Indian XXX नेहा बह के कारनामे - Page 14 - SexBaba
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Indian XXX नेहा बह के कारनामे

कड़ी_49 प्रवींद्र की शादी नेहा के अगले पाँच दिन ऐसे ही पंडित, ज्ञान, सुभाष और अपने होने वाले पति प्रवींद्र से चुदाई करते गुजरे।

गैरेज के दो टीनेजर्स ने दो बार जाकर नेहा को चुदते हुए देखा, एक बार ज्ञान से और एक बार सुभाष के साथ। देखने के बाद दोनों मूठ मारने गये गैरेज के एक कोने में। हर बार जब यह दोनों टीनेजर्स नेहा को देखते तो इनके लण्ड खड़े हो जाते और इनको भी नेहा को चोदने का मन करता। मगर उन सब लोगों में से किसी को भी पता नहीं था कि इन दोनों को कछ भी पता है उन लोगों की चदाई के बारे में।

जब भी यह दोनों पानी भरने जाते थे नल के पास, जहाँ नेहा कपड़े धोती है, तो यह दोनों उसकी चूचियों को देखा करते थे चोरी चोरी। दोनों नेहा से बातें भी करते थे, वो भी बातें करती थी उन दोनों से मगर नेहा को बिल्कुल पता नहीं था कि वह दोनों भी उससे वही पाना चाहते थे जो बाकी लोगों को मिल रहे थे। बाद में देखेंगे के क्या इन दोनों का भी कुछ होगा नेहा के साथ या नहीं।

चालीसवें दिन की पूजा के लिए प्रवींद्र ने सभी जान पहचान वालों को इन्वाइट कर दिया, सभी रिश्तेदार, परिवार सब इन्वाइट हो चुके थे। सभी पूजा और रीति रिवाज के अनुसार होने वाले सब विधि दिन को होना था और रात में प्रवींद्र और नेहा की शादी।

करीबी रिश्तेदारों को लंच और डिनर के लिए भी इन्वाइट किया गया था। कुछ लोग सिर्फ़ पूजा अटेंड करके वापस जाने वाले थे और बाकी के लोग रात तक ठहरते शादी अटेंड करने के लिए। असल में 41वें दिन को सब हुआ। प्रवींद्र के बाप और भाई के मौत की पूजा के बाद।

एक बड़ा सा टेंट लगाया गया उनके अंगने में और एक दिन पहले से ही बहुत सारे लोग लगे हुए थे टेंट को बनाने और सजाने में। जितने लोग काम कर रहे थे एक दिन पहले से ही वहाँ पर, उनमें से बहुत सारे मर्दो की नजर नेहा पर थी क्योंकी हर बार-बार नेहा को उन लोगों को कुछ ना कुछ खाने या पीने के लिए सर्व करना पड़ रहा था। तो जब भी वो उन लोगों के सामने आती थी, सब जी भरके उसको निहारा करते थे। बहुत सारे लण्ड उठ खड़े होते थे जब भी वो उनके बीच आती थी। और नेहा को पता था कि उसके जाने के बाद उनमें से कितने आपस में नेहा को लेकर बातें किया करते थे कि अगर वो मिल गई चोदने को तो बहुत मजा आएगा। उन लोगों में से सब नजदीक के गाँव से थे और उमर यही कोई 40-30-20 साल के थे सबके।

कई बार इन लोगों ने नेहा से अपने जिश्म को रगड़ा, उसकी गाण्ड पर हाथ फेरा, अपने जिश्म को उसकी जिश्म से छुवाया, और कई ऐसी हरकतें की जिनसे लण्ड फनफना उठते थे सबके। कितनों ने अपने हाथ या बाजू को उसकी चूचियों पर भी दबाया। मगर ऐसा लगता था कि सब कुछ अचानक हो रहा था। जबकि नेहा को सब पता था और वो कुछ नहीं कह रही थी, सब मेहमान जैसे थे उसके आँगन में। सब लोग आपस में बातें किया करते थे कि नेहा कभी कुछ नहीं कहती उनको कहीं भी छुने से, सिर्फ़ मुश्कुराती रहती है और सब खुद से कहते थे कि यह जरूर चोदने को देगी उन्हें।

मगर ऐसी भीड़-भाड़ में कैसे किसी को वैसा मौका मिलता नेहा को चोदने का... इतने सारे लोग जो थे, अगर एक कामयाब होता तो बाकी के लोग भी उसपर टूट पड़ते। किसी में हिम्मत नहीं हुई उसके ज्यादा करीब जाने की। इनमें एक 4 लोगों का ग्रुप था जिन्होंने आपस में बातें किया कि नेहा जरूर मिलेगी चोदने के लिए। मगर यह लोग बाद में प्लान करके आएंगे इसको चोदने फिर कभी किसी अच्छे मौके को देखकर। शर्त यह थी कि चारों एक साथ आयेंगे।

बाद में देखेंगे कि यह चारों कामयाब होंगे या नहीं?

