Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन - Page 14 - SexBaba
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Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

मैं 6 बजने से पहले ही सिटी के उस स्टॅंड पर पहुँच गया….जहाँ से नाज़िया को पिक करना था….20 मिनट के लंबे इंतजार के बाद मुझे नाज़िया आती हुई नज़र आई….आज नाज़िया की चाल मे अजीब किस्म की शोखी थी…..उसने मेरी तरफ देखा और फिर इधर उधर देख कर मेरे पास आ गयी….मैने आज भी चेहरे पर रुमाल बाँध रखा था….”बैठो जल्दी….” मैने नाज़िया की तरफ़ देखा तो वो जल्दी से बाइक पर बैठ गयी… हम वहाँ एक पल भी ना रुके….मैने बाइक स्टार्ट की और गाओं की तरफ चल पड़े…. 

नाज़िया: तोबा….मेरे तो डर के मारे हाथ पैर कांप रहे है….

मैं: कुछ नही होता…घबराओ नही…

मैने पीछे फेस घुमा कर देखा तो, नाज़िया अपने फेस को अपनी शाल से कवर कर रही थी….नाज़िया ने अपना फेस कवर कर लिया…अब हम सिटी से निकल कर गाओं जाने वाले रोड पर आ चुके थी…अंधेरा भी हो चुका था…इसलिए नाज़िया कुछ इतमीनान से बैठी थी….”फ़ारूक़ जहाँ हम जा रहे है….वहाँ हमे कोई देखेगा तो नही….”

मैं: नही….वहाँ उस तरफ कोई नही आता….

नाज़िया: अगर कोई आ गया तो….

मैं: मैने कहा ना….वहाँ कोई नही आएगा….वहाँ लोग दिन मे जाने से डरते है… तो रात को कॉन आएगा वहाँ पर…..

नाज़िया: डरते है वो किस लिए…..

मैं: लोगो का कहना है कि, वो जगह मनहूस है….इसलिए लोग उधर नही जाते…कुछ का कहना है कि, वहाँ भूतो का डेरा है….

नाज़िया: तोबा और तुम मुझे ऐसी जगह ले जा रहे हो….मुझे तो डर लगने लगा है….

मैं: वहाँ कुछ भी नही….मैं पहले भी कई बार जा चुका हूँ….मेरी पहचान के आदमी का घर था वो………बड़ा ही अयाश किस्म का इंसान था…रोज नयी-2 औरतों को लाकर फुद्दि मारता था वहाँ पर….उसने ही सारी अफवाहे फेलाइ है….

नाज़िया: अच्छा जी बड़ी जानकारी रखते हो तुम….

मैं: यार प्लीज़ थोड़ा नज़दीक होकर बैठो ना….

नाज़िया सीट पर आगे खिसकी तो उसके गोल-2 कसे हुए मम्मे मेरे पीठ पर दब गये….उसने अपना एक हाथ बगल से निकाल कर मेरी थाइ पर लंड के पास रख लिया… “अब खुस…” नाज़िया ने अपने मम्मो को मेरी पीठ पर दबाते हुए कहा…

.”प्लीज़ इसे पकडो ना यार….देखो इसने तो अभी से खड़ा होना शुरू कर दिया है..” 

नाज़िया मेरी बात सुन कर चुप रही…

.”क्या हुआ….?” 

फिर भी नाज़िया ने कोई जवाब ना दिया और धीरे-2 हाथ बढ़ा कर पेंट के ऊपेर से मेरे लंड को पकड़ कर लिया….जैसे ही उसे मेरे लंड की लंबाई मोटाई और सख्ती का अहसास हुआ तो, उसके मुँह सिसकारी निकल गयी….” सीईईईईईईईईईईई हाए फ़ारूक़ ये तो पूरा खड़ा है…..”

मैं: क्या पूरा खड़ा है….नाम लेकर बताओ ना….

नाज़िया: तुम्हारा पहलवान…लगता है बहुत मक्खन खिला-2 कर पाला है…

मैं: तो फिर तैयार हो जाओ…आज तुम्हारी फुद्दि से कुश्ती करनी है इसने….

नाज़िया: सीईईईई समीर अब मुझसे और इंतजार नही होता….

हम गाओं के मोड़ पर पहुँच चुके थे…दूसरी तरफ सबा के मकान की तरफ जाने वाले रोड पर हम मूड गये…चौक पर कुछ लोग खड़े थे…पर अंधेरा बहुत था…आगे रोड बिकुल सुनसान था….”फ़ारूक़ यहाँ तो सच मे कोई भी नज़र नही आ रहा…..

मैं: देखा मैने कहा था ना कोई नही होगा…

उसके बाद वो कच्चा रास्ता आ गया….जो उस मकान की तरफ जाता था…हम उस तरफ मूड गये…चारो तरफ खेत ही खेत थी….उँचे -2 गन्ने लगे हुए थे…मैने बाइक को रोका तो नाज़िया बाइक से उतर कर उस घर को देखने लगी….मैं बाइक से नीचे उतर और बाइक को स्टॅंड पर लगा कर नाज़िया की तरफ देखा…बाहर भी फुल अंधेरा हो चुका था….”क्या हुआ क्या देख रही हो….?”

नाज़िया: कुछ नही….
 
मैने गेट का लॉक खोला और बाइक अंदर करके नाज़िया को अंदर आने के लिए कहा…जैसे ही नाज़िया अंदर आई…मैने गेट लॉक किया….और नाज़िया को कहा….”तुम अपना मोबाइल निकालो…और उसकी टॉर्च ऑन करके मुझे दो…..” नाज़िया ने अपना मोबाइल निकाला और टॉर्च ऑन करके मुझे दिया…मैने उसके हाथ से मोबाइल लिया और उसकी रोशनी मे हम उस रूम मे पहुँच गये…..”अर्रे वाह यहाँ तो सब अरेंज्मेंट पहले ही कर रखा है तुमने….”

मैं: हां दोपहर को आकर करके गया था…

नाज़िया: अच्छा अब लाइट तो ऑन करो….

मैं: यहाँ का लाइट का कनेक्षन कटा हुआ है…..लाइट के बिना ही काम चलाना पड़ेगा..वैसे भी हम लाइट नही जलाएँगे…अगर कोई भूल से भी इधर आ गया तो, रोशनी देख कर उसे शक हो जाएगा….(मैने पहले ही लाइट का मेन स्विच से ऑफ कर दिया था…जो गेट के पास मीटर वाले बॉक्स मे था….)

नाज़िया: हां ये बात भी सही है….

मैने नाज़िया के मोबाइल की टॉर्च ऑफ की और उसे बेड की पुष्ट पर रख कर नाज़िया के हाथ पकड़ अपनी तरफ खेंचा….नाज़िया के बड़े-2 मम्मे मेरी चेस्ट पर दब गये….” आहह फ़ारूक़….टॉर्च तो ऑन रहने देते….” मैने नाज़िया को अपनी बाजुओं मे लेकर उसकी बुन्द को अपने हाथों में लेकर जैसे ही दबाया तो, नाज़िया ने अपनी कमर को आगे की तरफ पुश किया….उसकी फुद्दि शलवार के ऊपेर से मेरे लंड पर रगड़ खा गयी…..”ओह्ह्ह फ़ारूक़ शियीयीयियीयियी मुझे तुम्हारा फेस देखना है…”

मैं: फेस देख कर क्या करोगी जान….तुम्हारे काम की चीज़ तो नीचे है….

मैने नाज़िया की बुन्द से हाथ हटा कर अपनी पेंट को तेज़ी से खोला और अंडरवेर समैत अपनी थाइस तक नीचे कर दिया…और नाज़िया का हाथ पकड़ कर अंधेरे मे ही अपने फुल हार्ड लंड पर रख दिया….जैसे ही नाज़िया का हाथ मेरे लंड पर पड़ा…तो नाज़िया ने अपना हाथ ऐसे पीछे खेंचा जैसे उसे करेंट लग गया है….मैने नाज़िया का हाथ पकड़ कर फिर से अपने लंड पर रख दिया….”

