hotaks444
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दोस्तो, यहाँ प्रोग्राम शुरू होने में थोड़ा टाइम लगेगा। तब तक हम लोग गाँव की सैर कर आते हैं।
जेम्स को दोबारा मौका ही नहीं मिला कि वो रानी के साथ कुछ कर सके.. क्योंकि रानी को अचानक तेज बुखार हो गया था.. इसलिए अब जेम्स अपनी प्यास मिटाने निधि के घर की तरफ़ चला गया। मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था.. जब वो छुपते-छुपाते निधि के घर के पास गया.. तो अन्दर से रोने की आवाज़ सुनकर वो घबरा गया कि आख़िर अचानक यह क्या हो गया है।
जेम्स जल्दी से दरवाजे के पास गया और आवाज़ लगाई- क्या हो गया.. ऐसे सब रो क्यों रहे हो?
निधि ने जल्दी से दरवाजा खोला।
जेम्स- अरे क्या हुआ..? मैं यहाँ से जा रहा था.. तो रोने की आवाज़ सुनकर रुक गया। कोई बताएगा मुझे.. यहाँ हुआ क्या है?
निधि- जेम्स उउउ उउउहह.. मेरे भैया उउउ.. देखो ना उउ…
घर में सभी रो रहे थे.. मगर कोई ठीक से नहीं बता रहा था। जेम्स समझ गया कि हो ना हो निधि के भाई ने कुछ किया है.. मगर ऐसा क्या किया जो सब ऐसे रो रहे हैं।
जेम्स- ओह्ह.. कोई ठीक से बताएगा?
जेम्स के सवालों का जबाव निधि के बापू ने दिया कि ज़्यादा शराब पीने से उसके बेटे का लीवर ख़त्म हो गया है.. आज शाम से बहुत हालत खराब है.. गाँव के डॉक्टर ने जबाव दे दिया और ये भी कहा कि कल सुबह तक शहर ले जाओगे तो ये बच जाएगा.. नहीं तो ये मर जाएगा। अब जैसा भी है आख़िर है तो मेरा बेटा ही.. अब क्या करें.. कैसे इसको शहर लेकर जाएं.. घर में कौन रहेगा.. कुछ समझ नहीं आ रहा..
जेम्स ने समझाया- अरे चाचा.. मैं किस दिन काम आऊँगा.. मैं लेकर जाऊँगा इसको..
बस फिर क्या था आनन-फानन में जेम्स ने भाभी को साथ चलने का कह दिया कि वहाँ वो अकेला कैसे सब संभाल पाएगा और निधि ने भी ज़िद की.. कि वो भी साथ जाएगी.. तो बस फैसला हो गया।
जेम्स रातों-रात जाने का बंदोबस्त करने चला गया।
अब यहाँ का ट्विस्ट कल समझ आ जाएगा। इनको शहर आने दो.. सब खेल समझ जाओगे। चलो जय को देख आते हैं वो अब तक आ गया होगा।
जय जब बाहर आया तो रश्मि को देख कर हैरान हो गया। वो सब देख कर उसकी आँखें फट गईं.. बदन में अजीब सी हलचल शुरू हो गई और उसका लौड़ा धीरे-धीरे अकड़ना शुरू हो गया।
रश्मि बिस्तर पर आँखें बन्द किए हुए सीधी लेटी हुई थी.. उसके पैर मुड़े हुए और ऐसे फैले हुए थे.. जैसे चुदाई के वक़्त किसी रण्डी के होते हैं। वो कमर को ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी और बड़बड़ा रही थी- आह सस्स आह.. भाई.. चोदो.. आह.. पूरा डाल दो.. आह.. फाड़ दो मेरी चूत को.. आह.. उई.. मज़ा आ रहा है..
