hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे को अपनी जीब से चोदती रही. और दोनो एक साथ झाड़ पड़ी, दोनो ही एक दूसरे के रस की एक एक बूँद पी गई और हाँफती हुई एक दूसरे की बगल में लेट कर अपनी साँसे संभालने लगी.
सोनल उठ के कविता को चूमती है और चाट चाट कर उसका चेहरा सॉफ कर देती है. कविता भी उसके चेहरे को चाट्ती हुई सॉफ करती है और अपने रस का स्वाद चाटकरे ले ले कर करती . फिर दोनो एक दूसरे की बगल में चिपकती हुई लेट जाती हैं.
सोनल : चल तेरी प्यास भुजा दी. अब आगे सुना.
कविता : बड़ी छिनाल होती जा रही है, दूसरों की चुदाई की दास्तान सुनने में बड़ा
मज़ा आता है तुझे.
सोनल : हाय मेरी जान अब तुझे क्या बताउ क्या क्या हो गया है मेरे साथ. चल
अब जल्दी बोलना शुरू कर
कविता : फिर क्या था मैं उसका लंड चूस रही थी और वो मेरी चूत में अपनी जीब डाल
कर मुझे जीब से ही चोदने लगा और मेरे जिस्म में करेंट दौड़ती जा रही थी. उसका लंड चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी चूत को चाट चाट कर उसने लाल कर दिया था और उसका लंड मेरे मुँह में फूलने लगा. तब उसने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया और मुझे चूमने लगा. उसके होंठों पे मेरी चूत का रस लगा हुआ था मुँझे अपने ही रस का स्वाद मिलने लगा.
कविता--मेरी आग बहुत भड़क चुकी थी और मैं उसके लंड को पकड़ के अपनी चूत पे लगाने लगी. वो मेरा इशारा समझ गया.
सोनू : डाल दूं अंदर
कविता : अब और कितना तडपाएगा, अब नही रहा जाता, मेरी चूत में तूने बहुत खुजली मचा दी है अब उसे मिटा दे.
सोनू : सोच ले पहली बार दर्द होता है.
कविता : अब बक बक मत कर और चोद डाल मुझे.
सोनू ने मेरी टाँगों को उठा कर अपने कंधों पे रख लिया और मेरी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया. मेरी चूत और उपर उठ गई फिर उसने अपने लंड का सूपड़ा मेरी चूत में फसाया और मेरी कमर को पकड़ एक ज़ोर का धक्का मारा
आआआआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
मैं ज़ोर से चिल्ला पड़ी , इतना तेज़ दर्द हुआ. उसका लंड थोड़ा सा ही अंदर घुसा था. मैं छटपटा रही थी कि उसने फिर एक तेज़ धक्का मारा और अपना आधा लंड मेरी चूत में घुसा दिया.
मैं फिर चीखी उूुुुुउउइईईईईईईईईई म्म्म्म मममाआआआआआ निकाल बाहर
सोनू : बस हो गया मेरी जान
फिर सोनू मेरे आँसू चाटने लगा और मेरे होंठ चूसने लगा. मुझे थोड़ा आराम मिला तो वो धीरे धीरे अपने आधे घुसे हुए लंड को अंदर बाहर करने लगा . मुझे दर्द तो हो रहा था पर इतना नही और दर्द भी बहुत मीठा सा लग रहा था. मेरी सिसकियाँ निकलने लगी.
आह आह आह उफ़ उफ़ उफ़ सी सी उम उम ओह हाई आह
मुझे मज़ा आने लगा और मेरी गंद उपर नीचे होने लगी. विक्की ने तब अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी और बीच में एक तेज़ धक्का मार कर अपना पूरा लंड अंदर घुसा दिया. इससे पहली मेरी चीख निकलती उसके होंठ मुझ से चिपक गये.
सोनल मासूम बनते हुए : हाई इतना दर्द होता है क्या?