या खुदा फ़ारूक़…..” नाज़िया ने धीरे-2 मेरे लंड को मुट्ठी मे ले लिया…मैने फिर से नाज़िया की बगलो से अपने बाजुओं को गुज़ार कर उसकी बुन्द को अपने हाथो मे लेकर दबाना शुरू कर दिया….नाज़िया का पूरा जिसम काँपने लगा…मैं नाज़िया की बुन्द के दोनो पार्ट्स को अलग -2 करके फैला फैला कर दबा रहा था…”या खुदा फ़ारूक़ ये आप क्या कर रहे है….सीईईईईईईईईई अहह फ़ारूक़….”

मैं: तुम्हे प्यार कर रहा हूँ मेरी जान…..प्लीज़ मेरे लंड को हिलाओ ना….

नाज़िया ने धीरे -2 मेरे लंड को एक हाथ से हिलाना शुरू कर दिया..उसने दूसरा हाथ मेरी चेस्ट पर रखा हुआ था….”फ़ारूक़ आपका ये पहलवान तो बहुत तगड़ा है….” मैने नाज़िया की बात सुन कर जोश मे आते हुए उसकी बुन्द के दोनो पार्ट्स को अलग करके पूरे ज़ोर से दबाया….तुम्हारी जैसी गरम औरतों के लिए ऐसे पहलवान लंड ही चाहिए होते है…तुम्हारी जैसी गरम औरतों की फुद्दि की गर्मी निकालना हर किसी शख्स के बस की बात नही है….”

नाज़िया: आह उंह फ़ारूक़ आप बहुत गंदे हो…..

मैं: मेरा लंड भी बहुत गंदा है…

मैने धीरे-2 नाज़िया की बुन्द को दबाते हुए अपने होंटो को उसके होंटो की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया….जैसे ही नाज़िया की गरम साँसे मुझसे और मेरी साँसे नाज़िया के फेस पर टकराई तो, नाज़िया ने मेरे लंड को छोड़ कर अपने दोनो बाजुओं को मेरे कंधो के ऊपेर से पीछे लेजाते हुए मेरे पीठ पर कस लिया…अगले ही पल हम दोनो एक दूसरे होंटो को पागलो की तरह चूस रही थी….मैने नाज़िया के होंटो को चूस्ते-2 अपने हाथो को आगे लाकर नाज़िया की शलवार का नाडा खोलना शुरू कर दिया….

नाज़िया पोरे गरम होकर मेरा साथ दे रही थी…..काश मैं उसके गोरे जिस्म को रोशनी मे नंगा होते देख पाता….मैने नाज़िया की शलवार का नाडा खोल कर उसकी शलवार और पैंटी को उसकी रानो तक नीचे करके फिर से उसकी बुन्द पर हाथ रख कर दबाना शुरू कर दिया….इस बार नाज़िया की नंगी बुन्द को महसूस करके मेरा लंड और ज़यादा सख़्त हो गया….मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि से थोड़ा सा ऊपेर उसके जिस्म को टच हो रहा था…मैने अपना एक हाथ आगे लाकर अपने लंड को पकड़ा और थोड़ा सा झुक कर लंड को जैसे ही नाज़िया की फुद्दि के लिप्स के दरमिया रगड़ा…..और हल्का सा ऊपेर की तरफ पुश किया ही था….कि मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि को इस तरह चीरता हुआ आधा अंदर घुस गया…..जैसे चाकू मक्खन को काटता है….नाज़िया की फुद्दि बेइंतहा गीली थी..उससे पता चलता था कि, नाज़िया किस क़दर गरम हो चुकी है….

जैसे ही मेरे लंड के मोटे टोपे की रगड़ नाज़िया को अपनी फुद्दि की दीवारो पर महसूस हुई….नाज़िया मुझसे पागलो की तरह लिपट गये….उसने अपने होंटो को मेरे होंटो से अलग किया…और पागलो की तरह मेरे पूरे फेस को चूमने लगी…”ओह्ह फ़ारूक़ ओह्ह्ह्ह मेरी जान….सीईईईईईईईईईईईईईईईई मुझे पता नही था कि, मुझे इतना सकून मिलेगा…उंह उंह उंह….”
 
नाज़िया ने मेरे पूरे फेस को गीले चुम्मो से भर दिया था….नाज़िया की शलवार और पैंटी फर्श पर उसके पैरो मे थी…मैने दूसरा हाथ भी नाज़िया की बुन्द से हटाया और दोनो हाथ से नाज़िया की कमीज़ को पकड़ कर ऊपेर करना शुरू कर दिया….नाज़िया ने फॉरन ही खुद अपनी कमीज़ को पकड़ा और अपने जिस्म से निकाल कर फेंक दिया….और फिर ब्रा भी कुछ ही लम्हो मे उसके जिस्म से अलग हो गयी थी…

मैने अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि से बाहर निकाला…..और तेज़ी से अपने कपड़े उतार कर अंधेरे में ही नीचे फेंक दिए….अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे….मैने नाज़िया को अपने बाजिओं मे लिया और उसे धीरे-2 बेड पर लेटा दिया….और खुद बेड पर चढ़ते हुए अपने दोनो के ऊपेर रज़ाई ले ली….”काश फ़ैसल का लंड भी तुम्हारे जितना लंबा और मोटा होता फ़ारूक़….”

मैं: देखो यार प्लीज़ आज रात और कोई बात ना करो….आज के लिए मुझे अपना शोहार मान लो…और समझ लो कि आज हमारी सुहागरात है….

नाज़िया: जैसा आप कहें…..हाहाहा…

मेने अपनी टाँगो को नाज़िया की टाँगो के बीच मे रख और अपना वजन अपने घुटनो के बीच मे टीकाया और नाज़िया के ऊपेर झुक गया….जैसे ही मेरा तना हुआ लंड नाज़िया की थाइस के बीच में जाकर रगड़ खाया…. नाज़िया एक दम से सिसक उठी….”सीईईईई फ़ारूक़ जी…..आज तो आपका पहले से ही खड़ा है….”

मैं कुछ नही बोला और नाजिया के ऊपेर झुक गया, और नाज़िया के दोनो मम्मो को हाथ मे पकड़ लिया….और उसके मम्मो दबाने लगा…..”फ़ारूक़ जी ये ऐसे इतना हार्ड कैसे हो गया….” मुझे कुछ ना बोलते देख नाज़िया ने फिर से मुझसे पूछा…..

नाज़िया ने हंसते हुए कहा…. और झुक कर के मेरे होंटो को अपने होंटो मे भर लिया..मेरा लंड अब नाज़िया की नाभि के ऊपेर रगड़ खा रहा था…नाज़िया ने भी अपने होंटो को पूरा खोल दिया था…और अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल दी…मैं पागलो की तरह उसकी जीभ को सक करने लगा….नाज़िया एक दम मस्त हो कर अपनी जीभ को चुसवा रही थी…मेने कुछ देर उसकी जीभ सक की, और फिर अपना सर झुका कर उसकी लेफ्ट निपल को मुँह मे ले लाया….नाज़िया एक दम से सिसक उठी…और अपना एक हाथ बेड के पुष्ट की ओर लेजाने लगी…

मैं एक दम से घबरा गया कि कही नाज़िया अपना मोबाइल उठा कर टॉर्च ऑन ना कर दे मैने उसके दोनो हाथों को पकड़ उसकी उंगलियों मे अपनी उंगलियों को फँसते हुए नाज़िया के सर के पास कंबल पर सटा दिए….”सीईईईई उफ़फ्फ़ फ़ारूक़ जी….हाईए आपका लंड बहुत ही आकड़ा हुआ है….हां चूसो फ़ारूक़ जी मेरे मम्मो को और ज़ोर से चूसो अहह….हाईए मेरी जान….” मैं पूरे जोश मे नाज़िया के राइट मम्मे को मुँह मे भर कर उसके निपल को चूसने लगा….नाज़िया ने अपना बदन एक दम से आकड़ा लिया जिससे उसके मम्मे और ज़्यादा बाहर को निकल आए…

