hotaks444
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दोस्तो, उम्मीद है.. सस्पेंस के साथ मज़ा भी आपको बराबर मिल रहा होगा।
टेन्शन नॉट… अब धीरे-धीरे सब राज़ पर से परदा उठेगा और नए-नए ट्विस्ट सामने आएँगे।
वहाँ से साजन वापस सुंदर और आनंद के पास चला गया। उनको भाई से हुई बात बताई और कल के लिए कुछ लड़कों से फ़ोन पर बात भी कर ली। उसके बाद उनके पीने का दौर शुरू हुआ।
आनंद- बॉस मानना पड़ेगा.. यह भाई साला जो भी है.. बहुत माइंड वाला है.. कैसे आइडिया लाता है कि दिमाग़ घूम जाता है।
सुंदर- तू ठीक बोलता है यार.. मगर ये है कौन.. और अपना चेहरा क्यों छुपा कर रखता है।
आनंद- अपने को क्या है यार? होगा कोई भी.. अपने को तो बस पैसे और कुँवारी चूत से मतलब है..
साजन- चुप सालों क्या उसकी तारीफ कर रहे हो.. साला वो बहुत बड़ा हरामी है.. आज मैंने उसको पहचान लिया है। साला अपने आप को बहुत माइंडेड समझता है ना… मगर आज उसने मेरे सामने पर्स निकाल कर ग़लती कर दी। साला भूल गया कि उसमें जो फोटो लगी है.. साजन उसको देखते ही पहचान जाएगा कि वो किसकी है। उसके बाद भी साले ने मेरे सामने पैसे निकाले।
आनंद- क्या बात कर रहे हो बॉस किसकी फोटो देख ली और कौन है ये भाई.. हमको भी बताओ ना..?
साजन- नहीं.. अभी नहीं सालों.. तुम खेल को बिगाड़ दोगे.. अब मैं उसके नकाब हटने का इंतजार करूँगा.. देखता हूँ साला कितना बड़ा गैम्बलर है.. अब मैं उसके साथ डबल गेम खेलूँगा। तुम दोनों बस देखते जाओ।
वो तीनों काफ़ी देर पीते रहे और बस ऐसे ही बातें करते रहे। उसके बाद इधर-उधर लेट गए और नींद की गहराइयों में कहीं गुम हो गए।
दोस्तो, सुबह के 9 बजे रानी की जब आँख खुली.. तो उसका पूरा बदन दर्द से दु:ख रहा था और उसकी चूत भी दर्द कर रही थी.. मगर उसके होंठों पर एक मुस्कान थी.. जो साफ ब्यान कर रही थी कि एक कली अब फूल बन गई है।
रात की चुदाई की याद उसको तड़पा रही थी।
वो उठी और बाथरूम में चली गई.. अच्छे से नहा कर उसने कपड़े पहने और सीधी अपने प्रेमियों के कमरे की तरफ़ गई। मगर अन्दर से विजय की आवाज़ सुनकर वो वहीं रुक गई।
विजय- जी जी बड़े पापा.. नहीं.. नहीं.. हम ठीक हैं हाँ हाँ.. बस निकल ही रहे हैं समय से आ जाएँगे.. आप चिंता मत करो..
जय- अरे यार, यह पापा को क्या हो गया सुबह सुबह क्यों फ़ोन किया?
विजय- अरे यार पता नहीं.. बहुत गुस्सा थे.. बोल रहे थे कि जल्द से जल्द घर आ जाओ..
जय- अरे यार उनको बता कर आए थे ना कि हम एक हफ़्ता फार्म पर रहेंगे। यह तो गेम की वजह से आज जाना पड़ रहा है.. वैसे हुआ क्या?
विजय- अरे यार आने के पहले तुमको कोई पेपर साइन करने को कहा था.. तू जल्दी में भूल गया.. उसी के लिए गुस्सा हैं और हमसे क्या काम होगा?
जय- ओह.. शिट.. अब तो पापा और चिल्लाएँगे.. मुझे भी यहाँ आने के चक्कर में याद नहीं रहा..
विजय- अब बातें बन्द कर.. जल्दी रेडी हो जा.. नहीं तो और सुनना पड़ेगा। मैं रानी को उठा कर रेडी करवाता हूँ।
विजय दरवाजे के पास गया.. तभी रानी ने दरवाजा खोल दिया।
विजय- अरे उठ गई रानी रानी.. मैं अभी तुम्हारे पास ही आ रहा था.. अच्छा हुआ तू खुद आ गई और कमाल की बात है तू तो रेडी हो गई..
