hotaks444
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रानी ने लौड़ा मुँह से निकाल दिया और हाथ से मुठ्ठ मारने लगी।
रानी- उफ्फ.. तेरा लौड़ा तो बहुत पक्का है.. झड़ता ही नहीं.. मुँह दुखने लगा मेरा तो..
जेम्स- अरे रानी इसे चूत में झड़ने की आदत है.. तू है कि चुदवाने को मानती नहीं।
रानी- बस बस.. आगे मत जा.. मेरे मुँह को थोड़ा आराम दे दे.. दोबारा चूस लूँगी.. तू आगे सुना.. निधि को पटाया कैसे?
जेम्स- अरे पटाना क्या था.. वो तो आई इसी लिए थी.. कमरे में आते ही कहने लगी कि अब अपना गन्ना दिखाओ.. मुझे उसको चूसना है।
रानी- ऐसे नहीं.. पहले की तरह आराम से सब बता.. जैसा हुआ था।
जेम्स- अच्छा मेरी रानी.. ठीक है.. वैसे ही बताता हूँ। तू अपना हाथ मत रोक और बीच-बीच में थोड़ा चूस भी ले.. ताकि मुझे भी बराबर मज़ा मिलता रहे.. समझी..
रानी- हाँ ठीक है.. मगर मुझे सब विस्तार से बताओ।
जेम्स ने जो हुआ वैसे ही बताना शुरू कर दिया।
कमरे में आते ही निधि ने कहा- अब मुझे गन्ना दिखाओ.. कहाँ है.. मुझे उसको चूसना है।
जेम्स- अरे दिखा दूँगा.. मगर पहले अपने कपड़े तो निकालो।
निधि- मुझे शर्म आती है.. पहले तुम अपने निकालो।
उसकी बात सुनकर मुझे अच्छा लगा मैंने अंडरवियर के अलावा सब कपड़े निकाल दिए। उसकी नज़र मेरे लौड़े के उभार पर टिक गई.. जो अभी आधा ही खड़ा था।
जेम्स- ले मैंने तो निकाल दिए.. अब तेरी बारी है.. चल निकाल..
निधि- तुम अपनी आँख बन्द करो.. तब निकालूँगी मैं.. अपने कपड़े..
जेम्स- अच्छा लो कर ली आँख बन्द.. अब जल्दी करो.. नहीं तो गन्ना नहीं दूँगा..
जेम्स के आँख बन्द करते ही निधि ने अपने कपड़े निकाल दिए ब्रा वो पहनती नहीं थी.. उसने अपने जिस्म पर बस चड्डी बाकी रखी..
जब जेम्स ने आँख खोली तो निधि को देख कर उसकी वासना जाग गई। लंड चड्डी में अकड़ने लगा.. क्योंकि निधि के छोटे-छोटे नीबू किसी टेनिस बॉल की तरह उसके सामने थे और चड्डी में छुपी उसकी चूत का उभार साफ नज़र आ रहा था।
जेम्स- अरे वाह.. तू तो बहुत सुन्दर है.. ये चड्डी क्यों नहीं निकाली?
निधि- तुमने भी तो नहीं निकाली ना..
जेम्स- अरे पगली.. इसमे. एक जादू छुपा है.. जो तुम्हें बाद में दिखाऊँगा.. तू पहले अपनी चड्डी निकाल। देख हम खेल शुरू करते हैं बड़ा मज़ा आएगा..