जय धीरे से बिस्तर पर चढ़ गया और रश्मि की टाँगों के बीच बैठ गया। जैसे ही उसने लौड़ा चूत पर सैट किया.. रश्मि ने आँखें खोल दीं और अपनी हरकत पर शर्मा गई।
रश्मि ने जल्दी से करवट ली और अपना मुँह हाथों से छुपा लिया।
जय- अरे क्या हुआ.. शर्मा क्यों रही हो.. मुझे नहीं पता था मेरी गुड्डी की चूत में इतनी आग लगी है.. नहीं तो कब का.. मैं अपने लौड़े से इसकी आग को मिटा देता..
रश्मि- क्या भाई, आप चुपके से क्यों आ गए.. जाओ अब मैं आपसे बात नहीं करती..
जय- अरे मेरी जान.. ये शर्माना छोड़ो.. जो अकेले-अकेले कर रही थी ना.. अब मेरे साथ करो.. तो तुमको ज़्यादा मज़ा आएगा।
रश्मि- भाई आपको मेरे मम्मे अच्छे लगते हैं ना.. अब इनका रस पीलो.. मुझे प्यार दो.. मेरे जिस्म को नोंच डालो.. मैं तैयार हूँ.. आपके प्यार को पाने के लिए.. उसके बाद अपने लंड से मेरी चूत को ठंडा करना..
जय- मेरी जान.. कसम से तू ऐसी क़यामत होगी.. मैंने सोचा भी नहीं था। अब तू अपने भाई का कमाल देख.. कैसे तेरी वासना को मिटाता है।
जय अब रश्मि के मम्मों को दबाने लगा और रश्मि के मुँह में अपनी जीभ डाल कर उसको मज़ा देने लगा। कभी वो रश्मि के मम्मों को चूसता.. कभी निप्पल पर जीभ घुमाता.. बेचारी वो तो पहले से बहुत गर्म थी, अब जय उसको और गर्म करने लगा था।
कुछ देर ये चलता रहा.. उसके बाद रश्मि सिसकारियाँ लेती हुई बोली- उफ़फ्फ़ भाई.. आह.. मेरी चूत की आग मिटा दो.. आह.. फाड़ दो इसे.. बहुत इसस्स स्स.. परेशान कर रही है.. आह.. भाई कुछ करो आह..
जय ने चूत को चाटने का आसन बदला और 69 की अवस्था में आकर वो रश्मि की चूत चाटने लगा। इधर प्यासी रश्मि लौड़े को कुल्फी समझ कर चाटने लगी।
दोनों कुछ देर तक ये खेल खेलते रहे। अब जय के भी बस के बाहर हो गया था। वो बैठ गया.. उसने रश्मि की टांगें फैला दीं और चूत पर उंगली घुमाने लगा।
रश्मि- आह..इससस्स.. भाई.. घुसा दो आह…. अब बस बर्दास्त नहीं होता भाई.. उफफफ्फ़..
जय उंगली से चूत को खोलने की कोशिश करने लगा.. पर चूत बहुत टाइट थी। उसने थोड़ी सी उंगली चूत के अन्दर डाली.. तो रश्मि ज़ोर से उछली।
रश्मि- आअऊच भाई.. आराम से उफ़.. दुखता है ना..
जय- अरे ये क्या रश्मि.. तुमने आज तक अपनी चूत में उंगली भी नहीं डाली.. इतना सा दर्द से नहीं पा रही हो.. लौड़ा जाएगा तो कैसे सह पाओगी?
रश्मि- आह.. पता नहीं भाई.. मगर जैसे भी डालना है.. अब डाल दो.. मेरे सर में दर्द होने लगा है.. एक अजीब सा भारीपन मुझे महसूस हो रहा है.. पता नहीं मुझे क्या हो रहा है… मेरी चूत में बहुत खुजली होने लगी है। अब तो आप डाल ही दो बस..
जय- ठीक है रश्मि.. अब मेरा लौड़ा भी बहुत अकड़ कर दर्द करने लगा है। अब तो इसको चूत की गर्मी ही ठंडा कर सकती है।
रश्मि- भाई प्लीज़.. जरा आहिस्ते से पेलना.. ये मेरा पहली बार है।
जय- तू फिकर मत कर मेरी जान.. तेरा पहली बार है.. मगर मैंने बहुत सी चूतें खोली हैं.. मैं सब जानता हूँ कि कैसे करना है.. और तू तो मेरी प्यारी बहन है.. तुझे थोड़ी ज़्यादा तकलीफ़ दूँगा।
रश्मि- ओह्ह.. रियली.. मुझे तो कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि आप ऐसे होंगे मगर आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले..
