Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन - Page 10 - SexBaba
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Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

उसके लिए इनाम तो बनता ही है ना…इसे इसका इनाम देने जा रही हूँ…” सबा नीचे पैरो के बल बैठ गयी… में हक्का बक्का सब देख रहा था…सबा ने एक बार मेरे लंड को सूँघा…. उसमें अभी भी मेरे लंड और सबा की फुद्दि के पानी की स्मेल आ रही थी…..फिर उसने मेरी आँखो में आँखे डाली तो, मुझे उसकी आँखे चढ़ि हुई नज़र आई….जैसे लंड को सूंघ कर उसे नशा हो गया हो…”मेरा दिल करता है….इसके इतने चुप्पे लगाऊ इतने चुप्पे लगाऊ कि खा जी जाउ इसे….” सबा ने मेरे लंड की कॅप से चमड़ी को पीछे किया और मेरे लंड की कॅप को मुँह में लेकर सक करना शुरू कर दिया….

मेरे हाथ पैर काँप गये…मेने सबा के सर को कस्के के पकड़ लिया….वो पागलो की तरह मेरे लंड को मुँह मेने लिए चुप्पे मार रही थी…मेरा लंड पूरी तरह हार्ड हो गया था…उसने 5 मिनट मेरे लंड को ऐसे चूसा कि, मेरी जान मेरे लंड की नसों से निकलने लगी…जैसे ही उसे अहसास हुआ कि, मेरे लंड से पानी निकलने वाला है…उसने मेरे लंड को मुँह से निकाल कर अपनी मुट्ठी से मेरे लंड की कॅप को कवर कर लिए और मेने उसके हाथ की मुट्ठी में ही फारिघ् होना शुरू कर दिया….

जब शांत हुआ तो, मेने नहर में जाकर अपने लंड को पानी से धोया…पानी बड़ा ठंडा था…पर मजबूरी थी….खैर हम फिर से चल पड़े…

में: ठीक है….कल आ जाउन्गा….

सबा: हां और दोनो में से किसी को बोल कर पानी वाली टंकी भी सॉफ करवा लेना. फिर मोटर चला कर उसमें पानी भर लेना….अब तो यहाँ भी पानी की ज़रूरत पड़ती रहेगी…नही तो नहर के बर्फ़ीले पानी से काम चलाना पड़ेगा….

सबा ने हंसते कहा….हम छोटे रोड पर पहुचे तो हम अलग हो गये….सबा मुझसे आगे चलने लगी और में उससे कुछ फाँसले पर उसके पीछे चलने लगा….हम दोनो गाओं पहुचे…वो रुकी नही और सीधे अपने घर चली गयी….और में भी अपने घर आ गया….मुझे बहुत थकान फील हो रही थी…इसलिए जैसे ही में अपने रूम में आकर बेड पर लेटा मेरी आँख लग गयी….मेरी आँख 3 बजे खुली…जब बाहर डोर बेल बजी तो, में अपनी आँखे मल्ता हुआ बाहर आया….और जब गेट खोला तो देखा कि, सामने फ़ैज़ खड़ा था….उसके हाथ में लंच बॉक्स था….वो अंदर आया…और मुझसे हाथ मिलाते हुए बोला….

फ़ैज़: अब तुम्हारी तबीयत कैसी है….?

में: क्यों क्या हुआ मेरी तबीयत को….(मेने चोन्कते हुए पूछा….)

फ़ैज़: यार कमाल है अम्मी कह रही थी कि, तुम्हारी तबीयत खराब है…उन्होने तुम्हे डॉक्टर के क्लिनिक पर देखा था….और वो मुझसे कह रही थी कि, तुम्हारे अम्मी अबू भी बाहर गये हुए है….

में: हां वो कुछ ख़ास नही ऐसे ही हल्का सा बुखार हो गया था….और वो सब तो नजीबा की कज़िन की मॅरेज में गये हुए है…..

फ़ैज़: ये लो अम्मी ने तुम्हारे लिए खाना भेजा है…

में: यार चाची को इतना तकल्लूफ करने की क्या ज़रूरत थी…में बाहर से कुछ खा लेता….

फ़ैज़: अच्छा फिर हमें शरम नही आयगी तुम्हे कोई काम कहते हुए…यार तू मेरा सबसे अच्छा और पुराना दोस्त है….

में: अच्छा आ चल बैठ…बैठ कर खाना खाते है….

फ़ैज़: नही यार में तो खा कर आ रहा हूँ…तुम खाओ….

उसके बाद में खाना खाने लगा…फ़ैज़ भी पास बैठा रहा…कॉलेज की लड़कियों की बातें होती रही….फ़ैज़ एक घंटा बैठा बातें करता रहा….और फिर वो चला गया… उस दिन और कोई ख़ास बात नही हुई सिवाय इसके कि शाम को अबू का फोन आया..और मुझे पूछने लगे कि, में कब आ रहा हूँ…तो मेने बता दिया कि कल दोपहर को थोड़ी देर के लिए आ जाउन्गा…
 
अगली सुबह में उठा…अभी में तैयार ही हो रहा था कि, बाहर डोर बेल बजी…. मेने जाकर गेट खोला तो देखा फ़ैज़ था….”कॉलेज नही जाना….” फ़ैज़ ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा…क्यों कि उस वक़्त मेने शलवार कमीज़ पहन रखा था… “नही यार अभी भी तबीयत ठीक नही है…..”

फ़ैज़: अछा में चलता हूँ…और तुम याद से आज डॉक्टर से चेकप करवा लाना….

मैं: ठीक है करवा लूँगा…

फ़ैज़ के जाने के बाद मेने घर को लॉक किया….और मेन रोड की तरफ चल पढ़ा...20 मिनिट पैदल चलने के बाद मैं उसी मकान के पास पहुच गया…में गेट के बाहर ही बैठ गया….और सोचने लगा कि, पता नही कोन आएगा…में दिल ही दिल में दुआ कर रहा था कि, सबा खुद ही आ जाए….अब तो जैसे लंड को सबा की फुद्दि के पानी का चस्का सा लग गया था…में थोड़ी देर वहाँ बैठा रहा….अभी कुछ ही देर हुई थी….कि मुझे रोड की तरफ से ज़ेशन और रानी आते हुए दिखाई दिए….मेने थोड़ी राहत की सास ली…क्यों कि मुझे इस तरह उस सुनसान जगह पर अकेले बैठना अजीबा सा लग रहा था…दोनो मेरे पास आए तो, ज़ेशन ने मुझे मुस्करा कर सलाम किया… में खड़ा हुआ गेट का लॉक खोला…..जैसे ही हम अंदर पहुचे तो ज़ेशन ने मुझसे कहा. “भाई जी मोटल चला दूं….ताकि में पानी भर जाएगा…तो नल से पाइप लगा कर पूरे घर के फर्श को पानी से धो कर सॉफ कर दैन्गे…..”