रानी- हाँ.. विजय जी.. मैं तैयार हूँ और आपको जगाने आई.. तो आपकी बात भी मैंने सुन ली थी। आप तो तैयार हो जय जी भी तैयार हो जाएं.. तो हम निकल जाएँगे.. मगर मुझे गाँव नहीं जाना.. आप मुझे अपने साथ ही ले चलो ना.. मैं आपके बिना नहीं रह सकती.. कुछ भी करो.. मुझे ले चलो..
विजय- अरे पगली.. ऐसे डायरेक्ट घर नहीं ले जा सकते.. तू बात को समझ .. जल्दी हम वापस आएँगे.. यहाँ एक खेल होने वाला है.. उसके बाद तुमको शहर साथ ले जाएँगे।
रानी ने बहुत ज़िद की.. मगर विजय ने उसको समझा कर मना लिया कि वो अगली बार उसको साथ ले जाएँगे और उसको 5000 रुपये भी दिए.. जिससे रानी खुश हो गई।
तब तक जय भी तैयार हो गया था, सबने जल्दी से नाश्ता किया और वहाँ से निकल गए।
दोस्तो, मेरे पास कुछ दोस्तों के ईमेल आए कि यहाँ के नौकरों का कोई नाम और जिक्र मैंने नहीं किया.. तो आपको बता दूँ.. उनका ऐसा कोई खास रोल ही नहीं है.. तो नाम जानकर क्या करोगे? ओके आगे का हाल देखो..
गाड़ी विजय चला रहा था और जय पीछे रानी के साथ बैठा हुआ उसके होंठों पर उंगली घुमा रहा था.. उसके मम्मों को दबा रहा था।
रानी- क्या हुआ जय जी.. आप तो बड़े बेसबरे हो रहे हो.. रात को मन नहीं भरा क्या आपका?
जय- अरे रात को तूने पूरा मज़ा लेने कहाँ दिया था..
विजय- हाँ.. भाई दो बार में ही थक गई थी ये.. अब अगली बार इसको बराबर चोद कर मज़ा लेंगे।
रानी- अरे आप लोगों के लिए 2 बार हुआ होगा.. मेरे लिए तो 4 बार हो गया था। आप दोनों अलग-अलग क्यों नहीं करते… जैसे एक रात जय जी और और एक रात आप.. तब ज़्यादा मज़ा आएगा.. आप दोनों को और मुझे भी..
जय- मेरी जान तेरी गाण्ड की सील खुल जाने दे.. उसके बाद तू खुद दोनों को एक साथ बुलाएगी.. क्योंकि तुझे आगे और पीछे एक साथ मज़ा मिलेगा और हो सकता है तीसरा भी माँग ले.. मुँह के लिए हा हा हा हा..
रानी- जाओ.. आप बहुत बदमाश हो कुछ भी बोल देते हो..
वो तीनों ऐसे ही बातें करते हुए जा रहे थे। कब रानी का गाँव आ गया.. पता भी नहीं चला.. वहाँ उसकी माँ को उन्होंने कहा- रानी बहुत अच्छा काम करती है.. और जल्दी ही इसको शहर ले जाएँगे।
जय ने उसकी माँ को एक हजार रुपये दिए- ये रखो.. आगे और ज़्यादा देंगे..
मगर जब वो वहाँ खड़े बातें कर रहे थे एक लड़का जो करीब 21 साल का होगा वो छुप कर उनको देख रहा था और उसके माथे पर बहुत पसीना आ रहा था जैसे उसने कोई भूत देख लिया।
कुछ देर वहाँ रहने के बाद वो दोनों वहाँ से शहर के लिए निकल गए।
गाड़ी में विजय ने जय को कहा कि रानी को और पैसे क्यों दिए.. मैंने सुबह उसको 5 हजार दे दिए थे।
जय- अरे यार ऐसी कच्ची कली के आगे ये पैसे क्या हैं चलेगा.. अगली बार डबल का मज़ा लेंगे ना..
विजय- वो बात नहीं है यार.. पैसे तो कुछ नहीं.. मगर इतने पैसे देख कर उसकी माँ को शक ना हो जाए..
जय- अरे कुछ नहीं होगा यार.. तू सोचता बहुत है.. चल अब जल्दी कर.. नहीं पापा का गुस्सा और बढ़ जाएगा और वो जाते ही बरस पड़ेंगे।
विजय ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और गाड़ी तेज़ी से दौड़ने लगी।
उधर इनके जाने के बाद सरिता बहुत खुश हो गई और रानी को गले से लगा कर प्यार करने लगी।
सरिता- बेटी वहाँ तुमको कोई परेशानी तो नहीं हुई ना?
