हैं और उसे अपने हाथों से बड़े प्यार से खिलाती हैं...राहुल किसी बच्चे की तरह निशा के सामने बिहेव कर रहा था.....निशा को राहुल पर इस वक़्त बहुत प्यार आ रहा था.....वो थोड़ी देर में पूरा खाना ख़तम करता हैं....
रात के करीब 9 बजे राहुल अपने बिस्तेर पर आकर बैठ जाता हैं और निशा भी खाना खा कर वहीं उसके पास बैठ जाती हैं......निशा बड़े प्यार से राहुल को देख रही थी....और राहुल भी चुप चाप वहीं खामोश बैठा था.....तभी निशा उसके एक दम करीब आती हैं और राहुल के चेहरे के पास अपना फेस कर देती हैं...इस वक़्त निशा राहुल के इतने करीब थी कि वो राहुल की साँसों को आसानी से महसूस कर सकती थी.....निशा के इतने करीब होने से राहुल तुरंत उससे दूर हूट जाता हैं और वो बिस्तेर से उठकर वहीं खड़ा हो जाता हैं......तभी निशा भी वहीं राहुल के पास आती हैं और उसके पीठ पर अपना सीना रखकर उसे अपनी बाहों में ज़कड़ लेती हैं......
निशा की ऐसी हरकत से राहुल चौंक जाता हैं....और वो फिर से निशा के हाथों को अपने सीने से हटा देता हैं.....
निशा- क्या हुआ राहुल.....मुझसे कुछ ग़लती हो गयी क्या.....
राहुल- नहीं निशा ये ठीक नहीं हैं......
निशा- क्या ठीक नहीं हैं राहुल.....मैं अब पूरी तरह से तुम्हारी बनना चाहती हूँ......मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लो.......आज मेरे तंन मन की प्यास बुझा दो राहुल.....मुझे प्यार करो राहुल.....बस प्यार....आज मुझे बस तुम्हारा प्यार चाहिए.....
राहुल- होश में आओ निशा....कैसी पागलों जैसी बातें कर रही हो.......ये सब ठीक नहीं हैं....
फिर उन सब ने बारी बारी मेरे साथ सेक्स किया... और फिर एक साथ सबने मिलकर मुझसे सेक्स करते रहे.... एक समय पर मैं एक साथ तीन तीन मर्दों की प्यास बुझाती....मुझसे उनलोगों ने वो सब करवाया जो बड़ी से बड़ी रंडिया भी करने से कतराती हैं... मगर हर दर्द में मैने तुम्हें महसूस किया.... फिर एक दिन काजीरी नाम की औरत वहाँ आई और उसने मेरा सौदा 10 लाख में कर दिया... वो मुझे ऐसे दरिंदों के बीच ले गयी जहाँ इंसानियत नाम की चीज़ उनके अंदर बिल्कुल नहीं थी....उस रात मेरे साथ 6 आदीमयों ने बहुत रफ सेक्स किया...जिसकी वजह से मेरी नसें फट गयी थी और मेरे शरीर से ब्लीडिंग होना शुरू हो चुका था....
मगर इनलोगो ने भी मुझ पर थोड़ी भी दया नहीं की...उसी हालत में मेरे साथ ये सब सेक्स करते रहें....और फिर जब एक हफ़्ता पूरा होने वाला था तभी विजय ने एक ऐसी घिनौनी चाल चली कि मैं अपनी ही नज़रो में हमेशा हमेशा के लिए गिर गयी.... उसने मेरे बापू के साथ धोके से सेक्स करवा दिया....मेरे आँखों में पट्टी बाँधा और उधेर मेरे बापू की आँखों में भी पट्टी बाँधकर हमे पूरी नंगी हालत में सेक्स करवाया गया.... जब मेरे बापू को ये बात पता चली. तब वो ये सदमा नहीं बर्दास्त कर पायें और अपनी जान दे दी....मैं वैसे भी अब तक बहुत नीचे गिर चुकी थी.... इन सब ने मुझे हर रात ड्रग्स का इंजेक्षन दिया... अब तो मैं भी ड्रग्स की अडिक्ट बन चुकी थी... मुझे विश्वास था कि तुम मुझे अब किसी भी हाल में नहीं अपनाओगे.....और मैं ऐसे ज़िल्लत भरी ज़िंदगी जीना नहीं चाहती थी...इस वजह से मुझे अपने आप को ख़तम करना पड़ा......
मैं जानती हूँ कि जब तू मेरी डायरी पूरा पढ़ चुके होगे तब तुम्हें भी मुझसे नफ़रत हो जाएगी.... कि मैं कितनी गिरी हुई लड़की थी...लेकिन मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं तुम्हें ये सारी बातें अपने मूह से बता सकूँ... इस लिए मुझे इस डायरी का सहारा लेना पड़ा.... मेरे साथ जो भी हुआ मुझे उसका कोई दुख नहीं हैं पर सच तो ये हैं कि अब मैं तुम्हारी वो राधिका नहीं रही जिससे तुमने कभी प्यार किया था....बस इतनी ही कहूँगी कि तुम निशा का हाथ थाम लेना...वो तुमसे बहुत प्यार करती हैं...अगर उसे तुम ना मिले तो वो मर जाएगी....शायद मेरी किस्मेत में तुम नहीं थे....बस हो सके तो मुझे माफ़ कर देना.......