मैं: लेकिन सबा चाची ने तो कहा था कि, टंकी भी सॉफ करनी है…उसमें पता नही कितना गंद हो गा…..

ज़ेशन: भाई जी कोन सा हमे टंकी का पानी पीना है….अभी तो सिर्फ़ फर्श ही धोना है…साथ साथ कुछ धूल मिट्टी पानी के साथ भी बाहर आ जाएगी….

मैं: हां बात तो तुम ठीक कर रहे हो….

मेने मोटर चालू कर दी….ज़ेशन ने नल पर पाइप लगा दिया…पाइप भी काफ़ी लंबा था….और काफ़ी अरसे से इस्तेमाल नही हुआ था…इसलिए थोड़ा अकड़ सा गया था… ज़ेशन को काफ़ी मेंहनत करनी पड़ी थी….पाइप को सीधा करने में…..पाइप लगाने और सीधा करने के बाद ज़ेशन ने रानी की तरफ देखा….और बोला…” में बिस्तरो को ऊपेर धूप में रख कर आता हूँ…तुम तब तक नीचे की सफाई करो….”

रानी: जी…..

मेने सारे रूम्स के डोर खोल दिए…जिस रूम में मेने कल सबा को चोदा था….उस रूम को छोड़ कर बाकी के दो रूम खाली थे…और एक रूम था…जिसमें एक टेबल और चार चेर्स रखी हुई थी….और घर में कोई समान नही था….इसलिए सॉफ सफाई में कोई ज़यादा दिक्कत नही होने वाली थी….ज़ेशन ने बेड पर पड़े बिस्तरे उठाए….मेने पैटी खोली उसमें एक बिस्तर और था….मेने उसे भी बाहर निकाल लिया…बेड के मिंटर्स (गड्ढे ) बहुत वजनी थी….(बड़े वजनी है गद्दे….) ज़ेशन ने मुस्कराते हुए कहा…”कोई बात नही एक -2 करके ऊपेर ले जाओ…” ज़ेशन ने मेरी बात सुन कर हां में सर हिलाया और एक गद्दा लेकर ऊपेर जाने लगा…मेने पेटी में रखे हुए दूसरे बिस्तर को बेड पर रखा और बाहर आ गया….

जब में बाहर आया तो, देखा कि, रानी उस रूम में थी…जिसमें टेबल और चेर्स पड़ी हुई थी….वो टेबल के ऊपेर चढ़ि हुई दीवारो और छत पर लगे जालो और धूल को झाड़ रही थी…..उसने अपने चेहरे और नाक और सर को अपने दुपट्टे से कवर कर रखा था….में रूम के डोर पर आकर खड़ा हो गया…जब ज़ेशन के साथ वो आई थी..तब मेने उसकी तरफ नही देखा….उसने महंदी कलर का शलवार कमीज़ पहना हुआ था….उसकी कमीज़ एक दम फिटिंग वाली थी…रानी का रंग हल्का सा सावला था…काला तो नही कह सकते…पर सावला था….उसका हर अंग कसा हुआ लग रहा था….उसकी हाइट 5 फुट 2 इंच थी…उसकी कमीज़ के अंदर उसके मम्मे एक दम कसे हुए लग रहे थे…हाथ पैर पतले थे…कमर एक दम पतली…बुन्द हल्की सी बाहर की तरफ निकली हुई थी….

उसने एक बार मुझे देखा और फिर कुछ पॅलो के लिए रुकी और फिर से अपने काम में लग गयी….मेने अभी तक उसके चेहरे को ठीक से नही देखा था….मुझे सीडयों से ज़ेशन के नीचे आने की आवाज़ सुनाई दी तो, में साइड में होकर बरामदे के बीच में खड़ा हो गया….इस बार जब ज़ेशन ऊपेर गया तो, मेने उस रूम से एक चेर उठाई और उस पर लगी धूल को कपड़े से झाड़ कर सॉफ किया…और उसे बरामदे मे लेकर उस पर बैठ गया…मेने चेर को ऐसी जगह सेट किया था…कि में रानी को देख सकूँ…..वो भी बीच-2 में मेरी तरफ देख लेती….
 
ऐसे ही दोनो काम करते रहे…और मैं चेर पर बैठा देखता रहा….चाहे जो भी था…दोनो काम करने तेज बहुत थे….कुछ ही देर में ज़ेशन सारे बिस्तरे ऊपेर ले जा चुका था….और रानी दो कमरो की दीवारो और छतो को सॉफ कर चुकी थी….ज़ेशन बिस्तरे ऊपेर रख कर इस बार मेरे पास नीचे ही पैरो के बल बैठ गया…अभी वो बैठा ही था कि, रानी ने अंदर से थोड़ा तीखे अंदाज़ में उससे कहा… “बैठो नही….जाकर बेड खड़े करो…इसके बाद मुझे वो रूम भी सॉफ करना है… बेड खड़े करने के बाद झाड़ू लेकर ऊपेर जाओ….और छत भी सॉफ कर दो….”

ज़ेशन रानी की फटकार सुन कर ऐसे उठा….जैसे किसी कमॅंडर ने सिपाही को ऑर्डर दिया हो….और सिपाही हुकम की तामील के लिए उठ खड़ा हुआ हो… ज़ेशन ने पहले रूम में बेड खड़े किए और फिर ऊपेर झाड़ू लेकर चला गया….इस बार जब ज़ेशन ऊपेर गया तो, मुझे पता था कि, उसे ऊपेर छत को सॉफ करने में टाइम लगेगा…. और इस बार मेरे पास रानी से बात करने का अच्छा मोका है और टाइम भी है… रानी अब बेड वाले रूम के दीवारो को सॉफ कर रही थी…15 मिनिट बाद वो बाहर आए….और मुझे बोली….” नल चला दो….फर्श धोना है….” में बाथरूम में गया और नल चला दिया…जब बाहर आया तो, देखा रानी बरामदे में खड़ी थी… उसने अपना दुपट्टा उस चेअर् पर रखा हुआ था…जिस पर में बैठा था….और वो अपने बाजुओ पर लगी धूल को धो रही थी….फिर उसने पाइप को अपनी दोनो टॅंगो के बीच में फाँसया और झुक कर अपना मूह दोनो हाथ में पानी लेकर धोने लगी…

जब मूह को पानी से धोने के लिए उसने अपना फेस ऊपेर की तरफ किया तो, मेने पहली बार रानी के चेहरे को गोर से देखा..भले ही उसका रंग उतना सॉफ नही था… पर उसके नैन नख्श तीखे थे…आँखे भी गहरी काली थी…टाइम पास के लिए अच्छा माल थी…ऐसी औरतें बड़े मज़े देती है चुदवाते वक़्त…ख़ासतोर पर जब सामने वाला मरद उस औरत से खूबसूरत हो गोरा चिट्टा हो….ऐसी औरतें जो नीचे तबके से हो.. ग़रीब हो….और जवानी में हो…उनके दिल में हमेंशा एक ख्वाहिश ज़रूर रहती है. कि उँचे घर का हंडसॉम गोरा चिट्टा लड़का या मर्द से उनका नाजायज़ रिश्ता ज़रूर हो..