आखिरकार, वो दिन आ गया, सिविल ब्यूरो से आफिसर भी आ गए थे रिजिस्टर्ड मैरेज के लिए सभी दस्तावेजों के साथ।

सुबह से शाम तक कोई 1500 लोग उपस्थित थे प्रवींद्र के यहाँ अंगने की टेंट में। ऐसा लग रहा था कि कोई मेला लगा हुआ है वहाँ। जिस गली में प्रवींद्र रहता था बहुत सारे कारें थीं, पोलीस वाले रोड डाइवर्ट कर रहे थे, ट्रैफिक जाम हो रही थी उसकी वजह से। करीबी रिश्तेदार जैसे प्रवींद्र के चाचा (जिसने नेहा को चोदा है), नेहा का पिता, उसके भाई, भाभियां, प्रवींद्र की तरफ के सभी करीबी रिश्तेदार लोग, सब घर के अंदर थे। पूरा घर ऊपर नीचे भरा था। केटरिंग सर्विस वाले खाना पानी परोस रहे थे। एक कोने में पकाया जा रहा था, तो कहीं यह कहीं

वो किया जा रहा था। लोग भरे हुए थे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कौन कहाँ क्या कर रहा है। सब उलट पुलट लग रहा था।

पूजा के विधि, संस्कार और अनुष्ठान दिन के एक बजे समाप्त हुआ। सभी लोगों ने अटेंड किया, और सबसे आखिरी विधि नेहा और प्रवींद्र के साथ पूरी हुई पंडित के साथ बैठकर। तब टेंट में सभी मेहमानों को खाना परोसा गया। परिवार के सदस्यों ने घर के अंदर लंच किया जहाँ एक बड़ा सा टेबल रखा गया था।

शाम के 4:00 बजे के बाद उन दोनों की रात को होने वाली शादी की तैय्यारियां शुरू हो गई। घर के अंदर हलचल मची हुई थी। सिर्फ़ नेहा का कमरा बचा हुआ था जिसमें हर किसी का आना जाना नहीं था, क्योंकी दोनों नेहा और प्रवींद्र को उसी कमरे में तैयार होना था। तो उस कमरे में सिर्फ यह दोनों और एकाध बार नेहा के घरवाले आया जाया करते थे। बाकी के मेहमान टेंट में थे और बहुत सारे लोग रास्ते पर जुटे हुए थे बकचोदी करते हुए।
 
ज्ञान, सुभाष और दोनों टीनेजर भी मेहमानों के बीच थे। इन सबकी नजरें सिर्फ नेहा पर थी संस्कार और अनुष्ठान के दौरान क्योंकी नेहा सफेद साड़ी में थी फिर भी बहुत ही सेक्सी और हाट दिख रही थी। खुद पंडित अपनी नजरों को नहीं हटा पा रहा था नेहा पर से पूजा के दौरान।

अब रात को शादी होने वाली थी तो 8:00 बजे सबको डिनर करना था शादी होने से पहले। सूरज ढालने के बाद मेहमानों को डिनर सर्व किया गया टेंट में। नेहा शावर लेने गई थी तैयार होने से पहले उस वक्त। जब वो नहाकर वापस आई तो ज्यादा से ज्यादा लोग उस वक्त टेंट में थे खाना खाते हुए, उसके रिश्तेदार भी। यहाँ तक कि खुद प्रवींद्र भी अपने कुछ दोस्तों को सर्व कर रहा था। टेंट में लोग शादी का इंतेजार कर रहे थे।

जब नहाने के बाद नेहा ने कमरे में अंदर दाखिल होने के लिए अपने कमरे का दरवाजा खोला तो वो अपने पिता के साथ अपने भाई अनिल की पत्नी आरती को बिस्तर पर पायी।

(उम्मीद है सबको याद होगा कि नेहा के पापा ने अपने पेटे अनिल की पत्नी को चोदा था।)

नेहा को कुछ नहीं पता था उन दोनों के बारे में इससे पहले। अपने बिस्तर पर अपने पिता और अपनी भाभी को वैसी हाथ में देखकर नेहा चिहुंक गई और उसका दिल जैसे धड़कना रुक गया एक पल के लिए। उसकी भाभी की साड़ी ऊपर तक उठी हुई थी और उसकी जांघे दिख रही थी और उसके पिता का हाथ भाभी की जांघों के बीच में था, और आरती का हाथ नेहा के पापा का लण्ड सहला रहा था, पैंट का जिप खुला था और बाप का लण्ड बाहर कड़क खड़ा था।

आरती नेहा को देखकर झट से उठकर धड़धड़ाती हुई टेंट में भाग गई। मगर नेहा का पिता वहीं रह गया नेहा को जवाब देने के लिए।

दिन में नेहा ने नोट किया था कि उसका बाप हर वक्त सिर्फ आरती के साथ-साथ दिखाई दे रहा था। वो हर
कोशिश कर रहा था कि आरती के आस-पास रहे, यह नेहा ने खयाल किया था दिन में। मगर नेहा ने बिल्कुल ऐसा कुछ नहीं सोचा था जो उसने अभी देखा।

जब उसका बाप उसको समझने की कोशिश किए जा रहा था तो नेहा ने कहा- “ठीक है पापा, तुमको अपना चान्स मिल रहा है, मगर क्या होता अगर मेरे बदले किसी और ने दरवाजा खोला होता तो? क्या होता अगर अनिल भाई ने दरवाजा खोला होता तो? आप दोनों को बहत सावधान होना चाहिए था ना पापा? यह जगह और मौका बिल्कुल सही नहीं है, इतना बेकाबू थे आप दोनों हाँ?"