नाज़िया की फुद्दि से मेरा लंड रगड़ खा रहा था….और वो बार-2 अपनी बुन्द को ऊपेर की ओर उठा रही थी…जैसे ही मेरा लंड की फुद्दि पर दबाता तो लंड फिसल कर के पेट पर रगड़ खा जाता…नाज़िया फिर से अपनी बुन्द नीचे कर लेती….मैं नाज़िया को लंड के लिए यूँ तड़पते देख कर मन ही मन खुस हो रहा था…”ओह ह्म्म्म्म फ़ारूक़ जी प्लीज़ डाल दीजिए ना अंदर….हाईए आज तो कितना सख़्त खड़ा हुआ है आपका लंड. “

मैने अब नाज़िया के मम्मे को मुँह से बाहर निकाल कर दूसरे मम्मे को जितना हो सकता था....मुँह भर लिया, और उसके तने हुए मोटे निपल को अपनी जीभ और तालू के बीच मे दबा-2 कर चूसने लगा......"ह्म्म्म्म मम ओह फ़ारूक़ जी क्यों तड़पा रहे हैं अहह जल्दी से अपना लौडा मेरी फुद्दि मे घुसा कर मेरी फुद्दि की आग को ठंडी अहह ठंडी कर दीजिए...." एक बार फिर मेरा लंड नाजिया की फुद्दि के लिप्स पर धंसा हुआ था....और नाज़िया को यूँ तड़पा कर मज़ा ले रहा था.... नाज़िया ने फिर से धीरे-2 अपनी बुन्द को ऊपेर उठाते हुए, मेरे लंड पर अपनी फुद्दि को दबाना शुरू कर दिया.....

और इस बार मेरे लंड का कॅप नाजिया की फुद्दि के लिप्स को फैलाता हुआ उसकी फुद्दि के पूरी तरह गीले हो चुके सुराख पर जा लगा...."आह सीईइ " हम दोनो एक साथ सिसक पड़े... नाज़िया की फुद्दि किसी भट्टी की तरह तप रही थी..और मुझे ऐसा लग रहा था...जैसे मेरे लंड का कॅप नाजिया की फुद्दि की बेपनाह गरमी के कारण झुलस जाएगा....फिर नाज़िया ने अपनी बूँद को और ऊपेर की ओर उठाया....और जैसे ही मुझे लगा कि अब मेरे लंड का कॅप नाजिया की फुद्दि के सुराख मे घुस जाएगा तो मेने अपनी कमर को ऊपेर उठा लिया....
 
लंड फिर से फिसल कर फुद्दि के लिप्स को रगड़ता हुआ पेट पर जा लगा....नाज़िया बिना पानी की मछली की तरह तड़प उठी....उसकी उंगलियाँ जो मेरे हाथों की उंगलियों में उलझी हुई थी. उसकी पकड़ मेरी उंगलियों पर लगतार कस्ति चली जा रही थी...."प्लीज़ फ़ारूक़ जी जल्दी चोद दो मुझे अपनी बीवी की फुद्दि में अपना लंड डाल दो...."

नाज़िया ने फिर से अपनी बुन्द नीचे की....और मेरा तना हुआ लंड फिर से नाज़िया की फुद्दि के लिप्स पर सेट हो गया....इस बार नाजिया ने नीचे से अपनी बुन्द को इधर उधर खिसका कर अपनी फुद्दि को सही से सेट किया, और फिर से अपनी बुन्द को ऊपेर की और उठाया....लंड का कॅप फिर से नाजिया के लिप्स को फेलाते हुए नाजिया की फुद्दि के सुराख पर जा लगा..."हाई फ़ारूक़ जी आज तो मुझे घायल करके ही रहोगे...." नाज़िया धीरे-2 अपनी बुन्द को ऊपेर की ओर उठा रही थी....और मेरे लंड का मोटा कॅप धीरे-2 उस की फुद्दि के सुराख को फेलाता हुआ अंदर घुसे जा रहा था....

अब मैं भी नाजिया को जल्द से जल्द अपने लंड का ज़ोर दिखा देना चाहता था...और इस बार नाजिया की मेहनत रंग लाई...मेरे लंड का कॅप नाज़िया की फुद्दि के सुराख में जा घुसा. नाज़िया ने एक दम से मेरे हाथों से अपने हाथों को अलग किया...और मेरे फेस को पकड़ कर ऊपेर खेंचा और अपने होंटो को मेरे होंटो पर लगा दिया..."उम्मह उंह अम्म्म्मम" नाजिया की मस्ती भरी सिसकारियाँ सुन कर मैं और जोश मे आता जा रहा था...नाज़िया की कमर तेज़ी से झटके खा रही थी....और उसका पूरा बदन थरथर कांप रहा था....जिसकी वजह से मेरे लंड का कॅप तेज़ी से थोड़ा-2 अंदर बाहर हो रहा था....

मेने धीरे-2 से अपने लंड को थोड़ा सा आगे धकेला तो मेरा लंड करीब 3 इंच तक नाज़िया की फुद्दि की दीवारो को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा... नाज़िया ने एक दम से मेरे होंटो से अपने होंटो को हटाया. और मेरे सर को अपनी बाहों में जाकड़ कर अपनी सुरहीदार गर्दन पर झुका दया..."हइई फ़ारूक़ जी आज तो मैं मरी ओह किन्ना सोना खड़ा है तुहाडा लंड.....चाहिए.." मेने भी नाज़िया को निराश नही किया....और नाज़िया की गर्दन पर अपने होंटो को रगड़ते हुए, एक जोरदार धक्का मारा...और अपना पूरा का पूरा लंड नाज़िया की बेपनाह गीली फुद्दि की गहराइयों में उतार दया...."सीईईईईईईईईईई फ़ारूकाआ जीए......हइईए.....उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह" 

नाज़िया का बदन मेरे इस झटके से बुरी तरह कांप गया....उसकी बाहों की पकड़ मेरे सर पर और कस गयी....अब मैं और देर नही रुक सकता था....मैने अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.... नाज़िया मेरे नीचे किसी कुँवारी लड़की की तरह मचल रही थी...."हइईई उफ़फ्फ़ धीरे ओह्ह्ह्ह मर गयी मैं आज ओह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह".... नाज़िया भी अपनी बुन्द को ऊपेर की ओर उठा कर मेरा पूरा साथ दे रही थी.....पर तभी गड़बड़ हो गयी...नाज़िया ने अपने हाथों को ऊपेर बेड के पुष्ट से अपने मोबाइल को उठा लिया और टॉर्च को ऑन कर दिया….और टॉर्च ऑन कर सीधा मेरे चेहरे पर रोशनी डाली....जैसे ही नाजिया ने मेरे फेस को देखा तो वो एक दम से हड़बड़ा गयी....उसने टॉर्च नीचे रखी....और मुझे कंधो से पकड़ कर पीछे की और धकेलने लगी.....

नाज़िया : समीर तुम हटो पीछे ये ये क्या कर रहे हो......मैं तुम्हे नही छोड़ूँगी.....तेरे अबू को अभी फोन करके बताती हूँ.....हटो पीछे…कंज़र कही के उठ मेरे ऊपेर से…. 
 
नाज़िया ने हाथ पावं चलाने शुरू कर दिए….मैने नाज़िया के हाथ से मोबाइल छीन कर बेड के दूसरे कोने में फेंक दिया था…मैने अपने नीचे तड़प रही नाज़िया के ऊपेर अपना सारा वजन डाल दिया ताकि वो मेरे नीचे से निकल ना सके....और अपने दोनो हाथों को नीचे लेजा कर नाजिया की टाँगो को घुटनो से पकड़ कर ऊपेर उठा दिया....और अपना लंड कॅप तक बाहर निकाल कर एक जोरदार धक्का मारा...लंड नाज़िया की फुददी की दीवारो को चीरता हुआ बच्चेदानी से जा टकराया..."अहह हट कमीने.....मैं तुम्हे जान से मार दूँगी....तू कल बचेगा नही...."