हो सकता है कि, में ग़लत हूँ…पर मेरा एक्सपीरियेन्स जो अब तक रहा है…वो यही है.. फेस धोते वक़्त उसके आँखे बंद थी…उसके झुकने के कारण उसके मम्मे कमीज़ से बाहर कमीज़ के गले से बाहर आने को उतावले हो रहे थे…मुझे उसकी स्किन कलर की ब्रा भी थोड़ी थोड़ी नज़र आ रही थी….उसके कसे हुए साँवले रंग के मम्मे देख मेरे लंड में हलचल होने लगी….उसने जैसे ही आँखे खोली तो उसकी नज़र मुझ पर पड़ी….में ठीक उसके सामने खड़ा था…उसने फेस से कुछ जाहिर ना होने दिया.. और फिर से अपना मूह धोने लगी….मुझे पूरा यकीन है कि, उसे मालूम था कि, में उसके मम्मो को देख रखा हूँ…उसने मूह धोने के बाद पाइप को एक साइड पर रखा और अपने दुपट्टे को झाड़ कर अपने फेस खुस्क किया…और पाइप लेकर पहले पीछे वाले रूम में चली गयी….

मेरा दिल कर रहा था कि, में किसी बहाने से उससे बात करूँ..और बहाने बहाने से उससे कुछ बात आगे बढ़ाऊ…सबा ने कहा था कि, उसका पति गान्डू है..इसलिए मुझे बहुत ज़यादा चान्स नज़र आ रहे थे कि, ये माल भी मेरे हाथ में आ जाए…लेकिन वो ऐसे शो कर रही थी….जैसे उसे मेरे वहाँ होने पर कोई फरक ही नही पड़ा हो.. और जैसे उसे मुझ मे कोई दिलचस्पी हो ही नही…वो अंदर जाकर रूम्स के फर्श को धोने लगी…1 घंटा गुजर गया….में बाहर बरामदे में चेर पर बैठा हुआ था….और दिल को तसल्ली दे रहा था कि, क्या हुआ अगर ये नही फँसी तो, तुम तो इतने लकी हो लड़कियों और औरों के मामले में…अगर एक हाथ नही आई तो, दुखी क्यों होना…सबा है रीदा है सुमेरा चाची है…नजीबा है…आगे लाइफ में और भी आएँगी….
 
मैं अपने दिल को समझा रहा था….मेने घड़ी में टाइम देखा तो 10:30 बज चुके थे… रानी भी अब आखरी बचे रूम की सफाई कर रही थी…मुझे बड़ी तेज पेशाब आया….में उठा और बाथरूम में चला गया…जब में डोर बंद करने लगा तो, पाइप की वजह से डोर की कुण्डी नही लगा पाया….और ऐसे ही डोर आगे करके अपनी शलवार खोली और अपना लंड बाहर निकाल कर पेशाब करने लगा….अभी में पेशाब कर ही रहा था कि, अचानक से डोर खुला….मेने हड़बड़ा कर फेस पीछे घुमा कर देखा तो, ज़ेशन खड़ा था…”ओह्ह माफ़ करना शाह जी….में अंदर से सर्फ लेने आया था….”अब में उससे क्या शरमाता या परदा करता…” ले लो….” मेने पेशाब करते हुए कहा…तो ज़ेशन अंदर आ गया….वो सेल्फ़ पर पड़े सर्फ को उठाने लगा तो, उसकी नज़र मेरे लंड पर पड़ी…जो उस वक़्त खड़ा तो नही था…ढीला था…फिर भी मेरा ढीला लंड भी 4 इंच लंबा और उतना ही मोटा नीचे लटका हुआ था….

“ओह्ह्ह पैन दे लंड….इन्ना वाडा….” (इतना बड़ा….) ज़ेशन ने हैरत से मेरे लंड के तरफ देखते हुए कहा….तो मुझे याद आया कि, ये तो गान्डू है…साला कही पीछे ही नही पड़ जाए…नही तो इसकी गान्ड भी मारनी नही पड़ जाए…”ओये गाली किसको निकाल रहा है…” मेने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा…हालाँकि ज़ेशन 25 साल का था… और कद काठी में मुझसे लंबा था….लेकिन उसके जिस्म था..लड़कियों जैसा…. हाथ पैर बाहें ऐसी थी…जैसे साले ने बरसो से खानाही नही खाया हो… मेरी आवाज़ सुन कर वो थोड़ा सा सहम गया….

“शाह जी आप को थोड़ा निकली है…ये तो आपके इतने तगड़े हथियार को देख कर मूह से निकल गया…” वो मेरे करीब आने लागा तो , मेने झिड़क कर उसे भगा दिया.. में पेशाब करके बाहर आया तो, देखा कि ज़ेशन रानी के साथ रूम में खड़ा था... और एक बाल्टी में सर्फ डाल कर घोल रहा था….झाग बना कर उसने सारे रूम में सर्फ वाला पानी डाला….और रानी उसके पीछे-2 पाइप लेकर रूम्स के फर्श के सफाई करने लगी….थोड़ी देर में सारे रूम सॉफ कर दिए…..मेने मोटर बंद की….और हम तीनो ऊपेर आ गये….ऊपेर छत का फर्श सॉफ हो गया था…अब छत के फर्श को धोना था….

ज़ेशन नीचे पिपे साथ ले आया था…वहाँ टंकी के साथ पानी का नल था…उसने पाइप वहाँ लगाई तो, रानी नीचे पड़े गद्दो को उठा कर चारो तरफ बनी बाउड्री के ऊपेर रखने लगी…कि गद्दे और बिस्तरे गीले नही हो…ज़ेशन ने मदद की और फिर रानी पाइप लेकर छत को धोने लगी…..धूप निकल आई थी…इसलिए गद्दो को और बिस्तरॉ को भी अच्छी ख़ासी धूप लग रही थी…में घर के पीछे वाली बाउंड्री के पास आ गया…और नहर की तरफ देखने लगा…ज़ेशन भी साथ में आकर खड़ा हो गया.. थोड़ी देर वो चुप खड़ा रहा और फिर धीरे से कहा…”शाह जी….”

मेने उसकी तरफ देखा….तो वो मुस्कुराते हुए बोला….”आपका हथियार इतना बड़ा है.. पानी भी खूब होगा….अगर लंड का पानी निकालना है तो, बंदा हाजिर है….” 
 
मेरा दिल तो कर रहा था कि, साले को उठा कर छत से नीचे फेंक दूं…पर अपने गुस्से पर कंट्रोल करता हुआ बोला….”नही कोई ज़रूरत नही….और मेरे पास मत खड़े रहो… मुझे फालतू बातें पसंद नही…” तभी रानी ने एक दम रुक कर हमारी तरफ देखा… और फिर से अपने काम में लग गयी…ज़ेशन इधर उधर टहलने लगा….और थोड़ी देर बाद फिर मेरे पास आते हुए बोला…”शाह जी आपके पास 100 रुपये है क्या….”