कविता : शुरू में तो होता है फिर मज़ा भी बहुत आता है. और ये दर्द सिर्फ़ पहली बार होता है.
सोनल : कितनी देर चोदा उसने तुझे.
कविता : जब उसका पूरा लंड अंदर घुस गया तो मेरा ध्यान दर्द से दूर करने के लिए मेरे होंठ चूमता मेरे बूब्स चूस्ता. जब दर्द कम हुआ तो उसने फिर अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे स्पीड पकड़ता गया.
अब वो किसी मशीन की तरहा मुझे चोद रहा था और मेरी चूत भी अपना रस छ्चोड़ती जा रही थी. मेरी सिसकियों के साथ साथ मेरी चूत भी राग अलपने लगी. फॅक फॅक फॅक की आवाज़ होती जब उसका लंड बाहर आकर फिर अंदर घुसता. 10 मिनट तक वो ऐसे ही तेज़ गति से मुझे चोदता रहा और मैं अपनी गांड उछाल उछाल कर मज़े लेती रही.
फिर मेरा जिस्म अकड़ने लगा और मैं उसके साथ चिपक गई. मेरी चूत ने अपना पहला बाँध तोड़ दिया और मेरे नाख़ून उसकी पीठ पे गढ़ते चले गये. ओर्गसम में इतना मज़ा आता है मुझे पहले नही पता था. उसने मुझे मेरे पहले मज़े को आराम से अपने अंदर समेटने दिया.
मैं निढाल हो कर बिस्तर पे चित हो गई और वो सतसट फिर मुझे चोदने लगा. जब उसका छूटनेवाला था तो उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मूठ मारने लगा एक मिनट के अंदर ही उसके वीर्य की पिचकारी मेरे उपर गिरने लगी.
जब उसका वीर्य निकल गया तो वो मेरे साथ गिर पड़ा और अपनी साँसे संभालने लगा. मज़े के मारे मेरी आँखें बंद हो चुकी थी.
सोनल : हाई मेरी बन्नो कली से फूल बन गई और भाई को ही बेह्न्चोद बना दिया.
कविता : साली तू भी तो मरी जा रही है फूफा को बेटीचोद बनाने के लिए.
सोनल : काश पापा इस बार आ के चोद डाले बस, चाहे रेप ही कर दे.
कविता : तू तो तैयार बैठी है फिर रेप कैसा.
सोनल : उसे तो रेप ही लगेगा ना, उसे क्या मालूम कि मैं तैयार हूँ, और इतनी जल्दी थोड़ी ना मान जाउन्गि, साला फिर रंडी समझने लगेगा मुझे. खैर देखते हैं कब तक वो मेरे हुस्न की तलवार से खुद को बचाएगा. तू अपना जारी रख , आगे क्या हुआ.
कविता : अब चुद गई तो आगे क्या, उसके बाद जब उसका दिल करा उसने चोदा जब मेरा दिल करा तो उसके उपर चढ़ गई.
सोनल : अरे जब वो तुझे चोद के अलग हुआ तो फिर क्या किया तुम दोनो ने बाद में. सिर्फ़ एक बार तो चुदि नही होगी उस दिन.
कविता : अब सोने दे यार बाकी का किस्सा कल सुनाउन्गि.
दोनो बहने ऐसे ही नंगी सो जाती हैं.
अगले दिन कविता फिर जल्दी निकल पड़ती है और सोनल भी अपने स्कूल चली जाती है.
दोपहर को जब सोनल घर वापस आती है तो देखती है कि आरती आज फैक्टरी नही गयी थी और कुछ उदास सी लग रही है.
सोनल जा के आरती के गले लगी गई और बोली ' क्या बात है मोम डार्लिंग ये सुंदर मुखड़ा आज उदास क्यूँ है.'
आरती : ये तेरी की वजह से है, बाहर कुछ करने नही दे रही है और खुद उस कविता के चिपक कर सो जाती है, मुझे रात को अकेले सोना पड़ रहा है और मुझे अब नींद नही आती अकेले.