जय- अरे तुझे कैसे पता होगा.. तू कौन सा यहाँ रहती है.. चल अब बातें बन्द कर.. पैर ठीक से फैला.. ताकि तेरी चूत की आज ओपनिंग कर दूँ।
रश्मि ने घुटने मोड़ कर पैर फैला लिए.. जिससे उसकी चूत थोड़ी सी खुल गई, जय ने टेबल से आयली क्रीम ले ली और अपने लौड़े पर अच्छे से लगा ली।
रश्मि- क्या कर रहे हो भाई..
जय- अरे लौड़े पर क्रीम लगा के चिकना कर रहा हूँ ताकि आराम से फिसलता हुआ अन्दर घुस जाए.. इससे तुझे तकलीफ़ कम होगी.. समझी..
रश्मि- ओह्ह.. थैंक्स भाई.. आप मेरी कितनी फिकर करते हो..
जय ने थोड़ी क्रीम रश्मि की चूत पर भी लगाई.. थोड़ी उंगली से चूत के अन्दर भी लगाई।
रश्मि- आह.. आराम से भाई.. कहीं नाख़ून ना लग जाए..
जय अब कुछ बोलने के मूड में नहीं था उसने लौड़े को चूत पर सैट किया और धीरे-धीरे दबाव बनाने लगा.. मगर चिकनाई से लौड़ा ऊपर को फिसल गया। रश्मि की चूत बहुत टाइट थी.. उसका सुपारा भी अन्दर नहीं घुस पा रहा था। मगर जय कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं था.. उसने उंगली से चूत को थोड़ा सा खोला और सुपारा अन्दर फँसा दिया और धीरे-धीरे दबाव बनाने लगा।
रश्मि- आह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. उफ़फ्फ़.. जरा आराम से.. डालना.. आह्ह.. आपका बहुत मोटा है.. ओह्ह.. गॉड.. मेरी जान निकल जाएगी.. इस दर्द से.. आह.. भाई आह..
जय- अरे अभी डाला कहाँ है.. बस लंड का टोपा चूत में फँसाया है मैंने.. अब तू दाँत भींच ले.. बस एक बार दर्द होगा.. उसके बाद हमेशा के लिए मज़े ही मज़े।
रश्मि ने बिस्तर की चादर को कस के पकड़ लिया और डर से अपनी आँखें बन्द कर लीं..
जय को पता था दर्द के कारण रश्मि शोर करेगी, वो उसी अवस्था में उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों पर जोरदार किस शुरू कर दी।
जय अब लौड़े पर दबाव बनाता जा रहा था.. धीरे-धीरे उसका सुपारा अन्दर घुसने लगा और दर्द के कारण रश्मि का बदन मचलने लगा।
रश्मि की टाइट चूत में लौड़ा घुसना आसान नहीं था। अब जय को थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ रहा था और रश्मि की सील ऐसे प्यार से टूटने वाली थी नहीं.. तो जय ने एक झटका मारा, इस प्रहार से 3″ लौड़ा चूत की सील तोड़ता हुआ अन्दर चला गया।
रश्मि को दर्द की एक तेज लहर जिस्म में होने लगी। उसकी चीख निकली.. मगर जय के होंठों के नीचे दब कर रह गई। वो छटपटाने लगी।
जय ने कस कर उसके हाथ पकड़ लिए और लौड़े को दोबारा पीछे किया, अबकी बार का धक्का पहले से ज़्यादा तेज़ था, पूरा लौड़ा झटके से चूत की गहराई में समाता चला गया।
रश्मि ज़ोर से चिल्लाई.. मगर आवाज़ बाहर कहाँ से आती.. उसका मुँह तो जय ने होंठों से बन्द किया हुआ था।
जेम्स को दोबारा मौका ही नहीं मिला कि वो रानी के साथ कुछ कर सके.. क्योंकि रानी को अचानक तेज बुखार हो गया था.. इसलिए अब जेम्स अपनी प्यास मिटाने निधि के घर की तरफ़ चला गया। मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था.. जब वो छुपते-छुपाते निधि के घर के पास गया.. तो अन्दर से रोने की आवाज़ सुनकर वो घबरा गया कि आख़िर अचानक यह क्या हो गया है।
जेम्स जल्दी से दरवाजे के पास गया और आवाज़ लगाई- क्या हो गया.. ऐसे सब रो क्यों रहे हो?