मैं: हां क्यों…

ज़ेशन: मुझे उधर दे दो….में कल लौटा दूँगा…

इसे पहले के में कुछ बोलता तो रानी बीच में बोल पड़ी…”आप इसे कोई पैसे वैसे नही देना….इसने जाकर शराब ही पीनी है…शरम भी नही आती.. किसी से भी पैसे माँगने लगता है….” रानी ने गुस्से से ज़ेशन को बोला…तो ज़ेशन ने मेरी तरफ देख कर कहा…”आप इसकी बातों पर मत जाए शाह जी….मेने किसी ज़रूरी काम से पैसे माँगे थे….ये साली गश्ती ऐसे ही बोलती रहती है….”

रानी: गश्ती होगी तेरी माँ….जिसने तुझ जैसे को पैदा किया….रानी ने गुस्से से कहा….

मैं: रूको-2 झगड़ क्यों रहे हो…तुम्हे पैसे चाहिए नही….

ज़ेशन: हां….मैं सच कह रहा हूँ…कुछ ज़रूरी काम है…कसम से में दारू नही पीऊँगा….

मेने जेब से 100 रुपये निकाल कर ज़ेशन को दिए…तो ज़ेशन ने पैसे लिए शुक्रिया कहता हुआ नीचे जाने लगा…मेने उसे कहा कि, जाते हुए वो गेट बंद कर दे….वो हां बोल कर चला गया….ज़ेशन के जाने के बाद रानी मेरे पास आई…और ऐसे बोली..जैसे कोई नाराज़गी जाहिर कर रहा हो….”आप ने उसे पैसे क्यों दिए…उसे कोई ज़रूरी काम वाम नही था…उसने जाकर अभी से दारू पीना शुरू कर दैना है…”

मैं: हां मुझे पता है….

रानी: तो फिर आप ने उसे पैसे क्यों दिए…

मैं: वो इसलिए कि नही तो वो मेरा और तुम्हारा दोनो का दिमाग़ खराब कर देता….

रानी: (हाहाहा….) तो क्या हुआ….आपका दिल तो लगाए रखता…..

मैं: वो तो तुम भी लगा सकती हो…

रानी मेरी बात सुन कर शर्मा गयी….और उसने अपनी नज़रे नीचे कर ली…मुझे समझ में नही आ रहा था कि, में रानी से और क्या बात करूँ….पहली बार वो मेरी बात सुन कर मुस्कुराइ थी…मुझ से कहने को कोई बात नही बन रही थी…और कुछ तो जेहन में नही आया तो बोल दिया…”सबा चाची भी आने वाली होंगी….” उसने चोंक कर मेरी तरफ देखा और फिर अपने सर झुका कर थोड़ा सा शरमाते हुए बोली…” वो नही आएँगी…..” में रानी के बात सुन कर थोड़ा सा हैरान हो गया….”नही आएँगे… पर उन्होने तो मुझसे कहा था…कि वो 11 बजे तक आ जाएँगे….”

रानी: जी नही वो नही आएँगी…आज जब सुबह उन्होने ने हमे यहाँ भेजा था… तो उन्होने ने कहा था कि, आप को बता देना कि आज उनकी तबीयत ठीक नही है…वो नही आएँगी….

मैं: अच्छा….पर उनकी तबीयत को हुआ क्या….

मेने देखा कि रानी का फेस मजीद सुर्ख होता जा रहा था….वो नीचे सर झुकाए हुए अपनी मुस्कुराहट छुपाने की कॉसिश कर रही थी….ऐसा लग रहा था…. कि जैसे उसे मेरे और सबा के बारे में पूरी जानकारी है….”अब बताओगि भी कि उन्हे हुआ क्या…..”

रानी: बता तो दिया…कि उनकी तबीयत ठीक नही है…

मैं: कल तक तो ठीक थी….आज उन्हे अचानक से क्या हो गया….

रानी: (उसका सर अभी भी झुका हुआ था…शरम से उसके चेहरे की रंगत सुर्ख होती जा रही थी…) तबीयत खराब होने का पता चलता है…उन्हे भी सुबह ही पता चला था….

मैं: क्या पता चला था….

रानी: यही कि उनकी तबीयत खराब है….

मेने रानी की तरफ पीठ कर ली…..और अपने लंड को शलवार के ऊपेर से दबाते हुए मूह बड़बढाया….”अब इसका क्या करूँ….” मेने धीरे से बोला था…पर पता नही रानी ने कैसे सुन लिया….मुझे पीछे से उसकी तंज़ करती हुई आवाज़ आई…” इसका इलाज जो कर सकता था….उसको तो आपने भगा दिया….” में रानी की बात सुन कर हैरतजदा हो गया…मेने घूम कर रानी की तरफ देखा तो वो सर नीचे झुका कर हँस रही थी….”वो चला गया तो क्या हुआ….तुम कर दो इसका इलाज….” मेने रानी की तरफ देखते हुए कहा…तो रानी का बदन ने झटका सा खाया… “हाई तोबा कैसी बातें करते है…” रानी ने झाड़ू उठाई और छत को धोने लगी….फिर हम में कोई बात चीत नही हुई…. अब वो झाड़ू लगा रही थी…झाड़ू लगाते वक़्त उसका फेस मेरी तरफ था…और झुक कर झाड़ू लगाने से उसके मम्मे उसकी कमीज़ के गले से मुझे सॉफ दिखाई दे रही थी…उसने अपने दुपट्टे को बाउंड्री पर टाँग रखा था….
 
वो अब खुल्लम खुल्ला मुझे अपने मम्मो का दीदार करवा रही थी…लेकिन वो मेरी तरफ नही देख रही थी…बीच-2 में कभी वो मुझे देखती भी तो हमारी नज़रे आपस में टकरा जाती तो, वो शरमा कर नज़रे झुका लेती…उसके आँखो से उसकी स्माइल सॉफ जाहिर हो रही थी…पर फिर भी मेरे में और आगे बढ़ने की हिम्मत नही हो रही थी….उसके मम्मे इस क़दर टाइट थी…कि दिल कर रहा था…कि जाकर उसके मम्मो को हाथो में लेकर ज़ोर ज़ोर से दबाऊ…..उसने छत के फर्श को भी धो दिया…अब सिर्फ़ वॉटर टांक की सफाई बची थी…और उसके बाद बिस्तरो को नीचे पहुचा कर काम ख़तम हो जाना था…छत को सॉफ करने के बाद रानी ने पाइप का एक सिरा उस पाइप में डाल दिया…जिससे छत का पानी नीचे बाहर जाता था….और खुद टंकी के पास आकर उसने टंकी का ढक्कन खोला और उसके अंदर झाँकने लगी….

