hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
मतलब रामू काका भी उसका इंतजार कर रहे थे और एक रवि है जो कि उसके पहले ही सो जाता है
आरती ने धीरे से दरवाजे को ढकेल दिया और
रामू काका के पास चली गयी।
रामु काका ने उसको खिंच कर अपने करीब बैठा लिया
रामू---- बहु रानी डर नही लगा दिन में सोनल ने भी देख लिया था तब भी।
आरती क्या कहती कि उससे अब चुदाई बिना नही रहा जाता। उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी आज का कदम उसे कहाँ ले जाएगा वो नहीं जानती थी हाँ एक बात वो जरूर जानती थी कि वो अपने तन की भूख के आगे झुक गई है और वो उसे शांत करने के लिए अब कोई भी कदम उठा सकती है उसके बिस्तर के पास बैठेते ही रामू अपने आप ही उठकर बैठ गया और एक हाथ से उसने आरती के घुटनों को पकड़कर उसे थोड़ा सा और पास खींचा आरती को तो कोई दिक्कत ही नहीं थी वो और आगे हो गई वो लगभग अब रामु काका के बिस्तर पर ही पड़ी थी। रामू अब धीरे-धीरे आरती के रूप के दर्शन करने के मूड में थे आज पहली बार आरती उसके कमरे में बिना बुलाए आई है वो जानते थे कि आरती को क्या चाहिए और वो भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार थे जब आरती ने खाने के बाद उससे पूछा था कि जल्दी सो जाते है क्या तभी से अपने अंदर की आग को किसी तरह से अपने में समेटे हुए थे और जब आरती उसके पास लेटी थी तो वो कहाँ रुकने वाले थे अपने हाथों से आरती के गाउनके ऊपर से ही उसके टांगों को अपने हाथों से सहलाते हुए उस डिमलाइट में आरती की ओर देख रहे थे।
रामु ने जैसे ही आरती को अपने गोद में पाया वो कुछ करता पर एक ही धक्के में वो नीचे गिर पड़ा और आरती को अपने ऊपर अपने लण्ड पर सवार होते हुए देखता रहा आरती की उत्तेजना इतनी थी, कि वो इस इंतजार मे भी नहीं थी कि रामू काका उसके अंदर समाए इससे पहले ही उसने अपने को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी चुत को खोलकर उसके मोटे से लण्ड को अपने अंदर उतार लिया।
बाहर आरती का ये रूप देख कर दो जोड़ी आंखे भी हैरान थी, यहा आरति खुद चुद रही थी।
वो धीरे धीरे उसके लण्ड पर बैठने लगी गीले पन के होते हुए लण्ड बड़े ही आराम से उसके अंदर समा गया आरती के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और वो धम्म से रामू काका के ऊपर गिर पड़ी जैसे जो उसे चाहिए था वो तो अब उसके अंदर है अब कौन उससे अलग करेगा वो थोड़ा सा रुकी
पर रामू काका तो तुरंत ही अपने मिशन में लग गये थे धीरे-धीरे अपनी कमर को उचका कर अपने लण्ड को आरती की चुत में अड्जस्ट करने लगे थे आरती भी थोड़ा सा हिल कर अपने आपको उसके साथ ही अड्जस्ट करती हुई उनके शरीर को फिर से पानी बाहों में भरने को कोशिश करती जा रही थी
रामू भी अपनी बाहों को घुमाकर आरती को अपने सीने से लगाए धीरे-धीरे नीचे से धक्के लगाता जा रहा था पर वो जानता था कि वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है क्यों कि जो हरकत आज आरति ने उसके साथ की है अगर वो किसी के साथ करे तो कोई भी आदमी आरति की चुत तक पहुँचने से पहले ही ढेर हो जाएगा वो उन आँखो को भूल नहीं पाया था जो कि उसके लण्ड को चूसते हुए आरती की थी वो नीचे पड़े हुए आरती को अपने बाहों में भरे हुए जोर-जोर से धक्कों को अंजाम दे रहा था और अपने मुकाम की ओर बढ़ रहा था