निधि बेचारी कहाँ जानती थी कि आज उसके साथ क्या होने वाला है। उसने अपनी चड्डी भी निकाल दी, अब उसकी बिना झांटों की फूली हुई चूत जेम्स के सामने आज़ाद थी।
जेम्स- देख निधि तू यहाँ लेट जा.. मैं तुझे ऐसा मज़ा दूँगा कि तू मुझे हमेशा याद करेगी।
निधि- ठीक है.. मगर मुझे अब तक गन्ना नहीं दिखाया।
जेम्स- अरे उसका समय नहीं आया अभी.. पहले तुझे स्वर्ग तो दिखा दूँ.. उसके बाद गन्ना भी देख लेना।
निधि कुछ नहीं समझी और चुपचाप लेट गई। अब बारी जेम्स की थी.. वो उस कमसिन कली के ऊपर चढ़ गया। उसके पतले होंठों को चूसने लगा.. उसके छोटे-छोटे अनारों को सहलाने लगा। कभी उसके एक मम्मे को मुँह में लेकर चूसता.. कभी दबाता.. इस सारे खेल में निधि बस सिसकारियाँ लेती रही।
अब जवानी जब उफान पर हो.. तो ऐसी हरकतें मज़ा देती ही हैं तो निधि भी मज़ा लूट रही थी।
निधि- आह.. ससस्स.. जेम्स उफ़फ्फ़ गुदगुदी हो रही.. आह.. लेकिन आह्ह.. बड़ा मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. ऐसे ही करते रहो आह्ह.. ये खेल तो बड़ा मजेदार है.. आह्ह.. आह्ह..
जेम्स कहाँ कुछ बोलने वाला था वो तो नशे में खो गया था.. जैसे कच्ची शराब आदमी के होश उड़ा देती है.. वैसे ही कच्ची कली भी आदमी को वहशी बना देती है.. वो अपना मानसिक संतुलन खो देता है।
जेम्स भी पागल हो गया था। अब वो निधि के दोनों मम्मों को बुरी तरह चूसने और दबाने लग गया था.. जिससे निधि को थोड़ी तकलीफ़ होने लगी थी।
निधि- आह्ह.. जेम्स उफ्फ.. दुख़ता है.. आह्ह.. आराम से दबाओ ना.. आह्ह.. उई..
जेम्स अब उसकी नाभि पर जीभ फिराने लगा और उंगली से उसकी चूत को रगड़ने लगा। वो तो हवा में उड़ने लगी.. उसको बड़ा मज़ा आने लगा। मगर जब जेम्स ने अपने होंठ उसकी सुलगती चूत पर रखे.. तो वो सिहर गई और जल्दी से उठ कर बैठ गई..
निधि- सस्स.. आह्ह.. जेम्स ये क्या कर रहे हो.. ये गंदी जगह है.. यहाँ से सूसू लगता है.. यहाँ मत करो.. अहह..
जेम्स- अरे मेरी कच्ची कली.. तुझे क्या पता.. यही तो वो जगह है.. जहाँ से अमृत निकलता है.. तू चुप करके देख.. मज़ा आता है या नहीं.. बाद में कुछ बोलना.. सही बता मैंने यहाँ चूमा तो मज़ा आया ना?
निधि के गाल शर्म से लाल हो गए थे। उसने धीरे से ‘हाँ’ में गर्दन हिलाई।
जेम्स- ये हुई ना बात.. चल लेट जा अब तेरी फुद्दी को चाट कर तुझे मज़ा देता हूँ।
जेम्स निधि की चूत के होंठों को मुँह में दबा कर चूसने लगा.. साथ ही उसकी जाँघों को मसलने लगा।
निधि- आह्ह.. सस्सस्स अईह्ह.. जेम्स आह.. ये खेल तो आह्ह.. बहुत मजेदार है.. आह्ह.. उफ़फ्फ़ मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. ज़ोर से करो ना.. आह्ह.. ससस्स करते रहो..
निधि नादान थी.. मगर चूत की चटाई उसको उत्तेजित कर रही थी.. उसकी वासना बढ़ने लगी थी। इधर जेम्स भी पूरा चाटू था.. वो चूत को हर तरीके से चूस और चाट रहा था..