निधि ने जल्दी से दरवाजा खोला।
जेम्स- अरे क्या हुआ..? मैं यहाँ से जा रहा था.. तो रोने की आवाज़ सुनकर रुक गया। कोई बताएगा मुझे.. यहाँ हुआ क्या है?
निधि- जेम्स उउउ उउउहह.. मेरे भैया उउउ.. देखो ना उउ…
घर में सभी रो रहे थे.. मगर कोई ठीक से नहीं बता रहा था। जेम्स समझ गया कि हो ना हो निधि के भाई ने कुछ किया है.. मगर ऐसा क्या किया जो सब ऐसे रो रहे हैं।
जेम्स- ओह्ह.. कोई ठीक से बताएगा?
जेम्स के सवालों का जबाव निधि के बापू ने दिया कि ज़्यादा शराब पीने से उसके बेटे का लीवर ख़त्म हो गया है.. आज शाम से बहुत हालत खराब है.. गाँव के डॉक्टर ने जबाव दे दिया और ये भी कहा कि कल सुबह तक शहर ले जाओगे तो ये बच जाएगा.. नहीं तो ये मर जाएगा। अब जैसा भी है आख़िर है तो मेरा बेटा ही.. अब क्या करें.. कैसे इसको शहर लेकर जाएं.. घर में कौन रहेगा.. कुछ समझ नहीं आ रहा..
जेम्स ने समझाया- अरे चाचा.. मैं किस दिन काम आऊँगा.. मैं लेकर जाऊँगा इसको..
बस फिर क्या था आनन-फानन में जेम्स ने भाभी को साथ चलने का कह दिया कि वहाँ वो अकेला कैसे सब संभाल पाएगा और निधि ने भी ज़िद की.. कि वो भी साथ जाएगी.. तो बस फैसला हो गया।
जेम्स रातों-रात जाने का बंदोबस्त करने चला गया।
अब यहाँ का ट्विस्ट कल समझ आ जाएगा। इनको शहर आने दो.. सब खेल समझ जाओगे। चलो जय को देख आते हैं वो अब तक आ गया होगा।
जय जब बाहर आया तो रश्मि को देख कर हैरान हो गया। वो सब देख कर उसकी आँखें फट गईं.. बदन में अजीब सी हलचल शुरू हो गई और उसका लौड़ा धीरे-धीरे अकड़ना शुरू हो गया।
रश्मि बिस्तर पर आँखें बन्द किए हुए सीधी लेटी हुई थी.. उसके पैर मुड़े हुए और ऐसे फैले हुए थे.. जैसे चुदाई के वक़्त किसी रण्डी के होते हैं। वो कमर को ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी और बड़बड़ा रही थी- आह सस्स आह.. भाई.. चोदो.. आह.. पूरा डाल दो.. आह.. फाड़ दो मेरी चूत को.. आह.. उई.. मज़ा आ रहा है..
जय धीरे से बिस्तर पर चढ़ गया और रश्मि की टाँगों के बीच बैठ गया। जैसे ही उसने लौड़ा चूत पर सैट किया.. रश्मि ने आँखें खोल दीं और अपनी हरकत पर शर्मा गई।
रश्मि ने जल्दी से करवट ली और अपना मुँह हाथों से छुपा लिया।
जय- अरे क्या हुआ.. शर्मा क्यों रही हो.. मुझे नहीं पता था मेरी गुड्डी की चूत में इतनी आग लगी है.. नहीं तो कब का.. मैं अपने लौड़े से इसकी आग को मिटा देता..