पानी की टंकी कोई साढ़े 4 फुट उँची थी…”तोबा इसमें तो अभी भी बड़ी धूल है… “ रानी ने टंकी अंदर देखते हुए कहा…तो में भी उसके पास चला गया…और टंकी के अंदर देखने लगा….”हां अंदर धूल बहुत है….” रानी टंकी के ऊपेर चढ़ने लगी ताकि वो उसके मूह से अंदर जा सके…लेकिन वो टंकी के ऊपेर चढ़ नही पा रही थी…और मुझे उसकी हरकतों पर हँसी आ रही थी….

रानी: हंस क्यों रहे हो…..?

रानी ने नाराज़गी से कहा तो मेने अपनी हँसी को दबाते हुए उसकी तरफ देखा…और बोला…..”कुछ नही ऐसे ही….” वो फिर से कॉसिश करने लगी…लेकिन फिर भी बात नही बनी….अब टंकी में थोड़ा सा पानी बचा था….मेने एक बालटी में पाइप से पानी भर लिया….और उसके बाद नल बंद कर दिया…जो पानी अंदर बचा था….उससे टंकी सॉफ करके बाहर निकलना था…में एक दम से रानी के पीछे गया…और उसकी कमर के दोनो तरफ से अपने बाजुओ को निकाल कर उसके पेट पर जैसे ही हाथ रखे…रानी के बदन ने झटका खाया…उसकी कमर सच में बहुत पतली थी…हालाँकि में उसके पेट पर उसके कमीज़ के ऊपेर से हाथ रखा था…पर मेरे हाथ उसके पेट से ऐसे फिसल रहे थे….जैसे कोई साँप किसी के हाथ से फिसल जाता हो….मेने उसको पीछे से बाजुओ में लेकर ऊपेर उठाया….

रानी: ये ये आप क्या कर रहे हैं…..

मैं: तुम्हारी मदद कर रहा हूँ….

रानी: सीईईईईई जल्दी करे…कोई देख नही ले….

मेने रानी को टंकी के ऊपेर चढ़ा दिया…और रानी ने पहले अपने पैरो को अंदर लटकाया और फिर अपने दोनो हाथो को अपनी बगलो में रखते हुए अंदर चली गयी…. मेने उससे एक पुराना कपड़ा पकड़ा दिया…जिसे वो टंकी सॉफ करने लगी…इस दौरान और कोई ख़ास बात तो नही हुई…लेकिन उसे निकालने में फिर से मुझे उसे बाहर खेंचना पड़ा…जब वो बाहर आई तो, हमने टंकी का सारा पानी निकाल दिया… और में नीचे मोटर चलाने चला गया…ऊपेर का नल खुला ही छोड़ दिया था… कि बाकी की बची मिट्टी और गर्द भी निकल जाए….मोटर ऑन करके जब में ऊपेर आया तो देखा कि रानी गद्दो और बिस्तरो के नीचे तरपाल पर रख कर एक गड्ढे के ऊपेर बैठी हुई अपने पैरो के तलवो को रगड़ रही थी…
 
दरअसल जब वो पानी की टंकी में उतरी थी….तब वो नंगे पैर थी…सर्दी के मौसम में उसके पैर सुन्न पड़ गये थे…में उसके पास जाकर बैठ गया और उसका एक पैर पकड़ कर उसके पैर के तलवे को हाथ से रगड़ने लगा….”अह्ह्ह्ह ये आप क्या कर रहे है….हम बहुत छोटे लोग है शाह जी….ऐसा जुलम मत करिए…में ये भार कैसे उतार पाउन्गि….” रानी ने अपना पैर पीछे की तरफ खेंचते हुए कहा…लेकिन मेने उसके पैर को थामें रखा….”पैदाइश से कोई छोटा बड़ा नही होता…. इंसान की फितरत ईमानदारी फर्मदारी उसे छोटा बड़ा बनाती है…और तुम इतनी मेंहनत करती हो.. तो तुम छोटी कैसे हो सकती हो…” मेने उसके पैर की मसाज करते हुए कहा… मुझे लग रहा था कि मेरी बातो का असर उस पर हो रहा है…

रानी: आप दिल के बहुत अच्छे है…वरना हम जैसे छोटे लोगो के पास तो कोई बैठना भी पसंद नही करता….

मैं: तुम्हारा दिल भी बहुत अच्छा है….मेरी तरह….

रानी मेरी हर बात पर मुस्करा रही थी….उसके साँवले गालो पर सुर्खी आने लगी थी….रानी मुझसे नज़रे नही मिला पा रही थी…मेरे लंड ने शलवार के साथ -2 कमीज़ को भी आगे से उठा रखा था….रानी को भी इस बात का पता था.. वो तिरछी नजरो से मेरी ऊपेर उठाई हुई कमीज़ को देख रही थी….”एक बात कहूँ…” मेने धड़कते दिल के साथ कहा तो, रानी ने सवालिया नज़रो से मेरी तरफ देखा…और धीरे से बोली….”जी…”

मैं: रानी तुम बहुत खूबसूरत हो….ज़ेशन बड़ा खुसकिस्मत है….जो उसे तुम जैसे अप्सरा जैसी बीवी मिली…

रानी मेरी बात सुन कर पहले तो शरमाई पर फिर मूह बनाते हुए बोली…. “आप मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो नही….?”

मेने हंसते हुए रानी को देखा…और बोला..”कसम से में झूट नही बोलता…”

रानी मेरे बात सुन कर फिर से शरमाई….फिर कुछ सोच कर बोली….”शाह जी मुझ पर लाइन मार रहे हो….हहा हहा…” में रानी की बात सुन कर हँसने लगा…और बोला…”में तो सच बोल रहा था…अगर तुम्हे ऐसा लगता है कि मैं तुम पर लाइन मार रहा हूँ…तो ठीक है में कुछ नही बोलता अब….” मेने रानी का पैर छोड़ा साइड में होकर बैठ गया….मैं सामने वाली बाउड्री की तरफ देख रहा था….थोड़ी देर हम दोनो चुप रहे..

रानी: शाह जी लगता है आप बुरा मान गये हो….

मैं: में क्यों बुरा मानुगा….

रानी: नाराज़ हो गये…..

मैं: नही…नाराज़ तो अपनो से हुआ जाता है…तुम हो कॉन मेरी जो में तुमसे नाराज़ हो जाउ….

फिर कुछ देर के लिए खोमाशी छा गयी…मेने अपने दोनो हाथ पीछे करके नीचे गद्दे पर रखे हुए थी….तभी रानी ने अपना एक हाथ मेरे हाथ पर रखते हुए कहा…”आप तो बड़ी जल्दी हार मान गये….” मेने रानी की तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी….उसके आँखो में वासना सॉफ नज़र आ रही थी…. “किस बात के लिए हार मान ली मेने…” मेने रानी की तरफ देखते हुए पूछा….तो वो थोड़ा सा मुस्कराई और सर झुकाते हुए बोली….”आप मुझ पर लाइन मार रहे थे…मानो चाहे नही मानो…और आप जल्दी हार भी मान गये…और मूह फूला कर बैठे हो..”