कुछ देर तक ही ये खेल चला.. क्योंकि ऐसी ज़बरदस्त चुसाई से निधि अपना संतुलन खो बैठी।
निधि- आह्ह.. आईईइ.. ससस्स.. जेम्स हटो आह्ह.. मेरा ज़ोर से आह्ह.. सूसू आ रहा है.. आह्ह.. नहीं.. उफ़फ्फ़.. हटो.. नहीं तो तुम्हारे मुँह में कर दूँगी.. आह्ह.. अईह्ह…
कुछ पल के लिए जेम्स ने अपना मुँह हटाया और उंगली से चूत के दाने को रगड़ता हुआ बोला।
जेम्स- मेरी रानी ये सूसू नहीं.. अमृत है.. आने दे.. कर दे.. तू बस अपना जिस्म ढीला छोड़ दे.. देख कैसा मज़ा आता है।
इतना कहकर वो दोबारा चूत को होंठों में लेकर चूसने लगा। यही वो पल था कि एक अनछुई कली पहली बार ओर्गसम पर थी.. उसका रस चूत को चीरता हुआ बाहर आने को बेताब था। उसकी साँसें फूलने लगी थीं..
निधि सर को इधर-उधर पटकने लगी थी। चारपाई की रस्सी को उसने ज़ोर से पकड़ लिया था। मानो उसके जिस्म का सारा खून तेज़ी से चूत के रास्ते निकल रहा हो.. वो ऐसा महसूस कर रही थी।
वो झड़ने लगी और जेम्स उसे आइसक्रीम की तरह चाटने लगा।
काफ़ी देर तक चूत को चाटने के बाद जेम्स सीधा हुआ, तब तक निधि भी बेहाल सी हो गई थी, वो लंबी-लंबी साँसें ले रही थी.. उसके मासूम चेहरे पर जो मुस्कान उस वक़्त थी.. वो देखने काबिल थी। जेम्स उसको देखता ही रह गया..
निधि- ऐसे क्या देख रहे हो.. मुझे शर्म आती है..
जेम्स- अच्छा.. अभी फुद्दी चटवाने के समय तो बहुत चिल्ला रही थीं.. ज़ोर से चाटो.. मज़ा आ रहा है.. अब कैसी शर्म आ रही है..
निधि- मैं ऐसे बिना कपड़ों के तेरे सामने हूँ ना.. इसलिए.. और तू बड़ा गंदा है मेरा सारा सूसू पी गया..
जेम्स- अरे पगली.. मैंने कहा ना.. वो सूसू नहीं रस था। अब तू देख अगर सूसू होता तो ये चारपाई पर थोड़ा तो गिरता.. वो तो बस थोड़ा सा निकलता है.. इसे फुद्दी रस कहते हैं।
निधि बैठ गई और चारों तरफ़ देखने लगी.. सच में वहाँ कुछ नहीं था.. वो हैरान हो गई।
निधि- अरे सच्ची.. कुछ नहीं है.. मगर ये रस पहले कभी क्यों नहीं निकला मेरी फुद्दी से?
जेम्स- ये अपने आप नहीं निकलता.. इसे निकालना पड़ता है.. जैसे मैंने आज निकाला है.. समझी..
निधि- हाँ समझ गई.. तभी भाभी को मज़ा आता है.. वो छुप कर आपसे रस निकलवाने आती हैं मगर उस दिन आप भाभी के ऊपर लेटे हुए हिल रहे थे.. वो कौन सा खेल है।
जेम्स- वो रस निकालने का दूसरा तरीका है.. जो फुद्दी में गन्ना घुसा कर निकाला जाता है..
निधि- अच्छा… कैसे कैसे.. मुझे बताओ ना.. और ये गन्ना है कहाँ.. कब से बस बोल रहे हो.. दिखाते ही नहीं हो..
जेम्स- अब समय आ गया है मेरी रानी.. चल अपनी आँख बन्द कर और खोलना मत.. ये भी एक खेल है.. बहुत मज़ा आएगा..
निधि ने बात मान ली और आँख बन्द करके बैठ गई। बस फिर क्या था जेम्स ने अपना विकराल लंड बाहर निकाल लिया.. जो बहुत अकड़ा हुआ था और टोपे पर वीर्य की बूंदें चमक रही थीं।
जेम्स- निधि देखो.. आँख मत खोलना.. मैं गन्ना तेरे मुँह के पास ला रहा हूँ.. बस जीभ से चाट कर मज़ा लेना.. ठीक है ना..
निधि- हाँ ठीक है.. लाओ जल्दी से..
