Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल - Page 22 - SexBaba
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Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल

*मेले की सैर में ठाकुर के बेटे मनीष पर गोली चली

शाम के 6:00 बज रहे थे। धन्नो और करुणा तैयार होकर अपने होने वाले पतियों का इंतजार कर रही थी। उनके साथ मोहित और रिया भी तैयार बैठे थे। करुणा ने फोन पर मनीष को बता दिया था की मोहित और रिया भी उनके साथ मेले में चलेंगे। मनीष ने मोहित के घर के सामने पहुँचते ही गाड़ी का हार्न बजाया। हार्न सुनते ही सभी घर से निकलते हुए बाहर आ गये। सभी बाहर आते ही गाड़ी में बैठ गये। आगे मनीष और रवी बैठे थे और चारों गाड़ी में पीछे जाकर बैठे। कार बहुत बड़ी थी और उन चारों में से कोई भी मोटा नहीं था इसलिए चारों आराम से कार में बैठ गये।

शिल्पा हवेली में ठाकुर के कमरे में चाय लेकर आई। ठाकुर ने शिल्पा से चाय का कप लेते हुए टेबल पर रख दिया और शिल्पा को बाहों से पकड़ते हुए अपनी गोद में बिठा दिया।

शिल्पा ने छटपटाते हुए ठाकुर से कहा- “चाय पी लें, ठंडी हो जायेगी...”

ठाकुर- “तुम्हारे होते हुए चाय की क्या जरूरत है?” ठाकुर ने शिल्पा के कंधे को चूमते हुए कहा।

शिल्पा- “आप चाय पी लो, मैं बाथरूम से होकर आती हूँ..” शिल्पा ने ठाकुर से अपने आपको छुड़ाने की कोशिश
करते हुए कहा।

ठाकुर ने इस बार शिल्पा को आजाद कर दिया और चाय का कप उठाकर पीने लगा। शिल्पा ठाकुर से छूटते ही बाथरूम में घुस गई और अपनी साड़ी में छुपाई हुई मोबाइल निकालकर एक नंबर मिलाने लगी।

“हेलो...” दूसरी तरफ से आवाज आई।

शिल्पा- “मैं शिल्पा बोल रही हूँ.” शिल्पा ने धीरे से कहा।

हाँ शिल्पा बोल क्या बात है?” दूसरे तरफ से आवाज आई।

शिल्पा- “वो आज ठाकुर के दोनों बेटे और बहुयें मेले में घूमने गये हैं...” शिल्पा ने धीरे से बोलते हुए कहा।

ठीक है मैं समझ गया, तुम फोन बंद करो..." दूसरे तरफ से आवाज आई।

शिल्पा ने अपने मोबाइल को बाथरूम में एक जगह छुपा दिया और वहाँ से निकलते हुए ठाकुर के पास आ गई। ठाकुर चाय पी चुका था, उसने शिल्पा को देखते ही अपनी बाहों में दबोच लिया। ठाकुर ने अपने सारे कपड़े उतार दिए, और शिल्पा को भी पूरा नंगा कर दिया। ठाकुर शिल्पा को नंगा करने बाद उसके सारे जिश्म को चूमने और चाटने लगा। शिल्पा ना चाहते हुए भी गरम होने लगी और ठाकुर का साथ देने लगी। ठाकुर और शिल्पा दोनों हवस में अंधे होकर अपनी-अपनी प्यास बुझाने लगे।


मनीष ने गाड़ी को मेले के बाहर रोक कर एक साइड में खड़ा कर दिया, और सभी गाड़ी से उतरने लगे। गाड़ी से उतरते ही मनीष ने कहा- “साथ में मजा नहीं आएगा इसलिए हम सब अलग-अलग होकर मेला घूमते हैं."

मनीष की बात सबको अच्छी लगी और तीनों जोड़ियां अलग-अलग होकर मेले में दाखिल हो गईं। तीनों ने आखिर में मोबाइल से आपस में कांटैक्ट करने का फैसला किया। करुणा और मनीष जैसे ही मेले में दाखिल हुए करुणा ने सामने मौत के कुवें की तरफ इशारा करते हुए कहा- “मनीष हमें वो देखना है, हमने सुना है की इसमें कार गोल-गोल घूमती है...”

मनीष ने करुणा के साथ जाते हुए दो टिकटें खरीद ली और ऊपर चढ़कर मजे से देखने लगे। रवी ने धन्नो के साथ मेले में दाखिल होते ही उससे पूछा- “क्या देखना है?”

धन्नो- “जी हमें उस झूले पर चढ़ना है..” धन्नो ने एक बड़े झूले की तरफ इशारा करते हुए कहा।

रवि- “यार यह तो बहुत लंबा है, तुम्हें डर नहीं लगेगा...” रवी ने झूले की तरफ देखते हुए कहा।

धन्नो- “नहीं हमें डर नहीं लगेगा...”

रवी ने उस झूले की दो टिकटें ली और धन्नों के साथ उसपर बैठ गया। झूले पर सीटें ऐसी थी की एक भाग में दो लोग ही बैठ सकते थे। रवी और धन्नो एक दूसरे के सामने बैठ हुए थे। थोड़ी ही देर में झूला भर हो गया
और वो चलने लगा। झूला पहले कम और फिर बहुत स्पीड के साथ चलने लगा। रवी तो कई दफा इस झूले पर बैठ चुका था, मगर झूले के पूरा स्पीड में होते ही धन्नो को डर लगने लगा।
 
धन्नो ने रवी से कहा- “मुझे बहुत डर लग रहा है, मैं गिर जाऊँगी...”

