Kamukta kahani कीमत वसूल - Page 11 - SexBaba
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Kamukta kahani कीमत वसूल

मुझे हँसी आ गई। मैंने कहा- "अनु देखो इसको ये फिर से चुग्गा मार रही है."

अनु ने कहा- "आप दोनों की बात है, मैं क्या कहूँ? ये तो कुलफी है। आपका तो पता नहीं में क्या-क्या खाती है."

मैंने उसको देखा तो अनु के चेहरे पर बड़ी शरारत थी। मुश्कुरा के बोली- "मैंने सही कहां ना?"

में भी अब अन् से फेंक हो गया था। मैंने कहा- "आप भी खा लीजिए, हमने कब मना किया है?"

अनु बोली- "अच्छा जी ट्राई करेंगे कभी.."

मैंने कहा- "कभी भी..."

फिर हम घर आ गये। मैंने सबको ड्रॉप किया। मैंने शोभा से कहा- "हम सबका नैनीताल जाने का प्रोग्राम बन
गया है। आप अनु के बेबी को एक दिन के लिए रख लीजिए, और अनु को जाने दीजिए। उसका बहुत मन है.."
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शोभा ने अनु को देखा, तो उसने हौं कहा।

तब शोभा बोली- "अगर आप सबकी मर्जी है तो मैं क्या कहूँ? कब जाना है?"

ऋतु ने कहा- परसों।

में वापिस आ गया। मैंने आने से पहले ऋतु से कहा- "आज बात कर लेना.."

ऋतु बोली- "मैं सब कर लूगी। आप फिकर नहीं करिए, काम हो जाएगा.."

अगले दिन ऋतु ने मुझे गुड न्यूज दी की दीदी से सब बात हो गई है।

मैंने कहा- "फिर कब के लिए कहा अनु ने?"

ऋतु ने मुझे आँख मारते हुए कहा- "आपका काम नैनीताल में हो जाएगा."

मुझे हसी आ गई।

फिर ऋतु ने कहा- "मुझे दीदी के साथ शापिंग करने जाना है। कल नैनीताल जाना है इसलिए दीदी को कुछ जरूरी सामान लेना है।

मैंने कहा- "मैं भी चलता हैं। तुम अनु को आफिस में बुला लो.."
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ऋतु ने फोन करके अनु को बुला लिया। अनु थोड़ी देर मेरै केबिन में बैठी। फिर हम तीनों शापिंग करने चले गये। अनु ने कुछ अपनें काम की चीज़ ली। फिर मैंने वहां अनु को अपनी पसंद का एक सूट दिलवाया।

तब ऋतु में कहा- "मुझे भी लेना है.." तो मैंने उसको जीन्स टाप दिलवाया।

मैंने अनु से कहा- "आप जीन्स नहीं पहनती?"

अनु ने कहा- "पहले पहनती थी." और शर्माते हुए- "अब जरा अच्छा नहीं लगता..."

मैं मन में सोचने लगा- "इसकी गाण्ड भारी होने की वजह से नहीं पहनती होगी."

मैंने कहा- "हौं जो अच्छा लगे वहीं पहनना सही है.... फिर मैंने अन् से कहा- "आपसे मिलने के बाद आपसे दूर होने का मन नहीं करता। पर आपको घर जाना है इसलिए चलिए आपको घर छोड़ आता हैं.." फिर मैंने उन दोनों को घर छोड़ दिया।
 
अगले दिन सुबह में जल्दी से उठ गया। तैयार होकर मैंने ऋतु को फोन किया।

ऋतु ने कहा- "हमलोग तैयार हैं."

में कार लेकर ऋतु के घर पहुँचा। वो दोनों तैयार थीं। दोनों ने अपना लगेज कार में रखा और हम सब चल पड़े। मैंने थोड़ी दर जाने के बाद कार रोकी और अनु से कहा- "तुम आगे आकर बैठो.."

मैंने मत का इशारा किया बो पीछे चली गई मैंने कार स्टार्ट करी।

अनु ने कहा- "कोई म्यूजिक चला दीजिए."

मैंने कहा- "कैसा म्यूजिक पसंद है?"

अनु ने कहा- कोई भी चलेगा।

मैंने कहा- कोई भी?

अनु ने कहा- "जी.."

मैंने कहा- मेरी पसंद का सुनोगी?

अनु ने कहा- हाँ जी।

मैंने पंजाबी गाने की सी.डी. चला दी।

अनु ने कहा- वाह... क्या पसंद है आपकी?

मैंने कहा- "थैक्स..."