जेम्स ने लौड़ा निधि के होंठों के करीब कर दिया.. वो अपनी जीभ से टोपी को चाटने लगी। जब वीर्य उसकी जीभ पर लगा तो उसको अजीब सा सवाद मिला और उसने आँखें खोल दीं।
निधि- हे भगवान.. ये क्या है.. छी: छी: जेम्स तुम मुझे अपनी नूनी चाटने को कह रहे थे..
जेम्स- हा हा हा.. अरे निधि.. ये नूनी नहीं.. लंड है.. इसमें छी: की क्या बात.. मैंने भी तो तुम्हारी फुद्दी चाटी है ना.. वैसे तुम भी इसे गन्ना समझ कर चूसो.. बहुत मज़ा आएगा..
निधि- नहीं नहीं.. गन्ना तो मीठा होता है मगर इसका सवाद तो अजीब सा है। कुछ समझ नहीं आ रहा..
जेम्स- अरे तू चूस कर तो देख.. मज़ा आएगा और उसके बाद मैं दोबारा तेरी फुद्दी चाटूँगा। अबकी बार पहले से ज़्यादा मज़ा आएगा तुझे..
निधि ने बेमन से सुपारे को जीभ से चाटना शुरू किया.. धीरे-धीरे उसको मज़ा आने लगा..
जेम्स- आह्ह.. अब आया ना मज़ा.. ले चूस.. पूरा मुँह में ले.. आह्ह.. चूस..
निधि के छोटे से मुँह में लौड़ा जा नहीं रहा था.. मगर उसने कोशिश करके सुपारा पूरा मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
निधि को अब लौड़े का रस अच्छा लगने लगा था.. वो मज़े से लौड़ा चूस रही थी और जेम्स की वासना बढ़ती जा रही थी.. वो अब रुकना नहीं चाहता था।
जेम्स- आह्ह.. चूस मेरी रानी.. आह्ह.. चूस.. आज तेरी फुद्दी का महूरत करूँगा.. इसको इतना चिकना कर दे कि बस तेरी फुद्दी को चीरता हुआ अन्दर गहराई तक आराम से घुस जाए..
रानी- उफ्फ.. तेरा लौड़ा तो बहुत पक्का है.. झड़ता ही नहीं.. मुँह दुखने लगा मेरा तो..
जेम्स- अरे रानी इसे चूत में झड़ने की आदत है.. तू है कि चुदवाने को मानती नहीं।
रानी- बस बस.. आगे मत जा.. मेरे मुँह को थोड़ा आराम दे दे.. दोबारा चूस लूँगी.. तू आगे सुना.. निधि को पटाया कैसे?
जेम्स- अरे पटाना क्या था.. वो तो आई इसी लिए थी.. कमरे में आते ही कहने लगी कि अब अपना गन्ना दिखाओ.. मुझे उसको चूसना है।
रानी- ऐसे नहीं.. पहले की तरह आराम से सब बता.. जैसा हुआ था।
जेम्स- अच्छा मेरी रानी.. ठीक है.. वैसे ही बताता हूँ। तू अपना हाथ मत रोक और बीच-बीच में थोड़ा चूस भी ले.. ताकि मुझे भी बराबर मज़ा मिलता रहे.. समझी..
रानी- हाँ ठीक है.. मगर मुझे सब विस्तार से बताओ।
जेम्स ने जो हुआ वैसे ही बताना शुरू कर दिया।
कमरे में आते ही निधि ने कहा- अब मुझे गन्ना दिखाओ.. कहाँ है.. मुझे उसको चूसना है।
जेम्स- अरे दिखा दूँगा.. मगर पहले अपने कपड़े तो निकालो।
निधि- मुझे शर्म आती है.. पहले तुम अपने निकालो।
उसकी बात सुनकर मुझे अच्छा लगा मैंने अंडरवियर के अलावा सब कपड़े निकाल दिए। उसकी नज़र मेरे लौड़े के उभार पर टिक गई.. जो अभी आधा ही खड़ा था।
जेम्स- ले मैंने तो निकाल दिए.. अब तेरी बारी है.. चल निकाल..