नेहा के पापा ने उसको जोर से अपनी बाहों में जकड़ा और उसको किस किया। नेहा ने उसके किस को अच्छी तरह से रेस्पांड किया, और अपने पापा को बाहों में जकड़े हुए ही नेहा ने कहा- “हाँ, तो मेरे वापस आने के बाद आप आरती के साथ यह सब करने लगे? हाँ पापा? उसने आपको करने दिया? कैसे पटाया आपने उसे बताना मुझे फिर कभी ओके? आप बहत लकी हो पापा, जवान-जवान लड़कियां मिल रही हैं आपको एंजाय करने को, आरती तो मेरी ही उमर की है लगभग ना? अब तो आप बहुत खुश होंगे ना पापा? क्या आप हर रोज उसके घर जाते हो? खूब एंजाय करते हो आप, बहुत मजा आता है बोलो?"

तभी प्रवींद्र ने दरवाजा खोला तौलिया और अपने कपड़े लेने के लिए क्योंकी अब वो नहाने जा रहा था। जब उसने बाप बेटी को बाहों में लिपटे देखा तो उसने बिल्कुल माइंड नहीं किया, उन दोनों के बारे में उसको पता तो है मगर उसने सोचा कि इस वक्त तो कुछ नहीं कर पाएँगे दोनों, इतने लोग भरे हुए हैं घर में। और जब प्रवींद्र बाथरूम चला गया तो नेहा के पापा ने उसको फिर से किस करना शुरू किया उसके बदन पर अपने हाथ फेरते हए... मगर नेहा ने विरोध किया यह कहते हुये- “नहीं पापा, अभी इसके लिए सही वक्त नहीं है आप किस से ही काम चला लो अभी के लिए। आपको और भी मौके मिलेंगे जरूर..."

मगर बाप ने दरवाजे को लाक किया और कहा- “लोगों को यह समझने दो कि तुम कपड़े बदल रही हो, इस भीड़ में किसी को भी पता नहीं चलेगा के मैं अंदर हूँ..." और उसने जल्दी से अपने लण्ड को नेहा की पोशाक ऊपर उठाकर उसकी जांघों पर रगड़ने लगा।

बाथरूम से निकलते वक्त नेहा ने सिर्फ एक गाउन पहना था, बिना ब्रा और पैंटी के। पिता का हाथ उसकी चूचियों और चूत पर फिरने लगा और उसको बहुत मजा आया। यह देखकर कि अंदर नेहा ने कुछ भी नहीं पहना हआ है। मगर नेहा ने फिर से विरोध किया कि यह सही वक्त नहीं है कोई मजा नहीं आएगा।

तब बाप ने कहा- “ओके सिर्फ एक काम करो मेरे लिए फिर."

नेहा ने पूछा- “क्या?"

उसके पिता ने अपना जिप खोला, लण्ड निकाला और नेहा को चूसने को कहा।

नेहा ने कहा- “ओके ठीक है, एक जल्दी-जल्दी कर देती हँ ओके?" तो नेहा नीचे फ्लोर पर बैठी और अपने पापा के लण्ड को मुंह में लेकर चूसने लगी।

बाप कमर हिलाते हुए अपने लण्ड से बेटी को मुंह में चोदने लगा, धीरे-धीरे तड़पती आवाज में। तभी किसी ने दरवाजे पर नाक किया तो इनको रुकना पड़ा। बाहर नेहा का बड़ा भाई सुनील, उसकी पत्नी और उनकी बेटी, नेहा की भतीजी जो, नेहा को दुल्हन की लिबास में तैयार होते देखना चाहती थी।

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कड़ी_50

नेहा के घर में उसका पिता अकेले बह आरती के साथ रात को शादी हुई। नेहा दुल्हन के लिबास में बेहद खूबसूरत दिख रही थी। जिस तरह से उसकी बाल बनाई गई थी, उसकी मेकप वगैरह की गई थी, वो पोडियम पर एक माडेल जैसी दिख रही थी बस। सारे मर्दो की नजरें उसी पर थी बल्की लड़कियां भी नेहा को निहार रही थीं।