फिर हम लोग बातें करते रहे मैंने बातों-बातों में अपना हाथ अनु की जाँघ पर रख दिया। अनु ने आज भी सलवार सूट पहना हुआ था। उसकी जाँघ पर हाथ रखा तो एहसास हुआ माल थोड़ा भारी है पर चिकना है। अनु ने मुझे देखा और स्माइल दी। मैं समझ गया लाइन साफ है। मैंने अपने हाथ से उसकी जाँघ को सहलाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मेरा हाथ उसकी जाँघ में काफी ऊपर जहां से चूत का जोड़ शुरू हो जाता है वहां तक कर दिया अब अनु को कुछ-कुछ होने लगा, उसने अपनी दोनों जंगो को आपस में चिपका लिया।

मैंने कुछ कहा नहीं। मैं अपनी उंगलियों से उसको गरम करता रहा। फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ रख दिया और अपने हाथ से उसकी जांघों को अलग कर दिया। उसने मुझे बड़ी चुदासी नजर से देखते हुए अपनी जांघों को अलग कर लिया।
 
मैंने कुछ कहा नहीं। मैं अपनी उंगलियों से उसको गरम करता रहा। फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ रख दिया और अपने हाथ से उसकी जांघों को अलग कर दिया। उसने मुझे बड़ी चुदासी नजर से देखते हुए अपनी जांघों को अलग कर लिया।

मैंने फिर उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरु कर दिया तो अन् ने अपनी आँखें बंद कर ली। मैंने देखा ऋतु को झपकी आ गई थी। मैंने अपना हाथ अनु के चेहरे पर फिराना शुरू कर दिया। मैंने अपनी उंगली उसके गाल से फेरते हुए उसके होंठों पर जाकर रोक दी। उसने मेरी उंगली को अपने मुँह में ले लिया और चसने लगी। मुझे उसकी ये अदा बड़ी पसंद आई। मैं समझ गया की ये मेरी उंगली को लण्ड समझकर चूस रही है, इसको लण्ड चूसने का मन कर रहा है।
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फिर मैंने अपने लण्ड पर उसका हाथ रख दिया। उसका हाथ रखते ही लण्ड ने झटके मारने शुरू कर दिए। अनु ने मेरे लौड़े को सहलाना शुरु कर दिया और मुझे चुदासी नजर से देखा। मैंने उसको फ्लाइंग किस किया। उसने भी जवाब दिया। वो मेरे लण्ड पर हाथ फेर रही थी बल्कि , समझ लो की वो उसका साइज नाप रही थी।

मैंने उसको धीरे से कहा- "बाहर निकाल क्या?"

अनु ने मुझे तिरछी नजर से देखा और अपना सर हिला दिया।
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मैंने अपनी जिप खोली और लण्ड बाहर निकाल दिया। अब मेरा नंगा लौड़ा अनु के हाथ में था। वो उसको बड़े ही प्यार से ऊपर-नीचे कर रही थी। उसका हाथ मेरे सुपाड़े में नीचं तक फिसल रहा था। मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था। मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर कस दिया, और उसके हाथ को जोर-जोर से ऊपर-नीचे करने लगा। दो मिनट में मेरा माल निकल गया। अन् के हाथ मेरे माल से लिसलिसे हो गये। मैंने उसको देखा तो वा मुझे शिकायत भरी नजरों से देखने लगी।

मैंने उसको शरारत से देखते हुए कहा- "इसे चाट के देखो, क्रीम का टेस्ट आएगा..."

अनु ने मुँह बिचकाया।

मैंने उसको कहा- "एक बार ट्राई तो करो। अच्छा ना लगे तो फिर कहना..."

अन् ने हिचकते हए अपनी उंगली पर जीभ रखी और फिर पता नहीं उसको क्या हआ उसने अपना पूरा हाथ ऐसे चाटना शुरू किया की जब तक सब चाट नहीं लिया रूकी नहीं। मैं उसको देखता रहा। बो ऐसे लग रही थी जैसे की वो सच में कीम चाट रही हो। अनु ने मुझे देखा तो मैं मुश्कुराया और वो शर्मा गईं।

मैंने कहा- कैसा लगा?

अनु ने कुछ नहीं कहा।

मैंने कहा- "मुँह से नहीं बताना है तो इशारे में बता दो."

अनु ने मुझे देखा।

मैंने उसको कहा- "चलो हों या ना में बता दो..."

अनु ने सिर हिला दिया। मैं समझ गया इसको पसंद आया है।

इतने में ऋतु की नींद खुल गई वो बोली- "कहां तक आ गये। अभी कितनी दूर है?"

मैंने कहा- "अभी 25-30 किलोमीटर है..."

ऋतु बोली- "अच्छा तो मैं सो रही हैं, उठा देना जब आ जाए.." और बो सो गई।

मैंने अनु से कहा- "तुमने तो मेरी कीम का टेस्ट ले लिया अब मुझे अपनी क्रीम का स्वाद कब चखाओगी?"
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अनु झोपते हुए बोली- "मुझे नहीं पता.."

मैंने कहा- मेरा तो अभी से मन कर रहा है।

अनु बोली- अभी नहीं, वहां जाकर ।

मैंने उसको कहा- "मुझे वहां जाने तक तड़पाओगी?"