रानी- नहीं माँ.. वहाँ पहले से बहुत नौकर हैं मुझे तो ज़्यादा काम भी नहीं करना पड़ा और ये दोनों बाबूजी भी बहुत अच्छे हैं इन्होंने मुझे वहाँ अच्छी तरह रखा।
वो दोनों अभी बातें कर ही रही थीं तभी वहाँ वो लड़का भी आ गया जो बहुत गुस्से में दिख रहा था।
दोस्तो, इसका परिचय भी दे देती हूँ.. यह जेम्स है इसी गाँव का है.. और रानी की माँ को काकी बोलता है।
जेम्स- क्यों काकी.. कितना कमा के लाई है रानी रानी.. जरा मुझे भी बताओ?
जेम्स को देख कर रानी खुश हो गई और जल्दी से रानी ने उसका हाथ पकड़ कर उसको घुमा दिया।
रानी- अरे जेम्स तू आ गया शहर से.. अरे कितने दिन मैंने तुझे याद किया… देख मुझे भी नौकरी मिल गई.. ये बाबू लोग बहुत अच्छे हैं।
सरिता- तुम दोनों बातें करो.. मैं खाना बना देती हूँ.. आज मेरी बिटिया को अपने हाथ से खाना खिलाऊँगी।
जेम्स- हाँ.. रानी अब बता.. यह सब क्या है.. तू उनके साथ कैसे गई.. मुझे सारी बातें विस्तार से बता?
रानी ने उसको सब बता दिया.. बस चुदाई की बात नहीं बताई.. झूट मूट काम का बोलकर अपनी बात पूरी की।
जेम्स- रानी तुम दोनों माँ-बेटी पागल हो गई हो.. ये बड़े घर के बिगड़े हुए लड़के हैं.. तुम इनको नहीं जानती.. ये कुछ भी कर सकते हैं। पता है ये कौन हैं..? मैंने शहर में इनको उस कुत्ते के साथ देखा है.. ये उसके ही साथी हैं ओह.. रानी तुम कैसे इनके यहाँ काम कर सकती हो.. इन लोगों की वजह से ही हमारी आशा हमसे दूर हो गई.. तुम भूल गई क्या वो दिन?
रानी- तुम क्या बोल रहे हो जेम्स.. नहीं नहीं.. ऐसा नहीं हो सकता.. ये उसके साथी नहीं हो सकते.. वो दिन मैं कैसे भूल सकती हूँ.. नहीं तुमको कोई धोखा हुआ है शायद..
जेम्स- नहीं रानी.. मुझे कोई धोखा नहीं हुआ.. कुछ दिन पहले मैंने इन दोनों के साथ उस जालिम को देखा है। मैं उसकी सूरत कभी नहीं भूल सकता तुम मानो या ना मानो.. मगर इन दोनों का उसके साथ कोई ना कोई सम्बन्ध जरूर है..
जेम्स की बात सुनकर रानी के चेहरे का रंग उड़ गया.. उसकी आँखों में आँसू आ गए।
जेम्स- अरे क्या हुआ रानी.. तू क्यों रो रही है.. रोना तो उस कुत्ते को होगा। अब मैं शहर में नौकरी करने नहीं बल्कि उसको ढूँढने गया था। अब उसका पता ठिकाना मुझे पता चल गया है.. बस बहुत जल्द मैं उसको सबक़ सिखा दूँगा.. तू देखती जा..
रानी- हाँ.. जेम्स उसको छोड़ना नहीं.. उसने आशा के साथ बहुत बुरा किया था और एक बार मुझे भी उसको दिखाना। उस दिन मेरे मुँह पर कीचड़ था तो मैं उसको देख नहीं पाई थी।
जेम्स- हाँ.. रानी अबकी बार जब मैं शहर जाऊँगा.. तो तुम भी साथ चलना.. मैं तुमको दिखा दूँगा और हाँ.. अब तुम इन दोनों से साफ-साफ कह देना कि तुमको इनकी नौकरी नहीं करनी।
रानी- नहीं जेम्स.. सच में ये दोनों भाई बहुत अच्छे हैं हो सकता है.. वो इनका साथी हो.. मगर ये अच्छे लोग हैं और मुझे जल्दी शहर लेकर जाएँगे.. तब हम आसानी से उसको सबक़ सिखा देंगे.. सही है ना?
जेम्स- नहीं रानी.. तू बहुत भोली है.. इन अमीरों को नहीं जानती.. ये अच्छे बन कर भोली भाली लड़की का दिल जीत लेते हैं.. उसके बाद उसकी इज़्ज़त को तार-तार कर देते हैं।
जेम्स की बात सुनकर रानी सहम गई क्योंकि उसने तो अपनी इज़्ज़त गंवा दी थी.. मगर वो जेम्स को ये सब नहीं बताना चाहती थी.. इसलिए उसने बात को काटकर दूसरी बात शुरू कर दी।
कुछ देर बाद सरिता भी आ गई और वो सब बातों में लग गए।
उधर विजय और जय तेज़ी से घर की तरफ़ जा रहे थे.. तभी जय का फ़ोन बजने लगा। स्क्रीन पर पापा का नम्बर देख कर वो थोड़ा परेशान हो गया।
विजय- भाई किसका फ़ोन है.. उठाते क्यों नहीं.. कब से बज रहा है?
