Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन - Page 8 - SexBaba
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Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

सुमेरा: रीदा बता रही थी कि तुम्हारा उसके साथ झगड़ा हो गया है…(सुमेरा की बात सुन कर मेरी बोलती बंद हो गयी…और मे कुछ बोल ना पाया….मैं सोच रहा था कि ये ज़रूर मुझे कुछ ना कुछ सुना देगी….) 

सुमेरा : तुम दोनो बच्चो की तरह झगड़ते क्यों रहते हो….चल अंदर आ मैं तुम दोनो की सुलहा करवा देती हूँ….

मैने सुमेरा को मना किया…लेकिन उसके बार -2 कहने पर मैं उसके साथ अंदर चला गया….जब मैं सुमेरा के साथ अंदर पहुचा तो, रीदा भैंस के पास बैठी दूध निकालने की तैयारी कर रही थी…मैने रीदा की तरफ देखते हुए सुमेरा से पूछा… “चाची आज इतनी देर मे दूध निकालने लगी हो….?”

सुमेरा: कुछ नही समीर सुबह से काम से फ़ुर्सत नही मिली….जा रीदा से बात करके उसे मना ले…तुमने ही उसे नाराज़ किया है…और तुम्हारा फ़र्ज़ बनता है कि तुम उसे मनाओ….

सुमेरा रीदा के पास गयी….और रीदा के पास बैठते हुए बोली….”जा समीर तुझसे बात करने आया है…” रीदा ने एक बार अपनी अम्मी सुमेरा की तरफ देखा और मूह बनाते हुए खड़ी होकर रूम के डोर के पास आकर खड़ी हो गयी….मैने रीदा का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खेंचा और दीवार की आड मे कर लिया….अब रूम का नज़ारा कुछ इस तरह था….रूम के डोर के सामने भैंस के पास सुमेरा बैठी हुई थी…उसकी नज़र हम पर भी थी….और डोर से बाहर भी थी….सुमेरा को अंदर से मेन डोर तक दिखाई दे रहा था….और मैन डोर खुला हुआ था…जिसकी वजह से सामने उसे अपने घर का गेट भी दिखाई दे रहा था…

जैसे ही मैने रीदा का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खेंचा तो, रीदा ने मुझसे अपना हाथ छुड़ाने की कॉसिश करते हुए गुस्से से देखते हुए कहा…”क्या है मेरा हाथ छोड़ो….” 

मैने रीदा का हाथ नही छोड़ा और उसे झटके से अपने पास खेंच लिया…”क्या हुआ इतने नखरे क्यों कर रही हो….” मैने रीदा की कमर मे अपने बाजुओं को कसते हुए कहा….

”जाओ मुझे तुमसे कोई बात नही करनी….याद नही उस दिन तुमने मेरे साथ क्या सलूक किया था….” रीदा ने मूह बनाते हुए कहा….

मैं: तुम अभी भी उस बात को लेकर नाराज़ बैठी हो…चलो अब अपना मूड ठीक करो…देखो मेरा लंड तुम्हारी फुद्दि की खुसबू सूंघते ही कैसे खड़ा हो गया है….

रीदा मेरी बात सुन कर अपनी हँसी दबा ना पाई….उसने मुस्कुराते कर शरमाते हुए अपनी नज़रें झुका ली….मैने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर शलवार के ऊपेर से रीदा की फुद्दि को रगड़ा तो, रीदा बुरी तरह मुझसे चिपक गयी…उसके 38 साइज़ के मम्मे मेरे सीने पर रगड़ खाने लगे….”मुझे माफ़ कर दो रीदा…..” मैने शलवार के ऊपेर से रीदा की फुद्दि को मसलते हुए कहा…..

रीदा: सीईईईईई एक शर्त पर…..

मैं: कॉन सी……

रीदा: आज भी मुझे वैसे ही चोदोगे,…..जैसे उस दिन चोदा था…
 
मैने अपने हाथो को उसकी कमर से खिसका कर उसके मोटी बाहर की तरफ निकली हुई गान्ड पर रख दबाना शुरू कर दिया….रीदा मुझसे पागलो की तरफ चिपक गयी… और मेरे गालो और गर्दन को चूमने लगी…सामने बैठी सुमेरा हवस भरी नज़रो से हमारी तरफ देख रही थी….जब उसकी नज़रें मेरी नज़रो से टकराई तो, सुमेरा ने मुस्कुराते हुए इशारे से कहा कि, जल्दी करो….

मैने अपना हाथ रीदा की बुन्द से हटाया और उसकी शलवार के जबरन तलाश की तो, पता चला कि, उसने इलास्टिक वाली शलवार पहनी हुई है….मैं रीदा से अलग हुआ.. और अपनी शलवार का नाडा खोलते हुए उससे बोला…” चल फिर शलवार नीचे करके कोड़ी हो जा… तुम्हारे बाद तुम्हारी अम्मी का भोग भी लगाना है…..” रीदा ने शरमाते हुए पीछे फेस घुमा कर सुमेरा को देखा और फिर मेरी तरफ देख कर शरमा कर मुस्कुराते हुए बोली….”बड़े बेशर्म हो तुम…..” और रीदा दीवार की तरफ घूम गयी…उसने जल्दी से अपनी शलवार को अपने घुटनो तक नीचे किया और दीवार पर हाथ टिका कर झुक गयी… मैने पीछे से अपने लंड को बाहर निकाल कर उस पर थोड़ा से थूक लगा कर लंड के टोपे को चिकना किया….और लंड के टोपे को रीदा की फुद्दि के सुराख पर सेट करके ज़ोर दार धक्का मारा…..