अनु ने मुझे बड़े प्यार से देखते हए कहा- "मेरे बाबू, यहां कुछ नहीं हो सकता वहां जाकर करना."

मैंने कहा- "अच्छा जी, मान लिया..."

अनु फिर से मुझे बोली- "मेरा बाबू कितना स्वीट है."

मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने मुझे प्यार से देखते हुए आँख मारी। मैंने कहा- "बाबू क्यों बोला मझे?"

अनु बोली- "आइडिया लगाइए?"

मैं सोचने लगा। हम दोनों एक दूसरे से रसभरी बातें करते रहे। बातों-बातों में हम होटेल तक पहुँच गये। मैंने होटल में रूम पहले ही बुक करवाया हुआ था। पार्किग से उसका बेटर आकर सामान ले गया। हम रिसेप्शन पर पहुँच गये। मैंने रिसेप्शनिस्ट को अपना नाम बताया, उसने मुझे बेलकम करते हुए चाभी दे दी।

अनु ने मुझे कहा- "ये तो 5-स्टार लग रहा है."

मैंने कहा- "हाँ, मुझे भी.."

अनु मकरा उठी मैंने मन में सोचा- "में जो भी लागत लगा रहा है, वो सब तेरे से परी कर लैंगा। मैं हर चीज की कीमत वसूल कर लेता हूँ.....

हम लोग सीधा अपने रूम में पहुँचे।

मैंने रूम में जाते ही कहा- "पहले थोड़ी देर आराम करते हैं। कार में बैठे-बैठे बैंड बज गई..."
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अनु ने भी कहा- "हौं। पहले थोड़ा आराम करते हैं."

फिर हम तीनों बेड पर लेट गये। मेरी आँखों से नींद गायब थी। मैं तो अनु को चोदने के लिए यहां लाया था मैं कैसे सो जाता? अन् का भी यही हाल था। मैंने उठकर देखा तो अन् की आँखें खुली थी। उसने मुझे देखा तो मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया और उसको इशारे से कहा- "बाथरूम में चलो.."

मैं बाथरूम में गया। अनु भी आ गई। मैंने आते ही उसको अपनी बाहों में ले लिया, अन् के होंठों पर अपने होंठों चिपका दिए। सच कहूँ तो अनु ऋतु से भी ज्यादा गरम थी। उसने मुझे ऐसे दबोच लिया जैसे वो कब से भूखी हो। हम दोनों एक दूसरे से चिपटे रहे। मैं उसकी जांघों को सहलाता रहा।

मैंने उसकी गोल मटोल गाण्ड पर हाथ फेरकर कहा- "अनु मैंने जबसे तुम्हें देखा है, तुम्हारे लिए तड़फ रहा हूँ.."

अनु ने मुझे खुद से और कसकर चिपकाते हुए कहा- "समीर, मैं भी तड़फ रही हूँ तुमसे मिलने को..."

हम जिस हालत में थे, अगर कोई देखता तो उसे ऐसा लगता जैसे की हम दोनों काई बिछड़े हुए प्रेमी हैं। मैंने अनु की छातियों को अपने हाथों में पकड़ लिया। उसकी चूचियां बड़ी-बड़ी जरर थी पर थी, लेकिन टाइट थी। मैंने उसको बड़े प्यार से सहलाया। क्योंकी अन् अभी तक दूध पिलाती थी। ज्यादा जोर से दबाने से उसका दूध बाहर आ सकता था और मैं ऐसा नहीं चाहता था।

फिर मैंने अनु को घुमा दिया। मैं अनु को पीछे से उसकी चूचियों को सहलाते हुए उसकी गर्दन को चाटने लगा।

मेरे इस किस से अनु के पूरे जिम में सनसनी उठने लगी। मैंने उसकी गढ़ेदार गाण्ड पर अपना लण्ड पर हुए उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। उसकी सलवार हलके से उसके पैरों में गिर गई। अनु में ब्लैक कलर की पैंटी पहनी हुई थी। उसका पेट थोड़ा सा निकला हुआ था। अक्सर बच्चा पैदा होने के बाद लड़कियों का पेट थोड़ा सा निकाल आता है। मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया, उसकी चूत को बाहर से सहलाया सफाचट चूत थी। मैंने अपनी उंगली उसकी चूत की फांकों में फंसा दी।

अनु मस्ती से बोली- "सस्स्सी ... क्या करते हो?"

मैंने कहा- "उसको देख रहा हूँ, जो मुझे कब से तड़पा रही है?" और कहते हए अनु की गर्दन पर अपनी जीभ फर दी।

अनु का शायद ये अच्छा लगा। उसने मुझसे कहा- "आपके ऐसा करने से मुझे कुछ-कुछ होता है."