डायरी पढ़ते पढ़ते इस वक़्त राहुल की आँखों में आँसू आ गये थे और वो ज़ोर से चीख पड़ता हैं...................................राधिका................
इस वक़्त राहुल बिल्कुल खामोश बैठा हुआ था...उसके हाथों में वही राधिका की डायरी थी.....और आँखों में आँसू....राहुल को ऐसा रोता हुआ देखकर निशा उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे चुप कराती हैं......थोड़ी देर बाद वो थोड़ा नॉर्मल होता हैं....
राहुल- आख़िर मुझे किस चीज़ की इतनी बड़ी सज़ा मिली...आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा .....आख़िर दोनो तरफ से हार मुझे ही मिली .....एक पल के लिए भी तुमने ये नहीं सोचा कि तुम्हारे बिना मैं कैसे जीऊँगा....शायद तुम मेरे प्यार को समझ नहीं सकी....मैने पहले भी तुमसे कहा था कि हमारा रिश्ता दिल का हैं ना कि जिस्म का.....मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुमने क्या किया....हां थोड़ा दुख ज़रूर हुआ....मगर इतना सब कुछ तुम अकेले सहती रही और मुझे कोई भी बात बताना ज़रूरी नहीं समझा....क्या मिला तुम्हें अपने आप को बर्बाद करके.....आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा.... और राहुल वहीं ज़मीन पर बैठ जाता हैं.....
निशा- हिम्मत रखो राहुल...जो बीत गया अब उसे दुबारा तो वापस नहीं लाया जा सकता.....बेहतर यही है कि हमे आज के लिए कल को भूलना होगा....
राहुल-नहीं निशा मैं नहीं भूल सकता अपनी राधिका को...ऐसा कभी नहीं हो सकता...आज भी वो मेरे दिल में बसी हुई हैं....जिस दिन मेरा दम निकलेगा शायद उस दिन मैं अपनी राधिका को भुला पाउन्गा.....जीते जी तो ये संभव नहीं....
निशा फिर राहुल के एक दम करीब आती हैं और उसे वहीं खड़ा करती हैं और उसके आँखों से बहते हुए आँसू पोछती हैं.....पोलीस वाले होकर भी तुम आज इतना कमज़ोर बन रहे हो राहुल.....थोड़ा हिम्मत रखो.....जो सच हैं उसे बदला नहीं जा सकता....आज राधिका हम सब के बीच नहीं हैं...और यही सच हैं...
निशा- मैं समझ सकती हूँ राहुल इस वक़्त तुम्हारे दिल पर क्या बीत रही होगी...जितना तुम्हें दुख हैं उतना मुझे भी राधिका की कमी महसूस हो रही हैं....कब तक आपने आप को सज़ा दोगे....
राहुल झट से निशा के सीने से लग जाता हैं- आइ आम सॉरी निशा मैने गुस्से में आकर ना जाने तुम्हें क्या क्या कहा...और तुम्हें राधिका के मौत का भी ज़िम्मेदार बना डाला.....मैं क्या करूँ मैं खुद इतना डिस्टर्ब हो गया हूँ कि मुझे समझ नही आ रहा की क्या सही हैं और क्या ग़लत....
निशा- इट'स ऑल राइट राहुल....तुम थोड़ा हाथ मूह धो लो मैं तुम्हारे लिए खाना लेकर आती हूँ....फिर निशा किचन में जाकर राहुल के लिए खाना लाती हैं और उसे अपने हाथों से बड़े प्यार से खिलाती हैं...राहुल किसी बच्चे की तरह निशा के सामने बिहेव कर रहा था.....निशा को राहुल पर इस वक़्त बहुत प्यार आ रहा था.....वो थोड़ी देर में पूरा खाना ख़तम करता हैं....
रात के करीब 9 बजे राहुल अपने बिस्तेर पर आकर बैठ जाता हैं और निशा भी खाना खा कर वहीं उसके पास बैठ जाती हैं......निशा बड़े प्यार से राहुल को देख रही थी....और राहुल भी चुप चाप वहीं खामोश बैठा था.....तभी निशा उसके एक दम करीब आती हैं और राहुल के चेहरे के पास अपना फेस कर देती हैं...इस वक़्त निशा राहुल के इतने करीब थी कि वो राहुल की साँसों को आसानी से महसूस कर सकती थी.....निशा के इतने करीब होने से राहुल तुरंत उससे दूर हूट जाता हैं और वो बिस्तेर से उठकर वहीं खड़ा हो जाता हैं......तभी निशा भी वहीं राहुल के पास आती हैं और उसके पीठ पर अपना सीना रखकर उसे अपनी बाहों में ज़कड़ लेती हैं......
निशा की ऐसी हरकत से राहुल चौंक जाता हैं....और वो फिर से निशा के हाथों को अपने सीने से हटा देता हैं.....
निशा- क्या हुआ राहुल.....मुझसे कुछ ग़लती हो गयी क्या.....
राहुल- नहीं निशा ये ठीक नहीं हैं......
निशा- क्या ठीक नहीं हैं राहुल.....मैं अब पूरी तरह से तुम्हारी बनना चाहती हूँ......मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लो.......आज मेरे तंन मन की प्यास बुझा दो राहुल.....मुझे प्यार करो राहुल.....बस प्यार....आज मुझे बस तुम्हारा प्यार चाहिए.....
राहुल- होश में आओ निशा....कैसी पागलों जैसी बातें कर रही हो.......ये सब ठीक नहीं हैं....