निधि- तुम अपनी आँख बन्द करो.. तब निकालूँगी मैं.. अपने कपड़े..
जेम्स- अच्छा लो कर ली आँख बन्द.. अब जल्दी करो.. नहीं तो गन्ना नहीं दूँगा..
जेम्स के आँख बन्द करते ही निधि ने अपने कपड़े निकाल दिए ब्रा वो पहनती नहीं थी.. उसने अपने जिस्म पर बस चड्डी बाकी रखी..
जब जेम्स ने आँख खोली तो निधि को देख कर उसकी वासना जाग गई। लंड चड्डी में अकड़ने लगा.. क्योंकि निधि के छोटे-छोटे नीबू किसी टेनिस बॉल की तरह उसके सामने थे और चड्डी में छुपी उसकी चूत का उभार साफ नज़र आ रहा था।
जेम्स- अरे वाह.. तू तो बहुत सुन्दर है.. ये चड्डी क्यों नहीं निकाली?
निधि- तुमने भी तो नहीं निकाली ना..
जेम्स- अरे पगली.. इसमे. एक जादू छुपा है.. जो तुम्हें बाद में दिखाऊँगा.. तू पहले अपनी चड्डी निकाल। देख हम खेल शुरू करते हैं बड़ा मज़ा आएगा..
निधि बेचारी कहाँ जानती थी कि आज उसके साथ क्या होने वाला है। उसने अपनी चड्डी भी निकाल दी, अब उसकी बिना झांटों की फूली हुई चूत जेम्स के सामने आज़ाद थी।
जेम्स- देख निधि तू यहाँ लेट जा.. मैं तुझे ऐसा मज़ा दूँगा कि तू मुझे हमेशा याद करेगी।
निधि- ठीक है.. मगर मुझे अब तक गन्ना नहीं दिखाया।
जेम्स- अरे उसका समय नहीं आया अभी.. पहले तुझे स्वर्ग तो दिखा दूँ.. उसके बाद गन्ना भी देख लेना।
निधि कुछ नहीं समझी और चुपचाप लेट गई। अब बारी जेम्स की थी.. वो उस कमसिन कली के ऊपर चढ़ गया। उसके पतले होंठों को चूसने लगा.. उसके छोटे-छोटे अनारों को सहलाने लगा। कभी उसके एक मम्मे को मुँह में लेकर चूसता.. कभी दबाता.. इस सारे खेल में निधि बस सिसकारियाँ लेती रही।
अब जवानी जब उफान पर हो.. तो ऐसी हरकतें मज़ा देती ही हैं तो निधि भी मज़ा लूट रही थी।
निधि- आह.. ससस्स.. जेम्स उफ़फ्फ़ गुदगुदी हो रही.. आह.. लेकिन आह्ह.. बड़ा मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. ऐसे ही करते रहो आह्ह.. ये खेल तो बड़ा मजेदार है.. आह्ह.. आह्ह..
जेम्स कहाँ कुछ बोलने वाला था वो तो नशे में खो गया था.. जैसे कच्ची शराब आदमी के होश उड़ा देती है.. वैसे ही कच्ची कली भी आदमी को वहशी बना देती है.. वो अपना मानसिक संतुलन खो देता है।
जेम्स भी पागल हो गया था। अब वो निधि के दोनों मम्मों को बुरी तरह चूसने और दबाने लग गया था.. जिससे निधि को थोड़ी तकलीफ़ होने लगी थी।
निधि- आह्ह.. जेम्स उफ्फ.. दुख़ता है.. आह्ह.. आराम से दबाओ ना.. आह्ह.. उई..
जेम्स अब उसकी नाभि पर जीभ फिराने लगा और उंगली से उसकी चूत को रगड़ने लगा। वो तो हवा में उड़ने लगी.. उसको बड़ा मज़ा आने लगा। मगर जब जेम्स ने अपने होंठ उसकी सुलगती चूत पर रखे.. तो वो सिहर गई और जल्दी से उठ कर बैठ गई..