मेरा लंड रीदा की फुद्दि की दीवारो को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर जा घुसा… रीदा तड़पते हुए चीख उठी….”हाईए अम्मी….” मैने सुमेरा की तरफ देखा तो, वो हसरत भरी नज़रों से हमारी तरफ ही देख रही थी…मैने सुमेरा की आँखो मे देखते हुए रीदा के बालो को पकड़ कर अपनी तरफ खेंचा तो, रीदा ने अपनी गर्दन ऐसे उठा ली….जैसे हीट मे आई हुई खोती पीछे की ओर अपनी गर्दन उठा लेती है….फिर क्या था….मैने बिना रुके रीदा की फुददी मे तबड तोड धक्के लगाने शुरू कर दिए….मेरी थाइस रीदा की मोटी गान्ड से टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगी…..मैं जिस वेहसिपन से रीदा की फुद्दि मे अपना लंड उसकी गहराइयों मे उतार रहा था…उसे देख सुमेरा हैरत भरी नज़रों से हमारी ओर देख रही थी….

सुमेरा: समीर क्या कर रहे हो….इतनी आवाज़ मत करो…

रीदा: अहह कुछ नही होता अम्मी….समीर तू रुक ना…पूरे ज़ोर लगा कर घस्से मार….मेरी फुद्दि फाड़ दे आज सूजा दे मेरी फुद्दि….

रीदा ने पूरी मस्ती मे अपनी गान्ड को पीछे की तरफ पुश करते हुए कहा….रीदा की बात सुन कर मैं जोश से और पागल हो गया….और रीदा के बालो को पकड़ कर अपना लंड कॅप तक बाहर निकाल -2 कर रीदा की फुददी मे डालने लगा….रीदा की फुद्दि से बहुत पानी बह रहा था…जिसकी वजह से उसकी फुद्दि से फॅच-2 जैसी आवाज़े आ रही थी… सुमेरा भी दूध निकाल कर बालटी उठा कर हमारे पास आ गयी थी…. “समीर बच्ची को मारना है क्या तुमने….” सुमेरा ने बालटी नीचे रखी और नीचे पैरो के बल बैठते हुए, रीदा की फुद्दि की तरफ देखते हुए हैरानगी से बोली….”हाई कीड़ा लाल कर छढ़ि है….” 

रीदा: अम्मी तुम चुप रहो ना….समीर और तेज कर….मेरी फुद्दि आहह मैं फारिघ् होने वाली हूँ….

रीदा ने तड़पते हुए कहा….फिर क्या था….मेने ऐसे ऐसे कस कस के शॉट मारे कि रीदा की फुद्दि को अंदर से पूरा हिला दिया…..जैसे ही रीदा फारिग होने लगी तो, मेरे लंड से भी लावे की बोछार रीदा की फुद्दि मे होने लगी….”सीईइ ओह तसल्ली कर दी समीर तूने तो…..” रीदा सीधी खड़ी हो गयी…तो मेरा लंड उसकी फुदी से बाहर आ गया….मैने सुमेरा की तरफ देखा जो मेरे ढीले पड़ चुके लंड की तरफ देख रही थी

…”चाची थोड़ी देर रुक जाओ….फिर तुम्हे भी ठंडा करता हूँ….” रीदा ने अपने दुपट्टे से मेरे लंड को सॉफ किया….और मुस्कुराते हुए बोली….”उसकी कोई ज़रूरत नही… अम्मी को डेट आई हुई है….

मैं: चल कोई बात नही फिर कभी ही सही….

सुमेरा: समीर अब तुम जाओ…..फ़ारूक़ अंदर सो रहा है…कही उठ कर इधर ना आ जाए….

मैं वहाँ से निकल कर अपने घर की तरफ चल पड़ा…शाम तक कोई और ख़ास बात ना हुई….
 
शाम का वक़्त था…..5 बजे थे…अंधेरा होना शुरू हो गया था…मैं अपने रूम मे बैठा पढ़ रहा था…और अब्बू बाहर बरामदे मे चारपाई पर बैठे हुए थे कि, बाहर डोर बेल बजी…..मैने किताब रखी और जैसे ही अपने रूम के डोर पर पहुचा तो, देखा कि अब्बू गेट खोल रहे थे…फिर मुझे अब्बू की आवाज़ आई… “नाज़िया तुम….क्या हुआ तुम तो वही रुकने वाली थी ना….”

अब्बू ने गेट से पीछे हटते हुए कहा…तो नाज़िया अंदर आ गयी….बाहर शायद नाज़िया का भाई उसे छोड़ने आया था… लेकिन वो अंदर नही आया…और बाहर से ही वापिस चला गया….अब्बू ने गेट बंद किया तो, दोनो बरामदे मे आकर चारपाई पर बैठ गये…

अब्बू: क्या हुआ नाज़िया तुम वापिस क्यों आ गयी….

मे दीवार की आड मे सब सुन रहा था….”ऐसे ही मैने सोचा कि, इतने दिन बॅंक से छुट्टी लेने का क्या फ़ायदा….शादी से 1 दिन पहले वहाँ चले जाएँगे….उन्होने ने कॉन सा सारी रस्मे करनी है….”