मैंने दिल में सोचा- "में भी तो यही चाहता हैं..."

मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी। अनु की चूत पहले से गीली थी। मैंने उसकी चूत में जब उंगली डाली तो वो गनगना उठी। उसने अपनी गाण्ड को और पीछे कर दिया। मेरे लौड़े को उसकी गाण्ड की रगड़ से और मजा आने लगा मैंने 10-15 बार उंगली अंदर- बाहर की और उंगली को निकाल लिया। अन् तो जैसे सोच रही थी की मैं उंगली निकालू ही नहीं, उसको इतना मजा आ रहा था।

मैंने अपनी उंगली को पहले सँधा। बाह क्या स्मेल थी उसकी चूत की। फिर मैंने उंगली को मुँह में रखा और चूसने लगा। अन् की चूत का रस टेस्ट में से कम नहीं था। मेरे लण्ड में तो अन् को चादर्जे का इरादा बना लिए था। पर मैंने अपने लण्ड को समझते हए अन् को कहा- "तुम अपने कपड़े पहन लो..."

अनु भी पूरे मूड में आ चुकी थी। मुझे देखा और बेमन से अपनी सलवार पहन ली।

मुझे अभी अन् के जिश्म को पूरी तरह से भागना था। मैंने उसको कहा- "तुम अब बाहर जाओ, मैं भी आता हैं काफी देर हो गई हमें यहां.."

अन् ने कहा- "हाँ। कहीं ऋतु को पता ना चल गया हो..."

मैंने अनु से कहा- "ऋतु की फिकर मत करो, उसको मैंने पहले से ही बता दिया है.."

अनु ने मुझे देखा तो मैंने कहा- "हम यहां ऋतु की मज़ी से ही आए हैं

अनु ने मुश्कुराकर कहा- "बड़े वा हो आप.."

बाहर आकर हम दोनों थोड़ी देर सो गये। थोड़ी देर बाद ऋतु में उठाया- "उठिए कहीं चलना है या नहीं?"

हम सब तैयार होकर कम से निकले और माल-रोड पर घमने आ गये।

ऋतु ने कहा- "झील में बॉटिंग करते हैं."
 
मैंने अनु की तरफ देखा तो अनु ने फैसला मुझ पर छोड़ दिया। फिर हम सब बोट में बैठ गये। मैंने बोट वाले से कहा- "बोट को दूर तक ले चलो..."

मैंने बोट में अन् का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- "अन् तुमने अगर आज पूरी रात मजा लेना है तो मैं जैसा कहूँ वैसा ही करना..."

अनु बोली- "मुझे आज हर सुख लेना है। आप जो कहोगे मैं करूँगी."

मैने ऋतु से कहा- "तुम अपनी मम्मी को फोन करा और उनमें बोला की हम लोग जब से यहां आए हैं, मौसम खराब होने लगा है और अब तो मौसम बड़ा खराब हो गया है। बारिश हो रही है। हम लोग इतने खराब मौसम में वापिस कैसे आएं? अगर आप कहो तो हम लोग सुबह मौसम ठीक होते ही निकाल पड़ेंगे.."

ऋतु ने मुझे घूर के देखा और शोभा को फोन किया। पहले तो शोभा मना करने लगी।

ऋतु - "अगर इस मौसम में कार रास्ते में खराब हो गई तो कितना रिस्क है?"

मैंने अनु को कहा- "तुम भी फोन पर कह दो रुकने के लिए."

अनु ने ऋतु से फोन लेकर शोभा से कहा- "मम्मी, हम तो यहां आते ही फंस गये। कुछ देखा ही नहीं..'

शोभा ने कहा- "अच्छा-अच्छा, तुम लोग कल आ जाना, मैं बेबी को संभाल लूंगी। तुम चिंता मत करो.."

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मैं खुश होकर बोला- "अन् तुम अब देखना मैं इस रात को तुम्हारी सुहागरात से भी ज्यादा रंगीन बना दूँगा.."

अनु के गाल लाल हो गये। हम बाट से उतरकर माल रोड पर घमने लगें। अन् ने मुझसे कहा- "कुछ खाने का मन कर रहा है.."

मैंने कहा- "मुझे भी भूख लग रही है.."

फिर हम सबने खाना खाया तब तक 6:00 बज चुके थे।

मैंने अनु से कहा- "तुम ऋतु के साथ रूम में चलो, मैं अभी आता हूँ.."

ऋतु ने कहा- "आप कहां जा रहे हो?"

मैंने कहा- "मुझे कुछ लेना है। तुम दोनों जाओ, हा आता हैं..." उनका बोलकर मैं बाजार में चला गया। मैंने जाते ही डाबर मधु खरीदा और एक विस्की की बोतल, थोड़ा नमकीन बगैरह लेकर में रूम में आ गया। अनु और ऋतु दोनों बातें कर रही थी।

ऋतु मुझे देखकर बोली- "क्या लेने गये थे?"