जय- अरे यार पापा का है.. अब इनको भी बहुत जल्दी है क्या करूँ?
विजय- करना क्या है.. बोल दो बस पहुँचने वाले हैं..
जय ने फ़ोन उठाया तो सामने से गुस्से में आवाज़ आई- कहाँ हो तुम दोनों.. अब तक आए क्यों नहीं?
जय- बस पापा पहुँचने ही वाले हैं आप गुस्सा मत हो..
पापा- अरे गुस्सा कैसे नहीं होऊँ.. तुमसे एक काम भी ठीक से नहीं होता.. ये पेपर बहुत जरूरी हैं आज मुझे कहीं देने हैं अब बिना कहीं रुके सीधे घर आ जाओ बस..
फ़ोन रखने के बाद जय की जान में जान आई.. उसने विजय को स्पीड और तेज़ करने को कहा।
दोस्तो, इनको घर जाने की बहुत जल्दी है और शायद आपको भी तो चलो इनसे पहले मैं आपको वहाँ ले जाती हूँ ताकि उस घर में रहने वाले लोगों को आप जान लो और कहानी को समझ सको।
जय के पापा रणविजय खन्ना का इंट्रो मैंने शुरू में दे दिया था.. मगर आप भूल गए होंगे तो दोबारा बता देती हूँ।
रणविजय खन्ना की उमर करीब 42 साल की है.. अच्छी परसनेल्टी के मलिक हैं दिल्ली के बड़े प्रॉपर्टी डीलर हैं.. थोड़े गुस्से वाले भी हैं। इनकी धर्म पत्नी काम्या खन्ना.. जो एक धार्मिक किस्म की औरत हैं। उम्र लगभग 40 साल.. सांवला रंग और कम ऊँचाई की घरेलू औरत हैं।
इनके घर में प्रीति खन्ना भी इनके साथ ही रहती हैं उनकी उमर करीब 39 साल है.. रंग गोरा और दिखने में अभी भी 30 की लगती हैं। इन्होंने अपना फिगर भी मेंटेन किया हुआ है। 36-28-36 का फिगर बड़ा ही जबरदस्त लगता है। ये विजय की माँ हैं अपने पति आकाश की आकस्मिक मौत के बाद यहीं रहती हैं।
वैसे तो दोनों भाई साथ मिलकर काम करते थे.. मगर आकाश की मौत के बाद सारा काम रणविजय ही संभालता है.. और विजय को अपने बेटे से ज़्यादा मानता है। इनके अलावा कुछ नौकर हैं.. जिनका इंट्रो देना जरूरी नहीं..
अरे अरे.. एक बात बताना भूल गई.. रश्मि को तो आप जानते ही हो.. वो भी रणविजय की ही बेटी है… मगर कुछ वजह से वो यहाँ नहीं रहती.. ज़्यादातर हॉस्टल में ही रहती है। बस छुट्टियों में यहाँ आती है.. अब इसके पीछे का कारण भी आप जानते हो.. वो अपनी चाची से नफ़रत करती है.. याद है ना उसने काजल को बताया था कि उसके पापा और उसकी चाची के बीच नाजायज़ सम्बन्ध हैं। अब वो सब कैसे और क्यों हैं.. इसका समय अभी नहीं आया.. सही समय पर सब बता दूँगी ओके..। तो चलो जान-पहचान हो गई.. अब घर में एंट्री मारते हैं।
रणविजय सोफे के पास चक्कर लगा रहा था.. तभी काम्या आ गई।
काम्या- आप आराम से बैठ जाए ना.. आ जाएँगे वो दोनों..
रणविजय- अरे क्या खाक बैठ जाऊँ.. ये पेपर मुझे लंच के पहले देने हैं.. नहीं बहुत नुकसान हो जाएगा..