अब्बू: चलो ठीक है..जैसे तुम्हारी मर्ज़ी….

नाज़िया: मैं चेंज कर लूँ फिर खाना बनाती हूँ…

नाज़िया उठ कर अपने रूम मे चली गयी….. मैं वापिस आकर बेड पर बैठ गया…किताब लेकर और सोचने लगा कि, कही नाज़िया उस लड़के (यानी कि मेरे ) चक्कर मे तो वापिस नही आ गयी….शायद मामला उधर भी उतना गरम है…ये ख़याल आते ही मेरा लंड ने शलवार के अंदर से सर उठाना शुरू कर दिया…..कि नाज़िया की फुद्दि भी पिघल कर मेरा लंड माँग रही है….अब मुझे कल बड़ी बेसबरी से इंतजार था…कई सवाल दिल मे हो हल्ला मचाए हुए थे….जैसे तैसे रात हुई. खाना खा कर मैं अपने रूम मे आ गया…और नाज़िया के बारे मे सोचते हुए अपने लंड को हिलाते हुए कब मुझे नींद आ गयी पता नही चला…अगली सुबह मैं जल्दी उठ गया….

बाथरूम जाकर फ्रेश हुआ नहा धो कर खाना खाया और फिर जब बॅंक जाने का टाइम हुआ तो, अब्बू ने नाज़िया को आवाज़ दी….”चलो नाज़िया मे तुम्हे छोड़ देता हूँ…” अब्बू की बात सुन कर नाज़िया रूम से बाहर आई…और बोली…”आप ने दूसरी तरफ जाना है…आप जाएँ मैं चली जाउन्गी….” अब्बू ने एक बार और कहा…लेकिन नाज़िया ने बहाना बना दिया….अब्बू के जाने के बाद मैं जल्दी तैयार हुआ और जो नयी ड्रेस मैने खरीदी थी…उसमे से एक ड्रेस पहन ली….मैं रूम से बाहर आया और देखा कि नाज़िया ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी मेकप कर रही थी….उसका ध्यान मेरी तरफ नही था….दरअसल मैं नही चाहता था कि, वो मुझे इन कपड़ो मे देखे…जो मैने आज पहने है… “मैं जा रहा हूँ….” मैने गेट की तरफ बढ़ते हुए कहा…तो नाज़िया ने बस इतना ही कहा….”ठीक है गेट बंद करते जाना….

मैं घर से निकल कर जल्दी से मेन रोड की तरफ चल पड़ा…10 मिनट बाद मेन रोड पर पहुचा और नाज़िया का वेट करने लगा…तकरीबन 5 मिनट बाद नाज़िया मुझे रोड की तरफ आती हुई नज़र आई….आज उसने वाइट कलर का शलवार कमीज़ पहना हुआ था….जिस पर पिंक कलर का डिज़ाइन था….शलवार प्लेन वाइट थी….दूर से आती वो किसी कयामत से कम नज़र नही आ रही थी…उसने आते हुए मुझे देख लिया था….और ये भी नोटीस कर लिया था कि, मे उसे कितना बेसबरा होकर देख रहा हूँ…आज भी उसने चद्दर से नक़ाब कर रखा था….और मैने रुमाल से…वो रोड पर पहुची और मुझसे थोड़ा दूर खड़ी हो गई… 
 
थोड़ी देर मे बस आ गयी,…..आज भी बस मे भीड़ थी…बैठने को जगह तो नही थी….लेकिन फिर भी कल के हिसाब से भीड़ थोड़ी कम थी…सब लोग बस मे चढ़ने लगे…तो मैने नाज़िया की तरफ देखा…वो बस के दूर के तरफ जाते हुए मुझे ही देख रही थी…जैसे ही वो बस के डोर के पास पहुची तो, मैं भी उसके पीछे आ गया…और उसके पीछे ही बस मे चढ़ गया….आज भी कई लोग खड़े थे….लेकिन कल की तरह धक्कम मुक्का नही था….मेरे पीछे कुछ और लोग चढ़े….और बस चल पड़ी…नाज़िया ठीक मेरे आगे खड़ी थी….आज हम दोनो के बीच चन्द इंच का फाँसला था…

मैने कुछ देर तक वेट किया..और एक बार बस मे माजूद सभी लोगो का जायज़ा लेकर थोड़ा सा आगे सरका….तो मेरी बॉडी का फ्रंट पार्ट गैर मामूली तरीके से नाज़िया के बॅक के साथ टच होने लगा…लंड तो घर से निकलते वक़्त से ही खड़ा था….मैं सब पर नज़र रखते हुए थोड़ा आगे की ओर खिसका तो मेरा लंड नाज़िया की शलवार और कमीज़ के पल्ले के ऊपेर उसकी मोटी से बुन्द पर टच हुआ तो, उसने अपना फेस घुमा कर पीछे की तरफ देखा और फिर से नज़रें आगे कर ली…आज भी मुझे फील हुआ कि, उसने नीचे पैंटी पहनी है….दो दिन पहले मैने जो उसके पर्ची लिख कर पकड़ाई थी…उसमे मैने सॉफ सॉफ लिखा था..वो पैंटी ना पहन कर आए….