मेने रानी की बात का कोई जवाब नही दिया….और वैसे ही बैठा रहा….”एक बात कहूँ…” रानी ने सरगोशी से भरी आवाज़ में कहा…

.”हां बोलो….” मेने उसकी तरफ देखे बिना ही कहा….

”इंसान को अपनी मंज़िल पाने के लिए कॉसिश करते रहना चाहिए…कभी नही कभी इंसान अपनी मंज़िल हासिल कर ही लेता है…” मेने चोन्कते हुए रानी की तरफ देखा तो, वो शर्मा कर मुस्करा रही थी….मेने रानी का हाथ पकड़ा और जैसे ही उसे अपनी तरफ खेंचा…वो मुझसे आ टकराई….मेने एक हाथ उसके पीछे से ले जाते हुए उसके कंधे को पकड़ा….और दूसरे हाथ से उसके फेस को पकड़ कर ऊपेर किया…और उसकी आँखो में झाँकते हुए बोला….”मेने जिंदगी में हारना नही सीखा….और ना ही नही सुनने की आदत है मुझे…”

रानी के मूह से सिसकी निकल गयी….उसकी आँखे मस्ती में बंद होने लगी थी… “आप चाहते क्या है….” रानी की साँसे मजीद तेज हो गयी थी…”तुम्हारी लेनी है.. बोल दोगि कि नही….” मेने रानी के फेस से हाथ हटा कर नीचे लेजा कर उसके राइट माममे को जैसे ही पकड़ कर दबाया…तो रानी मस्ती में दोहरी हो गयी…उसकी आँखे बंद हो गयी…..और वो उखड़ी हुई आवाज़ में बोली….”मेरी क्या मज़ाल में आप को मना करूँ…” रानी की साँसे मजीद तेज चल रही थी…मेने रानी को धीरे-2 नीचे गद्दे पर लेटा दिया….

और खुद उसके ऊपेर लेटते हुए मेने उसके दोनो मम्मो को पकड़ कर उसके होंठो पर अपने होंठो रख दिए…रानी मस्ती में मचल उठी…उसने अपने बाजुओ को मेरे कंधो के ऊपेर से सर के पीछे ले जाते हुए मेरे सर को कस्के पकड़ लिया…और अपने होंठो को खोल कर ढीला छोड़ दिया…में पागलो की तरह उसके होंठो को दबा-2 कर चूसने लगा और साथ ही उसके कसे हुए मम्मो को कमीज़ और ब्रा के ऊपेर से दबाते हुए खेंचने लगा…मेरा लंड जो कि फुल हार्ड हो चुका था….

मेरा हाथ उस के गाल से सरकता हुआ चेस्ट पर आ गया...और कुछ देर बाद मेने नीचे से उस की कमीज़ के अंदर हाथ डाल कर कमीज़ को ऊपेर कर दिया...

रानी अब मेरा साथ पूरी तरह दे रही थी…मेने कमीज़ ऊपेर उठा कर ब्रा से मम्मे बाहर निकाल लिए...रानी ने शरमा कर अपने मम्मो को हाथों से छुपा लिया...मेने उस के होंठों को किस करते हुए उस के हाथों को मम्मो से अलग करने लगा...रानी ने ऐक 2बार मुझे रोका फिर उस ने अपने हाथ साइड पर कर लिए...थोड़ी देर बाद मेरे होंठ रानी के होंठों से हट कर उसके मम्मो पर आ गये थे...
 
मेने रानी की कमीज़ और ब्रा को उस के गले तक ऊपेर उठा दिया...रानी के गोल और पूरे तने हुए सख़्त मम्मे मेरे सामने थे…क्या खूबसूरत मम्मे थे…साँवले मम्मो पर डार्क कलर का एक सर्क्यूल बना हुआ था….और उसके डार्क ब्लॅक कलर के निपल्स तो ऐसे लग रहे थे….जैसे काले अंगूर हो…मुझसे रहा नही गया….और में वक़्त ज़ाया किए बगैर उन पर टूट पड़ा और पूरे जोश से उन को चूसा... में इसी दोरान घूम कर रानी के ऊपेर लेट चुका था वो मेरे नीचे ऐसे थी जैसे कोई छोटी सी बच्ची हो...उस की हाइट मुझ से थोड़ी ही कम थी….पर उसका दुबला पतला जिस्म देख कर ऐसे लग रहा था….जैसे कोई औरत सांड़ के नीचे आ गयी हो….

मेने उसके मम्मो को चूस्ते हुए ही रानी की शलवार नीचे कर दी फिर उसी हाथ से अपना औज़ार बंद भी खोल दिया...मेरे होंठों ने रानी के मम्मो पर काम दिखाया…तो रानी भी अपने मम्मो को मेरे फेस की तरफ़ उठाने लगी...में भी और जोश से उस के मम्मे को पूरा मुँह खोल कर अंदर ले जाता...और इतने ज़ोर से चूस्ता कि, रानी तड़प कर मुझसे लिपट जाती….मेरा दूसरा हाथ रानी के दूसरे मम्मे पर था...जब कि रानी के दोनो हाथ मेरे शोल्डर्स पर थे...जिन से वो मुझे दबा रही थी. ...

उस के जिस्म को हल्के हल्के झटके लगने लगे थे...कुछ देर बाद में मेने अपना मुँह रानी के मम्मो से उठाया और रानी की आँखों में देखते हुवे ही उस की शलवार को पकड़ लिया..मेरी आँखों से रानी भी मेरे इरादे का अंदाज़ा लगा चुकी थी...वो भी तैयार थी जो में करने जा रहा था...मेने रानी की शलवार उतार दी..

अब वो रोशनी में मेरे सामने पूरी नंगी थी...बस उस की कमीज़ इकट्ठी हो कर उस के गले में थी…में रानी की टाँगो के दरमियाँ आया और उन को हाथों से पकड़ कर खोल दिया...रानी भी तैयार थी मेरे अटॅक के लिए…टांगे खोल कर जब मेने रानी की फुद्दि देखी तो में देखता ही रह गया. ..ऐक दम सॉफ थी..बिल्कुल छोटी नाज़ुक सी फुद्दि थी...फुद्दि के लिप ऐसे आपस में चिपके थे जैसे किसी छोटी सी लड़की की हो...

मेने रानी की टाँगो को ऊपेर उठा कर थोड़ा और खोला फिर अपने लंड को हाथ में पकड़ कर रानी की फुद्दि पर रख दिया..मेने रानी की तरफ़ देखा..उस के चेहरे से सॉफ नज़र आ रहा था कि वो भी लंड के इंतज़ार में थी... मेने लंड को लिप के दरम्यान रख कर ऊपेर नीचे रगड़ा फॉरन ही मेरा लंड रानी की फुद्दि के पानी से आगे से गीला हो गया...