मैं: चुप साली मुझे बाद में मार लेना....पहले जो तू अपनी फुद्दि मरवाने आई थी ना अपने फ़ारूक़ जी से वो मुझसे मरवा ले....और तुम क्या बताओगि....मैं खुद बता दूँगा...अबू को कि उनकी बीवी उसकी पीठ पीछे उसका घर उजाड़ रही है....और तुम क्या जवाब दोगि कि आधी रात को इस जंगल में क्या करने गयी थी....

मेरी बात सुनते ही नाज़िया का रंग उड़ गया....वो हैरत से मेरी तरफ आँखे फाडे देख रही थी...नाज़िया ने एक बार फिर से हाथ चलाने शुरू कर दिए…अपने नखुनो से मेरे चेहरे को छीलना शुरू कर दिया…और एक ज़ोर दार थप्पड़ मेरे गाल पर मारा….मैं गुसे से पागल हो गया….और जवाब मे मैने भी ऐसा थप्पड़ नाज़िया के गाल पर मारा…कि नाज़िया के होश उड़ गये…मैं नाज़िया के ऊपेर से उठा अपने घुटनो के बल हुआ और नाज़िया की टाँगो को अपने कंधो पर चढ़ा लिया..... नाज़िया के घुटने अब उस के मम्मो पर दबे हुए थे....मेरे थप्पड़ से नाज़िया सहम गयी थी…पीछे से नाज़िया की बुन्द हवा में उठी थी....मेने अपने लंड को पकड़ कर फिर से उस की फुद्दि के सुराख पर सेट किया, और एक जोरदार धक्का मारा...."आह सीईईईई" नाज़िया एक दम से सिसक उठी....मैं नाज़िया के ऊपेर झुक गया....और अपने लंड को बाहर निकाल -2 कर नाज़िया की फुद्दि में कस कस के शॉट लगाने शुरू कर दिए….

तप-2 थप-2 पच पुच ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह्ह हाईए उफफफफ्फ़ सीईईईईईईईई ओह धीरीए उंह हाए ओईए सीईईईईईईईई ओह अहह अहह अहह....उस रूम में ऐसी ही आवाज़े गूँज रही थी....मेरी थाइ लगतार नाज़िया की बुन्द से टकरा कर आवाज़ कर रही थी...मोबाइल की टॉर्च अभी भी नीचे पड़ी हुई जल रही थी....और मैं नाज़िया के चेहरे के बदलते एक्सप्रेशन को सॉफ देख पा रहा था....नाज़िया बुरे-2 से मुँह बना कर मुझे देख रही थी......

और मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि के रस से भीगा हुआ तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था.....हर बार लंड का कॅप बच्चेदानी पर जाकर ठोकर मारता तो नाज़िया एक दम से सिसक उठती....मुझे अब नाज़िया की फुद्दि की दीवारे अपने लंड के चारो तरफ कस्ति हुई महसूस हो रही थी....अब नाज़िया आँखे बंद किए हुए अहहहें भर रही थी.....फिर अचानक से नाज़िया ने मेरी बाहों को कस के थाम लिया....और अपने सर को इधर उधर पटाकने लगी.... नाज़िया ना चाहते हुए भी फारिघ् होने को थी….

मेने भी कोई कसर ना छोड़ी....और अपना लंड पूरा निकाल निकाल कर नाज़िया की फुद्दि की गहराईयो तक अंदर बाहर करते हुए चोदने लगा....अचानक मुझे लगा जैसे नाज़िया की फुद्दि से पानी की नदी बहने लगी हो...नाज़िया का पूरा जिस्म काँपने लगा....ये देख मेने भी अपने धक्को की रफतार और तेज कर दी......और फिर जैसे ही मुझे लगा कि अब मेरा लंड पानी छोड़ने वाला है....मेने अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि मे जड तक घुसा कर दबा दिया. और मेरे लंड से पानी की लंबी लंबी पिचकारियाँ निकलने लगी...एक के बाद एक पता नही कितनी बार मेरे साँप ने जहर उगला था.....

हम दोनो की साँसे उखड़ी हुई थी....और मैं नाज़िया की टाँगो को अपने कंधो पर रखे हुए उसके ऊपेर लुढ़क गया....और नाज़िया के होंटो को अपने होंटो में लेकर चूसने लगा...नाज़िया ने अपने होंटो को मेरे होंटो से अलग करने की कॉसिश की....पर मेने ऐसा होने नही दिया और नाज़िया के होंटो को एक मिनट तक खूब ज़ोर से चूसा...इतना ज़ोर से कि उसके होंटो का रंग ही पीला पड़ गया....फिर नाज़िया ने अपने सर को झटक कर अपने होन्ट अलग किए..और गुस्से से मुझे अपने ऊपेर से हटने को कहा.....

मैं नाज़िया के ऊपेर से उठ कर बगल में लेट गया....नाज़िया कुछ पल लेटी और फिर एक दम से खड़ी हो गयी....नाज़िया अभी भी मुझे खा जाने वाली नज़रों से देख रही थी.... नाज़िया ने फर्श पर गिरे अपने कपड़े उठाए…और पहनने के बाद शाल ओढकर बाहर चली गयी…मुझे बाहर का गेट खुलने की आवाज़ आई तो, मैं होश मे आया… मैने जल्दी से कपड़े पहने और बाहर आकर बाइक बाहर निकाली गेट को लॉक किया और बाइक स्टार्ट करके नाज़िया के पीछे चला गया…..नाज़िया अभी कच्चे रास्ते पर ही थी…

मैने नाज़िया के आगे जाकर बाइक रोकी….”चलो बैठो….”

नाज़िया: मुझसे बात मत करो…अब तुम अपनी खैर मनाओ…तुमने जो मेरे साथ किया है…उसका अंज़ाम तुम्हे भुगतना पड़ेगा….मैं तुम्हारे अबू को सब बता दूँगी…तुम्हे रेप के जुर्म मे अंदर ना करवा दिया तो, मेरा नाम भी नाज़िया नही…

मैं: अच्छा जी….और जैसे तुम बड़ी शरीफ औरत हो….क्या जवाब दोगि सब को, कि आधी रात को तुम मेरे साथ इस वीरान जगह पर क्या लेने गयी थी….और ये सुनो….
 
मैने अपना मोबाइल निकाला और रात को नाज़िया से मोबाइल पर हुई बात जिसकी रेकॉर्डिंग मैने सेव कर रखी थी..उसे चालू किया….जैसे ही उसने वो रेकॉर्डिंग सुनी… नाज़िया के फेस कर रंग पीला पड़ गया….”जाओ अब जिसे जाकर बताना है बता दो… कोई भी मुझे गुनेहगार नही कहेगा….सब तुम्हे ही ग़लत कहेंगे….” मेरी बात सुन कर नाज़िया कुछ ना बोली…और आगे जाने लगी….मैने नाज़िया का हाथ पकड़ लिया…”हाथ छोड़ो मेरा…..” नाज़िया ने मेरी तरफ गुस्से से देखते हुए कहा….उसकी नाक गुस्से से फूल रही थी….”बाइक पर बैठ जाओ…इतनी रात में ऐसे अकेला जाना ठीक ना होगा..” 

नाज़िया: मैने कहा ना तुमसे हाथ छोड़ो मेरा….छोड़ो मुझे….

मुझे और कुछ तो सूझा नही….मैने एक और जोरदार थप्पड़ नाज़िया के गाल पे दे मारा… नाज़िया हैरत से अपने गाल पर हाथ रख कर मुझे रुवासि आँखो से देखने लगी…”बैठती हो कि नही….” मैने फिर से मारने के लिए हाथ उठाया ही था कि, नाज़िया सर झुकाए बाइक पर बैठ गयी…मैने बाइक स्टार्ट की और हम गाओं की तरफ चल पड़े.. रास्ते में नाज़िया पीछे बैठी हिचकयाँ लेती रोती रही….