रात के करीब बारह बजे सारे मेहमान चले गये और घर में परिवार के सदस्य ही रह गये। नेहा का बड़ा भाई वापस जाना चाहता था क्योंकी उसकी बेटी को स्कूल जाना था मगर सबके जोर देने पर उसको भी रुकना पड़ा
और सुबह सवेरे निकलने का फैसला किया गया।

अब परिवार के सदस्यों के बीच एक तरह की बहस हुई, क्योंकी सुबह को प्रवींद्र और नेहा हनीमून ट्रिप पर निकलने वाले थे। दोनों एक हफ्ते के बाद घर वापस आने वाले थे, तो प्रवींद्र चाहता था कि नेहा के घरवालों में से कोई उसके घर में रहे एक हफ्ते तक, क्योंकी जो टैक्सी सुबह उसको खेत ले जाने के लिए आती था वो बराबर आएगी और किसी को खेत जाना चाहिए था, वर्कर्स लोगों का खयाल के लिए। हर रोज नहीं तो हफ्ते में दो दिन तो किसी को वहाँ जाना ही चाहिए था। वहाँ खेत में एक आदमी को तो प्रवींद्र ने एक मैनेजर के जैसे रखा हुआ था। मगर घर से भी किसी को कम से कम एक या दो बार हफ्ते में वहाँ जाना चाहिए था क्योंकी किसी भी वक्त किसी को किसी भी चीज की जरूरत पड़ सकती थी।

एक लंबी बहस के बाद नेहा का पिता यहाँ एक हफ्ते बिताने के लिए राजी हआ मगर कुछ देर बाद अनिल ने भी कहा कि वो भी रह सकता है क्योंकी आरती तो घर पर अकेली बेकार रहती ही है तो एक चेंज के लिए वह दोनों भी यहीं रह सकते हैं एक हफ्ते के लिए, और अनिल के पास कार तो था ही काम पर जाने के लिए।
तो फाइनल किया गया कि यह तीन लोग प्रवींद्र के घर पर रहेंगे एक हफ्ते के लिए। हाँ, नेहा का पिता बहुत खुश हुआ जब उसने सुना कि आरती एक हफ्ते तक उसके साथ रहेगी उस घर में। एक पूरा हफ्ता उसको मजा करने को मिलेगा उसने सोचा। और नेहा अपने पिता को एक नजर देखते हुए मुश्कुराई क्योंकी वो समझ गई कि उसके पापा की चांदी हो गई।

सोने जाने से पहले नेहा को एक छोटा सा मौका मिला अपने पापा से बात करने के लिए तो उसने अपने पापा
के कान में आहिस्ते से भुनभुनाते हुए कहा- “हाँ, आप बेहद लकी हो पापा, वो आपके साथ पूरा एक हफ़्ता रहेगी, भाई काम पर चला जाएगा और आरती और आप अकेले इस घर में? इस घर को यह चान्स है शायद कि एक औरत इसमें अकेली रहे, और एक मर्द उसके आस-पास भी, खासकर मर्द अधेड़ और औरत जवान, यह इस घर पर या तो एक आशीर्वाद है या श्राप... पता नहीं?"

पिता ने नेहा को बाहों में जकड़ा और इससे पहले कि कोई नजर आता जल्दी से नेहा की जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसा। फिर नेहा को जवाब दिया- “यह सब तुम्हारे जरिये से हुआ है बेटी, अगर तुमने दोबारा शादी नहीं किया होता तो मुझको कहाँ से ऐसा मौका मिलता?"

फिर नेहा ने अपने पिता से आरती भाभी को अपने साथ खेत विजिट करने के लिए ले जाने को कहा जब वो जाएगा तो।
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अगले सुबह को घर में हलचल मची हुई थी सवेरे-सवेरे, क्योंकी नेहा का बड़ा भाइ घर वापस जा रहा था। जब वो अपनी वाइफ और बेटी के साथ निकल गया तो बाकी के लोगों को कुछ टाइम मिला नाश्ता तैयार करके खाने को। तभी टैक्सी ने बाहर हार्न बजाया, नेहा का पापा निकालने ही वाला था कि वो मैनेजर आया और कहा कि किसी को आने की जरूरत तो नहीं है, क्योंकी वो सब कुछ संभाल सकता है। और अगर किसी चीज की सख़्त जरूरत पड़ी तो वो खुद यहाँ आकर बोल देगा।

नेहा के बाप को नहीं जाना पड़ा। नेहा ने अपने पापा को देखकर स्माइल किया फिर आरती भाभी की ओर देखकर मुश्कुराई और नाश्ता करने लगी।

बाद में जब नेहा और प्रवींद्र अपना समान पैक करने लगे सूटकेस में तो एक बार नेहा अपने पापा के साथ
अकेली गई कमरे में। नेहा को अपनी बाहों में भरके पिता ने कहा- "बहुत एंजाय करोगी बेटी अब तुम, काश मैं भी तुम्हारे साथ जाता और थोड़ा सा वक्त तेरे साथ बिताने को मुझे भी मिलता इस स्पेशल मौके पर..."