रवि- “मैंने तुमसे कहा था ना की तुम्हें डर लगेगा, मगर तुम ही जिद करके चढ़ी थी...” रवी ने गुस्से से धन्नो को कहा- “एक काम करो अपना हाथ मुझे दो और मेरी गोद में आकर बैठो..." रवी ने धन्नो को सुझाव दिया।

धन्नो को डर तो बहुत लग रहा था मगर वो रवी की गोद में बैठने से शर्मा रही थी। धन्नो को अचानक चक्कर आने लगे और वो रवी का हाथ पकड़ते हुए उसकी गोद में जाकर बैठ गई। रवी ने धन्नो के अपनी गोद बैठते ही अपनी बाहों में जकड़कर काबू कर लिया। धन्नो के भारी चूतड़ अपनी गोद पर महसूस होते ही रवी को अपनी । पैंट में गर्माहट महसूस होने लगी। रवी ने अपने हाथों को थोड़ा ऊपर करते हुए धन्नो की चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा।

अचानक रवी का हाथ अपनी चूचियों पर पड़ते ही धन्नो चौंकते हुए “आअह्ह्ह...” करके सिसक पड़ी। रवी ने वैसे ही धन्नो की चूचियों को सहलाते हुए अपने होंठ उसके कंधे पर रख दिए। रवी अपने होंठ धन्नो के कंधे पर चारों तरफ फिराते हुए उसे चूमने लगा। झूला वैसे ही तेज रफ़्तारी से चल रहा था। धन्नो जो थोड़ी देर पहले गिरने से डर रही थी अब अपने होने वाले पति की मजबूत बाहों में अपनी आँखें बंद किए हुए दुनियां से बेखबर मजे से सिसक रही थी।


अचानक झूले की स्पीड कम हो गई। धन्नो झूले की स्पीड कम होते ही होश में आ गई और रवी के हाथों को अपने हाथों से पकड़ते हुए अपनी चूचियों से अलग कर दिया। धन्नो रवी की गोद से उठते हुए अपनी सीट पर जाकर बैठ गई। झूले की स्पीड कम होती गई और झूला ठहर गया। रवी और धन्नो झूले के ठहरते ही वहाँ से उतर गये।

रवी ने धन्नो से कहा- “अब कहाँ चलना है?”

धन्नो- “जी आप जहाँ चले, मैं कुछ नहीं कहूँगी..." धन्नो ने जवाब दिया।

रवी ने कुल्फी वाले के पास ठहरते हुए दो कुल्फियां ले ली। रवी ने एक कुल्फी धन्नो को दे दी और सामने एक मैजिक शो की दो टिकटें खरीद कर धन्नो के साथ अंदर आ गया।

दोनों एक साथ बैठकर कुल्फी खाते हुए मैजिक शो देखने लगे। रवी की नजर कुल्फी खाते हुए धन्नो को घूर । रही। रवी को धन्नो कुल्फी खाते हुए बहुत अच्छी लग रही थी। धन्नो जैसे ही कुल्फी को अपनी जीभ निकालकर चाटती रवी के पूरे शरीर में सिहरन होने लगती। रवी अपनी किश्मत पर बहुत खुश हो रहा था की उसे अपने लिए धन्नो जैसी पढ़ी लिखी खूबसूरत बीवी मिल गई।

मोहित और रिया भी झूले पर चढ़ने के बाद एक जगह से आइसक्रीम खरीदकर उसी मैजिक शो में आ गये, जहाँ रवी और धन्नो मौजूद थे। मनीष और करुणा भी मौत के कुवें को देखने के बाद कोल्ड ड्रिंक खरीदते हुए उसी मैजिक शो में आ गये। मैजिक शो के खतम होते ही सभी बाहर निकलने लगे।

तभी धन्नो ने करुणा और रवी को देख लिया और चिल्लाते हुए अपने पास बुला लिया। तभी मोहित की नजर भी उन चारों पर पड़ी और वो भी चलते हुए सभी के साथ खड़े हो गये। सभी ने आपस में मिलकर वापस जाने का फैसला किया और सभी साथ में चलते हुए अपनी गाड़ी तक पहुँच गये।

मनीष गाड़ी का लाक खोल ही रहा था की एक जोरदार आवाज के साथ गोली चलने की आवाज आई, गोली मनीष के बाजू के बिल्कुल पास से गुजरती हुई जमीन पर जा लगी। मनीष जल्दी से गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए उसमें बैठ गया और सभी भी डर के मारे गाड़ी में बैठ गये। मनीष गाड़ी चला चुका था। मेले के शोर में किसी को खबर ही नहीं लगी की यहाँ किसी ने गोली चलाई है।

मनीष बहुत डरा हुआ था उस समझ में नहीं आ रहा था की उसका कोई दुश्मन भी हो सकता है, उसपर जानलेवा हमला हो चुका था। मनीष गाड़ी को सीधे अपनी हवेली की तरफ ले जाने लगा। रास्ते में डर के मारे किसी ने एक दूसरे से बात नहीं की।

शिल्पा ठाकुर से चुदवाने के बाद बाथरूम में अपने कपड़े पहनते हुए एक बार फिर बाथरूम में जाते हुए अपना मोबाइल उठाकर अपने कपड़ों में छुपा लिया। शिल्पा ठाकुर से इजाजत लेकर हवेली से निकल गई।

मनीष ने गाड़ी को सीधा अपनी हवेली के बाहर रोका और सभी कार से उतरकर हवेली में दाखिल हो गये।


ठाकुर- “अरे बेटे इन्हें घर क्यों नहीं छोड़ आए?” ठाकुर ने सभी को साथ में देखते हुए कहा।

रवि- “डैड हम पर किसी ने गोली चलाई है...” रवी ने अपने बाप को कहा।

ठाकुर- “क्या? गोली चलाई है, तुम सब ठीक तो हो?” ठाकुर ने परेशान होते हुए कहा।

रवि- “जी डैड हम सब ठीक हैं, गोली मनीष भैया के बिल्कुल करीब से गुजरी थी...” रवी ने फिर से कहा।

ठाकुर- “किस कमीने की जुर्रत हुई जो हमारे बेटे पर हमला किया, हम उस कुत्ते की बोटी-बोटी नोच लेंगे...” ठाकुर ने गुस्से से दाँत पीसते हुए कहा।

ठाकुर ने अपने एक नौकर से कहा- “कालू इनको गाड़ी में घर छोड़कर आओ..."