घर पहुँचते ही नाज़िया बाइक से नीचे उतर गयी…उसने गेट का लॉक खोला और बिना पीछे देखे सीधा अपने रूम में चली गयी….मैने बाइक अंदर की और गेट की कुण्डी लगा कर अपने रूम मे आ गया….घबरा तो मैं भी थोड़ा सा गया था… पर मुझे पूरा यकीन था कि, नाज़िया आज रात जो भी हुआ है…उसके बारे मे किसी को कुछ भी नही बताएगी…

उस रात जेहन मे यही ख्याल आते रहे….पता नही कब नींद आए…..जब उठा तो, 8 बज चुके थे….मैं उठ कर बाहर आया तो देखा नाज़िया किचन में खाना बना रही थी…मैं सीधा बाथरूम में चला गया….और जब फ्रेश होकर बाहर आया तो, देखा कि टेबल पर खाना लगा हुआ था..मैं नाश्ता करने बैठ गया….थोड़ी देर बाद नाज़िया किचन से बाहर आई…उसने हाथ में नाश्ते के प्लेट और चाइ का कप पकड़ा हुआ था…वो किचन से बाहर निकल कर अपने रूम में जाने लगी तो, मेरी नज़र नाज़िया के चेहरे पर पड़ी….उसके होंटो के पास कट का निशान लगा हुआ था….वहाँ से स्किन में हल्का सूजा हुआ भी नज़र आ रहा था….वो हिस्सा पूरा लाल सुर्ख हो चुका था. मैं अंदर से पूरा हिल गया था….

मैं अंदर ही अंदर खुद को कोस रहा था….कि आख़िर मैने नाज़िया पर हाथ क्यों उठाया….मुझसे रहा ना गया….मैने नाश्ता छोड़ा और उठ कर नाज़िया के रूम मे गया….नाज़िया बेड के किनारे पर बैठी हुई थी….उसने अभी नाश्ता शुरू भी नही किया था…मुझे रूम में देख कर नाज़िया ने चोंक कर खोफ़जदा आँखो से मेरी तरफ देखा..मैं बेड की तरफ बढ़ा…और सर झुका कर उसके सामने खड़ा हो गया… मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि, मैं कहाँ से बात शुरू करूँ…
 
.”तुम यहाँ क्या लेने आए हो…” नाज़िया ने सहमी से आवाज़ में पूछा….

मैं: आइ आम सॉरी….आइ आम रियली सॉरी…..मैं तुम्हे हर्ट नही करना चाहता था….

मैने सर उठा कर नाज़िया की तरफ देखा तो वो मुझे अजीब सी नज़रों से देख रही थी….”प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो….मेरी वजह से तुम्हे बहुत चोट पहुँची है…आइ आम रियली सॉरी…”

नाज़िया: तुम जिस जखम के लिए माफी माँग रहे हो….उसके लिए मैं तुम्हे माफ़ भी कर देती….और ये जखम दो तीन दिन में भर भी जाते….पर जो जखम तुमने मेरी रूह को दिए है….वो कभी नही भरेंगे…और उसके लिए मैं तुम्हे ता उम्र माफ़ नही करूँगी…..

मैं: वो मैं मैं बहक गया था….प्लीज़ मुझे मुआफ़ कर दो….

नाज़िया: बहक गये थी….तुमने मेरे खिलाफ इतनी बड़ी साज़िश की….और तुम कहते हो तुम बहक गये थे….इतने दिनो से मेरे साथ खेल खेल रहे थे….तुम्हे एक बार भी अहसास नही हुआ कि, तुम कितना बड़ा गुनाह करने जा रहे हो….इंसान हमेशा कुछ लम्हो के लिए बहकता है…पर तुम तो, इतने दिनो से मेरे साथ इतना गंदा खेल खेल रहे थे….समीर जो गुनाह तुमने किया है….उसके लिए मुआफी ना तो मेरे पास है…और ना ही खुदा के पास….

मैं: इसमे मेरा कोई कसूर नही है….

नाज़िया: वाह……अगर इसमे तुम्हारा कसूर नही है तो किसका है….तुम्हारे अब्बू की परवरिश का….हां बोलो…क्या तुम्हारे अब्बू ने तुम्हे यही सब सिखाया है..

मैं: इंसान को सब कुछ माँ बाप तो नही सिखाते ना….कुछ इंसान वक़्त के साथ खुद ही सीख जाता है…

नाज़िया: वाह तुम्हे तो ये सब बोलते हुए भी शरम आनी चाहिए….वक़्त और तुज़ुर्बे से तुमने यही सब सीखा है…

मैं: (अब मेरा गुस्सा आसमान पर था…और मैं किसी बॉम्ब की तरह फटने वाला था…) हां यही सब सीखा है…मैं तुमसे प्यार करता हूँ…वक़्त ने मुझे तुमसे प्यार करना सिखाया है…मैं जब भी तुम्हे देखता हूँ….मैं खुद को भूल जाता हूँ…भूल जाता हूँ कि तुम मेरे अब्बू की दूसरी बीवी हो….भूल जाता हूँ कि, हम दोनो की उम्र में कितना फ़र्क है…बस याद रहता है….तुम्हारी ये खूबसूरत आँखे… तुम्हारे ये गुलाब जैसे होन्ट….तुम्हारा गोरा जिस्म….जिसने मुझे पागल कर दिया है… हर वक़्त हर लमहे तुम्हे पाने के खवाब देखता रहता था…हर पल तुम्हे बाहों में लेकर प्यार करने की ज़रूरत महसूस करता था…पर तुम नही समझो गी…

नाज़िया: वाहा वाह….(नाज़िया ने क्लॅप करते हुए कहा….) तो तुमने बड़ा अच्छा तरीका निकाला अपने प्यार कर इज़हार करने का…तुमने मुझे धोके से इस्तेमाल किया है…

मैं: अगर मैं धोकेबाज हूँ…तो तुम भी कोई दूध के धूलि हुई नही हो….तुम भी तो धोका दे रही थी अब्बू को….उनकी पीठ पीछे फ़ारूक़ यानी मेरे साथ तुम खुद अपनी मरज़ी से नही गयी थी वहाँ पर….पर सच यही है कि, तुम्हे भी किसी अपने की तलाश थी…और मुझे भी….और अगर मैं तुम्हे कहता भी कि, मैं तुम्हे प्यार करता हूँ तो क्या तुम मान जाती…नही ना…मैं तुम्हारे प्यार इश्क में इस क़दर पागल हो गया था कि, मुझे तुम्हे पाने का एक यही रास्ता नज़र आया….

नाज़िया: झूठ और कितना झूठ बोलोगे तुम…..तुम्हे सिर्फ़ सेक्स करना था मुझसे और कुछ नही…तुम मुझसे प्यार नही करते…तुम्हे मेरी बॉडी अच्छी लगती थी….सच यही है कि, तुम इस जिस्म को पाना चाहते थे मुझे नही….

मैं: हाँ अगर सिर्फ़ सेक्स ही करना होता तो, इस दुनिया में तुम ही अकेली औरत नही हो… कई खूबसूरत औरतें और लडकयाँ मेरे आगे पीछे घूमती है….जब चाहू उन्हे चोद सकता हूँ….मेरे एक इशारे पर कई लडकयाँ और औरतें नंगी होने को तैयार हो जाती है….

नाज़िया: खवाब देखना अच्छी बात है….देखते रहो….तुम हवस के शिकार हो और कुछ नही…

मैं: अच्छा तो तुम्हे यकीन नही….अब देखना…मैं तुम्हारे सामने ही इसी घर में इसी गाओं की कितने औरतों को चोदता हूँ….
 
