hotaks444
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मैं 6 बजने से पहले ही सिटी के उस स्टॅंड पर पहुँच गया….जहाँ से नाज़िया को पिक करना था….20 मिनट के लंबे इंतजार के बाद मुझे नाज़िया आती हुई नज़र आई….आज नाज़िया की चाल मे अजीब किस्म की शोखी थी…..उसने मेरी तरफ देखा और फिर इधर उधर देख कर मेरे पास आ गयी….मैने आज भी चेहरे पर रुमाल बाँध रखा था….”बैठो जल्दी….” मैने नाज़िया की तरफ़ देखा तो वो जल्दी से बाइक पर बैठ गयी… हम वहाँ एक पल भी ना रुके….मैने बाइक स्टार्ट की और गाओं की तरफ चल पड़े….
नाज़िया: तोबा….मेरे तो डर के मारे हाथ पैर कांप रहे है….
मैं: कुछ नही होता…घबराओ नही…
मैने पीछे फेस घुमा कर देखा तो, नाज़िया अपने फेस को अपनी शाल से कवर कर रही थी….नाज़िया ने अपना फेस कवर कर लिया…अब हम सिटी से निकल कर गाओं जाने वाले रोड पर आ चुके थी…अंधेरा भी हो चुका था…इसलिए नाज़िया कुछ इतमीनान से बैठी थी….”फ़ारूक़ जहाँ हम जा रहे है….वहाँ हमे कोई देखेगा तो नही….”
मैं: नही….वहाँ उस तरफ कोई नही आता….
नाज़िया: अगर कोई आ गया तो….
मैं: मैने कहा ना….वहाँ कोई नही आएगा….वहाँ लोग दिन मे जाने से डरते है… तो रात को कॉन आएगा वहाँ पर…..
नाज़िया: डरते है वो किस लिए…..
मैं: लोगो का कहना है कि, वो जगह मनहूस है….इसलिए लोग उधर नही जाते…कुछ का कहना है कि, वहाँ भूतो का डेरा है….
नाज़िया: तोबा और तुम मुझे ऐसी जगह ले जा रहे हो….मुझे तो डर लगने लगा है….
मैं: वहाँ कुछ भी नही….मैं पहले भी कई बार जा चुका हूँ….मेरी पहचान के आदमी का घर था वो………बड़ा ही अयाश किस्म का इंसान था…रोज नयी-2 औरतों को लाकर फुद्दि मारता था वहाँ पर….उसने ही सारी अफवाहे फेलाइ है….
नाज़िया: अच्छा जी बड़ी जानकारी रखते हो तुम….
मैं: यार प्लीज़ थोड़ा नज़दीक होकर बैठो ना….
नाज़िया सीट पर आगे खिसकी तो उसके गोल-2 कसे हुए मम्मे मेरे पीठ पर दब गये….उसने अपना एक हाथ बगल से निकाल कर मेरी थाइ पर लंड के पास रख लिया… “अब खुस…” नाज़िया ने अपने मम्मो को मेरी पीठ पर दबाते हुए कहा…
.”प्लीज़ इसे पकडो ना यार….देखो इसने तो अभी से खड़ा होना शुरू कर दिया है..”
नाज़िया मेरी बात सुन कर चुप रही…
.”क्या हुआ….?”
फिर भी नाज़िया ने कोई जवाब ना दिया और धीरे-2 हाथ बढ़ा कर पेंट के ऊपेर से मेरे लंड को पकड़ कर लिया….जैसे ही उसे मेरे लंड की लंबाई मोटाई और सख्ती का अहसास हुआ तो, उसके मुँह सिसकारी निकल गयी….” सीईईईईईईईईईईई हाए फ़ारूक़ ये तो पूरा खड़ा है…..”
मैं: क्या पूरा खड़ा है….नाम लेकर बताओ ना….
नाज़िया: तुम्हारा पहलवान…लगता है बहुत मक्खन खिला-2 कर पाला है…
मैं: तो फिर तैयार हो जाओ…आज तुम्हारी फुद्दि से कुश्ती करनी है इसने….
नाज़िया: सीईईईई समीर अब मुझसे और इंतजार नही होता….
हम गाओं के मोड़ पर पहुँच चुके थे…दूसरी तरफ सबा के मकान की तरफ जाने वाले रोड पर हम मूड गये…चौक पर कुछ लोग खड़े थे…पर अंधेरा बहुत था…आगे रोड बिकुल सुनसान था….”फ़ारूक़ यहाँ तो सच मे कोई भी नज़र नही आ रहा…..