काम्या- ओह्ह.. अब परेशान मत हो आप.. वो जल्दी आ जाएंगे और आप भी ना.. जब आपको पता है ये बच्चे लापरवाह हैं तो क्यों कोई ज़मीन इनके नाम पर लेते हो।
रणविजय- अरे खून है मेरा.. इनके नाम ज़मीन नहीं लूँगा तो किसके नाम पर लूँगा.. हाँ.. अब तुम जाओ मेरा दिमाग़ ना खराब करो।
रणविजय का गुस्सा देखकर काम्या वहाँ से अपने कमरे की तरफ़ चली गई.. कुछ ही देर बाद प्रीति ऊपर से नीचे आई और सोफे पर बैठ गई।
टेन्शन नॉट… अब धीरे-धीरे सब राज़ पर से परदा उठेगा और नए-नए ट्विस्ट सामने आएँगे।
वहाँ से साजन वापस सुंदर और आनंद के पास चला गया। उनको भाई से हुई बात बताई और कल के लिए कुछ लड़कों से फ़ोन पर बात भी कर ली। उसके बाद उनके पीने का दौर शुरू हुआ।
आनंद- बॉस मानना पड़ेगा.. यह भाई साला जो भी है.. बहुत माइंड वाला है.. कैसे आइडिया लाता है कि दिमाग़ घूम जाता है।
सुंदर- तू ठीक बोलता है यार.. मगर ये है कौन.. और अपना चेहरा क्यों छुपा कर रखता है।
आनंद- अपने को क्या है यार? होगा कोई भी.. अपने को तो बस पैसे और कुँवारी चूत से मतलब है..
साजन- चुप सालों क्या उसकी तारीफ कर रहे हो.. साला वो बहुत बड़ा हरामी है.. आज मैंने उसको पहचान लिया है। साला अपने आप को बहुत माइंडेड समझता है ना… मगर आज उसने मेरे सामने पर्स निकाल कर ग़लती कर दी। साला भूल गया कि उसमें जो फोटो लगी है.. साजन उसको देखते ही पहचान जाएगा कि वो किसकी है। उसके बाद भी साले ने मेरे सामने पैसे निकाले।
आनंद- क्या बात कर रहे हो बॉस किसकी फोटो देख ली और कौन है ये भाई.. हमको भी बताओ ना..?
साजन- नहीं.. अभी नहीं सालों.. तुम खेल को बिगाड़ दोगे.. अब मैं उसके नकाब हटने का इंतजार करूँगा.. देखता हूँ साला कितना बड़ा गैम्बलर है.. अब मैं उसके साथ डबल गेम खेलूँगा। तुम दोनों बस देखते जाओ।
वो तीनों काफ़ी देर पीते रहे और बस ऐसे ही बातें करते रहे। उसके बाद इधर-उधर लेट गए और नींद की गहराइयों में कहीं गुम हो गए।
दोस्तो, सुबह के 9 बजे रानी की जब आँख खुली.. तो उसका पूरा बदन दर्द से दु:ख रहा था और उसकी चूत भी दर्द कर रही थी.. मगर उसके होंठों पर एक मुस्कान थी.. जो साफ ब्यान कर रही थी कि एक कली अब फूल बन गई है।
रात की चुदाई की याद उसको तड़पा रही थी।
वो उठी और बाथरूम में चली गई.. अच्छे से नहा कर उसने कपड़े पहने और सीधी अपने प्रेमियों के कमरे की तरफ़ गई। मगर अन्दर से विजय की आवाज़ सुनकर वो वहीं रुक गई।
विजय- जी जी बड़े पापा.. नहीं.. नहीं.. हम ठीक हैं हाँ हाँ.. बस निकल ही रहे हैं समय से आ जाएँगे.. आप चिंता मत करो..
जय- अरे यार, यह पापा को क्या हो गया सुबह सुबह क्यों फ़ोन किया?
विजय- अरे यार पता नहीं.. बहुत गुस्सा थे.. बोल रहे थे कि जल्द से जल्द घर आ जाओ..
जय- अरे यार उनको बता कर आए थे ना कि हम एक हफ़्ता फार्म पर रहेंगे। यह तो गेम की वजह से आज जाना पड़ रहा है.. वैसे हुआ क्या?
विजय- अरे यार आने के पहले तुमको कोई पेपर साइन करने को कहा था.. तू जल्दी में भूल गया.. उसी के लिए गुस्सा हैं और हमसे क्या काम होगा?
जय- ओह.. शिट.. अब तो पापा और चिल्लाएँगे.. मुझे भी यहाँ आने के चक्कर में याद नहीं रहा..
विजय- अब बातें बन्द कर.. जल्दी रेडी हो जा.. नहीं तो और सुनना पड़ेगा। मैं रानी को उठा कर रेडी करवाता हूँ।
विजय दरवाजे के पास गया.. तभी रानी ने दरवाजा खोल दिया।
विजय- अरे उठ गई रानी रानी.. मैं अभी तुम्हारे पास ही आ रहा था.. अच्छा हुआ तू खुद आ गई और कमाल की बात है तू तो रेडी हो गई..
रानी- हाँ.. विजय जी.. मैं तैयार हूँ और आपको जगाने आई.. तो आपकी बात भी मैंने सुन ली थी। आप तो तैयार हो जय जी भी तैयार हो जाएं.. तो हम निकल जाएँगे.. मगर मुझे गाँव नहीं जाना.. आप मुझे अपने साथ ही ले चलो ना.. मैं आपके बिना नहीं रह सकती.. कुछ भी करो.. मुझे ले चलो..