मैं नाज़िया के रूम से बाहर आ गया….नाज़िया बॅंक जाने के लिए तैयार भी नही हुई थी…और वो सूजा हुआ मुँह लेकर बॅंक जा भी नही सकती थी….मैने नाश्ता किया और अपने रूम में जाकर बेड पर लेट गया….पता नही क्या-2 सोचता रहा…कैसे-2 ख़याल दिमाग़ में आ रहे..जैसे ही 10 बजे मैं उठ कर अपने रूम से बाहर आया और नाज़िया के रूम की तरफ देखा….डोर खुला हुआ था…पर आगे परदा किया हुआ था…मैं घर से निकल कर बाहर आ गया….मैने फ़ैज़ के घर लॅंडलाइन नंबर पर कॉल किया…जो सबा के रूम में था….थोड़ी देर बाद सबा ने फोन उठाया….

सबा: हेलो…

मैं: हेलो सबा… मैं समीर बोल रहा हूँ….

सबा: समीर हां बोलो….आज कैसे याद आ गयी मेरी…..

मैं: मुझे तुमसे ज़रूरी काम था….

सबा: हां बताओ…

मैं: तुम्हे याद है….तुमने मुझसे कहा था कि, जब मुझे ज़रूरत होगी…तुम मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाओगी….

सबा: हां अच्छी तरह याद है…बताओ तो सही क्या बात है…..

मैं: बात ये है कि तुम्हे अभी मेरे घर पर आना है….

सबा: अभी….

मैं: हां….

सबा: पर हुआ क्या बताओ तो सही…

मैं: सबा देखो नाज़िया घर पर है…और उसकी मज़ूदगी मे मैने तुम्हारी लेनी है….

सबा: समीर पागल तो नही हो गये….पता भी है क्या कह रहे है तुम…..

मैं: बस उस वक़्त बड़ी-2 बातें करनी ही आती थी….अब जब वक़्त आया तो मुकर गयी….

सबा: नही वो बात नही समीर…नाज़िया के सामने……अगर उसने देख लिया तो…

मैं: यही तो मैं चाहता हूँ….

सबा: तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही हो गया समीर….उसने पूरे गाओं को बता देना है…और मैने कही का नही रहना….क्यों इस उम्र में मेरी बदनामी करवाना चाहते हो….

मैं: वो देखेगी भी और किसी को बताएगी भी नही….

सबा: ये कैसे हो सकता है….क्यों मुझे मरवाना है….

मैं: तुम डरती हो….?

सबा: बात डरने की नही है समीर….

मैं: तो फिर देखो नाज़िया किसी को कुछ नही कहेगी…वो अपना मुँह नही खोल सकती…

सबा: वो क्यों….

मैं: वो इसलिए कि नाज़िया की दुखती नब्ज़ मेरे हाथ में है…जब चाहूं तो उसे दबा सकता हूँ…उसका एक ऐसा राज़ मेरे पास है कि, वो अपनी ज़ुबान तक नही खोलगी…

सबा: तुम्हे पूरा यकीन है ना कि, वो किसी को कुछ नही कहेगी….

मैं: हां पूरा यकीन है…अब तुम जल्दी से घर आ जाओ…..

मैने कॉल कट की और घर आ गया….मैने अंदर से गेट को कुण्डी लगा दी…और सबा के आने का इंतजार अपने रूम में आकर करने लगा…10:30 बजे बाहर डोर बेल बजी… मैं अपनी जगह बैठा रहा….मैं चाहता था कि, नाज़िया खुद जाकर गेट खोले….डोर बेल फिर से बज़ी….मेरा ध्यान बाहर ही था..थोड़ी देर बाद नाज़िया रूम से निकल कर बाहर गयी..और फिर मुझे गेट के खुलने की आवाज़ सुनाई दी….मैं अपने रूम के डोर पर आया और बाहर देखा तो, सबा खड़ी थी…उसने नाज़िया को सलाम किया…

नाज़िया सबा को पहली बार देख रही थी…पर वो फ़ैज़ को अच्छी तरह जानती थी…”जी… आप….” नाज़िया ने सबा को देखते हुए पूछा…


.”मैं फ़ैज़ की अम्मी हूँ सबा…” सबा ने मुस्करा कर जवाब दिया….

“ओह्ह आए अंदर आइए…” सबा अंदर आ गयी…नाज़िया सबा को गेट के साथ वाले रूम में ले गये…जिसे हम ड्रॉयिंग रूम की तरह यूज़ करते थे.. उसके साथ वाला रूम नजीबा का था….मैने अपनी कमीज़ उतार दी..और शलवार के ऊपेर से अपने लंड को दबाने लगा….मैं जल्द से जल्द अपने लंड को खड़ा कर लेना चाहता था….मुझे पता था कि, नाज़िया मुझे बुलाने के लिए मेरे रूम में ज़रूर आएगी… 

मैने 6-7 बार लंड को दबाया ही था कि, लंड फुल हार्ड हो गया…तभी नाज़िया रूम में आई…मैं बेड पर बैठा हुआ था…उसने मेरी तरफ देखा और बोली…”फ़ैज़ की अम्मी आई है…तुमसे मिलने….”

मैं: मुझसे मिलने क्यों….?

नाज़िया: मुझे क्या पता…जाकर मिल लो…..मैं चाइ बनाने जा रही हूँ…तुम पीओगे..

मैं: नही…
 
मैं बेड से खड़ा हुआ था…तो नाज़िया की नज़र शलवार में खड़े मेरे लंड पर पड़ी… उसने शलवार को आगे से ऊपेर उठा रखा था….ऊपेर से मेने टीशर्ट पहन ली थी….उसके नज़रे मेरे लंड पर अटकी हुई थी…..जैसे ही मैं बाहर जाने लगा तो, नाज़िया ने काँपती हुई आवाज़ से कहा….”कपड़े तो पहन लो….”

मैने नाज़िया की तरफ देखा पर बोला कुछ नही….और रूम से बाहर निकल कर ड्रॉयिंग रूम में आ गया… जब मैं ड्रॉयिंग रूम में पहुँचा तो, देख सबा भी सहमी से बैठी थी…. मैं सबा के सामने खड़ा हो गया…उसने भी एक बार मेरी शलवार में खड़े लंड को देखा और फिर सवालिया नज़रों से मेरी तरफ देखते हुए बोली….

सबा: समीर कुछ होगा तो नही…

मैं: कुछ नही होगा…अगर कुछ होना होता तो, मैं इतना बड़ा कदम उठाता ही क्यों…बस इतना समझ लो कि तुम ये सब करके मेरी बहुत बड़ी मदद कर रही हो…

सबा: अगर ये बात है तो, मैं भी कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ….

मैं: अच्छा ठीक है…तुम यही बैठो…जैसे ही मैं तुम्हे कहूँगा शुरू हो जाना…

सबा ने हां मैं सर हिलाया तो, मैं रूम के डोर के पास आकर खड़ा हो गया… और किचन की तरफ देखते हुए अपने लंड को शलवार से बाहर निकाल कर हिलाने लगा…थोड़ी देर बाद नाज़िया मुझे किचन से बाहर आती हुई नज़र आई….मैं जल्दी से सोफे पर सबा के पास जाकर बैठ गया….रूम के डोर पर परदा लगा हुआ था…पर साइड से अंदर देखा जा सकता था….