नौकर- “जो हुक्म ठाकुर साहब..” कहकर वो नौकर चारों को अपने साथ लेकर चला गया।

ठाकुर- “आओ बेटे मेरे कमरे में चलो..” ठाकुर ने मनीष और रवी को अपने साथ ले जाते हुए कहा। ठाकुर ने कमरे में आते ही फोन लगाया।

हेलो...” दूसरी तरफ से अवाज आई।

ठाकुर- “हम ठाकुर प्रताप सिंह बोल रहे हैं.” ठाकुर ने कड़क आवाज में बात करते हुए कहा।

“प्रणाम ठाकुर साहब कैसे याद किया?” दूसरी तरफ से आवाज आई।

ठाकुर- “आज मेले में हमारे बेटों पर किसी ने गोली चलाई, जल्दी से पता करें किस कुत्ते की मजाल हुई और हमारे बेटों पर भौंका?” ठाकुर ने गुस्से से तिलमिलाते हुए कहा।
 
“क्या कहा ठाकुर साहब? छोटे ठाकुरों पर किसी ने हमला किया, हम अभी पता लगाते हैं, किस माई के लाल में इतना दम है जो आपसे टक्कर ले रहा है?” दूसरी तरफ से उस शख्स ने हैरान होते हुये कहा।

रवि- “डैड हमारी तो किसी से दुश्मनी भी नहीं है...” रवी ने अपने पिता की तरफ देखते हुए कहा।

मनीष- “हमारी नहीं, मगर डैड की जरूर किसी से दुश्मनी है...” इतनी देर से खामोश मनीष ने पहली बार बोलते हुए कहा।

ठाकुर- “बेटा सच कहा। कोई तो है जो हमें नुकसान पहुँचाना चाहता है, मगर तुम फिकर मत करो हम पता लगा लेंगे...” ठाकुर ने संजीदा होते हुए कहा। ठाकुर ने अपने बेटों से कुछ देर बातें करने के बाद उन्हें अपने कमरे में। जाकर आराम करने के लिए कहा।


रवी और मनीष अपने कमरों में जाकर लेट गये। मनीष ने फैसला कर लिया था की शादी के बाद वो किसी दूसरी जगह जाकर रहेंगे।

इधर मोहित और सभी अपने घर पहुँच चुके थे। मौसी गोली की बात सुनकर बहुत डर गई थी। उसने धन्नो और करुणा को वापस जाने की सलाह दी। रात का खाना खाकर सभी सोने की तैयारी करने लगे। धन्नो और करुणा डर के मारे एक साथ एक कमरे में सोई थी और उन्हें जल्दी ही नींद आ गई।

रवी की आँखों से नींद गायब थी उसका लण्ड रात वाली बात को याद करते ही उठ चुका था और वो अपने लण्ड
को हाथ से सहलाते हुए शिल्पा का इंतजार करने लगा।

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शिल्पा और उसका यार सूरज

शिल्पा ने ठाकुर को दोपहर को ही कह दिया था की वो रात को नहीं आएगी।

शिल्पा अपने बाप के सोने के बाद अपने यार को मिसकाल दे दी थी और वो इस वक़्त शिल्पा को उल्टा करके चोद रहा था। शिल्पा अपने यार के 9" इंच लंबे और 24 इंच मोटे लण्ड से चुदते हुए दो बार झड़ चुकी थी। शिल्पा ने सिसकते हुए कहा-
“आहहह... तुम चोदने लगाते हो तो झड़ने का नाम ही नहीं लेते...”

“तुम्हें मेरी यही बात तो अच्छी लगती है...” उस शख्स ने अपने लण्ड को जोर से शिल्पा की चूत में अंदर-बाहर
करते हुए कहा।
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शिल्पा- “हाँ.. वो तो है, मगर तुम्हारा निशाना कैसे चूका?" शिल्पा ने मजे से सिसकते हुए कहा।

शायद ठाकुर के बेटों को कुछ दिन जिंदा रहना लिखा था..” उस शख्स ने हाँफते हुए कहा- “आह्ह... शिल्पा में झड़ रहा हूँ..” वो शख्स चिल्लाता हुआ शिल्पा की चूत को अपने वीर्य से भरने लगा।

शिल्पा भी अपनी चूत में वीर्य के जाते ही तीसरी बार झड़ने लगी। शिल्पा झड़ने के बाद सीधी होकर वहीं लेट
गई और वो शख्स भी उसके साइड में लेट गया।

जान मुझे कुछ दिनों तक यहाँ से जाना होगा, मगर मैं जल्द ही लौट आऊँगा..” उस शख्स ने शिल्पा की तरफ देखते हुए कहा।

शिल्पा- “सूरज मैं समझ सकती हूँ तुम्हारा यहाँ रहना ठीक नहीं है..." शिल्पा ने अपने यार को गले लगाते हुए
कहा।

सूरज- “ठीक है शिल्पा मैं चलता हूँ अपना खयाल रखना...” सूरज शिल्पा को अलविदा कहते हुए कपड़े पहनकर वहाँ से चला गया।

शिल्पा सूरज के जाते ही सोचने लगी की कब उनका इंतकाम पूरा होगा और कब वो आपस में शादी करेंगे। शिल्पा को अब अपने आपसे घिन होने लगी थी। शिल्पा चाहती थी की जल्द से जल्द उनका इंतकाम पूरा हो


जाये और वो भी शादी करके सूरज की पत्नी बनकर रहे। वो अपना जिश्म नोचवाकर तंग हो चुकी थी और वो अब अपना घर चाहती थी, जिसमें उसके पति और बच्चे हों। शिल्पा को सोचते-सोचते कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला।
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मोहित और रिया की पहली चुदाई

धन्नो की अचानक नींद खुल गई और वो उठकर पानी पीने के लिए बाहर आ गई, धन्नो ने ग्लास उठाते हुए मटके से पानी भर लिया और उसे पीने लगी। तभी उसे मोहित के कमरे से कुछ आवाज सुनाई दी। धन्नो पानी पीकर मोहित के कमरे के पास चली गई, तभी उसे अंदर से साफ आवाज सुनाई दी।

मोहित- “प्लीज एक बार इन्हें उतार दो ना, मैं कब से तुम्हारा बदन देखना चाहता हूँ...” अंदर से मोहित की आवाज आती सुनाई दी।

धन्नो चौंकते हुए खिड़की के पास चली गई, अंदर का नजारा देखकर धन्नो की आँखें फटी की फटी रह गई। रिया मोहित के सामने सिर्फ एक ब्रा-पैंटी में खड़ी थी और उसका गोरा बदन बल्ब की रोशनी में चमक रहा था।

रिया- “हम इन्हें नहीं उतारेंगे, इनके उतरते ही तुम मुझे तंग करना शुरू कर दोगे..” रिया ने मोहित को तड़पाते हुए कहा।

मोहित- “देखो रिया, हो सकता है हम कल शहर चले जाएं, इस बार हमें अपना जिश्म दिखा दो, हम तुम्हारी मर्जी के बिना कुछ नहीं करेंगे.” मोहित ने रिया से मिन्नत करते हुए कहा।

धन्नो हैरान थी की रिया इतनी रात को यहाँ कैसे पहुँच गई?