विजय- अरे पगली.. ऐसे डायरेक्ट घर नहीं ले जा सकते.. तू बात को समझ .. जल्दी हम वापस आएँगे.. यहाँ एक खेल होने वाला है.. उसके बाद तुमको शहर साथ ले जाएँगे।
रानी ने बहुत ज़िद की.. मगर विजय ने उसको समझा कर मना लिया कि वो अगली बार उसको साथ ले जाएँगे और उसको 5000 रुपये भी दिए.. जिससे रानी खुश हो गई।
तब तक जय भी तैयार हो गया था, सबने जल्दी से नाश्ता किया और वहाँ से निकल गए।
दोस्तो, मेरे पास कुछ दोस्तों के ईमेल आए कि यहाँ के नौकरों का कोई नाम और जिक्र मैंने नहीं किया.. तो आपको बता दूँ.. उनका ऐसा कोई खास रोल ही नहीं है.. तो नाम जानकर क्या करोगे? ओके आगे का हाल देखो..
गाड़ी विजय चला रहा था और जय पीछे रानी के साथ बैठा हुआ उसके होंठों पर उंगली घुमा रहा था.. उसके मम्मों को दबा रहा था।
रानी- क्या हुआ जय जी.. आप तो बड़े बेसबरे हो रहे हो.. रात को मन नहीं भरा क्या आपका?
जय- अरे रात को तूने पूरा मज़ा लेने कहाँ दिया था..
विजय- हाँ.. भाई दो बार में ही थक गई थी ये.. अब अगली बार इसको बराबर चोद कर मज़ा लेंगे।
रानी- अरे आप लोगों के लिए 2 बार हुआ होगा.. मेरे लिए तो 4 बार हो गया था। आप दोनों अलग-अलग क्यों नहीं करते… जैसे एक रात जय जी और और एक रात आप.. तब ज़्यादा मज़ा आएगा.. आप दोनों को और मुझे भी..
जय- मेरी जान तेरी गाण्ड की सील खुल जाने दे.. उसके बाद तू खुद दोनों को एक साथ बुलाएगी.. क्योंकि तुझे आगे और पीछे एक साथ मज़ा मिलेगा और हो सकता है तीसरा भी माँग ले.. मुँह के लिए हा हा हा हा..
रानी- जाओ.. आप बहुत बदमाश हो कुछ भी बोल देते हो..
वो तीनों ऐसे ही बातें करते हुए जा रहे थे। कब रानी का गाँव आ गया.. पता भी नहीं चला.. वहाँ उसकी माँ को उन्होंने कहा- रानी बहुत अच्छा काम करती है.. और जल्दी ही इसको शहर ले जाएँगे।
जय ने उसकी माँ को एक हजार रुपये दिए- ये रखो.. आगे और ज़्यादा देंगे..
मगर जब वो वहाँ खड़े बातें कर रहे थे एक लड़का जो करीब 21 साल का होगा वो छुप कर उनको देख रहा था और उसके माथे पर बहुत पसीना आ रहा था जैसे उसने कोई भूत देख लिया।
कुछ देर वहाँ रहने के बाद वो दोनों वहाँ से शहर के लिए निकल गए।
गाड़ी में विजय ने जय को कहा कि रानी को और पैसे क्यों दिए.. मैंने सुबह उसको 5 हजार दे दिए थे।
जय- अरे यार ऐसी कच्ची कली के आगे ये पैसे क्या हैं चलेगा.. अगली बार डबल का मज़ा लेंगे ना..
विजय- वो बात नहीं है यार.. पैसे तो कुछ नहीं.. मगर इतने पैसे देख कर उसकी माँ को शक ना हो जाए..
जय- अरे कुछ नहीं होगा यार.. तू सोचता बहुत है.. चल अब जल्दी कर.. नहीं पापा का गुस्सा और बढ़ जाएगा और वो जाते ही बरस पड़ेंगे।
विजय ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और गाड़ी तेज़ी से दौड़ने लगी।
उधर इनके जाने के बाद सरिता बहुत खुश हो गई और रानी को गले से लगा कर प्यार करने लगी।
सरिता- बेटी वहाँ तुमको कोई परेशानी तो नहीं हुई ना?