मुझे इस बात का बड़ा अफ़सोस हुआ और सोचने लगा कि, शायद नाज़िया को फसाना मेरे बस की बात नही है…या फिर वो ऐसी हो ही ना…जैसा मैं उसके बारे मे सोचता हूँ….मुझे अपने आप पर और नाज़िया पर गुस्सा आ रहा था….आख़िर कार मैने फैंसला किया कि, मैने इसकी ज़्यादा मिन्नते करके अपने सर पे नही बैठाना है….मैं थोड़ा पीछे होकर खड़ा हो गया…अब हम दोनो के जिस्मो के बीच 4-5 इंच का फंसला था... तरीबन 5 मिनट बाद उसने अपना फेस घुमा कर पीछे की तरफ देखा…और उसके नज़रें मुझे टकराई तो उसने फॉरन अपना फेस आगे कर लिया…थोड़ी देर बाद फॅक्टरी वाला स्टॉप आ गया….आधे से ज़्यादा बस खाली हो गयी….जब वो सीट पर बैठने लगी तो, उसने एक बार फिर से मेरी तरफ देखा….लेकिन आज मैं उसके पीछे वाली सीट पर ना बैठा और सबसे लास्ट वाली रो की सीट पर बैठ गया….थोड़ी देर बाद मेरा स्टॉप आ गया… जब मे बस से उतरने लगा तो मैने देखा कि उसके नज़रें मुझ पर ही थी. लेकिन मैने उसकी तरफ कोई ध्यान ना दिया…और अपने स्टॉप पर उतर गया….

उस दिन और कोई ख़ास बात ना हुई….रात को अब्बू और नाज़िया जब घर पहुचे तो, मैने नोटीस किया कि, आज नाज़िया का मूड थोड़ा उखाड़ा हुआ था….वो अब्बू से सीधे मूह बात नही कर रही थी..और मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था कि, आख़िर इसके मन मे है क्या….खाना खा कर मैं अपने रूम मे आकर लेट गया…दिमाग़ ने तो काम करना ही बंद कर दिया था….कभी दिल मे ख़याल आता कि, नाज़िया भी मुझसे बात करना चाहती है….तो कभी दिमाग़ मे आता कि, नही शायद ये सब मेरी ग़लतफेहमी हो…..तो कभी दिमाग़ मे आता कि अगर मेरी उसके साथ सेट्टिंग हो भी गयी तो, मैं कहाँ और कैसे उसको चोदुन्गा….और अगर उसने मेरा चेहरा देख लिया तो, फिर तो बहुत पंगा हो जाना है….

यही सब सोचते -2 मुझे नींद आ गयी….अगली सुबह उठा तो मुझे पता चला कि, आज नाज़िया और अब्बू ने साना के घर जाना है…कल साना का निकाह था...जब मैं अपने रूम से निकल कर बाहर बाथरूम की तरफ जा रहा था…तो अब्बू ने मुझसे कहा कि मे तैयार हो जाउ…और उनके साथ चलूं…लेकिन मैने मना कर दिया..अब्बू ने गुस्सा भी किया. लेकिन मैं नही माना…अब्बू और नाज़िया पहले ही तैयार थे…मैं फ्रेश होकर खाना खाने बैठ गया..तो अब्बू मेरे पास आए….

अब्बू: देख समीर बेटे….तुम्हे आज हमारे साथ नही चलना तो कोई बात नही… पर ऐसे अच्छा नही लगता….हो सके तो कल थोड़ी देर के लिए आ जाना….

मैने हां मे सर हिला दिया….और खाना खाने लगा….अब्बू और नाज़िया के जाने के बाद मैं तैयार हुआ और घर को लॉक करके फ़ैज़ के घर की तरफ चल पड़ा… सोचा कि आज फ़ैज़ के साथ ही कॉलेज चला जाता हूँ उसकी बाइक पर…आज कॉन सी नाज़िया यहाँ है… जब मैं फ़ैज़ के घर पहुँचा तो, घर का गेट खुला ही था…मैं अंदर दाखिल हुआ तो, मेरी नज़र सबा पर पड़ी….जो अपनी सास के साथ चारपाई पर बैठी हुई थी…मैने उन्हे सलाम किया और फ़ैज़ को पूछा….

सबा: बेटा फ़ैज़ तो थोड़ी देर पहले ही निकल गया….

मैं: जी ठीक है कोई बात नही मैं बस से चला जाउन्गा….

मैं मूड कर वापिस जाने लगा तो, सबा जल्दी से उठ कर गेट तक आ गयी….मैं गेट के बाहर रुक गया…और गेट से थोड़ा सा बाहर आई…और धीरे से बोली….”आज छुट्टी ले सकते हो… “ 
 
मैं: हां पर हुआ क्या….कोई काम है…

सबा ने मुस्कुराते हुए कहा….”काम तो वही है..करोगे…..”

मैने भी स्माइल के साथ उसकी तरफ देखा और बोला…”पर तुम्हारी सास…..”

तो सबा मेरी बात सुन कर मुस्कुराने लगी….और धीरे से सरगोशी भरी आवाज़ मे बोली…..”यहाँ नही कही और….” 

मैने सबा की तरफ सवालिया नज़रो से देखा तो उसने एक बार गेट के अंदर अपनी सास की तरफ देखा और फिर धीरे से बोली….”तुम यही रूको…मैं एक मिनट मे आती हूँ…” सबा जल्दी से ऊपेर गयी….और 2 मिनट मे वापिस नीचे आ गयी… वो गेट से थोड़ा सा बाहर आई….और एक की (चाबी) मेरे हाथ मे पकड़ाते हुए बोली… 

सबा: ये लो…..ये सड़क के उस पार जो खेतो के बीच मे दो मंज़िला बड़ा सा मकान है ना, ये उसकी चाबी है….तुम वहाँ जाकर उस मकान मे मेरा इंतजार करो… मैं भी थोड़ी देर मे वहाँ पहुँचती हूँ….