और आरती अभी अपने अंदर उठ रहे तुफ्फान को धीरे-धीरे थामने की कोशिश में लगी थी पर रामू काका के धक्के इतने जोर दार थे कि वो जितना भी काका को जोर से जकड़े, हर धक्के में वो छूट जाते थे लण्ड अंदर बहूत अंदर तक पहुँच जाता था और उसके अगले कदम के नजदीक ले जाता था वो किसी तरह से अपने को हर धक्के के साथ फिर से एडजस्ट करने की कोशिश करती पर ना जाने क्यों उसने अचानक ही काका को छोड़ कर सीधी उनके लण्ड पर ही बैठ गई अब वो सीधी हर धक्के में ऊपर उछलती और फिर नीचे बैठ जाती,
उसके उछलने से जो नजर रामू देख सकता था वो शायद कामदेव को भी नसीब नहीं हुआ होगा रामू हर धक्कों के साथ ही आरती की उछलती हुई चुचियों को भी अपनी हथेलियो में कस कर निचोड़ता जा रहा था और अपनी गति को भी नहीं धीमा किया था
आरती भी हर धक्के के साथ ही अपनी सीमा को पार करती जा रही थी और काका के कसाव के आगे अपने शरीर में उठने वाली उमंग को अपने शिखर तक पहुँचाने में लगी हुई थी वो निरंतर अपने को रामू काका के हाथों के सहारे छोड़ कर उछलती जा रही थी और अचानक ही अपने अंदर आए उफ्फान के आगे उसका शरीर निश्चल सा हो गया और सांसों को कंट्रोल करते हुए उसका शरीर भी काका के दोनों हाथों के आगे झुक गया
दोनों हाथों के आगे मतलब चुचियों को कसे हुए रामू के दोनों हाथों के आगे आरती को लटके हुए देखता हुआ रामू अब भी, आरती को जोर दार तरीके से निचोड़ता जा रहा था वो भी, अपने आखिरी चरम पर था पर जैसे लगता था कि वो अपना पूरा दिन का गुस्सा आज आरती को निचोड़ कर ही निकाल देना चाहता था सो वो कर रहा था वो भी अपने शरीर की हर इंद्रियो को अपने लण्ड की ओर जाते हुए महसूस करता जा रहा था और ढेर सारा वीर्य उसके लण्ड से चूत पर आरती के अंदर और अंदर तक पहुँच गया
उसकी गिरफ़्त थोड़ी ढीली हुई और आरती धम्म से उसके ऊपर ढेर हो गई रामू की कमर अब भी चल रही थी वो अपनी आख़िरी बूँद को भी निचोड़ कर आरती के अंदर तक उतार देना चाहता था सो वो कर रहा था अपनी दोनों बाहों को उसने आरती के चारो ओर मजबूती से घेर रखा था और धीरे-धीरे वो और भी मजबूत होती जा रही थी
अब दोनों शांत हो गये थे दोनों एकदूसरे के पूरक बन गये थे और शांत थे सांसें गिन रहे थे या फिर एक दूसरे के छोड़ने का इंतजार कर रहे थे कोई नहीं जानता था पर दोनों वैसे ही बहुत देर तक लेटे रहे एक दूसरे के ऊपर और फिर धीरे से रामू ने आरती को हिलाया
रामू- बहू
आरती- उूउउम्म्म्मम
रामू- उठो हहुउऊउउ
आरती भी थोड़ा सा हिली और अपने को रामू से अलग करने लगी वो आज वाकाई बहुत थक चुकी थी।
बाहर से देख रही वो आंखे जा चुकी थी,
किसी तरह से खड़ी हुई और अपनी पैंटी को ढुड़ने लगी पर वो कही नहीं दिखी सो अपनी गाउनको उठाकर रामू काका की ओर पीठ कर उसे अपने सिर के ऊपर से डालकर पहन लिया और धीरे से गाउनको नीचे ले जाते हुए उठ खड़ी हुई और एक बार रामू काका की ओर देखा और मुड़कर बाहर जाने लगी,
रामु--- बहु सोनल का क्या करना है।
आरती-- क्या करना है मतलब?
