hotaks444
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उसके लिए इनाम तो बनता ही है ना…इसे इसका इनाम देने जा रही हूँ…” सबा नीचे पैरो के बल बैठ गयी… में हक्का बक्का सब देख रहा था…सबा ने एक बार मेरे लंड को सूँघा…. उसमें अभी भी मेरे लंड और सबा की फुद्दि के पानी की स्मेल आ रही थी…..फिर उसने मेरी आँखो में आँखे डाली तो, मुझे उसकी आँखे चढ़ि हुई नज़र आई….जैसे लंड को सूंघ कर उसे नशा हो गया हो…”मेरा दिल करता है….इसके इतने चुप्पे लगाऊ इतने चुप्पे लगाऊ कि खा जी जाउ इसे….” सबा ने मेरे लंड की कॅप से चमड़ी को पीछे किया और मेरे लंड की कॅप को मुँह में लेकर सक करना शुरू कर दिया….
मेरे हाथ पैर काँप गये…मेने सबा के सर को कस्के के पकड़ लिया….वो पागलो की तरह मेरे लंड को मुँह मेने लिए चुप्पे मार रही थी…मेरा लंड पूरी तरह हार्ड हो गया था…उसने 5 मिनट मेरे लंड को ऐसे चूसा कि, मेरी जान मेरे लंड की नसों से निकलने लगी…जैसे ही उसे अहसास हुआ कि, मेरे लंड से पानी निकलने वाला है…उसने मेरे लंड को मुँह से निकाल कर अपनी मुट्ठी से मेरे लंड की कॅप को कवर कर लिए और मेने उसके हाथ की मुट्ठी में ही फारिघ् होना शुरू कर दिया….
जब शांत हुआ तो, मेने नहर में जाकर अपने लंड को पानी से धोया…पानी बड़ा ठंडा था…पर मजबूरी थी….खैर हम फिर से चल पड़े…
में: ठीक है….कल आ जाउन्गा….
सबा: हां और दोनो में से किसी को बोल कर पानी वाली टंकी भी सॉफ करवा लेना. फिर मोटर चला कर उसमें पानी भर लेना….अब तो यहाँ भी पानी की ज़रूरत पड़ती रहेगी…नही तो नहर के बर्फ़ीले पानी से काम चलाना पड़ेगा….
सबा ने हंसते कहा….हम छोटे रोड पर पहुचे तो हम अलग हो गये….सबा मुझसे आगे चलने लगी और में उससे कुछ फाँसले पर उसके पीछे चलने लगा….हम दोनो गाओं पहुचे…वो रुकी नही और सीधे अपने घर चली गयी….और में भी अपने घर आ गया….मुझे बहुत थकान फील हो रही थी…इसलिए जैसे ही में अपने रूम में आकर बेड पर लेटा मेरी आँख लग गयी….मेरी आँख 3 बजे खुली…जब बाहर डोर बेल बजी तो, में अपनी आँखे मल्ता हुआ बाहर आया….और जब गेट खोला तो देखा कि, सामने फ़ैज़ खड़ा था….उसके हाथ में लंच बॉक्स था….वो अंदर आया…और मुझसे हाथ मिलाते हुए बोला….
फ़ैज़: अब तुम्हारी तबीयत कैसी है….?
में: क्यों क्या हुआ मेरी तबीयत को….(मेने चोन्कते हुए पूछा….)
फ़ैज़: यार कमाल है अम्मी कह रही थी कि, तुम्हारी तबीयत खराब है…उन्होने तुम्हे डॉक्टर के क्लिनिक पर देखा था….और वो मुझसे कह रही थी कि, तुम्हारे अम्मी अबू भी बाहर गये हुए है….
में: हां वो कुछ ख़ास नही ऐसे ही हल्का सा बुखार हो गया था….और वो सब तो नजीबा की कज़िन की मॅरेज में गये हुए है…..
फ़ैज़: ये लो अम्मी ने तुम्हारे लिए खाना भेजा है…
में: यार चाची को इतना तकल्लूफ करने की क्या ज़रूरत थी…में बाहर से कुछ खा लेता….
फ़ैज़: अच्छा फिर हमें शरम नही आयगी तुम्हे कोई काम कहते हुए…यार तू मेरा सबसे अच्छा और पुराना दोस्त है….
में: अच्छा आ चल बैठ…बैठ कर खाना खाते है….
फ़ैज़: नही यार में तो खा कर आ रहा हूँ…तुम खाओ….