मैं: क्या वो सफेद मकान जो दो मंज़िला है….

सबा: हां…

मैं: लेकिन मैने सुना है कि वो जगह बड़ी खोफ़नाक है…भूतो का साया है वहाँ पर…

मेरे बात सुन कर सबा मुस्कुराते हुए बोली…”कोई भूत वूत नही है वहाँ…तुम वहाँ जाकर मेरा इंतजार करो….मैं तुम्हारे पीछे-2 आई….” सबा ने मेरे हाथ मे चाबी देते हुए कहा…”ना नही नही मैने नही उधर जाना….सुना है बड़ी मनहूस जगह है…..कोई भी उस मकान के नज़दीक भी नही जाता….”

सबा: पागल हो तुम भी…मैने कहा ना कुछ नही है वहाँ पर…तुम वहाँ पहुँचो तो तुम्हे बताती हूँ कि, लोग उस मकान के बारे मे ऐसी बातें क्यों करते है…तुम चलो तो सही…

मैं: ठीक है…पर जब तक तुम नही आओगी…मैं उस मकान के अंदर नही जाउन्गा..

सबा: अच्छा ठीक है….तुम वहाँ पहुचो तो सही….

मैने ना चाहते हुए भी सबा से की ली…और पहले अपने घर की तरफ गया…मैने घर का लॉक खोला और अपने रूम मे जाकर बॅग रखा और कपड़े चेंज करने शलवार कमीज़ पहन ली….और फिर घर को लॉक लगा कर मेन रोड की तरफ चल पड़ा….जिस जगह सबा ने मुझे पहुचने के लिए कहा था….वो जगह आसपास के लोगो मे मनहूस होने की वजह से बड़ी मशहूर थी…रात की बात तो दूर, दिन मे भी बड़े कम लोग उस तरफ जाते थे….कोई कहता था कि, वहाँ किसी भूत का बसेरा है तो, कोई कहता वहाँ किसी जिन्न की रिहाइश है…हालाकी मैं इन चीज़ो से डरता नही था. फिर भी वहाँ जाने से कतरा रहा था…9:30 बज चुके थे…हल्की-2 धूप निकल आई थी…जो कोहरा धुन्द छाई हुई थी….वो अब धीरे-2 हटाने लगी थी….लेकिन फिर भी सर्दी थी….

जैसे जैसे मैं उस घर के करीब पहुँच रहा था…वैसे वैसे अजीब सा डर मेरे जेहन मे घर करता जा रहा था…मैं मेन रोड पर पहुचा और रोड पार करके सामने वाले रोड पर पहुच गया….ये छोटा सा रोड आगे जाकर कई गाओं से होकर जाता था….उस छोटे रोड पर चलते हुए थोड़ी आगे लेफ्ट को एक कच्चा रास्ता मुड़ता था… उस रास्ते पर कुछ मीटर चलने के बाद वो दो मंज़िला मकान था….जिसे वाइट कलर के पैंट से रंगा गया था….उस कच्चे रास्ते के दोनो तरफ गन्ने के खेत थे… गन्ने की फसल भी तैयार हो चुकी थी….दोनो तरफ सिवाए 6-7 फुट उँचे गन्नों के सावय कुछ नज़र नही आ रहा था…

जब तेज हवा का झोंका एक दम से आता तो, गन्ने के खेतों मे से साईं -2 की आवाज़ आती तो ऐसा लगता कि, अभी इनमे से कोई डरावनी सी चीज़ बाहर निकल कर सामने आ जाएगी…. मैं उस घर के करीब पहुच चुका था….वहाँ परिंदो की आवाज़ो के सिवाए और किसी की आवाज़ तक नही आ रही थी…या फिर मेन रोड से गुजरते किसी ट्रक या बस के हॉर्न की आवाज़ बीच बीच मे सुनाई दे जाती…मैं उस घर से थोड़ी दूर खड़ा हो गया…..थोड़ी देर ही हुई थी कि, मुझे कोई औरत बुरखे मे आती हुई नज़र आई….उसका चेहरा ढका हुआ था….मुझे पता था कि, ये सबा ही होगी…लेकिन पता नही दिल मे आ रहा था कि, कही कोई और सह ही ना निकल आए…. मैं वहाँ खड़ा रहा…थोड़ी देर वो मेरे पास आकर खड़ी हुई….”चाबी दो….” सबा की आवाज़ सुन कर मेरी जान मे जान आई….तो मैने उसके तरफ चाबी बढ़ा दी….
 
सबा ने अपने चेहरे से नक़ाब हटाया….और मुस्कुराते हुए बोली….”बड़े डरपोक हो तुम…मैं तो सोचती थी कि, तुम असली मर्द हो….तुम डरते नही होगे…” मैं सबा के बात सुन कर शर्मिंदा सा हो गया….सबा घर की तरफ जाने लगी…तो मैं भी उसके पीछे चल पड़ा….सबा के आने से अब मैं कुछ . महसूस कर रहा था… सबा ने जाकर गेट का लॉक खोला…और गेट खोल कर अंदर जाते हुए मुझे अंदर आने को कहा…जैसे ही मे अंदर पहुचा तो, सबा ने गेट बंद कर दिया…. पूरा घर छत से कवर था….”ये घर भी हमारा ही है….” सबा ने मुस्कुराते हुए कहा…

मैं: वो तो ठीक है…लेकिन सिर्फ़ मे गेट के चाबी ही लाए हो….रूम तो सारे बंद पड़े है….