रिया- “ठीक है तुम जाकर वहाँ बैठ जाओ...” रिया ने मोहित को खटिया की तरफ इशारा करते हुए कहा।

मोहित सिर्फ एक अंडरवेर में था। वो रिया की बात सुनकर खटिया पर जाकर बैठ गया। रिया का जिश्म देखकर धन्नो हैरान रह गई क्योंकी रिया का फिगर जबरदस्त था। मोहित के खटिया पर बैठते ही रिया ने अपनी ब्रा को नीचे सरकाते हुए अपने जिश्म से अलग कर दिया।

रिया की चूचियां दूध की तरह सफेद थीं और उसके छोटे-छोटे निपल गुलाबी रंग के थे। धन्नो ने देखा की मोहित का लण्ड रिया की दूध जैसी सफेद चूचियों को देखकर उसके अंडरवेर में उछल-कूद मचाने लगा। रिया ने अब अपनी कच्छी में हाथ डालते हुए उसे भी उतार दिया। रिया ने जैसे ही अपनी कच्छी को अपने पैर से निकाला उसकी शीशे की तरह साफ, चिकनी और गोरी चूत को देखकर धन्नो और मोहित दोनों के मुँह में पानी आने लगा। मोहित ने खटिया से उठते हुए अपना अंडरवेर उतार दिया।

रिया- “आपको शर्म नहीं आती, आपने उसे क्यों उतारा?” रिया ने मोहित के अंडरवेर के उतरते ही उसके खड़े लण्ड को देखकर शर्म से अपनी आँखों के सामने अपने हाथों को रखते हुए कहा।

मोहित- “जब तुम नंगी होकर मेरे सामने खड़ी हो सकती हो तो मैं क्यों नहीं?” मोहित ने आगे बढ़ते हुए रिया की आँखों से उसके हाथ हटा दिए।

रिया- “देखो मोहित तुमने कहा था की हमें कुछ नहीं करोगे.” मोहित को नंगा होकर अपने इतने करीब देखकर रिया ने अपनी साँसों को ठीक करते हुए कहा।।

मोहित- “हम आपकी मर्जी के खिलाफ कुछ थोड़े ही करेंगे..” मोहित ने रिया को अपनी बाहों में भरते हुए कहा।

रिया अपनी नंगी चूचियां मोहित के सीने में दबते ही जोर से सिसक पड़ी। रिया को आज तक किसी ने हाथ नहीं लगाया था।

मोहित ने रिया को अपनी बाहों में मजबूती से पकड़ते हुए उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मोहित के होंठ अपने होंठों पर पड़ते ही रिया का सारा जिश्म सिहर उठा और उसने अपनी बाहों में मोहित को जोर से भींच लिया। मोहित रिया के दोनों होंठों को अपने मुँह में लिए हुए चूस रहा था। मोहित का लण्ड नीचे से उछलते हुए रिया की गोरी चूत को चूमते हुए टक्कर मारने लगा। रिया अपनी चूत पर किसी चीज के लगने से कांप उठी, और धक्का देते हुए मोहित को अपने आपसे दूर कर दिया।

मोहित- “क्या हुआ मेरी जान?” मोहित ने हैरान होते हुए रिया से पूछा।

रिया- “मुझे नीचे तुम्हारा वो लग रहा था...” रिया ने शर्म के मारे अपना सिर झुककर मोहित का खड़े लण्ड की
तरफ इशारा करते हुए कहा।

मोहित- “जान जिस तरह मैं तुमसे प्यार कर रहा हूँ, यह भी मेरी तरह तुम्हारी चूत से प्यार कर रहा था...” मोहित ने रिया के करीब आते हुए कहा।

रिया- "इसके वहाँ लगने से हमें बहुत गुदगुदी हो रही थी...” रिया ने खटिया पर जाकर बैठते हुए कहा।

मोहित- “जान तुम्हें इस गुदगुदी में मजा नहीं आ रहा था?” मोहित ने भी खटिया पर बैठते हुए कहा।

रिया- “हाँ आ रहा था...” रिया ने शर्म के मारे अपना सिर झुकते हुए कहा।

मोहित- “जान तो फिर मजे लो, क्यों इतना शर्मा रही हो?”

मोहित रिया को खटिया पर लेटाते हुए उसके साइड में खुद भी लेट गया। मोहित ने रिया का सिर थोड़ा ऊपर करते हुए उसका सिर अपने बाजू पर रख लिया। मोहित ने अब रिया की तरफ होते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उन्हें जोर से चूसते हुए अपना हाथ उसकी एक गोरी चूची पर रख दिया। मोहित ने जैसे ही । अपना हाथ रिया की चूची पर रखा उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने किसी नरम फोम के टुकड़े को अपने हाथ में पकड़ लिया हो।

मोहित- “जान तुम्हारी चूचियां तो बहुत नरम हैं." मोहित ने रिया के होंठों से अपने होंठों को हटाते हुए कहा।

धन्नो इतनी देर से खिड़की से यह सब देखकर गरम होने लगी थी। धन्नों ने अपनी नाइटी को ऊपर करते हुए अपना हाथ अपनी कच्छी में घुसा दिया।

रिया मोहित के होंठों के हटते ही बहुत जोर-जोर से साँसें लेने लगी। मोहित रिया के कंधे को चूमते हुए नीचे होते हुए अपना मुँह उसकी चूचियों पर रख दिया। रिया की हालत भी खराब हो चुकी थी उसने अपना हाथ मोहित के बालों में डालते हुए उसे अपनी चूचियों पर दबा दिया। मोहित समझ गया की रिया गरम हो गई है। उसने रिया की चूचियों के गुलाबी दाने को अपने मुँह में भर लिया और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को जोर जोर से दबाने लगा।


रिया- “आहह.. मोहित क्या कर रहे हो?” रिया ने मजे के मारे सिसकते हुए कहा।
 
मोहित रिया के गरम होने का भरपूर फायदा उठाते हुए उसके सिर से अपने बाजू को हटाते हुए उसके ऊपर चढ़ गया। मोहित अब रिया की दोनों चूचियों को बारी-बारी अपने मुँह में लेकर चाटने लगा। रिया के मुँह से मजे से जोर की सिसकियां निकल रही थी। रिया की चूचियां इतनी बड़ी नहीं थी, इसलिए मोहित उन्हें पूरा अपने मुँह में लेकर चूस रहा था। मोहित रिया की चूचियों को जी भर के चूसने के बाद नीचे होते हुए उसके गोरे पेट पर। अपनी जीभ को फिराते हुए उसकी नाभि तक आ गया।