सोनल : अपने माँ के बूब्स दबाते हुए ' ओह हो डॅड की बहुत याद आ रही है क्या,करूँ फोन जल्दी से आ के मम्मी की लेलो बहुत तड़प रही है'
आरती : आई है बड़ी अपने पापा से ऐसे बोलने वाली, हिम्मत है तुझ में, खाल उधेड़ देंगे तेरी. मुझे तेरे डॅड की नही अब तेरी ज़रूरत महसूस हो रही है.
सोनल : ओ तेरी की , ये तो गड़बड़ हो गई, अब डॅड का क्या होगा आप मेरे साथ चिपक जाओ गी तो उनका कौन ख़याल रखेगा.
आरती : वो तो वैसे भी बाहर मुँह मारते रहते हैं. जब आएँगे तो उनका भी ले लुँगी.
सोनल : क्या लेलो गी?
आरती : तुझे जैसे पता नही , उनका लंड अपनी चूत में और क्या.
अब आरती बहुत ज़यादा खुल गई थी , सोनल को अपने रास्ते सॉफ होते हुए दिख रहे थे. जब जिस्म की प्यास भड़कती है तो सारे रिश्ते नाते ख़तम कर देती है. बस एक ही बात याद रहती है अपने जिस्म की प्यास को बुझाना.
सोनल : तो आज रात को मेरे कमरे में आ जाना, जब हम सोने जाएँ उसके आधे घंटे बाद.
आरती : पागल है क्या कविता के सामने......
राम्या : जो मैं कह रही हूँ वो करो बस, कविता की तुम चिंता मत करो.
सोनल ने कविता का राज अपनी मम्मी को नही बताया. अभी कविता से बहुत काम निकालने थे उसको और वो कविता को नाराज़ नही करना चाहती थी.
आरती : चल तू फ्रेश हो के आ मैं रामु को कहती हूं खाना लगाने को . ( आरती के चेहरे पे हसी लॉट आई थी, शायद रात के बारे में अभी से सोचने लगी थी)
सोनल अपने कमरे में फ्रेश होने चली गई और आरती किचन में.।
सोनल कमरे में फ्रेश होती है और बाहर चली जाती है. तब तक कविता भी आ जाती है. सोनल कविता को फ्रेश होकर बाहर आने के लिए कहती है और खुद हाल में जा कर आरती की मदद करने लगती है टेबल लगाने में.
आरती के चेहरे पे हसी देख सोनल भी अंदर से बहुत खुश होती है और आरती के गले लग जाती है.
खाना खाने के बाद आरती सोनल को गहरी नज़रों से देखती है और फिर अपने कमरे में चली जाती है.
सोनल और कविता भी कमरे में चले जाती हैं.
कमरे में पहुच कर दोनो एक दूसरे से चिपक जाती हैं. कविता को भी अब सोनल के जिस्म के साथ खेलना अच्छा लगने लगा था, जब तक लंड नही ऐसे ही सही.
दोनो के होंठ आपस में जुड़ जाते हैं . दोनो एक दूसरे के जिस्म को सहलाने लगती हैं. दोनो के ही जिस्म गरम होने लगते हैं. होंठ ऐसे चिपकते हैं जैसे कभी जुदा ना होंगे. सोनल कविता का निचला होंठ चूसने लगी और कविता उसका उपरवाला. एक गहरा स्मूच दोनो में शुरू हो गया.
दोनो के जिस्म से कपड़े कब उतरे पता ही ना चला. दोनो बिल्कुल एक दूसरे में खो चुकी थी ,कविता सोनल के पीछे आगाई और उसके साथ चिपक कर उसके चुचे मसल्ने लगी, सोनल ने अपनी गर्दन घुमा कर अपने होंठ कविता के होंठों से मिला दिए.