सबा: रूम्स की चाबियाँ यही है….

सबा बिजली वाले मीटर के बॉक्स के पास गये….और उस बॉक्स मे रखी हुई चाबियाँ उठा ली…”ये रही….”सबा ने मुझे चाबियाँ दिखाते हुए कहा….और फिर एक रूम की तरफ जाकर उसने रूम का डोर खोला और अंदर जाकर लाइट ऑन की….सबा ने मेरी तरफ देखा और मुझे अंदर आने का इशारा किया….तो मैं उसके साथ रूम मे अंदर चला गया.. रूम मे एक बेड था….पर उस पर बिस्तर नही था….दूसरी तरफ एक पैटी पड़ी हुई थी. सबा ने जल्दी से पैटी खोली और मुझे उसमे से बिस्तर निकालने को कहा…मैने उसमे से बिस्तर निकाल कर बेड पर रख दिए…

मैं: क्या बात है चाची तुमने तो पूरा इंतज़ाम कर रखा है यहा पर…

सबा ने बेड पर बिस्तर बिछाते हुए मेरी तरफ देख कर मुस्कुराइ और फिर सरगोशी से बोली….”अब किसका इंतजार कर रहे हो…जल्दी अपने कपड़े उतारो….” मैने सबा की बात का कोई जवाब ना दिया…और अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए….सारे कपड़े उतार कर मैने टाँग दिए….कपड़े उतारने की वजह से सर्दी लगाने लगी तो मैं जल्दी से रज़ाई मे घुस्स गया….सबा ने भी जल्दी से अपना बुरखा उतारा और फिर अपनी शलवार कमीज़ उतार कर टाँग डी…और फिर अपनी ब्रा को भी उतार फेंका…आज उसने नीचे पैंटी नही पहनी हुई थी….

कुछ ही पॅलो मैं सबा सबा एक दम नंगी थी.....हम दोनो एक दूसरे के नंगे जिस्मो को बड़ी हसरत भरी नज़रों से देख रही थी....तभी सबा एक दम से बेड की तरफ बढ़ी.....और बेड पर आते ही वो मुझ एक दम से लिपट गये.....मुझे बाहों मैं भरते हुए पागलो के तरह मेरे होंठो गालो चेस्ट सब जगह किस करने लगी....मैनें सबा के बाल कस कर पकड़ते हुए उसके सर को पीछे की तरफ खेंचा......" ये क्या कर रही हो तुम....." 

सबा: (मेरे लंड को पकड़ कर हिलाते हुए) तुम्हारे इस लंड ने मुझे पागल करके रखा है समीर.....मुझे ये चाहिए अपनी फुद्दि में नही तो मैं मर जाउन्गि......

मैं: (सबा की गान्ड को पकड़ कर मसलते हुए) ठीक है तुम्हारी फुद्दि की खुजली तो मैं मिटा दूँगा.....पर तुमने आज मेरे दिल के एक ख्वाहिश पूरी करनी होगी….

सबा: समीर मैं तुम्हारी सारी ख्वाहिशें पूरी कर दूँगी......बस मेरी फुद्दि की आग को बुझा दो......

मैं: ठीक है.....पहले मेरा ये लंड तुम्हारी बुन्द के छेद का उधघाटन करेगा.....फिर तुम्हारी फुद्दि की खुजली मिटाएगा.....
 
सबा: (घुटनो के बल बैठ कर मेरे लंड के सुपाडे को चाटते हुए) तुम जो कहो मैं करने के लिए तैयार हूँ.....जिस छेद में डालना चाहो उसमे डाल लेना अपना ये लंड....

मैं: ठीक है सबा मेरी जान…..फिर आज मेरे लंड के चुप्पे भी लगा दो….

और अगले ही पल सबा ने भूखी कुतिया की तरह मेरे लंड के चुप्पे लगाने शुरू कर दिए.....मेने भी सबा के सर को पकड़ कर अपने लंड को उसके हलक तक अंदर करना शुरू कर दिया.....सबा ने अपने दोनो हाथ मेरी रानो पर रखे हुए थे.....और उसके मूह से घुन-2 की आवाज़ आ रही थी.....जैसे ही मेरा लंड उसके मूह से बाहर आता....तो उसका ढेर सारा थूक भी मेरे लंड उसके मूह के बीच में लटका होता.....

कुछ ही पॅलो में मेरा लंड उसके थूक से एक दम गीला सा गया था....मेने सबा को पकड़ खड़ा किया और उसे बेड के पास लेजाते हुए कहा..."चल लेट और अपनी टाँगे उठा कर अपनी गान्ड का छेद दिखा मुझे...." सबा बेड के किनारे पर लेट गयी....और अपनी दोनो टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठाया और फिर अपने दोनो हाथों से अपनी गान्ड को पकड़ कर फैलाते हुए मुझे अपनी गान्ड का छेद दिखाने लगी......मैं नीचे घुटनो के बल बैठ गया....और अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी गान्ड के छेद पर लगा दी.....जैसे ही मेरे जीभ की नोक उसकी गान्ड के छेद पर रगड़ी....