मैंने कहा- "ये विस्की और नमकीन ...

ऋतु ने कहा- अब रात का क्या करना है?

मैंने कहा- "पहले तुम दोनों नहाकर आओं और बाहर सिर्फ तौलिया लपेटकर आना..."

अनु ने मुझे सवालिया नजर से देखा।
 
मैंने कहा- "जैसा मैंने कहा, वैसा ही करा तब तक में एक-दो पेग पी लें..."

पहले अनु नहाने गई वो नहाकर आई।

तब मैंने ऋतु से कहा- "अब तुम जाओ..."

ऋतु नहाने चली गई। मैंने अनु को देखा तो अन् का जिम ऐसा था जैसा किसी साँचे में टला हआ हो। वो थोड़ी मोटी जरा थी, पर उसको कोई मोटा नहीं कह सकता, क्योंकी उसकी छातियां और गाण्ड बहुत गोल थी, उसकी जांघों की शेप भी गजब थी।

मैंने अन् को कहा- "मेरे पास आओ.."

अनु मस्त हो चुकी थी। गाण्ड हिलती हुई आ गई। मैंने उसका एक डी.ओ. देते हुए कहा- "अपनी पूरी बाडी पर इसको लगा लो.."

अन् ने लगा लिया मैंने उसको कहा- "पूरी बाडी पर लगाओ..."

अन् ने अपने तौलिया में भी डी.ओ. डालकर स्ने किया।

मैंने उसको कहा- "अब तम बैंड पर लेट जाओं और अपने जिश्म को बेडशीट से टक लो। तौलिया निकालकर
बाहर रख दंना..."

अन् ने वैसा ही किया। मैंने बा तौलिया उठाकर रख दिया। ऋतु भी नहाकर आ गई उसको भी मैंने ऐसा ही करने को कहा। अब वो दोनों बहनें बेड पर नंगी पड़ी थी, सिर्फ बेडशीट से टकी हई थी। मैंने शहद की शीशी अन् को दी और कहा- "इसको अपनी चूत में डाल लो, जितनी ज्यादा चली जाए.."

अनु मुझे ऐसे देखने लगी जैसे में कोई पागल हैं।

मैंने अनु को कहा- "तुम सोचो मत, मैंने जैसा कहा है वैसा करो.."

मैंने ऋतु में कहा- "तुम मत डालना.."

ऋतु ने मुझे गुस्से से देखा तो मैंने उसको कहा- "तुम्हारे लिए कुछ और लाया हूँ.

ऋतु कुछ नहीं बोली। फिर मैंने कहा- मैं नहाकर आता हूँ.." और बाथरूम में घुस गया।

मैंने अपनी बाडी को वाश किया फिर डी.ओ. लगाकर मैंने सिर्फ अपना जाकी पहना और बाहर आ गया। मैंने बाहर आकर देखा तो शहद की आधा खाली शीशी बेड पर थी। मैं समझ गया अनु ने काम कर लिया है।

मैने अनु से कहा- "अब तुम स्वर्ग देखने के लिए तैयार हो जाओ, मैं तुम्हें अब जन्नत दिखाता हूँ.."

अनु कुछ ज्यादा ही मस्त हो गई थी, बोली- "पता नहीं कब दिखाओगे? में में तो कब से इंतजार ही कर रही हैं."

मैंने अनु के पैर की तरफ से अपना काम शुरू किया। अनु के पैरों से बेडशीट को उठाया और उसकी जांघों तक कर दिया। मैं अब उसकी नंगी टांगों को फैलाकर उसकी पिंडलियों को सहलाया और चूमने लगा। अनु की सिसकियां सुनाई देनी शुरू हो गई। मैंने उसकी पिंडली से उसकी जांघों तक किस करना शुरू कर दिया, फि उसकी जांघों से ऊपर तक बेडशीट को हटा दिया। अन् ने अपनी टांगों को बंद कर लिया।

मैंने अनु की दोनों टांगों को फिर से अलग कर दिया और कहा- "अब ये आपस में मिलाना नहीं."

अनु ने अपना मुँह टका हुआ था। उसकी आवाज आई- "अच्छा पर क्या करू गुदगुदी हो रही है।"

मैंने कहा- "हाने दो तुम ऐसे ही रहना.."

अन् की फिर आवाज आई. "अच्छा... मैं अब नहीं करेगी.."