मैने सबा के हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रखा और उसके होंटो को अपने होंटो में लेकर चूसना शुरू कर दिया…फिर मैने जैसे ही उसके होंटो पर अपने होंटो का दबाव बढ़ाया तो, उसने अपने होंटो को ढीला छोड़ दिया….मैं उसके होंटो को अपने होंटो में दबा-2 कर चूसने लगा…उसके होंटो को अपने दाँतों से काटने लगा….वो साँस लेने के लिए अपने होंटो को मेरे होंटो से अलग करती और फिर मेरे चेहरे को अपने हाथो से पकड़ कर अपने होंटो पर झुका देती…इतनी देर में नाज़िया को रूम के अंदर आ जाना चाहिए था…अगर वो अंदर नही आई थी…तो इसका मतलब सॉफ था कि, या तो वो मुझे और सबा को इस हाल में देख कर वापिस जा चुकी थी….या फिर दीवार की आड़ से छुप कर हमे देख रही थी…मैने सबा के होंटो को चूस्ते हुए बाहर देखा पर मुझे नाज़िया नज़र नही आई….सबा लगातार मेरे लंड को हिलाए जा रही थी…

मैने फिर से उसके होंटो को अपने होंटो में भर कर उसके होंटो को चूसने लगा…सबा ने अपने दोनो हाथों को नीचे लेजाते हुए, अपनी इलास्टिक्क वाली शलवार को उतार दिया…..और फिर मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी पैंटी के अंदर डाल दिया. और फिर अपने होंटो को मेरे होंटो से अलग करते हुए मेरी आँखो में झाँकते हुए बोली “सीईई देखो ना समीर….ये कितनी गीली है….सुबह से तुम्हारे बारे में सोच -2 कर पानी छोड़ रही है…” 

मैने उसकी फुद्दि के लिप्स में जैसे ही अपनी उंगलियों को फिराया तो, मेरी हैरानी का ठिकाना नही रहा….उसकी फुद्दि उसके अंदर से निकल रहे गाढ़े लेसदार पानी से सरोबार थी….उसकी पैंटी भी नीचे से गील हो चुकी थी….मैने भी उसके आँखो में देखते हुए, उसकी फुद्दि के सुराख पर जैसे ही अपनी दो उंगलियों को दबाया तो, मेरी उंगलियाँ उसकी फुद्दि में फिसलती हुई अंदर चली गयी….


“ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह समीर….सुबह से मेरी फुद्दि में खुजली हो रही थी.…समीर…..प्लीज़ मुझे चोदो ना” मैने सबा की फुददी में तेज़ी से अपनी उंगलियों को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…मैने अपने दूसरा हाथ ऊपेर लेजाते हुए उसकी कमीज़ को ऊपेर करना शुरू कर दिया…तो, उसने खुद भी अपने हाथो अपनी कमीज़ और ब्रा को ऊपेर उठा दिया.....जैसे ही सबा के कसे हुए मम्मे उसकी ब्रा की क़ैद से आज़ाद हुए.....मैं सबा के मम्मो पर घुरते हुए टूट पड़ा....और उसके तने हुए निपल को मुँह में लेकर पागलो की तरह चूसने लगा...."उंह समीररर ओह्ह्ह्ह चूस लो मेरे दूध...अह्ह्ह्ह तेज-2 चूसो उम्ह्ह्ह्ह्ह" मैने सबा के दूसरे निपल को अपनी उंगलियों में लेकर जैसे ही दबाना शुरू किया तो, सबा ने अपने मम्मे को पकड़ कर मेरे मुँह में और धकेलना शुरू कर दिया....

सबा अब पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी....वो अपने हाथ से मेरे लंड को तेज़ी से हिला रही थी....मैं उसके मम्मे को और ज़ोर-2 से चूसने लगा....तो उसने भी मेरे लंड को तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया...फिर सबा एक दम से अलग हुई, और अपनी पैंटी को उतार कर वही सोफे पर फेंक दिया...सबा खड़ी हुई और उसने मुझे सोफे पर धक्का देकर बैठा दिया....और खुद मेरे एक साइड पर सोफे पर चढ़ते हुए, मेरे लंड को पकड़ कर अपनी जीभ निकाली और फिर लंड के कॅप को जीभ पर मारते हुए मेरी आँखो में झाँका.......

सबा: समीर तुम्हारा लॉलीपोप बहुत टेस्टी है.....दिल करता है...इसे दिन भर चुस्ती रहूं....

ये कहते हुए सबा ने मेरे लंड की कॅप को अपने होंटो में भर लिया... और फिर अपने होंटो का दबाव मेरे लंड के कॅप पर बढ़ाते हुए धीरे-2 अंदर बाहर करने लगी...मैने सबा के बालो पकड़ कर उसके सर को अपने लंड पर दबाना शुरू कर दिया...अचानक से मेरी नज़र डोर पर पड़ी...बाहर नाज़िया आँखे फाडे देख रही थी...धीरे-2 सबा की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी....वो और तेज़ी से मेरे लंड के चुप्पे लगाने लगी थी.....

फिर सबा एक दम से उठी और अपनी फुद्दि मे अपनी उंगलियों को घुसाते हुए दो चार बार अंदर बाहर किया और फिर अपनी उंगलियों पर लगे फुद्दि से निकले कामरस को मेरे लंड के कॅप के चारो तरफ फेलाते हुए मलने लगी....

और अगले ही पल सबा मेरे ऊपेर दोनो तरफ टाँगे फेला कर बैठ गयी....मैने अपने लंड को पकड़ कर उसकी फुद्दि के सुराख पर जैसे ही लगाया तो सबा एक दम से सिसक उठी....उसने अपनी दोनो हाथो को मेरे चेस्ट पर रखा और धीरे-2 अपनी बुन्द को नीचे की ओर दबाने लगी.... उसकी फुद्दि का सुराख मेरे लंड के कॅप के चारो तरफ फेलने लगा...और मेरे लंड का कॅप उसकी फुद्दि के सुराख को फैलाता हुआ अंदर जा घुसा....कुछ ही पलों में सबा की फुद्दि में मेरा पूरा लंड अंदर बाहर हो रहा था...मैं लगतार सबा की बुन्द के दोनो पार्ट्स को फैला-2 कर दबा रहा था....और बीच -2 में सबा की बुन्द पर थप्पड़ जड देता...

सबा की गोरे-2 चुतड़ों पर मेरी उंगलयों के लाल निशान छप्प चुके थे.....वो और भी मदहोश होकर तेज़ी से अपनी बुन्द को ऊपेर नीचे उछालने लगी थी...."ओह्ह्ह्ह हाईए समीर चोद मुझे….अह्ह्ह्ह तेरा लंड मैं तो तेरे लंड की गुलाम हो गयी हूँ… समीर....ओह्ह्ह्ह आज कितने दिनो बाद फुद्दि को सकून आया है….कल मेरी बुन्द की खुजली भी मिटा देना….तुम्हारे लंड को वहाँ लिए हुए भी कई दिन हो गये है… ओह्ह्ह हाईए मेरी फुद्दि ने अह्ह्ह ओह्ह्ह समीर.....ओह्ह्ह्ह मूत गइई ओह्ह्ह साली उंह.......

बाहर नाज़िया हैरत भरी नज़रों से हम दोनो की तरफ देख रही थी…मैं सीधा उसे नही देख रहा था….तिरछी नज़रो से देख रहा था…जैसे ही मेरे लंड ने सबा की फुद्दि में पानी छोड़ा….तो मैने सीधे-2 नाज़िया की तरफ देखा….जैसे ही हमारी नज़रें मिली…मैने मुस्कराते हुए उसे आँख मार दी…नाज़िया फॉरन वहाँ से पीछे हट गयी….सबा मेरे ऊपेर से उठ कर सोफे पर बैठ गयी….और अपनी पैंटी उठा कर पहले उसने मेरे लंड को सॉफ किया और फिर अपनी फुद्दि को…..मैने शलवार पहनी और सबा को एक शोप्पर दिया…जिसमे उसने अपनी पैंटी डाली और अपने कपड़े पहनने लगी… “अब खुश हो….” सबा ने मुस्कराते हुए कहा…

मैं: हां बहुत खुश हूँ….

सबा: अब देखना कही वो कोई बेखेड़ा ना खड़ा कर दे….