मैं: देखा मैने कहा था ना कोई नही होगा…
उसके बाद वो कच्चा रास्ता आ गया….जो उस मकान की तरफ जाता था…हम उस तरफ मूड गये…चारो तरफ खेत ही खेत थी….उँचे -2 गन्ने लगे हुए थे…मैने बाइक को रोका तो नाज़िया बाइक से उतर कर उस घर को देखने लगी….मैं बाइक से नीचे उतर और बाइक को स्टॅंड पर लगा कर नाज़िया की तरफ देखा…बाहर भी फुल अंधेरा हो चुका था….”क्या हुआ क्या देख रही हो….?”
नाज़िया: कुछ नही….
नाज़िया: तोबा….मेरे तो डर के मारे हाथ पैर कांप रहे है….
मैं: कुछ नही होता…घबराओ नही…
मैने पीछे फेस घुमा कर देखा तो, नाज़िया अपने फेस को अपनी शाल से कवर कर रही थी….नाज़िया ने अपना फेस कवर कर लिया…अब हम सिटी से निकल कर गाओं जाने वाले रोड पर आ चुके थी…अंधेरा भी हो चुका था…इसलिए नाज़िया कुछ इतमीनान से बैठी थी….”फ़ारूक़ जहाँ हम जा रहे है….वहाँ हमे कोई देखेगा तो नही….”
मैं: नही….वहाँ उस तरफ कोई नही आता….
नाज़िया: अगर कोई आ गया तो….
मैं: मैने कहा ना….वहाँ कोई नही आएगा….वहाँ लोग दिन मे जाने से डरते है… तो रात को कॉन आएगा वहाँ पर…..
नाज़िया: डरते है वो किस लिए…..
मैं: लोगो का कहना है कि, वो जगह मनहूस है….इसलिए लोग उधर नही जाते…कुछ का कहना है कि, वहाँ भूतो का डेरा है….
नाज़िया: तोबा और तुम मुझे ऐसी जगह ले जा रहे हो….मुझे तो डर लगने लगा है….
मैं: वहाँ कुछ भी नही….मैं पहले भी कई बार जा चुका हूँ….मेरी पहचान के आदमी का घर था वो………बड़ा ही अयाश किस्म का इंसान था…रोज नयी-2 औरतों को लाकर फुद्दि मारता था वहाँ पर….उसने ही सारी अफवाहे फेलाइ है….
नाज़िया: अच्छा जी बड़ी जानकारी रखते हो तुम….
मैं: यार प्लीज़ थोड़ा नज़दीक होकर बैठो ना….
नाज़िया सीट पर आगे खिसकी तो उसके गोल-2 कसे हुए मम्मे मेरे पीठ पर दब गये….उसने अपना एक हाथ बगल से निकाल कर मेरी थाइ पर लंड के पास रख लिया… “अब खुस…” नाज़िया ने अपने मम्मो को मेरी पीठ पर दबाते हुए कहा…
.”प्लीज़ इसे पकडो ना यार….देखो इसने तो अभी से खड़ा होना शुरू कर दिया है..”
नाज़िया मेरी बात सुन कर चुप रही…
.”क्या हुआ….?”
फिर भी नाज़िया ने कोई जवाब ना दिया और धीरे-2 हाथ बढ़ा कर पेंट के ऊपेर से मेरे लंड को पकड़ कर लिया….जैसे ही उसे मेरे लंड की लंबाई मोटाई और सख्ती का अहसास हुआ तो, उसके मुँह सिसकारी निकल गयी….” सीईईईईईईईईईईई हाए फ़ारूक़ ये तो पूरा खड़ा है…..”
मैं: क्या पूरा खड़ा है….नाम लेकर बताओ ना….
नाज़िया: तुम्हारा पहलवान…लगता है बहुत मक्खन खिला-2 कर पाला है…
मैं: तो फिर तैयार हो जाओ…आज तुम्हारी फुद्दि से कुश्ती करनी है इसने….
नाज़िया: सीईईईई समीर अब मुझसे और इंतजार नही होता….
हम गाओं के मोड़ पर पहुँच चुके थे…दूसरी तरफ सबा के मकान की तरफ जाने वाले रोड पर हम मूड गये…चौक पर कुछ लोग खड़े थे…पर अंधेरा बहुत था…आगे रोड बिकुल सुनसान था….”फ़ारूक़ यहाँ तो सच मे कोई भी नज़र नही आ रहा…..
मैं: देखा मैने कहा था ना कोई नही होगा…
उसके बाद वो कच्चा रास्ता आ गया….जो उस मकान की तरफ जाता था…हम उस तरफ मूड गये…चारो तरफ खेत ही खेत थी….उँचे -2 गन्ने लगे हुए थे…मैने बाइक को रोका तो नाज़िया बाइक से उतर कर उस घर को देखने लगी….मैं बाइक से नीचे उतर और बाइक को स्टॅंड पर लगा कर नाज़िया की तरफ देखा…बाहर भी फुल अंधेरा हो चुका था….”क्या हुआ क्या देख रही हो….?”
नाज़िया: कुछ नही….