रानी- नहीं माँ.. वहाँ पहले से बहुत नौकर हैं मुझे तो ज़्यादा काम भी नहीं करना पड़ा और ये दोनों बाबूजी भी बहुत अच्छे हैं इन्होंने मुझे वहाँ अच्छी तरह रखा।
वो दोनों अभी बातें कर ही रही थीं तभी वहाँ वो लड़का भी आ गया जो बहुत गुस्से में दिख रहा था।
दोस्तो, इसका परिचय भी दे देती हूँ.. यह जेम्स है इसी गाँव का है.. और रानी की माँ को काकी बोलता है।
जेम्स- क्यों काकी.. कितना कमा के लाई है रानी रानी.. जरा मुझे भी बताओ?
जेम्स को देख कर रानी खुश हो गई और जल्दी से रानी ने उसका हाथ पकड़ कर उसको घुमा दिया।
रानी- अरे जेम्स तू आ गया शहर से.. अरे कितने दिन मैंने तुझे याद किया… देख मुझे भी नौकरी मिल गई.. ये बाबू लोग बहुत अच्छे हैं।
सरिता- तुम दोनों बातें करो.. मैं खाना बना देती हूँ.. आज मेरी बिटिया को अपने हाथ से खाना खिलाऊँगी।
जेम्स- हाँ.. रानी अब बता.. यह सब क्या है.. तू उनके साथ कैसे गई.. मुझे सारी बातें विस्तार से बता?
रानी ने उसको सब बता दिया.. बस चुदाई की बात नहीं बताई.. झूट मूट काम का बोलकर अपनी बात पूरी की।
जेम्स- रानी तुम दोनों माँ-बेटी पागल हो गई हो.. ये बड़े घर के बिगड़े हुए लड़के हैं.. तुम इनको नहीं जानती.. ये कुछ भी कर सकते हैं। पता है ये कौन हैं..? मैंने शहर में इनको उस कुत्ते के साथ देखा है.. ये उसके ही साथी हैं ओह.. रानी तुम कैसे इनके यहाँ काम कर सकती हो.. इन लोगों की वजह से ही हमारी आशा हमसे दूर हो गई.. तुम भूल गई क्या वो दिन?
रानी- तुम क्या बोल रहे हो जेम्स.. नहीं नहीं.. ऐसा नहीं हो सकता.. ये उसके साथी नहीं हो सकते.. वो दिन मैं कैसे भूल सकती हूँ.. नहीं तुमको कोई धोखा हुआ है शायद..
जेम्स- नहीं रानी.. मुझे कोई धोखा नहीं हुआ.. कुछ दिन पहले मैंने इन दोनों के साथ उस जालिम को देखा है। मैं उसकी सूरत कभी नहीं भूल सकता तुम मानो या ना मानो.. मगर इन दोनों का उसके साथ कोई ना कोई सम्बन्ध जरूर है..
जेम्स की बात सुनकर रानी के चेहरे का रंग उड़ गया.. उसकी आँखों में आँसू आ गए।
जेम्स- अरे क्या हुआ रानी.. तू क्यों रो रही है.. रोना तो उस कुत्ते को होगा। अब मैं शहर में नौकरी करने नहीं बल्कि उसको ढूँढने गया था। अब उसका पता ठिकाना मुझे पता चल गया है.. बस बहुत जल्द मैं उसको सबक़ सिखा दूँगा.. तू देखती जा..
रानी- हाँ.. जेम्स उसको छोड़ना नहीं.. उसने आशा के साथ बहुत बुरा किया था और एक बार मुझे भी उसको दिखाना। उस दिन मेरे मुँह पर कीचड़ था तो मैं उसको देख नहीं पाई थी।
जेम्स- हाँ.. रानी अबकी बार जब मैं शहर जाऊँगा.. तो तुम भी साथ चलना.. मैं तुमको दिखा दूँगा और हाँ.. अब तुम इन दोनों से साफ-साफ कह देना कि तुमको इनकी नौकरी नहीं करनी।
रानी- नहीं जेम्स.. सच में ये दोनों भाई बहुत अच्छे हैं हो सकता है.. वो इनका साथी हो.. मगर ये अच्छे लोग हैं और मुझे जल्दी शहर लेकर जाएँगे.. तब हम आसानी से उसको सबक़ सिखा देंगे.. सही है ना?
जेम्स- नहीं रानी.. तू बहुत भोली है.. इन अमीरों को नहीं जानती.. ये अच्छे बन कर भोली भाली लड़की का दिल जीत लेते हैं.. उसके बाद उसकी इज़्ज़त को तार-तार कर देते हैं।
जेम्स की बात सुनकर रानी सहम गई क्योंकि उसने तो अपनी इज़्ज़त गंवा दी थी.. मगर वो जेम्स को ये सब नहीं बताना चाहती थी.. इसलिए उसने बात को काटकर दूसरी बात शुरू कर दी।
कुछ देर बाद सरिता भी आ गई और वो सब बातों में लग गए।
उधर विजय और जय तेज़ी से घर की तरफ़ जा रहे थे.. तभी जय का फ़ोन बजने लगा। स्क्रीन पर पापा का नम्बर देख कर वो थोड़ा परेशान हो गया।
विजय- भाई किसका फ़ोन है.. उठाते क्यों नहीं.. कब से बज रहा है?