रश्मि- क्या भाई, आप चुपके से क्यों आ गए.. जाओ अब मैं आपसे बात नहीं करती..
जय- अरे मेरी जान.. ये शर्माना छोड़ो.. जो अकेले-अकेले कर रही थी ना.. अब मेरे साथ करो.. तो तुमको ज़्यादा मज़ा आएगा।
रश्मि- भाई आपको मेरे मम्मे अच्छे लगते हैं ना.. अब इनका रस पीलो.. मुझे प्यार दो.. मेरे जिस्म को नोंच डालो.. मैं तैयार हूँ.. आपके प्यार को पाने के लिए.. उसके बाद अपने लंड से मेरी चूत को ठंडा करना..
जय- मेरी जान.. कसम से तू ऐसी क़यामत होगी.. मैंने सोचा भी नहीं था। अब तू अपने भाई का कमाल देख.. कैसे तेरी वासना को मिटाता है।
जय अब रश्मि के मम्मों को दबाने लगा और रश्मि के मुँह में अपनी जीभ डाल कर उसको मज़ा देने लगा। कभी वो रश्मि के मम्मों को चूसता.. कभी निप्पल पर जीभ घुमाता.. बेचारी वो तो पहले से बहुत गर्म थी, अब जय उसको और गर्म करने लगा था।
कुछ देर ये चलता रहा.. उसके बाद रश्मि सिसकारियाँ लेती हुई बोली- उफ़फ्फ़ भाई.. आह.. मेरी चूत की आग मिटा दो.. आह.. फाड़ दो इसे.. बहुत इसस्स स्स.. परेशान कर रही है.. आह.. भाई कुछ करो आह..
जय ने चूत को चाटने का आसन बदला और 69 की अवस्था में आकर वो रश्मि की चूत चाटने लगा। इधर प्यासी रश्मि लौड़े को कुल्फी समझ कर चाटने लगी।
दोनों कुछ देर तक ये खेल खेलते रहे। अब जय के भी बस के बाहर हो गया था। वो बैठ गया.. उसने रश्मि की टांगें फैला दीं और चूत पर उंगली घुमाने लगा।
रश्मि- आह..इससस्स.. भाई.. घुसा दो आह…. अब बस बर्दास्त नहीं होता भाई.. उफफफ्फ़..
जय उंगली से चूत को खोलने की कोशिश करने लगा.. पर चूत बहुत टाइट थी। उसने थोड़ी सी उंगली चूत के अन्दर डाली.. तो रश्मि ज़ोर से उछली।
रश्मि- आअऊच भाई.. आराम से उफ़.. दुखता है ना..
जय- अरे ये क्या रश्मि.. तुमने आज तक अपनी चूत में उंगली भी नहीं डाली.. इतना सा दर्द से नहीं पा रही हो.. लौड़ा जाएगा तो कैसे सह पाओगी?
रश्मि- आह.. पता नहीं भाई.. मगर जैसे भी डालना है.. अब डाल दो.. मेरे सर में दर्द होने लगा है.. एक अजीब सा भारीपन मुझे महसूस हो रहा है.. पता नहीं मुझे क्या हो रहा है… मेरी चूत में बहुत खुजली होने लगी है। अब तो आप डाल ही दो बस..
जय- ठीक है रश्मि.. अब मेरा लौड़ा भी बहुत अकड़ कर दर्द करने लगा है। अब तो इसको चूत की गर्मी ही ठंडा कर सकती है।
रश्मि- भाई प्लीज़.. जरा आहिस्ते से पेलना.. ये मेरा पहली बार है।
जय- तू फिकर मत कर मेरी जान.. तेरा पहली बार है.. मगर मैंने बहुत सी चूतें खोली हैं.. मैं सब जानता हूँ कि कैसे करना है.. और तू तो मेरी प्यारी बहन है.. तुझे थोड़ी ज़्यादा तकलीफ़ दूँगा।
रश्मि- ओह्ह.. रियली.. मुझे तो कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि आप ऐसे होंगे मगर आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले..