मोहित अपनी जीभ को रिया की नाभि में डालकर फिराने लगा। रिया की गुदगुदी और मजे के मारे बुरी हालत थी। मोहित ने रिया की टाँगों के बीच आते हुए उसकी टाँगों को फैला दिया और बड़े गौर से रिया की भूरी कोरी चूत को देखने लगा।

रिया ने मोहित को ऐसे अपनी चूत की तरफ घूरता हुआ देखकर शर्म के मारे अपनी टाँगों को बंद करना चाहा। मगर मोहित ने अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों टाँगों को पकड़ते हुए ऐसा करने ना दिया और अपने होंठों को नीचे करते हुए उसकी चूत को चूम लिया। रिया अपनी चूत पर मोहित के होंठ लगते ही मजे से कांप उठी और अपनी टाँगों को ढीला छोड़ दिया। मोहित रिया की कुँवारी चूत की गंध सँघते हुए मदहोश होने लगा। मोहित ने अपनी जीभ निकाली और रिया की चूत के दाने पर फिराने लगा।

मोहित की जीभ अपनी चूत के दाने पर लगाते ही मजे से “आअह्ह्ह..” करके कांप उठी। रिया बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी क्योंकी उसने अपनी दोनों टाँगें जितना हो सकता था उतना फैला रखी थी, और उसकी चूत के बंद होंठों में से पानी की बूंदें निकल रही थी। मोहित ने अपने हाथ से रिया के दोनों होंठों को खोलते हुए अपनी जीभ उसकी चूत के लाल चीरे में डालकर घुमाने लगा।

मोहित की इस हरकत से रिया का पूरा जिश्म अकड़कर काँपने लगा और रिया की चूत यह हमला बर्दाश्त ना। करते हुए अपनी जिंदगी का पहला आजम छोड़ने लगी- “आह्ह्ह... ओह... आह्ह्ह... मोहित..” झड़ते हुए रिया के मुँह से जोर की सिसकियां निकालने लगी और उसने अपने दोनों हाथों से मोहित के सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबाए रखा।


रिया की मजे से आँखें बंद हो चुकी थी और उसकी चूत से पानी की नदियां निकलकर मोहित के मुँह और चहरे को भिगो रही थी। रिया के झड़ने के बाद मोहित ने उसकी टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया दे दिया।

रिया- “मोहित नहीं, हम यह सब नहीं कर सकते...” रिया ने जैसे ही झड़ने के बाद अपनी आँखें खोली मोहित को
और आगे बढ़ता हुआ देखकर डरते हुए कहा।

मोहित- “मुझपर भरोसा नहीं है जान..” मोहित ने अपना तना हुआ लण्ड रिया की गीली गुलाबी चूत पर रगड़ते हुए कहा।

रिया- “आअहह्ह... इस्स्स्स ... मोहित शादी से पहले यह सब ठीक नहीं है...” मोहित का लण्ड अपनी चूत पर पड़ते
ही रिया ने जोर से सिसव

मोहित- “हम बहुत जल्द शादी कर लेंगे, मुझपर भरोसा रखो...” मोहित ने अपना पूरा लण्ड रिया की गीली चूत से रगड़ते हुए गीला होने के बाद अपने हाथों से उसकी चूत के पतले होंठों को खोलकर अपना लण्ड उसके लाल चीरे में रखते हुए कहा।

रिया- “मोहित तुम्हारा बहुत बड़ा है, यह मेरी छोटी चूत में कैसे घुसेगा?” रिया ने अपना डर जाहिर हुए कहा।

मोहित- “पगली हर औरत को पहली बार में थोड़ा दर्द होता है, मगर भगवान ने औरत की चूत ऐसी बनाई है की उसमें कितना भी बड़ा लण्ड डालो, वो अपनी जगह बना लेता है.” मोहित ने रिया को समझते हुए कहा, और मोहित ने अपने हाथों से रिया की टाँगों को पकड़ते हुए एक धक्का मार दिया।

रिया- “ओईई माँ बहुत दर्द हो रहा है। मोहित प्लीज... मत करो, तुम्हारा बहुत बड़ा है मेरी फट जाएगी..” रिया
की चूत में मोहित के लण्ड का टोपा अंदर जाकर उसकी चूत की दीवार पर आकर रुक गया था, जिस वजह से वो चिल्ला रही थी।
 
मोहित ने रिया को चिल्लाता हुआ देखकर कहा- “जान थोड़ी देर के लिए बर्दाश्त कर लो तुम्हें मेरी कसम...”

रिया अपने प्यार और होने वाले पति की कसम को कैसे तोड़ सकती थी? उसने वहाँ से एक कपड़ा उठा लिया,

और अपने मुँह में ठूस लिया। मोहित ने रिया की टाँगों को मजबूती से पकड़कर अपना लण्ड थोड़ा पीछे करते हुए एक जोरदार धक्का मार दिया। मोहित का लण्ड रिया की चूत की झिल्ली को चीरता हुआ आधा उसकी चूत में घुस गया। अपनी चूत में आधा लण्ड घुसने से रिया के मुँह से गूं-गूं की आवाज निकालने लगी और दर्द के मारे उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

रिया की चूत की झिल्ली के फटने से उसकी चूत में से खून निकल रहा था। मोहित रिया की आँखों में आँसू देखकर समझ गया की उसे बहुत दर्द हो रहा है। इसलिए वो अपना आधा लण्ड ही घुसाए रिया के ऊपर झुक गया और उसकी एक चूची को अपने हाथ से सहलाते हुए दूसरी चूची को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा। रिया जो दर्द के मारे मारी जा रही थी उसे अपनी चूची को मोहित के मुँह में जाने से कुछ सुकून महसूस हुवा। थोड़ी ही देर में ही रिया की चूत से दर्द बिल्कुल कम हो गया। रिया ने अपने मुँह से कपड़ा निकाल लिया।

मोहित- “जान अब कैसा लग रहा है?” मोहित ने रिया की चूची को अपने मुँह से निकालते हुए कहा।

रिया- “तुमने तो जान ही निकाल दी थी। बहुत दर्द हो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मेरी चूत को किसी
ने चाकू के काट दिया हो। अब दर्द कम हो गया है..” रिया ने मोहित को जवाब दिया।

मोहित रिया के ऊपर से उठते हुए उसकी टाँगों को पकड़कर अपने लण्ड को बहुत धीरे से अंदर-बाहर करने लगा।

मोहित का लण्ड आगे-पीछे होने से रिया के मुँह से हल्की “आह्ह... ऊफफ्फ़..” की चीखें निकलने लगी।