निधि- सस्स.. आह्ह.. जेम्स ये क्या कर रहे हो.. ये गंदी जगह है.. यहाँ से सूसू लगता है.. यहाँ मत करो.. अहह..
जेम्स- अरे मेरी कच्ची कली.. तुझे क्या पता.. यही तो वो जगह है.. जहाँ से अमृत निकलता है.. तू चुप करके देख.. मज़ा आता है या नहीं.. बाद में कुछ बोलना.. सही बता मैंने यहाँ चूमा तो मज़ा आया ना?
निधि के गाल शर्म से लाल हो गए थे। उसने धीरे से ‘हाँ’ में गर्दन हिलाई।
जेम्स- ये हुई ना बात.. चल लेट जा अब तेरी फुद्दी को चाट कर तुझे मज़ा देता हूँ।
जेम्स निधि की चूत के होंठों को मुँह में दबा कर चूसने लगा.. साथ ही उसकी जाँघों को मसलने लगा।
निधि- आह्ह.. सस्सस्स अईह्ह.. जेम्स आह.. ये खेल तो आह्ह.. बहुत मजेदार है.. आह्ह.. उफ़फ्फ़ मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. ज़ोर से करो ना.. आह्ह.. ससस्स करते रहो..
निधि नादान थी.. मगर चूत की चटाई उसको उत्तेजित कर रही थी.. उसकी वासना बढ़ने लगी थी। इधर जेम्स भी पूरा चाटू था.. वो चूत को हर तरीके से चूस और चाट रहा था..
कुछ देर तक ही ये खेल चला.. क्योंकि ऐसी ज़बरदस्त चुसाई से निधि अपना संतुलन खो बैठी।
निधि- आह्ह.. आईईइ.. ससस्स.. जेम्स हटो आह्ह.. मेरा ज़ोर से आह्ह.. सूसू आ रहा है.. आह्ह.. नहीं.. उफ़फ्फ़.. हटो.. नहीं तो तुम्हारे मुँह में कर दूँगी.. आह्ह.. अईह्ह…
कुछ पल के लिए जेम्स ने अपना मुँह हटाया और उंगली से चूत के दाने को रगड़ता हुआ बोला।
जेम्स- मेरी रानी ये सूसू नहीं.. अमृत है.. आने दे.. कर दे.. तू बस अपना जिस्म ढीला छोड़ दे.. देख कैसा मज़ा आता है।
इतना कहकर वो दोबारा चूत को होंठों में लेकर चूसने लगा। यही वो पल था कि एक अनछुई कली पहली बार ओर्गसम पर थी.. उसका रस चूत को चीरता हुआ बाहर आने को बेताब था। उसकी साँसें फूलने लगी थीं..
निधि सर को इधर-उधर पटकने लगी थी। चारपाई की रस्सी को उसने ज़ोर से पकड़ लिया था। मानो उसके जिस्म का सारा खून तेज़ी से चूत के रास्ते निकल रहा हो.. वो ऐसा महसूस कर रही थी।
वो झड़ने लगी और जेम्स उसे आइसक्रीम की तरह चाटने लगा।
काफ़ी देर तक चूत को चाटने के बाद जेम्स सीधा हुआ, तब तक निधि भी बेहाल सी हो गई थी, वो लंबी-लंबी साँसें ले रही थी.. उसके मासूम चेहरे पर जो मुस्कान उस वक़्त थी.. वो देखने काबिल थी। जेम्स उसको देखता ही रह गया..
निधि- ऐसे क्या देख रहे हो.. मुझे शर्म आती है..
जेम्स- अच्छा.. अभी फुद्दी चटवाने के समय तो बहुत चिल्ला रही थीं.. ज़ोर से चाटो.. मज़ा आ रहा है.. अब कैसी शर्म आ रही है..
निधि- मैं ऐसे बिना कपड़ों के तेरे सामने हूँ ना.. इसलिए.. और तू बड़ा गंदा है मेरा सारा सूसू पी गया..