नेहा ने कहा- “मेरे जितने खुशकिश्मत तो आप भी हो पापा। मैं अपने हनिमून पर जा रही हूँ पर आपको तो मुफ्त में आरती भाभी मिल गई यहाँ एक हनिमून मानने के लिए, है कि नहीं पापा? हाँ?"

फिर दोनों हँसने लगा।

फिर नेहा ने कहा- “पापा मुझे बहुत उत्तेजना होती है आपके और आरती भाभी को एक साथ सोचकर, बताओ मुझे वो कैसे मिली आपको? वो म न गई पहली बार जब आपने उससे प्रपोज किया तो? कैसे सब गुजरा मुझे बताओ ना... वो मान गई, गुस्सा नहीं किया आपसे उसने, कुछ गड़बड़ नहीं हुआ? पहली बार कहाँ हुई उसके घर या वो आपके यहाँ आई थी? या आप उसके घर गये थे? प्लीज मुझे बताओ ना पहली बार कैसे हुआ आप दोनों के बीच?"

बाप नेहा को बताने जा ही रहा था कि आरती वहाँ आ गई और दोनों को बात करना बंद करना पड़ा।
और आरती ने कहा- “नेहा, मुझे तुमसे बात करनी थी, प्लीज जो कुछ तुमने कल देखा मेरे और तुम्हारे पापा के बीच उसके बारे में कभी किसी को कुछ मत बताना प्लीज...”

नेहा ने अपनी छोटी भाभी को देखते हुए कहा- “क्या? क्या देखा था मैंने? कब? मैंने तो कुछ भी नहीं देखा था भाभी..."

दोनों हँसने लगे और आरती ने नेहा को जोर से हग किया। तो नेहा ने आरती के कान में कहा- “मेरा बूढ़ा पापा बहुत मजबूत है मुझे पता है, जितना हो सके खूब एंजाय करना और मौके का भरपूर फायदा उठना मेरी प्यारी भाभी। तुम लकी हो उसके साथ वक्त बिताने को, किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा आप बेफिकर मजा करना
आरती भाभी। एक हफ़्ता मिला आपको भी हनिमून मानने को सो अधिक से अधिक मजा करना...”

आरती की जान में जान आई और नेहा को और जोर से हग करते हुए कहा- “तुम कितनी अच्छी हो नेहा, हमेशा खुश रहो, लोव यू.” और आरती ने नेहा के गालों पर चुंबन किया।

फिर तकरीबन बारह बजे प्रवींद्र और नेहा घर से निकले अपने हनिमून ट्रिप पर। एक बड़ी सी वेन आयी थी उनको लेने के लिए, सब पहले से प्लान किया हुआ था। जिस होटेल में वह लोग जा रहे थे वहाँ से ट्रांसपोर्ट आया था उन्हें लेने के लिए। उस होटेल से टूर आपरेटर वालों की तरफ से वैन आयी था उनको समंदर के किनारे की एक फाइव स्टार होटेल ले जाने के लिए किसी और स्टेट में। दोनों चले गये।

फिर नेहा के पापा ने आरती की तरफ देखा और वो अपने ससुर की नजरों को अपने आप पर आने का इंतजार ही कर रही थी। वो एक महिन साड़ी में थी और एक बैकलेस ब्लाउज़ पहनी हुई थी जिसकी एक डीप 'वी' कट थी सामने छाती पर। क्लीवेज कितने दिख रहे थे कहने की जरूरत नहीं। और वैसे भी आरती हमेशा बहत सेक्सी ड्रेस ही पहना करती है। वो शहर से जो थी। बूढ़े की नजरें आरती को भूखे शेर की तरह देख रही थी उस वक्त।
और वक्त बर्बाद ना करते हुए उसने आरती को गोद में उठाया और नेहा के घर के गेस्टरूम में ले गया। मगर एक चीज का खयाल नहीं किया दोनों ने।

वो यह कि गैरेज के अंदर से ज्ञान सब देख रहा था और उसने खुद से पूछा- “कौन लोग हैं यह? क्यूँ एक इतनी उमर वाले आदमी ने एक इतनी खूबसूरत जवान लड़की को गोद में उठाकर घर के अंदर ले गया भला?"
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कड़ी_51 नेहा ने प्रवींद्र के साथ हनिमून पर और आरती ने ससुर के साथ मजा किया।
आप सबको याद होगा कि जब नेहा अपने गाँव से वापस चली आई थी तो उसके पापा ने कैसे आरती के घर जाकर उससे रिश्ता जोड़ा था। बहत हाट एनकाउंटर था वो जब आरती बाथरूम से निकली थी उस दिन। और अब इन दोनों ससुर बहू की एक और आक्सन देखेंगे हम। हाँ बेशक यह दोनों उस दिन के बाद काई बार ऐसे मिलते रहे और इनका चक्कर चलता रहा।