मोहित- “अब भी दर्द हो रहा है क्या?” मोहित ने रिया से सवाल किया।

रिया- “नहीं अब कुछ कम है, तुम ऐसे ही आराम से करते रहो...” रिया ने मोहित के सवाल का जवाब दिया।

रिया को दर्द तो हो रहा था मगर वो उस मजे से बहुत कम था जो उसे अभी मोहित के लण्ड की रगड़ से मिल रहा था। रिया के मुँह से अब कामुक सिसकियां निकल रही थी। मोहित ने भी रिया को मजा लेते हुए देखकर अपने लण्ड को अब कुछ तेजी के साथ उसकी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। रिया को पता नहीं था की चुदाई में इतना मजा आता है। वो अपना सारा दर्द भुलाकर अब अपने चूतड़ उछाल-उछालकर मोहित से। चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी।

रिया का पूरा बदन मजे से काँपने लगा और उसके मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकालने लगी- “आअह्ह्ह...

मोहित ऐसे ही, हाँ थोड़ा तेज अंदर-बाहर करो, बहुत मजा आ रहा है, आहह्ह.. तुम्हारे लण्ड की रगड़ से मुझे बहुत मजा आ रहा है...”

रिया का जिश्म पशीने से पूरा भीग चुका था और अब उसके बदन ने अकड़ना शुरू कर दिया था। वो झड़ने के बिल्कुल करीब थी। मोहित ने रिया को झड़ने के करीब देखकर अपने लण्ड को बहुत जोर से उसकी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। \

मोहित के जोर के धक्कों से उसका लण्ड रिया की चूत में और अंदर जाने लगा। रिया को तो उस वक़्त किसी बात का होश नहीं था। वो तो बस अपनी चुदाई के मजे में मगन थी।

“आहहह.. सीईईई..” करते हुये रिया का बाँध टूट गया। रिया की चूत झटके खाते हुए अपना पानी छोड़ने लगी।

मोहित ने मौका देखकर बहुत जोर के धक्के लगाते हुए अपना पूरा लण्ड अंदर घुसा दिया और बहुत तेजी के । साथ अंदर-बाहर करने लगा। रिया की चूत गीली होने और झड़ने का खुमार होने से मोहित का लण्ड पूरा घुसने से उसे इतना दर्द नहीं हुवा। रिया को अब इतना मजा आ रहा था की वो झड़ते हुए हवा में उड़ रही थी। मोहित का लण्ड रिया को अब अपनी बच्चेदानी तक महसूस हो रहा था और उसकी तेज रगड़ से उसका पूरा शरीर कांप रहा था।
 
धन्नो इधर खड़े-खड़े दूसरी बार झड़ चुकी थी। वो अब खड़ा नहीं हो सकती थी इसलिए वो वहाँ से जाते हुए
अपने कमरे में आकर सो गई।

रिया ने झड़ने के बाद अपनी आँखें खोल दी थी।

मोहित- “जान अब बताओ कैसा लग रहा है?” मोहित ने रिया की आँखें खुलते ही उससे सवाल किया।

रिया- “मोहित पूछो मत मुझे बहुत मजा आ रहा है..” रिया ने अपनी चुदाई की खुमारी में कहा।

मोहित- “तुम्हें और मजा लेना है?” मोहित ने रिया को तेजी से चोदते हुए कहा।

रिया- “हाँ... बस तुम मुझे इसी तरह मजे देते रहो..” रिया ने जल्दी से कहा।

मोहित ने रिया की बात सुनते ही उसकी चूत से लण्ड को खींचकर निकाल दिया। लण्ड पच्च की आवाज से रिया की चूत से निकल गया।

रिया- “तुमने इसे क्यों निकाला और यह तुम्हारे लण्ड पर लाल-लाल क्या है?” रिया ने मोहित के लण्ड पर खून देखकर हैरान होते हुए कहा।

मोहित- “जान हर लड़की की पहली चुदाई में थोड़ा खून निकलता है यह तुम्हारी चूत से निकला हुआ खून है। तुम परेशान मत हो, अब कभी भी तुम्हारी चूत से खून नहीं निकलेगा। अब तुम कुँवारी नहीं रही...” मोहित ने रिया को समझाते हुए कहा और मोहित ने रिया को उल्टा लेटने के लिए कहा।

रिया हैरान होते हुए उल्टा लेट गई, मोहित ने उसकी कमर में हाथ डालते हुए आगे से ज्यादा झुका दिया। अब रिया की चूत पीछे से बिल्कुल निकल आई थी। मोहित ने अपने लण्ड को पीछे से रिया की चूत पर रगड़ते हुए उसकी चूत के मुंह पर रखते हुए एक धक्का मार दिया।

रिया- “आअह्ह्ह... इस्स्स्स मोहित आराम से...” पीछे से मोहित का आधा लण्ड घुसने से रिया को फिर से
तकलीफ होने लगी और वो सिसकने लगी।

मोहित अपने आधे लण्ड से उसे चोदने लगा। रिया का दर्द 8-10 धक्कों में ही गायब हो गया और वो अपनी चूत को मोहित के लण्ड पर जोर से उछालते हुए चुदवाने लगी। मोहित ने भी जोर के धक्के देते हुए अपना लण्ड पूरा रिया की चूत में घुसा दिया। और उसकी गाण्ड को पकड़कर जोर से उसे चोदने लगा।

रिया- “आह्ह्ह... ओफफ्फ़... इस्स्स्स .. मोहित... हाँ... बहुत मजा आ रहा है, ऐसे ही जोर से धक्के मारो...” रिया
मोहित का पूरा लण्ड घुसते ही उत्तेजना के मारे बहुत जोर से चिल्लाने लगी।

मोहित की नजर अचानक रिया की भूरी गाण्ड पर गई। रिया की गाण्ड को देखते ही मोहित का लण्ड रिया की चूत में और ज्यादा मोटा होने लगा। मोहित अपना हाथ रिया की गाण्ड के भूरे छेद पर रखते हुए जोर से उसकी


चूत में धक्के देने लगा। रिया का सारा शरीर उत्तेजना के मारे काँप रहा था। मोहित ने अचानक अपनी एक उंगली को अपने मुँह में डालकर गीला करते हुए रिया की गाण्ड में डाल दिया।