रानी की फुद्दि को देख कर ऐसा लगता था कि मेरा लंड अंदर जा ही नही सकता..
मेने लंड को फुद्दि के सुराख पर रखा और हाथ में पकड़ कर ही लंड को फुद्दि पर दबा दिया...फिर जैसे ही मेने लंड को हाथ में पकड़ कर फुद्दि पर दबाव दिया ...लंड का कॅप आगे से पिचक कर सिकुड़ता हुआ रानी की तंग फुद्दि में दाखिल होने लगा ..कॅप से थोड़ा आगे लंड फुद्दि के अंदर जा चुका था ….लंड को फुद्दि ने इतनी सख्ती से जकड कर चारों तरफ़ रिंग बनाया था कि मुझे ऐसा लग रहा था जैसे अभी ये रिंग टूट जाए गा और रानी की फुद्दि फॅट जाए गी...लंड अंदर जाते ही फुद्दि की शकल तो चेंज हुई ही थी रानी की शकल भी अजीब सी हो गयी थी....गजब की फुद्दि थी रानी की जिस ने लंड को आगे से ऐसे अपनी ग्रिफ्त में लिया था जैसे उस का गला दबा रही हो...

मेने अपने लंड को थोड़ा और ज़ोर दिया...लंड भी पूरा टाइट था रानी की फुद्दि के दबाव को सहता हुवा और अंदर चला गया. ...मेने थोड़ा आगे पीछे किया और ऐक झटके से पूरा लंड फुद्दि में डाल दिया...रानी की सिसकारी निकली और साथ ही हाए की आवाज़ भी आइ...आज मुझे अहसास हुआ कि, लड़कियों और औरतों की फुद्दि मारने में कितना फ़र्क होता है….आज तक मेने रीदा सुमेरा और सबा की फुद्दि ही मारी थी…और सब की सब मुझसे उम्र में बहुत बड़ी थी…रीदा सुमेरा तो दो -2 बच्चो की माँ थी…इसलिए जो मज़ा मुझे आज मिल रहा था…वैसा मज़ा मुझे पहले कभी नही मिला था…
 
मेने लंड को पीछे किया और आशिस्ता आहिस्ता आगे पीछे करना शुरू कर दिया...जब मेरा आंगल और रिदम सेट हुआ और लंड भी फुद्दि में पर्फेक्ट डाइरेक्षन में अंदर बाहर होने लगा तो में रानी के ऊपेर झुक गया...मेरे हाथ उस के मम्मो पर थे और मेरा फेस उस के फेस पर झुक चुका था...रानी के चेहरे पर अब वो तकलीफ़ मुझे नज़र आ रही थी उस की आहह पुकार भी पहले की तरह जारी थी..

में अब उस को देख सकता था उस के चेहरे से उस का दर्द को देख सकता था..मेने अपने होंठ उस के होंठ पर रख कर उस को किस करता मगर रानी आहह एयईईए सस्स्स्सिईईई की आवाज़ निकाल कर अपना फेस दाएँ बाएँ कर लेती...मेरी आँखे रानी को तड़प्ता हुवा देख रही थी... रानी ने जब होंठो से किस करने ना दी तो में उस के गाल से किस करने लगा....गालों से किस करने के बाद मेने उस की गर्दन से किस करनी शुरू कर दी..रानी के हाथ मेरी कमर के पीछे आए..मेरे झटके उसी स्पीड से चल रहे थे..

रानी की आअहह आआहह की आवाज़ वैसे ही आ रही थी...उस की तड़प भी कम ना थी..अचानक रानी ने अपना सिर उठाया और मेरे शोल्डर पर अपने होंठो को रख कर सक करने लगी…..बीच-2 में वो अपने दाँत मेरे कंधे पर हल्का सा दबा देती…वो ये सब मस्ती में आकर कर रही थी….रानी को अब मज़ा आने लगा था…उसकी टाइट फुद्दि मेरे लंड के हिसाब से फैल चुकी थी….

में पूरा लंड बाहर निकाल कर झटके से अंदर डालता..हर झटके पर रानी चिल्ला कर तड़प उठती..और अपनी बुन्द को ऊपेर उठाने की कोशिश करती ता कि मेने अपना पूरा लंड जड तक उसकी फुद्दि में उतार सकूँ….मेरा लंड घपा घप से उस की चुदाई कर रहा था...रानी तो ऐसे लग रही थी जैसे कोई जंगली बिल्ली हो...वो घुरते हुए इधर उधर अपना सर हिला रही थी…रानी भी जो कर रही थी वो भी सेक्स में उस का पागल पन था..क्यू कि वो जो भी कर रही थी जैसे भी तड़प रही थी उस ने मुझे रोका नही था..ऐक बार भी ये नही कहा कि आराम से करो....

वो भी ठीक से चुदवाती रही और लंड के मज़े लेती रही....वो कभी अपने टांगे हवा में उठा कर पूरा खोल लेती तो, कभी अपनी टाँगो को मेरी कमर पर लपेट लेती..
रानी मेरे नीचे तड़पति चिल्लाती रही...चुदाई का टाइम कुछ ज़्यादा ही लंबा हो गया था....उस की फुद्दि ने पानी छोड़ छोड़ कर लंड को इतना चिकना कर दिया था कि हल्के से दबाब से भी लंड अंदर चला जाता था....

उस की फुद्दि के चारों तरफ़ वाली जगह भी मेरे स्ट्रोक्स से लाल थी...रानी फारिघ् होने के करीब थी….”ओह्ह्ह और तेज करो….मेरी फुद्दि बजने वाली है बॅस और ज़ोर से करो….
मेरे जिस्म में सरसराहट हुई...लंड रोड की तरह अकड़ गया...मेने उस को रानी की फुद्दि के अंदर दबा दिया...और साथ ही रानी तड़प्ते हुए बोली….”सीईईईईईई ओह हो गाईए जी में ठंडी…..और जब तक सारी मनी फुद्दि के अंदर निकल ना गयी लंड को बाहर ना निकाला.......
 
जब मेरा लंड ढीला होकर रानी की फुद्दि से बाहर आ गया तो, मैं रानी के ऊपेर से उठ कर उसकी बगल में लेट गया….और अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरस्त करने लगा… तभी मेरा ध्यान रानी की तरफ पड़ा…रानी ने अपनी टाँगो को आपस में जोड़ कर घुटनो से मोड़ा हुआ था….और टाँगो को ऊपेर उठा कर बुन्द को थोड़ा सा ऊपेर उठाया हुआ था…ये देख मुझे हँसी आ गयी….रानी ने दूसरी तरफ मुँह कर लिया…शायद अब वो शरमा रही थी…”


हंस क्यों रहे हो…..” रानी ने झूठा गुस्सा करते हुए कहा…

“अब तो अपनी बुन्द नीचे कर ले….कि तुम्हे सज़ा मिली है….” मेने फिर से हंसते हुए कहा…तो रानी कुछ नही बोली…में उठ कर बैठ गया….रानी पीठ के बल लेटी हुई थी….और उसने अपनी टाँगो को मोड़ कर उठा रखा था,...जिससे उसकी बुन्द भी ऊपेर की तरफ उठी थी…मेने अपना हाथ उसकी बुन्द पर रख कर धीरे-2 दबाना शुरू कर दिया….”क्या हुआ अब भी फीलिंग ले रही हो…” मेने मुस्कुराते हुए कहा तो, रानी ने अपने फेस पर अपना बाज़ू रख कर अपने चेहरे को छुपा लिया…..