जेम्स- अरे पगली.. मैंने कहा ना.. वो सूसू नहीं रस था। अब तू देख अगर सूसू होता तो ये चारपाई पर थोड़ा तो गिरता.. वो तो बस थोड़ा सा निकलता है.. इसे फुद्दी रस कहते हैं।
निधि बैठ गई और चारों तरफ़ देखने लगी.. सच में वहाँ कुछ नहीं था.. वो हैरान हो गई।
निधि- अरे सच्ची.. कुछ नहीं है.. मगर ये रस पहले कभी क्यों नहीं निकला मेरी फुद्दी से?
जेम्स- ये अपने आप नहीं निकलता.. इसे निकालना पड़ता है.. जैसे मैंने आज निकाला है.. समझी..
निधि- हाँ समझ गई.. तभी भाभी को मज़ा आता है.. वो छुप कर आपसे रस निकलवाने आती हैं मगर उस दिन आप भाभी के ऊपर लेटे हुए हिल रहे थे.. वो कौन सा खेल है।
जेम्स- वो रस निकालने का दूसरा तरीका है.. जो फुद्दी में गन्ना घुसा कर निकाला जाता है..
निधि- अच्छा… कैसे कैसे.. मुझे बताओ ना.. और ये गन्ना है कहाँ.. कब से बस बोल रहे हो.. दिखाते ही नहीं हो..
जेम्स- अब समय आ गया है मेरी रानी.. चल अपनी आँख बन्द कर और खोलना मत.. ये भी एक खेल है.. बहुत मज़ा आएगा..
निधि ने बात मान ली और आँख बन्द करके बैठ गई। बस फिर क्या था जेम्स ने अपना विकराल लंड बाहर निकाल लिया.. जो बहुत अकड़ा हुआ था और टोपे पर वीर्य की बूंदें चमक रही थीं।
जेम्स- निधि देखो.. आँख मत खोलना.. मैं गन्ना तेरे मुँह के पास ला रहा हूँ.. बस जीभ से चाट कर मज़ा लेना.. ठीक है ना..
निधि- हाँ ठीक है.. लाओ जल्दी से..
जेम्स ने लौड़ा निधि के होंठों के करीब कर दिया.. वो अपनी जीभ से टोपी को चाटने लगी। जब वीर्य उसकी जीभ पर लगा तो उसको अजीब सा सवाद मिला और उसने आँखें खोल दीं।
निधि- हे भगवान.. ये क्या है.. छी: छी: जेम्स तुम मुझे अपनी नूनी चाटने को कह रहे थे..
जेम्स- हा हा हा.. अरे निधि.. ये नूनी नहीं.. लंड है.. इसमें छी: की क्या बात.. मैंने भी तो तुम्हारी फुद्दी चाटी है ना.. वैसे तुम भी इसे गन्ना समझ कर चूसो.. बहुत मज़ा आएगा..
निधि- नहीं नहीं.. गन्ना तो मीठा होता है मगर इसका सवाद तो अजीब सा है। कुछ समझ नहीं आ रहा..
जेम्स- अरे तू चूस कर तो देख.. मज़ा आएगा और उसके बाद मैं दोबारा तेरी फुद्दी चाटूँगा। अबकी बार पहले से ज़्यादा मज़ा आएगा तुझे..
निधि ने बेमन से सुपारे को जीभ से चाटना शुरू किया.. धीरे-धीरे उसको मज़ा आने लगा..
जेम्स- आह्ह.. अब आया ना मज़ा.. ले चूस.. पूरा मुँह में ले.. आह्ह.. चूस..
निधि के छोटे से मुँह में लौड़ा जा नहीं रहा था.. मगर उसने कोशिश करके सुपारा पूरा मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
निधि को अब लौड़े का रस अच्छा लगने लगा था.. वो मज़े से लौड़ा चूस रही थी और जेम्स की वासना बढ़ती जा रही थी.. वो अब रुकना नहीं चाहता था।
जेम्स- आह्ह.. चूस मेरी रानी.. आह्ह.. चूस.. आज तेरी फुद्दी का महूरत करूँगा.. इसको इतना चिकना कर दे कि बस तेरी फुद्दी को चीरता हुआ अन्दर गहराई तक आराम से घुस जाए..