मैं: मैने कहा ना फिकर करने की कोई ज़रूरत नही….कुछ नही होता…अभी तक कुछ हुआ क्या…

उसके बाद सबा चली गयी….मैनें गेट बंद किया और जैसे ही मूड कर अपने रूम में जाने लगा तो, देखा नाज़िया बरामदे में खड़ी मेरे तरफ देख रही थी… उसका चेहरा गुस्से से सुर्ख हो रहा था…और वो लंबी-2 साँस ले रही थी…
 
नाज़िया की आँखे गुस्से से लाल हो रही थी…..वो अपनी नाक से लंबी-2 साँस खेंचते हुए मुझे घूर कर देख रही थी…मैं अपने रूम की तरफ बढ़ा….मैं भी उसके आँखो में आँखे डाले आगे बढ़ रहा था…और हर तरह के हालात के लिए तैयार था… मैं उसके आँखो में देखते हुए साइड से होकर आगे जाने लगा तो, नाज़िया की उँची आवाज़ कानो में पड़ी….”रूको….”

मैं वही रुक गया…..और नाज़िया की तरफ मुड़ा…वो अभी भी बाहर की तरफ फेस किए खड़ी थी….”हां बोलो….”

नाज़िया ने घूम कर मेरी तरफ फेस किया और एक लंबी साँस लेन के बाद बोली….” तुमने इस घर को क्या समझ रखा है…..?” नाज़िया ने अपनी जहर बरसाती आँखो से मुझे देखते हुए कहा….उसकी आँखो से ऐसे लग रहा था….जैसे वो अभी मेरा कतल कर देगी….

“मेरा घर है…..मैं जो चाहे जो करूँ….तुम्हे क्या..?” पर मैने भी सोच लिया था कि ईंट का जवाब पत्थर से देना है…

नाज़िया: क्या कहा तुमने तुम्हारा घर हाँ….और तुम इस घर की बड़ी इज़्ज़त बना रहे हो… इस घर को रंडी खाना समझ रखा है तुमने तो…मैं इस घर में ये सब हरगिज़ नही होने दूँगी….आइन्दा तुमने कभी इस घर में कोई ऐसी हरक़त क़ी तो, मैं तुम्हारे अब्बू को बता दूँगी…

मैं: हाहहः जिस दिन तुम ये बात अब्बू को बताओगि….वो दिन तुम्हारा इस घर में आखरी दिन होगा…अब्बू को सब बता दूँगा…वो खुद तुम्हे घर से धक्के देकर बाहर निकाल देंगे…..और रही बात घर की तो, इस घर में क्या होगा और क्या नही होगा वो मेरी मरज़ी से होगा…तुम्हारी नही….

नाज़िया: तुम्हारी ग़लत फेहमी है…

मैं: अच्छा….रोक सकती हो तो रोक लो….

मैने वही खड़े-2 अपनी शलवार का नाडा खोल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया…और नाज़िया के सामने खड़े-2 ही अपने लंड को हिलाने लगा….”ले उखाड़ ले मेरा लंड जो तूने उखाड़ना है….” गुस्से और जोश में मैं पागल हो गया था….और उस गुस्से और जोश में मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था…ये सब इतनी तेज़ी से हुआ था कि, नाज़िया को कुछ सोचने समझने का मोका भी नही मिला…..नाज़िया हैरत से आँखे फाडे कभी मेरे चेहरे तो कभी मेरे सख़्त तने हुए 8 इंच लंबे लंड को देखती…”क्यों पसंद है…अगर पसंद है तो हां बोल दो….आगे से इस घर में और कोई औरत नही आएगी…” मैने आँख मार कर नाज़िया को कहा…तो नाज़िया ऐसे हड़बड़ाई जैसे किसी ख्वाब से जागी हो….

नाज़िया: अपनी हद में रहो….( और नाज़िया ने मेरी तरफ अपनी पीठ कर ली….) 

मैने अपने लंड को हिलाते हुए नाज़िया के बिल्कुल पास चला गया….मैं उसके ठीक पीछे खड़ा था…और नाज़िया की साँसे बहुत तेज चल रही थी…मैने अपने होंटो को उसके कान के पास लेजा कर धीरे से सरगोशी में कहा…”क्यों क्या हुआ…मूह क्यों घुमा लिया… ये वही लंड है….जिससे तुम रोज बस में अपनी बुन्द के बीच मे लेकर खड़ी होती थी…अब क्या हो गया….” 

नाज़िया के जिस्म में झुरजुरी सी दौड़ गयी….और नाज़िया वहाँ से तेज़ी से पलट कर अपने रूम मे जाते हुए बोली….”मूज़े तुम जैसे बदतमीज़ और गँवार इंसान के मूह नही लगना…

.मैं वहाँ खड़ा मुस्करता रहा..फिर अपनी शलवार ऊपेर की और अपने रूम मे आ गया….और बेड पर लेट गया…

बेड पर लेटा हुआ था….दिल में अजीब सा सकून था…ऐसे ही लेटे-2 नींद आ गयी….जब आँख खुली तो दोपहर के 2 बज रहे थी…मैं अंगड़ाई लेता हुआ बाहर आने लगा तो, मुझे दूसरे रूम से नाज़िया की आवाज़ आई….वो किसी से फोन पर बात कर रही थी…जब मैं रूम के डोर के पास जाकर खड़ा तो अहसास हुआ कि, नाज़िया अपनी अम्मी से बात कर रही थी….बातो से लग रहा था कि, उसकी अम्मी की तबीयत खराब है…”जी अम्मी वैसे भी मैं काफ़ी दिनो से सोच रही थी कि छुट्टी लेकर कुछ दिन आपके पास आ जाउ….जी नजीबा के तो स्कूल शुरू है…जी वो नही आ पाएगी मेरे साथ….”

अच्छा तो, पता चला कि नाज़िया अपनी अम्मी के घर जा रही थी…वो भी कल…तो नाज़िया ने कुछ दिनो के लिए मुझसे पीछा छुड़ाने का रास्ता खोज ही लिया था…मैं वहाँ से हट कर बाथरूम में चला गया…फ्रेश होकर अपने रूम में आया…और कपढ़े पहन कर घूमने के लिए निकल गया…ऐसे ही घूमते हुए मैं फ़ैज़ के घर चला गया… वहाँ बैठ कर उससे कॉलेज की बातें करने लगा…

फ़ैज़: तुम आज कॉलेज क्यों नही आए…

मई: ऐसे ही यार तबीयत ठीक नही थी…..

फ़ैज़: अर्रे यार सुन आज हम सब ने कॉलेज में प्लान बनाया था कि, हम कराची जा रहे है घूमने तुम भी चलो….

मैं: नही यार तुम जाओ…मेरा मूड नही है…

फ़ैज़: चल ना यार…3 दिन बाद जाना है…..

मैं: यार सच में घर पर कोई नही है अब्बू लाहोर गये हुए ट्रनिंग के लिए….समझा कर ना….

फ़ैज़: अच्छा चल यार तेरी मरजी…अच्छा तू बैठ मैं ज़रा बाथरूम होकर आता हूँ.. 

फ़ैज़ जैसे ही उठ कर हॉल का जाली वाला गेट खोल कर बाहर गया….तो सबा बाहर खुले में धूप सेक रही थी….उठ कर अंदर आ गयी….मैं हॉल मे सोफे पर बैठे हुए था…. सबा मेरे पास आई…और सोफे पर बैठ कर उसने थोड़ा परेशानी भरे अंदाज में पूछा…”समीर कुछ हुआ तो नही मेरे आने के बाद…..” मैने ना में सर हिला दिया…तो सबा ने एक बार जाली वाले गेट से बाहर देखा….वहाँ से सामने बाथरूम नज़र आता था…फिर सबा ने मेरी कमीज़ के नीचे से हाथ डाल कर मेरे लंड को शलवार के ऊपेर से पकड़ कर धीरे-2 दबाना शुरू कर दिया…”अच्छा किया तुमने फ़ैज़ को मना कर दिया….”

मैं: क्यों क्या हुआ….?

सबा: सुनो मेरे दूर के रिश्ते में मेरी फुफो है इस्लामाबाद में….वो काफ़ी दिनो से बीमार है….मैने उनका पता लेने जाना है…वो अकेली रहती है…घर काफ़ी बड़ा है… तुम मेरे साथ चलना…वहाँ तुम जैसे चाहे हम कर सकते है….
 
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