रिया- “ओईए... ऊफफ्फ़... आहहह...” करते हुए रिया तीसरी बार झड़ने लगी।



रिया की चूत ने झड़ते हुए मोहित के मोटे लण्ड को जोर से पकड़ लिया, जिस वजह से मोहित को अपना लण्ड आगे-पीछे करने में बहुत तकलीफ होने लगी और वो भी आह्ह्ह करते हुए झड़ने लगा। मोहित का वीर्य अपनी चूत में महसूस करते हुए ही रिया की चूत और ज्यादा पानी बहाने लगी। मोहित का लण्ड बहुत देर तक रिया। की चूत में पिचकारियां छोड़ता रहा और झड़ने के बाद उसके ऊपर ढेर हो गया। मोहित ने उस रात और दो बार रिया को चोदा और उसके बाद रिया वहाँ से जाने लगी।

रिया चलते हुए लंगड़ाकर चल रही थी, क्योंकी उसकी चूत तीन बार चुदवाने से सूजकर दर्द कर रही थी, मोहित
को रिया के जाने के बाद जल्द ही नींद आ गई।
 
धन्नो, करुणा और मोहित की गाँव से वापसी ।

सुबह सभी देर से उठे थे। धन्नो और करुणा ने वापस जाने का फैसला कर लिया था। वो अपनी जिंदगी खतरे में नहीं डालना चाहती थी। करुणा ने मनीष को फोन करके वापस जाने का बता दिया। धन्नों और करुणा वापस जाने की तैयारी करने लगी। मौसी ने उनसे कह दिया की मोहित भी तुम्हारे साथ जाएगा। तुम दोनों लड़कियां हो अकेले जाना ठीक नहीं होगा और उसने जाकर मोहित को उठा दिया। तीनों तैयार होकर मौसी से इजाजत लेकर वहाँ से निकल गये। उन तीनों को अभी हवेली जाकर ठाकुर से भी इजाजत लेनी थी। वो तीनों ने हवेली में आकर ठाकुर से इजाजत ले ली।

ठाकुर ने उनसे कहा- “जल्द ही मैं शहर आकर तुम दोनों का रिश्ता तुम्हारी माँ से माँगूंगा.”

मनीष और रवी उन्हें कार में शहर ट्रेन तक छोड़ने के लिए उनके साथ गये। ट्रेन की टिकटें खरीदने के बाद करुणा मनीष के गले से जा लगी और उससे कहा- “मनीष मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती...”

मनीष ने उसे गले लगाते हुए कहा- “पगली हम जल्द ही तुम्हारा रिश्ता माँगने आएंगे...”

रवी ने धन्नो की तरफ देखते हुए कहा- “छोरी ज्यादा चिंता मत कर, जल्द ही तुम हमारी हवेली की छोटी ठकुराइन बन जाएगी...”

वो तीनों मनीष और रवी से इजाजत लेने के बाद ट्रेन में चढ़ गये, मनीष और रवी उनको छोड़ने के बाद वापस गाँव चले गये।
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बिंदिया का ब्लैकमेल

आज बिंदिया बहुत देर तक सोई थी क्योंकी रात को रोहन के साथ बहुत देर तक चुदाई की थी। बिंदिया जैसे ही फ्रेश होकर बाथरूम से निकली तो बाहर का दरवाजा खटकने की आवाज आई। बिंदिया बाहर निकली ही थी की उसने देखा की उसकी माँ दरवाजे की तरफ जा रही है। सोनाली जैसे ही बाहर निकली, उसने देखा की एक शख्स सामने एक डब्बा अपने हाथ में लिए खड़ा था।

उसने सोनाली को देखते ही कहा- “मेमसाहब आपका नाम बिंदिया है?”

सोनाली- “नहीं मैं बिंदिया की माँ हूँ..” सोनाली ने उस शख्स को जवाब दिया।

मेमसाहब यह पार्सल बिंदिया मेमसाहब के लिए है, मगर मुझे उसी के हाथ में देने के लिए बोला गया है...” उस शख्स ने सोनाली से कहा।

सोनाली- “ठीक है मैं उसे भेजती हूँ..” यह कहते हुए सोनाली अंदर चली गई, और बिंदिया से- “बिंदिया बाहर कोई पार्सल लाया है, कह रहा है तुम्हें ही देगा। जाकर उससे ले लो...” सोनाली ने अंदर दाखिल होते हुए कहा।

बिंदिया अपनी माँ की बात सुनकर बाहर जाने लगी। बाहर आते ही बिंदिया ने उस शख्स से कहा- “मैं बिंदिया हूँ, किसने पार्सल भेजा है?" ।

मेमसाहब वो सब कुछ अंदर लिखा हुआ है, मगर आप खुद इसे खोलना किसी और के सामने नहीं अकेले में खोलना...” यह कहते हुए वो शख्स बिंदिया को पार्सल थमाकर वहाँ से चला गया।

बिंदिया उस शख्स की बात से बहुत परेशान हो गई की क्यों उसने पार्सल अकेले में खोलने के लिए कहा? बिंदिया पार्सल को लेकर अपने कमरे में आ गई और अपना दरवाजा अंदर से बंद करते हुए उस पार्सल को खोलने लगी। बिंदिया ने जैसे ही उसे डब्बे को खोला उसमें एक और डब्बा था। ऐसे खोलते हुए आखिर में सिर्फ एक लेटर और तस्वीरें जाकर बची। बिंदिया ने जैसे ही तस्वीरों को सीधा किया उसके पैर के नीचे से जमीन खिसक गई। उसका सिर चकराने लगा और वो एक बेजान लाश की तरह बेड पर बैठ गई।

बिंदिया के सामने उसकी और रोहन की होटेल वाली चुदाई की तस्वीरें थी। बिंदिया को अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था। उसने बुझे मन के साथ लेटर को उठाया और पढ़ने लगी।

हेलो मेडम बिंदिया नमस्कार, मैं ईशांत होटेल का मैनेजर... याद तो होगा, आपने पिक्चर्स देख ली होंगी और उम्मीद है पसंद भी आई होंगी। आपके पास यह पिक इसलिए भेजी, ताकी आपको मालूम हो की आप सिर्फ एक खूबसूरत सीधी साधी लड़की नहीं, बल्की एक महान रंडी भी हो, जो एक आदमी को खुश करना अच्छे से जानती है। हमारे पास आपकी पूरी चुदाई की वीडियो भी मौजूद है, जिसमें आपने अपने यार को बहुत अच्छे तरीके से खुश किया है। मेरा फोन । नंबर यह है नोट कर लो और जब टाइम मिले मुझे फोन पर बात करना। एक और बात अगर किसी को मेरे बारे में बताया तो तुम्हारी वीडियो और पिक नेट पर डाल दी जाएगी। आपका ईशांत...”

