hotaks444
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*मेले की सैर में ठाकुर के बेटे मनीष पर गोली चली
शाम के 6:00 बज रहे थे। धन्नो और करुणा तैयार होकर अपने होने वाले पतियों का इंतजार कर रही थी। उनके साथ मोहित और रिया भी तैयार बैठे थे। करुणा ने फोन पर मनीष को बता दिया था की मोहित और रिया भी उनके साथ मेले में चलेंगे। मनीष ने मोहित के घर के सामने पहुँचते ही गाड़ी का हार्न बजाया। हार्न सुनते ही सभी घर से निकलते हुए बाहर आ गये। सभी बाहर आते ही गाड़ी में बैठ गये। आगे मनीष और रवी बैठे थे और चारों गाड़ी में पीछे जाकर बैठे। कार बहुत बड़ी थी और उन चारों में से कोई भी मोटा नहीं था इसलिए चारों आराम से कार में बैठ गये।
शिल्पा हवेली में ठाकुर के कमरे में चाय लेकर आई। ठाकुर ने शिल्पा से चाय का कप लेते हुए टेबल पर रख दिया और शिल्पा को बाहों से पकड़ते हुए अपनी गोद में बिठा दिया।
शिल्पा ने छटपटाते हुए ठाकुर से कहा- “चाय पी लें, ठंडी हो जायेगी...”
ठाकुर- “तुम्हारे होते हुए चाय की क्या जरूरत है?” ठाकुर ने शिल्पा के कंधे को चूमते हुए कहा।
शिल्पा- “आप चाय पी लो, मैं बाथरूम से होकर आती हूँ..” शिल्पा ने ठाकुर से अपने आपको छुड़ाने की कोशिश
करते हुए कहा।
ठाकुर ने इस बार शिल्पा को आजाद कर दिया और चाय का कप उठाकर पीने लगा। शिल्पा ठाकुर से छूटते ही बाथरूम में घुस गई और अपनी साड़ी में छुपाई हुई मोबाइल निकालकर एक नंबर मिलाने लगी।
“हेलो...” दूसरी तरफ से आवाज आई।
शिल्पा- “मैं शिल्पा बोल रही हूँ.” शिल्पा ने धीरे से कहा।
हाँ शिल्पा बोल क्या बात है?” दूसरे तरफ से आवाज आई।
शिल्पा- “वो आज ठाकुर के दोनों बेटे और बहुयें मेले में घूमने गये हैं...” शिल्पा ने धीरे से बोलते हुए कहा।
ठीक है मैं समझ गया, तुम फोन बंद करो..." दूसरे तरफ से आवाज आई।
शिल्पा ने अपने मोबाइल को बाथरूम में एक जगह छुपा दिया और वहाँ से निकलते हुए ठाकुर के पास आ गई। ठाकुर चाय पी चुका था, उसने शिल्पा को देखते ही अपनी बाहों में दबोच लिया। ठाकुर ने अपने सारे कपड़े उतार दिए, और शिल्पा को भी पूरा नंगा कर दिया। ठाकुर शिल्पा को नंगा करने बाद उसके सारे जिश्म को चूमने और चाटने लगा। शिल्पा ना चाहते हुए भी गरम होने लगी और ठाकुर का साथ देने लगी। ठाकुर और शिल्पा दोनों हवस में अंधे होकर अपनी-अपनी प्यास बुझाने लगे।
मनीष ने गाड़ी को मेले के बाहर रोक कर एक साइड में खड़ा कर दिया, और सभी गाड़ी से उतरने लगे। गाड़ी से उतरते ही मनीष ने कहा- “साथ में मजा नहीं आएगा इसलिए हम सब अलग-अलग होकर मेला घूमते हैं."
मनीष की बात सबको अच्छी लगी और तीनों जोड़ियां अलग-अलग होकर मेले में दाखिल हो गईं। तीनों ने आखिर में मोबाइल से आपस में कांटैक्ट करने का फैसला किया। करुणा और मनीष जैसे ही मेले में दाखिल हुए करुणा ने सामने मौत के कुवें की तरफ इशारा करते हुए कहा- “मनीष हमें वो देखना है, हमने सुना है की इसमें कार गोल-गोल घूमती है...”
मनीष ने करुणा के साथ जाते हुए दो टिकटें खरीद ली और ऊपर चढ़कर मजे से देखने लगे। रवी ने धन्नो के साथ मेले में दाखिल होते ही उससे पूछा- “क्या देखना है?”
धन्नो- “जी हमें उस झूले पर चढ़ना है..” धन्नो ने एक बड़े झूले की तरफ इशारा करते हुए कहा।
रवि- “यार यह तो बहुत लंबा है, तुम्हें डर नहीं लगेगा...” रवी ने झूले की तरफ देखते हुए कहा।
धन्नो- “नहीं हमें डर नहीं लगेगा...”