सो अभी के लिए ससुर आरती को गोद में उठाकर बेडरूम में ले गया... तो जैसे पहले कहा गया कि उसकी साड़ी बहुत महीन थी और डीप 'वी' कट, स्लीवलेश और बैकलेस ब्लाउज़ थी, पीठ पर बस एक-दो लेस थे ब्लाउज़ को होल्ड करने के लिए। आरती के चूतड़ों के मूवमेंट कमाल की थी जब वो लचकते हुए चलती थी और उसकी साड़ी उसकी जांघों, चूतड़ों और गाण्ड पर जिस तरह से चिपकी हुई थी उन सबको आकार देते हुए, उसकी चूची बस कयामत थी जब वो खड़ी रहती थी तब भी और जब झुकती थी तो बस जन्नत का नजारा होता था समझ लो।

ससुर उसको किस करता गया उसकी जीभ का रस निचोड़ते हए। आरती को बिस्तर पर लेटा दिया था नेहा के पापा ने और खुद उसके ऊपर चढ़ गया था, उसकी एक टांग आरती की टांग पर थी और आरती की बाहें ससुर के कंधे से होकर उसकी पीठ पर फिर रही थी। जबकि बूढ़े के हाथ नेहा के नीचे पीठ पर उसके ब्लाउज़ की लेस को खोलने की कोशिश में लगे हुए थे किस करने के दौरान।

फिर अचानक आरती ने किस को रोकते हुए कहा- “डैड, नेहा ने क्या कहा था हमको एक साथ देखकर कल
आपसे? मैं तो शर्म से लाल हो गई थी और मेरे पशीने छूट गये थे, उसने सब कुछ देख लिया था ना?"

ससुर ने उसको किस करना जारी रखा, उसके गाल पर जीभ फेरते हुए उसके गले तक पहुंचा तब जवाब दिया "तुम नेहा को लेकर बिल्कुल टेन्शन मत लो रानी, वो किसी को कुछ नहीं बताएगी कभी..."

मगर आरती ने जिद किया पूछते हुए कि नेहा ने उसको क्या कहा जब वो बाहर चली गई तो?

नेहा के पापा ने अपनी आरती बहू से कहा- “नेहा एक समझदार लड़की है, वो हम दोनों को समझ गई और मुझसे सिर्फ इतना कहा कि मैं खूब एंजाय कर रहा हूँ.."

आरती ने कहा- “सच? बस इतना ही कहा, वो हमारे लिये इतनी अच्छी क्यों है? उसने मुझको अपने हाथ में आपका लण्ड थामे हुए देखा था, अपने बाप के लण्ड को उसकी बह के हाथ में देखा और आपका हाथ मेरी जांघों पर था और नेहा ने आपसे सिर्फ ये कहा कि आप एंजाय कर रहे हो?"

आरती बोलती गई- “कमाल की लड़की है नेहा भी, इतना कुछ देखा और कुछ नहीं कहा उसने, तब तो वो भी आपको खुश कर सकती है। अगर ऐसा हुआ कि नेहा ने आपको अपने बिस्तर पर लिया तो मुझे जरूर बताना ओके? आपकी अपनी बेटी आपके बिस्तर पर होगी तो आप खुश होंगे। ऐसा हुआ तो बोलो?" नेहा के पापा का मन कर रहा था कि वो आरती को अपने और नेहा के बारे में सब कुछ बता दे।

मगर उसको डर था कि कहीं जलन के कारण आरती ने किसी को बता दिया तो क्या होगा, तो उसने आरती से कहा- “मैंने इस बारे में कभी नहीं सोचा और मेरे खयाल से वैसा कभी नहीं होगा.."

पर तब तक आरती ने उसका लण्ड सहलाते हुए कहा- “मगर डैड, ऐसा हो सकता है, यह मुमकिन हो सकता है, उसने हम दोनों को देख लिया, तो उसको मालूम है कि हम क्या करते हैं, तो वो समझती है। तो आप क्यूँ नहीं उसको ट्राइ करते हो? फिर एक दिन हम तीनों एक थ्री-सम कर पाएंगे..."

तो नेहा के पापा उस आइडिया से बहुत खुश हये। तो उसने कहा- “ठीक है, वो नेहा को ट्राइ करेगा..." हकीकत में उसके लिए सब अब बहुत आसान हो गया क्योंकी आरती थ्री-सम चाहती है और नेहा को सब पता है तो सब बहुत आसानी से हो जाएगा उसने सोचा। उसको नेहा से सिर्फ इतना कहना है कि उसकी आरती भाभी उसके साथ सब करना चाहती है। यह सब सोचते हुए बूढा जवान हो गया और जोश में आकर आरती के कपड़े नोचने लगा उसके जिश्म से। साड़ी जल्दी से निकल गई और उसकी ब्लाउज़ भी उतर गई और आरती की
चूचियां ससुर के मुँह में आ गईं।