लेटर को पढ़ने के बाद बिंदिया का सिर जोर से चकराने लगा। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे? बिंदिया ने वो पिक और पार्सल अपनी अलमारी में छुपा दिया। बिंदिया ने पहले सोचा की रोहन को फोन करके सब कुछ बता देती है, मगर वो डर के मारे ऐसा ना कर सकी। बिंदिया ने अपने फोन से वो नंबर डायल किया जो लेटर में लिखा हुआ था।

मैनेजर- “हेलो...” दूसरी तरफ से आवाज आई।

बिंदिया- “जी मैं बिंदिया बोल रही हूँ..” बिंदिया ने अपना नाम बताते हुए कहा।

मैनेजर- “जी मेडम... आपके ही फोन का इंतजार था, कैसी लगी पिक?" दूसरी तरफ से हँसने की आवाज आई।

बिंदिया- “जी हम ऐसी लड़की नहीं हैं, जिसके साथ में आई थी वो मेरा होने वाला पति है.." बिंदिया ने जल्दी से उस शख्स से कहा।


मैनेजर- “हम जानते हैं की आप एक शरीफ लड़की हैं, इसलिए तो हमने आपकी वीडियो रेकार्ड की..." दूसरी तरफ से उस शख्स ने जवाब दिया।
बिंदिया- “जी मैं समझी नहीं?” बिंदिया ने हैरान होते हुए कहा।
 
मैनेजर- “मेमसाहब हमारे रेस्टोरेंट में बाहर के लोग आते हैं, जो कालेज गर्ल्स की डिमांड करते हैं, और तुम तो बिल्कुल कालेज की लड़की ही दिखती हो...” उस शख्स ने बिंदिया से कहा।

बिंदिया- “आप कोई और लड़की ढूंढ़ लो। आपको पैसे चाहिए तो मैं आपको देंगी। पर प्लीज... मैं यह सब नहीं कर सकती...” बिंदिया ने सुबकते हुए कहा।

मैनेजर- “पागल लड़की... अगर दूसरी लड़की ढूँढनी होती तो हम इतनी महनत क्यों करते? हमारे गैर मुल्की ग्राहक को रंडियां नहीं बल्की तुम्हारी जैसी घरेलू लड़कियां चाहिए और पैसों की बात मत करो, जितने पैसे हम तुम्हें एक रात के देंगे तुम ख्वाब में भी नहीं सोच सकती...” उस शख्स ने गुस्से में कहा।

बिंदिया- “देखो हम पर दया करो, हमारी शादी होने वाली है मैं किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहूंगी...” बिंदिया ने उस शख्स से गिड़गिड़ाते हुए कहा। बिंदिया की आँखों से आँसू निकल रहे थे।

मैनेजर- “सिर्फ एक बार हमारा काम कर लो, हम वादा करते हैं की तुमको तुम्हारी सारी पिक और वीडियो वापस कर देंगे और कभी किसी को कुछ पता नहीं चलेगा..” उस शख्स ने बिंदिया को समझते हुए कहा।

बिंदिया- “हम आपके पैर पड़ते हैं हमें मजबूर मत करो...” बिंदिया ने आखिरी कोशिश करते हुए कहा।

मैनेजर- “ठीक है.. तुम हमारी बात मत मानो, हम फोन रख रहे हैं..” उस शख्स ने गुस्से से कहा।

बिंदिया- “नहीं फोन मत रखो हमें बताओ की किस समय पर कहाँ आना है?” बिंदिया ने उस शख्स की धमकी से डरते हुए कहा।

मैनेजर- “स्वीट गर्ल यह हुई ना बात... हमने तुम्हारा नंबर नोट कर लिया है, हम तुम्हें फोन करके बता देंगे...” उस शख्स ने फोन पर हँसते हुए कहा।

बिंदिया- “आपने वादा किया है की आप हमें सारी पिक और वीडियो वापस कर देंगे...” बिंदिया ने उस शख्स को
याद दिलाया।

मैनेजर- “हाँ हम वापस कर देंगे, मगर हमारा ग्राहक नाराज नहीं होना चाहिये, अपने यार की तरह खुश करना...” उस शख्स ने फिर से हँसते हुए कहा।

बिंदिया- “ठीक है मैं फोन रखती हूँ..” बिंदिया ने उस शख्स से कहा।।

मैनेजर- “ओके... बाइ जल्द ही बात होगी...” उस शख्स से ने यह कहते हुये फोन काट दी।

बिंदिया फोन रखकर अपनी किश्मत पर रोने लगी। बिंदिया को अपना जिश्म किसी और के हवाले करने की सोचकर ही बहुत घिन आ रही थी, मगर उसके पास और कोई रास्ता नहीं था। बिंदिया ने सोचा चलो एक बार ही करना है और बिस्तर पर लेटकर सोचने लगी। जाने उसके साथ संबंध बनाने वाला कैसा होगा? उसका लण्ड कितना बड़ा होगा? बिंदिया की चूत यह सोचकर गीली होने लगी, मगर फिर उसे अपने आप पर गुस्सा आने । लगा की वो इतना कैसे गिर सकती है की रोहन के साथ धोखा करे? बिंदिया अपने कमरे में बैठकर सोच ही रही थी की उसका दरवाजा नाक हुवा। बिंदिया ने अपने पल्लू से अपने आँसू पोंछते हुए जाकर दरवाजा खोल दिया। बिंदिया के सामने उसकी माँ चाय लेकर खड़ी थी।

सोनाली- “बिंदिया क्या हो गया है, तुम इतनी देर तक क्या कर रही थी?” सोनाली ने चाय का कप बिंदिया को देते हुए कहा।

बिंदिया- “वो माँ एक दोस्त का फोन आ गया था उसी से बात कर रही थी...” बिंदिया ने झूठ बोलते हुए कहा।

सोनाली- “मैं खाना बना रही हूँ, तुम्हारे लिए भी बनाऊँ?” सोनाली ने अपनी बेटी से पूछा।

बिंदिया- “हाँ माँ, आज मैं यहीं खाऊँगी...” बिंदिया ने अपनी माँ को जवाब दिया।

सोनाली- “अच्छा तुम चाय पियो, मैं खाना बनाने जा रही हूँ...” सोनाली ने बिंदिया से जाते हुए कहा।

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