रामू---- अगर उसने साहब को बता दिया तो ,
आरती---कुछ सोचती हूं मैं।
और कमरे से बाहर निकल गयी।
उसके कदम ठीक से नहीं पड़ रहे थे बहुत ही थकान लग रहा था पर एक तरंग उसके शरीर में थी जो उसे और भी मदहोशी के आलम की ओर ले जा रही थी वो किसी तरह से कमरे से बाहर निकली और सीढ़िया उतरती हुई अपने कमरे में आ गई कमरे में रवि अब भी सो रहा था आरती बाथरूम में गई और अपने को साफ करके वापस रवि के पास आके
सो गई थकान के चलते वो कब सो गई उसे पता नहीं चला हाँ… सुबह जब रवि ने उसे उठाया तो 10 बज चुके थे
रवि उसके लिए चाय कमरे में ही ले आया था आरती चाय पीते हुए अपने पति को तैयार होते देख रही थी वो अब भी बेड पर ही थी
रवि- क्या बात है बहुत देर तक सोई कल रात को नींद नहीं आई क्या
आरती- हाँ…
रवि- रात को कहाँ गई थी
आरती- मुह की च्याय बहार आकर गिरी
उसके सिर पर जैसे आसमान गिर गया हो चेहरा सफेद हो गया था जब रवि ने उससे पूछा ।
रवि ने घबराते देख खुद ही जवाब दिया
रवि- टीवी देख रही थी क्या
आरती- हाँ… नींद नहीं आ रही थी इसलिए
रवि- इसलिए तो कहता हूँ थोड़ा सा घर के बाहर निकलो घर में पड़ी पड़ी बोर भी हो जाती हो और कोई एक्सर्साइज भी नहीं तो थकान कहाँ से होगी
आरती- जी
पर आरती के दिमाग़ में वो बात घूम रही थी कि कल रात को जो उसने किया था अगर रवि बाहर निकलकर उसको ढूँढता तो .........आरति की जान निकल जाती है सोचकर।
आरती ने धीरे से दरवाजे को ढकेल दिया और
रामू काका के पास चली गयी।
रामु काका ने उसको खिंच कर अपने करीब बैठा लिया
रामू---- बहु रानी डर नही लगा दिन में सोनल ने भी देख लिया था तब भी।
आरती क्या कहती कि उससे अब चुदाई बिना नही रहा जाता। उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी आज का कदम उसे कहाँ ले जाएगा वो नहीं जानती थी हाँ एक बात वो जरूर जानती थी कि वो अपने तन की भूख के आगे झुक गई है और वो उसे शांत करने के लिए अब कोई भी कदम उठा सकती है उसके बिस्तर के पास बैठेते ही रामू अपने आप ही उठकर बैठ गया और एक हाथ से उसने आरती के घुटनों को पकड़कर उसे थोड़ा सा और पास खींचा आरती को तो कोई दिक्कत ही नहीं थी वो और आगे हो गई वो लगभग अब रामु काका के बिस्तर पर ही पड़ी थी। रामू अब धीरे-धीरे आरती के रूप के दर्शन करने के मूड में थे आज पहली बार आरती उसके कमरे में बिना बुलाए आई है वो जानते थे कि आरती को क्या चाहिए और वो भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार थे जब आरती ने खाने के बाद उससे पूछा था कि जल्दी सो जाते है क्या तभी से अपने अंदर की आग को किसी तरह से अपने में समेटे हुए थे और जब आरती उसके पास लेटी थी तो वो कहाँ रुकने वाले थे अपने हाथों से आरती के गाउनके ऊपर से ही उसके टांगों को अपने हाथों से सहलाते हुए उस डिमलाइट में आरती की ओर देख रहे थे।