आरती उसकी बाहों में थी और उसकी चूचियां ससुर के मुँह में, जबकि आरती अपने जिश्म को सीधा करते हुए अपने सर को पीछे कर रही थी। उस आक्सन से उसकी चूचियां और भी ज्यादा ससुर के लिए हाजिर थीं। और उस वक्त अपने हाथों से आरती अपने ससुर की पैंट उतार रही थी। फिर कुछ देर बाद ससुर की शर्ट भी निकाल दिया आरती ने। और दोनों नेहा के बिस्तर पर नंगे हो गये बिल्कुल। ससुर ने आरती की चूची के साइड पर किस किया फिर जीभ फेरा और उसकी कांखों को जबरदस्त चाटने लगा, आरती की कांखें क्लीन शेवन थी, बिल्कुल सफाचट।
 
उसके पशीने की नमकीन लजाजत ससुर के जीभ में, उसको आकर्षित करती जा रही थी। जबकि आरती कसमसा रही थी, उस दौरान ससुर का लण्ड आरती के पेट पर रगड़ रहा था और धीरे-धीरे चूत की राह पा लिया लण्ड ने।

आरती ने सिसकते हुए जिश्म में उठती सिहरन के साथ अपने ससुर को बाहों में जोर से जकड़ा एक तड़पती आहह... के साथ और अपने ससुर की जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

मगर ससुर ने लण्ड को चूत में नहीं डाला बल्की उसको आरती के मुँह तक ले गया और एक प्यासे की तरह आरती ने उसके लण्ड को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, खुशी से एंजाय करते हुए और ससुर के चेहरे में हर बार देखते हुए। ससुर गुर्राया, उसका जिश्म काँपा, और उसकी आवाज ऐसे निकली- “ओह्ह... आह्ह... हाँ, ऐसे ही... हाँ और अंदर लो अपने मुँह में और अंदर लो इसे आरती... वाह... बहुत मजा आ रहा है... और अंदर अपने गले की गहराई तक जाने दो लण्ड को आरती.. इस्स्स्स ... आघघग.."

आरती अपने ससुर के चेहरे में देखते हुए उसको उस चुसाई की खुशी देने लगी, अपने गले की गहराई तक उसके लण्ड को लेते हुए। और कोई 10 मिनट की चुसाई के बाद आरती ने कुछ नखरे करते हुए नटखट आवाज में । कहा- “हम्म्... अब बस मेरा मुँह दुखने लगा, आपका बहुत बड़ा है। आपके बेटे वाले से ज्यादा बड़ा है आपका.."

ससुर मुश्कुराया और अपनी छोटी बहू की तारीफ से खुश हुआ। और फिर ससुर अपनी पीठ पर लेट गया और आरती को अपने ऊपर लिया। आरती लंबी अपने ससुर के जिश्म पर लेटी और आरती ने अपने हाथ से उसके लण्ड को खुद अपनी चूत के अंदर किया, अपनी दोनों टांगों को फैलाते हुए। उसकी सिसकारी निकल पड़ी जब लण्ड उसके अंदर घसा तो, फिर आरती बिल्कल बैठ गई ससर के लण्ड पर जैसे एक घोड़े पर बैठी हो और खद अपनी गाण्ड उछालने लगी लण्ड को अपने चूत के अंदर लिए हुए।

इस बार ससुर सिर्फ लेटा हुआ था और आरती सब कुछ कर रही थी। वो आरती की चूचियों को झूलते हुए देख रहा था आरती के उछलने पर।

जब आरती लण्ड का मजा लेने के लिए खुद ऊपर-नीचे उठक बैठक कर रही थी तो उसकी चूचियां जिस तरह से लटकती झूल रही थीं उसको देखकर ससुर को बड़ा मजा आ रहा था। ससुर ने अपने हाथों से दोनों चूचियों को मसलना शुरू किया और आरती ने गर्दन पीछे की तरफ कर दिया तड़पती आवाज में। फिर ससुर भी अपनी कमर हिलाने लगा लण्ड को उसकी चूत की ज्यादा गहराई में ठूसते हुए।

फिर आरती उसके लण्ड को चूत में लिए अपनी गाण्ड को गोल-गोल घुमाने लगी ससुर पर बैठकर, बड़ी मस्त अंदाज से आरती वैसा किए जा रही थी चुदाई का मजा लेते हुए जिससे ससुर बहुत खुश हुआ। फिर कुछ पल बाद आरती झुक कर अपने ससुर की छाती पर अपनी चूचियां दबाते हुए उसके गले को चाटना शुरू किया, लण्ड तब भी उसके अंदर ही था।

अपने ससुर की छाती के बालों को अपनी चूचियों पर महसूस कर रही थी अपने चूचियां रगड़ते हुए, और कमर लगातार हिलाती जा रही थी साथ-साथ। मतलब उपर छाती पर छाती रगड़ रही थी, नीचे कमर से कमर, चूत में लण्ड, आरती तड़प रही थी, कराहती जा रही थी, सिसकती जा रही थी और लगता था कि अब उसकी आगजम करीब थी और ससुर भी जैसे झड़ने वाला था। तो ससुर ने अपने टोस पर खड़े होते हुए आरती के चूतड़ों को । अपनी जांघों के ऊपर उठाया, और अपनी कमर जोरों से हिलाते हुए अपने लण्ड की रफ़्तार को बढ़ाया जो तेजी के साथ आरती के अंदर आने जाने लगा।

तो आरती की जिश्म में एक कंपन सी उठी और और वो चिल्लाई- “हाँ डैड हाँन्न आई आम कम्मिंग, हाँ... ऊओह्ह... आआहह.. हम्म्म म... अयाया..."