फिर मैंने जहां से उसकी चूत शुरू हो रही थी उस जगह से अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी। अन् को मदहोशी
छाने लगी तो वो अपनी गाण्ड को उछाल रही थी। मैं तो उसको अभी और तड़पाने वाला था, इसलिए मैंने उसी जगह पर जीभ फिरानी शुरू कर दी। हल्के से ऊपर तक ले जाता, पर जैसे ही अन् को लगता में उसकी चूत पर अपनी जीभ लगाने वाला हैं में नीचे हो जाता।
 
अब अनु ने जोर-जोर से मादक सिसकियां लेनी शुरू कर दी। मैंने अब फानल टच दिया और अन् की चूत पर अपनी जीभ फेरी। मुझे शहद का स्वाद आने लगा था। मैं उसकी चूत के बाहर जितनी भी शहद भी उसको अपनी जीभ से चाटने लगा। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी। अनु तो जैसे 7वें आसामान में पहंच गई हो, उसने परे रूम में अपनी सिसकियों का गाना चला दिया।

अनु- "हाईई... मर गई मैं ऑईईई... उहह... उम्म्म्म
... बाबू मेरे बाबू आईई... ओह्ह... मेरे शोन ना
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मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत से शहद ऐसे चाटनी शुरू कर दी, जैसे मैं मटके वाली कुलफी में जीभ डालकर चाट रहा हूँ वैसे। उसकी चूत इस टाइम मुझे मटके वाली कुलफी ही लग रही थी। मैं भी पूरे मजे लेकर उसकी चूत चाट रहा था।

अनु की ये हालत देखकर ऋतु की चूत में भी खलबली मची हुई थी। पर मैंने उसको पहले ही समझा दिया था की मैं पहले अनु को चोदूंगा, उसके बाद तुझे। पर चूत में अगर एक बार खुजली होने लग जाए तो रुकती नहीं। वही हुआ ऋतु के साथ। वो उठकर बैठ गईं, मुझे ऐसे देखने लगी की अगर मैंने उसकी चूत का कुछ नहीं किया तो वो रो पड़ेगी।

मैंने ऋतु को कहा- "सिर्फ दो मिनट रुक...

मैंने अब तक अनु को बेहाल हर दिया था और अनु को अब होश नाम की चीज नहीं थी। होती भी कैसे? उसने कभी चूत को चटवाया ही नहीं था और जिस तरह पहली बार उसकी चूत की चटाई हो रही थी वो शायद किश्मत
से ही किसी लड़की की हो सकती है।

अनु की चूत में अब तक जो शहद का टेस्ट आ रहा था अब धीरे-धीरे नमकीन होने लगा था। अनु ने अपने ऊपर से बैंड शीट कब की उतार कर फेंक दी थी। वो बिल्कुल नंगी पड़ी थी।

अत भी अपनी नंगी चूत को रगड़ रही थी।

मैंनें ऋतु को कहा- "अनु के मुँह पर अपनी चूत रख दे.."

ऋतु बिना सोचे अनु के मुँह पर अपनी चूत रखकर बैठ गईं। अनु ने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।

मैंने मन में सोचा- "ऋतु एक बार झड़ जाए फिर ये काई पंगा नहीं करेंगी..."

मैंने अब अन् की चूत से अपना मैंह हटा लिया था। मैं अब अन् की चूचियों को सहलाने लगा, फिर अन् का निपल अपने मुँह में ले लिया। मैंने बच्चों की तरह उसकी चूचियां चूसनी शुरू कर दी। अनु ने भी मेरे मुँह में अपने ताजें दूध की पिचकारी छोड़ दी। मरें मह का टेस्ट बदलने लगा। मुझे फ्रेश मिल्क जो मिल रहा था मैंने उसकी चूची को कसकर चूसना शुरु कर दिया और अपने हाथ से उसकी चूचियों को मसल भी रहा था। जिससे उसके दूध का फ्लो कम ना हो। मैंने अपने हाथ से अन् की दूसरी चूची के निपल को एआ तो उससे भी दूध रिसने लगा था। मैंने अब उसकी दूसरी चूची को मैंह में ले लिया। अब मैं उसकी दूसरी चूची से दूध पी रहा था।
 
मैंने वैसे भी कई साल से में बाला दूध नहीं पिया था। ज्यादातर जितनी भी चूत मिली या तो वारी या फिर बिना दूध वाली थी। पर आज तो मैं दूध वाली को चोद रहा था। उसका दूध पीकर उसकी चूत में अपना माल छोड़ने वाला था। फिर मैंने अनु की दोनों टांगों को फैला दिया और अपना लौड़ा उसकी चूत पर रख दिया। अनु ने अब तक ऋतु को झड़ा दिया था।

ऋतु ने अनु के मुँह से अपनी चूत हटा ली थी।

मैंने अनु की चूत में अपना लण्ड आधा से कम डाल दिया। अनु की चूत पहले से ही इतनी फ्री थी, उसमें लौड़ा घुसता चला जा रहा था। मैंने अनु की चूत में पूरा लण्ड डालकर दो-तीन धक्के मारे, फिर आधा निकाल लिया और उसकी चूची मुँह में ले ली। अन् की चूत तो अब लौड़े की तेज ठाप माँग रही थी। उससे रहा नहीं गया वो अपनी गाण्ड को उठाकर लण्ड अंदर लेने लगी। वो अपनी गाण्ड जितना उठाती थी, मैं अपना लौड़ा उतना बाहर निकाल लेता था। मैं अनु को लण्ड के लिए तड़पा रहा था।

अब अनु से रहा नहीं गया, वो बोली- "पूरा डाला ना उस्स्स."