जय- अरे यार पापा का है.. अब इनको भी बहुत जल्दी है क्या करूँ?
विजय- करना क्या है.. बोल दो बस पहुँचने वाले हैं..
जय ने फ़ोन उठाया तो सामने से गुस्से में आवाज़ आई- कहाँ हो तुम दोनों.. अब तक आए क्यों नहीं?
जय- बस पापा पहुँचने ही वाले हैं आप गुस्सा मत हो..
पापा- अरे गुस्सा कैसे नहीं होऊँ.. तुमसे एक काम भी ठीक से नहीं होता.. ये पेपर बहुत जरूरी हैं आज मुझे कहीं देने हैं अब बिना कहीं रुके सीधे घर आ जाओ बस..
फ़ोन रखने के बाद जय की जान में जान आई.. उसने विजय को स्पीड और तेज़ करने को कहा।
दोस्तो, इनको घर जाने की बहुत जल्दी है और शायद आपको भी तो चलो इनसे पहले मैं आपको वहाँ ले जाती हूँ ताकि उस घर में रहने वाले लोगों को आप जान लो और कहानी को समझ सको।
जय के पापा रणविजय खन्ना का इंट्रो मैंने शुरू में दे दिया था.. मगर आप भूल गए होंगे तो दोबारा बता देती हूँ।
रणविजय खन्ना की उमर करीब 42 साल की है.. अच्छी परसनेल्टी के मलिक हैं दिल्ली के बड़े प्रॉपर्टी डीलर हैं.. थोड़े गुस्से वाले भी हैं। इनकी धर्म पत्नी काम्या खन्ना.. जो एक धार्मिक किस्म की औरत हैं। उम्र लगभग 40 साल.. सांवला रंग और कम ऊँचाई की घरेलू औरत हैं।
इनके घर में प्रीति खन्ना भी इनके साथ ही रहती हैं उनकी उमर करीब 39 साल है.. रंग गोरा और दिखने में अभी भी 30 की लगती हैं। इन्होंने अपना फिगर भी मेंटेन किया हुआ है। 36-28-36 का फिगर बड़ा ही जबरदस्त लगता है। ये विजय की माँ हैं अपने पति आकाश की आकस्मिक मौत के बाद यहीं रहती हैं।
वैसे तो दोनों भाई साथ मिलकर काम करते थे.. मगर आकाश की मौत के बाद सारा काम रणविजय ही संभालता है.. और विजय को अपने बेटे से ज़्यादा मानता है। इनके अलावा कुछ नौकर हैं.. जिनका इंट्रो देना जरूरी नहीं..
अरे अरे.. एक बात बताना भूल गई.. रश्मि को तो आप जानते ही हो.. वो भी रणविजय की ही बेटी है… मगर कुछ वजह से वो यहाँ नहीं रहती.. ज़्यादातर हॉस्टल में ही रहती है। बस छुट्टियों में यहाँ आती है.. अब इसके पीछे का कारण भी आप जानते हो.. वो अपनी चाची से नफ़रत करती है.. याद है ना उसने काजल को बताया था कि उसके पापा और उसकी चाची के बीच नाजायज़ सम्बन्ध हैं। अब वो सब कैसे और क्यों हैं.. इसका समय अभी नहीं आया.. सही समय पर सब बता दूँगी ओके..। तो चलो जान-पहचान हो गई.. अब घर में एंट्री मारते हैं।
रणविजय सोफे के पास चक्कर लगा रहा था.. तभी काम्या आ गई।
काम्या- आप आराम से बैठ जाए ना.. आ जाएँगे वो दोनों..
रणविजय- अरे क्या खाक बैठ जाऊँ.. ये पेपर मुझे लंच के पहले देने हैं.. नहीं बहुत नुकसान हो जाएगा..
काम्या- ओह्ह.. अब परेशान मत हो आप.. वो जल्दी आ जाएंगे और आप भी ना.. जब आपको पता है ये बच्चे लापरवाह हैं तो क्यों कोई ज़मीन इनके नाम पर लेते हो।
रणविजय- अरे खून है मेरा.. इनके नाम ज़मीन नहीं लूँगा तो किसके नाम पर लूँगा.. हाँ.. अब तुम जाओ मेरा दिमाग़ ना खराब करो।
रणविजय का गुस्सा देखकर काम्या वहाँ से अपने कमरे की तरफ़ चली गई.. कुछ ही देर बाद प्रीति ऊपर से नीचे आई और सोफे पर बैठ गई।