ससुर का भी काम हो गया और जल्दी से उसने आरती को अपने नीचे घुमाया, और अपने लण्ड को बाहर खींचकर अपने वीर्य की पिचकारी आरती की चूचियां पर मारा जिसको आरती ने अपनी उंगली में लेकर चाटा। फिर दोनों बिस्तर पर थके हुए हाँफते हुये लेट गये। बिस्तर का बुरा हाल था उस वक्त।

ज्ञान सर खपा रहा था कि घर में कौन था, जबकि नेहा एक हफ्ते के लिए बाहर गई हुई है तो। हाँ ज्ञान को पता था कि हनिमून के लिए नेहा एक हफ्ते के लिए बाहर गई है अपने पति के साथ। ज्ञान बहत उत्तेजित हआ जब उसने एक अधेड़ आदमी को एक गरम जवान लड़की को अपनी बाहों में उठाकर अंदर ले जाते हए देखा। उसको पक्का यकीन था कि वो बूढ़ा उस जवान लड़की को चोदने जा रहा था और ज्ञान ने सोचा कि उसको भी उसका हिस्सा जरूर मिलना चाहिए उस गरम जवान लड़की से।

अब क्योंकी ज्ञान नेहा के घर और आँगन से अच्छी तरह से वाकिफ था, हर कोने-कोने का पता था ज्ञान को। तो जब नेहा के पापा आरती को बाहों में उठाकर अंदर ले गया था तो तुरंत ज्ञान आँगन में घुसा था उन लोगों के दरवाजा बंद करने के बाद। वो पानी भरने के बहाने अंदर गया था और कुछ देर बाद घर के पिछवाड़े चलकर गया था, नेहा के कमरे तक और बाहर की खिड़की के पास झुक कर सुनने की कोशिश किया था और उसको सब कुछ सुनाई दिया था, जिससे उसको सब कुछ पता चल गया।

ज्ञान को सब समझ में आ गया कि ससुर बहू को चोद रहा था, क्योंकी उसको पता चल चुका था शादी में कि वो लड़की नेहा की छोटी भाभी है और इनकी बातों से अभी ज्ञान की समझ में आ गया कि बूढ़ा नेहा का पापा है। ज्ञान को बड़ी खुशी हुई कि उसको एक और गरम जवान लड़की मिल रही है चोदने को, मगर उसको अब बूढ़े के घर से निकलने का इंतेजार था।

उधर फाइव स्टार होटेल में नेहा और प्रवींद्र का राजाओं की तरह स्वागत किया गया। रिसेप्शन पर सभी मों की नजरें नेहा पर गड़ी हुई थीं। वो एक फ्लिमसी साड़ी में थी, और उसकी ब्लाउज़ बस एक ब्रा की जैसी थी जिसमें उसकी पूरी क्लीवेज दिख रही थी। वो कुछ ऐसी दिख रही थी कि हर कोई नेहा को अपने दिमाग में अपनी फैंटेसी केरूप में सोच सकता है, जरूरी नहीं कि इस पिक्चर में जो है उसकी तरह दिखे। इस पिक्चर में बस उसकी साड़ी और ब्लाउज़ को देखिए। नेहा ने वेसा ही पहना था और होटेल के सभी लोग वही देख रहे थे।

सबकी नजरें उसी पर थी रिसेप्शन में खासकर उसकी क्लीवेज पर। लोग उसको इस तरह से घूर रहे थे जैसे इस तश्वीर में लोग देख रहे हैं।

एक बुजर्ग आदमी था जिसने नेहा को उसके कमरे तक ले गया, और वो ऐसे नेहा के बगल में चलकर गया जब प्रवींद्र पीछे आ रहा था।
 
:heart: :heart: bahut mast nayika hai Neha Kya mast chuddakar hai kisi ko Mana nahi karti sabko khul kar bur deti hai bhagwan aisi beti aur bahu sab ko de bahut hi mast Kahani hai padh kar mujhe kaise budge ka bhi Lund ulti kar diya
 
:heart: [font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]बाप ने भी 'आआघ्गघह' करते हुए अपने सारे पानी को अपनी बेटी की चूत की गहराई में छोड़ा।[/font] :heart:
Ahhh bahut hi mast kahani hai ohh bhagwan aisi beti sabko de Mai hota to apni beti ki bur se apne hi Lund ka Pani chus leta aur pesab bhi pita mast mast
 
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