दोनो की मस्ती बढ़ने लगी और दोनो बिस्तर पे गिर पड़ी. दोनो का स्मूच फिर शुरू हो गया और सोनल कविता की चूत में उंगली करने लगी.
सोनल उठ के कविता को चूमती है और चाट चाट कर उसका चेहरा सॉफ कर देती है. कविता भी उसके चेहरे को चाट्ती हुई सॉफ करती है और अपने रस का स्वाद चाटकरे ले ले कर करती . फिर दोनो एक दूसरे की बगल में चिपकती हुई लेट जाती हैं.
सोनल : चल तेरी प्यास भुजा दी. अब आगे सुना.
कविता : बड़ी छिनाल होती जा रही है, दूसरों की चुदाई की दास्तान सुनने में बड़ा
मज़ा आता है तुझे.
सोनल : हाय मेरी जान अब तुझे क्या बताउ क्या क्या हो गया है मेरे साथ. चल
अब जल्दी बोलना शुरू कर
कविता : फिर क्या था मैं उसका लंड चूस रही थी और वो मेरी चूत में अपनी जीब डाल
कर मुझे जीब से ही चोदने लगा और मेरे जिस्म में करेंट दौड़ती जा रही थी. उसका लंड चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी चूत को चाट चाट कर उसने लाल कर दिया था और उसका लंड मेरे मुँह में फूलने लगा. तब उसने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया और मुझे चूमने लगा. उसके होंठों पे मेरी चूत का रस लगा हुआ था मुँझे अपने ही रस का स्वाद मिलने लगा.
कविता--मेरी आग बहुत भड़क चुकी थी और मैं उसके लंड को पकड़ के अपनी चूत पे लगाने लगी. वो मेरा इशारा समझ गया.
सोनू : डाल दूं अंदर
कविता : अब और कितना तडपाएगा, अब नही रहा जाता, मेरी चूत में तूने बहुत खुजली मचा दी है अब उसे मिटा दे.
सोनू : सोच ले पहली बार दर्द होता है.
कविता : अब बक बक मत कर और चोद डाल मुझे.
सोनू ने मेरी टाँगों को उठा कर अपने कंधों पे रख लिया और मेरी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया. मेरी चूत और उपर उठ गई फिर उसने अपने लंड का सूपड़ा मेरी चूत में फसाया और मेरी कमर को पकड़ एक ज़ोर का धक्का मारा
आआआआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
मैं ज़ोर से चिल्ला पड़ी , इतना तेज़ दर्द हुआ. उसका लंड थोड़ा सा ही अंदर घुसा था. मैं छटपटा रही थी कि उसने फिर एक तेज़ धक्का मारा और अपना आधा लंड मेरी चूत में घुसा दिया.
मैं फिर चीखी उूुुुुउउइईईईईईईईईई म्म्म्म मममाआआआआआ निकाल बाहर
सोनू : बस हो गया मेरी जान
फिर सोनू मेरे आँसू चाटने लगा और मेरे होंठ चूसने लगा. मुझे थोड़ा आराम मिला तो वो धीरे धीरे अपने आधे घुसे हुए लंड को अंदर बाहर करने लगा . मुझे दर्द तो हो रहा था पर इतना नही और दर्द भी बहुत मीठा सा लग रहा था. मेरी सिसकियाँ निकलने लगी.
आह आह आह उफ़ उफ़ उफ़ सी सी उम उम ओह हाई आह
मुझे मज़ा आने लगा और मेरी गंद उपर नीचे होने लगी. विक्की ने तब अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी और बीच में एक तेज़ धक्का मार कर अपना पूरा लंड अंदर घुसा दिया. इससे पहली मेरी चीख निकलती उसके होंठ मुझ से चिपक गये.
सोनल मासूम बनते हुए : हाई इतना दर्द होता है क्या?
कविता : शुरू में तो होता है फिर मज़ा भी बहुत आता है. और ये दर्द सिर्फ़ पहली बार होता है.