सबा का जिसम एक दम से काँप गया....और उसकी कमर ने एक जोरदार जबरदस्त झटका खाया....."ह सीईईईईईईईई उंह ओह समीरर ईए यी क्या कर रहे हो तुम ओह्ह्ह्ह समीर....." सबा बुरी तरह काँपते हुए सिसकारी भर रही थी......मेने उसकी गान्ड के छेद को चाटते हुए अपनी एक उंगली को उसकी गान्ड के छेद में घुसा दी....."अहह ओह समीर उफ़फ्फ़ उंघह धीरीए उई अम्मी......"

सबा सबा अपनी गांद को इधर उधर हिलाने लगी.....मेने कुछ देर उनकी गान्ड के छेद को अपनी उंगली से चोदा और फिर उंगली बाहर निकाल कर बेड के किनारे घुटनो को मोड़ कर खड़ा हो गया....और अपने लंड के टोपे को उसकी गान्ड के छेद पर सेट करते हुए पूरी ताक़त से आगे की तरफ पुश किया.......लंड का मोटा टोपा सबा की गान्ड के छेद को फैलाता हुआ अंदर घुसता चला गया....और उसके साथ -2 सबा सबा का बदन भी दर्द के कारण अकड़ता चला गया....उसकी आँखे एक दम खुल गयी थी....

उसके दाँत आपस में पिस रहे थे....और उसने अपने दोनो हाथों से बेड शीट को कस्के पकड़ा हुआ था......
 
जैसे ही मेरे लंड का सुपाडा सबा की गान्ड के टाइट छेद में घुसा.....मेने अपनी पूरी ताक़त इकट्ठी की और एक ज़ोर दार धक्का मारा.....मेरे लंड का कॅप सबा की गान्ड के छेद को चीरता हुआ और अंदर जा घुसा....."ओह हइई मैं मर गइई उफफफफ्फ़ समीररर बहुत दर्द हो रहा है......प्लीज़ निकालो इसे....." 

मैने सबा की तरफ ध्यान नही दिया....और उसकी फुद्दि के दाने को मसलने लगा....और आगे की तरफ झुक कर उसकी चुचियों को बारी-2 चूसने लगा....कुछ देर बाद सबा का दर्द थोड़ा कम हुआ तो मेने एक और ज़ोर दार झटका मार कर बाकी बचे लंड को सबा की गान्ड के छेद में पूरा घुसा दिया.....अगले ही पल सबा की गर्दन एक दम से घोड़ी की तरह तन गयी......"हाईए मर गयी...समीर फॅट गयी मेरे बुन्द हइई ओह्ह्ह्ह समीर निकाल ना इसे....."

सबा ने तड़पते हुए कहा.......पर अब मैं पीछे हटना नही चाहता था....और अपने लंड को आधे से ज़्यादा बाहर निकाल कर अंदर बाहर करने लगा....और साथ-2 सबा की फुद्दि के दाने को मसलने लगा...."साली तू तो अभी कह रही थी....जो करना है कर लो......तेरी तो अभी से गान्ड फॅट गयी.....तू मेरा लंड अपनी फुद्दि में लेने के लायक ही नही है....." 

सबा: उंह समीर प्लीज़ ऐसे ना कहो......अब तुम्हे अपनी बुन्द दी तो है.....अब और क्या चाहाए तुम्हे.........

मैं: साली फिर नखरे क्यों कर रही हो....इतना क्यों चिल्ला रही हो......

सबा: हरामी चिल्लाऊ ना तो और क्या करू.....एक तो गान्ड फाड़ दी तूने मेरे और ऊपेर से कह रहा है कि, चिल्लाऊ भी ना......"हाई मेरी बुन्द..." सबा ने मेरे कंधो पर हाथ रखते हुए कहा.....

और अगले ही पल सबा ने अपनी गान्ड को तेज़ी से ऊपेर की ओर उछालना शुरू कर दिया,...."तुझे मेरी बूँद मारनी है ना....ले ये ले फाड़ दे मेरी गान्ड ओह्ह्ह हाईए अम्मी कितना दर्द होता है.....ले फाड़ अब साले मार घस्से अब रुक क्यों गया......"

सबा ने अब पागलो तरह अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछालना शुरू कर दिया था....और मेने भी अब अपना लंड टोपे तक बाहर निकाल-2 कर सबा की गान्ड में घुसाना शुरू कर दिया था....5 मिनट में ही मेरे लंड ने सबा की गान्ड में उल्टी करनी शुरू कर दी.....मैं एक दम निढाल होकर सबा के ऊपेर गिर गया....
 
मैं सबा के ऊपेर से उठा और मेरा लंड सबा की गान्ड के छेद से बाहर आ गया....और कुछ बूंदे मेरे पानी की भी सबा की गान्ड के छेद से बाहर निकल कर नीचे फरश पर गिरी....सबा ने अपना एक हाथ नीचे लेजाते हुए अपनी गान्ड के छेद पर रख कर उससे दबाते हुए मेरी तरफ बुरा सा मूह बनाते हुए देखने लगी......"हो गयी तसल्ली मिल गयी कलेजे को ठंडक मेरी गान्ड फाड़ कर...." सबा ने गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए कहा.....मेने सबा का हाथ पकड़ा और उसे बेड से खड़ा कर लिया....और फिर सबा को बाहों में भरते हुए, अपने दोनो हाथों से उसके बुन्द को पकड़ कर अलग- 2 फैलाते हुए मसलने लगा......