मैंने कहा- "क्या डालू?"

अन् बोली- "उम्म्म्म
... बाबू अपना लण्ड डालो ना.."

मैंने कहा- कहां डालू बताओ?

अनु ने कहा- "इस्स्स्स
... मेरी चूत में डालो अपना लण्ड...

मैंने अपने लौड़े को जोर से धक्का मारकर उसकी चूत में कस के घुसेड़ दिया।

नु को मजा आ गया तो बोली- "हाँ मेरे बाबू ऐसे ही करो आह्ह.."

मैं फिर रुक गया, मैंने कहा- "फिर से कहो मुझे चोदो.."

अनु तो अब पागल हो चुकी थी बोली- "हाई इसस्स... अपने लण्ड से मुझे चोदो जोर-जोर से..."

मैंने उसकी चूत में कस-कस के 10-12 धक्के मारे।

... आहह... इस्स्स... आहह.." करने लगी। उसके दोनों हाथ मेरी कमर पा थे। वो मेरी पीठ का नोचें
अन्- "इस्स्स्स करे जा रही थी।

पर मैं तो मस्ती में डूबा हुआ था। मैं एक बार फिर से रूक गया।

अनु- "इस्स्स... आहह... बाबू मेरे बाब... मुझे चोदो... आहह.." करने लगी।

में अब उसको और पोशान नहीं करने वाला था। मैंने उसकी चूत में अपना लौड़ा तेजी से अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। अन् की सिसकियां और तेज हो गई। मेरे हर धक्के पर वो सिसकी तेज कर देती। मैं अन् की दोनों चूचियों को दबाकर उसके निपल को चूस रहा था। फिर उसकी चिकनी काँख पर जीभ फेरनी शुरू कर दी।

अन् को और मजा आने लगा। अन् की चूत में पानी का तालाब बना हुआ था। मैंने अपना लण्ड अन् की चूत से
ल लिया और तौलिया में अन् की चूत को साफ किया। और फिर से अपना लौड़ा अन् की चूत में डाल दिया। अनु की चूत अब थोड़ा सा सूखी हुई लगने लगी।

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मैंने अनु को कहा- "अपने दोनों हाथ अपनी गाण्ड के नीचे रख लो.."

अन् ने जल्दी से अपने हाथ अपनी गाण्ड के नीचे रख लिए। अब उसकी चूत ऊपर उठ गई थी। मैंने उसकी चूत में अपना लौड़ा पूरा निकालकर जड़ तक ठोंकना शुरू कर दिया। मेरे लण्ड की ये चोट अनु की बच्चेदानी तक जाने लगी। अनु की ऐसी चुदाई कभी नहीं हुई थी। ये अनु की लाइफ की सबसे मस्त चुदाई थी, और फिर जैसा की आपको पता है की चुदाई के खेल में बलिदान लण्ड को ही देना पड़ता है। वही हुआ। मैंने अनु की चूत में अपना लौड़ा उसकी बचचंदाजी से चिपका कर माल झाड़ दिया।
 
अनु तो पहले से ही दो-तीन बार झड़ चुकी थी। उसकी चूत मेरे माल का जितना अंदर समा सकती थी उतनी कोशिश करने लगी। मैं अनु की चूत में लण्ड डालकर पड़ा रहा। अनु के दोनों हाथ फिर से मेरी पीठ पर थे। मुझे अब महसूस हो रहा था की जैसे मेरी कमर पर किसी नोकदार चीज से खरोचें डाल दी हो। मैं समझ गया की अनु के नाखून मेरी कमर पर अपने निशान छोड़ चुके हैं। मैं अनु के ऊपर से हट गया और उसके पास में लेट गया।

अब मैं बीच में था। मेरे दाहिनी तरफ में अन् और बाईं तरफ में ऋतु थी। दो-दो भूखी चूतों के बीच पड़ा मैं बेचारा मासूम सोच रहा था "मेरे दोनों तरफ मस्ती से भरी चिकनी चूतें पड़ी थी, और मैं उन दोनों के बीच में अपने एकलौते लण्ड के साथ पड़ा था."

फिर अन् ने मेरी तरफ अपना चेहरा कर लिए मैंने उसके सिर के नीचे अपना हाथ तकिया बनाकर रख दिया। वो अब मेरी छाती पर अपना सर रखकर लेट गई। फिर उसने मेरे सीने में अपना मुँह छुपा लिया, और अपनी टांग उठाकर मेरे ऊपर रख दी। में प्यार से उसकी कमर पर हाथ फेरने लगा। अनु की बड़ी-बड़ी छातियां मेरे जिम को छूकर मेरे जिम में तरंग पैदा कर रही थी।

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मैंने अनु से कहा- "कैसा लगा हनीमून?"