रवी ने उस झूले की दो टिकटें ली और धन्नों के साथ उसपर बैठ गया। झूले पर सीटें ऐसी थी की एक भाग में दो लोग ही बैठ सकते थे। रवी और धन्नो एक दूसरे के सामने बैठ हुए थे। थोड़ी ही देर में झूला भर हो गया
और वो चलने लगा। झूला पहले कम और फिर बहुत स्पीड के साथ चलने लगा। रवी तो कई दफा इस झूले पर बैठ चुका था, मगर झूले के पूरा स्पीड में होते ही धन्नो को डर लगने लगा।
शाम के 6:00 बज रहे थे। धन्नो और करुणा तैयार होकर अपने होने वाले पतियों का इंतजार कर रही थी। उनके साथ मोहित और रिया भी तैयार बैठे थे। करुणा ने फोन पर मनीष को बता दिया था की मोहित और रिया भी उनके साथ मेले में चलेंगे। मनीष ने मोहित के घर के सामने पहुँचते ही गाड़ी का हार्न बजाया। हार्न सुनते ही सभी घर से निकलते हुए बाहर आ गये। सभी बाहर आते ही गाड़ी में बैठ गये। आगे मनीष और रवी बैठे थे और चारों गाड़ी में पीछे जाकर बैठे। कार बहुत बड़ी थी और उन चारों में से कोई भी मोटा नहीं था इसलिए चारों आराम से कार में बैठ गये।
शिल्पा हवेली में ठाकुर के कमरे में चाय लेकर आई। ठाकुर ने शिल्पा से चाय का कप लेते हुए टेबल पर रख दिया और शिल्पा को बाहों से पकड़ते हुए अपनी गोद में बिठा दिया।
शिल्पा ने छटपटाते हुए ठाकुर से कहा- “चाय पी लें, ठंडी हो जायेगी...”
ठाकुर- “तुम्हारे होते हुए चाय की क्या जरूरत है?” ठाकुर ने शिल्पा के कंधे को चूमते हुए कहा।
शिल्पा- “आप चाय पी लो, मैं बाथरूम से होकर आती हूँ..” शिल्पा ने ठाकुर से अपने आपको छुड़ाने की कोशिश
करते हुए कहा।
ठाकुर ने इस बार शिल्पा को आजाद कर दिया और चाय का कप उठाकर पीने लगा। शिल्पा ठाकुर से छूटते ही बाथरूम में घुस गई और अपनी साड़ी में छुपाई हुई मोबाइल निकालकर एक नंबर मिलाने लगी।
“हेलो...” दूसरी तरफ से आवाज आई।
शिल्पा- “मैं शिल्पा बोल रही हूँ.” शिल्पा ने धीरे से कहा।
हाँ शिल्पा बोल क्या बात है?” दूसरे तरफ से आवाज आई।
शिल्पा- “वो आज ठाकुर के दोनों बेटे और बहुयें मेले में घूमने गये हैं...” शिल्पा ने धीरे से बोलते हुए कहा।
ठीक है मैं समझ गया, तुम फोन बंद करो..." दूसरे तरफ से आवाज आई।
शिल्पा ने अपने मोबाइल को बाथरूम में एक जगह छुपा दिया और वहाँ से निकलते हुए ठाकुर के पास आ गई। ठाकुर चाय पी चुका था, उसने शिल्पा को देखते ही अपनी बाहों में दबोच लिया। ठाकुर ने अपने सारे कपड़े उतार दिए, और शिल्पा को भी पूरा नंगा कर दिया। ठाकुर शिल्पा को नंगा करने बाद उसके सारे जिश्म को चूमने और चाटने लगा। शिल्पा ना चाहते हुए भी गरम होने लगी और ठाकुर का साथ देने लगी। ठाकुर और शिल्पा दोनों हवस में अंधे होकर अपनी-अपनी प्यास बुझाने लगे।
मनीष ने गाड़ी को मेले के बाहर रोक कर एक साइड में खड़ा कर दिया, और सभी गाड़ी से उतरने लगे। गाड़ी से उतरते ही मनीष ने कहा- “साथ में मजा नहीं आएगा इसलिए हम सब अलग-अलग होकर मेला घूमते हैं."
मनीष की बात सबको अच्छी लगी और तीनों जोड़ियां अलग-अलग होकर मेले में दाखिल हो गईं। तीनों ने आखिर में मोबाइल से आपस में कांटैक्ट करने का फैसला किया। करुणा और मनीष जैसे ही मेले में दाखिल हुए करुणा ने सामने मौत के कुवें की तरफ इशारा करते हुए कहा- “मनीष हमें वो देखना है, हमने सुना है की इसमें कार गोल-गोल घूमती है...”
मनीष ने करुणा के साथ जाते हुए दो टिकटें खरीद ली और ऊपर चढ़कर मजे से देखने लगे। रवी ने धन्नो के साथ मेले में दाखिल होते ही उससे पूछा- “क्या देखना है?”
धन्नो- “जी हमें उस झूले पर चढ़ना है..” धन्नो ने एक बड़े झूले की तरफ इशारा करते हुए कहा।
रवि- “यार यह तो बहुत लंबा है, तुम्हें डर नहीं लगेगा...” रवी ने झूले की तरफ देखते हुए कहा।
धन्नो- “नहीं हमें डर नहीं लगेगा...”
रवी ने उस झूले की दो टिकटें ली और धन्नों के साथ उसपर बैठ गया। झूले पर सीटें ऐसी थी की एक भाग में दो लोग ही बैठ सकते थे। रवी और धन्नो एक दूसरे के सामने बैठ हुए थे। थोड़ी ही देर में झूला भर हो गया
और वो चलने लगा। झूला पहले कम और फिर बहुत स्पीड के साथ चलने लगा। रवी तो कई दफा इस झूले पर बैठ चुका था, मगर झूले के पूरा स्पीड में होते ही धन्नो को डर लगने लगा।