जय- अरे तुझे कैसे पता होगा.. तू कौन सा यहाँ रहती है.. चल अब बातें बन्द कर.. पैर ठीक से फैला.. ताकि तेरी चूत की आज ओपनिंग कर दूँ।
रश्मि ने घुटने मोड़ कर पैर फैला लिए.. जिससे उसकी चूत थोड़ी सी खुल गई, जय ने टेबल से आयली क्रीम ले ली और अपने लौड़े पर अच्छे से लगा ली।
रश्मि- क्या कर रहे हो भाई..
जय- अरे लौड़े पर क्रीम लगा के चिकना कर रहा हूँ ताकि आराम से फिसलता हुआ अन्दर घुस जाए.. इससे तुझे तकलीफ़ कम होगी.. समझी..
रश्मि- ओह्ह.. थैंक्स भाई.. आप मेरी कितनी फिकर करते हो..
जय ने थोड़ी क्रीम रश्मि की चूत पर भी लगाई.. थोड़ी उंगली से चूत के अन्दर भी लगाई।
रश्मि- आह.. आराम से भाई.. कहीं नाख़ून ना लग जाए..
जय अब कुछ बोलने के मूड में नहीं था उसने लौड़े को चूत पर सैट किया और धीरे-धीरे दबाव बनाने लगा.. मगर चिकनाई से लौड़ा ऊपर को फिसल गया। रश्मि की चूत बहुत टाइट थी.. उसका सुपारा भी अन्दर नहीं घुस पा रहा था। मगर जय कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं था.. उसने उंगली से चूत को थोड़ा सा खोला और सुपारा अन्दर फँसा दिया और धीरे-धीरे दबाव बनाने लगा।
रश्मि- आह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. उफ़फ्फ़.. जरा आराम से.. डालना.. आह्ह.. आपका बहुत मोटा है.. ओह्ह.. गॉड.. मेरी जान निकल जाएगी.. इस दर्द से.. आह.. भाई आह..
जय- अरे अभी डाला कहाँ है.. बस लंड का टोपा चूत में फँसाया है मैंने.. अब तू दाँत भींच ले.. बस एक बार दर्द होगा.. उसके बाद हमेशा के लिए मज़े ही मज़े।
रश्मि ने बिस्तर की चादर को कस के पकड़ लिया और डर से अपनी आँखें बन्द कर लीं..
जय को पता था दर्द के कारण रश्मि शोर करेगी, वो उसी अवस्था में उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों पर जोरदार किस शुरू कर दी।
जय अब लौड़े पर दबाव बनाता जा रहा था.. धीरे-धीरे उसका सुपारा अन्दर घुसने लगा और दर्द के कारण रश्मि का बदन मचलने लगा।
रश्मि की टाइट चूत में लौड़ा घुसना आसान नहीं था। अब जय को थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ रहा था और रश्मि की सील ऐसे प्यार से टूटने वाली थी नहीं.. तो जय ने एक झटका मारा, इस प्रहार से 3″ लौड़ा चूत की सील तोड़ता हुआ अन्दर चला गया।
रश्मि को दर्द की एक तेज लहर जिस्म में होने लगी। उसकी चीख निकली.. मगर जय के होंठों के नीचे दब कर रह गई। वो छटपटाने लगी।
जय ने कस कर उसके हाथ पकड़ लिए और लौड़े को दोबारा पीछे किया, अबकी बार का धक्का पहले से ज़्यादा तेज़ था, पूरा लौड़ा झटके से चूत की गहराई में समाता चला गया।
रश्मि ज़ोर से चिल्लाई.. मगर आवाज़ बाहर कहाँ से आती.. उसका मुँह तो जय ने होंठों से बन्द किया हुआ था।