सोनल : कितनी देर चोदा उसने तुझे.
कविता : जब उसका पूरा लंड अंदर घुस गया तो मेरा ध्यान दर्द से दूर करने के लिए मेरे होंठ चूमता मेरे बूब्स चूस्ता. जब दर्द कम हुआ तो उसने फिर अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे स्पीड पकड़ता गया.
अब वो किसी मशीन की तरहा मुझे चोद रहा था और मेरी चूत भी अपना रस छ्चोड़ती जा रही थी. मेरी सिसकियों के साथ साथ मेरी चूत भी राग अलपने लगी. फॅक फॅक फॅक की आवाज़ होती जब उसका लंड बाहर आकर फिर अंदर घुसता. 10 मिनट तक वो ऐसे ही तेज़ गति से मुझे चोदता रहा और मैं अपनी गांड उछाल उछाल कर मज़े लेती रही.
फिर मेरा जिस्म अकड़ने लगा और मैं उसके साथ चिपक गई. मेरी चूत ने अपना पहला बाँध तोड़ दिया और मेरे नाख़ून उसकी पीठ पे गढ़ते चले गये. ओर्गसम में इतना मज़ा आता है मुझे पहले नही पता था. उसने मुझे मेरे पहले मज़े को आराम से अपने अंदर समेटने दिया.
मैं निढाल हो कर बिस्तर पे चित हो गई और वो सतसट फिर मुझे चोदने लगा. जब उसका छूटनेवाला था तो उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मूठ मारने लगा एक मिनट के अंदर ही उसके वीर्य की पिचकारी मेरे उपर गिरने लगी.
जब उसका वीर्य निकल गया तो वो मेरे साथ गिर पड़ा और अपनी साँसे संभालने लगा. मज़े के मारे मेरी आँखें बंद हो चुकी थी.
सोनल : हाई मेरी बन्नो कली से फूल बन गई और भाई को ही बेह्न्चोद बना दिया.
कविता : साली तू भी तो मरी जा रही है फूफा को बेटीचोद बनाने के लिए.
सोनल : काश पापा इस बार आ के चोद डाले बस, चाहे रेप ही कर दे.
कविता : तू तो तैयार बैठी है फिर रेप कैसा.
सोनल : उसे तो रेप ही लगेगा ना, उसे क्या मालूम कि मैं तैयार हूँ, और इतनी जल्दी थोड़ी ना मान जाउन्गि, साला फिर रंडी समझने लगेगा मुझे. खैर देखते हैं कब तक वो मेरे हुस्न की तलवार से खुद को बचाएगा. तू अपना जारी रख , आगे क्या हुआ.
कविता : अब चुद गई तो आगे क्या, उसके बाद जब उसका दिल करा उसने चोदा जब मेरा दिल करा तो उसके उपर चढ़ गई.
सोनल : अरे जब वो तुझे चोद के अलग हुआ तो फिर क्या किया तुम दोनो ने बाद में. सिर्फ़ एक बार तो चुदि नही होगी उस दिन.
कविता : अब सोने दे यार बाकी का किस्सा कल सुनाउन्गि.
दोनो बहने ऐसे ही नंगी सो जाती हैं.
अगले दिन कविता फिर जल्दी निकल पड़ती है और सोनल भी अपने स्कूल चली जाती है.
दोपहर को जब सोनल घर वापस आती है तो देखती है कि आरती आज फैक्टरी नही गयी थी और कुछ उदास सी लग रही है.
सोनल जा के आरती के गले लगी गई और बोली ' क्या बात है मोम डार्लिंग ये सुंदर मुखड़ा आज उदास क्यूँ है.'
आरती : ये तेरी की वजह से है, बाहर कुछ करने नही दे रही है और खुद उस कविता के चिपक कर सो जाती है, मुझे रात को अकेले सोना पड़ रहा है और मुझे अब नींद नही आती अकेले.