मैं: बताया नही तुमने अभी तक अपनी टांगे क्यों उठा रखी है….फिर से फुद्दि में लंड लेने का इरादा है क्या….

रानी: क्या बताऊ….मुझे कहते हुए शरम आती है….

मैं: बताओ तो सही…नही तो में कभी भी तुमसे बात नही करूँगा….

रानी: वो वो आपने जो इतना कीमती ख़ज़ाना मुझे दिया है….उसको बर्बाद नही करना चाहती….

मैं: समझा नही…कहना क्या चाहती हो..

रानी: इधर आओ मेरे पास…..

रानी ने अपनी बाज़ुओ को खोल कर कहा…तो में उसकी बगल में बैठे हुए, उसके ऊपेर झुक गया…रानी ने अपने बाज़ुओ को मेरी पीठ पर कसते हुए अपने होंठो को मेरे होंठो के साथ लगा दिया….और बड़े जज़्बात के साथ मेरे होंठो को चूसने लगी….मेने भी उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया….थोड़ी देर बाद रानी अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग किया…और मेरी आँखो में देखते हुए बोली…”में चाहती हूँ कि, मुझे हमल हो जाए…..” मैं रानी की बात सुन कर एक दम से चोंक गया….

मैं: क्या….?

रानी: हां में चाहती हूँ कि, में पेट से हो जाउ….

मैं: मेरे बच्चे से…..

रानी: और नही तो क्या…सारे गाओं में आप जैसा कोई दूसरा है भी तो नही….और मेरा खाविंद उसके बारे में तो आप जानते ही है….थोड़ी देर वैसे ही हम एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे….

थोड़ी देर बाद रानी उठ कर बैठ गयी….और बोली….”अब आप कपड़े पहन लीजिए… बहुत देर हो गयी है…कही सबा बेगम को शक नही हो जाए….” फिर मेने और रानी ने कपड़े पहने …..और हम ने बिस्तरे नीचे किए…और काम ख़तम करके बाहर आकर गेट को लॉक लगा कर चल पड़े…आज रानी की टाइट फुद्दि मारने का अहसास हुआ था कि चुदि चुदाई और बच्चो वाली औरतों और लड़कियों की फुद्दि में क्या फ़र्क होता है… मेरा दिल तो बहुत कर रहा था कि एक बार रानी की फुद्दि और मार लूँ…पर देर हो रही थी…इसलिए हम गाँव की तरफ चल पड़े…जब हम छोटे रोड पर पहुचे तो, रानी ने मुझसे कहा कि, आप थोड़ा रुक कर आईएगा…

मैं: वो तो ठीक है….फिर कब मिलोगी…..

रानी: आप एक दो दिन रुक जाएँ,…..में आप को बता दूँगी….

मैं: ठीक है…..

रानी कुछ सोचने लगी….और फिर मुस्कुराते हुए बोली….”अगली बार साथ में गुबारा ले आना….

मैं रानी की बात समझ गया था कि, वो कॉंडम लाने के लिए कह रही है….पर कॉंडम की क्या ज़रूरत है….”वो किस लिए….”

रानी: (मुस्कराते हुए…) वो जब आएँगे तो पता चल जाएगा….

मैं: ठीक है….ले आउन्गा….

और फिर 10 मिनिट बाद गाओं की तरफ चल पड़ा….में सीधा सबा के घर गया,… और डोर बेल बजाई….तो थोड़ी देर बाद सबा ने गेट खोला….सबा नीचे अपनी सास के रूम में ही थी….जब उसने मुझे देखा तो, उसने मुझे अंदर आने को कहा…और में अंदर चला गया,…सबा मुझे साथ वाले रूम में ले गयी….और मुझे अंदर सोफे पर बैठा कर खुद मेरे साथ बैठ गयी….

सबा: साफाई हो गयी……

मैं: हां हो गये है….ये लो चाबी…

सबा: इसे तुम अपने पास ही रखो….और सुनो अब 3-4 दिन की छुट्टी है….

मैं: वो किस लिए आज भी नही आई तुम…..

सबा: वो मुझे पीरियड्स आए हुए थे…..

मैं: ओह्ह अच्छा….इसलिए रानी बोल रही थी कि तुम्हारी तबीयत खराब है…

सबा: कुछ खाओगे….

मैं: नही…मुझे शादी में जाना है…..वहाँ पर कुछ खा लूँगा….मेने सबा से इज़ाज़त ली और घर पर आ गया….तैयार होकर सिटी के लिए चला गया….क्योंकि नजीबा के मामा ने मॅरेज का अरेंज्मेंट सिटी के मॅरेज पॅलेस में किया था…जब वहाँ पहुचा तो, वहाँ बहुत से लोग थे…मैं वहाँ अबू नजीबा और नाज़िया या फिर उसके मामा मामी के इलावा किसी को नही जानता था…थोड़ा ढूँढने के बाद मुझे अबू दिखाए दिए…तो में उनके पास चला गया….वो मुझे वहाँ देख कर बहुत खुश हुए…मैं वहाँ अबू के साथ बैठ गया….में अपने ध्यान में बैठा हुआ था कि, नजीबा पास आ गयी…उसकी आवाज़ सुन कर जैसे ही मेने उसकी तरफ देखा तो, मेरे होश उड़ गये….उसने ऑफ वाइट कलर की कमीज़ और उसने थोड़े डार्क कलर की पाजामी पहनी हुई थी….कमीज़ पर डार्क ग्रीन कलर का पॅच वर्क किया हुआ था….

कमीज़ के स्लीवस नेट वाली थी….दुपट्टा भी नेट वाला था….जिस पर डार्क ग्रीन कलर का काम किया हुआ था….नजीबा ने हल्का सा मेकप किया हुआ था….बाल खुले हुए थे… कंधो के दोनो तरफ उसके खुले हुए बाल उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे…नजीबा ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा…लेकिन वो कुछ नही बोली….वो कुछ बोलने ही वाली थी….कि नाज़िया भी वहाँ आ गयी…उसने भी मुझे देख कर स्माइल की…पता नही उस वक़्त उसके दिल में मेरे बारे में क्या था…लेकिन अबू को दिखाने के लिए वो मुझसे इस तरह पेश आ रही थी…जैसे उसे मेरी बहुत परवाह हो….

नाज़िया: तुम कब आए….?

मैं: जी अभी आया हूँ…
 
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