रामु ने जैसे ही आरती को अपने गोद में पाया वो कुछ करता पर एक ही धक्के में वो नीचे गिर पड़ा और आरती को अपने ऊपर अपने लण्ड पर सवार होते हुए देखता रहा आरती की उत्तेजना इतनी थी, कि वो इस इंतजार मे भी नहीं थी कि रामू काका उसके अंदर समाए इससे पहले ही उसने अपने को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी चुत को खोलकर उसके मोटे से लण्ड को अपने अंदर उतार लिया।
बाहर आरती का ये रूप देख कर दो जोड़ी आंखे भी हैरान थी, यहा आरति खुद चुद रही थी।
वो धीरे धीरे उसके लण्ड पर बैठने लगी गीले पन के होते हुए लण्ड बड़े ही आराम से उसके अंदर समा गया आरती के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और वो धम्म से रामू काका के ऊपर गिर पड़ी जैसे जो उसे चाहिए था वो तो अब उसके अंदर है अब कौन उससे अलग करेगा वो थोड़ा सा रुकी
पर रामू काका तो तुरंत ही अपने मिशन में लग गये थे धीरे-धीरे अपनी कमर को उचका कर अपने लण्ड को आरती की चुत में अड्जस्ट करने लगे थे आरती भी थोड़ा सा हिल कर अपने आपको उसके साथ ही अड्जस्ट करती हुई उनके शरीर को फिर से पानी बाहों में भरने को कोशिश करती जा रही थी
रामू भी अपनी बाहों को घुमाकर आरती को अपने सीने से लगाए धीरे-धीरे नीचे से धक्के लगाता जा रहा था पर वो जानता था कि वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है क्यों कि जो हरकत आज आरति ने उसके साथ की है अगर वो किसी के साथ करे तो कोई भी आदमी आरति की चुत तक पहुँचने से पहले ही ढेर हो जाएगा वो उन आँखो को भूल नहीं पाया था जो कि उसके लण्ड को चूसते हुए आरती की थी वो नीचे पड़े हुए आरती को अपने बाहों में भरे हुए जोर-जोर से धक्कों को अंजाम दे रहा था और अपने मुकाम की ओर बढ़ रहा था
और आरती अभी अपने अंदर उठ रहे तुफ्फान को धीरे-धीरे थामने की कोशिश में लगी थी पर रामू काका के धक्के इतने जोर दार थे कि वो जितना भी काका को जोर से जकड़े, हर धक्के में वो छूट जाते थे लण्ड अंदर बहूत अंदर तक पहुँच जाता था और उसके अगले कदम के नजदीक ले जाता था वो किसी तरह से अपने को हर धक्के के साथ फिर से एडजस्ट करने की कोशिश करती पर ना जाने क्यों उसने अचानक ही काका को छोड़ कर सीधी उनके लण्ड पर ही बैठ गई अब वो सीधी हर धक्के में ऊपर उछलती और फिर नीचे बैठ जाती,
उसके उछलने से जो नजर रामू देख सकता था वो शायद कामदेव को भी नसीब नहीं हुआ होगा रामू हर धक्कों के साथ ही आरती की उछलती हुई चुचियों को भी अपनी हथेलियो में कस कर निचोड़ता जा रहा था और अपनी गति को भी नहीं धीमा किया था
आरती भी हर धक्के के साथ ही अपनी सीमा को पार करती जा रही थी और काका के कसाव के आगे अपने शरीर में उठने वाली उमंग को अपने शिखर तक पहुँचाने में लगी हुई थी वो निरंतर अपने को रामू काका के हाथों के सहारे छोड़ कर उछलती जा रही थी और अचानक ही अपने अंदर आए उफ्फान के आगे उसका शरीर निश्चल सा हो गया और सांसों को कंट्रोल करते हुए उसका शरीर भी काका के दोनों हाथों के आगे झुक गया