अनु ने मेरे सीने में अपना मुँह छुपाते हुए कहा "आप बड़े गंदे हो."

मैंने कहा- "मैंने कौन सा गंदा काम किया है?"

अनु बाली- "आपने मुझे कितना तड़पाया था। आपको मुझे तड़पाने में क्या मजा आता है?"

मैंने अन् से कहा- "जानेमन इसी तड़प में तो मजा है। अगर में सीधा-सीधा तुमको चोदता तो क्या मजा आता?" फिर मैंने अनु को कहा- "चलो मैं जरा एक शावर लेकर आता है.." और मैं उठकर बाथरूम में चला गया।

अनु को भी अपने बदन पर चिपचिपाहट महसूस हो रही थी, वो भी उठकर मेरे पीछे-पीछे आ गई अब हम दोनों बाथरूम में थे।

मैंने उसको देखते हुए कहा- "तुम मेरे साथ जहाओगी क्या?

अनु ने मेरे पास आकर मेरे सीने पर अपना सिर रख दिया। मैं समझ गया उसके दिल की बात। मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और शावर चला दिया। अनु मेरे सीने के बालों से खेल रही थी।
 
अनु ने मेरे पास आकर मेरे सीने पर अपना सिर रख दिया। मैं समझ गया उसके दिल की बात। मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और शावर चला दिया। अनु मेरे सीने के बालों से खेल रही थी।

मैंने उसके चेहरे को अपने हाथ से ऊपर उठाया और कहा- "अन् क्या बात है? इतनी चुप क्यों हो? क्या सोच रही हो?"

अनु ने कहा- "कुछ नहीं..."

हम दोनों शावर का मजा ले रहे थे। मैं अनु के जिस्म को अपने हाथ से रगड़कर साफ कर रहा था जो अन् को
अच्छा लग रहा था।

मैने अन् से कहा- "जरा मेरे लण्ड को पकड़कर मुझे सूस करवा दो..."

अनु के होठों पर मुश्कुन आ गई। मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया।

मैंने अनु से कहा- "तुम मेरे पीछे से आकर अपने दोनों हाथों से मेरे लण्ड को पकड़ लो.."

अनु ने वैसा ही किया। अब अनु की दोनों चूचियां मेरी कमर से चिपकी हुई थी, और मेरा लौड़ा अनु के हाथ में था। अन् के हाथ में आते ही लण्ड ने सलामी दी। मैं सूसू करने लगा। अनु के मुलायम हाथ से पकड़वाकर लण्ड को सूम करने में मजा आ रहा था। पर वो मेरा सम था कोई नियाया फाल तो था नहीं, रुक गया।

मैने अनु से कहा- "अब इसको जरा सा हिलाकर छोड़ दो..."

अन् ने ऐसे ही छोड़ दिया, और बोली- "बाकी काम खुद कर लो..."

मैं हँसने लगा। मैंने अपने लण्ड को हिलाकर काम पूरा किया फिर मैंने अपना चेहरा अन् के चहरा की तरफ कर लिया। अन् ने फिर से मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसको आगे-पीछे करने लगी। मैंने शावर को बंद किया

और लिक्विड सोप अपनी हथेली पर लिया और अनु की बाड़ी पर सोप लगा दिया उसकी चूचियों पर मैं जब सोप लगा रहा था, तब मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। ऐसे लग रहा था जैसे मैं उसकी चूचियों की मालिश कर रहा हैं। फिर मैंने उसकी कमर पर सोप लगाया। अन् को मेरे हाथ से अपने जिश्म पर साप लगवाने में मजा आ रहा

था। मैंने उसकी कमर से नीचे आते हए उसकी गाण्ड पर अपना हाथ रगड़ना शुरू कर दिया, और फिर जब मैं अपने हाथ को आगे लाया और उसकी चूत पर सोप लगाया तो अन् अपनी दोनों जांघों को भींचने लगी।

मैंने कहा- "मैडम, मझें मेरा काम करने दो..."

अनु मेरे साथ चिपट गई मैंने अनु की चूत पर सोप लगा दिया। अब मैंने शावर को फिर से चला दिया और उसके जिस्म पर लगे सोप को शवर की तेज धार धोने लगी। मैं भी अपने हाथ से उसकी बाडी को रगड़ने लगा। धीरे-धीरे सोप उसकी बाड़ी से हट गया।

अब मैंने अनु को कहा- "तुम जाओ, मैं भी नहाकर आता है."

अनु बोली- "मैं भी आपकी बाड़ी पर सोप लगाऊँगी."

मैंने हँसते हुए कहा- "अच्छा लगा दो.."
 
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