सबा: आह छोड़ो समीर जाओ मैं तुमसे बात नही करती...तुम जानवर हो....

मैं: (सबा के गालो को चूमते हुए) और इस जानवर के लंड को देख कर तुम्हारी फुद्दि पानी छोड़ती है है ना...?

सबा: (मेरे चेस्ट पर मुक्का मारते हुए) हटो मेरी फुद्दि नही छोड़ती कोई पानी वानी..... छोड़ो मुझे बाथरूम जाने दो….(सबा ने मुस्कुराते हुए कहा….तो मैं उससे अलग हुआ तो, सबा ने शलवार कमीज़ पहनी और बाथरूम मे चली गयी….मैं बेड की पुष्ट से टैक लगा कर बैठ गया…मैं दिल ही दिल मे बड़ा खुश हो रहा था कि, आज मैने सबा की बुन्द भी मार ली…. 

थोड़ी देर बाद सबा चाची बाथरूम से वापिस आ गयी….अंदर आते ही सबा चाची ने फिर से अपनी शावलार कमीज़ उतारनी शुरू कर डी….”क्या बात है चाची जान आज बड़े मूड मे लग रही हो….?” मैने सबा के मम्मो को घुरते हुए कहा….तो सबा चाची मेरी बात सुन कर मुस्कुराते हुए बोली….”क्यों क्या हुआ….” 

मैं: अंदर आते ही कपड़े उतार दिए तुमने….

सबा: वो इसीलिए कि अगर मैं ना उतारती तो तुमने उतार देने थे….हाहाहा…( सबा चाची बेड के पास आ गयी…और अपने दोनो हाथ बेड पर रखते हुए बेड पर चढ़ने लगी….सबा चाची मेरी तरफ घूमी और अपनी एक टाँग को घूमाते हुए मेरी रान के दूसरी तरफ अपने घुटने को रखते हुए मेरे ऊपेर आ गयी....अब वो सीधा मेरे लंड के ऊपेर मेरी गोद में बैठी हुई थी...."आती कैसे ना..... हिसाब जो चुकता करना है तुमसे.."
 
मैं: (चाची की गान्ड को मसलते हुए) कैसा हिसाब....?

चाची: (मेरे गले में बाहों को डाल कर मेरे होंठो को चूमते हुए) उस दर्द को जो तुमने मुझ को दिया है....पता है अभी भी दर्द हो रहा है....ऐसा लग रहा है....जैसे वो खुल गया है....

मैं: क्या....?

चाची: मेरी गान्ड का सुराख....ऐसे लग रहा है....जैसे अभी भी खुला है...बहुत अजीब सा लगता है....जब मैं चलती हूँ.....

चाची के बातें सुन कर मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा…और थोड़ी देर मे फिर से एक दम सख़्त हो गया…..और चाची की फुद्दि पर दबा हुआ दस्तक दे रहा था.....


."अजीब सा लगता है....कैसे....." मेने चाची की ओर देखते हुए कहा....

चाची मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी.....और फिर शर्मा कर अपनी नज़रें झुका ली..

."बोलो ना क्या अजीब सा लग रहा है...." मेने चाची के फेस को अपने हाथों मैं लेकर ऊपेर उठाते हुए कहा....

चाची: नही मुझे शरम आती है ऐसी बात कहने मे.....

मैं: प्लीज़ बाताओ ना....मुझसे क्या शरमाना....

चाची; वो वो मुझे लगता है कि, तुम्हारा वो अभी भी मेरे पीछे वाले छेद में घुसा हुआ है.....और और....(चाची कहते -2 चुप हो गयी...)

मैं चाची की गान्ड को दोनो हाथ पीछे लेज कर दबाने लगा....और अपने एक हाथ की उंगली को गान्ड की दरार में रगड़ते हुए उसकी गान्ड के सुराख पर दबाने लगा....

"अहह समीर मत करो ना ऐसे,,,,मुझे कुछ हो रहा है...." सबा एक दम से सिसक उठी...

"और क्या...." मेने सबा की बुन्द के छेद को दबाते हुए कहा,,,,

सबा: उंह और मेरा दिल करता है.....कि तुम मेरी बुन्द में अपना लंड और ज़ोर ज़ोर से पेलो....मुझे इतना दर्द हो कि, मैं चीख चीख कर अपनी बुन्द में तुम्हारा लंड लूँ.....देखो ना अभी भी मेरी बुन्द का सुराख कैसे खुल और बंद हो रहा है.....मुझे तुम्हारी लंड की रगड़ अभी भी अपनी बुन्द के अंदर महसूस हो रही है......

हाई समीर तूने ये मुझे क्या कर दिया......(सबा एक दम से मेरे ऊपेर से उठी...और फिर सबा घूमी और मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी....सबा अपने फेस पीछे को घुमा कर मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुरा रही थी....फिर सबा आगे की तरफ झुकी और अपने दोनो हाथों को पीछे लाते हुए, अपने दोनो चुतड़ों को पकड़ कर फेलाते हुए मुझे अपनी बुन्द का सुराख दिखाने लगी....सबा की बुन्द का सुराख सच में थोड़ा सा खुल सा गया था...."देखो ना क्या हाल कर दिया तूने इस बेचारी का...." सबा ने पीछे मूह घुमा कर मेरी ओर देखते हुए कहा....
 
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