दोनों हाथों के आगे मतलब चुचियों को कसे हुए रामू के दोनों हाथों के आगे आरती को लटके हुए देखता हुआ रामू अब भी, आरती को जोर दार तरीके से निचोड़ता जा रहा था वो भी, अपने आखिरी चरम पर था पर जैसे लगता था कि वो अपना पूरा दिन का गुस्सा आज आरती को निचोड़ कर ही निकाल देना चाहता था सो वो कर रहा था वो भी अपने शरीर की हर इंद्रियो को अपने लण्ड की ओर जाते हुए महसूस करता जा रहा था और ढेर सारा वीर्य उसके लण्ड से चूत पर आरती के अंदर और अंदर तक पहुँच गया
उसकी गिरफ़्त थोड़ी ढीली हुई और आरती धम्म से उसके ऊपर ढेर हो गई रामू की कमर अब भी चल रही थी वो अपनी आख़िरी बूँद को भी निचोड़ कर आरती के अंदर तक उतार देना चाहता था सो वो कर रहा था अपनी दोनों बाहों को उसने आरती के चारो ओर मजबूती से घेर रखा था और धीरे-धीरे वो और भी मजबूत होती जा रही थी
अब दोनों शांत हो गये थे दोनों एकदूसरे के पूरक बन गये थे और शांत थे सांसें गिन रहे थे या फिर एक दूसरे के छोड़ने का इंतजार कर रहे थे कोई नहीं जानता था पर दोनों वैसे ही बहुत देर तक लेटे रहे एक दूसरे के ऊपर और फिर धीरे से रामू ने आरती को हिलाया
रामू- बहू
आरती- उूउउम्म्म्मम
रामू- उठो हहुउऊउउ
आरती भी थोड़ा सा हिली और अपने को रामू से अलग करने लगी वो आज वाकाई बहुत थक चुकी थी।
बाहर से देख रही वो आंखे जा चुकी थी,
किसी तरह से खड़ी हुई और अपनी पैंटी को ढुड़ने लगी पर वो कही नहीं दिखी सो अपनी गाउनको उठाकर रामू काका की ओर पीठ कर उसे अपने सिर के ऊपर से डालकर पहन लिया और धीरे से गाउनको नीचे ले जाते हुए उठ खड़ी हुई और एक बार रामू काका की ओर देखा और मुड़कर बाहर जाने लगी,
रामु--- बहु सोनल का क्या करना है।
आरती-- क्या करना है मतलब?
रामू---- अगर उसने साहब को बता दिया तो ,
आरती---कुछ सोचती हूं मैं।
और कमरे से बाहर निकल गयी।
उसके कदम ठीक से नहीं पड़ रहे थे बहुत ही थकान लग रहा था पर एक तरंग उसके शरीर में थी जो उसे और भी मदहोशी के आलम की ओर ले जा रही थी वो किसी तरह से कमरे से बाहर निकली और सीढ़िया उतरती हुई अपने कमरे में आ गई कमरे में रवि अब भी सो रहा था आरती बाथरूम में गई और अपने को साफ करके वापस रवि के पास आके
सो गई थकान के चलते वो कब सो गई उसे पता नहीं चला हाँ… सुबह जब रवि ने उसे उठाया तो 10 बज चुके थे
रवि उसके लिए चाय कमरे में ही ले आया था आरती चाय पीते हुए अपने पति को तैयार होते देख रही थी वो अब भी बेड पर ही थी
रवि- क्या बात है बहुत देर तक सोई कल रात को नींद नहीं आई क्या
आरती- हाँ…
रवि- रात को कहाँ गई थी
आरती- मुह की च्याय बहार आकर गिरी
उसके सिर पर जैसे आसमान गिर गया हो चेहरा सफेद हो गया था जब रवि ने उससे पूछा ।
रवि ने घबराते देख खुद ही जवाब दिया
रवि- टीवी देख रही थी क्या
आरती- हाँ… नींद नहीं आ रही थी इसलिए
रवि- इसलिए तो कहता हूँ थोड़ा सा घर के बाहर निकलो घर में पड़ी पड़ी बोर भी हो जाती हो और कोई एक्सर्साइज भी नहीं तो थकान कहाँ से होगी
आरती- जी
पर आरती के दिमाग़ में वो बात घूम रही थी कि कल रात को जो उसने किया था अगर रवि बाहर निकलकर उसको ढूँढता तो .........आरति की जान निकल जाती है सोचकर।