उसके बाद में खाना खाने लगा…फ़ैज़ भी पास बैठा रहा…कॉलेज की लड़कियों की बातें होती रही….फ़ैज़ एक घंटा बैठा बातें करता रहा….और फिर वो चला गया… उस दिन और कोई ख़ास बात नही हुई सिवाय इसके कि शाम को अबू का फोन आया..और मुझे पूछने लगे कि, में कब आ रहा हूँ…तो मेने बता दिया कि कल दोपहर को थोड़ी देर के लिए आ जाउन्गा…
मेरे हाथ पैर काँप गये…मेने सबा के सर को कस्के के पकड़ लिया….वो पागलो की तरह मेरे लंड को मुँह मेने लिए चुप्पे मार रही थी…मेरा लंड पूरी तरह हार्ड हो गया था…उसने 5 मिनट मेरे लंड को ऐसे चूसा कि, मेरी जान मेरे लंड की नसों से निकलने लगी…जैसे ही उसे अहसास हुआ कि, मेरे लंड से पानी निकलने वाला है…उसने मेरे लंड को मुँह से निकाल कर अपनी मुट्ठी से मेरे लंड की कॅप को कवर कर लिए और मेने उसके हाथ की मुट्ठी में ही फारिघ् होना शुरू कर दिया….
जब शांत हुआ तो, मेने नहर में जाकर अपने लंड को पानी से धोया…पानी बड़ा ठंडा था…पर मजबूरी थी….खैर हम फिर से चल पड़े…
में: ठीक है….कल आ जाउन्गा….
सबा: हां और दोनो में से किसी को बोल कर पानी वाली टंकी भी सॉफ करवा लेना. फिर मोटर चला कर उसमें पानी भर लेना….अब तो यहाँ भी पानी की ज़रूरत पड़ती रहेगी…नही तो नहर के बर्फ़ीले पानी से काम चलाना पड़ेगा….
सबा ने हंसते कहा….हम छोटे रोड पर पहुचे तो हम अलग हो गये….सबा मुझसे आगे चलने लगी और में उससे कुछ फाँसले पर उसके पीछे चलने लगा….हम दोनो गाओं पहुचे…वो रुकी नही और सीधे अपने घर चली गयी….और में भी अपने घर आ गया….मुझे बहुत थकान फील हो रही थी…इसलिए जैसे ही में अपने रूम में आकर बेड पर लेटा मेरी आँख लग गयी….मेरी आँख 3 बजे खुली…जब बाहर डोर बेल बजी तो, में अपनी आँखे मल्ता हुआ बाहर आया….और जब गेट खोला तो देखा कि, सामने फ़ैज़ खड़ा था….उसके हाथ में लंच बॉक्स था….वो अंदर आया…और मुझसे हाथ मिलाते हुए बोला….
फ़ैज़: अब तुम्हारी तबीयत कैसी है….?
में: क्यों क्या हुआ मेरी तबीयत को….(मेने चोन्कते हुए पूछा….)
फ़ैज़: यार कमाल है अम्मी कह रही थी कि, तुम्हारी तबीयत खराब है…उन्होने तुम्हे डॉक्टर के क्लिनिक पर देखा था….और वो मुझसे कह रही थी कि, तुम्हारे अम्मी अबू भी बाहर गये हुए है….
में: हां वो कुछ ख़ास नही ऐसे ही हल्का सा बुखार हो गया था….और वो सब तो नजीबा की कज़िन की मॅरेज में गये हुए है…..
फ़ैज़: ये लो अम्मी ने तुम्हारे लिए खाना भेजा है…
में: यार चाची को इतना तकल्लूफ करने की क्या ज़रूरत थी…में बाहर से कुछ खा लेता….
फ़ैज़: अच्छा फिर हमें शरम नही आयगी तुम्हे कोई काम कहते हुए…यार तू मेरा सबसे अच्छा और पुराना दोस्त है….
में: अच्छा आ चल बैठ…बैठ कर खाना खाते है….
फ़ैज़: नही यार में तो खा कर आ रहा हूँ…तुम खाओ….
उसके बाद में खाना खाने लगा…फ़ैज़ भी पास बैठा रहा…कॉलेज की लड़कियों की बातें होती रही….फ़ैज़ एक घंटा बैठा बातें करता रहा….और फिर वो चला गया… उस दिन और कोई ख़ास बात नही हुई सिवाय इसके कि शाम को अबू का फोन आया..और मुझे पूछने लगे कि, में कब आ रहा हूँ…तो मेने बता दिया कि कल दोपहर को थोड़ी देर के लिए आ जाउन्गा…