सोनल : अपने माँ के बूब्स दबाते हुए ' ओह हो डॅड की बहुत याद आ रही है क्या,करूँ फोन जल्दी से आ के मम्मी की लेलो बहुत तड़प रही है'
आरती : आई है बड़ी अपने पापा से ऐसे बोलने वाली, हिम्मत है तुझ में, खाल उधेड़ देंगे तेरी. मुझे तेरे डॅड की नही अब तेरी ज़रूरत महसूस हो रही है.
सोनल : ओ तेरी की , ये तो गड़बड़ हो गई, अब डॅड का क्या होगा आप मेरे साथ चिपक जाओ गी तो उनका कौन ख़याल रखेगा.
आरती : वो तो वैसे भी बाहर मुँह मारते रहते हैं. जब आएँगे तो उनका भी ले लुँगी.
सोनल : क्या लेलो गी?
आरती : तुझे जैसे पता नही , उनका लंड अपनी चूत में और क्या.
अब आरती बहुत ज़यादा खुल गई थी , सोनल को अपने रास्ते सॉफ होते हुए दिख रहे थे. जब जिस्म की प्यास भड़कती है तो सारे रिश्ते नाते ख़तम कर देती है. बस एक ही बात याद रहती है अपने जिस्म की प्यास को बुझाना.
सोनल : तो आज रात को मेरे कमरे में आ जाना, जब हम सोने जाएँ उसके आधे घंटे बाद.
आरती : पागल है क्या कविता के सामने......
राम्या : जो मैं कह रही हूँ वो करो बस, कविता की तुम चिंता मत करो.
सोनल ने कविता का राज अपनी मम्मी को नही बताया. अभी कविता से बहुत काम निकालने थे उसको और वो कविता को नाराज़ नही करना चाहती थी.
आरती : चल तू फ्रेश हो के आ मैं रामु को कहती हूं खाना लगाने को . ( आरती के चेहरे पे हसी लॉट आई थी, शायद रात के बारे में अभी से सोचने लगी थी)
सोनल अपने कमरे में फ्रेश होने चली गई और आरती किचन में.।
सोनल कमरे में फ्रेश होती है और बाहर चली जाती है. तब तक कविता भी आ जाती है. सोनल कविता को फ्रेश होकर बाहर आने के लिए कहती है और खुद हाल में जा कर आरती की मदद करने लगती है टेबल लगाने में.
आरती के चेहरे पे हसी देख सोनल भी अंदर से बहुत खुश होती है और आरती के गले लग जाती है.
खाना खाने के बाद आरती सोनल को गहरी नज़रों से देखती है और फिर अपने कमरे में चली जाती है.
सोनल और कविता भी कमरे में चले जाती हैं.
कमरे में पहुच कर दोनो एक दूसरे से चिपक जाती हैं. कविता को भी अब सोनल के जिस्म के साथ खेलना अच्छा लगने लगा था, जब तक लंड नही ऐसे ही सही.
दोनो के होंठ आपस में जुड़ जाते हैं . दोनो एक दूसरे के जिस्म को सहलाने लगती हैं. दोनो के ही जिस्म गरम होने लगते हैं. होंठ ऐसे चिपकते हैं जैसे कभी जुदा ना होंगे. सोनल कविता का निचला होंठ चूसने लगी और कविता उसका उपरवाला. एक गहरा स्मूच दोनो में शुरू हो गया.
दोनो के जिस्म से कपड़े कब उतरे पता ही ना चला. दोनो बिल्कुल एक दूसरे में खो चुकी थी ,कविता सोनल के पीछे आगाई और उसके साथ चिपक कर उसके चुचे मसल्ने लगी, सोनल ने अपनी गर्दन घुमा कर अपने होंठ कविता के होंठों से मिला दिए.
दोनो की मस्ती बढ़ने लगी और दोनो बिस्तर पे गिर पड़ी. दोनो का स्मूच फिर शुरू हो गया और सोनल कविता की चूत में उंगली करने लगी.